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आँखों की सुइयाँ निकालना बाकी है

(लोक-विश्वास है कि यदि आटे की मूर्ति बनाकर जादू के जोर से उसमें शत्रु का नाम लेकर सूइयां चुभो दी जाएं, उसके मरने की कामना की जाए, और फिर उस मूर्ति को मरघट में रख दिया जाए, तो उस शत्रु के सर्वांग में उसी तरह की सूइयां चुभ जाएंगी और वह तड़प-तड़प कर मर जाएगा. पर अगर कोई तरकीब जानता हो, तो मंत्र द्वारा सूइयों को एक-एक करके अलग करके उसे जीवित भी किया जा सकता है) किसी ने उपर्युक्त रीति से एक व्यक्ति को मार डाला. उस मृत पुरुष की स्त्री जादू जानती थी. पति को जीवित करने के लिए उसने एक-एक करके उसके शरीर की सारी सूइयां निकाल डालीं. किंतु जब केवल आंखों की सूइयां निकालनी शेष रहीं, तब उसे बाहर उठकर जाना पड़ा. उसी समय उसकी नौकरानी वहां पहुंच गई. उसने आंखों की सूइयां निकाल डालीं. ऐसा करते ही वह मनुष्य जीवित हो गया. यह समझ कर कि इस नौकरानी ने ही मेरी प्राणरक्षा की है, वह उस पर बहुत प्रसन्न हुआ और पत्नी को अलग करके उसके साथ विवाह कर लिया.

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