Uncategorized

  1. उंगलियों से नाखून अलग नहीं होते.जो अपने हैं वे अपने ही रहते हैं.
  2. उंगली पकड़ाई पाहुंचा पकड़ लिया.किसी की थोड़ी सी सहायता की तो वह पीछे ही पड़ गया.
  3. उंगली सूज कर अंगूठा नहीं बन सकती. किसी वस्तु की मूलभूत प्रकृति नहीं बदल सकती.
  4. उंगली हिलानेसे किसी का भला होता हो तो मना क्यूँ करें. अपने बिना प्रयास किये किसी का भला होता हो तो क्या हर्ज़ है.
  5. उगता नहीं तपातो डूबता क्या तपेगा.जिसने युवावस्था में कोई प्रसिद्धि पाने लायक कार्य नहीं किया वह वृद्धावस्था में क्या करेगा.
  6. उगता सूरज तपे.जब व्यक्ति कामयाबी की सीढियों पर चढ़ रहा होता है वह बहुत रौब दिखाता है.
  7. उगते सूरज को सभी नमस्कार करते हैं.जब व्यक्ति उन्नति कर रहा होता है तो सभी उसका आदर करते हैं.
  8. उगले सो अंधा खाए तो कोढ़ी. (सांप छछूंदर की गति)किसी ऐसी स्थिति में फंस जाना जिस में दोनों प्रकार से संकट हो. (सांप के विषय में कहा जाता है कि यदि वह छछूंदर को पकड़ ले तो बहुत संकट में पड़ जाता है, यदि वह उसे उगल दे तो अंधा हो जाएगा और अगर निगल ले तो कोढ़ी हो जाएगा). 
  9. उगे सो अस्तेजन्मे सो मरे.जो उदय होता है वह अस्त भी होगा (चाहे सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र हों या साम्राज्य) और जिसने जन्म लिया है वह मृत्यु को अवश्य प्राप्त होगा. अपने अच्छे समय में कभी अभिमान नहीं करना चाहिए.
  10. उघरे अंत न होहि निबाहू(कालनेमि जिमि रावन राहू).धोखे का काम अधिक समय नहीं चलता (अंत में खुल जाता है), जिस प्रकार कालनेमि, रावण और राहु के साथ हुआ.
  11. उजड़े घर का बलेंड़ा.किसी बर्बाद हुए व्यापार या संस्था का एकमात्र जिम्मेदार आदमी. (बलेंड़ा – छप्पर में लगने वाली लम्बी लकड़ी).
  12. उजड़े न टिड्डी का घरनाम वीरसिंह.गुण के विपरीत नाम.
  13. उजला उजला सभी दूध नहीं होता.सभी सफ़ेद चीज़ दूध नहीं होतीं. अर्थ है कि केवल देखने से किसी वस्तु के गुणों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकताइंग्लिश में कहते हैं – All that glitters is not gold.
  14. उजले उजले सब भले उजले भले न केसनारि नवे न रिपु दबे न आदर करे नरेस.और सब चीजों का उज्ज्वल होना अच्छा है पर बालों का उजला (सफ़ेद) होना नहीं. बाल सफ़ेद हों तो स्त्री नहीं दबती, शत्रु भय नहीं खाते और राजा भी आदर नहीं करते.
  15. उज्ज्वल बरन अधीनताएक चरन दो ध्यानहम जाने तुम भगत होनिरे कपट की खान.बगुले के लिए कही गई पहेली नुमा कहावत. उजला रंग, एक पैर पर खड़े होकर दो चीज़ों में ध्यान लगाए हैं. देखने में भगत लगते हैं पर निरे कपट की खान हैं. ढोंगी साधुओं और नेताओं के लिए भी. 
  16. उज्ज्वलता मन उज्जवल राखेवेद पुरान सकल अस भाखैं.चरित्र की शुद्धता से मन भी उज्ज्वल रहता है. वेद पुराण सभी ऐसा कहते हैं. भाखैं – भाषित करते हैं. 
  17. उठ दूल्हे फेरे लेहाय राम मौत दे.आलसी होने की पराकाष्ठ. दूल्हे से कहा जा रहा है कि उठ फेरे ले, वह कह रहा है हाय राम! क्या मौत आ गई.
  18. उठ बंदेवही धंधे.सुबह सो कर उठते ही आदमी को काम धंधे की चिंता सताने लगती है.
  19. उठ बे बंदर, बैठ बे बंदर.जोरू के गुलाम का मजाक उड़ाने के लिए.
  20. उठती मालिन और बैठता बनिया.मालिन जब दुकान समेट कर घर जा रही होती है तो निबटाने के लिहाज से सामान सस्ता दे देती है, और बनिया जब दुकान खोलता है तो बोहनी के चक्कर में सामान सस्ता दे देता है.
  21. उठी पैठ आठवें दिन ही लगती है.यहाँ पैठ का अर्थ साप्ताहिक बाज़ार से है. अवसर एक बार हाथ से निकल जाने पर दोबारा जल्दी हाथ नहीं आता.
  22. उठो सासू जी आराम करोमैं कातूं तुम पीस लो.बहू को सास के आराम का बड़ा ध्यान है. कह रही है, तुम आराम से चक्की पीसो,  सूत कातने जैसा कठिन काम मैं कर लेती हूँ. 
  23. उड़ता आटा पुरखों को अर्पण.चक्की में से उड़ते आटे को पुरखों को अर्पण करने का ढोंग.
  24. उड़ती उड़ती ताक चढ़ी.किसी उड़ती खबर को महत्त्व मिल जाना.
  25. उड़द कहे मेरे माथे टीकामुझ बिन ब्याह न होवे नीका.उड़द की दाल पर छोटा सा निशान होता है. उड़द के बिना बड़े और कचौड़ी नहीं बन सकतीं इसलिए कोई भी आयोजन फीका रहेगा.
  26. उड़द लगे न पापड़ी, बहू घर में आ पड़ी.शादी विवाह जैसे समारोहों में बड़ियाँ व कचौड़ियाँ बनती हैं जिन में उड़द की दाल का प्रयोग होता है. किसी के विवाह आदि में कोई समारोह न किया जाए और लोगों को दावत न मिले तो लोग मजाक उड़ाने के लिए इस प्रकार बोलते हैं.
  27. उढ़ली बहू बलैंड़े सांप दिखावे.उढ़ली माने दुश्चरित्रा स्त्री. इस प्रकार की बहू छप्पर में साँप बता कर लोगों का ध्यान उस तरफ लगा देती है और खुद घर से निकल जाती है. कोई कामचोर या बेईमान आदमी बहाने बनाए तो यह कहावत कही जाती है.
  28. उत तेरा जाना मूल न सोहेजो तुझे देख के कूकुर रोवे.यदि कहीं जाने पर आपको देख के कुत्ता रोता है तो इसे भारी अपशकुन मानें.
  29. उत से अंधा आय है, इत से अंधा जाय, अंधे से अंधा मिला, कौन बतावे राय.जहाँ सारे लोग अज्ञानी हों वहाँ राह कौन दिखाएगा.
  30. उतना खाए जितना पचे.खाने में संयम रखने के लिहाज से भी कहा गया है और रिश्वतखोरों को भी सलाह दी गई है.
  31. उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई.एक बार बेज्जती हो गई तो फिर वह मान सम्मान लौट कर नहीं आ सकता. 2. जिस का सम्मान चला जाए वह कुछ भी कर सकता है.
  32. उतरती नदी किनारे ढाए.बाढ़ के बाद जब नदी का पानी उतरता है तो किनारों को ढहा देता है. संकट खत्म होते होते भी हानि पहुँचा सकता है इसलिए संकट बिल्कुल समाप्त होने तक सावधान रहना चाहिए.
  33. उतरा घांटीहुआ माटी.स्वादिष्ट से स्वादिष्ट भोजन भी गले से नीचे उतर कर मिट्टी के समान महत्वहीन हो जाता है.
  34. उतरा पातरमैं मियां तू चाकर.पातर – कर्ज़. कर्ज़ उतारने के बाद अब मैं तुम से क्यों दबूं.
  35. उतरा हाकिम कुत्ते बराबर (उतरा हाकिम चूहे बराबर).पद खोने के बाद हाकिम को कोई नहीं पूछता.
  36. उतारने से ही बोझ उतरता है. सर पर रखा बोझ हो या कोई क़र्ज़, वह प्रयास करने से ही उतरता है.
  37. उतावला दो बार फिरे.जल्दबाजी में आगे बढ़ने वाले को दो बार लौट के आना पड़ता है और अधिक समय लगता है.
  38. उतावला सो बावला. धीरा सो गम्भीरा.जल्दबाजी करने वाला अक्सर मूर्खतापूर्ण कार्य कर देता है. धैर्य से काम करने वाला गंभीर व्यक्ति ही सफल होता है.
  39. उतावली कुम्हारननाखून से मिट्टी खोदे.जल्दबाजी में फूहड़पन से काम करना.
  40. उतावली नाइन उंगली काटे.नाई की कुशलता की परीक्षा नहरनी से नाखून काटने में होती है. नाइन अगर जल्दबाजी में काम करगी तो नाखून के साथ उंगली भी काट देगी.
  41. उतावले मारे जाते हैं, वीरों के गाँव बसते हैं.जल्दबाजी करने वाले सही योजना न बनाने के कारण युद्ध में हार जाते हैं जबकि वीर पुरुष समझदारी से युद्ध जीत कर गाँव व शहर बसाते हैं.
  42. उत्तम खेती जो हल गहामध्यम खेती जो संग रहा.जो खुद हल चलाता है उस की खेती सब से अच्छी होती है और जो हलवाहे के साथ में रहता है उसकी खेती मध्यम (कुछ कम सफल) होती है. 
  43. उत्तम खेती मध्यम बानअधम चाकरी भीख निदान.घाघ के अनुसार खेती सर्वोत्तम कार्य है, व्यापार मध्यम और नौकरी निम्न श्रेणी का काम है और यदि कोई काम न कर सको तो भीख मांग कर काम चलाओ.
  44. उत्तम गानामध्यम बजाना.गायकी सर्वश्रेष्ठ है, वाद्य बजाना उसके बाद आता है.
  45. उत्तम विद्या लीजिए. तदपि नीच में होए.यदि किसी छोटे व्यक्ति में कोई गुण हो तो उससे सीखने में संकोच नहीं करना चाहिए.
  46. उत्तम विद्या लीजिये जदपि नीच में होय, पड़यो अपावन ठौर में कंचन तजे न कोय.किसी निम्न कुल के व्यक्ति, निर्धन या अनपढ़ से भी यदि कोई उत्तम बात सीखने को मिले तो सीखनी चाहिए. सोना यदि गंदे स्थान पर पड़ा हो तो भी उसे छोड़ थोड़े ही देते हैं.
  47. उत्तम से उत्तम मिलेमिले नीच से नीचपानी में पानी मिलेमिले कीच में कीच.व्यक्ति अपनी संगत स्वयं ही ढूँढ़ लेता है. उत्तम व्यक्ति उत्तम लोगों की संगत पसंद करता है और नीच व्यक्ति नीच लोगों की संगत ढूँढता है.
  48. उत्तर गुरु दक्खन में चेलाकैसे विद्या पढ़े अकेला.जब कोई दो व्यक्ति बहुत दूर दूर हों तो आपस में संवाद हीनता की स्थिति बन जाती है.
  49. उत्तर जायं कि दक्खनवे ही करम के लच्छन.जिन का भाग्य साथ नहीं देता वे बेचारे कहीं भी जाएँ असफल ही होते हैं.
  50. उत्तर रखे बतावे दक्खन बाके अच्छे नाही लच्छन.जो व्यक्ति बात का उल्टा जवाब देता है वह विश्वास योग्य नहीं होता.
  51. उथली रकाबी फुलफुला भातलो पंचों हाथ ही हाथ.कंजूस की बेटी की शादी हुई तो उसने उथली प्लेट में फूला फूला भात परोस दिया ताकि देखने में ज्यादा लगे. कोई खिलाने पिलाने में कंजूसी करे तो यह कहावत कहते हैं.
  52. उथले कहि के गहरे बोरें.उथला पानी बता कर गहरे में डुबो देने वालों के लिए.
  53. उथले पानी की मछली.कम संसाधनों में परेशानी से गुजारा करने वाले के लिए.
  54. उदधि बड़ाई कौन है, जगत पियासो जाय.समुद्र में कितना भी पानी क्यों न हो उससे किसी की प्यास नहीं बुझती. कोई व्यक्ति कितना भी धनवान या ज्ञानवान क्यों न हो, यदि किसी के काम न आ सके तो उसका बड़प्पन बेकार है. 
  55. उदधि रहे मर्याद में बहे उलटो नव नीर.समुद्र जिसमें अथाह जल है वह तो गंभीर रहता है पर बरसात में इकठ्ठा होने वाला पानी उल्टा सीधा बहता है. अर्थ है कि जो पुराने खानदानी धनवान या विद्वान होते हैं वे तो गंभीर होते हैं पर नया धन या नई विद्या अर्जित करना वाला व्यक्ति बहुत दिखावा करता है.
  56. उद्यम के सर लक्ष्मीपंखा कीसी ब्यार.उद्यमी व्यक्ति के सर पर लक्ष्मी स्वयं पंखा ले कर हवा करती है. (अर्थात उस की दासी बन कर रहती है)
  57. उद्यम से दलिद्दर घटे.कर्म करने से ही दरिद्रता घटती है.
  58. उद्यम ही सफलता की कुंजी है.कोई नया काम आरम्भ करे या किसी का कोई चलता हुआ काम हो, दोनों ही अवस्थाओं में उद्यम करने से ही सफलता मिलती है. इंग्लिश में  कहावत है – Every man is the architecht of his own fortune.
  59. उधार का खानाफ़ूस का तापना.जैसे आग लगाने के बाद फूस एक दम ख़तम हो जाता है वैसे ही उधार के पैसे से यदि खाओगे पियोगे तो वह एक दम ख़तम हो जाएगा. अर्थ है कि उधार लेना व्यापार के लिए तो ठीक है (जिससे कमा कर आप वापस कर सकते हैं), पर उधार के पैसे से गुलछर्रे नहीं उड़ाने चाहिए.
  60. उधार का गड्ढा समन्दर से गहरा.एक बार उधार ले कर उससे उऋण होना बहुत कठिन है.
  61. उधार का बाप तकादा. उधार लोगे तो तकादा झेलना ही पड़ेगा. तकादा – पैसा वापस माँगना.
  62. उधार काढ़ व्यौहार चलावे, छप्पर डारे ताला, साले संग बहिनी को पठावे, तीनहुं का मुँह काला.उधार ले कर सामाजिक लेन देन करना, छप्पर पर ताला डालना और साले के संग अपनी बहन को कहीं भेजना, ये तीनों मूर्खतापूर्ण कार्य हैं. 
  63. उधार की कोदों खाएं, ठसक से मरी जाएं.कोदों एक घटिया अनाज माना जाता है वह भी उधार ले कर खा रही हैं और घमंड दिखा रही हैं.
  64. उधार की जूतीखैरात का नाड़ापढ़ दे मुल्ला ब्याह उधारा.गाँठ में कुछ नहीं है पर मियाँ जी ब्याह करने चले हैं. सब काम उधार हो रहा है. पास में पैसा न होने पर भी महंगे शौक करने वालों के लिए.
  65. उधार दिया और ग्राहक गंवाया (उधार दियागाहक खोया)जिस ग्राहक को उधार दिया वह फिर दूकान पर नहीं आता (लौटाना न पड़े इस चक्कर में).
  66. उधार दीजेदुश्मन कीजे.किसी को उधार देना गलत है क्योंकि जब आप अपना पैसा वापस मांगेंगे तो वह आपका दुश्मन हो जाएगा. (उधार देना, लड़ाई मोल लेना). इंग्लिश में कहावत है – Borrowing is sorrowing.
  67. उधार प्रेम की कैंची है.ऊपर वाली कहावत के समान.
  68. उधार बड़ी हत्या है.उधार लेना और देना दोनों ही परेशानी का कारण बनते हैं.
  69. उधार बेचें न मांगने जाएं.न उधार माल बेचेंगे, न तकादे करते फिरेंगे.
  70. उधार लाएं और ब्याज पर दें.एक के बाद दूसरी उस से भी बड़ी गलती करना. 
  71. उधार लेना और देना दोनों फसाद की जड़.अपनी झूठी शान दिखाने के लिए उधार ले कर खर्च करने वाले लोग बाद में परेशानी उठाते हैं और उधार देने वाले उस की उगाही को ले कर परेशानी उठाते हैं. इंग्लिश में कहावत है – Neither a borrower nor a lender be.
  72. उधारिया पासंग नहीं देखता.जो व्यक्ति माल उधार ले रहा है वह तोलने में थोड़ी बहुत बेईमानी को नजर अंदाज़ कर देता है. पासंग – तराजू के पल्लों को बराबर करने के लिए लगाया गया वजन.
  73. उधेड़ के रोटी न खाओनंगी होती है.रोटी को उधेड़ कर नहीं खाना चाहिए इस बात को ज्यादा ही जोर दे कर कह दिया गया है. एक अर्थ यह भी हो सकता है कि जो भी खाते हो उसे दाब ढक कर खाओ दिखा कर नहीं.
  74. उन धारी है देह वृथा जग मेंजिन नेह के पंथ में पाँव न दीन्हों.जिनके मन में प्रेम नहीं है उनका जन्म लेना बेकार है.
  75. उपजति एक संग जल माहीजलज जोंक जिमि गुण विलगाही.कमल का फूल और जोंक दोनों जल में उत्पन्न होते हैं पर उनके गुणों में जमीन आसमान का फर्क है. इसी प्रकार एक घर या एक समाज में पैदा होने वाले दो लोगों में बहुत अंतर हो सकता है.
  76. उपदेश देना सरल है उपाय बताना कठिन.दूसरों की कमियाँ बताना बड़ा आसान है पर कठिन परिस्थिति में स्वयं आगे बढ़ कर समाधान करना बहुत कठिन है.
  77. उपला जले गोबर हँसे.कंडे को जलता देख कर गोबर हँसता है. यह भूल जाता है कि कल उसे भी उपला बन कर जलना है.
  78. उपास न त्रास, फलार की आस.उपास – उपवास, फलार – व्रत में खाया जाने वाला फलाहार. व्रत नहीं रखा, कोई कष्ट नहीं उठाया और बढ़िया फलाहार की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
  79. उपास से मेहरी के जूठ भला.(भोजपुरी कहावत) उपास – उपवास. भूखा रहने से अपनी पत्नी का जूठा खाना अच्छा.
  80. उम्मीद पर दुनिया कायम है.व्यक्ति हमेशा अच्छे की आशा करता है इसी आशावाद पर संसार चल रहा है.
  81. उलझना आसान, सुलझना मुश्किल.समस्याएं पैदा करना आसान होता है पर उनका हल निकालना मुश्किल.
  82. उलटा पुलटा भै संसारा, नाऊ के सर को मूंडे लुहारा.संसार में बहुत कुछ उल्टा पुल्टा भी होता है, जैसे नाई का सर अगर लुहार मूंडे तो.
  83. उलटी गंगा पहाड़ चली. उलटी रीत. 2.असंभव सी बात. (हास्यास्पद भी)
  84. उलटी बाकी रीत हैउलटी बाकी चालजो नर भौंड़ी राह मेंखोवे अपना माल.अपनी मूर्खता से अपना माल गंवाने वाले व्यक्ति के लिए कहावत है.
  85. उलटे बाँस बरेली को.एक समय में बरेली बांसों की मंडी थी. (कुछ हद तक अभी भी है). उस समय यदि कोई बांस ले कर बरेली आता तो यह कहावत कही जाती. कहावत का अर्थ है कि जहाँ जिस चीज़ की बहुतायत है वहाँ उसे ले कर जाना बेतुकी बात है.
  86. उलटो जो बादर चढ़ेविधवा खड़ी नहाएघाघ कहैं सुन भड्डरीवह बरसे वह जाए.घाघ कवि कहते हैं कि यदि बादल हवा के विरुद्ध बह कर आ रहा है तो जरूर बरसेगा और यदि विधवा स्त्री खड़ी हो कर नहा रही है तो वह जरूर किसी के साथ भाग जाएगी. (पुराने समय में विधवा विवाह को समाज स्वीकार नहीं करता था).
  87. उलायता चोर सही सांझे ऐड़ा.जल्दबाजी में आदमी गलत काम कर बैठता है. चोर जल्दबाजी कर रहा है तो शाम को ही चोरी करने निकल पड़ा. उलायता – जल्दबाज.
  88. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.कोई आदमी गलत काम कर रहा है. आप टोकते हैं या समझाते हैं तो वह उल्टा आप से लड़ने लगता है. ऐसे में यह कहावत कही जाती है. 
  89. उल्लू के बेटा भया, गदहा नाम धरा.(भोजपुरी कहावत) मूर्ख लोगों की सन्तान भी मूर्ख ही होती हैं.
  90. उसकी किस्मत क्या जागे जो काम करे से भागे.जो काम से जी चुराए उसकी किस्मत नहीं जाग सकती.
  91. उस कूकुर से बच कर रहेजा को जगत कटखना कहे.बदनाम और झगड़ालू व्यक्ति से बच कर रहना चाहिए.
  92. उस को सीख न दो कभी जो हो मूरख नीचलोह मेख नाहीं धंसे कबहूँ पाथर बीच.जो मूर्ख या नीच व्यक्ति हो उसे शिक्षा देने का प्रयास मत करो. पत्थर में कभी लोहे की कील नहीं धंस सकती.
  93. उस जातक से करो न यारीजिस की माता हो कलहारी.जिस बच्चे की माँ झगड़ालू हो उस से दोस्ती मत करो.
  94. उस नर को न सीख सुहावेप्रीत फंद में जो फंस जावे.जो इश्क के फंदे में फंस गया उसे सीख अच्छी नहीं लगती.
  95. उस्ताद, हज्जाम, नाई, मैं और मेरा भाई, घोड़ी और घोड़ी का बछेड़ा और मुझको तो आप जानते ही हैं.कहीं कोई चीज़ बंट रही थी. वहाँ एक ही आदमी (नाई) कई नाम बता बहुत सारी लेने की कोशिश कर रहा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *