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  1. थका ऊँट सराय ताकता.जब ऊँट थका हुआ होता है तो वह सराय की ओर ताकता है (कि कब मालिक सराय में पहुँचे और कब उसे विश्राम मिले).
  2. थका तैराक फेन चाटता है.परिस्थितियों से बाध्य हो कर मनुष्य को छोटा कार्य भी करना पड़ता है.
  3. थके का सहारातम्बाकू बिचारा.तम्बाखू का सेवन करने वाले अपने को सही ठहराने (अपने को धोखा देने) के लिए ऐसे बोलते हैं.
  4. थके बैल गौन है भारीअब क्या लादोगे व्यापारी. (गौन – एक प्रकार का थैला जिस में सामान रख कर बैलों पर लादते हैं). वृद्धावस्था के लिए कहा गया है, शरीर थक चुका है, पापों की गठरी पहले ही भारी हो चुकी है अब इस में और क्या लादोगे.
  5. थके मनुष्य का भाग्य भी थक जाता है.जब तक मनुष्य उद्यम करता है तभी तक भाग्य उसका साथ देता है, उद्यम करना छोड़ने पर भाग्य भी उसका साथ छोड़ देता है.
  6. थाली गिरीझनकार हमने भी सुनी (थाली फूटी न फूटी झंकार तो हुई).इसकोकुछ इस प्रकार से प्रयोग करते हैं – फलाने दो लोगों में शायद झगड़ा हुआ है, कुछ आहट हमको भी मालूम हुई है. सम्बन्ध चाहे न टूटा हो पर कुछ तकरार तो हुई है.
  7. थूक बिलोने से मक्खन नहीं निकलताबिना साधन के कोई काम नहीं किया जा सकता.
  8. थूक से चिपकाया कै दिन चलेगा.घटिया काम और झूठ बहुत दिन तक नहीं चलते.
  9. थूक से सत्तू नहीं सनते. सत्तू बनाने के लिए ठीक ठाक मात्रा में पानी चाहिए. बहुत थोड़े से पानी से सत्तू नहीं बनेगा. काम बड़ा हो और साधन बहुत कम हों तो. 2. अपमान जनक तरीके से किसी पर उपकार नहीं करना चाहिए.
  10. थैली की चोट बनिया जाने.पूंजी का नुकसान कितना बड़ा नुकसान होता है यह बनिया ही जान सकता है. (क्योंकि उसे केवल खर्च करने के लिए ही नहीं बल्कि व्यापार करने के लिए भी पूंजी चाहिए).
  11. थैली बनाए हवेली.पैसे से बड़े बड़े काम किए जा सकते हैं.
  12. थैली भरी तो सारी बात खरी.जिस के पास पैसा हो उस की सब बात ठीक है.
  13. थैली में रुपयामुँह में शक्कर.व्यापार के लिए ये दोनों आवश्यक हैं. थैली में रुपया अर्थात निवेश के लिए पूँजी और मुँह में शक्कर अर्थात मीठी बोली. 
  14. थैली लगावे सो थैला पावे.व्यापार में पूंजी लगाओगे तभी अधिक कमा पाओगे.
  15. थोड़ा कमावे खरचे घनोपहला मूरख उस को गिनो.सबसे बड़ा मूर्ख वह है जो कमाता कम है और खर्च अधिक करता है.
  16. थोड़ा करें गाज़ी मियाँज्यादा गाएं डफाली.डफाली – डफली बजा कर गाने वाले. साधु महात्मा लोग थोड़ा सा भी कुछ करते हैं तो उनके प्रशंसक बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताते है.
  17. थोड़ा खरचे थोड़ा खाए, उस पर टोटा कभी न आए.समझदारी से खर्च करने और कम खाने वाले को धन का संकट कभी नहीं आता. कम खाने से धन की बचत भी होती है और बीमारी भी नहीं होती.
  18. थोड़ा खानाबनारस में बसना.बनारस में बसने का एक समय बड़ा महत्व था. भरपेट खाना न मिले तब भी लोग बनारस में बसने की लालायित रहते थे.
  19. थोड़ा खावे अंग लगावेज्यादा खावे घूर बढ़ावे.थोड़ा खाया हुआ शरीर को लगता है और ज्यादा खाने से शरीर को कोई लाभ नहीं होता, केवल अधिक मल बनता है. घूर – घूरा  (मल और कूड़े का ढेर).
  20. थोड़ा खावे बहुत डकारे.काम थोड़ा और दिखावा बहुत करने वालों के लिए.
  21. थोड़ा जितना मीठा, ज्यादा उतना ही कड़वा.जो वस्तु कम मात्रा में उपलब्ध होती है वह अच्छी लगती है. जो अधिक मात्रा में मिल जाए वह बेकार लगने लगती है.
  22. थोड़ा थोड़ा खाय, न मरे न मुटाय.थोड़ा थोड़ा खाने वाला मोटा भी नहीं होता और जल्दी मरता भी नहीं है. (क्योंकि कम खाने से बीमारियाँ कम होती हैं).
  23. थोड़ा थोड़ा जोड़ो, मुनाफ़ा कभी ना छोड़ो.कहावत के द्वारा बहुत से व्यवहारिक सुझाव दिया गया है. छोटी बचत भी लम्बे समय में बड़ी राशि बन जाती हैं. दूसरी सलाह है कि व्यापार में जहाँ मुनाफा हो रहा हो वहाँ चूकना नहीं चाहिए.
  24. थोड़ी पूँजी खसमै खाय.कम पूँजी दूकानदार को ही बर्बाद कर सकती है. क्योंकि उससे लाभ कम होगा. यदि व्यापार की लागत अधिक हुई तो कम पूँजी का व्यापार नष्ट हो जाएगा.
  25. थोड़े नफे में अधिक कुसल.ज्यादा मुनाफे के चक्कर में रकम डूब जाए इससे अच्छा है कि कम नफा लिया जाए.
  26. थोड़े ही धन, खल बौराए (थोड़े धन में खल इतराए).ओछी प्रवृत्ति का आदमी थोड़ा धन पा कर ही इतराने लगता है.
  27. थोड़े ही में पाइए सब बातन को सार.अपनी बात को आप जितने कम शब्दों में व्यक्त कर पाएँ उतने ही काबिल माने जाएंगे.
  28. थोथा चना बाजे घना.कोई घड़ा यदि चनों से पूरा भरा हो तो हिलाने से आवाज़ नहीं आएगी, लेकिन यदि आधा भरा हो तो हिलाने से आवाज़ आएगी. इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि घुना हुआ चना अधिक आवाज करता है. कहावत का अर्थ है कि जिन लोगों को कम ज्ञान होता है वे अधिक बोलते है. इंग्लिश में कहावत है – The less men know, the more they talk.
  29. थोथा फटके उड़ उड़ जाए.छाज (सूप) में अनाज फटकते समय जो खोखला अनाज होता है वह उड़ जाता है. जो व्यक्ति स्वभाव से गंभीर नहीं होता वह कठिनाइयों का सामना नहीं कर सकता. 
  30. थोथे बांस कड़ाकड़ बाजें.बांस यदि ठोस हो तो उसे पटकने पर आवाज नहीं होती, पर यदि खोखला हो तो उसे पटकने पर जोर की आवाज होती है. कहावत में यह समझाया गया है कि अल्पज्ञानी व्यक्ति बहुत बोलता है.
  31. थोथे बादर क्वार के, ज्‍यों रहीम घहरात, धनी पुरुष निर्धन भये, करै पाछिली बात.थोथे बादर – बिना पानी के बादल. जिस प्रकार क्वार के महीने में बिना पानी वाले बादल गरजते हैं, उसी प्रकार धनी लोग जब निर्धन हो जाते हैं तो अपने पिछले दिनों की बातें करते हैं.

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