मेरी बात

डॉ. शरद अग्रवाल

       किसी भी भाषा को प्रभावशाली व मनोरंजक बनाने के लिए मुहावरों व कहावतों का प्रयोग किया जाता है. मुहावरा एक वाक्यांश होता है जिसे किसी वाक्य में प्रयोग किया जाता है (जैसे कृष्ण यशोदा की आँख के तारे थे, इसमें आँख का तारा एक मुहावरा है) जबकि कहावत अपने आप में एक सम्पूर्ण कथन होती है ( जैसे   “न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी”). कहावत,  जिसे लोकोक्ति भी कहते हैं, में कोई अनुभव की बात बहुत संक्षेप में सरल लोक भाषा में कुछ ऐसे ढंग से कही जाती है कि जिस में मनोरंजन भी हो और कुछ सीख भी मिले. मुंशी प्रेमचंद और उनके समकालीन हिंदी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में कहावतों का प्रयोग पर्याप्त मात्रा में किया है लेकिन अब के हिंदी साहित्य में कहावतों का प्रयोग बहुत कम होता जा रहा है I

        मैं व्यवसाय से चिकित्सक हूँ लेकिन अत्यधिक व्यस्त होने के उपरान्त भी मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं जनसामान्य के लिए उपयोगी कुछ न कुछ लेखन अवश्य करूँ. अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैंने healthhindi.in नाम से एक वेबसाइट बनाई हुई है जिस पर स्वास्थ्य सम्बन्धी बहुत सी उपयोगी सामग्री निशुल्क उपलब्ध है, और अब यह hindikahawat.com नामक वेबसाइट प्रस्तुत है.

पूज्य दादी जी

       मुझे कहावतों में इतनी रूचि क्यों हुई इसके पीछे भी एक कारण है. मेरी माताजी की दादी अनपढ़ होते हुए भी एक अत्यंत बुद्धिमती महिला थीं. वह दिन में धूप और रात में तारे देख कर बिलकुल सही समय बता देती थीं और अधिकतर बीमारियों को घरेलू इलाज द्वारा ठीक कर लेती थीं. वह बोलचाल की भाषा में अनगिनत कहावतों का बिलकुल सटीक प्रयोग करती थी. उनकी कहावतें पाठ्य पुस्तकों में नहीं मिलती थीं इसलिए मेरे मन में आया कि इन कहावतों को एकत्र किया जाना चाहिए वरना ये समय के साथ लुप्त हो जाएंगी.

      पूज्य माता जी

        माता जी की सहायता से मैंने इस काम को करना आरम्भ किया. काम आरम्भ करने के बाद ऐसा लगा कि जितनी भी हिंदी कहावतें इधर उधर बिखरी हुई हैं उन का एक सम्पूर्ण संग्रह क्यों न बनाया जाए. इंग्लिश में भी कहावतों (proverbs) का सबसे बड़ा संग्रह किसी साहित्यकार द्वारा नहीं बल्कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन द्वारा बनाया गया है.

       इस वेबसाइट को बनाने का उद्देश्य यही है कि हिंदी कहावतों को एक जगह एकत्र कर के सब के लिए सुलभ बनाया जाए. मेरे विचार से यह अब तक का सबसे बड़ा हिंदी कहावतों का संग्रह है जिसमें कहावतों को उनके अर्थ सहित संकलित किया गया है. अर्थ लिखते समय इस बात का पूरा प्रयास किया गया है कि पुरानी कहावतें जिस संदर्भ में कही गई हैं वह संदर्भ भी आजकल की पीढ़ियों को बताया जाए. यह भी प्रयास किया गया है कि विषय वस्तु नीरस और बोझिल न होकर जीवंत और मनोरंजक रहे.

       वर्षों तक परिश्रम करने के बाद भी मुझे ऐसा लगता है कि इस संग्रह में अभी बहुत कुछ जोड़ना शेष है. सभी हिंदी प्रेमियों से निवेदन है कि इस को पढ़ें और इस को और समृद्ध बनाने में अपना योगदान दें. यदि किसी को लगता है कि किसी कहावत की व्याख्या कुछ और प्रकार से होनी चाहिए या किसी को कोई नई कहावत मिलती है तो लिख कर भेजें. उन के सुझाव को हम उन के नाम सहित इस वेबसाइट पर स्थान देंगे.

        जिस प्रकार कहावतों का कोई कॉपीराइट नहीं होता उसी प्रकार इस वेबसाइट में भी कोई कॉपीराइट सम्बन्धी समस्या नहीं है. यह हिंदी भाषा की सेवा के लिए बनाई गई है. पाठकों से निवेदन है कि इस में जो कुछ भी सामग्री उपलब्ध है उस का खुल कर प्रयोग करें एवं अन्य लोगों को इसका प्रयोग करने के लिए प्रेरित करें.

        हिंदी कहावतों के अतिरिक्त इस वेबसाइट पर हिंदी लोकभाषा से सम्बंधित कुछ अन्य मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी भी डाली गई है. ‘अन्य कहावतें’ नाम के मेन्यू शीर्षक में ट्रकों पर लिखी जाने वाली लोक कहावतें, बच्चों द्वारा खेल खेल में बोली जाने वाली कहावतें एवं संस्कृत की कुछ चुनी हुई कहावतें सम्मिलित की गई हैं. लोक भाषा नामक मेन्यू शीर्षक में तत्सम तद्भव शब्दों का एक वृहत संग्रह एवं इंग्लिश से हिंदी में आए शब्दों का एक संग्रह सम्मिलित किया गया है. हर भाषा में कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो साहित्यिक भाषा में नहीं मिलते पर बोलचाल में प्रयोग किए जाते हैं. इन्हें slang language, कठबोली, देसी भाषा या dialect कहते हैं. इस प्रकार के शब्दों का भी एक संग्रह भी इस वेबसाइट के लोकभाषा मेन्यू में सम्मिलित किया गया है. 

जिस प्रकार कहावतें हमारी भाषा में से लुप्त होती जा रही हैं उसी प्रकार दादी नानी की पहेलियाँ और लोकगीत भी विलुप्त होने की कगार पर हैं. इस वेबसाइट के द्वारा मैं ने अपने लोक साहित्य की इन अमूल्य धरोहरों को भी सहेजने का प्रयास करना आरम्भ किया है. पाठकों से अनुरोध है कि इस प्रकार की जो भी रचनाएँ उन्हें याद हों या कहीं पर पढने को मिलें तो वे हमें लिख कर भेजें और अपने संपन्न लोक साहित्य को बचाने की इस मुहिम में सहभागी बनें.

        इस सम्पूर्ण संग्रह के लिए बहुत से बुजुर्ग लोगों से सहायता ली गई है, इन्टरनेट पर उपलब्ध बहुत सी जानकारी को भी खंगाला गया है एवं कुछ पुस्तकों से भी सहायता ली गई है. परिशिष्ट में दिए गए ग्रामीण अंचल के बहुत से चित्र श्री चंद्रसेन एवं श्री विशाल गौतम द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं.

इस वेबसाइट में लेखन का कार्य अवश्य ही मैंने किया है लेकिन इसको बनाने का कार्य मेरे मित्र श्री समनदीप सिंह ने किया है. इस पुनीत कार्य में उनके निस्वार्थ योगदान के लिए  मैं उन का आभारी हूँ. 

 डॉ. शरद अग्रवाल (एम.डी.)मेडिसिन
परामर्श चिकत्सक, बरेली, उ.प्र.,भारत