Uncategorized

  1. ऊँच अटारी मधुर बतास, कहें घाघ घर ही कैलास.ऊंचा मकान और ठंडी हवा का आनंद जिस को प्राप्त हो उस के लिए घर पर ही कैलाश पर्वत है.
  2. ऊँच नीच में बोई क्यारीजो उपजी सो भई हमारी.ऊबड़ खाबड़ क्यारी में कुछ बोया है तो जो कुछ भी उग आए वही नफ़ा है.
  3. ऊँची दुकानफीके पकवान.जहाँ कहीं तड़क भड़क व दिखावा तो बहुत हो पर माल घटिया मिल रहा हो वहाँ इस कहावत का प्रयोग करते हैं. 
  4. ऊँचे चढ़ कर देखातो घर घर बाही लेखा.हर घर में कुछ न कुछ खटपट व कलह होती है. (चाहे बाहर से न दिखती हो).
  5. ऊँट अपनी पूँछ से मक्खी नहीं उड़ा सकता.बड़े से बड़े व्यक्ति को भी अपने छोटे छोटे कामों के लिए किसी की सहायता लेनी पडती है.
  6. ऊँट का मुँह ऊँट ही चूमे.बड़े आदमियों से बड़े ही संबंध बना सकते हैं.
  7. ऊँट का रोग रैबारी जाने.रैबारी – ऊँटों का विशेषज्ञ. जो जिस काम का विशेषज्ञ है वही उस काम को ठीक से कर सकता है.
  8. ऊँट का होंठ कब गिरे और कब खाऊँ.ऊँट का होंठ देख कर लगता है कि जैसे गिरने वाला है. लोमड़ी बैठी सोच रही है कि कब होंठ गिरे और कब खाने को मिले. व्यर्थ की आशा करने वालों पर व्यंग्य. 
  9. ऊँट की चोरी झुके-झुके. (ऊँट की चोरी निहुरे निहुरे).कोई छोटी सी चीज़ चुरा कर तो आप झुक कर भाग सकते हैं पर ऊँट की चोरी झुके झुके नहीं कर सकते. कोई चुपचाप बहुत बड़ी चोरी करने का प्रयास करे तो.
  10. ऊँट के गले में बिल्ली.बहुत लम्बा दूल्हा और छोटी सी दुल्हन. बेमेल जोड़ी. 2. ऊंट और बिल्ली की एक कहानी भी है. एक आदमी का ऊंट खो गया. उसने ऐलान करवाया कि अगर ऊंट मिल गया तो उसे लाने वाले के हाथों दो टके में बेच देगा. जिस आदमी को ऊंट मिला वह इस उम्मीद से उस के पास आया कि दो टके में ऊंट खरीद लेगा. पर वह आदमी बहुत चालाक था. उसने ऊंट के गले में एक बिल्ली बांध दी और कहा कि ऊंट के साथ बिल्ली को भी लेना जरूरी है जिसकी कीमत सौ अशर्फियाँ है. इस तरह उस ने अपना ऊंट बचा लिया. किसी अच्छी चीज़ के साथ एक ख़राब चीज़ जबरदस्ती लेनी पड़ रही हो तो यह कहावत कही जाएगी. 
  11. ऊँट के ब्याह में गधा गवैया.दो मूर्खों का समागम.
  12. ऊँट के मुँह में जीरा.बहुत अपर्याप्त सामग्री.
  13. ऊँट को उठते ही सरपट नहीं दौड़ना चाहिए.ऊँट बेडौल होता है इसलिए उठते ही भागेगा तो गिर जाएगा. किसी काम के आरम्भ में बहुत तेजी नहीं दिखानी चाहिए.
  14. ऊँट को किसने छप्पर छाए.घोड़े के लिए घुड़साल और गाय के लिए गौशाला बनाई जाती हैं पर ऊंट को खुले में ही रहना होता है. किस को क्या मिलेगा यह उस के भाग्य पर निर्भर होता है.
  15. ऊँट को निगल लिया और दुम को हिचके (ऊँट निगल जाए, दुम पे हिचकियाँ ले).बहुत बड़ा घोटाला करने वाला यदि छोटे से गलत काम को मना करे तो.
  16. ऊँट गए सींग मांगे, कानौ खो आए.ऊंट के कान बहुत छोटे होते हैं. कहा जाता है कि ऊंट भगवान से सींग मांगने गया था और कान भी गंवा दिए.
  17. ऊँट गुड़ दिए भी बर्राए, नमक दिए भी बर्राए.जिसकी आदत बड़बड़ाने की होती है वह हर परिस्थिति में शिकायत ही करता रहता है.
  18. ऊँट चढ़ के मांगे भीख.जिस की भीख मांगने की आदत हो वह ऊंट पर चढ़ कर भी भीख ही मांगेगा.
  19. ऊँट तेरी गर्दन टेढ़ी, कि मेरा सीधा क्या है.कुटिल व्यक्ति सब ओर से कुटिलता से भरा हुआ ही होता है.
  20. ऊँट दुल्हा गधा पुरोहित.दो एक से बढ़ कर एक मूर्ख लोग मिल जाएं तो.
  21. ऊँट न कूदे, बोरे कूदें, बोरों से पहले उपले कूदें.जहाँ अफसर कुछ न बोले लेकिन उस के नीचे के कर्मचारी ज्यादा तेजी दिखाएँ.
  22. ऊँट रे ऊँट तेरी कौन सी कल सीधी.ऊंट कभी इस करवट बैठता है तो कभी उस करवट. उस से पूछ रहे हैं कि तेरी कौन सी करवट तेरे लिए सीधी है. (जैसे इंसान के लिए दाहिनी करवट सीधी मानी जाती है). ऐसे व्यक्ति के लिए जिस की हरकतें विश्वास योग्य न हों.
  23. ऊँट लँगड़ाये और गधा दागा जाये.दागना – लोहे की छड़ गरम कर के शरीर के किसी हिस्से से छुआना. ऐसा माना जाता है कि ऊँट लंगड़ा हो जाय तो गधे को दागने से ठीक हो जाता है. किसी को लाभ पहुँचाने के लिए दूसरे का नुकसान करना.
  24. ऊँट लदने से गया तो क्या पादने से भी गया.जो आदमी किसी काम का नहीं रहता वह फ़ालतू बकवास तो कर सकता है.
  25. ऊँट लदे गधा मरा जाए.किसी दूसरे के कष्ट से व्यर्थ में परेशान होना.
  26. ऊँट लम्बा पर पूँछ छोटी.कोई भी व्यक्ति सब तरह से पूर्ण नहीं हो सकता.
  27. ऊंघते को ठेलते का बहाना.कोई व्यक्ति ऊंघता ऊंघता गिरने को हुआ. तब तक किसी का हल्का सा धक्का लग गया. अब वह गिर गया तो दूसरे को दोष दे रहा है कि तूने मुझे गिरा दिया. अपनी गलती से काम बिगड़े पर दूसरे को दोष देना.
  28. ऊंचे कुल क्या जनमिया जो करनी उच्च न होयकनक कलश मद सों भरी साधुन निंदे सोय. यदि करनी अच्छी न हो तो ऊँचे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ. यदि सोने का घड़ा शराब से भरा हो तो साधु उसकी निंदा करते हैं.
  29. ऊंचे गढ़ों के ऊंचे ही कंगूरे.बड़े लोगों की बड़ी बातें.
  30. ऊंट का पादन जमीन का न आसमान का.किसी ऐसे आदमी के लिए जिस की गिनती किसी भी जमात में न हो सके. असभ्य भाषा है पर कहावतों में चलती है. 
  31. ऊंट का सुहाली से क्या भला होगा.सुहाली – मैदा की पतली पापड़ी. सुहाली कितनी भी अच्छी क्यों न हो ऊंट के लिए बेकार है क्योंकि न तो वह उसका स्वाद जानता है और न ही उसका सुहाली से पेट भरेगा.
  32. ऊंट की पकड़कुत्ते की झपटखुदा इनसे बचाए.ये दोनों ही बहुत खतरनाक होती है.
  33. ऊंट की बरसात में कमबख्ती.कीचड़ में चलने में ऊंट को बहुत परेशानी होती है इसलिए. 
  34. ऊंट को दगते देख मेंढकी ने भी टांग फैला दी.कहावत का अर्थ है किसी छोटे आदमी द्वारा अपने से बहुत बड़े आदमी की बराबरी करने की कोशिश करना.
  35. ऊंट को बबूल प्यारा.घटिया सोच वाले व्यक्ति को घटिया वस्तुएं ही प्रिय होती हैं.
  36. ऊंट घी देने पर भी बलाबलाए और फिटकरी देने पर भी बलबलाए.जिन की असंतुष्ट रहने की आदत है वे कैसे भी संतुष्ट नहीं होते.
  37. ऊंट चढ़े पे कमरिया अपने आप मटके. (बुन्देलखंडी कहावत)ऊंट चलता है तो उस पर बैठे सवार की कमर न चाहते हुए भी मटकने लगती है. उच्च पद पाने पर व्यक्ति अपने आप ही इतराने लगता है.
  38. ऊंट जब भागे तब पच्छम को.नासमझ और जिद्दी आदमी के लिए.
  39. ऊंट न खाए आकबकरी न खाए ढाक.सामान्य लोक विश्वास है कि ऊंट सब तरह के पेड़ पौधे खा लेता है पर आक के पेड़ को नहीं खाता. इसी प्रकार बकरी ढाक के पत्ते नहीं खाती.
  40. ऊंट पर से गिरेभाड़ेती से रूठे.अपनी असावधानी से ऊंट पर से गिर गए और भाड़े पर ऊंट देने वाले पर नाराज हो रहे हैं. अपनी कमी के लिए दूसरों को दोष देना.
  41. ऊंट बलबलाता ही लदता है.जो लोग कोई काम करने में लगातार अनिच्छा और नाखुशी जाहिर करते रहते हैं उनके लिए.
  42. ऊंट बहेगधा थाह ले.नदी इतनी गहरी है कि ऊँट बह गया पर गधा यह जानने की कोशिश कर रहा है की पानी कितना गहरा है. जहाँ बड़े बड़े बुद्धिमान किसी समस्या का हल न खोज पा रहे हों वहाँ कोई मूर्ख व्यक्ति अपनी अक्ल लगाए तो.
  43. ऊंट बुड्ढा हुआ पर मूतना न आया.उम्र बढ़ने के साथ भी यदि किसी व्यक्ति को काम करने का ढंग न आए तो यह कहावत कहते हैं.
  44. ऊंट मराकपड़े के सिर.व्यापार में जो भी नुकसान होता है, उसे दाम बढ़ा कर ही वसूला जाता है. यदि कपडे के व्यापारी का ऊंट कपड़ा लाते समय रास्ते में मर गया तो उस की कीमत कपडे का दाम बढ़ा कर ही वसूल की जाएगी.
  45. ऊजड़ खेड़ानाम निवेड़ा.बिलकुल निरक्षर व्यक्ति का नाम विद्याधर. 
  46. ऊजड़ हो घर सास काबैर करे हर बारपीहर घर सूयस बसेजब लग है संसार.सास वैर करती है इसलिए उसका घर उजड़ जाए. पीहर (मायके) से इतना प्रेम है कि उसका सुयश जब तक संसार रहे तब तक रहने की कामना कर रही हैं. (इन्हें यह नहीं मालूम है कि सास का घर उजड़ेगा तो अपना भी तो नुकसान होगा).
  47. ऊत के निन्नानवेबारह पंजे साठ.मूर्ख आदमी के लिए. (उससे पूछा निन्यानवे कितने होते हैं – बोला बारह पंजे).
  48. ऊत गाँव में कुम्हार ही महतो.सामान्यत: गाँव में कुम्हार की विशेष इज्जत नहीँ होती लेकिन मूरखों के गाँव में कुम्हार को भी बहुत महत्व दिया जा सकता है. 
  49. ऊत घोड़ी के घोंचू बछेड़े.माँ बाप मूर्ख हों तो सन्तान भी मूर्ख होती है.
  50. ऊधो की पगड़ी माधो के सर.किसी की चीज़ किसी को देना या किसी का दोष किसी और के मत्थे मढ़ देना.
  51. ऊधौ का लेना न माधौ का देना.झंझटों से मुक्त होना.
  52. ऊन छीलते तेरह जगहे कटी बिचारी भेड़.गरीब आदमी को लोग लूटते भी हैं और चोट भी पहुँचाते हैं.
  53. ऊपर भरे नीचे झरेउसको गोरखनाथ क्या करे.(राजस्थानी कहावत) खाने पीने वाला परन्तु संयमहीन. पहले के लोग यह मानते थे कि चालीस सेर खाने से एक सेर खून बनता है और एक सेर खाने से एक बूँद वीर्य. जो संयम नहीं रख सकता वह कितना भी खा ले स्वस्थ नहीं हो सकता.
  54. ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती.ईश्वर जब पापों की सजा देता है तो व्यक्ति कुछ समझ ही नहीं पाता कि यह क्या हुआ कैसे हुआ.
  55. ऊपर से बाबाजी दीखे नीचे खोज गधे केखोज – पंजे के निशान. एक मठ के बाबाजी दिन में तो लोगों को उपदेश दिया करते थे और रात में खेतों में से ककड़ियां चुरा कर खाते थे. किसी को शक न हो इसके लिए उन्होंने विशेष प्रकार के जूते बनवाए थे जिनसे मिट्टी में गधे के पैर के निशान (खोज) बन जाते थे. एक दिन एक किसान रात में अपने खेत में छिप कर बैठ गया और उस ने बाबा जी को पकड़ लिया. जब कोई खुराफाती आदमी धर्मात्मा बनने का ढोंग करे तब यह कहावत कही जाती है.
  56. ऊसर का खेतजैसे कपटी का हेत.ऊसर खेत में फसल नहीं हो सकती और कपटी से मित्रता कभी सफल नहीं हो सकती. हेत – प्रेम.
  57. ऊसर खेत में केसर.किसी असंभव बात के लिए यह कहावत कही जा सकती है.
  58. ऊसर बरसे तृन न जमे.ऊसर खेत में वारिश हो तो भी कुछ पैदा नहीं होता. मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *