बहुत सी कहावतें किसी लघु कथा पर आधारित हैं. सयाने लोग कोई छोटी मोटी शिक्षाप्रद कहानी सुना कर एक वाक्य में आम लोगों को यह बताते हैं कि उस कहानी से समाज को क्या शिक्षा मिलती है. वह कथन एक कहावत के रूप में प्रचलित हो जाता है. जब हम वह कहावत बोलते हैं तो उस कथा का पूरा प्रसंग और सन्दर्भ उस में समाहित हो जाता है. यहाँ पर ऐसी कुछ कहानियां दी जा रही हैं –

  1. अंगूर खट्टे हैं
  2. अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
  3. अंधे और हाथी
  4. अंधेर नगरी चौपट राजा
  5. अतिशय लोभ न कीजिए लोभ पाप की धार
  6. अन्ते मति सो गति
  7. अपनी अपनी खाल में सब मस्त
  8. अपने किए का क्या इलाज
  9. अमर सिंह को मरते देखा, धनपत मांगें भीख, लछमी कंडा बीनतीं, इसे नाम छुछइयाँ ठीक
  10. आई थी बिल्ली, पूँछ थी गीली
  11. आज नहीं कल
  12. आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न सारी पावे (आधी छोड़ एक नै धावै, बाकी आधी मुंह से जावै)
  13. आपके नौकर हैं, न कि बैंगनों के
  14. आप से आवे तो आने दे
  15. आप ही की जूतियों का सदका है
  16. आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा
  17. आला दे निवाला
  18. इनको भी लिखो
  19. इस मुर्दे का पीला पाँव, के पीछे पीछे तुम भी आओ
  20. ऊँचे चढ़ चढ़ देखा तो घर-घर वो ही लेखा
  21. ऊंट के गले में बिल्ली
  22. ऊपर से बाबाजी दीखे, नीचे खोज गधे का
  23. एक की सैर, दो का तमाशा, तीन का पिटना, चार का स्यापा
  24. एक नकटा सौ को नकटा करे
  25. एक से दो भले
  26. औसत मेरा ज्यों का त्यों, कुनबा मेरा डूबा क्यों
  27. ककड़ी के चोर को फांसी नहीं दी जाती
  28. करम में लिख्या कंकर तो के करै शिवशंकर
  29. करा तो लीं पर ढकेगा कौन
  30. कलयुग में झूठ ही फले
  31. काग पढ़ायो पीन्जरो. पढ़ गया चारों वेद, समझायो समझे नहीं, रहयो ढेढ को ढेढ
  32. काली भली न सेत, दोनहूँ मारो एकहि खेत
  33. कुआँ बेचा है कुएं का पानी नहीं बेचा
  34. कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
  35. कुमानुस कहें काको, ससुराल में बसे बाको
  36. कौवा कान ले गया
  37. कौन कहे राजा जी नंगे हैं
  38. क्या कहूँ कछु कहा न जाए, बिन कहे भी रहा न जाए
  39. क्या खुदा तेरी खुदाई, मारनी थी गधी मर गई गाइ
  40. खुदा की खुदाई को कौन जानता है
  41. गंगा जी के घाट पर बामन वचन प्रमान, गंगा जी को रेत को तू चंदन कर के मान
  42. गले पड़ी बाजे है
  43. गाड़ी कुत्ते के बल नहीं चलती
  44. गिने गिनाए नौ के नौ
  45. गीदड़ पट्टा
  46. घर का घर में ही सुलट लिया
  47. घर जल गया, तब चूड़ियां पूछीं
  48. घोड़ी के सींग थे
  49. चलत फिरत धन पाइए, बैठे पावे कौन
  50. चोर की दाढ़ी में तिनका.
  51. चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाए
  52. जग जीता मोरी कानी, वर ठाढ़ होय तब जानी
  53. जले पांव की बिल्ली
  54. जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवार
  55. जिस की लाठी उस की भैंस
  56. जिसका काम उसी को साजे, और करे तो डंडा बाजे
  57. जैसे को तैसा मिले
  58. जो जैसी करनी करे सो तैसो फल पाए, बेटी पहुँची राजमहल साधु बंदरा खाए
  59. टके वाली का बालक झुनझुना बजायेगा
  60. टेढ़ी खीर
  61. ढपोर शंख
  62. तबेले की बला बंदर के सर
  63. तिरिया से राज छिपे न छिपाए
  64. तीन में न तेरह में
  65. तुझे हुकहुकी आवे तो मुझे डुबडुबी आवे
  66. तेरा तो घड़ा ही फूटा, मेरा तो बना बनाया घर ही ढह गया
  67. दगा किसी का सगा नहीं, कर के देखो भाई
  68. दूध का दूध और पानी का पानी
  69. देख तिरिया के चाले, सिर मुंडा मुंह काले, देख मर्दों की फेरी, मां तेरी कि मेरी
  70. देखना है, ऊंट किस करवट बैठता है
  71. दो लड़ें तीसरा ले उड़े
  72. नकलची बन्दर
  73. निन्यानवे के फेर में जो पड़ा वो दीन दुनिया से गया
  74. पंडित जी ने कौआ हग दिया
  75. पजामे का कोई जिकर नहीं
  76. पढ़े तो हैं पर गुने नहीं
  77. पार उतरूं तो बकरा दूँ
  78. पाप का बाप लोभ
  79. पुराना सो सयाना
  80. बंद है मुठ्ठी तो लाख की, खुल गई तो फिर ख़ाक की.
  81. बकरी खाए न खाए पर मुँह तो जरूर मारे
  82. बड़न की बात बड़े पहचाना
  83. बराबरी से कीजिए, ब्याह बैर अरु प्रीत
  84. बहन बत्तीस तो भाई छत्तीस
  85. बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे
  86. बिल्ली वाली चाल तो सिखलाई ही नहीं
  87. बीरबल की खिचड़ी
  88. बुद्धिमान शत्रु से मूर्ख मित्र अधिक खतरनाक होता है
  89. बैरी लायो गेह में, किया कुटुम पर रोस, आप कमाया कामड़ा, दई न दीजे दोस
  90. भेड़िया आया, भेड़िया आया
  91. मन चंगा तो कठौती में गंगा
  92. मनुज बली नहिं होत है समय होत बलवान
  93. माया तू है सुलक्खनी
  94. मार के आगे भूत भी भागते हैं
  95. मियाँ बीबी राजी तो क्या करेगा काजी
  96. मूरख का माल सराह सराह खाइए
  97. मेरा बैल कानून नहीं पढ़ा है
  98. मेरी एक आंख फूटे कोई गम नहीं, पडोसी की दोनों फूटनी चाहिए
  99. यही तो बीमारी थी
  100. रोग का घर खांसी, लड़ाई का घर हाँसी
  101. रौन गौरई की कुतिया
  102. ला साले मेरी चने की दाल
  103. लाल बुझक्कड़ बूझिए और न बूझा कोय, कड़ी बरंगा टार के ऊपर ही को लेय
  104. लाल बुझक्कड़ बूझिए और न बूझा कोय, हो न हो अल्लाह की सुरमादानी होय
  105. लाल बुझक्कड़ बूझिए, और न बूझा कोय; पाँव में चाकी बाँध के, हिरना कूदा होय
  106. विद्या पढ़ी संजीवनी, निकले मति से हीन, ऐसे निर्बुद्धी जने, सिंह ने खा लये तीन
  107. शेर की खाल ओढ़ लेने से गधा शेर नहीं बन सकता
  108. सतलड़ी मिलने ही वाली है
  109. सत्तू मनभत्तू जब घोले तब खइबे तब जइबे, धान बिचारे भल्ले कूटे खाए चल्ले
  110. सयाना आदमी लीक नहीं पीटता
  111. सहरी खाये सो रोजा रक्खे
  112. सांच को आँच नहीं
  113. सावन में गधा उदासा
  114. सींख सड़प्पे तो लाला जी के साथ गए, अब तो देखो और खाओ
  115. सीख उसी को दीजिए, जा को सीख सुहाए
  116. सुख मानो तो सुक्ख है, दुख मानो तो दुक्ख
  117. सुनार अपनी माँ की नथ में से भी चुराता है
  118. सोने वाले की भैंस तो पाड़ा ही जनेगी
  119. सौ का भाई साठ
  120. सौ सयाने एक मत
  121. हंसा थे सो उड़ गए कागा भये दिवान
  122. हमारे साथ रहोगे तो मजे में रहोगे
  123. हाथी खरीदना आसान है पर पालना मुश्किल
  124. हिजड़ों ने भला कभी काफिला लूटा है