- इंचा खिंचा वह फिरे, जो पराए बीच में पड़े.जो दूसरों के मसलों में बीच में पड़ता है वह खुद ही परेशानी में पड़ जाता है (अपनी टांगें खिंचवाता है) .
- इंतजार का फल मीठा.प्रतीक्षा करने के बाद जो चीज़ मिलती है वह अधिक अच्छी लगती है.
- इंशाअल्लाहताला, बिल्ली का मुँह काला.मुसलमान लोगमुँह से कोई अशोभनीय बात निकल जाए तो ऐसा कहते हैं.
- इंसान अपने दुःख से इतना दुखी नहीं है जितना औरों के सुख से है.अर्थ स्पष्ट है.
- इंसान जन्म से नहीं कर्म से महान होता है.अर्थ स्पष्ट है.
- इंसान बनना है तो दारू पियो, दूध तो साले कुत्ते भी पीते हैं.यूँ तो शराब पीने वाले अपने आप को सही ठहराने के लिए बहुत से बहाने बताते हैं पर इस से ज्यादा मजेदार शायद ही कोई होगा.
- इक कंचन इक कुचन पे, को न पसारे हाथ.सोने पर और स्त्री के शरीर पर कौन हाथ नहीं पसारता. कुच – स्तन.
- इक तो बड़ों बड़ों में नाँव, दूजे बीच गैल में गाँव, ऊपै भए पैसन से हीन, दद्दा हम पै विपदा तीन.कोई सज्जन अपनी तीन विपदाएं बता रहे हैं – एक तो लोग हमें धनी समझते हैं (इसलिए सहायता मांगने आते हैं), दूसरे मुख्य मार्ग पर गाँव स्थित है (इसलिए अधिक लोग हमारे घर आते हैं) और तीसरे यह कि अब हम पर अब धन नहीं रहा.
- इक तो बुढ़िया नचनी, दूजे घर भया नाती.बुढ़िया नाचने की शौक़ीन थी और ऊपर से घर में पोते का जन्म हो गया तो वह नाचे ही जा रही है. किसी सुअवसर पर अधिक प्रसन्न होने वालों पर व्यंग्य.
- इक नागिन अरू पंख लगाई.एक खतरनाक चीज़ जब और खतरनाक हो जाए.
- इकली लकड़ी ना जले, नाहिं उजाला होय.अकेला व्यक्ति कोई महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकता.
- इक्का, वकील और गधा, पटना शहर में सदा.किसी भुक्तभोगी ने पटना शहर की तारीफ़ यह कह कर की है कि वहाँ इक्के, वकील और गधे हमेशा मिलते है.
- इक्के चढ़ कर जाए, पैसे दे कर धक्के खाए.इक्के की सवारी में धक्के बहुत लगते थे, उस पर मजाक.
- इज्जत भरम की, कमाई करम की, लुगाई सरम की.जो आदमी जितनी हवा बना कर रखता है उस की उतनी अधिक इज्जत होती है, कमाई अपने भाग्य से होती है या अपने कर्म से होती है (यहाँ करम का अर्थ कर्मफल अर्थात भाग्य से भी है और उद्यम से भी) और स्त्री लज्जाशील ही अच्छी होती है. भरम – भ्रम.
- इज्जत वाले की कमबख्ती है.जिसकी कोई इज्जत नहीं उसे कोई चिंता नहीं, प्रतिष्ठित व्यक्ति को ही अपनी साख बचाने के लिए सब झंझट करने पड़ते हैं.
- इडिल-मिडिल की छोड़ आस, धर खुरपा गढ़ घास. पहले जमाने में आठवाँ पास को मिडिल पास कहते थे. जिस का मन पढ़ाई में न लग रहा हो उस से बड़े बूढ़े कह रहे हैं कि तुम तो खुरपा पकड़ो और घास खोदो.
- इतना ऊपर न देखो की सर पर रखा टोप ही नीचे गिर जाय.आदमी को अपनी हैसियत से ज्यादा का सपना नहीं देखना चाहिए.
- इतना नफा खाओ जितना आटे में नोन.व्यापार में थोड़ा ही मुनाफा खाना चाहिए. ज्यादा मुनाफाखोरी से व्यापार चौपट हो सकता है और लोगों की हाय भी लगती है.
- इतना हंसिए की रोना न पड़े.सफलता मिलने पर या किसी शुभ अवसर पर बहुत अधिक खुश नहीं होना चाहिए. समय बड़ा बलवान है, कभी भी पलट सकता है.
- इतनी बड़ाई और फटी रजाई.जो लोग डींगें बहुत हांकते हैं और अन्दर से खोखले होते हैं.
- इतनी सी जान गज भर की जबान.जब कोई लड़का या छोटा आदमी बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करता है.
- इत्तेफाक से कुतिया मरी, ढोंगी कहे मेरी बानी फली.कुतिया तो इत्तेफाक से मरी थी, ढोंगी बाबा को यह कहने का मौका मिल गया कि देखो मैंने श्राप दिया इसलिए मर गई. संयोग का फायदा उठाने वाले कुटिल लोगों के लिए.
- इधर का दिन उधर उग आया.आशा के विपरीत लाभ किसी और को हो गया.
- इधर काटा उधर पलट गया.सांप के लिए कहते हैं कि वह काटते ही पलट जाता है तभी उसका जहर चढ़ता है. इस कहावत को धोखेबाज आदमी के लिए प्रयोग करते हैं जो धोखा देता है और अपनी बात पर कायम नहीं रहता.
- इधर कुआं उधर खाई. (आगे कुआं पीछे खाई) (इधर गिरूँ तो कुआं, उधर गिरूँ तो खाई).जब व्यक्ति किसी ऐसी परिस्थिति में फंस जाए जिसमें दोनों ही विकल्प खतरनाक हों तब यह कहावत प्रयोग की जाती है. इंग्लिश में कहते हैं Between the devil and the deep sea.
- इधर तलैया उधर बाघ.दोनों ओर संकट का होना.
- इधर न उधर यह बला किधर.जब कोई अत्यधिक बीमार व्यक्ति न मरे न ही ठीक हो, तब कहते हैं.
- इन तिलों में तेल नहीं. निचुड़ा हुआ आदमी.
- इन नैनन का यही विसेख, वह भी देखा यह भी देख.इन आँखों की विशेषता यही है कि ये अच्छा भी देखती हैं और बुरा भी. तात्पर्य है कि व्यक्ति को अच्छे बुरे सभी तरह के दिन देखने पड़ते हैं.
- इनकी नाक पर गुस्से का मस्सा.जो लोग हर समय गुस्से में रहते हैं उन पर व्यंग्य.
- इन्दर की जाई पानी को तिसाई.जाई – बेटी, तिसाई – प्यासी (तृषित). वर्षा के देवता इंद्र की पुत्री पानी को तरस रही है. जहाँ किसी वस्तु की अधिकता होनी चाहिए वहाँ उसकी कमी हो तो.
- इन्दर राजा गरजा, म्हारा जिया लरजा.बरसात आने पर गल्ले का व्यापारी घबरा रहा है कि सामान कहाँ रखूँ, जो भीग कर खराब न हो. (कुम्हार के लिए भी).
- इब्तदाये इश्क है रोता है क्या, आगे- आगे देखिए होता है क्या.किसी काम को शुरू करने पर जो लोग ज्यादा उत्साह दिखाते हैं या ज्यादा घबराते हैं उन के लिए.
- इमली बूढ़ी हो जाए पर खटाई नहीं छोड़ती.बूढ़ा होने पर भी व्यक्ति का स्वभाव नहीं बदलता.
- इराकी पर जोर न चला, गधी के कान उमेठे.इराकी – घुड़सवार. ताकतवर पर वश न चले तो कमज़ोर पर ताकत दिखाते हैं.
- इर्ष्या द्वेष कभी न कीजे, आयु घटे तन छीजे.किसी से ईर्ष्या करने पर उसका कोई नुकसान नहीं होता, अपना स्वास्थ्य खराब होता है और आयु कम होती है. दूसरों की सुख समृद्धि देख कर जलना नहीं चाहिए, मन में संतोष रखना चाहिए.
- इलाज से बड़ा परहेज.परहेज का महत्त्व दवा से भी अधिक है. इंग्लिश में कहावत है – Prevention is better than cure.
- इल्म का परखना और लोहे के चने चबाना बराबर है.किसी की सही योग्यता जान पाना बहुत कठिन है.
- इल्म थोड़ा, गरूर ज्यादा.अल्पज्ञानी और अहंकारी व्यक्ति के लिए.
- इल्लत जाए धोए धाय, आदत कभी न जाए.गन्दगी तो धोने से छूट सकती है पर गन्दी आदत कभी नहीं छूटती. इंग्लिश में कहते हैं – Old habits die hard.
- इल्ली मसलने से आटा वापस नहीं मिलता.इल्ली कहते हैं अनाज में पलने वाले लार्वा को. यह बहुत तेज़ी से अनाज को खाता है. लेकिन अगर हम गुस्से में इल्ली को मसल दें तो वह अनाज वापस नहीं मिल सकता. किसी ने हमारा नुकसान किया हो तो उस को मार देने से नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती.
- इश्क और मुशक छिपाए नहीं छिपते.प्रेम और दुश्मनी छिपाने से नहीं छिपते (प्रकट हो ही जाते हैं). रहीम ने इसे और विस्तार से इस प्रकार कहा है – खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीत, मदपान; रहिमन दाबे न दबें, जानत सकल जहान. कत्थे का दाग, खून, खांसी, ख़ुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब पीना ये सब छिपाने से नहीं छिपते.
- इश्क का मारा फिरे बावला. प्रेम का रोग जिसको लग जाए वह उचित अनुचित का बोध खो देता है.
- इश्क की मारी कुतिया कीचड़ में लोटती है.विशेषकर दुश्चरित्र स्त्री की ओर संकेत है कि वह अपने प्रेमी को पाने के लिए कुछ भी कर सकती है.
- इश्क की मारी गधी धूल में लोटे.गधी को भी इश्क हो जाए तो वह अपने काबू में नहीं रहती. प्रेम करने वालों पर व्यंग्य.
- इश्क के कूचे में आशिक की हजामत होती है.प्रेम के चक्कर में आदमी लुट जाता है.
- इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के.इश्क के चक्कर में पड़ कर अच्छे खासे कामकाजी लोग भी बरबाद हो जाते हैं. प्रेम के अलावा कोई और परेशानी होने पर भी लोग मजाक में ऐसा बोलते हैं.
- इश्क मुश्क खांसी ख़ुशी, सेवन मदिरा पान, जे नौ दाबे न दबें, पाप पुण्य औ स्यान.(बुन्देलखंडी कहावत) स्यान – चालाकी. प्रेम, शत्रुता, खांसी, ख़ुशी, मदिरा सेवन, पाप, पूण्य और चतुराई, ये सब छिपाने से नहीं छिपते.
- इश्क में शाह और गधा बराबर.अर्थात दोनों की ही अक्ल घास चरने चली जाती है.
- इस घर का बाबा आदम ही निराला है.किसी घर के रीति रिवाज़ दुनिया से अलग हों तो.
- इस दुनिया के तीन कसाई, पिस्सू, खटमल, बामन भाई.ये तीनों ही लोगों का खून चूसते हैं.
- इस देवी ने बहुत से भक्त तारे हैं.किसी कुलटा स्त्री के प्रति व्यंग्य.
- इस मुर्दे का पीला पाँव, के पीछे पीछे तुम भी आओ.कुछ चोर सोने की मूर्ति चुरा कर उस की अर्थी बना कर ले जा रहे थे. संयोग से पैर के ऊपर ढंका कपड़ा कुछ उघड़ गया और मूर्ति का पैर दिखने लगा. किसी आदमी ने यह देख कर सवाल पूछा. चोरों को लगा कि इस आदमी को शक हो गया है तो उस से बोले कि तुम भी साथ आ जाओ, तुम्हें भी हिस्सा दे देंगे. किसी घोटाले के उजागर होने पर घोटाला करने वाला हिस्सा देने की बात कहे तो यह कहावत कही जाती है.
- इस हाथ घोड़ा, उस हाथ गधा.जो आदमी जल्दी खुश हो जाए और उतनी ही जल्दी नाराज भी हो जाए.
- इस हाथ ले, उस हाथ दे.इस का अर्थ दो प्रकार से है – एक तो यह कि धन संपत्ति के लिए अधिक लोभ और मोह नहीं करना चाहिए, यदि हम समाज से बहुत कुछ लेते हैं तो समाज को बहुत कुछ देना भी चाहिए. दूसरा यह कि उधार ली हुई रकम जितनी जल्दी हो सके लौटा देनी चाहिए. कुछ लोग पूरी कहावत इस प्रकार बोलते हैं – क्या खूब सौदा नकद है, इस हाथ ले उस हाथ दे.
- इहाँ कुम्हड़बतिया कोऊ नाहीं, जे तर्जनी देखि मुरझाहीं.यहाँ कोई छुईमुई की पत्तियाँ नहीं है जो तुम्हारी उँगली देख कर मुरझा जाएंगी. राम ने जब शिवजी का धनुष तोड़ दिया तो परशुराम आ कर बहुत क्रोधित होने लगे. तब लक्ष्मण ने उन को ललकारते हुए यह कहा. कहावत का अर्थ है कि आप अपने को बहुत बलशाली समझते हो पर हम भी आप से कम नहीं है.
- इहाँ न लागहिं राउर माया.यहाँ आप की जालसाजी नहीं चलेगी. राउर – आपकी.
इ
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