Uncategorized

  1. जंगल देख के गूजर नाचेचंग देख बैरागीखीर देख के बामन नाचेतन मन होवे राजी.गूजर जंगल देख कर खुश होता है क्योंकि उसे जानवर चराने होते हैं, बैरागी चंग नामक वाद्य यंत्र से प्रसन्न होता है और ब्राह्मण खीर देख कर.
  2. जंगल में मंगलबस्ती में कड़ाका.उपयुक्त स्थान पर उपयुक्त काम न होना. जंगल में उत्सव हो रहा है और बस्ती में सन्नाटा है.
  3. जंगल में मंगलबस्ती में वीरानजा घर भांग न संचरेता घर भूत समान (होत मसान).भांग खाने वालों द्वारा भांग का गुणगान.
  4. जंगल में मोर नाचा किसने देखा.यदि कोई प्रतिभाशाली व्यक्ति ऐसी जगह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करे जहाँ कोई देखने वाला ही न हो.
  5. जंगली हाथीहाकिम चोरइन के बिगड़े ओर न छोर.जंगली हाथी और भ्रष्ट अधिकारी जब बिगड़ते हैं तो बहुत नुकसान कर सकते हैं.
  6. जंह जंह पाँव पड़े सन्तन केतंह तंह बंटाढार.किसी व्यक्ति के आने से काम बिगड़ जाए तो मज़ाक में ऐसा कहते हैं. कलियुगी संतों के लिए भी कह सकते हैं.
  7. जंह जंह संत मठा को गएभैंस पड़ा दोउ मर गए.जब आपके भाग्य में कुछ न हो तो कहीं भी जाएं कुछ नहीं मिलने वाला. ऐसे संत जहाँ भी मट्ठा मांगने गए वहाँ भैंस और उस का कटरा दोनों मर गए. (जहां जाए भूखा, वहां पड़े सूखा).
  8. जैसा देवर वैसी भौजी.(भोजपुरी कहावत) जैसा देवर वैसी भाभी. दोनों एक से ठिठोली करने वाले.
  9. जैसी माई वैसी धिया,  जैसी काकड़ वैसी बिया.(भोजपुरी कहावत) धिया – बेटी, बिया – बीज. जैसी माँ वैसी ही बेटी, जैसी ककड़ी वैसा बीज.
  10. जग कैसोजग मों सो.जैसा मेरा चिंतन है संसार मुझे वैसा ही दिखाई देता है. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखि तिन तैसी. 
  11. जग जीतना आसान पर मन जीतना मुश्किल.संसार को जीतना इतना कठिन नहीं है जितना अपने मन को जीतना.
  12. जग जीता मोरी कानीवर ठाड़ होए तब जानी.जब दो चतुर लोग एक दूसरे को बेबकूफ बनाने की कोशिश करें तो. एक कानी लड़की की शादी वर पक्ष को बिना बताए तय कर दी गई. लड़का लंगड़ा था यह बात लड़के वाले छिपाए रहे. शादी की रस्मे पूरी होने के बाद लड़की के पिता ने कहा – मेरी कानी ने दुनिया जीत ली, तो लड़के का पिता बोला – वर खड़ा होगा तो मालूम पड़ेगा.
  13. जग में देखत ही का नाता.दुनिया में जो भी नाते हैं वे सब जब तक मनुष्य रहता है तभी तक हैं.
  14. जगत कहे भगत पगला, भगत कहे जगत पगला.भक्त को देखकर संसार के लोग सोचते है कि यह व्यक्ति तो पागल है. और इधर भक्त संसार के लोगो को देखकर सोचता है कि ये सब लोग पागल है.
  15. जगन्नाथ का भांटाजिसमें झगड़ा न टांटा.जगन्नाथ जी का भात सब के लिए सुलभ है, इसमें जाति वर्ण का कोई झगड़ा नहीं है. अर्थ है कि ईश्वर के दरबार में सब बराबर हैं.
  16. जगन्नाथ को भातजगत पसारे हाथ.उड़ीसा के जगन्नाथ जी के मन्दिर में सभी को भात का प्रसाद मिलता है. अर्थ है कि ईश्वर के सम्मुख सभी हाथ फैलाते हैं.
  17. जजमान के जौजजमान का घीबोल बराहमन स्वाहा.दूसरे के माल को बर्बाद करने में किसी को कष्ट नहीं होता.
  18. जजमान चाहे स्वर्ग जाए या नरक कोमुझे अपनी दही पूड़ी से काम.स्वार्थी ब्राह्मणों के लिए.
  19. जटा बढ़ाए हरि मिले तो बरगद स्वर्ग सिधाये.हिन्दू धर्म के अंध विश्वास पर व्यंग्य.
  20. जड़ काटते जाएंपानी देते जाएं.(जड़ खोदते जाएंपानी देते जाएं) (नीचे से जड़ खोदेंऊपर से पानी दें). मूर्खता पूर्ण कार्य के लिए भी कह सकते हैं और धोखेबाज़ के लिए भी कह सकते हैं जो भीतर से आपकी जड़ काटता है और ऊपर से दिखाने के लिए पानी देता है.
  21. जड़ काटे वा डार कीबैठे जाही डार.जिस डाल पर बैठा है उसी की जड़ काट रहा है. मूर्ख व्यक्ति.
  22. जड़ से बैरपत्तों से यारी.मूर्खता पूर्ण सोच. अगर जड़ को नुकसान पहुँचाओगे तो पत्ते तो अपने आप खत्म हो जाएंगे.
  23. जदपि जग दारुन दुःख नाना, सब तें कठिन जाति अपमाना.जाति सूचक गाली दे कर किसी का अपमान नहीं करना चाहिए. नाना प्रकार के – बहुत से.
  24. जनते समय मरे तो जमाई के सर न पड़े.किसी स्त्री की ससुराल में रहते हुए मृत्यु हो जाए तो दामाद को ही दोषी माना जाता है. केवल एक अपवाद है, यदि मृत्यु प्रसव के समय हो. 
  25. जननी जन तो पूत जन कै दाता कै सूरकै तो रह जा बाँझ ही काहे गंवाए नूर.महिलाओं से कहा जा रहा है कि पुत्र उत्पन्न करो तो ऐसा करो जो दाता हो या शूरवीर हो. वरना बाँझ रहना अच्छा है, प्रसव कर के अपना सौन्दर्य मत गंवाओ.
  26. जनम के दुखिया करम के हीनतिनको दैव तिलंगवा कीन.तिलंगा – अंग्रेजी फ़ौज का हिन्दुस्तानी सिपाही. जो हिन्दुस्तानी लोग अंग्रेजों की फ़ौज में नौकरी करते थे, उनसे बाकी हिन्दुस्तानी घृणा करते थे. ऐसे ही किसी व्यक्ति का कथन.
  27. जनम के दुखियानाम सदासुख.नाम के विपरीत गुण.
  28. जनम के मंगतानाम दाताराम.ऊपर वाली कहावत की भांति.
  29. जनम के साथी हैंकरम के साथी नहीं.जन्म एक ही घर में हुआ है पर कर्म अलग अलग हैं.
  30. जनम जनम का मारा बनियाअजहूँ पूर न तौले.पाप कर्म करने के चक्कर में बनिये को बार बार जन्म लेना पड़ता है पर वह अब भी पूरा नहीं तौल रहा. खाली बनिया ही नहीं संसार के हर व्यक्ति के साथ यह समस्या है.
  31. जनम न देखी बोरियासुपने आई खाट.जिस गरीब ने जन्म से बोरी भी नहीं देखी वह खाट के सपने देख रहा है. अपनी हैसियत से बहुत ऊंचे सपने देखना. आजकल के बच्चों ने बोरी और खाट नहीं देखी होंगी. (देखिये परिशिष्ट) 
  32. जने–जने की लकड़ीएक जने का बोझ.सब लोग मिल कर थोड़ी थोड़ी सहायता करें तो एक व्यक्ति की बहुत बड़ी सहायता हो जाती है. इंग्लिश में कहावत है – Many hands make work light.
  33. जने-जने से मत कहोकार भेद की बात.अपने रोजगार और भेद की बात हर एक व्यक्ति से नहीं कहनी चाहिए.
  34. जन्म के दुखीनाम चैनसुख.गुण के विपरीत नाम.
  35. जब अपना पैसा खोटा तो परखैय्या का क्या दोष (अपना सोना खोटा तो सुनार का क्या दोष).एक जमाना था जब सिक्कों की बड़ी कीमत हुआ करती थी. उस समय धातु के सिक्कों की नकल में रांग के नकली सिक्के बनाए जाते थे, जो खोटे सिक्के कहलाते थे. समझदार लोग फौरन यह परख लिया करते थे कि यह सिक्का खोटा है. यदि आपके मित्र या संबंधी में कुछ कमियां हो और कोई उसे बुरा कह रहा हो तो आप यही कहावत कह कर चुप रह जाते हैं.
  36. जब अपनी उतार ली तो दूसरे की उतारने में क्या लगता है.जिस की खुद की इज्जत उतर चुकी हो उसे दूसरे की इज्जत उतारने में देर नहीं लगती.
  37. जब आया देही का अन्तजैसा गदहा वैसा सन्त.सज्जन और दुर्जन सभी को मरना पड़ता है और मरते समय सब एक से हो जाते है.
  38. जब आवे बरसन को चावपुरबा गिने न पछवा बाव.जब पानी बरसने को आता है तो पुरवा पछवा कोई भी हवा हो, बरसता ही है. बाव – वायु.
  39. जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान.व्यक्ति के पास कितनी भी सम्पत्ति हो उसे सुख नहीं मिल सकता. सुख तभी मिलता है जब मन में संतोष करने की प्रवृत्ति हो. इसकी प्रथम पंक्ति है – गोधन, गजधन, बाजिधन और रतन घन खान.
  40. जब एक कलम घसके तब बावन गाँव खसके.कचहरी और कायस्थों के लिए कहा गया है कि उनकी कलम चलने से कुछ का कुछ अनर्थ हो सकता है.
  41. जब किस्मत मारे जोर, तब खेत निराएं चोर.एक गरीब किसान अपने खेत की निराई के लिए परेशान था. तभी कुछ चोर सिपाहियों से बचते हुए उसके खेत में आ छिपे. उन्होंने किसान से कहा कि हम आप का खेत निरा देते हैं, आप सिपाहियों से कह देना कि हम मजदूर हैं. इस तरह किसान का काम मुफ्त में हो गया.
  42. जब कुर्सी अफसर पर सवार तब उल्टी गंगा बहे.जब अफसर पर पद का अहंकार हावी हो जाता है तो वह सारी मर्यादाएँ भूल जाता है.
  43. जब गुण को गाहक मिलेतब गुण लाख बिकाई, जब गुण को गाहक नहीं,  कौड़ी बदले जाई.कबीर कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो  गुण की कीमत होती है. पर जब ऐसा ग्राहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है.
  44. जब जंगल जावे, तभी लोटा याद आवे.जंगल जाना – शौच के लिए खुले में जाना. आवश्यकता होने पर ही कोई चीज़ याद आती है यह कहने का हास्यप्रद तरीका.
  45. जब जागो तभी सवेरा.अगर कोई गलती से गलत रास्ते पर चल पड़ा हो तो निराश नहीं होना चाहिए. अच्छा जीवन कभी भी शुरू किया जा सकता है.
  46. जब डाकनवारो चढ्यो सर पे तब लाज कहाँ खर पे चढ़िबै की.डाकनवारो – बुलाने वाला, खर – गधा. प्रियतम से मिलने की धुन सर पे सवार है तो गधे पर चढ़ने में भी कैसी शर्म.
  47. जब तक जीना तब तक सीना.जब तक मनुष्य जीवित रहता है तब तक उसे कुछ न कुछ करना ही पड़ता है. सीना – सिलाई करना.
  48. जब तक तेरे पुन्य का बीता नहीं करारतब तक तुझ को माफ़ है औगुन करे हजार.जब तक पिछले जन्मों के पुण्य समाप्त नहीं हो जाते तब तक ही तुम पाप कर्म कर के भी सुरक्षित हो. (इसके बाद तुम्हें दंड अवश्य मिलेगा)
  49. जब तक दम हैतब तक गम है.जब तक जीवन है तब तक कुछ न कुछ दुःख लगे ही रहते हैं.
  50. जब तक लालाजी पाग संभालेंगे, तब तक दरबार उठ जाएगा.श्रृंगार करने और तैयार होने में बहुत देर लगाने वालों पर व्यंग्य. 
  51. जब तक साँसतब तक आस(जबलग सांसातबलग आसा). कोई व्यक्ति गम्भीर रूप से बीमार हो तो यह कहावत कही जाती है, जब तक उस की सांस चल रही है तब तक उस के ठीक होने की आशा लगी रहती है.
  52. जब दम लगा घटनेतो खैरात लगी बंटने.जब मृत्यु निकट आती है तो आदमी को दान धर्म सूझने लगता है.
  53. जब दांत थे तब चने न थेजब चने भए तो दांत नहीं.जब शरीर स्वस्थ होता है तो मनुष्य के पास आनन्द उठाने के साधन नहीं होते और जब तक साधन इकट्ठे हो पाते हैं तब तक शरीर अशक्त हो चुका होता है.
  54. जब बरखा चित्रा में होएसगरी खेती जावे खोय.घाघ कहते हैं कि यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो खेती नष्ट हो जाती है.
  55. जब बरसेगा उत्तरा, नाज न खावे कुत्तरा.उत्तरा नक्षत्र में वर्षा हो तो इतना अन्न पैदा होता है कि कुत्ते भी खाते खाते थक जाएं.
  56. जब बाप का जूता बेटे के पैर में आ जाए तो उसको दोस्त समझना चाहिए.जब बेटा जवान हो जाए तो उससे मित्रवत व्यवहार करना चाहिए.
  57. जब बिगड़े तब सुघड़ नरक्या बिगड़ेगा कूढ़मट्ठे का क्या बिगड़नाजब बिगड़े तब दूध.जिसके पास कुछ है ही नहीं उसका क्या बिगड़ेगा.
  58. जब बोलो तब राम ही रामठाली जिव्हा कौने काम.खाली जीभ के लिए सबसे अच्छा काम यह है कि वह बार बार राम राम बोले.
  59. जब भए सौ तो भाग गया भौ.जब बहुत से लोग इकट्ठे होते हैं तो भय भाग जाता है.
  60. जब भूख लगी भड़ुए को तो तंदूर की सूझी और पेट भरा तो दूर की सूझी.आम सांसारिक लोग पहले भूख और खाने की ही चिंता करते हैं. जब पेट भर जाए तो तभी कुछ और सोच पाते हैं.
  61. जब माँ की चूड़ी बेटी के हाथ में आ जाए तो उसकी शादी कर देनी चाहिए.अर्थ स्पष्ट है.
  62. जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं मैं नाहिं, प्रेम गली अति सांकरीजा में दो न समाहिं.जब मेरे अंदर अहंकार था तब मैं किसी को गुरु नहीं बना पाया, अब मुझे गुरु मिले हैं तो मेरा अहंकार चला गया है. प्रेम की गली बहुत पतली है, इस में गुरु और अहंकार दोनों नहीं समा सकते.
  63. जब मैं था तब हरि नहींअब हरि है मैं नांहि (सब अँधियारा मिट गयादीपक रेखा मांहि). कबीर दास जी कहते हैं कि जब मेरे अंदर अहंकार (मैं) था, तब मेरे ह्रदय में ईश्वर का वास नहीं था. और अब मेरे ह्रदय में ईश्वर का वास है तो अहंकार नहीं है.
  64. जब राम तकें सब दुःख भगिहें.जब भगवान की कृपा दृष्टि होती है तो सब दुःख दूर हो जाते हैं. 
  65. जब लक्ष्मी तिलक करती होतब मुहँ धोने नहीं जाना चाहिए.अवसर को पहचान कर उचित कदम उठाना चाहिए.
  66. जब लग चलें हाथ और पाँव, तब लग पूजे सारा गाँव.जब तक व्यक्ति के हाथ पाँव चलते हैं तभी तक उसका सम्मान होता है.
  67. जब लाद ली तब लाज क्या.जब बेशर्मी लाद ली तो शर्म किस बात की.
  68. जब साजन की होए लुगाईतोड़े कोट और फांदे खाई.प्रेम में व्यक्ति किला तोड़ सकता है और खाई फांद सकता है.
  69. जब हांडी पे ढकना न होवे तो बिलैया की लाज काहे चाहो.हंडिया पे ढक्कन न होगा तो बिल्ली शरम क्यों करेगी. अपनी चीज की सुरक्षा नहीं करोगे तो चोर चोरी क्यों नहीं करेगा.
  70. जब ही तब ही दंडै करेताल नहाय ओस में परै, दैव न मारे आपै मरे.जो कभी कभी ही व्यायाम करता है और तालाब में नहा कर ओस में लेटता है उसे भगवान नहीं मारते, वह खुद ही मर जाता है.(घाघ कवि)
  71. जब होवें करमन के फेर, मकड़ी जाल में फंस जाए शेर.(बुन्देलखंडी कहावत) भाग्य का फेर हो तो शेर भी मकड़ी के जाल में फंस सकता है. भाग्य सब से प्रबल है.
  72. जब होवें बिधना विपरीत तब ऊँट चढ़े पर कूकर काटे.जब भाग्य विपरीत हो तो ऊँट पर बैठे व्यक्ति को भी कुत्ता काट सकता है.
  73. जबर की जोय महतारी लागेनिबल की जोय मोरी साली.बलवान की पत्नी माँ जैसी लगती है और निर्बल की पत्नी साली. अर्थ है कि कमजोर को सब दबाते हैं.
  74. जबर के जबरईअबरा के नियाव.(भोजपुरी कहावत) दबंग अपनी जबरदस्ती पर विश्वास रखता है और कमजोर न्याय तन्त्र का मुँह देखता है. 
  75. जबरदस्त के दो भाग.किसी चीज़ के कई हिस्से किये जाएँ तो ताकतवर आदमी उसमें से दो हिस्से लेता है.
  76. जबरदस्त के बीसों बिस्वे.जो जबरदस्त है वह सारा हिस्सा खुद लेना चाहता है. एक बीघे में बीस बिस्वे होते हैं. (देखिये परिशिष्ट) 
  77. जबरदस्त सबका जमाई.अर्थ स्पष्ट है. जमाई की सबको इज्ज़त करनी पडती है इसलिए उसका उदाहरण दिया गया है.
  78. जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर.अर्थ ऊपर वाली दोनों कहावतों के समान.
  79. जबरा की जोरू, गाँव भर की ताई.दबंग व्यक्ति की पत्नी से सब डरते हैं.
  80. जबरा मारे और रोने न दे.जो जबरदस्त होता है वह मारता है और रोने भी नहीं देता.
  81. जबरा हारे तो भी मारे, न हारे तो भी मारे.दबंग व्यक्ति हार जाए तो भी अपने को हारा हुआ नहीं मानता और मार पीट पर उतारू हो जाता है.
  82. जबरे की जात कोई न पूछे.पहले के जमाने में लोग जात पांत का बहुत विचार करते थे. ऊँची जाति वालों का सम्मान और निम्न जाति वालों का अपमान करना आम बात थी. लेकिन उस समय भी जो ताकतवर होता था उसकी जाति कोई नहीं पूछता था.
  83. जबरे को जबरा ही मारे, या मारे करतार.आतताई को आतताई ही मार सकता है या ईश्वर.
  84. जबरे ने दी गाली तो मजाक में टाली.दबंग आदमी गाली देता है तो लोग हँस के टाल देते हैं.
  85. जबलग सनहकी में भाततब लग तेरो मेरो साथ.जब तक तुम्हारे यहाँ खाने पीने की जुगाड़ है तब तक का ही तुम्हारा मेरा साथ है. निपट स्वार्थ. सनहकी – खाना पकाने का बर्तन.
  86. जबान को लगाम चाहिए.जो कुछ हम बोलते हैं उस पर हमारा पूरा नियन्त्रण होना चाहिए.
  87. जबान से ही घर उजड़ते हैं, जबान से ही घर बसते हैं.मीठी बोली प्रेम सम्बंध बना कर घर बसा सकती है और कड़वी बोली दुश्मनी करवा कर घर उजाड़ सकती है.
  88. जबान ही हलाल हैजबान ही मुरदार है.जिस जानवर को इस्लामिक विधि से मारा गया हो उसे खाना मुसलमान हलाल (धर्मसंगत) मानते हैं और जो अपनी मौत मरा हो (मुरदार) उसे खाना पाप मानते हैं. कहावत में यह कहा गया है कि जीभ ही धर्म की बात करती है और जीभ ही अधर्म की.
  89. जबान ही हाथी चढ़ाएज़बान ही सिर कटाए.बात को चतुराई से कहने पर हाथी इनाम में मिल सकता है और मूर्खता से कहने पर सर काटने की सजा मिल सकती है. (बातन हाथी पाइए, बातन हाथीपाँव).
  90. जम की भैन बरात.बारात की खातिरदारी करना बड़ा ही खतरनाक काम है. इसीलिए बारात को यमराज की बहन कहा गया है.
  91. जम के पानी बरसे स्वाती, कुरमिनि पहिरै सोनेकी पाती. स्वाति नक्षत्र में पानी बरसे तो किसान को बहुत लाभ होता है (उसकी पत्नी सोने के गहने बनवाती है).  
  92. जम से जबर बनिया.बनिया अपने उधार की उगाही करने के मामले में यमराज से भी बढ़ कर होता है.
  93. जमा लगे सरकार की और मिर्ज़ा खेलें फाग.सरकार के धन का दुरुपयोग करने वालों के लिए.
  94. जमाई के घर घोड़ा और सास हिनहिनाए.कोई व्यक्ति साधन सम्पन्न हो तो उस के सगे सम्बन्धी भी इतराने लगते हैं. ऐसे लोगों का मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही जाती है.  
  95. जमाई जम के समान होता है.दामाद यमराज की तरह डरावना और खतरनाक होता है.
  96. जमाई तो रूठा ही भला.दामाद के रूठने से बड़ा फायदा है, न वह बार बार घर आएगा, न उस की खातिर करनी पड़ेगी.
  97. जमात में करामात.संगठन में शक्ति है.
  98. जमीं जोरू जोर कीजोर हटया और की.जायदाद और स्त्री बलवान के पास ही ठहर सकती है.
  99. जमींदार की जड़ हरी.जमींदार हमेशा फलता फूलता है. (अकाल पड़ेगा तो किसान मरेगा, जमींदार फिर भी फलेगा फूलेगा).
  100. जर का जर्रा भी आफताब हैबेजर की मिट्टी खराब है.जर – खजाना, आफताब – सूर्य, बेजर – निर्धन. धन का कण भी सूर्य के समान तेजवान लगता है. जिस के पास धन नहीं है उस की कोई पूछ नहीं है.
  101. ज़र का जोर पूरा हैऔर सब अधूरा है.पैसे में जितनी ताकत है उतनी किसी चीज़ में नहीं है.
  102. ज़र गया ज़र्दी छाईज़र आया सुर्खी आई.धन न रहने पर आदमी उदास हो जाता है और धन आ जाने से प्रसन्न. (जर्दी – पीलापन, सुर्खी – ललामी)
  103. ज़र दीजे हजार मगर दिल न दीजेउल्फत बुरी बला है किसी से न कीजे.पैसा जितना भी चाहे किसी को दे दें पर किसी से इश्क न करें.
  104. जर नेस्तइश्क टें टें.जर – खजाना, नेस्त – समाप्त. पैसा खत्म तो प्रेम भी खत्म.
  105. जर है तो घर है, नहीं तो खंडहर है.पैसा हो तभी घर बनता है. जर – धन.
  106. जर है तो नर है नहीं तो पंछी बेपर है.रुपया पैसा पास हो तभी आदमी की इज्जत है.
  107. जर है तो नरनहीं तो पूरा खर.पैसा पास हो तो आदमी नहीं तो गधे के बराबर.
  108. जरा जरा सा कर लिया और अपना पल्ला भर लिया.थोड़ी थोड़ी बचत भी बहुत महत्वपूर्ण होती है.
  109. जरा सा खावे बहुत बतावे वह है बहू सुघड़ेलीज्यादा खावे कम बतलावे वह बहुतहि बिगड़ेली.जो बहू सुघड़ होती है वह कम खाती है और कहती है कि उसने बहुत खा लिया है, जो बहू बिगडैल होती है वह अधिक खाती है और कहती है कि उसे कुछ नहीं मिला.
  110. जरा सा मुँहबड़ा सा पेट.जो बोलता कम हो और पेट में ज्यादा बात रखता हो. उसके लिए भी जो देखने में दुबला पतला हो पर खाता अधिक हो.
  111. जरूरत पड़ने पर लोग गधे को भी बाप बना लेते हैं.स्वार्थ सिद्धि की लिए मनुष्य कुछ भी कर सकता है.
  112. जल की मछलिया जल में ही प्यासी.जिस चीज़ की बहुतायत होनी चाहिए उसी की कमी हो तो.
  113. जल की मछली जल ही में भली.जो जहाँ का होता है उसे वहीं अच्छा लगता है.
  114. जल में खड़ी प्यासों मरे.साधन सम्पन्न होने पर भी परेशान होना.
  115. जल में जो मूते वही जाने.नदी या तालाब में नहाते समय किसने पानी के अंदर पेशाब की है यह केवल करने वाला ही जान सकता है. जो गलत काम छिप के किया जाता है उसे केवल करने वाला ही जान सकता है.
  116. जल में डूबा तैर निकलेतिरिया में डूबा बह जाए.एक बार को पानी में डूबा आदमी तैर कर निकल सकता है पर जो स्त्री के मोह में डूब गया वह निश्चित रूप से बह जाता है.
  117. जल में रहे मगर से बैर.जहां आप रहते हैं वहाँ रहने वाले शक्तिशाली लोगों से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहिए. 
  118. जल लकीर जिमि जीवनों हैस्थिर रह्यो नाहिं.जीवन पानी की लकीर की भांति है, अस्थिर और क्षणभंगुर.
  119. जल सूर बामनरन सूर छत्रीकलम सूर कायस्थ और डर सूर खत्री.ब्राह्मण ठन्डे पानी में रोज नहाता है (जल शूर), क्षत्रिय युद्ध करने (रण) में शूर होता है, कायस्थ कलम का वीर होता है और खत्री महा डरपोक होता है. खत्रियों से निवेदन है कि कहावत का बुरा न मानें.
  120. जलता घर भगवान् को अर्पण.जो चीज़ हाथ से जा रही हो उस को भगवान को अर्पण कर के भक्त होने का नाटक करना.
  121. जली तो जली पर सिकी खूब.काम बिगड़ तो गया पर आनंद खूब आया.
  122. जले को क्या जलाना.जो कष्ट में हो उसे और कष्ट नहीं देना चाहिए. कोई आपसे ईर्ष्या करता हो उसके सामने ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे वह और अधिक जले.
  123. जले घर की बलेंडी.बलेंडी – छप्पर की लम्बी लकड़ी. व्यापार में बहुत नुकसान हुआ पर जो कोई एक बड़ा अदद बच गया.
  124. जले पराया घी और हंसें बटाऊ लोग.दूसरे का नुकसान होते देख कर कुछ लोग आनंद लेते हैं. बटाऊ – राहगीर. 
  125. जले पांव की बिल्ली.एक साहूकार ने बिल्ली पाल रखी थी. बिल्ली के पाँव में चोट लग गई तो साहूकार ने उस के पाँव में मिट्टी के तेल में कपड़ा भिगोकर पट्टी बाँधी. वह बिल्ली अचानक रसोई घर में चली गई तो उस कपड़े में आग लग गई. आग लगने से वह बिल्ली घर में इधर-उधर भागने लगी. साहूकार के घर में कई अन्य व्यापारियों की रुई रखी थी जिसमें आग लग गई. इसके बाद बिल्ली ने इधर उधर भागते हुए कई घरों में आग लगा दी. कहावत किसी ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग की जाती है जो गाँव भर में घूम घूम कर झगड़े की आग लगा देता है.
  126. जलेबी की तरह सीधा.जलेबी बहुत टेढ़ी मेढ़ी होती है. अगर कोई धूर्त व्यक्ति अपने को सीधा बताने का प्रयास करता है तो उस के लिए मजाक में ऐसे बोलते हैं. 
  127. जलो मगर दीपक की तरह. जो लोग दूसरों की सफलता और सम्पन्नता से जलते हैं उन को सीख दी गई है कि अगर जलना ही है तो दीपक की तरह जलो जो स्वयं जल कर औरों को प्रकाश देता है.
  128. जलो मत रीस करो. किसी की सम्पन्नता से जलने की बजाय उससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करना और उस के बराबर बनने की कोशिश करना चाहिए. इंग्लिश में कहावत है – Envy never enriched any man.
  129. जल्दबाजी करो तो भी धीरे धीरे. कभी कोई काम जल्दी में करना पड़े तो भी जितना संयम हो सके रखना चाहिए.
  130. जल्दबाजी काम शैतान कासुघड़ काम रहमान का.जल्दबाजी में काम खराब हो जाता है.
  131. जवान जाए पतालबुढ़िया मांगे भतार.बुढ़िया कह रही है कि जवान स्त्री भाड़ में जाए मुझे ब्याह करना है. बुढ़ापे में कुछ लोग बहुत स्वार्थी हो जाते हैं, उनके लिए.
  132. जवान डरे भगने सेबूढ़ा डरे मरने से.जवान युद्ध भूमि से भागने से डरता है और बूढ़ा मरने से डरता है.
  133. जवान में ही रस अर जबान में ही बिस.बोली में ही रस है और बोली में ही विष रहता है.
  134. जवान रांडबूढ़े सांड.जवान विधवा को देख कर बूढ़े लोग नीयत खराब कर रहे हों तब.
  135. जवानी में गधी पर भी जोवन होता है.स्त्री कुरूप हो तब भी युवावस्था में उस पर भी मद छाता है.
  136. जवानी में शादी, नहीं तो बरबादी.युवावस्था में विवाह न हो पाए तो आदमी बर्बाद हो जाता है.
  137. जवानी में हाजीबुढ़ापे में पाजी.जो व्यक्ति जवानी में धर्मात्मा हो पर बुढ़ापे में मदांध हो जाए.
  138. जवानों को चला चलीबुढ़िया को ब्याह की पड़ी.जवानों की तो जान जोखिम में है और बुढिया को ब्याह करने का शौक सूझ रहा है. बुढ़ापे में मनुष्य स्वार्थी हो जाता है इस पर व्यंग्य.
  139. जस केले के पात में पात पात में पाततस ग्यानी की बात में बात बात में बात.जैसे केले के पत्ते में पत्ता होता है वैसे ही ग्यानी आदमी की बात में गूढ़ अर्थ छिपे होते हैं.
  140. जस दुल्हा तस बनी बराता.जैसा नेता वैसी जनता, जैसा राजा वैसी प्रजा.
  141. जस मतंग तस पादन घोड़ीबिधना भली मिलाई जोड़ी.एक साथ काम करने वाले दो लोग जब एक से बढ़ कर एक निकम्मे हों तो.
  142. जहँ आपा तहँ आपदाजहँ संशय तहँ रोग.जहाँ स्वार्थ और अहंकार का बोलबाला है वहाँ संकट है और जहाँ शंकालु प्रवृत्ति है वहाँ आप स्वस्थ मन से काम नहीं कर सकते.
  143. जहँ लूट पड़ी वहां टूट पड़ी जहँ मार पड़ी वहां भाग पड़ी.जहाँ माल की खुल्लम खुल्ला लूट मच रही हो वहाँ लालची लोग टूट पड़ते हैं और जहाँ मार पड़ने का डर हो वहाँ से भाग खड़े होते हैं.
  144. जहर को जहर ही मारता है.दुष्ट का नाश दुष्टता से ही किया जा सकता है. (संस्कृत – विषस्य विषम औषधम्).
  145. जहाँ एकता वहाँ लक्ष्मी, जहाँ कलह वहाँ काल.घर हो व्यापार हो या समाज, जहाँ लोगों में एकता है वहाँ उन्नति है, जहाँ लड़ाई झगड़े है वहाँ दुर्गति.
  146. जहाँ काम, वहीं राम.जहाँ उद्यम है, वहीं ईश्वर का वास है.
  147. जहाँ के मुरदे तहाँ ही गड़ते हैं.जो काम जहां का है उसे वहीं निबटाना चाहिए.
  148. जहाँ खर्च नहीं वहाँ हर एक गाँठ का पूरा.जहाँ लोगों की आदत व्यर्थ खर्च करने की नहीं होती वहाँ हर व्यक्ति सम्पन्न होता है.
  149. जहाँ खैरात बंटे वहाँ मंगते अपने आप पहुँच जाते हैं.अर्थ स्पष्ट है.
  150. जहाँ गंगवहाँ रंग.जहाँ गंगा है, वहाँ आनंद हैं. 
  151. जहाँ गंजवहाँ रंज.जहाँ ख़ुशी है वहाँ दुःख भी अवश्य है.
  152. जहाँ गाय वहाँ बछड़ा, जहाँ गुरु वहाँ चेला.जैसे बछड़ा गाय पर पूरी तरह निर्भर है वैसे ही चेला भी पूरी तरह गुरु पर आश्रित है.
  153. जहाँ गुलाब, वहाँ कांटे.जहाँ सुख सुविधाएँ होती हैं वहाँ कुछ न कुछ कष्ट भी होते हैं. इंग्लिश में कहावत है – There are no rose without thorns.
  154. जहाँ चने हैं वहाँ दांत नहीं, जहाँ दांत हैं वहाँ चने नहीं.जहाँ सुविधाएँ उपलब्ध हैं वहाँ उन्हें भोगने वाले नहीं हैं, जहाँ भोगने वाले बहुतेरे हैं वहाँ सुविधाएँ नहीं हैं.
  155. जहाँ चार गगरी तहाँ लड़बे करी.(भोजपुरी कहावत) जहाँ चार पनिहारिनें होंगी वहाँ आपस में लड़ाई तो होगी ही. स्त्रियों की लड़ने की आदत पर व्यंग्य. 
  156. जहाँ चार रजपूतहुआँ बात मजबूत.राजपूत अकेला हो तो भी अपनी बात का पक्का होता है, और अगर चार राजपूत मिल जाएं तो क्या कहना.
  157. जहाँ जाएं बाले मियाँ तहाँ जाए पूँछ.चमचों पर व्यंग्य करने के लिए.
  158. जहाँ जाटवहाँ ठाठ.जाट बड़े दरियादिल और मस्त माने जाते हैं उसी पर बनी कहावत.
  159. जहाँ तेल देखा वहीँ जनने को बैठ गई.बच्चे का जन्म कराने के लिए दाइयों को तेल की आवश्यकता होती थी. एक ऐसी स्त्री का ज़िक्र किया गया है जो कहीं पर तेल देख कर बच्चे का प्रसव करने बैठ जाती है. कहावत उस निर्लज्ज व्यक्ति के लिए कही गई है जो अपने थोड़े से लाभ के लिए कुछ भी कर सकता है.
  160. जहाँ दया तहँ धर्म हैजहाँ लोभ तहँ पापजहाँ क्रोध तहँ ताप हैजहाँ क्षमा तहाँ आप.जो दूसरों पर दया करते हैं वे धर्म पर चलने वाले माने जाते हैं, जो लोभी होते हैं वे लोभ के कारण पाप में प्रवृत्त हो जाते हैं. जो लोग क्रोध करते हैं वे कष्ट उठाते हैं और जो क्षमा करते हैं वे ईश्वर के समतुल्य बन जाते हैं.
  161. जहाँ दूल्हा वहीँ बरात.जो महत्वपूर्ण व्यक्ति है उसी के इर्द गिर्द सब लोग रहना चाहते हैं.
  162. जहाँ नहीं पेड़ वहाँ अरंड ही पेड़ (जहाँ रूख नहीं वहाँ अरंडा ही रूख).अरंड का पेड़ बहुत घटिया पेड़ माना जाता है. लेकिन जहाँ पेड़ ही न हों वहाँ अरंड को ही पेड़ मान सकते हैं. काम चलाने वाली बात. 
  163. जहाँ नाश वहाँ सवा सत्यानाश.जहाँ नुकसान हो रहा है वहाँ थोड़ा और नुकसान सही. इस को इस प्रकार भी कहते हैं – जहाँ लादी वहाँ सवा लादी.
  164. जहाँ पड़े मूसल, वहीं क्षेम कुशल.मूसल से मसाले कूटे जाते हैं और चूरमा बनता है, इसलिए जहाँ खुशहाली हो वहीं मूसल का प्रयोग होता है. 2. कुटाई के डर से ही सारी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती हैं.
  165. जहाँ पाँच पंच तहाँ परमेश्वर.जहाँ पांच पंच मिल कर न्याय करते हैं वहाँ अन्याय की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है.
  166. जहाँ फूल वहाँ काँटा.ईश्वर ने जहाँ सुख दिए हैं वहाँ कुछ न कुछ दुःख भी दिए हैं. इंग्लिश में कहावत है – No rose without thorns.
  167. जहाँ बस्ती होती है वहाँ कुत्ते भी होते हैं.अच्छे इंसानों के बीच बुरे लोग भी अवश्य होते हैं.
  168. जहाँ बहू का पीसनावहीं ससुर की खाट.जहाँ बहू चक्की पीस रही है वहीं ससुर खाट डाले बैठे हैं. बेतुका काम.
  169. जहाँ मिले पाँच मालीवहाँ बाग़ सदा खालीसाझे का काम हमेशा गड़बड़ होता है. इस आशय की और भी बहुत सी कहावतें हैं – ज्यादा जोगी मठ उजाड़, साझे की माँ गंगा न पाए. इत्यादि. इंग्लिश में कहते हैं – Too many cooks, spoil the broth.
  170. जहाँ लाख, वहाँ सवा लाख.जहाँ बहुत अधिक खर्च हो रहा हो वहाँ थोड़ा और सही.
  171. जहाँ हाथी तुलें, वहाँ गधे पासंग.कोई सामान तोलने से पहले तराजू के हल्के पलड़े में थोड़ा वजन बाँध कर दोनों पलड़ों को बराबर करते हैं. इसे पासंग कहते हैं. जहाँ हाथी जैसी बड़ी चीज़ तोलने का काम हो रहा वहाँ गधे की औकात पासंग जितनी ही है.  
  172. जहां काम आवे सुईकहा करे तलवार.शेर और चूहे की कहानी हम सब को याद होगी. शेर ने एक बार एक चूहे को पकड़ लिया. चूहा गिड़गिड़ाया – मालिक मुझे छोड़ दीजिये. मैं कभी आपके काम आऊँगा. शेर हँसा कि तू मेरे किस काम आएगा पर उसे छोड़ दिया. कुछ समय बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया. चूहे को मालूम पड़ा तो उसने फ़ौरन आ कर अपने पैने दांतों से जाल को काट दिया और शेर को छुड़ा दिया. कहावत का तात्पर्य यह है कि आपके सम्बन्ध कितने भी बड़े बड़े लोगों से क्यों न हों आपके छोटे लोगों को भी सम्मान और महत्त्व देना चाहिए. (रहिमन देख बड़ेन को लघु न दीजिए डार, जहां काम आवे सुई कहा करे तलवार). 
  173. जहां गड्ढा होता है पानी वहीँ भरता है.इस का शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट है पर कहावत के रूप में इसका अर्थ थोड़ा सूक्ष्म है. कहीं चार लोग बैठे हों तो आप किसी एक राजनैतिक दल की बुराई करना शुरू कर दीजिए. जो उस दल का समर्थक होगा उसे बुरा लगेगा और वह फ़ौरन विरोध करेगा. आप सोशल मीडिया पर किसी ग्रुप में किसी एक व्यवसाय की बुराई कीजिए. उस ग्रुप में उस व्यवसाय से संबंधित जो लोग होंगे वे फौरन आपत्ति करेंगे. इसे कहते हैं जहां गड्ढा होता है वहीं पानी भरता है.
  174. जहां गुड़ होगा वहां मक्खियाँ आयेंगी ही.जिसके पास धन व अधिकार हो उसके बहुत से मित्र बन जाते हैं.
  175. जहां चाह वहां राह.व्यक्ति यदि कोई कार्य करना मन से चाहता है तो उसके लिए रास्ता निकाल लेता है. इंग्लिश में कहावत है – Where there is a will, there is a way.
  176. जहां जाय भूखावहां पड़े सूखा.अभागा व्यक्ति कहीं भी जाए दुर्भाग्य उसका साथ नहीं छोड़ता.
  177. जहां जाये दूला रानी, वहाँ पड़े पाथर पानी.पाथर पानी – ओला वृष्टि. किसी अभागे व्यक्ति पर व्यंग्य है कि वह जहाँ जाता है वहाँ कुछ न कुछ अनर्थ हो जाता है.
  178. जहां ढेर मउगीतहँ मरद उपास.(भोजपुरी कहावत) जिस आदमी की कई पत्नियाँ होती हैं उसे भूखा रहना पड़ता है. (क्योंकि सभी एक दूसरे पर काम टालती हैं). ढेर – बहुत सारी, मउगी – पत्नी, उपास – उपवास.
  179. जहां देखी रोटीवहीं मुड़ाई चोटी.चोटी कटाने से दोनों अर्थ हो सकते हैं, सिर मुंडा कर सन्यासी बनना या चोटी कटा कर सन्यासी से पुनः सांसारिक बनना. अर्थ यह है कि रोटी के कारण व्यक्ति कुछ भी कर सकता है.
  180. जहां देखे तवा परातवहीँ बितावे सारी रात.जहाँ खाने पीने का इंतजाम हो वहीँ रहने की इच्छा करने वाले लोग.
  181. जहां दो बर्तन होते हैंखड़कते ही हैं.जब दो लोग एक साथ रहते हैं तो कभी न कभी, कुछ न कुछ मनमुटाव हो ही जाता है.
  182. जहां धुंआ वहां आग जरूर होगी. (आग बिन धुंआ नहीं).अगर कहीं धुंआ दिखाई दे रहा है तो इसका अर्थ यह है कि कहीं न कहीं आग जरूर लगी हुई है. अगर कोई व्यक्ति बहुत उदास दिखाई दे रहा है तो इसका अर्थ यह है कि उसके मन में जरूर कोई क्लेश है. अगर दो लोगों के रिश्तों में तनाव दिखाई दे रहा है तो कुछ गम्भीर कारण जरूर होगा.
  183. जहां न जाए रविवहां जाए कवि(जहां न पहुंचे रविवहां पहुंचे कवि). कवियों की कल्पना के विषय में कहा गया है.
  184. जहां न जाए रेलगाड़ीवहां जाए मारवाड़ी.मारवाड़ी लोग दूर दूर तक व्यापार करते हैं उसके लिए मजाक.
  185. जहां बालों का संग वहां बाजे मृदंगजहां बुड्ढों का संग वहां खरचे से तंग.जहां बालक होते हैं वहां मौज मस्ती होती है और जहां केवल बूढ़े लोग हों वहां केवल परेशानियों की चर्चा होती है.
  186. जहां मीठा होइउहाँ चिउंटी लगबे करी.(भोजपुरी कहावत) जहाँ मीठा होगा वहाँ चीटियाँ जरूर आएंगी. जहाँ लाभ होने की संभावना होती है वहाँ बहुत से लाभार्थी पहुँच जाते हैं.
  187. जहां मुर्गा नहीं होता वहां क्या सवेरा नहीं होता.मुर्गे को यह गलतफहमी होती है कि उसके बांग देने से ही सवेरा होता है. इसी प्रकार कुछ लोगों को यह भ्रान्ति होती है कि अमुक संस्था उन के कारण से चल रही है. ऐसे लोगों को उनकी हैसियत बताने के लिए यह कहावत कही जाती है.
  188. जहां मेरो सैयांवहां मेरो गइयां.मेरा गाँव वहीँ है जहां मेरा पति रहता है. सुहागिन स्त्रियों का कथन.
  189. जहां राजा बसेवहीं राजधानी.महत्वपूर्ण व्यक्ति जहाँ रहेगा वही स्थान महत्वपूर्ण हो जाएगा.
  190. जहां रोजगारवहीं घरबार.व्यक्ति को जहाँ रोजगार मिलता है वह वहीँ घर बसाता है.
  191. जहां शहद वहां माखी.जो लाभ का स्थान होगा वहाँ बहुत से लोभी लोगों का जुटना स्वाभाविक ही है.
  192. जहां सुमति तंह सम्पति नाना.जहाँ अच्छी मति होगी वहाँ सब प्रकार के सुख होंगे. 
  193. जा के रखवाल गोपाल धनी ताको बलभद्र कहा डर रे.जिसके रखवाले स्वयं श्रीकृष्ण हों, उस को बलराम से क्या डर. दुर्योधन बलराम का प्रिय शिष्य था. जब भीम ने गदा प्रहार कर के दुर्योधन की जंघा तोड़ दी (जोकि नियम विरुद्ध था) तो बलराम बहुत कुपित हुए और भीम को मार डालने को तैयार हो गए. लेकिन कृष्ण के समझाने पर वह मान गए.
  194. जा घट प्रेम न संचरै, ता घट जानि मसान.जिस के हृदय में प्रेम का वास नहीं है वह श्मशान के समान है.
  195. जा दिन घोड़ी, बा दिन गाय, तई दिन होरी दियो जराय.क्वार शुक्ल नवमी, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा और फागुन पूर्णिमा एक ही वार को पडती है,
  196. जा मन होय मलीनसो पर सम्पदा सहे ना.जिस के मन में ईर्ष्या की भावना होगी उसे पराई सम्पत्ति देख कर कष्ट होगा.
  197. जा मुख राम न उच्चरे, वा मुख लोह जड़ाइ.जिस मुख से राम का नाम न निकले उस को लोहे की कीलों से जड़ देना चाहिए. उच्चरे – उच्चारित हो, जड़ाई – जड़ दें.
  198. जा री बिल्ली, कुत्ते को मार.किसी गरीब और छोटे आदमी को जबरदस्ती मुसीबत में धकेलना.
  199. जाइए दुःख में पहलेसुख में पीछे.किसी की यहां कोई दुःख का अवसर हो उस में फौरन जाना चाहिए चाहें सुख के प्रसंग में बाद में चले जाएं.
  200. जाए जानरहे ईमान.चाहे जान चली जाए पर ईमान नहीं जाना चाहिए.
  201. जाए लाखरहे साख (लाख जाए पर साख न जाए).चाहे लाखों रुपये खर्च हो जाएं अपनी साख नहीं जानी चाहिए.
  202. जाओ चाहे नेपालसाथ जायगा कपाल (जावो कलकत्ते से आगे, करम साथ में जावेचाहे कहीं भी चले जाओ, भाग्य आपके साथ जाएगा.
  203. जाका ऊंचा बैठनाजाका खेत निचानताका बैरी क्या करेजाका मीत दिवान.जिस का बड़े लोगों में उठना बैठना हो, खेत नीची जगह पर हो और मंत्री या कोतवाल जिसके मित्र हों उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है.
  204. जाका कोड़ा ताका घोड़ा.घोड़ा उसी का है जिसके पास कोड़ा है. जिसके पास ताकत है उसी का संपत्ति पर अधिकार होता है. इस प्रकार की दूसरी कहावत है – जिसकी लाठी उसकी भैंस.
  205. जाका गुरु भी अँधलाचेला खरा निरंधअंधहि अंधा ठेलियादोनों कूप पडंत.यदि गुरु भी अँधा हो और चेला भी अँधा हो तो दोनों कुँए में गिरते हैं. 
  206. जाकी अच्छी सास बाका ही घर वासजाकी सास नकाराताका कहाँ गुजारा.जिस बहू की सास अच्छी हो उसका घर स्वर्ग है.
  207. जाकी अपकीरति छाय रही जगसो यमलोक गयो न गयो.जिसकी बदनामी हो जाए वह जिन्दा भी मरे के बराबर है.
  208. जाकी छाति न एकौ बारउनसे सब रहियो हुशियार (जाकी छाती जमे न बारउनसे रहना तुम होशियार).जिनकी छाती पर बाल नहीं होते वे कुटिल प्रवृत्ति के होते हैं (एक पुरानी सोच).
  209. जाकी जात के जौन हैं ताकि पाँत के तौन, बाघ बाज के पूत को मार सिखावत कौन.(बुन्देलखंडी कहावत) जौन – जो भी, तौन – वही. जो जिस जाति के हैं उस के गुण अपने आप विकसित कर लेते हैं. शेर और बाज के बच्चों को शिकार करना कौन सिखाता है.
  210. जाकी रही भावना जैसीप्रभु मूरत देखी तिन तैसी.जब भगवान राम सीता स्वयम्बर में धनुष तोड़ने के लिए उठे तो अलग अलग लोगों को उनके अलग अलग रूप दिखाई दिए. कहावत का अर्थ है कि आप किसी को उसी रूप में देखते हैं जैसी आप के मन में उसके प्रति भावना होती है.
  211. जाके कारन पहनी सारीवही लगा अब टांग उघारी.प्राय: लडकियां शादी के पहले कुर्ता सलवार आदि पहनती थीं और शादी के बाद साड़ी. इस आशय में साड़ी पहनने का अर्थ विवाह करने से है. जिससे विवाह किया वही बदनाम करने पर तुला हुआ है.
  212. जाके घर में नौ सौ गायसो क्यों छाछ पराई खाय.जिस के घर में बहुत सारी गाएं हों वह दूसरे से मांग कर छाछ क्यों खाएगा. जो स्वयं साधन सम्पन्न है वह दूसरों से कुछ क्यों मांगेगा.
  213. जाके घर में माईताकी राम बनाई.जिस घर में माँ होती है वह स्वर्ग हो जाता है.
  214. जाके पाँव न फटी बिबाईवो क्या जाने पीर पराई.पैर की एड़ी और तलवे में खाल के फटने से जो गहरे क्रैक्स हो जाते हैं उन्हें बिवाई कहते हैं. इनमें बहुत दर्द होता है. जिनके पैर में बिबाई ना हुई हो वे उसका दर्द नहीं जान सकते. जो खुद किसी खास परेशानी से न गुजरा हो वह दूसरे को होने वाले कष्ट को कैसे जान सकता है.
  215. जाके पास रहिएताकी ही सी कहिए.जैसा परिवेश हो वैसी ही बात कहनी चाहिए.
  216. जाके सिर पेबोझ है, सोई करे निबाह. जिस के ऊपर पड़ती है उसी को निभाना पड़ता है.
  217. जाके हित चोरी करोंसोई बनावे चोर.जिसको लाभ पहुँचाने के लिए चोरी की, वही आपको चोर ठहरा रहा है.
  218. जाको जहं स्वारथ सधेसोई ताहि सुहातचोर न प्यारी चांदनीजैसी कारी रात.जिसका स्वार्थ जहाँ पूरा होता है उसको वहीं अच्छा लगता है. चोर को चांदनी नहीं काली रात अच्छी लगती है.
  219. जाको जेहिपर सत्य सनेहूसो तेहि मिलेहि न कछु सन्देहू.जो सच्चे मन से किसी को चाहता है उसे वह जरूर मिलता है. विशेषकर ईश्वर के मिलने के लिए कहा गया है.
  220. जाको जौन स्वभाव जाय नहिं जी सेनीम न मीठा होय सींचो गुड़ घी से.आदतें आसानी से नहीं बदलतीं.
  221. जाको डंडा ताकी गायकरो न कोई हाय हाय.जिसके पास डंडा होगा वही गाय को ले जाएगा, इसमें किसी को आपत्ति नहीं होना चाहिए. (जिसकी लाठी उसकी भैंस). अर्थ है कि सम्पत्ति पर अधिकार बलवान का ही होता है.
  222. जाको प्रभु दारुण दुःख देहींताकी मति पहले हर लेहीं.जिसको प्रभु दुःख देना चाहते हैं उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देते हैं. यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार के काम कर रहा हो जिस से वह बहुत परेशानी में पड़ सकता है तो यह कहावत कही जा सकती है.
  223. जाको मारा चाहिए बिन मारे बिन घावबाको यही बताइये घुइंया पूरी खाव.पुराने लोग मानते थे कि घुइंया (अरबी) बहुत बादी होती है और नुकसान करती है, और अगर पूड़ी के साथ खाई जाए तब तो और भी अधिक. घाघ कवि कहते हैं कि जिस को आप बिना घाव के मारना चाहते हैं उसे घुइंया पूड़ी खाने की सलाह दीजिये.
  224. जाको राखे सांइयाँ मार सके न कोयबाल न बांका करि सकै जो जग बैरी होय.ईश्वर जिसका रखवाला हो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
  225. जाको राम रक्खेताको कौन भक्खे. (जाका राम रच्छकताको कौन भच्छक).जिसका राम रखवाला हो उसका कौन भक्षण कर सकता है.
  226. जाग मछन्दर गोरख आयो.मछन्दर नाथ (शुद्ध नाम मत्स्येन्द्र नाथ) गोरख़ नाथ के गुरु थे. एक बार मत्स्येन्द्र नाथ आसक्ति में पड़ गए तो गोरखनाथ ने आ कर उन्हें बोध कराया. आम तौर पर गुरु शिष्य को रास्ता दिखाते हैं पर यदि शिष्य को यह काम करना पड़े तो यह कहावत कही जाती है.
  227. जागते को कौन जगाए.सोते हुए को जगाया जा सकता है पर जो स्वयं जाग रहा हो उसे कौन जगा सकता है. यदि आप मुझे किसी समझदार व्यक्ति को अक्ल सिखाने के लिए कहेंगे तो मैं यह कहावत बोलूँगा.
  228. जागे जिस के देह में दूख, जागे जिस को लागे भूख.जिस के शरीर में कोई कष्ट होता है वह जागता है या जो भूखा होता है वह जागता है.
  229. जागे जिसके घर में साँप, जागे जो बिटिया का बाप.जिसके घर में कोई सांप छिपा हो वह चिंता के कारण जागता है या बेटी का बाप चिंता के कारण जागता है.
  230. जागे जो हो धन का धनी, जागे जिसको चिंता घनी.जिसके पास अधिक धन हो वह उस को सम्भालने की फ़िक्र में नहीं सो पाता है या जिस को कोई बड़ी चिंता हो वह नहीं सो पाता है.
  231. जाट कहे शरमाय, पर लड़े न शरमाए.जाट बोलने में शर्माता है पर लड़ने में नहीं.
  232. जाट कहे सुन जाटनी तोको इसी गाँव में रहनाऊँट बिलाई लै गई तो हांजी हांजी कहना.जाट अपनी पत्नी को समझा रहा है की तुझे इसी गाँव में रहना है. कोई प्रभावशाली आदमी अगर यह कहे कि बिल्ली ऊँट को उठा ले गई, तो भी उसकी हाँ में हाँ मिलाना. जिस समाज में आप रह रहे हैं वहाँ की बहुत सी गलत बातें न चाहते हुए भी स्वीकारनी पड़ती हैं.
  233. जाट का बैरी जाटकाठ का बैरी काठ.जाटों के आपसी वैमनस्य के ऊपर कहावत है. बात को समझाने के लिए लकड़ी का उदाहरण दिया गया है. लकड़ी को काटने वाली कुल्हाड़ी का बट लकड़ी का ही बना होता है, अर्थात लकड़ी ही लकड़ी को काटने में सहयोग करती है. कहीं कहीं इसे जात की बैरी जात भी कहा गया है (अर्थात सभी जातियों में ऐसा होता है).
  234. जाट क्या जाने लौंग का भाव.जाट दिल के कितने भी साफ़ हों, स्वभाव से थोड़े अक्खड़ होते हैं. जाटों में नज़ाकत का अभाव होता है इसी को ले कर यह कहावत बनाई गई है.
  235. जाट जाटनी से पार न पावे तो बैल को चाबुक मारे.बलवान पर बस न चले तो लोग कमजोर पर गुस्सा उतारते हैं. (कुम्हार पे बस न चला तो गधे के कान मरोड़े).
  236. जाट बुढ़ापे में बिगड़ा करे.(हरयाणवी कहावत) जाट बूढ़े होने पर ज्यादा मनचले हो जाते हैं.
  237. जाट मरा तब जानियेजब तेरई हो जाए (जब चालीसा होए).जाट लोगों में बड़ी कर्मठता और जिजीविषा होती है. उनकी तरक्की से जलने वाले दूसरी जातियों के लोग तरह तरह से उनका मजाक उड़ाने की कोशिश करते हैं. इस कहावत का शाब्दिक अर्थ तो यह है कि जाट का मरना आसान नहीं होता. जब उसकी तेरहवीं हो जाए तो समझो कि जाट वाकई मर गया. व्यवहार में इस कहावत का प्रयोग इस प्रकार करते हैं कि कोई भी काम तब तक पूरा हुआ मत मानो जब तक बिलकुल पक्का न हो जाए.
  238. जाट रे जाट तेरे सर पे खाटतेली रे तेली तेरे सर पे कोल्हू.किसी तेली ने जाट का मजाक उड़ाने के लिए कहा कि रे जाट तेरे सिर पर खाट. जाट ने तुरंत जवाब दिया कि तेली तेरे सिर पर कोल्हू. तेली बोला जाट भाई कुछ तुकबंदी नहीं बनी, जाट बोला तो क्या हुआ, तू बोझ से तो मरा.
  239. जाटजमाईभांजा और सुनारकभी न होवे आपनो कर देखो उपकार.कहावत का अर्थ स्पष्ट है. किसी सयाने ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को सब के साथ साझा करने का प्रयास किया है (जरूरी नहीं है कि आप इससे सहमत हों).
  240. जाड़ लागजाड़ लाग जड़नपुरी, बुढ़िया का हगास लागि बिपति परी.जाड़े के मारे सबकी हालत खराब है और ऐसे जाड़े की रात में बुढ़िया अम्मा को टट्टी लग रही है. बड़ी विपत्ति आ पड़ी है कि उसे लेके बाहर कौन जाए.
  241. जाड़ा गए रजाई और जोवन गए भतार.जाड़ा बीतने के बाद रजाई मिले तो किस काम की और स्त्री का यौवन बीतने के बाद पति मिले तो किस काम का.
  242. जाड़ा जाए रुई से या दुई से.जाड़ा या तो रुई के गद्दे व रजाई से जाएगा या दो लोग एक साथ सोएं तो जाएगा.
  243. जाड़ो ठाड़ो खेत में, सुन रे मेरे लाल, मोरे दुसमन तीन हैं, रुई कम्बल और प्याल.जाड़ा कह रहा है कि मेरे तीन दुश्मन हैं – रुई, कम्बल और पुआल.
  244. जात का बामन. करम कसाई.उच्च जाति में जन्म लेने वाला कोई निम्न श्रेणी का निर्दयी व्यक्ति.
  245. जात पांत पूछे नहिं कोईवर्दी पहिन सिपहिया होई.जो व्यक्ति सिपाही बन जाता है उस की जाति कोई नहीं पूछता. वह किसी भी जाति का क्यों न हो, सब के लिए आदरणीय हो जाता है.
  246. जात पात पूछे नहिं कोईहरि को भजे सो हरि का होई.हमारे समाज में जाति भेद की बुराई कितनी भी व्याप्त हो ईश्वर के दरबार में सब बराबर हैं. 
  247. जात सुभाय न जाय कभीमाँगना ही भावैरानी हो गई डोमनीआले धर खावे.मनुष्य का जातिगत स्वभाव कभी जाता नहीं है. डोमनी रानी बन गई तो बीमार रहने लगी. फिर उसने अपने लिए एक अलग महल बनवाया. वहां वह खाने के टुकड़े कर के आले में रख देती थी और आले से मांगती थी, आला दे निवाला, और तब खाती थी.
  248. जात सुभाव ना छूटेकुकुर टाँग उठा के मूते. व्यक्ति के जन्मजात स्वभाव छूटते नहीं हैं (जिस प्रकार कुत्ता टांग उठा कर ही मूतता है).
  249. जाति न पूछो साधु कीपूछि लीजिए ज्ञानमोल करो तलवार कापड़ा रहन दो म्यान.व्यवहार में इस कहावत को आधा ही बोला जाता है. साधु की जाति नहीं पूछनी चाहिए ज्ञान देखना चाहिए. इस कहावत से यह बात भी सिद्ध होती है कि हमारे देश में तथाकथित नीची जाति के साधु संतों को भी पूरा सम्मान मिलता था
  250. जातो गंवाएभातो न खाए.बात उस समय की है जब देश में जात पाँत और छुआछूत का काफी जोर था. यदि कोई उच्च कुलीन व्यक्ति नीची जाति वाले के साथ खाना खा ले तो वह जाति से निकाल दिया जाता था. कहावत में ऐसे व्यक्ति का ज़िक्र किया गया है जो बढ़िया बढ़िया खाना भी नहीं खा पाया और नीची जाति वाले के साथ बैठने के कारण जाति से निकाल दिया गया. कोई व्यक्ति अनुचित लाभ उठाने के लिए अपने स्तर से नीचे गिर कर काम करे और उसे वह लाभ भी न मिल पाए तो यह कहावत कही जाएगी.
  251. जादू टोना हे सखी भूल करो मत कोयपिया कहे सो कीजिए आपहि बस में होय.पति को वश में करना है तो उसके लिए जादू टोना न करो बल्कि जो पति कहे वह करो.
  252. जादू वह जो सर चढ़ कर बोले.असली जादू वह है जो आदमी की सुध बुध छीन ले.
  253. जान की जान गईईमान का ईमान.बहुत से लोग जान दे कर ईमान की रक्षा करते हैं और कुछ लोग जान बचाने के लिए ईमान बेच देते हैं, पर अगर कोई व्यक्ति अपनी मूर्खता से दोनों ही चीज़ गंवा दे तो यह कहावत कही जाएगी.
  254. जान के साथ जेवड़ा.यह जंजीर जिन्दगी भर पड़ी रहेगी. जेवड़ा, जेवड़ी – जंजीर.
  255. जान जाए पर माल न जाए.कंजूस व्यक्ति के लिए.
  256. जान न पहचानखाला बड़ी सलाम.अपने मतलब के लिए किसी से जबरदस्ती जान पहचान निकालना.
  257. जान न पहचानमैं तेरा मेहमान (मान न मान मैं तेरा मेहमान).ऊपर वाली कहावत की भांति.
  258. जान बची तो लाखों पाएलौट के बुद्धू घर को आए.कोई व्यक्ति कुछ काम करने गया. काम तो नहीं हुआ उलटे खतरे में फंसते फंसते बचा, तो लौट के आने पर और लोग उसका मजाक उड़ाने के लिए यह कहते हैं.
  259. जान बची, लाखों पाए.किसी आदमी पर कोई खतरा आया और टल गया तो यह कहावत बोली जाती है. 
  260. जान भले ही जाए पर रोजी न जाए (जी जाए जीविका न जाए).जीविका का छिन जाना, मृत्यु से भी अधिक दुखदायी है.
  261. जान मारे बनियापहचान मारे चोर.बनिया जानने वाले को चूना लगाता है और चोर पहचान की जगह पर चोरी करता है.
  262. जान है तो जहान है.जब तक हम जीवित हैं तभी तक संसार है. कोई काम करने में बहुत लाभ होने की सम्भावना हो पर जान का खतरा भी हो तो बुज़ुर्ग लोग उस काम के लिए मना करते हुए यह कहावत बोलते हैं. 
  263. जाना अपने बसआना पराए बस.आप कहीं भी जाते तो अपनी इच्छा से हैं पर लौटना अपने वश में नहीं होता. जिसके यहाँ गए हैं उसकी इच्छा क्या है और ईश्वर की इच्छा क्या है दोनों पर निर्भर करता है.
  264. जाना है रहना नहींमोए अंदेसा औरजगह बनाई है नहीं बैठेगा किस ठौर.इस संसार में सदा के लिए किसी को नहीं रहना है, इसलिए कुछ ऐसे कर्म अवश्य करने चाहिए जिनसे परलोक में जगह मिल सके.
  265. जान लीन्ह बामन के लच्छन, बाप का नाम फीरोज़ अली.कोई मुसलमान ब्राहण का बहरूप बनाए और पकड़ा जाए तो. कहावत के द्वारा एकाध प्रसिद्ध नेताओं पर भी व्यंग्य किया गया है.
  266. जाने को बकरी आने को ऊँट.घर से जाते समय धीरे धीरे चल रहे हैं और आते समय तेजी से आ रहे हैं. जो लोग घर से जाना नहीं चाहते उन के लिए.
  267. जाने चोंच दी वही चुग्गा देगा.जिसने हमें जन्म दिया वही हमें भोजन भी देगा. आलसी एवं अकर्मण्य लोगों का कथन. रोजी रोटी के लिए बहुत प्रयास करने पर भी यदि सफलता न मिले तो निराशा से उबारने के लिए भी सयाने लोग ऐसा बोलते हैं.
  268. जाने न बूझे, कठौती से जूझे.बिना किसी काम के विषय में जाने उस में सर खपाना.
  269. जाने वाली चीज के पाँव निकल आते हैं.जो नुकसान होना होता है उसके हज़ार बहाने बन जाते हैं.
  270. जाने वाले के हज़ार रास्तेढूँढने वाले का एक.खोए हुए व्यक्ति या वस्तु को ढूँढना बहुत कठिन है यह बताने के लिए यह कहावत कही जाती है.
  271. जाने वाले को भूल जाएं पर आने वालों को नहीं भूलतेजिस की मृत्यु हो जाए उसे लोग भूल जाते हैं, पर उस समय आने वालों को लोग याद रखते हैं.
  272. जानो नहिं जिस गाँव में कहा बूझनो नामतिन सखान की क्या कथा जिनसों नहिं कछु काम.जिस जगह जाना ही नहीं है उसका पता पूछ कर समय क्यों नष्ट करें और जिन लोगों से कुछ काम नहीं पड़ना उन की चर्चा क्यों करें.
  273. जाप की ओट में पाप.ढोंगी और पापी महात्माओं के लिए.
  274. जामिन हो मत चोर कासींग पकड़ मत ढोर का.चोर की जमानत मत दो और जानवर का सींग मत पकड़ो. जामिन – जमानत देने वाला.
  275. जामिन होनाधन का खोना.किसी की जमानत देने में अपना धन खोना पड़ सकता है. 
  276. जाया नाम जनम से हो तो रहना किस विधि होय.जाया का अर्थ उत्पन्न हुआ (संतान) भी है और जाया का अर्थ व्यर्थ में बर्बाद करने से भी है.   
  277. जालिम गुजर जाए, जुल्म बाकी रह जाए (जालिम मर जाता है पर कानून छोड़ जाता है).अत्याचारियों के मरने के बाद भी उन के बनाए कानून बाकी रह जाते हैं और दुष्टता की कथाएँ रह जाती हैं.
  278. जासु राज में प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी.जासु – जिसके, अवसि – अवश्य. जिस राजा के राज में प्रजा कष्ट पाती है वह नर्क में जाता है.
  279. जासे जाको कामसोई ताको राम.जिससे आपका काम बनता हो वही आपके लिए ईश्वर के बराबर है.
  280. जासौ निबहे जीविका, करिए सो अभ्यास, वैश्या राखे लाज तो कैसे पूरे आस.जो भी जीविका का साधन हो उस में सहायक बनने वाली आदतें डालनी चाहिए. वैश्या लज्जावान होगी तो कैसे जीविका कमाएगी. 
  281. जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए.जिन परिस्थितियों में व्यक्ति रहता है उन्हीं में संतोष करना सीखना चाहिए. पुराने लोग इसके पहले ‘सीताराम सीताराम सीताराम कहिए’ भी बोलते हैं.
  282. जीते जी पुजवायें औ मर कर भी पुजवायेंजीते जी भी खाएँ औरमरने पर भी खाएँ. (भोजपुरी कहावत) ब्राह्मणों के ऊपर व्यंग्य. जब मनुष्य जीवित होता है तब भी इनको पूजे और मरे तो भी इन को पूजे. जीवित हो तब भी इन को खिलाए और मरे तो भी इन को खिलाए.
  283. जिए बाप को कोई न पूछेमुए बाप पे छाती पीटे.जिन्दा माँ बाप की कद्र नहीं करते और मरने पर दिखावे के लिए छाती पीटते हैं.
  284. जितना अधिक धन उतनी अधिक चिंता.धन आने के साथ उसको संभालने की चिंता भी बढ़ती जाती है.
  285. जितना करम में लिखा उतना ही मिलेगा.जितना भाग्य में लिखा है उतना ही मिलेगा.
  286. जितना खाय, उतना ललचाय.मनुष्य को जितना प्राप्त होता है उतना ही उसका लालच बढ़ता जाता है.
  287. जितना गधा बनोगे उतने ही लादे जाओगे (अपने आप को गधा बना लोगे तो और लादे जाओगे).जो लोग सिधाई से और ईमानदारी से काम करते हैं उन्हीं पर और काम लादा जाता है.
  288. जितना गर्माएगाउतना ही बरसेगा (जितना तपेगाउतना बरसेगा).बरसात के मौसम में पानी बरसने से पहले गर्मी और उमस हो जाती है. जितनी अधिक गर्मी होती है उतनी ही अधिक वारिश होती है. इस कहावत का दूसरा अर्थ यह भी है कि आपसी वाद विवाद में जितनी अधिक गरमा गरमी होगी उतने ही परिणाम बुरे होंगे.
  289. जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा.जितना खर्च करोगे उतना ही अच्छा काम होगा. जैसी रिश्वत दोगे, वैसा ही काम होगा.
  290. जितना घी डालोगे उतना स्वाद होगा.किसी काम में जितना खर्च करोगे उतना ही बढ़िया काम होगा.
  291. जितना छानोउतना ही किरकिरा.जितनी मीन मेख निकालोगे, उतने ही दोष नज़र आएँगे.
  292. जितना छोटाउतना ही खोटा.छोटे कद वालों का मजाक उड़ाने के लिए.
  293. जितना जाने उतना बखाने.किसी भी विषय में व्यक्ति जितना जानता है उतनी ही बात कर सकता है.
  294. जितना भोग, उतना सोग. सोग – शोक, दुःख.भोग में जितना लिप्त होगे उतना ही दुःख उठाना पड़ेगा.
  295. जितना मुटाय, उतना मिमियाय.कहा तो बकरे के लिए गया है पर मनुष्य पर भी लागू होता है.
  296. जितना लंबा सांपउतनी ही गोह चौड़ी.जब दो धूर्त एक से बढ़ कर एक हों तो (गोह – बिस्खोपड़ी).
  297. जितना सयानाउतना दीवाना (वहमी).जो व्यक्ति जितना अनुभवी होता है वह उतना ही अधिक किसी बात के भले बुरे पहलू पर विचार करता है. अपने आप को बहुत बुद्धिमान समझने वाले नौसिखिये लोग उसे दीवाना और वहमी करार देते है. 2. जो जितना बड़ा मूर्ख होता वह अपने को उतना ही होशियार समझता है.
  298. जितना सरे, उतना करे.जितनी सामर्थ्य हो उतना ही काम करना चाहिए. सरे – कर मिले.
  299. जितनी आमदउतना लोभ (जितना लाभउतना लोभ).जितनी जितनी आय बढ़ती है उतना ही लालच बढ़ता जाता है.
  300. जितनी भेड़ नाहीं उतने गड़ेर.काम कम, करने वाले अधिक. गड़ेर – गड़रिया.
  301. जितने कालेमेरे बाप के साले.जितने भी चोर बदमाश हैं सब मेरे रिश्तेदार हैं.
  302. जितने की ताल नहीं उतने का मंजीरा फूट गया.जितना लाभ नहीं कमाया, उससे अधिक का सामान खराब हो गया.
  303. जितने ठाकुर मरें, उतने जुहार कम हों.जुहार – झुक कर सलाम कटना. पहले जमाने में लोगों को ठाकुर और जमीदारों को झुक कर सलाम करना पड़ता था. ऐसा कोई सताया हुआ व्यक्ति ठाकुरों के मरने की कामना कर रहा है, जिस से उसे जुहार कम करनी पड़ें.
  304. जितने नर उतनी बुद्धि.हर व्यक्ति की बुद्धि अलग अलग प्रकार की होती है. (मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना).
  305. जितने फेरे उतनी वसूली.हाकिम जितनी बार अपने क्षेत्र में जाएगा उतनी ही उगाही कर के लाएगा. 
  306. जितने बड़के गाजी मियाँउतना बड़की मोंछ.अधिक तड़क भड़क और दिखावा करने वालों पर व्यंग्य. 
  307. जितने भाईउतने घर.आज के जमाने में एक ही घर में कई भाइयों का रहना संभव नहीं है. हर एक भाई को अलग घर चाहिए.
  308. जितने मुहँ उतनी बातें.यदि किसी विषय में बहुत से लोगों की अलग अलग राय हों तो यह कहावत कही जाती है. 
  309. जिद पर आई दुगुना पीसे.कुछ लोग या तो काम करते नहीं हैं, और जिद पर आ जाएँ तो करते ही चले जाते हैं.
  310. जिधर जलता देखेंउधर तापें.जहाँ अपना स्वार्थ सिद्ध होता हो वहीँ पहुँच जाना.
  311. जिन की यहाँ जरूरतउन की वहाँ भी जरूरत (जिनकी यहाँ चाहउनकी वहाँ भी चाह).अच्छे लोगों की इस दुनिया में भी जरूरत है और उस दुनिया में भी, इसीलिए अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी हो जाती है. इंग्लिश में कहावत है – Heaven gives its favourites early death.
  312. जिन के दामन में दाग हों वे दूसरों पर कीचड़ न उछालें.जिनके अंदर खुद कमियां हैं उन्हें दूसरों को बुरा भला नहीं कहना चाहिए.
  313. जिन के पास न हो कौड़ीवो कौड़ी के तीन.जिन के पास पैसा न हो उन की कोई इज्ज़त नहीं है.
  314. जिन खोजा तिन पाइयाँगहरे पानी पैठ(मैं बपुरा बूड़न डरयो, रहा किनारे बैठ).जो परिश्रम करता है वही फल पाता है. 
  315. जिन घर साधु न पूजियेघर की सेवा नांहि, ते घर मरघट जानिएभूत बसे तिन मांहि. (कबीर) जिस घर में साधु की पूजा नहीं होती,  वह घर तो मरघट के समान है.
  316. जिन जाए उन्हहिं लजाए.जिन जाए – जिन्होंने पैदा किया. अपने मां बाप को लज्जित करने वाला.
  317. जिन मोलों आईउन्हीं मोलों गंवाई.कोई चीज़ मुफ्त में मिली थी और मुफ्त में ही हाथ से निकल गई.
  318. जिनके घर शीशे के बने हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते.शाब्दिक अर्थ है कि यदि आप कांच से बने घर में रह रहे हैं तो आप दूसरों पर पत्थर न फेंके क्योंकि यदि उसने पत्थर फेंक दिया तो आपका घर टूट जाएगा. तात्पर्य है कि जिनके अंदर खुद कमियां हैं उन्हें दूसरों को बुरा भला नहीं कहना चाहिए.
  319. जिनके पशु प्यासे बंधेतिरियां करें कलेश, उनकी रक्षा ना करेंब्रह्मा विष्णु महेश.जिन घरों में पालतू पशुओं की देखभाल न हो और स्त्रियाँ कलेश करती हों, उनकी ईश्वर भी रक्षा नहीं करते.
  320. जिनके बड़े बिछाई खाटउनका कुनबा बारह बाट.जिस खानदान में बड़े लोग खाट बिछा कर बैठ जाएं (अर्थात कुछ काम न करें) उसका सत्यानाश होना तय है.
  321. जिनके मर गए बादशाहरोते फिरें वजीर.जब राजा की मृत्यु हो जाती है तो उसके मंत्रियों की दशा बहुत दयनीय हो जाती है.
  322. जिनके मुच्छ नहीं उनके कुच्छ नहीं.जिन लोगों को बड़ी बड़ी मूंछें रखने का शौक होता है वे बिना मूंछ वालों को हिकारत की नजर से देखते हैं और यह कहावत बोलते हैं.
  323. जिनके लाड़ घनेरे, उनको दुःख बहुतेरे.जो बच्चे अधिक लाड़ प्यार में पलते हैं, वे अधिक दुखी रहते हैं. 
  324. जिनके होंगे पूतवो पूजेगें भूत.कोई व्यक्ति कितना भी वैज्ञानिक सोच वाला और नास्तिक क्यों न हो जब अपना बच्चा बीमार हो तो वह भूत प्रेतों और ग्रह नक्षत्रों को मानने लगता है.
  325. जिनको चाव घनेराउनको दुख बहुतेरा.जितनी अधिक अपेक्षाएं उतना अधिक दुःख.
  326. जिन्ने न पी गांजे की कली, उस लड़के से लड़की भली.(बुन्देलखंडी कहावत) नशा करने वाले मूर्ख लोग अपने को बड़ा मर्द समझते हैं, उनके अनुसार नशा न करने वाले लोग नामर्द होते हैं.
  327. जिन्ह सन करत सनेहुतिन्ह की सब सहि लेहु.(बुन्देलखंडी कहावत) जिन से प्रेम हो उनकी अच्छी बुरी सब बात सहन कर ली जाती है.
  328. जिन्हें जल्दी थी वो चले गये.सड़क पर चलने में जो बहुत जल्दबाज़ी करते हैं वे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. (ट्रकों पर लिखी जाने वाली कहावत).
  329. जिन्हें मुस्कुराना नहीं आताउन्हें व्यापार नहीं करना चाहिए.व्यापार चलाने के लिए व्यक्ति को हंसमुख होना आवश्यक है.
  330. जिब्बो चलेगीचन्दो पिटेगी.(जिब्बो – जिव्हा, जीभ. चन्दो – चांद, खोपड़ी). जीभ जितना अधिक अंट शंट बोलेगी खोपड़ी उतना ही पिटेगी.
  331. जिभ्या रोगों की जड़ है.जीभ के स्वाद के लिए मनुष्य आलतू फ़ालतू चीजें खाता है और बीमार पड़ता है, इसलिए जीभ ही रोगों की जड़ है.
  332. जिम्मेदारी ले उतनीसंभल सके जितनी.जितनी जिम्मेदारी संभाल पाओ उतनी ही लेनी चाहिए.
  333. जिय बिनु देह नदी बिन वारीतैसेहि नाथ पुरुस बिनु नारी.जैसे आत्मा के बिना शरीर और पानी के बिना नदी अर्थहीन है वैसे ही पति के बिना स्त्री है.
  334. जियत पिता की करी न सेवाबाद मरन के लड्डू मेवा.जब माता पिता जीवित थे तब उनकी सेवा नहीं की और उनके मरने के बाद उन्हें प्रसन्न करने का ढोंग कर रहे हैं. 
  335. जियत पिता की पूछी न बातमरे पिता को दूध और भात.जो लोग जीवित माता पिता को नहीं पूछते और उनके मरने पर श्राद्ध करने का ढोंग करते हैं उन पर व्यंग्य.
  336. जियत पिता से जंगम जंगाबाद मरन के हर हर गंगा.जीवित माता पिता से झगड़ा करते रहे और उनके मरने के बाद उन्हें गंगा ले जा कर उनके भक्त होने का नाटक कर रहे हैं.
  337. जियेगा नर तो फिर बसाएगा घर.कितनी भी बड़ी आपदा आए, यदि मनुष्य जीवित रहेगा तो फिर से घर बसाएगा. 
  338. जियो और जीने दो.जिस प्रकार आप स्वयं एक अच्छा जीवन जीना चाहते हैं उसी प्रकार औरों को भी जीने दें. इंग्लिश में कहावत है – Live and let live.
  339. जिस आंगुली चोट लगे, दर्द उसी में होय.बात बड़ी स्पष्ट है,अपना अपना दर्द सबको स्वयं ही झेलना पड़ता है, कोई उसको बंटा नहीं सकता.
  340. जिस का अगुआ अंधाउसका लश्कर कुआं में.लश्कर माने सेना. सेना अपने नायक के पीछे आँख बंद कर के चलती है. यदि नायक अंधा होगा तो कुँए में गिरेगा और पीछे पीछे सेना भी कुँए में गिरेगी. अर्थ है कि यदि नेता मूर्ख हो तो जनता को ले डूबता है और गुरु मूर्ख हो तो शिष्यों को ले डूबता है.
  341. जिस का आँडू बिकेवह बधिया क्यों करे.गाय का बछड़ा बड़ा हो कर सांड बनता है जोकि स्वेच्छाचारी होता है और खेती के काम नहीं आ सकता (इसलिए बिकता भी नहीं है). इसलिए बचपन में ही उस के अंडकोष नष्ट कर दिए जाते हैं जिससे वह बधिया हो जाता है और बैल बन कर खेती के काम आता है. आँडू का अर्थ है सांड (जिसके अंडकोष सलामत हैं) और बधिया का अर्थ है बैल. किसी का घटिया उत्पाद बिक रहा हो तो वह उस को बढ़िया बनाने की कोशिश क्यों करेगा.
  342. जिस का काम उसी को साजेऔर करे तो डंडा बाजे.जो काम जिसके करने का वही करे तो ठीक रहता है, और कोई करे तो उस को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. एक धोबी ने अपने कुत्ते से नाराज हो कर उसे खूब मारा और खाने को भी नहीं दिया, लिहाजा कुता नाराज हो कर एक कोने में पड़ गया. उस रात धोबी के घर चोर आए. कुत्ता नाराजी के कारण नहीं भौंका. गधे ने सोचा चलो मैं ही धोबी को जगा दूँ, तो वह जोर जोर से रेंकने लगा. धोबी गुस्से में उठा और नींद में खलल डालने की एवज में गधे की डंडे से ठुकाई कर दी. 
  343. जिस का खाओउसका गाओ.जिससे आपको लाभ होता हो उसी की प्रशंसा करनी चाहिए.
  344. जिस का जाएवही चोर कहलाए.हिन्दुस्तान में कुछ भी हो सकता है. यहाँ यह भी हो सकता है कि जिसके घर में चोरी हो उसी को पुलिस चोर ठहरा दे.
  345. जिस का जूता उसी का सर (मियां की जूती मियां के सर)मेरी ही चीज़ से कोई मुझे ही नुकसान पहुंचाए तो.
  346. जिस का पल्ला भारीउसी के साथ यारी.विशद्ध स्वार्थ. जो जीत रहा हो उसी के साथ दोस्ती करना.
  347. जिस का बनिया यारउसे दुश्मन की क्या दरकार.बनियों के बारे में कहा गया है कि वे अपने दोस्तों तक की जेब काट लेते हैं. इसी बात पर किसी ने कहा है कि जिस का बनिया दोस्त हो उसे दुश्मनों की क्या जरूरत.
  348. जिस का ब्याह उसी के गीत.समय देख कर ही काम करना चाहिए. जिस का समय अच्छा हो उसी की प्रशंसा करो.
  349. जिस की आँख में तिलवह बड़ा बेदिल.जिसकी आँख में तिल होता है वह निष्ठुर होता है. 
  350. जिस की खाओ बाजरी, उसकी भरो हाजरी.जिसका अन्न खाओ उसी का काम करो.
  351. जिस की खातिर नाक कटाई, वो ही कहे नकटा.जिस को लाभ पहुंचाने के लिए कोई गलत काम किया, वही आप को गलत ठहरा रहा हो तो यह कहावत कही जाती है.  
  352. जिस की गोद में बैठे उसी की दाढ़ी नोचे.आश्रय देने वाले को नुकसान पहुँचाने वाला.
  353. जिस की जीभ चलती है उसके नौ हल चलते हैं.जो जबान का धनी है वह अपने सब काम करा लेता है.
  354. जिस की जोरू अंदरउसका नसीबा सिकन्दर.राजशाही और नवाबशाही के जमाने में जिस औरत को अंग्रेजों के घर में नौकरी मिल जाए उस के परिवार को बहुत सी सुविधाएं मिल जाती थीं.
  355. जिस की तेग उसकी देग.जिसके पास ताकत होगी वही खाद्य सामग्री और अन्य संसाधनों पर कब्ज़ा कर लेगा. तेग – तलवार (युद्ध करने की क्षमता), देग – बड़ी हंडिया (भोजन का प्रबंध).
  356. जिस की देगउसकी तेग.देग माने भोजन पकाने का बड़ा बर्तन. जिसके पास फ़ौज को खिलाने का इंतज़ाम होगा वही युद्ध जीतेगा.
  357. जिस की फ़िक्रउसका ज़िक्र.हम जिस के विषय में हर समय सोचते हैं उसी की बात करते हैं.
  358. जिस की बंदरी वही नचावेऔर नचावे तो काटन धावे.जो जिस का काम है वही उस को काम को करे तो काम ठीक से होता है, दूसरा उसे करने की कोशिश करे तो काम बिगड़ जाता है.
  359. जिस की बीवी से पहचानउसकी लौंडी से क्या काम.जहाँ बड़े हाकिम से जान पहचान हो वहाँ चपरासी को क्यों पूछें. (लौंडी – दासी).
  360. जिस की महल में मैयामांगे पैसा मिले रुपैय्या.महल में नौकरी करने वालों की बड़ी ऐश होती है. महल में नौकरी करने वाली किसी महिला का बच्चा खर्चे के लिए पैसा माँग रहा है तो माँ उसे रुपया दे रही है. आजकल भी सरकारी नौकरी करने वालों का काफ़ी कुछ यही हाल है.
  361. जिस की लाठी उसकी भैंस.यहाँ लाठी का अर्थ ताकत से और भैंस का अर्थ चल अचल संपत्ति से है. जिसके पास ताकत होती है वह संपत्ति पर कब्ज़ा कर लेता है.  जाका कोड़ा ताका घोड़ा. इंग्लिश में कहावत है – Might is right.
  362. जिस की सीरत अच्छीउसकी सूरत भी अच्छी.जो आदत का अच्छा होता है वह अपने सौम्य स्वभाव के कारण देखने में भी अच्छा लगने लगता है.
  363. जिस के कारन जोगन भईवह सैंया परदेस.जिसके कारण घर बार छोड़ा वही छोड़ कर चला गया.
  364. जिस के घर में बेरी का पेड़ हैउसके घर में ढेले आयेंगे ही.यदि आपके पास कोई नायाब चीज़ है और आप ठीक से उसकी रक्षा नहीं कर सकते तो लोग उस पर कुदृष्टि तो रखेंगे ही.
  365. जिस के पास न पैसावह भलामानस कैसा.जिसके पास धन होता है उसको लोग भलामानस समझते हैं, निर्धन को लोग भलामानस नहीं समझते.
  366. जिस के पास पूत नहींवह क्या जाने माया.जिनके संतान नहीं होती वे पैसे के महत्व को नहीं समझते (पैसे को महत्वपूर्ण नहीं मानते).
  367. जिस के राम धनीउसे कौन कमी.जो भगवान के भरोसे रहता है, उसे किसी चीज की कमी नहीं होती.
  368. जिस के लिए चोरी की वही कहे चोर.कभी कभी मजबूरी में अपने किसी बहुत प्रिय व्यक्ति की खातिर आपको गलत काम करना पड़ता है. जिसके लिए ऐसा काम किया वही आपको चोर कहने लगे तो यह कहावत कही जाएगी.
  369. जिस के वास्ते रोएउसकी आँखों में आंसू नहीं.जिस से हमदर्दी जताने के लिए आप रो रहे हैं वह अपने दुःख से इतना दुखी नहीं है.
  370. जिस के सर पर ताजउसके सर में खाज.किसी भी परिवार या संगठन में जो मुखिया होता है उसी को सारे झंझट झेलने पड़ते हैं.
  371. जिस के हाथ डोई उसका सब कोई.डोई – करछी.यहाँ डोई का तात्पर्य खाने पीने की सुविधा से है. अर्थ है कि सब लोग धनवान का साथ देते हैं और उसी की खुशामद करते हैं.
  372. जिस के होय न पैसा पासउस को मेला लगे उदास.मेले में मस्ती करनी हो तो खर्च करने के लिए पैसा चाहिए. जिसके पास पैसा न हो उसे मेला उदास लगता है.
  373. जिस को आदत है मेहनत कीउसको कमी नहीं है दौलत की.जो मेहनत करते हैं वे इतना पैसा तो कमा ही लेते हैं कि उनको अभावों में न रहना पड़े.
  374. जिस को न दे मौलाउसको दे आसफुद्दौला.आसफुद्दौला लखनऊ के एक प्रसिद्द नवाब हुए हैं जो बड़े दानी माने जाते थे. उन्ही के लिए यह कहावत प्रसिद्द थी.
  375. जिस को पिया चाहे वही सुहागन.केवल विवाह कर लेने मात्र से कोई स्त्री सुहागिन नहीं हो जाती. सही मानों में सुहागिन वही है जिसका पति उसे प्रेम करता हो. 2. जिस मातहत पर हाकिम की कृपादृष्टि हो जाए उसी की मौज है.
  376. जिस गाँव जाना नहींउसके कोस क्या गिनने.जो काम करना ही नहीं उसका हिसाब लगाने में समय क्यों खपाया जाए.
  377. जिस घर जाईउसी घर ब्याई.मुसलमानों में बहुत निकट सम्बन्धियों में विवाह सम्बन्ध हो जाते हैं उस पर व्यंग्य. जाई – पैदा हुई, ब्याई – विवाह हो कर गई.
  378. जिस घर दूहे काली, उस घर नित दीवाली.जिस घर में काली गाय दूध दे रही हो वहाँ नित्य ही उत्सव का माहौल रहता है. वैसे काली तो भैंस भी होती है, लेकिन कहावतों में आमतौर पर भैंस को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती.
  379. जिस घर नारी फूहड़वह घर जानो कूहड़.जिस घर में गृहणी फूहड़ होती है वह कूड़े के ढेर के समान हो जाता है.
  380. जिस घर बड़े न बूझिएदीपक जले न सांझवह घर ऊजड़ जानिएजाकी तिरिया बाँझ.जिस घर में बड़े लोगों से सलाह नहीं ली जाती, शाम से दीपक नहीं जलाया जाता और स्त्री बाँझ है उस घर का उजड़ना निश्चित है.
  381. जिस घर बड्डा ना मानियेढोरी पड़ै ना घाससास-बहू की हो लड़ाई उज्जड़ हो-ज्या बास. (हरयाणवी कहावत) जिस घर में बड़ों की बात नहीं मानी जाती, जानवरों को समय पर दाना पानी नहीं डाला जाता और सास बहू में लड़ाई होती है, वह घर उजड़ जाता है.
  382. जिस घर में खाना, उसी में आग लगाना.निकृष्ट और कृतघ्न लोगों के लिए. जैसे देश में रहने वाले कुछ लोग यहाँ का खाते हैं और देश की अर्थ व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते रहते हैं.
  383. जिस घर में नहिं बूढा, वो घर जानो बूड़ा.बूढ़ा – वृद्ध, बुजुर्ग, बूड़ा – डूबा. जिस घर में बुजुर्ग लोग न हों वह ड़ूब जाता है.
  384. जिस घर में संपत नहींतासे भला विदेस.घर में बहुत अधिक गरीबी हो तो परदेस जा कर जीविका तलाशना अधिक अच्छा है.
  385. जिस घर सौंफ महकनी उस घर जीरा कौन लिवालजिस घर सास मटकनीउस घर बहू को कौन हवाल.बेटे की शादी हो जाए और बहू घर में आ जाए उस के बाद भी कुछ औरतें बहुत चटक मटक से रहती हैं, उन्हीं के ऊपर व्यंग्य. लिवाल – लेने वाला.
  386. जिस घर होए कुचलिया नारीसांझ भोर हो उसकी ख्वारी.जिस घर में स्त्री बदचलन हो वहाँ सुबह शाम सब बर्बाद हैं.
  387. जिस घर होवे पुरुष कुचलियाउस घर होवे खीर का दलिया.जिस घर में पुरुष दुश्चरित्र हो वहाँ पूरी अर्थ व्यवस्था बिगड़ जाती है.
  388. जिस तन लागे वह तन जाने.जिस को कष्ट उठाना पड़ता है वही जान सकता है.
  389. जिस थाली में खाए उसी में हगे.अत्यंत नीच और कृतघ्न व्यक्ति.
  390. जिस थाली में खाये उसी में छेद करे.जिस के बूते खाना पानी मिल रहा हो उसी को नुकसान पहुँचाना.
  391. जिस ने पढ़ा गीताउसने घर में दिया पलीता.वैसे यह बात गीता के मुकाबले महाभारत के साथ अधिक सही बैठती है. जो महाभारत पढ़ता है वह घर में भी वैसे ही लड़ाई झगड़े करता है. इसीलिए पुराने लोग लोगों को महाभारत नहीं बल्कि रामायण पढने की सलाह देते हैं. गीता पढ़ने से भी लोगों के मन में वैराग्य का भाव आ सकता है जो कि गृहस्थ के लिए अच्छा नहीं माना जाता है.
  392. जिस ने वैश्या को चाहा वह भी तबाह और जिसे वैश्या ने चाहा वह भी तबाह.वेश्याओं के चक्कर में पड़ने से हर तरह से बर्बादी ही बर्बादी है.
  393. जिस राह ही नहीं चलना उसके कोस गिनने से क्या काम.जो काम करना ही नहीं है उसके नुकसान फायदे क्या गिनना.
  394. जिस वन सुआ न कोयलवहाँ कौए खाएं कपूर.जिस वन में तोते और कोयल न हों वहाँ कौओं को कपूर खाने को मिलता है. जहाँ योग्य व्यक्तियों का अभाव हो वहाँ अयोग्य व्यक्तियों की मौज हो जाती है.
  395. जिस से चोरी का डर हो उसी से कहो रखवाली करे.बहुत ही व्यवहारिक सुझाव है. 
  396. जिस हंडिया में हमारा हिस्सा नहींवह भले ही चूल्हे पर चढ़ते ही टूटे. जिस आयोजन से हमें कोई लाभ नहीं होने वाला वह पूरा हो या उसका बंटाढार हो जाए, हमें क्या.
  397. जिस का खा कर आओगे उसे खिलाना भी पड़ेगा.किसी के यहाँ विवाह आदि आयोजन में दावत खाओगे उसे फिर अपने यहाँ भी आमंत्रित करना पड़ेगा. किसी का एहसान लोगे तो उसको चुकाना भी पड़ेगा.
  398. जिस का खावै टीकड़ाउसका गावै गीतड़ा.(हरयाणवी कहावत) जिसकी रोटी खाओ, उसके गीत गाओ.
  399. जिस का गुइंया नहीं उसका कूकुर गुइयां.जिसका कोई दोस्त नहीं उसका कुत्ता ही दोस्त होता है. गुइंया – दोस्त.
  400. जिस का चाम, उसी की सीवन.चमड़े को सिलने के लिए चमड़े की ही डोरी बनाई जाती थी. अर्थ है कि जिस प्रकार के लोगों से काम लेना हो उसी प्रकार का कर्मचारी रखना चाहिए.
  401. जिस का नहीं साला, उसके घर में ताला.कुछ कहावतें केवल आपसी हंसी मजाक के लिए बनाई गई हैं. 
  402. जिस का पल्ला भारीउसी के साथ यारी.अवसर वादिता. 
  403. जिस का बाप बिजली से मरेवो कड़क देख के डरे.अर्थ स्पष्ट है. इसी प्रकार की एक और कहावत है – सांप का काटा रस्सी से भी डरता है.
  404. जिस का मरा सो रोवे, गंगादास सुख से सोवे.जो लोग कोई सामाजिक सरोकार नहीं रखते उन पर व्यंग्य. समाज का नियम तो यह है कि चाहे ख़ुशी में किसी के घर न जाओ, पर दुःख में अवश्य जाओ.
  405. जिस की गाड़ी रेत में उसी का बुद्धू नाम.जिस की गाड़ी रेत में फंस जाए उसी को लोग बुद्धू समझते हैं. जिस का काम बिगड़ जाए उसे ही सब मूर्ख कहते हैं.
  406. जिस की गूजर खीर खाए, उसी की भैंस चुरा ले जाए.कहावत मेंगूजर को कृतघ्न बताया गया है. 
  407. जिस के एक खसम न हो उसके सौ खसम हो जाते हैं.जिस स्त्री का पति न रहे सभी लोग उस पर अपनी हुकूमत चलाते हैं या उस का शोषण करना चाहते हैं.
  408. जिस को चलना हो बाटउसे कैसे सुहावै खाट.(हरयाणवी कहावत) जिसको दूर जाना है वह खाट पर बैठ कर आराम कैसे कर सकता है.
  409. जिस को लगे उसी को दुखे.जिसको चोट लगती है वही उस के कष्ट को जान सकता है. वह चोट चाहे शरीर पर लगी हो या मन पर.
  410. जिस ने दिया तन को देगा वही कफन को.जिसने शरीर के निर्वाह के लिए साधन दिए हैं वही कफन का इंतजाम भी करेगा. आलसी लोगों का कथन.
  411. जिस ने देखी ना दिल्‍ली, वो कुत्‍ता न बिल्‍ली.जिसने दिल्ली नहीं देखी वह कुत्ते बिल्ली से भी गया बीता है.
  412. जिसे आकाश में खोजा वह धरती पर मिला.कोई व्यक्ति बहुत ढूँढने के बाद मिले तो.
  413. जिसे खाने को मिले यूँवह कमाने जाए क्यूँ.जिसे घर बैठे खाने को मिले वह पैसा कमाने के लिए मेहनत क्यों करेगा.
  414. जिसे मरने का डर नहींउसे मारने वाला कोई नहीं.युद्ध में जो व्यक्ति जीवन का मोह छोड़ कर लड़ता है उसे हराना बहुत मुश्किल है.
  415. जिस्म तोड़े तो घर बने.घर बनाने के लिए अत्यधिक श्रम करना पड़ता है.
  416. जी कहीं लगता नहींजब जी कहीं लग जाए है.किसी से प्रेम हो जाए तो कहीं मन नहीं लगता. यह प्रेम स्त्री पुरुष का भी हो सकता है और आत्मा परमात्मा का भी.
  417. जी कहो जी कहलाओ (जी न कहो तो जी न सुनोगे).यदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग भी तुम्हारा आदर करेंगे.
  418. जी का बैरी जी. मनुष्य स्वयं अपना सबसे बड़ा शत्रु है. 2. जीव ही जीव का शत्रु है. इंग्लिश में कहावत है – Man is his own worst enemy.
  419. जी के बदले जी.जान के बदले जान लेने की इच्छा. बदला लेने की उत्कट भावना.
  420. जी चाहे बैराग को, कुनबा छोड़े नाहिं. कोई व्यक्ति वास्तव में वैराग्य लेना चाहता है लेकिन कुटुम्ब के लोग उसे छोड़ नहीं रहे हैं. 2. कोई व्यक्ति वैराग्य लेने का ढोंग रच रहा है और कह रहा है कि मैं तो वैराग्य लेना चाहता हूँ पर क्या करूँ परिवार के लोग जाने नहीं दे रहे हैं.
  421. जी जाएघी न जाए.चाहे जान चली जाए पर घी खर्च न हो. महा कंजूस व्यक्ति का मजाक उड़ाने के लिए. के लिए.
  422. जी बहुत चलता है मगर टट्टू नहीं चलता.बुढ़ापे में इन्द्रियाँ कमज़ोर हो जाने पर.
  423. जी ही से जहान है.यदि जीवन है तो सब कुछ है. इसलिए सब तरह से प्राण-रक्षा की चेष्टा करनी चाहिए.
  424. जी हुजूरी को कभी जोखिम नहीं.चमचागिरी करने में नफा ही नफा है, जोखिम कोई नहीं.
  425. जीजा के माल पे साली मतवाली.अपने रिश्तेदारों के बल पर घमंड करना.
  426. जीजा हमारे इत्ते शर्मीले, इक परसो दो छोड़त हैं.(बुन्देलखंडी कहावत) खाने पीने में ज्यादा तकल्लुफ करने वाले लोगों पर हास्य पूर्ण व्यंग्य.
  427. जीता सो भी हाराऔर हारा सो मुआ.मुकदमा जीतने वाला इंसान भी बहुत परेशानी उठाता है (अत्यधिक मानसिक तनाव और खर्च के कारण) और अगर हार गया तब तो बिलकुल ही मरा.
  428. जीती मक्खी कोई न निगले.कोई अपमानजनक या घृणित चीज़ अनजाने में तो आप सह सकते हैं पर जानते बूझते कोई नहीं सह सकता.
  429. जीते आसामुए निरासा.जीवन के साथ आशा की डोर बंधी है जो मरते ही समाप्त हो जाती है. इस का अर्थ यह भी हो सकता है कि आशावादी व्यक्ति की जीत होती है और निराशावादी मरे हुए के समान है.
  430. जीते चाव चावमुए दाब दाब.जीवित व्यक्ति से सब प्रेम रखते हैं पर उसके मरते ही दफनाने की जल्दी होने लगती है.
  431. जीते तो हाथ कालाहारे तो मुँह काला.जुआरियों के लिए. जीतेंगे तो धन उड़ा देंगे, हारेंगे तो बेइज्ज़त होंगे.
  432. जीते थे तो लीखों भरेमर गए तो मोतियों जड़े.लीख कहते हैं जूँ के अंडे को. जीते जी तो माँ बाप की इतनी बेकदरी कि उन के सर में जूएँ पड़ गईं और उन के मरने के बाद उनकी मोतियों जड़ी तस्वीरें लगाई जा रही हैं.
  433. जीना कठिन है पर मरना और भी ज्यादा कठिन.अर्थ स्पष्ट है.
  434. जीने के लिए खाओखाने के लिए मत जिओ.कुछ लोग हर समय खाने के विषय में ही सोचते हैं जैसे कि वे केवल खाने के लिए जिन्दा हैं. उनके लिए यह शिक्षा है कि उतना ही खाना चाहिए जितना स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक है. 
  435. जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा है.कम बोलने (कम खाने) और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है.
  436. जीभ भी जली और स्वाद भी न पाया.जब कोई काम करने में आनंद भी नहीं मिला और नुकसान अलग हुआ.
  437. जीभ में ही अमृत बसे और जीभ में ही जहर.मीठी बोली द्वारा किसी मृतप्राय व्यक्ति को जिलाया जा सकता है, और कड़वी बोली द्वारा किसी को मृत्यु जैसी प्रताड़ना दी जा सकती है.
  438. जीमना और झगड़ना पराए घर ही अच्छे लगते हैं.जो मजा दूसरे के घर पर जीमने (खाने) में है वह अपने घर पर खाने में नहीं है. इसी तरह झगड़ा करने का मजा भी दूसरे के घर पर ही आता है.
  439. जीमना न जूठनान कंघी न खाटसाँपों के ब्याह में बस जीभों की लपलपाट.दुष्टों के जमावड़े में कोई एक दूसरे की आवभगत नहीं करता, सब एक दूसरे को निगल जाने की फ़िराक में रहते हैं.
  440. जीमा जूठा एक नाम, मारा पीटा एक नाम.किसी के घर केवल मुँह जूठा किया या जम कर खाया, खाने का नाम तो हो ही गया. ऐसे ही किसी को एक थप्पड़ मारा या जम के ठुकाई की, मारने का नाम तो हो ही गया.
  441. जीयेगा तो खेलेगा फाग.जीवन का आनंद लेने के लिए जीवित रहना जरूरी है.
  442. जीवे मेरा भाईगली गली भौजाई.ननद की भाभी से लड़ाई हुई तो वह कहती है कि मेरा भाई जीता रहे, तेरे जैसी भाभियाँ तो गली गली में मिल जाएंगी.
  443. जुआरी का खर्चा बादशाह भी पूरा नहीं कर सकताजुआरी के पास कितना भी पैसा हो, वह सब जुए में हार सकता है.
  444. जुआरी को अपना ही दांव सूझता है.स्वार्थी आदमी अपना स्वार्थ ही देखता है.
  445. जुआरी हमेशा मुफ़लिस.जुआरी अगर जुए में जीत जाए तो पैसे को खुर्द बुर्द कर देता है, और हार जाए तो कंगाल हो ही जाता है.
  446. जुए में हारा और मेहरारू का मारा भेद न खोले.जुए में हारा हुआ व्यक्ति और पत्नी से मार खाया हुआ व्यक्ति किसी को अपना भेद बताता नहीं है.
  447. जुए से बैल भी हारा है.इसका कहावती अर्थ तो यह है कि जुआ सभी के लिए बुरा है चाहे आदमी हो या जानवर. उसको अलंकारिक रूप में इस तरह कहा गया है क्योंकि कि जुए का एक अर्थ वह लकड़ी भी है जिसके द्वारा बैल हल से बांधे जाते हैं.
  448. जुओं के मारे सर कौन कटाए.छोटी परेशानी से बचने के लिए बहुत बड़ा नुकसान कौन करता है.
  449. जुगनू बोले सूर्य सों हम बिन जग अंधियार.किसी महत्वहीन व्यक्ति द्वारा अपने को बहुत महत्वपूर्ण बता कर अहंकार करना.
  450. जुगल जोड़ी सलामत रहे.पति पत्नी को एक साथ दिया जाने वाला आशीवाद.
  451. जुड़ती नहीं धुर की टूटीधरी रहें सब दारु बूटी.धुर की टूटी का अर्थ है जिस गाड़ी की धुरी टूटी गई हो. यहाँ इशारा किसी ऐसी बीमारी से है जो शरीर को बिलकुल तोड़ दे. ऐसी बीमारी का इलाज नहीं हो पता, सब दवा दारु रखी रह जाती हैं.
  452. जुत जुत मरें बैलवा बैठे खाएं तुरंग.बैल बिचारे हल जोत जोत कर जान देते हैं और घोड़े बैठे बैठे खाते हैं. मेहनतकश लोग मेहनत करते हैं और धनी लोग व हाकिम लोग उसका लाभ उठाते हैं.
  453. जुबान बिना हड्डी कीफिरने में क्या देर लगे.जो लोग अपनी बात पर कायम नहीं रहते उन के ऊपर व्यंग्य.
  454. जुबान में ही रसजुबान में ही विष.जुबान से ही मीठी बोली बोली जाती है और जुबान से ही कड़वी बोली.
  455. जुमा छोड़ सनीचर नहाए, उसका सनीचर कभी न जाए.लोक विश्वास है कि जो व्यक्ति शुक्रवार को न नहा कर शनिवार को नहाता है उसके सर से शनिश्चर नहीं हटता.
  456. जूँ बिना खाज नहींकुल बिना लाज नहीं.दोनों बातों का आपस में सम्बंध नहीं है, केवल तुकबंदी करने के लिए साथ कही गई हैं. सर में खुजली जूँ के कारण से होती है और लज्जा कुलीन लोगों में ही पाई जाती है. 
  457. जूं के कारण गुदड़ी नहीं फेंकी जाती.किसी छोटी सी कमी के कारण उपयोगी वस्तु या व्यक्ति का तिरस्कार नहीं करना चाहिए.
  458. जूठा खाए मीठे को. (जूठा खाए मीठे के लालच).मीठा खाने के लालच में मनुष्य झूठा भी खा लेता है. मनुष्य नीच काम तभी करता है जब लाभ अधिक हो.
  459. जूठे हाथ से कुत्ता भी नहीं मारते. किसी छोटे से छोटे व्यक्ति को भी अपमानित नहीं करना चाहिए. 2. अत्यधिक कंजूस व्यक्ति के लिए.
  460. जूती तंग और रिश्तेदार नंगसारी जगहां चुभें.(हरयाणवी कहावत) तंग जूता और बेशर्म रिश्तेदार बहुत कष्ट देते हैं.
  461. जूती तो हमेशा पाँव के नीचे ही रहेगी.जो लोग स्त्री को पाँव की जूती समझते हैं (पुरुष से बहुत नीचा समझते हैं) और दबा कर रखना चाहते हैं वे इस प्रकार से बोलते हैं. 
  462. जूते का घावमियाँ जाने या पाँव.जूते से होने वाले घाव की पीड़ा वही जान सकता है जिस पर बीतती है.
  463. जूते का मारा ऊपर को और टुकड़े का मारा नीचे को देखता है.जिस को जूता मारोगे वह आक्रोश दिखाएगा, जिस को टुकड़ा पकड़ा दोगे वह निगाह झुका लेगा.
  464. जूते दान करने के लिए गाय की हत्या.अपने किसी छोटे से स्वार्थ के लिए किसी का बहुत बड़ा नुकसान करना.
  465. जे खाय गाय के गोश्तते कैसे हिन्दू के दोस्त.जो गाय का मांस खाते हैं वे हिन्दुओं के दोस्त कैसे हो सकते हैं (दोस्ती में दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है).
  466. जे गरीब पर हित करैंते रहीम बड़ लोगकहाँ सुदामा बापुरोकृष्‍ण मिताई जोग.व्यवहार में इसका पूर्वार्ध ही बोला जाता है. वास्तव में वही लोग बड़े कहलाने योग्य हैं जो निर्धन का हित करते हैं. (श्री कृष्ण का उदाहरण दिया गया है जिन्होंने राजा होते हुए भी अत्यंत निर्धन सुदामा से मित्रता निभाई).
  467. जे न मित्र दुःख होहिं दुखारीतिन्हहिं विलोकति पातक भारी.जो मित्र के दुःख में दुखी नहीं होते उन्हें देखने मात्र से ही भारी पाप लगता है.
  468. जिसका धन जाता है उसका धर्म भी चला जाता है.इसका एक अर्थ यह है कि गरीब को लोग धर्मात्मा नहीं मानते, झूठा लुच्चा ही मानते है. दूसरा अर्थ है कि धन जाने पर आदमी उसे वापस पाने के लिए अनैतिक कार्य भी करता है.   
  469. जिस की छाती बार नाहीं, उस का एतबार नाहीं.यह भी एक पुरानी मान्यता है.
  470. जिस का खसम पूछा न करेउसकी मांग में भर भर सिन्दूर. (भोजपुरी कहावत) जिस स्त्री का पति उसको नहीं पूछता वह औरों को दिखाने के लिए अपनी मांग में अधिक सिदूर भरती है.
  471. जिस की बहिन अंदर उस का भाई सिकंदर.(भोजपुरी कहावत) जिस भाई की बहन किसी बड़े नेता या अधिकारी के घर ब्याही हो वह बेखौफ उस घर में आता जाता है.
  472. जिसकी जोरू अंदरउसका नसीबा सिकंदर.जिस की पत्नी किसी बड़े आदमी के घर में काम करती हो उस का भाग्य चमक जाता है.
  473. जेठ के भरोसे पेट.जब कोई मनुष्य बहुत निर्धन होता है (या उस की मृत्यु हो जाए) और उसके परिवार का पालन उसका बड़ा भाई (स्त्री का जेठ) करता है तब कहते हैं2. कोई व्यक्ति अपने किसी रिश्तेदार की शह पर अनैतिक काम कर रहा हो तो व्यंग्य में बोलते हैं.
  474. जेठ के सो पेट के.जेठ के पुत्र भी अपने बेटों जैसे हैं.
  475. जेठ चले पुरवाईसावन सूखा जाई.अगर जेठ के महीने में पुरबाई चले तो सावन में वारिश नहीं होती.
  476. जेठा बेटा भाई बराबर.बड़े बेटे को भाई की तरह महत्व देना चाहिए. जेठा – ज्येष्ठ, बड़ा.
  477. जेठे लड़का लड़की की शादी जेठ में न करो.पुरानी मान्यता है कि बड़े लड़के या लड़की की शादी जेठ के महीने में नहीं करना चाहिए.
  478. जितने के बबुआ नाहीं, उतने के झुनझुना.(भोजपुरी कहावत) मूल वस्तु की कीमत कम, रख रखाव का खर्च अधिक. 
  479. जेते जग में मनुज हैं तेते अहैं विचार.संसार में सभी मनुष्यों की प्रकृति, प्रवृत्ति तथा अभिरुचि भिन्न-भिन्न हुआ करती है.
  480. जेते मुख तेती वार्ता. (जितने मुंह उतनी बात).सभी लोगों का सोचने का ढंग अलग अलग होता है.
  481. जेब जितनी भारी, दिल उतना हल्का.पैसा आने के साथ आदमी और अधिक स्वार्थी और कंजूस होता जाता है.
  482. जेर से ही सेर होवे.आज का निरा बालक कल बलवान बन सकता है. इसलिए बच्चों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए.
  483. जेहि घट प्रेम न सँचरै, सो घट जानि मसान (जैसे खाल लोहार की, साँस लेत बिनु प्रान).जिस व्यक्ति के मन में प्रेम नहीं है वह श्मशान के समान है. वह उसी प्रकार है जैसे लुहार की चमड़े की धौंकनी बिना प्राण के सांस लेती है.
  484. जेहि घर साला सारथीअरु तिरिया की हो सीखसावन में बिन हल रहेतीनहु मांगें भीख.जो घर साले की सलाह से चलता हो, जिस घर में केवल पत्नी की चलती हो एवं जो किसान सावन में बिना हल के रहे इन तीनों की बर्बादी निश्चित है. इस से मिलती एक बुन्देलखंडी कहावत है – बैरी को मत मानबो, अरु तिरिया की सीख, क्वार करे हल जोतनी, तीनहुं मांगें भीख. 
  485. जै घर में सुरती नहीं, नहीं पान सैं हेत, ते घर ऐसे जाएंगे, ज्यों मूली को खेत.(बुन्देलखंडी कहावत) सुरती – एक विशेष प्रकार की तम्बाखू. तम्बाखू प्रेमी कहते हैं कि जिस घर में पान तम्बाखू से प्रेम नहीं होता वह मूली के खेत की तरह नष्ट हो जाता है.
  486. जै दिन जेठ चले पुरवाई, तै दिन सावन धूल उड़ाई.यदि जेठ के महीने में पुरवाई चले तो सावन में सूखा पड़ता है.
  487. जैसन को तैसनसुकटी को बैंगन.किसी दुबली पतली लड़की की शादी मोटे लड़के से हो जाए तो.
  488. जैसन देखे गाँव की रीततैसन करे लोग से प्रीत.जैसी परिस्थितियाँ और परिवेश हों वैसा ही व्यवहार करना चाहिए.
  489. जैसा अंशवैसा वंश.माता पिता का जैसा अंश बच्चों में आता है वैसा ही उनका वंश बनता है. आधुनिक विज्ञान का आनुवंशिकता का सिद्धांत भी यही कहता है.
  490. जैसा ऊँट लम्बावैसा गधा खवास.जब एक ही प्रकार के दो मूर्खों का साथ हो.
  491. जैसा कन भरवैसा मन भर.बोरी में से एक चावल देखकर चावल की क्वालिटी मालूम हो जाती है. व्यक्ति के एक काम को देख कर उसके विषय में अंदाज़ लग जाता है.
  492. जैसा करेगा, वैसा भरेगा.व्यक्ति जैसे कार्य करता है वैसा ही फल पाता है.
  493. जैसा काछ काछे वैसा नाच नाचे.काछ – परिधान (विशेषकर नटों या अभिनेताओं द्वारा धारण किया हुआ वेष). कहावत का अर्थ यह भी हो सकता है कि नट लोग जैसा वेश पहनते हैं वैसा ही अभिनय करते हैं और यह भी हो सकता है कि जैसा परिवेश हो वैसा ही व्यवहार हमें करना चाहिए.
  494. जैसा खावे, वैसी डकार आवे.आदमी जिस प्रकार का कार्य करता है उसके वैसे ही परिणाम होते हैं.
  495. जैसा खुदा, वैसे ही फ़रिश्ते.जब कोई अफसर या नेता भ्रष्ट हो और उसके मातहत भी बेईमान हों. 
  496. जैसा जामन वैसा दही. जामन अगर अच्छा होगा तो दही भी अच्छा जमेगा. जितना अच्छे साधन होंगे उतना ही अच्छा कार्य होगा. 2. बच्चे को जैसे संस्कार दोगे वह वह वैसा ही बनेगा.
  497. जैसा तेरा ताना-बाना वैसी मेरी भरनी.जैसा व्यवहार तुम मेरे साथ करोगे, वैसा ही मैं तुम्हारे साथ करूँगा. ताना बाना और भरनी कपड़ा बुनने में प्रयोग होने वाले शब्द हैं.
  498. जैसा दूध धौलावैसी छाछ धौली. जितना अच्छा दूध होगा उतनी ही अच्छी छाछ बनेगी. जितना उच्च कोटि का कच्चा माल होगा उतना ही अच्छा उत्पाद (product) होगा. 2. योग्य माँ बाप की योग्य संतान के लिए.
  499. जैसा देवर, वैसी भौजी.जहाँ देवर भाभी एक से मजाकिया या दुष्ट हों.
  500. जैसा देवे वैसा पावेपूत भतार के आगे आवे.कोई स्त्री दूसरी से कह रही है कि जैसे सब के साथ करोगी वैसा ही तुम्हारे साथ होगा. औरों के साथ बुरा करोगी तो तुम्हारे पुत्र और पति के साथ बुरा होगा.
  501. जैसा देस वैसा भेस.जहां रहो वहीँ के हिसाब से अपने को ढाल लो.
  502. जैसा पशुतैसा पगहा.पगहा माने जानवर के पिछले पैर या गले में बांधे जाने वाला रस्सा या जंजीर. जितना शक्तिशाली और गुस्सैल जानवर होता है उतने ही मजबूत पगहे से उस को बाँधा जाता है. समाज के लोगों के साथ व्यवहार में भी इसी सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है. कौन से अफसर या सरकारी मुलाजिम से कैसे निबटना है इस के लिए भी यही कहावत चरितार्थ होती है. 
  503. जैसा पीवे पानीवैसी बोले वानी.व्यक्ति का खान पान जैसा होता है उसका व्यवहार भी वैसा ही हो जाता है. 
  504. जैसा पैसा गाँठ कातैसा मीत न कोय (जैसी गठरी आपनी, वैसो मीत न कोय).अपने पास का पैसा ही सबसे अच्छा मित्र है.
  505. जैसा बाप वैसा पूत.1पुत्र अमूमन पिता के आदर्शों पर ही चलते हैं. अगर कोई बाप बेटा एक से बढ़ कर एक हों तो (चाहे खुराफाती हों या बुद्धिमान).
  506. जैसा बेटा रानी का, वैसा बेटा कानी का.सभी स्त्रियों को अपना पुत्र प्यारा होता है. 
  507. जैसा बोओगे वैसा काटोगे.जैसा व्यवहार औरों के साथ करोगे वैसा ही फल आपको मिलेगा. यदि दूसरों के खिलाफ़ षड्यंत्र रचोगे तो खुद भी किसी षड्यंत्र का शिकार होगे.
  508. जैसा बोले डोकरावैसा बोले छोकरा.घर के बड़े बूढ़े जैसी बोली बोलते हैं वैसी ही बोली बच्चे सीख जाते हैं. (डोकरा – बूढ़ा आदमी)
  509. जैसा ब्याह वैसा नेग.जैसा काम वैसा ही ईनाम.
  510. जैसा मन हराम में वैसा हरि में होएचला जाए बैकुंठ को रोक सके न कोए.जितना मन खुराफात में लगता है उतना अगर ईश्वर की भक्ति में लगाएं तो मोक्ष मिल जाएगा.
  511. जैसा माल वैसा मोल.जैसा माल होगा वैसा ही उसका मूल्य मिलेगा.
  512. जैसा मुँह वैसा थप्पड़(जैसा मुंह वैसी चपेट). गलती की सजा भी व्यक्ति का मुँह देख कर दी जाती है.
  513. जैसा मुँह, वैसा तिलक.व्यक्ति की हैसियत के अनुसार उसका सम्मान होता है.
  514. जैसा साजन वैसा भोजन.अतिथि की योग्यता के अनुसार ही उसका सम्मान होता है.
  515. जैसा सोचे, वैसा पावे.जो बड़ी सोच रखते हैं वे बड़ी उपलब्धियाँ पा जाते हैं, जो छोटी सोच रखते हैं उनकी उपलब्धियाँ भी सीमित होती हैं.
  516. जैसा सोता वैसी धारा.जैसा स्रोत होगा वैसी ही जल की धारा होगी. कोई संगठन या परिवार जिन विचारों से प्रेरित होगा वैसे ही कार्य करेगा.
  517. जैसी कमाई वैसी समाई(खर्च). कमाई जितनी हो खर्च भी उतना ही करना चाहिए.
  518. जैसी करनी वैसी भरनी.जैसे कर्म करोगे वैसे ही फल भुगतने पड़ेंगे. कुछ लोग इस के आगे बोलते हैं – जैसी करनी वैसी भरनी, न माने तो कर के देख.
  519. जैसी खान वैसा ही हीराऐसी बहन का ऐसा ही वीरा.हीरों की कुछ खानें उच्च कोटि के हीरों के लिए प्रसिद्ध हैं, अर्थात उच्च कोटि की खान से निकला हीरा भी उच्च कोटि का होगा. जैसे योग्य माता पिता वैसा ही योग्य पुत्र, जैसी योग्य बहन, वैसा ही योग्य भाई. 
  520. जैसी गंगा नहाएतैसी सिद्धि पाए.जैसी पूजा वैसा फल.
  521. जैसी छिनरी आप छिनारवैसा जाने सब संसार.जो स्त्री दुश्चरित्र होती है वह सारे संसार को दुश्चरित्र समझती है.
  522. जैसी जाकी बुद्धि हैतैसी कहै बनायताको बुरा न मानिएलेन कहाँ सो जाय.यदि कोई मूर्खतापूर्ण बात करता है तो उसका बुरा मत मानिए. जिस के पास जैसी बुद्धि है वह वैसी ही बात कर सकता है.
  523. जैसी जाकी भावना तैसी ताकी सिद्धि.जिसकी जैसी भावना होती है उसको वैसी ही सिद्धि मिलती है. दुष्ट प्रकृति के लोग नीच शक्तियाँ सिद्ध करते हैं, उत्तम प्रकृति के लोग परोपकारी भावनाओं को सिद्ध करते हैं. राक्षस लोग तपस्या करते थे तो भगवान से शक्तियाँ और दिव्यास्त्र मांगते थे, ऋषि मुनि तपस्या करते थे तो लोक कल्याण के साधन मांगते थे.
  524. जैसी जात वैसी बात.आदमी अपनी जात के अनुसार ही बात करता है. इस बात को जातिवाद से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए. यह सच है कि जो व्यक्ति जिस जाति में अर्थात जैसे माहौल में पैदा हुआ और पला बढ़ा है वह अधिकतर अपने उसी परिवेश के अनुरूप ही बात करता है.
  525. जैसी झूठी बधाईवैसी कड़वी मिठाई.आपने किसी को झूठी बधाई दी. बदले में उसने आप को जो मिठाई खिलाई वह आपको कड़वी लगी तो शिकायत किस बात की.
  526. जैसी तेरी तिल चावलीवैसे मेरे गीत.विवाह या संतान जन्म पर जो स्त्रियाँ गीत गाती है उन्हें तिल चावल भेंट में दिए जाते हैं. यदि गाने वालियों को पर्याप्त तिल चावल नहीं मिला या घटिया मिला तो वे बेकार के गीत गायेंगी.
  527. जैसी देखी गाँव की रीती वैसी उठाईं अपनी भीती. जैसी गाँव की रीति देखें वैसी अपनी दीवार बनाएँ. माहौल को देखते हुए काम करना चाहिए.
  528. जैसी देवी सीतला वैसा वाहन खर.शीतला माता को खतरनाक देवी माना गया है क्योंकि उन के प्रकोप से चेचक निकलती है. जैसी देवी हैं वैसा ही उनका वाहन है गधा. हाकिम और उनका मातहत दोनों एक से अजीब हों तब.
  529. जैसी धूप वैसीछतरी. जैसी परिस्थिति हो वैसा ही प्रबंध करना चाहिए.
  530. जैसी नीयतवैसी बरकत.जैसी जिसकी मनोवृत्ति हो उसी हिसाब से उसकी उन्नति या पतन होता है.
  531. जैसी पड़े मुसीबतवैसी सहे शरीर.जैसी परेशानी आती है शरीर वैसा ही अपने को ढालता है.
  532. जैसी बंदगीवैसा ईनाम.बंदगी शब्द के अर्थ में पूजा, सलाम और गुलामी का मिश्रण है. जितनी लगन और सच्चाई से बंदगी की जाएगी उतना ही अच्छा इनाम मिलेगा.
  533. जैसी बहे बयारपीठ तब तैसी कीजे.जैसा माहौल हो उसी के अनुसार व्यवहार कीजिए.
  534. जैसी भाई की प्रीत, वैसे बहन के गीत.भाई के यहाँ कोई शुभ कार्य होता है तो बहनें बड़े चाव से गीत गाती हैं. यदि भाई की प्रीत में खोट होगा तो बहनों के गीत भी फीके होंगे.
  535. जैसी मति, तैसी गति.जैसी व्यक्ति की मति (सोच) होती है उसको वैसी ही गति (परिणति) प्राप्त होती है.
  536. जैसी माईवैसी जाई.जाई माने बेटी. जैसी माँ वैसी बेटी.
  537. जैसी रूह वैसे फ़रिश्ते.व्यक्ति ने जैसे कर्म किए हों उसे वैसा ही फल मिलेगा. दुष्ट आत्माओं को लेने के लिए दुष्ट फरिश्ते आएँगे और नेक आत्माओं को लेने अच्छे फरिश्ते आएँगे.
  538. जैसी संगतवैसी रंगत.व्यक्ति जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है वैसे ही उस के आचार विचार हो जाते हैं.
  539. जैसी होत होतव्यतातैसी उपजे बुद्धिहोनहार हिरदै बसेबिसर जाए सब सुद्धि.जैसी होनहार होती है वैसी ही आदमी की बुद्धि हो जाती है. जब कुछ अनिष्ट होने वाला होता है तो आदमी सारी समझदारी भूल जाता है.
  540. जैसे उदई वैसे भानना इनके चुनई ना उनके कान.दो मूर्ख एक सा व्यवहार करते हैं.
  541. जैसे उदई वैसेहि खानन उनके चुटियान उनके ईमान.जो लोग अपने धर्म में आस्था न रखते हों उनके लिए. ऊदई कोई हिन्दू हैं जो चुटिया नहीं रखते और खान कोई मुसलमान हैं जो अपने धर्म पर ईमान नहीं रखते.
  542. जैसे उधौ वैसे माधौ.जब दो मूर्ख एक से हों तो.
  543. जैसे कंता घर रहे वैसे रहे विदेसजैसे ओढ़ी कामली वैसे ओढ़ा खेस.पत्नी को प्रेम न करने वाला पति या निकम्मा पति घर में रहे या विदेश में पत्नी को कोई फर्क नहीं पड़ता. कम्बल ओढ़ो या सूती चादर क्या फर्क पड़ता है. राजस्थान में इस का दूसरा प्रारूप भी प्रचलित है – कदे न हँस कर कुच गह्यो, कदे न रिस कर केस, जैसे कंता घर रह्यो, वैसे ही परदेस (पति ने कभी हँस कर शरीर को हाथ नहीं लगाया और न ही क्रोध में बाल पकड़े, जैसे परदेस में रहा वैसे ही घर में रहा). 
  544. जैसे कुम्हड़ा छप्पर पर, वैसे कुम्हड़ा नीचे.स्थान या पद बदलने के बाद भी यदि व्यक्ति की हैसियत वही रहे तो मजाक में ऐसे कहा जाता है.
  545. जैसे को तैसा मिला ज्यों बामन को नाईइनने आशीर्वाद कही उन आरसी काढ़ दिखाई.ब्राह्मण किसी को आशीर्वाद देते हैं तो बदले में दक्षिणा की आशा रखते हैं. नाई जब किसी को आरसी में मुँह दिखाता है तो बदले में इनाम की आशा करता है. ब्राह्मण देवता ने दक्षिणा की जुगाड़ में नाई को आशीर्वाद दिया तो नाई ने बदले में आरसी निकाल कर दिखा दी. दो कुटिल व्यक्ति एक से बढ़ कर एक हों तो यह कहावत कही जाएगी.
  546. जैसे को तैसा मिले सुन रे राजा भीललोहे को चूहा खा गया लड़का ले गई चील.इस के पीछे एक कहानी कही जाती है. एक व्यक्ति ने किसी से लोहे के बर्तन उधार लिए और जब लौटाने का वक्त आया तो यह कह कर मुकर गया कि बर्तनों को चूहा खा गया. उधार देने वाला समझ गया पर कुछ बोला नहीं. कुछ दिन बाद उस ने इस व्यक्ति के बेटे को अपने घर बुलाया और छिपा लिया. फिर इससे कहा कि लड़के को चील ले गई है. जब बात राजा के पास पहुंची तो उस ने यह कहावत बोली. 
  547. जैसे को तैसा मिले, मिले कुल्हाड़ी बेंट, कानी को काना मिले, लिए आँख में टेंट.जिस की जैसी प्रवृत्ति होती है उस को वैसा ही साथ मिल जाता है.
  548. जैसे को तैसा.कोई व्यक्ति किसी के साथ धूर्तता करे और दूसरा व्यक्ति उसी की भाषा में उसका जवाब दे तो.
  549. जैसे जलवैसे मच्छ.जितनी बड़ी नदी, तालाब या समुद्र होगा उतनी ही बड़ी मछलियाँ और मगरमच्छ उसमे होंगे. बड़े शहर में बड़े व्यापारी और बड़े अपराधी होंगे.
  550. जैसे तेरी बाँसुरीवैसे मेरे गीत.जैसे साधन तुम मुझे उपलब्ध कराओगे वैसा ही काम मैं कर के दूंगा.
  551. जैसे नाग नाथ वैसे साँप नाथ.दो कुटिल लोग एक से मिल जाएँ तो.
  552. जैसे नीमनाथवैसे बकायननाथ.बकायन – नीम की जाति का एक पेड़, महानिम्ब. यह भी नीम जैसा कड़वा होता है. कोई दो व्यक्ति एक से बढ़ कर एक बदमिजाज हों तो.
  553. जैसे फूल गुलाब का सूखे तऊं बसायतैसी प्रीत सुशील की दिन पर दिन अधिकाय.(बुन्देलखंडी कहावत) बसाय – बास (सुगंध) देता है. जैसे गुलाब का फूल सूख कर भी सुगंध देता है, वैसे ही सुशील व्यक्ति की प्रीति समय के साथ बढ़ती है.
  554. जैसे बाबा आप लबारवैसा उनका कुल परिवार.लबार – झूठ बोलने वाला, गप्पें हांकने वाला. घर का बड़ा बूढ़ा झूठ बोलने वाला हो तो सारा घर वैसा ही हो जाता है.
  555. जैसे मुर्दे पर सौ मन मिट्टी वैसे हजार मन.मुर्दे के ऊपर सौ मन मिटटी हो या हजार मन, मुर्दे को क्या फर्क पड़ता है. काम में पिसने वाली घर की महिला या काम के बोझ से दबे कर्मचारी पर जब और काम लादा जाता है तो वह ऐसे बोलता है. क़र्ज़ के बोझ तले दबा आदमी और अधिक क़र्ज़ लेने के लिए भी ऐसे बोलता है.
  556. जैसे साजन आएतैसे बिछौना बिछाए(तैसी सेज बिछाए)जैसा मेहमान वैसा सत्कार.
  557. जैसो पावणों, वैसो ही जीमावणों.(राजस्थानी कहावत)जैसा मेहमान वैसा ही सत्कार. पावणा – पाहुना, अतिथि, जिमावणा – जीमाना, खाना खिलाना.
  558. जो अति आतप व्याकुल होईतरु छाया सुख जाने सोई: आतप – सूर्य का ताप. जब व्यक्ति तेज धूप से व्याकुल होता है तभी उसे पेड़ की छाया का महत्व समझ में आता है. व्यक्ति जितनी बड़ी विपत्ति का सामना करता है उतना ही अधिक वह विपत्ति हटने पर आनंद पाता है.
  559. जो अनमनी सासरे जावे, वो क्या निहाल करे.जो लड़की ससुराल जाने में आनाकानी करे वह ससुराल जा कर कैसे निभेगी. कार्य के आरम्भ में ही जो कोई अनिच्छा जाहिर करे वह उस काम को पूरा कैसे करेगा.
  560. जो अपने काम न आएसो चूल्हे भाड़ में जाए.कोई कितना भी बड़ा या महत्वपूर्ण व्यक्ति क्यों न हो, हमारे काम न आए तो उस का बड़प्पन हमारे किस काम का. (बारह गाँव का चौधरी, अस्सी गाँव का राय, हमारे काम न आए तो ऐसी तैसी में जाए).
  561. जो अपने पर विश्वास नहीं करतावह किसी पर विश्वास नहीं कर सकता.अर्थ स्पष्ट है.
  562. जो आके न जाय वो बुढ़ापा, जो जाके न आय वो जवानी.अर्थ स्पष्ट है.
  563. जो आया है वह खाएगा जो कमायेगा वह खिलाएगा.इस संसार में जिसने जन्म लिया है उसको भोजन मिलना चाहिए. यदि उस के पास खाने को नहीं है तो जो सम्पन्न लोग हैं उनका कर्तव्य है कि वंचित लोगों की सहायता करें.
  564. जो इच्छा करिहौं मन माहिंहरि कृपा कछु दुर्लभ नाहिं.आप मन में कोई भी इच्छा कर लीजिए, ईश्वर की कृपा हो तो कुछ भी दुर्लभ नहीं है.
  565. जो ऊँट की पीठ पे न लदे वो उसके गले बंधेयदि कोई सामान ऊँट की पीठ पर नहीं लद पाता है तो उसे ऊँट के गले में बाँध कर लटका देते हैं. काम को हर हाल में गरीब आदमी पर ही लादा जाता है.
  566. जो कबीर काशी में मरिहेंरामहिं कौन निहोरा.काशी में मरने से स्वर्ग जाने की गारंटी हो तो कोई भगवान की भक्ति क्यों करेगा.
  567. जो करता है वह कहता नहीं फिरता, जो कहता फिरता है वह करता नहीं.अर्थ स्पष्ट है.
  568. जो करे धरम, उसके फूटे करम, जो करता है पाप कमाई, वो खाता है दूध मलाई.कलियुग की सच्चाई यही है.
  569. जो करे बिरानी आसवो जीते जी मर जाय.दूसरों पर आश्रित होना, जीते जी मरने के समान है.
  570. जो करे शरम उसके फूटे करमजो करता है बेशर्माई वो खाता है दूध मलाई.यह कहावत आधी भी बोली जाती है और पूरी भी. संकोच करने वाला सदा नुकसान में रहता है.
  571. जो करे होड़, सो मरे सिर फोड़.अपनी क्षमताओं और सीमाओं को जाने बिना दूसरों से होड़ करने वाला व्यक्ति हमेशा पछताता है.
  572. जो कहुं माघे बरसे जलसब नाजों में होगा फल.माघ के महीने में जल बरसता है तो सभी अनाजों की पैदावार अच्छी होती है. (घाघ) माघ की वर्षा को महोटे कहते हैं.
  573. जो काम हिकमत से निकलता है वो हुकूमत से नहीं निकलता.युक्ति द्वारा जो काम किया जा सकता है वह तानाशाही और जोर जबरदस्ती से नहीं किया जा सकता.
  574. जो किसी से न हारे वो अपने से हारे.अपने से – स्वयं से, अपने से – अपनों से. गलत काम कर के आगे बढ़ने वाला अंततः अपनी अंतरात्मा को जवाब नहीं दे पाता. 2. जो किसी से नहीं हारता है उसे किसी अपने (सगे) से हारना पड़ता है. एक से एक वीर पुरुष अपनों के द्वारा ही धोखे से मरवाए गए.
  575. जो कोऊ हमें देख के जरे बरे, ओकी आंखन में राई नोन परे.(भोजपुरी कहावत) जलने वाले को लानत भेजने के लिए. कहीं कहीं महिलाएं राई और नमक से बच्चों की नजर उतारते समय इस प्रकार बोलती हैं.
  576. जो कोसत बैरी मरेमन चितवे धन होयजल में घी निकसन लगे तो रूखा खाय न कोय.शत्रु अगर कोसने से मर जाए, इच्छा करने से धन मिल जाए, पानी मथने से घी निकल आए तो सभी सुखी हो जाएंगे.
  577. जो खड़े मूते उसे छींटों का क्या डर.जान बूझ कर गलत काम करने वाले को उसके दुष्परिणामों की चिंता नहीं होती.
  578. जो खेत में मोती फरे, तबहूँ बनिया न खेती करे.बनिए बहुत चालाक होते हैं, वे खेती जैसा मेहनत और खतरे से भरा काम कभी नहीं करते.
  579. जो गंवार पिंगल पढ़ेतीन वस्तु से हीनबोलीचालीबैठकीलीन्ह विधाता छीन.गंवार यदि पढ़ लिख भी जाए तो भी उसकी बोली और चाल ढाल संभ्रान्त लोगों जैसी नहीं हो सकती. पिंगल का अर्थ है छंद शास्त्र.
  580. जो गरजते हैं वो बरसते नहीं. (गरजें सो बरसें नहीं)(गरजता बादल बरसता नहींबरसता है सो गरजता नहीं). बादलों के विषय में कहा जाता है कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं. कहावत के रूप में इस का अर्थ यह है कि जो बहुत बढ़ चढ़ कर बोलते हैं वे कुछ कर के नहीं दिखाते.
  581. जो गुड़ देने से मर जाएउसे जहर क्यों दिया जाए (रस के मरे को विष क्यों देय).जो मीठी बातों में फंस कर आपका काम कर दे उस के साथ रुखाई क्यों की जाए.
  582. जो घर चलावे सो घर का बैरी, जो गॉव चलावे सो गाँव का बैरी.घर का मुखिया सभी का हित चाहता है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि उसी के साथ अन्याय हो रहा है. यही बात गाँव और देश के मुखिया पर भी लागू होती है.
  583. जो घर में बोलें डोकरा, सो बाहर बोले छोकरा (जैसा बोले डोकरा, वैसा बोले छोकरा).घर में बड़े बूढ़े जैसे बोलते हैं वैसा ही बच्चे बाहर बोलते हैं.
  584. जो चढ़ेगा सो गिरेगा.इसका अर्थ दो तरह से है – जो उन्नति करता है वह कभी न कभी गिरेगा भी. 2. जो चढ़ने का साहस करेगा वही तो गिरेगा. जो चढ़ेगा ही नहीं वह गिरेगा क्या.
  585. जो चोरी करता है वह मोरी देख के रखता है.चोर चोरी करने से पहले अपने निकलने की जगह देख कर रखता है.
  586. जो जाके मन में बसे सो सपने दर्शाए (जो मन में बसे सो सुपने दसे).आपके मन में जो विचार होते हैं वही आपको सपने में दिखते हैं.
  587. जो जाने जाड़े को भेदसो ढांके कंबल को छेद.जिसको मालूम है कि कम्बल में छेद हो तो उससे जाड़ा दूर नहीं हो सकता वह समय रहते कम्बल के छेद को ढक देता है.
  588. जो जीता वही सिकंदर.जब दो धुरंधरों में लड़ाई होती है तो जो जीतता है वही श्रेष्ठ कहलाता है चाहे वह अधर्म और कुटिलता से जीता हो या धुप्पल में जीत गया हो. 
  589. जो जैसा करता हैवो वैसा भरता है (जैसा करोगे वैसा भरोगे).अर्थ स्पष्ट है.
  590. जो जैसी करनी करे सो तैसो फल पाए, बेटी पहुँची राजमहल साधु बंदरा खाए.यह कहावत एक कहानी पर आधारित है. एक साधु राजा के महल में गया. राजा ने उसका बड़ा सत्कार किया. राजा की सुंदर बेटी को देख कर साधु के मन में पाप आ गया. उसने राजा से कहा कि ये कन्या बहुत अशुभ है इसे लकड़ी के बक्से में रख कर नदी में बहा दो. राजा उस की बातों में आ गया और उस ने ऐसा ही किया. साधु जल्दी जल्दी चल कर वहाँ से काफी दूर नदी किनारे बने अपने आश्रम में पहुँचा और बक्से के आने का इंतज़ार करने लगा. उधर बीच जंगल में एक राजकुमार ने नदी में बहते बक्से को देखा तो कौतूहल वश उसे बाहर निकाल कर खोला. राजकुमारी ने बाहर निकल कर उसे सारी कहानी बताई. राजकुमार ने एक कटखना बंदर पकड़ा और उसे बक्से में बंद कर के बक्सा नदी में बहा दिया. साधु तो बेसब्री से बक्से का इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही बक्सा बहता हुआ उसके आश्रम के पास पहुँचा उसने झट उसे निकाल कर खोला. खिसियाये हुए बंदर ने उसे काट काट कर लहुलुहान कर दिया.
  591. जो ज्यादा करीब सो ज्यादा रकीब.जो आपके अधिक निकट है वही अधिक स्पर्धा और ईर्ष्या करता है. (रकीब – प्रतिद्वंद्वी).
  592. जो ज्यादा काम करता है उसी पर और लादा जाता है.जो अधिक काम करता है और ठीक काम करता है, सब उसी से काम करवाना चाहते हैं. एक प्रकार से यह भलमनसाहत का नुकसान है.
  593. जो टट्टू जीते संग्रामक्यों खरचें तुर्की के दाम.टट्टू और खच्चर सामान ढोने वाले सस्ते जानवर होते हैं जबकि तुर्की उन्नत किस्म का लड़ाई में काम आने वाला घोड़ा होता है जो कि बहुत महंगा होता है. कहावत का अर्थ है कि यदि सस्ती और कामचलाऊ चीज़ से काम चल जाए तो महंगी चीज़ क्यों खरीदी जाएगी.
  594. जो डरता है उसे और डराया जाता हैजो चिढ़ता है उसे और चिढ़ाया जाता है.अर्थ स्पष्ट है.
  595. जो तिल हद से ज्यादा हुआ सो मस्सा हुआ.अति हर चीज़ की बुरी होती है. तिल चेहरे की सुन्दरता बढ़ाता है और मस्सा बुरा लगता है.
  596. जो तुम करन फैसला चाहो, दोउ जने गम खाओ.गम खाना – कष्ट सहना. दो लोगों में विवाद हो और फैसला कराना चाह रहे हों, तो दोनों को थोड़ा थोड़ा दबना पड़ता है.
  597. जो तोकु कांटा बुवेताहि बोय तू फूल, (तोकू फूल के फूल हैबाकू है त्रिशूल).जो तुम्हारे साथ बुराई करे उसके साथ भी भलाई करो. आप भलाई कर के खुश रहोगे, वह बुराई कर के मन में परेशान रहेगा. इंग्लिश में कहावत है – Return good for evil.
  598. जो दम गुजरे सो गनीमत.इस संसार में रहते हुए जितना समय आसानी से निकल जाए उतना ही गनीमत समझो.
  599. जो दूसरों के लिए कुआं खोदते हैं उनके लिए पहले ही खाई खुद जाती है.(खाई खने जो और को, बाको कूप तैयार) जो दूसरों को हानि पहुंचाने के लिए षड्यंत्र रचते हैं वे स्वयं भी किसी न किसी प्रकार से उसी षड्यंत्र (या किसी और परेशानी) का शिकार हो जाते हैं. इंग्लिश में कहावत है – Who so diggeth a pit, shall fall there in.
  600. जो दे उसका भी भलाजो न दे उसका भी भला.भीख मांगने वाले ऐसा बोल कर सब को खुश करते हैं.
  601. जो देगा वह गाएगाजो लेगा वह छिपाएगा.जो किसी को कुछ देता है वह सब लोगों से कहना चाहता है जिससे सब उस की बड़ाई करें. जो लेने वाला है वह छिपाना चाहता है क्योंकि उसे इसमें अपना अपमान लगता है.
  602. जो धन दीखे जातआधा दीजे बाँट.यदि धन जाता दिखे तो उसमें से आधा लुटा कर बाकी को बचाने का प्रयास करना चाहिए.
  603. जो धरती पे आयाउसे धरती ने ही खाया.जो भी इस मिटटी से पैदा हुआ है उसे इस मिटटी में ही मिलना है.
  604. जो धार पर चले, सो फूलों पर सोए.यहाँ धार पर चलने का अर्थ है तलवार की धार पर चलना. जो कठिन परिश्रम करता है और खतरों से खेलता है वही उसके बाद सुख भोगता है.
  605. जो धावे सो पावेजो सोवे वो खोवे.जो कुछ पाने के लिए दौड़ भाग करता है वही कुछ पाता है, जो सोता रहता है (आलस करता है) उसे कुछ नहीं मिलता.
  606. जो न मानें बड़न की सीखले खपरिया मांगें भीख.जो बड़ों की सीख नहीं मानते, उन्हें खप्पर ले कर भीख मांगनी पड़ती है.
  607. जो नर वचनों से फिरे वह पत देत गंवाए.जो अपना वचन नहीं निभाते उन का कोई सम्मान नहीं करता.
  608. जो नवे सो भारी.तराजू का जो पलड़ा झुक जाता है वही भारी माना जाता है. आपसी वाद विवाद में जो व्यक्ति झुक जाता है वही वजनदार माना जाता है.
  609. जो नहिं सीखा बोलना, सब सीखा बेकार.संसार में वही व्यक्ति दूसरे लोगों को प्रभावित कर सकता है जिसे बोलने की कला आती हो.
  610. जो निकले सो भाग धनी के. खेती करने वाला मजदूर कहता है कि जो उपज होगी वह मालिक के भाग्य से होगी. हमें तो फ़कत बंधी हुई मजदूरी मिलनी है.
  611. जो निर्दोष को देवे दोषउसकी होय गति न मोक्ष. जो निर्दोष व्यक्ति को फंसाता है वह अत्यधिक पाप का भागी बनता है.
  612. जो पंडित विवाह कराता है वही पिंडदान भी.यह संसार का चक्र है, जिसका जन्म हुआ उसको जीवन के विभिन्न संस्कारों से गुजरना होता है और अंत में उसकी मृत्यु भी होती है. 
  613. जो पकड़ा गया सो ही चोर.चोरी तो बहुत से लोग करते हैं, जो पकड जाए वही चोर कहलाता है.
  614. जो पजामा सिलाता है, वो मूतने का रास्ता रख लेता है.समझदार आदमी कोई भी काम करता है तो उसमें होनी वाली संभावित परेशानियों का हल पहले ही सोच कर रखता है.
  615. जो पल्ला भारी सो झुके. तराजू का जो पल्ला भारी होता है वही झुकता है. आपसी मतभेद में जो व्यक्ति अधिक वजनदार (गंभीर) है उसी को झुकना पड़ता है.
  616. जो पहले कीजे जतन सो पाछे फल दाएआग लगे खोदे कुआँ कैसे आग बुझाए.आम तौर पर इसका बाद वाला हिस्सा बोला जाता है. यदि पहले से प्रयास किया जाए तभी समय पर कार्य सिद्ध होता है. आग लगने पर कुआं खोदना आरम्भ करोगे तो आग कैसे बुझेगी. इंग्लिश में कहावत है – Dig a well before you are thirsty.
  617. जो पहले मारे सो मीर.लड़ाई में जो पहले मारता है वह मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल कर लेता है.
  618. जो पुरवा पुरबाई पावेझूरी नदिया नाव चलावे.पूर्वा नक्षत्र में पुरवाई चले तो सूखी नदी में भी नाव चलने लगेगी, अर्थात बहुत वर्षा होगी. (घाघ की कहावतें)
  619. जो पूत दरबारी भएदेव पितर सब से गए.मुगलों के दरबार में नौकरी करने वालों के लिए कहा गया है कि वे सब संस्कार हीन हो जाते थे.
  620. जो फल चक्खा नहीं वही मीठा.जो चीज़ अपने को उपलब्ध नहीं है उसको हम बहुत अच्छा समझते हैं. (दूर के ढोल सुहावने)
  621. जो बन आवे सहज मेंवाही में चित देय.जो काम आसानी से सिद्ध हो उसी पर ध्यान देना चाहिए.
  622. जो बल से न हो वह कल से हो जावेकुछ काम ऐसे होते हैं जो कितना भी बल प्रयोग करो नहीं होते, लेकिन मशीन से फौरन हो जाते हैं. (युक्ति बल से बड़ी होती है).
  623. जो बात से नहीं मरावह लात से क्या मरेगा.जो सज्जन व्यक्ति है वह केवल अपना दोष बताए जाने से ही लज्जित हो जाता है. जो निर्लज्ज है उसको आप कितना भी बुरा भला कह लो या डांट फटकार लो उस पर कोई असर नहीं होता. ऐसे व्यक्ति पर लात खाने का भी कोई असर नहीं होता.
  624. जो बामन की जीभ पर सो बामन की पोथी में.जिस बात से पंडित को लाभ होता हो वही वह पोथी में देख कर बताता है.
  625. जो बिगड़ी बनावे सो बनिया.बनिए जुगाड़ करने में बहुत तेज होते हैं. कोई सामान खराब हो रहा हो उस से भी पैसा कमा लेते हैं.
  626. जो बिल्ली पहने दस्ताने, तो चूहे पकड़े कौन.कहावत के द्वारा यह बताया गया है कि घर गृहस्थी या व्यापार के काम नजाकत से नहीं किए जा सकते.
  627. जो बीत गई सो बात गई.जो बात बीत गई उसे भूल जाना चाहिए. (जो चला गया उसे भूल जा).
  628. जो बैरी हों बहुत से और तू होवे एकमीठा बन कर निकस जा यही जतन है नेक.अगर बहुत से शत्रुओं के बीच फंस जाओ तो मीठी बातें कर के उन्हें खुश करो और वहाँ से सुरक्षित निकल लो.
  629. जो बोले सो कुंडी खोले.घर के भीतर कई लोग बैठे हों और कोई बाहर से दरवाज़ा खटखटाए, तो जो बोलेगा वही कुण्डी खोलेगा. कोई काम करने के लिए कई लोग उपलब्ध हों तो जो आगे बढ़ कर अपनी राय देगा उससे ही काम करने को कहा जाएगा.
  630. जो बोले सो बछड़ा खोले. अर्थ ऊपर वाली कहावत की भांति.
  631. जो भावे न आप को, सो देऊ बहू के बाप को.जो चीज अपने काम की नहीं है वह किसी को उपहार में दे दो. निम्न कोटि की सोच.
  632. जो भौंकते हैं वो काटते नहीं.जो अधिक शोर मचाते हैं वे उतना नुकसान नहीं पहुँचाते. इंग्लिश में कहावत है – Great barkers are no biters.
  633. जो मना करे उसे ही मनुहार कर के खिलाया जाता है.अर्थ स्पष्ट है.
  634. जो माँ से ज्यादा चाहे सो डायन.माँ से अधिक अपनी संतान को कोई नहीं चाह सकता. यदि कोई स्त्री उससे अधिक प्रेम दिखा रही है तो अवश्य ही उस के मन में कपट है.
  635. जो मीठा खाएगा वह कडुआ भी खाएगा.जो किसी चीज़ का लाभ उठाएगा उसे उस से संबंधित कुछ न कुछ कष्ट भी सहने पड़ेंगे.
  636. जो मुसीबतें ढूँढ़ता रहता हैउसे वे मिल भी जाती हैं.जो जान बूझ कर बेबकूफियों के काम करता है वह अंततः परेशानी में जरूर पड़ता है.
  637. जो मैं ऐसा जानती प्रीत किये दुःख होएनगर ढिंढोरा पीटती प्रीत न करियो कोए.प्रेम कर के दुःख उठाने वाली स्त्री का कथन.
  638. जो रहीम उत्‍तम प्रकृतिका करि सकत कुसंग, (चंदन विष व्‍यापत नहींलपटे रहत भुजंग).व्यवहार में इसकी केवल पहली पंक्ति ही बोली जाती है. जो लोग उच्च और दृढ़ चरित्र वाले होते हैं उन पर बुरी संगत का कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता. चन्दन के पेड़ का उदाहरण दिया गया है जिस पर सांप लिपटे रहते हैं लेकिन उस में विष नहीं फैलता.
  639. जो रहीम ओछो बढ़ैतौ अति ही इतरायप्‍यादे सों फरजी भयोटेढ़ों टेढ़ो जाय.रहीम के नीति के दोहे एक से बढ़ कर एक हैं. अधिकतर दोहों में पहली पंक्ति में कोई नीति का उपदेश होता है और दूसरी पंक्ति में उदाहरण दे कर उसे सिद्ध किया जाता है. शतरंज के खेल में जो पैदल मोहरा (प्यादा) होता है वह एक बार में केवल एक घर चल सकता है वह भी सीधा. वही पैदल आखिरी खाने में पहुंच जाए तो वज़ीर (फरजी) बन जाता है और फिर वह आड़ा तिरछा कई घर चल सकता है. कहावत में कहा गया है कि तुच्छ मानसिकता वाले व्यक्ति को यदि बड़ा पद मिल जाए तो वह बहुत इतराने लगता है.
  640. जो राह बताए सो आगे चले.जो किसी परेशानी का हल सुझाए उसे ही आगे कर दिया जाता है.
  641. जो रुचे सो पचे.जो अच्छा लगता है वही पचता है और वही शरीर को लगता है.
  642. जो रोज मरे, उसे कहाँ तक रोए.जिस के दुखों का कोई अंत ही न हो उस की सहायता कहाँ तक की जा सकती है.
  643. जो वर देख ताप मोहे आवेसोई वर मोहे ब्याहने आवे.कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि जिस वर को देख कर मुझे बुखार चढ़ जाता है (कष्ट होता है या गुस्सा आता है) वही मुझसे शादी करने आ रहा है. अर्थात जिस काम से मैं हर हाल में बचना चाहती हूँ वही मुझे करना पड़ रहा है.
  644. जो विधि लिखी ललाट परमेट सके न कोय.विधि ने जो भाग्य में लिख दिया है उसे कोई मिटा नहीं सकता.
  645. जो विषया संतन तजीमूढ़ ताहि लपटायज्‍यों नर डारत वमन करस्‍वान स्‍वाद सों खाय.संत लोग जिन विषय भोग की वस्तुओं को त्याग देते हैं, मूर्ख सांसारिक लोग उन्हीं में लिपटे रहते हैं. जैसे मनुष्य जो भोजन उल्टी कर देता है कुत्ता उसे स्वाद से खाता है.
  646. जो सिर उठा कर चलेगा सो ठोकर खाएगा.यहाँ सर उठा कर चलने से अर्थ है अपने चाल चलन में अहंकार प्रदर्शित करना. अर्थ है कि जो अहंकार दिखाएगा उसे नीचा देखना पड़ेगा.
  647. जो सुख चाहो देह का चीजें त्यागो चार, चोरी, चुगली, जामनी और पराई नार.जामनी – किसी की जमानत देना. चैन से रहना चाहते हो तो इन चार चीजों को त्याग दो.
  648. जो सुख छज्जू के चौबारे मेंसो न बलख बुखारे में.जो सुख अपने घर और गाँव के लोगों के बीच में मिलता है वह किसी सम्पन्न विदेश में नहीं मिल सकता.
  649. जो सेर से मरे उसे पसेरी क्या मारना.जब छोटे साधन से काम चल सकता हो तो बड़े की क्या जरूरत है.
  650. जो सोवेगा सो खोवेगाजो जागेगा सो पावेगा.चाहे पढ़ाई हो या व्यापार, जो आलस करेगा और सोएगा उसे कुछ प्राप्त नहीं होगा. जो जागेगा, उद्योग करेगा वही कुछ पाएगा.
  651. जो हल जोतै खेती वाकीऔर नहीं तो जाकी ताकी.खेती का लाभ उसी को हो सकता है जो स्वयं खेती करे. दूसरों पर खेती छोड़ने से दूसरे लोग ही उसका लाभ उठाते हैं.
  652. जो हांडी में होगा सो रकाबी में आएगा.कुछ लोग बहुत उतावले होते हैं. कहीं भी कोई काम हो रहा हो वे बार बार पूछते हैं कि क्या हो रहा है, आगे क्या होने वाला है आदि. उनको समझाने के लिए यह कहावत कही जाती है. रकाबी – तश्तरी, थाली.
  653. जोंक की कौन माई कौन बाप.खून चूसने वाले लोग किसी को नहीं छोड़ते. 
  654. जोंक को जोंक नहीं लगती.समाज के परजीवी लोग केवल मेहनत कर के कमाने वालों का ही खून चूसते हैं, दूसरे परजीवियों का नहीं.
  655. जोग में भोग की आस.ऐसे बनावटी साधुओं पर व्यंग्य जो सुख भोगने की लालसा रखते हैं.
  656. जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से.बच्चा अपने घर परिवेश में जो देखता है वही करता है. संपेरे को जोगी भी बोलते हैं.
  657. जोगी किसके पाहुनेराजा किसके मीत.पाहुना माने आपके घर कुछ समय टिकने वाला अतिथि. जोगी अर्थात सन्यासी किसी के घर टिकते नहीं हैं, वे तो आज यहाँ तो कल वहाँ. ऐसे ही राजा और हाकिम किसी के सगे नहीं होते, जब आपका काम पड़े तो वे आपके काम नहीं आते. इंग्लिश में कहावत है – Kings are always ungrateful.
  658. जोगी किसके मीत और पातुर किसकी नार.पातुर – वैश्या. जोगी किसी के मित्र नहीं होते और वैश्या किसी की पत्नी नहीं होती.
  659. जोगी किसके मीत कलंदर किसके साथी,(जोगी काके मीत, कलन्दर किसके भाई). हिन्दुओं में साधुओं को जोगी कहा जाता है और मुसलमानों में फकीरों और सूफियों को कलंदर कहा जाता है. कहावत का अर्थ है कि ये किसी के मित्र नहीं होते.
  660. जोगी की प्रीत क्या.जोगी से दिल लगाना ठीक नहीं (क्योंकि वह आज यहाँ तो कल और कहीं).
  661. जोगी को बैल बला.जोगी को बैल दान में दे दिया जाए तो वह उस के लिए मुसीबत ही होगा.
  662. जोगी जुगत जानी नहींकपड़े रंगे तो क्या हुआ.केवल भगवा कपड़े पहनने से कोई जोगी नहीं हो जाता, उसके लिए ज्ञान होना आवश्यक है.
  663. जोगी जुगत से जुग जुग जिए.योगी अपने संयमित जीवन और योग द्वारा लम्बे समय तक जीते हैं.
  664. जोगी जोगी लड़े खप्परों की हानि, (जोगियों की लड़ाई में खप्पर फूटते हैं). खप्पर – मिट्टी का बना भिक्षा मांगने का पात्र, खोपड़ी को भी खप्पर कहते हैं. कहावत का अर्थ है कि यदि किसी संगठन या परिवार के सदस्य आपस में लड़ते हैं तो घर और व्यापार की हानि होती है.
  665. जोगी था सो उठ गया आसन रही भभूत.किसी व्यक्ति के चले जाने के बाद उसके अवशेष और स्मृतियाँ रह जाते हैं.
  666. जोगी बढ़े, तूमड़ी बोवे.कोई छोटा आदमी यदि बड़े पद पर पहुँच जाए तो भी उस की सोच नहीं बदलती. जोगी को यदि बड़ी जायदाद मिल जाए तो वह उसमें तूमड़ी की खेती करेगा.
  667. जोगी मारे छार हाथ.छार – राख, भभूत. जोगी को मारने से क्या मिलेगा, बस राख ही हाथ आएगी. इसी प्रकार की एक कहावत है – बगुला मारे पखना हाथ.
  668. जोड़ जोड़ मर जाएंगेमाल जमाई खाएंगे.जो लोग दिन रात पैसा कमाने में लगे रहते हैं उन को समझाया गया है कि तुम तो पैसा जोड़ जोड़ कर मर जाओगे, ये सारा माल तुम्हारे उत्तराधिकारी खाएंगे.
  669. जोड़ने में बनियापहनने में पठानखाने में बामनझेलने में किसान. बनिया पैसा जोड़ने में, पठान कपड़े पहनने में, ब्राहण खाने में और किसान मुसीबतों को झेलने में सबसे माहिर होते हैं.
  670. जोड़ी टूटे गोटी पिटे.लूडो और चौपड़ के खेल में जब एक खाने में दो गोटियाँ होती हैं तो उन्हें कोई नहीं पीट सकता. जोड़ी में से एक गोटी चलनी पड़ जाए तो अकेली गोटी को पीटा जा सकता है. संगठन में शक्ति है.
  671. जोतेगा हल पावेगा फल.जो खेती में मेहनत करेगा उसी को लाभ मिलेगा.
  672. जोर बादशाह और दाँव वजीर.कुश्ती लड़ने वालों का कथन. ताकत (बादशाह) भी जरुरी है और दाँव पेंच (वजीर) भी.
  673. जोरू का मरना और जूती का टूटना बराबर है.कुछ लोगों की सोच इतनी निकृष्ट होती है कि वे पत्नी को जूती के बराबर समझते हैं. वे समझते हैं कि जैसे जूती टूटने पर नई जूती खरीद ली जाती है वैसे ही पत्नी के मरने पर दूसरी पत्नी लाई जा सकती है.
  674. जोरू खसम की लड़ाईदूध की मलाई.पति पत्नी की लड़ाई में दूसरे लोग मजा लेते हैं.
  675. जोरू चिकनी मियाँ मजूर.जहाँ पत्नी बहुत बन ठन कर रहती हो और पति बेचारा काम में पिसता रहता हो.
  676. जोरू टटोले गठरीमाँ टटोले अंतड़ी.पत्नी इस बात की चिंता करती है कि आदमी क्या कमा कर लाया है जबकि माँ इस बात की चिंता करती है कि बेटे ने कुछ खाया है कि नहीं.
  677. जोरू न जाताअल्लाह मियां से नाता.उन लोगों का मज़ाक उड़ाया गया है जिनके बीबी और औलाद न होने के कारण वे अल्लाह से नाता जोड़ लेते है. तुलसी दास जी ने भी ऐसे लोगों के लिए कहा है – नारी मुई भई सम्पति नासी, मूढ़ मुड़ाए भए सन्यासी.
  678. जोवन था तब रूप थाग्राहक था सब कोयजोवन रतन गवांय केबात न पूछे कोय.जब तक रूप और यौवन था तब तक सब कोई पूछते थे, यौवन बीत जाने के बाद अब कोई नहीं पूछता.
  679. ज्यादा खाय जल्द मरि जायसुखी रहे जो थोड़ा खाय.जो ज्यादा खाता है वह बीमार हो कर जल्दी मर जाता है, जो कम खाता है वह सुखी रहता है. आज की दुनिया में मोटापा सब से बड़ी बीमारी है.
  680. ज्यादा जोगी मठ उजाड़. (बहुते जोगी मठ उजाड़).अधिक जोगी इकट्ठे हो जाएं तो मठ उजड़ जाता है. ज्यादा हिस्सेदार हों तो व्यापार चौपट हो जाता है. अधिक राय देने वाले हों तो काम चौपट हो जाता है.
  681. ज्यादा दाइयां पेट फाड़ें.प्रसव कराने के लिए पहले दाइयां ही बुलाई जाती थीं. एक से ज्यादा दाइयां हों तो उससे लाभ होने की संभावना कम और खतरा अधिक होता है. 
  682. ज्यादा नौकरघर उजाड़.ज्यादा नौकर हों तो एक दूसरे से हिर्स करते हैं और एक दूसरे पर काम टालते हैं. घर की अर्थव्यवस्था भी बिगड़ती है.
  683. ज्यादा पढ़े तो घर सों गए, थोड़ा पढ़े सो हर सों गए.(बुन्देलखंडी कहावत) हर – हल. ज्यादा पढ़ लिख कर बच्चे बाहर नौकरी करने चले जाते हैं याने घर से जाते हैं और थोड़ा बहुत पढ़ जाएँ तो हल चलाने में शर्म महसूस करने लगते हैं.
  684. ज्यादा बहुएं बटाऊओं की खातिर थोड़े ही हैं.अगर हमारे घर में अधिक बहुएं हैं तो राहगीरों की सेवा करने के लिए थोड़े ही हैं. चंदा मांगने वाले लोग धनी लोगों से कहते हैं कि आप के पास क्या कमी है. कोई व्यक्ति सम्पन्न है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह अपना धन आलतू फ़ालतू अनजान लोगों में बांट दे. 
  685. ज्यादा मरोड़ने से लोहा भी टूट जाता है.वीर से वीर पुरुष भी अत्यधिक अत्याचार या वेदना से टूट जाते हैं.
  686. ज्यादा मेहनत से गधा हो जाता हैइतना अधिक परिश्रम नहीं करना चाहिए कि आदमी गधे से भी गया गुजरा हो जाए.
  687. ज्यादा लज्जा करे छिनाल.चरित्रहीन स्त्री अधिक लज्जावान होने का दिखावा करती है.
  688. ज्यादा लाड़ से बालक बिगड़े.बच्चों को लाड़ प्यार करना चाहिए लेकिन इतना अधिक नहीं कि वे बिगड़ जाएँ.
  689. ज्यादा हाथ अच्छे, ज्यादा मुँह नहीं अच्छे.काम में हाथ बताने वाले जितने अधिक हों उतना अच्छा, खाने वाले और बातें करने वाले जितने अधिक हों उतना बुरा. (मुँह से अर्थ खाने से भी है और बातें बनाने से भी).
  690. ज्यादा होशियार ज्यादा ठगा जाता है.जो अपने को अधिक बुद्धिमान समझता है और किसी पर विश्वास नहीं करता वह अधिक ठगा जाता है.  
  691. ज्यों ज्यों बड़ा हो त्यों त्यों पत्थर पड़ें.यहाँ पत्थर पड़ने से अर्थ अक्ल पर पत्थर पड़ने से है. ऐसा व्यक्ति जो बड़ा होने के साथ और अधिक मूर्खतापूर्ण व्यवहार करे.
  692. ज्यों ज्यों बाय बहे पुरवाईत्यों त्यों घायल अति दुःख पाई.पुरबाई हवा चलने से चोटों का दर्द बढ़ जाता है.
  693. ज्यों ज्यों मुर्गी मोटी होएत्यों त्यों दुम सिकुड़े.जैसे जैसे व्यक्ति के पास पैसा बढ़ता है, वह कंजूस होता जाता है.
  694. ज्यों तिल मांही तेल हैज्यों चकमक में आगतेरा सांई तुझमेंजाग सके तो जाग.तिल में तेल होता है पर ऊपर से नहीं दिखता, चकमक में से आग पैदा होती है पर चकमक के अंदर दिखाई नहीं देती. इसी प्रकार ईश्वर मनुष्य के मन में होता है पर वह उसे देख ही नहीं पाता.
  695. ज्यों नकटे को आरसी देख होत है क्रोध.आरसी का अर्थ है छोटा दर्पण. नकटे को कोई शीशा दिखाए तो उसे गुस्सा आता है. किसी को उसकी कमी बताओ तो उसे गुस्सा आता है.
  696. ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय.(अति हठ मत कर हठ बढे, बात न करिहै कोय). कम्बल जैसे जैसे भीगता है वैसे वैसे भारी होता जाता है. इसी प्रकार अधिक हठ या बहस करने से नाराजगी बढ़ती जाती है.
  697. ज्वर, याचक और पाहुना, करजा मांगनहार, लंघन तीन कराए दो, फेर न आवें द्वार.कहावत में यह सुझाव दिया गया है कि कर्ज़ मांगने वाले, भीख मांगने वाले और मेहमान को तीन चार बार टरका दो तो वह फिर नहीं आएगा. लंघन कराना – भूखा रखना. पहले के लोग मानते थे कि भूखा रहने से ही बुखार उतरता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *