जयमाल  

1. मन की उमंगों को

मन की उमंगों को डोरी में गूंथ गोरी चल दी पहनाने को हार।
घूंघट में चन्दा सा मुखड़ा छिपाये, सोलह सिंगारो से रति भी लजाये,
प्राणों की कोकिल न छेड़े तराने, जीवन में आई बहार।
मन की उमंगों को – –
ममता ने पैरो में ताले लगाये, प्रियतम के दर्शन को आगे बढ़ाये,
नैनों में लज्जा का सागर छुपाये, अन्तर में प्रियतम का प्यार।
मन की उमंगों को – –
जीवन की कैसी अनोखी कहानी, उर में उमंगे है आँखों में पानी,
सपनो को सच्चा बनाने चली गोरी, आशा के दीपों को वार।
मन की उमंगों को – –
जीवन के साथी बन्ने जी पधारे, ये ही प्यारी बन्नी प्रियतम तुम्हारे,
जीवन की नैया के आये खिवैया, सौपों इन्हें पतवार।
मन की उमंगों को – –
चरणों में झुक कर करो मन न्यौछावर, प्रियतम खड़े तेरे द्वार।
मन की उमंगों को – –

2. देखो चली रे गोरी

(तर्ज़ : बच्चे मन के सच्चे)
देखो चली रे गोरी, मुस्कान है मधु नैनन मे
प्रीत धरोहर भेट करन को प्रीतम के चरनन में
देखो चली रे गोरी . . .
आगे फूलों की क्यारी, सखियन संग है सुकुमारी
कनअंखियों से देख रही फुलवारी निज प्राणों की
संग सहेली बचपन की, छोड़ डगर ली साजन की
आज लजाती है निज मुख को निरख निरख दर्पण में
देखो चली रे गोरी . . .
नूपुर बोलें छम छम छम, हर्ष झूमता कदम कदम
अंतर खोले प्रेम खड़ा ,देख प्रीत की कोमलता
आज अधरों की वीणा पर, मचले है जयमाल के स्वर
कितना गूढ़ रहस्य छिपा है आज इस गूँगे पन मे
देखो चली रे गोरी . . .
कोमल कर में है जयमाल, लेता है उत्साह उछाल
रुक्मणि को घनश्याम मिले, सीता को श्रीराम मिले
दो प्राणी अनजान मिले, चहुँ दिश हर्ष के फूल खिले
डाल गले जयमाल खिले हैं आज सुमन मधुवन में

 

 

घोड़ी  

1. बन्ना घोड़ी ना चढ़े, वो तो कार मांगे

बन्ना घोड़ी ना चढ़े, वो तो कार मांगे
कार मांगे फेरारी कार मांगे-2
बन्ना घोड़ी पे ना चढ़े, वो तो कार मांगे
उसके दादा कहे, घोड़ी चढ़ लाडले
उसके ताऊ कहे, घोड़ी चढ़ लाडले
बन्ना ऐसा हठीला, वो तो कार मांगे
बन्ना घोड़ी न चढ़े ….
(इसी तरह पापा, चाचा, भैया, मामा, मौसा, फूफा और जीजा सभी के नाम लेना है)

 

2. घोड़ी बंगाले से आई, जिस पर चढ़ा न उतरा जाय

घोड़ी बंगाले से आई, जिस पर चढ़ा न उतरा जाय।
ले गोदी उसके दादा चढ़ावे उछल कूद रह जाय,
ले गोदी उसकी दादी चढावे, उचक तुरंत चढ़ जाय,
घोड़ी बंगाले से आई – –
ले गोदी उसके पापा चढ़ावे, उछल कूद रह जाय,
ले गोदी उसकी मम्मी चढ़ाये, उचक तुरंत चढ़ जाय,
घोड़ी बंगाले से आई – –
ले गोदी उसके नाना चढ़ाये उछल कूद रह जाय,
ले गोदी उसकी नानी चढ़ावे उचक तुरंत चढ़ जाय।
घोड़ी बंगाले से आई – –
(इसी तरह सब के नाम लेते जाओ, गीत, आगे बढ़ता जायेगा)

3. झूम रही सारी बारात कि बन्ना घोड़ी बैठ गयो

झूम रही सारी बारात कि बन्ना घोड़ी बैठ गयो-2
आगे आगे दादा नचत है, आगे आगे ताऊ नचत है
तो झूम रही सारी बारात कि बन्ना घोड़ी बैठ गयो
दादी बाकी फूली न समाए, ताई बाकी फूली न समाए
तो दादी नजर उतारें कि बन्ना घोड़ी बैठ गयो
(इस तरह पापा, चाचा, भाई, मामा, मम्मी, चाची, भाभी, मामी आदि सभी रिश्तेदारों के नाम लेना है)

 

 

भात  

1. सोने का महल उसमें, चाँदी का दरवाजा

सोने का महल उसमें, चाँदी का दरवाजा,
मेरा भैया आया रे, भतैया आया रे
जरा देखन दे, देखन दे
टीका भी लाया भैया, बिंदिया भी लाया
उसके टीके की झलक, उसकी बिंदिया की झलक,
जरा देखन दे, देखन दे।
झाले भी लाया भैया, हरवा भी लाया,
उसके झाले की झलक, उसके हरवे की झलक,
जरा देखन दे, देखन दे।

2. मेरे द्वारे की शोभा बढ़ाना

मेरे द्वारे की शोभा बढ़ाना, ओ भैया मेरे भात लेके आना
सोने का न लालच, न चाहूं मैं पैसा
कुछ भी नहीं मेरे भैया के जैसा
मंगल आशीष दे जाना, ओ भैया मेरे भात ले के आना
कुछ भी ना मांगू मैं, कुछ भी ना चाहूं
भैया तेरे जीवन में खुशियां मैं चाहूं
रोली का टीका लगवाना, ओ भैया मेरे भात ले के आना
आकर बहन को गले से लगाना
पिला भी लाना भैया, चूड़ा भी लाना
शान से चूनर उढ़ाना, ओ भैया मेरे भात ले के आना

3. मेरे आंगन निकले चांद, भैया उसके पहले आना

मेरे आंगन निकले चांद, भैया उसके पहले आना
आंगन की शोभा भैया, मेरे चौक की शोभा भैया
वो समय निकल न जाए, भैया उसके पहले आना
मेरे आंगन निकले चांद —
आकर मेरा मान बढाना, मेरे सर पर चुनर उढ़ाना
चाहे रोज-रोज न आना भात के वक्त जरूर आना
ये मौका नहीं गंवाना, भैया भात के पहले आना
मेरे आंगन निकले चांद —

4. मेरा रंगरंगीला परिवार, भात तुम ले आना भतैया

मेरा छैलछबीला परिवार, भात तुम ले आना भतैया
जितने पत्ते पीपल में भतैया
मेरे उतने देवर जेठ, देख मत डर जाना भतैया
मेरा रंगरंगीला परिवार…
जितने पत्ते तुलसी में भतैया
मेरी उतनी देवरानी जिठानी, देख मत डर जाना भतैया
मेरा रंगरंगीला परिवार…
जितने मोती माला में भतैया
उतने मेरे ननद ननदोई, देख मत डर जाना भतैया
मेरा रंगरंगीला परिवार…
जितने तारे अंबर में भतैया
उतने ही मेरे बाल गोपाल, देख मत डर जाना भतैया
मेरा रंगरंगीला परिवार…

5. तेरी बहन खड़ी दरवाजे, कूंडी खोल रे भैया

तेरी बहन खड़ी दरवाजे, कूंडी खोल रे भैया
कुंडी खोल रे भैया, दरवाजा खोल रे भैया
तेरे भानजे का ब्याह, न्यौतन आई रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे, कुंडी खोल रे भैया
न चाहिए बिंदी टीका रे, न चाहिए झुमका नथनी रे
एक ओढने की चुनरी लेता आइयो रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे . . .
न चाहिए चूड़ी कंगन, न चाहिए गले का हार रे
एक लाख का चूड़ा, लेता आइयो रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे . . .
न चाहिए साड़ी-ब्लाउज, न चाहिए लहंगा सलवार
एक सर की चुनरी लेता आइयो रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे . . .
न चाहिए रुपैया पैसा, न चाहिए सोना-चांदी रे
बस एक रुपैया लेता आइयो रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे . . .
भैया जल्दी आना रे, संग़ में भाभी-बच्चों को लाना रे
आकर अपनी बहन का मान बढाना रे भैया
तेरी बहन खड़ी दरवाजे . . .

 

 

हल्दी गीत

1. तन बदन पे हल्दी लगी हाथ बंधे कंगना

तन बदन पे हल्दी लगी हाथ बंधे कंगना
राम जाने कब होगा बन्ना जी से सामना
शीश बनी के टीका सोहे
झूमर संभाले बन्नी बन्ना जी के अंगना
राम जाने कब होगा बन्ना जी से सामना
कान बनी के झुमका सोहे
कुण्डल संभाले बन्नी बन्ना जी के अंगना
राम जाने कब होगा बन्ना जी से सामना
पाँव बन्नी के पायल सोहे
बिछुए संभाले बन्नी बन्ना जी के अंगना
राम जाने कब होगा बन्ना जी से सामना
हाथ बन्नी के कंगन सोहे
चूड़ियां संभाले बन्नी बन्ना जी के अंगना

2. दादाजी ने मंगवाई जल्दी-जल्दी

दादाजी ने मंगवाई जल्दी-जल्दी
ये बढ़िया सी हल्दी आर्डर किया फोन से
यह हल्दी मंगवाई गई है Amazon से
पापाजी ने मंगवाई जल्दी-जल्दी
ये बढ़िया सी हल्दी आर्डर किया फोन से
यह हल्दी मंगवाई गई है Amazon से
ब्यूटीफुल बन्नी जरा और निखरेगी
दादी मम्मी के हाथो से हल्दी जब लगेगी
उत्सव मनेगा धूमधाम से
ताऊ जी ने मंगवाई जल्दी-जल्दी
ये बढ़िया सी हल्दी आर्डर किया फोन से
यह हल्दी मंगवाई गई है Amazon से
चाचा जी ने मंगवाई जल्दी-जल्दी
ये बढ़िया सी हल्दी
ये बढ़िया सी हल्दी आर्डर किया फोन से
ब्यूटीफुल बन्नी जरा और निखरेगी
ताई चाची के हाथों से हल्दी जब लगेगी
उत्सव मनेगा धूमधाम से

 

ज्यौनार  

(ज्योनार के गीत बरात के जीमते समय वधू पक्ष की महिलाओं द्वारा गारी के साथ गाए जाते हैं)

1. राजा जनक करें ज्योनार

राजा जनक करें ज्योनार, जतन से हरे हरे, जतन से परसो री।
पाँव पखार जतन से पौंछौ, आसन देओ बिछाय,
कंचन थार और सीप कटोरा, चांदी के गरुआ लगाय,
जतन से हरे हरे, जतन से बैठाओ री, राजा जनक —
थोरी तो छज्जन पे जाओ, मीठी गारी गाओ,
थोरी घर के भीतर जा के, हल्दी घोल के लाओ,
थाप मारे हरे हरे, जबर से लगाओ री, राजा जनक —
पूड़ी और कचौड़ी परसो, संग में खस्ता चार,
पापड़ कचरी दही बड़ा और, चटनी सौंठ अचार,
जतन से हरे हरे, जतन से परसो री, राजा जनक ——
मठरी मट्ठे सैमै परसो, दाल मोठ दमदार,
अनन्नास रसभरी शरीफा, केला आम अनार,
जतन से हरे हरे, जतन से परसो री, राजा जनक ——
मालपुआ और बरफी परसो, रबड़ी लच्छेदार,
ख़ुरमा खुरचन लड्डू पेड़ा, मक्खन मिश्रीदार,
जतन से हरे हरे, जतन से परसो री, राजा जनक ——
ठंडाई और शरबत परसो, कांजी बूँदीदार,
दूध भरे बेला भी परसो, खांड मलाई डार,
जतन से हरे हरे, जतन से परसो री, राजा जनक ——
छह रस छप्पन व्यंजन परसो, अंत में पान सुपार,
मोरछली के पंखा लै के, सब की करौ बयार,
जतन से हरे हरे, जतन से परसो री, राजा जनक ——

2. सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए

सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
ब्रह्मा न्योते विष्णु न्योते, न्योते सब परिवार
वानर सेना सबरी न्योती, न्योते पवन कुमार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
ब्रह्मा आए विष्णु आए आए सब परिवार।
वानर सेना सबरी आई आए पवन कुमार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
आतर डारी पातर डारी डारे दौना चार
वानर सेना सबरी बैठी, बैठे पवन कुमार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
पूरी और कचौड़ी परसी, परसे लड्डू चार।
सब्जी रायतौ सब ही परसो रबड़ी लच्छे दार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
पूरी खाईं कचौड़ी खाई रबड़ी लच्छेदार।
सब्जी रायतो सबरो खायो खाली करे भंडार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
हाथ जोड़ के सीता मैया गईं राम के पास।
समझा लो अपने लाला को, खाली किये भंडार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
हंस के तबहिं राम जी बोले सुनो सिया मेरी बात।
तुलसी दल को भोग लगाओ फिर से भरें भंडार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
हाथ जोड़ के सीता मैया गईं तुलसी के पास।
तुलसी दल को भोग लगाओ, हनुमत लई डकार, पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी है ज्योनार, पवन सुत हरे हरे,पवनसुत न्योत दिए।
सीता मैया ने करी ज्योनार पवन सुत हरे

 

 

भाँवर 

1. हमारे लिए वर ढूँढो जी

अजी बाबा जी अजी ताऊ जी
हमारे लिए वर ढूँढो जी
सास हो जैसी गऊ माता
ससुर हों दिल्ली के दादा जी।
पति हों बाल ब्रह्मचारी
जो राखै प्राणों से प्यारी जी
गड़ा दो केले के खम्बे जी
और दिला दो मन्त्रों से फेरे जी।
(इसी प्रकार पिता, चाचा, मौसा, मामा, जीजा, भाई के नाम)

2. सिया रघुवर जी के संग, परन लागीं भांवरियाँ

सिया रघुवर जी के संग, परन लागीं हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
छायो चहुंदिस प्रेम का रंग, परन लागीं हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
देख के छवि अति न्यारी उनकी, मोह में पड़ गई सीता प्यारी
इक टक ऐसे उनको निहारे, वो तो उन पे जाए वारी
सिया रघुवर जी के संग, परन लागीं हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
प्रीत का धागा उन संग जोड़े, राम पे वो दिल जाए हारी
गौरी माँ से विनती करे वो, बन जाए वो राम की प्यारी
सिया रघुवर जी के संग, परन लागीं हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
वो है अयोध्या जाने को बैठी, चूनर ओढ़े लागे प्यारी
राम सिया के ब्याह की घड़ियाँ, देखके चहुंदिस है खुशियारी
ये पावन कमल कदम, बढ़न लागे हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
सिया रघुवर जी के संग, परन लागीं हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ
छायो चहुंदिस प्रेम का रंग, परन लगी हरे हरे
परन लागी भांवरियाँ