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झगड़ा झूठा कब्जा सच्चा. जायदाद पर जिसका कब्ज़ा है वही एक प्रकार से उसका मालिक है. एक तो इसलिए कि वह उसे काम में ले रहा है यानि उसका फायदा उठा रहा है, दूसरे इस लिए कि उससे खाली कराने के लिए दूसरे पक्षकार को बीसियों साल तक मुकदमा लड़ना पड़ेगा.
झगड़ा न द्वन्द, हुक्का पानी काहे बंद. जब तुम से कोई झगड़ा नहीं है तो हमारा सामाजिक वहिष्कार क्यों.
झगड़ा भतार से, रूठीं संसार से. ऐसी स्त्री का मजाक उड़ाने के लिए जो पति से झगड़ा होने पर सब से रूठ कर मुँह फुलाए बैठी है.
झगड़े की जड़ सूपनखा. दुष्ट स्त्रियाँ ज्यादातर झगड़े कराती हैं. राम रावण युद्ध भी शूर्पनखा के कारण हुआ था.
झगड़े की तीन जड़, जोरू जमीन और जर. तीन चीजें ऐसी हैं जिनके कारण सबसे अधिक सबसे अधिक झगड़े, मुकदमे और कत्ल आदि होते हैं – स्त्री, जमीन जायदाद और रुपया पैसा.
झटपट की घानी, आधा तेल आधा पानी. घानी – कोल्हू. जल्दीबाज़ी में कोल्हू चलाओगे तो तेल में आधा पानी मिल जाएगा. जल्दबाज़ी का काम बुरा होता है.
झटपट खेती, झटपट न्याव, झटपट कर कन्या को ब्याव. खेती तभी सफल होती है जब समय से की जाए, न्याय तभी न्याय माना जाता है जब समय से मिल जाए, इसलिए ये दिनों कार्य झटपट करना चाहिए. कन्या के विवाह में भी बिलकुल विलम्ब नहीं करना चाइए.
झरबेरी अरु काँस में खेत करौ मत कोय, बैला दोऊ बेच के करो नौकरी सोय. झरबेरी और काँस जहाँ हों वहाँ खेती नहीं करनी चाहिए. इससे अच्छा तो बैल बेच कर नौकरी कर लो.
झरबेरी के जंगल में बिल्ली शेर. झरबेरी के जंगल में बिल्ली भी शेर के समान खतरनाक हो सकती है. कहावत का अर्थ है कि परिस्थियाँ अनुकूल हों तो छोटा अपराधी भी खतरनाक हो सकता है.
झांसी गले की फांसी, दतिया गले का हार, ललितपुर तब तक न छोडिए, जब तक मिले उधार. पुराने शहरों के विषय में बहुत से लोक कथन हैं, उन्हीं में से एक.
झाड़ को जेरी, गंवार को लठा, कोदों की रोटी को भैंस का मठा. जेरी (जेली) – झाड़ियाँ आदि हटाने का औजार. झाड़ से निबटने को जेली की जरूरत होती है, मूर्ख व्यक्ति से निबटने को लट्ठ और कोदों की रोटी पचाने के लिए भैंस के दूध का मट्ठा जरूरी होता है.
झाडूं फूंकूँ चंगा करूं, दैव ले जाए तो मैं क्या करूं. झाड़ फूंक करने वाला (या अन्य इलाज करने वाला) व्यक्ति कह रहा है कि मैं तो झाड़ फूंक कर ठीक कर देता हूँ, पर ईश्वर के घर से बुलावा आ जाए तो मैं क्या करूं.
झार बिछाई कामरी, रहे निमाने सोई. किसी के लिए कंबल झाड़ के बिछाया पर वह फर्श पर सो गया. जिसके लिए इंतजाम किया उसे ही पसंद नहीं आया.
झिलंगा खटिया, वातल देह, तिरिया लम्पट, हाटै गेह, भाई बिगर के मुद्दई मिलंत, घाघ कहै ई विपति कै अंत. वातल – वायु रोग से ग्रस्त. घाघ कवि ने पांच सब से बड़ी विपत्तियाँ यूँ गिनाई हैं – ढीली खाट, वायु रोग से ग्रस्त शरीर, दुश्चरित्र पत्नी, बाज़ार में घर होना और भाई का बिगड़ कर मुकदमा करने वाले दुश्मन से मिल जाना.
झुक के रहे तो सुख से रहे. विनम्रता से रहने वाला व्यक्ति सुखी रहता है.
झुके पेड़ पर बकरी भी चढ़ जाती है. आदमी की विनम्रता का लाभ कमजोर लोग भी उठा लेते हैं.
झूठ कहना और झूठा खाना बराबर है. अर्थ स्पष्ट है.
झूठ कहे सो लड्डू खाए, सांच कहे सो मारा जाए. जो झूठ बोलता है और तरह तरह के प्रपंच करता है उसे माल खाने को मिलता है, जो सच बोलता है वह नुकसान उठाता है.
झूठ की टहनी कभी फलती नहीं, नाव कागज़ की सदा चलती नहीं. झूठ बहुत समय तक नहीं टिकता.
झूठ की दौड़ छत तक होती है. झूठ अधिक नहीं चल सकता
झूठ की नाव मंझधार में डूबती है. झूठ बहुत दिन तक नहीं चलता.
झूठ के पाँव कहाँ. झूठ बहुत दिन नहीं टिक सकता. इंग्लिश में कहावत है – A lie has no legs.
झूठ तितौंही बोलिए, ज्यों आटे में नोन. झूठ उतना ही बोलना चाहिए जितना आटे में नमक डाला जाता है.
झूठ न बोले तो अफर जाए. बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो अगर झूठ न बोलें तो उनका पेट फूल जाता है. रूपान्तर – झूठ न बोले तौ खाई रोटी न पचे.
झूठ नौ कोस, सच सौ कोस. झूठ अधिक दूर नहीं जा सकता, सच्ची बात दूर दूर तक जाती है.
झूठ बात सच होले, जो दस आदमी बोलें. दस आदमी मिल कर कोई झूठ बात जोर जोर से बोलें तो उस के सच होने का भ्रम होता है. राजनीति में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है.
झूठ बोलना पाप है, नदी किनारे सांप है. बच्चों की कहावत. झूठ बोलने से मना करने का बाल सुलभ तरीका.
झूठ बोलने के लिए अच्छी याददाश्त चाहिए. झूठ बोलने वाले को याद रखना पड़ता है कि किस से क्या कहा.
झूठ बोलने में सरफ़ा क्या. झूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता, इसलिए झूठ बोलने में क्या हर्ज़ है.
झूठ बोलने वाले को पहले मौत आती थी, अब बुखार भी नहीं आता. पहले के लोग कहते थे कि झूठ बोलने वाले को मौत आ जाती है. अब तो लोग इतने बेशर्म हैं कि झूठ बोलने वाले को बुखार तक नहीं आता.
झूठ बोलो पर झूठ में उलझो नहीं. कभी मजबूरी में थोडा झूठ बोलना पड़े तो उतना ही झूठ बोलना चाहिए जितना आवश्यक हो, अधिक झूठ बोल कर फंसने वाला काम नहीं करना चाहिए.
झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चबेना. 1. अत्यधिक झूठे व्यक्ति के लिए (जैसे आजकल के कुछ नेता). 2. संसार के मिथ्या होने का ज्ञान. यहाँ लेन देन, खाना पीना सब मिथ्या है.
झूठा भले ही खा लो पर झूठी बात कभी मत करो. किसी का झूठा खाना बहुत बुरी बात मानी जाती है पर झूठ बोलना उससे भी बुरा है.
झूठा मरे शहर पाक होए. झूठे व्यक्ति के मरने पर शहर शुद्ध हो जाता है.
झूठे की कोई पत नहीं, मूरख का कोई मत नहीं. झूठ बोलने वाले व्यक्ति की कोई इज्ज़त नहीं होती, इसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति के मत का कोई सम्मान नहीं होता.
झूठे की क्या दोस्ती, लंगड़े का क्या साथ, बहरे से क्या बोलना, गूंगे से क्या बात. जो आदमी झूठा हो उससे दोस्ती क्या करना (वह कभी दोस्ती नहीं निभाएगा), लंगड़े के साथ चलना कैसा, बहरे को कुछ सुनाने से क्या फायदा और गूंगे से बात क्या करना.
झूठे की क्या पहचान, वह बात बात पर कसम खाता है. जो आदमी बात बात पर कसम खाता है, यकीन मानिए वह सबसे बड़ा झूठा होता है.
झूठे के आगे सच्चा रो मरे. सच्चे व्यक्ति के लिए झूठ बोलने वाले से पार पाना बहुत कठिन है.
झूठे के सींग पूँछ थोड़े ही होते हैं. कौन आदमी सच्चा है और कौन झूठा यह जानना बहुत कठिन होता है.
झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिए. झूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे.
झूठे को झूठा मिले, दूना बढ़े सनेह, झूठे को साँचा मिले तब ही टूटे नेह. जब झूठे आदमी को दूसरा झूठा आदमी मिलता है तो दूना प्रेम बढ़ता है. पर जब झूठे को सच्चा आदमी मिलता है तो प्रेम टूट जाता है.
झूठे घर को घर कहें, सच्चे घर को गोर. गोर माने कब्र. आदमी जिस घर में कुछ दिन के लिए रहने को आया है उसे अपना घर समझने लगता है. उसका सच्चा घर तो वह है जिसे वह कब्र कहता है और जहाँ उसे सैकड़ों साल रहना है. मुस्लिम व इसाई मानते हैं कि कयामत आने तक उन्हें सैकड़ों साल कब्र में रहना है.
झूठे जग पतियाए, सच्चा मारा जाए. झूठे व्यक्ति का लोग आसानी से विश्वास कर लेते हैं और सच्चे व्यक्ति को बहुत कष्ट उठाने पड़ते हैं.
झूठे ब्याव, साँचे न्याव. विवाह झूठ बोल कर होता है जबकि न्याय में सत्य से काम लेना पड़ता है.
झूठे मीठे वचन कहि ऋण उधार ले जाय, लेत परम सुख ऊपजै लैके दियो न जाय. उधार लेने वाले झूठ बोल कर उधार ले लेते हैं. लेते समय तो वे बड़े प्रसन्न होते हैं पर ले कर देना नहीं चाहते.
झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद, जगत चबेना काल का, कछु मुख में कछु गोद. जिस व्यक्ति के पास धन दौलत, जायदाद पत्नी बच्चे इत्यादि सांसारिक सुख हैं वह मन में बड़ा प्रसन्न होता है, पर वह यह भूल जाता है कि ये सब क्षण भंगुर हैं.
झूठों में झूठा मिले हांजी हांजी होए, झूठों में सच्चा मिले तुरत लड़ाई होए. झूठे धोखेबाज और चापलूस लोगों में आपस में खूब बनती है लेकिन सच्चा आदमी उनके बीच क्षण भर भी नहीं रह सकता.
झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाब देखें. जो अपनी वास्तविकता भूल कर बड़े बड़े सपने देखता है.