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  1. धंधा थोड़ा धांधल घनी.(राजस्थानी कहावत). जहाँ काम बहुत कम और धांधलेबाजी ज्यादा होती है. जैसे सरकारी कार्यालय. घनी – अधिक.
  2. धतूरे के गुण महादेव जानें.जो जिस चीज का सेवन करता है वही उस के गुण जान सकता है.
  3. धन और कन्दुक खेल की दोनों एक सुभायकर आवत छिन एक में छिन में कर से जाय.कन्दुक – गेंद. धन और गेंद दोनों का एक सा स्वभाव है, हाथ में आते ही तुरंत निकल जाते हैं.
  4. धन का धन गयामीत का मीत गया. (धन का धन गयामीत की प्रीत गयी).दोस्ती और रिश्तेदारी में पैसा उधार देने में यह खतरा हमेशा रहता है कि पैसा भी वापस न मिले और पैसा वापस मांगने पर सम्बंध भी खराब हो जाएँ.
  5. धन के तेरह मकर पचीस दिन जाड़े दो कम चालीस.चिल्ला जाड़ा अड़तीस दिन का होता है.
  6. धन के पन्द्रा मकर पचीस. जाड़ा परै दिना चालीस.राशि के हिसाब से बताया गया है कि धन राशि के पन्द्रह दिन और मकर राशि के पच्चीस दिन बहुत जाड़ा पड़ता है. 
  7. धन का बढ़ना अच्छा है,  मन का बढ़ना नाहीं.(भोजपुरी कहावत) रहीम ने इस विषय में बहुत उच्च कोटि की बात कही है – बढ़त बढ़त सम्पति सलिल, मन सरोज बढ़ जाहिं, घटत घटत पुनि न घटे, बरु समूल कुम्ह्लाहिं (तालाब में पानी बढ़ने के साथ कमल की नाल लम्बी होती जाती है पर पानी कम होने पर फिर छोटी नहीं होती, बल्कि कमल मुरझा जाता है. इसी प्रकार संपत्ति के बढ़ने से व्यक्ति का मन बढ़ जाता है और संपत्ति कम होने से मुरझा जाता है).
  8. धन के बिना नाथिया और धनी हुए तो नाथू लाल.किसी व्यक्ति का नाम नत्थू है. जब वह गरीब था तो सब उसे नाथिया कह कर बुलाते थे, धनी हो गया तो नाथू लाल कहने लगे. 
  9. धन खेती धिक चाकरीधन धन बणिज व्यापार.खेती धन्य है और नौकरी को धिक्कार है. व्यापार भी धन्य है.
  10. धन गया कुछ नहीं गयास्वास्थ्य गया कुछ गयाचरित्र गया सब कुछ गया. स्पष्ट है.
  11. धन दे जी को राखिएजी दे राखे लाज. धन खर्च कर के प्राणों की रक्षा कीजिए और प्राण दे कर आत्मसम्मान की.
  12. धन से लखपति दिल से भिखारी.धनी परन्तु कंजूस व्यक्ति के लिए.
  13. धन, जोबन और माया, तीन दिनां की छाया.धन, यौवन और माया अधिक समय तक नहीं ठहरते (इसलिए इनके होने पर अभिमान नहीं करना चाहिए). 
  14. धनबल जनबल बुद्धि अपारसदाचार बिन सब बेकार.सदाचार के बिना सारे धन और बुद्धि बेकार हैं.
  15. धनवंती के काँटा लगादौड़े लोग हजारनिर्धन गिरा पहाड़ सेकोइ न करे विचार(धनवंती के कांटा लगा पूछे सब कोय, निर्धन गिरा पहाड़ से पूछे ना जोय). धनवान को जरा सा भी कष्ट हो तो सब पूछने आते हैं, गरीब को कितना भी बड़ा कष्ट हो, कोई नहीं पूछता. (घर की जोरू भी नहीं पूछती).
  16. धनि बगुला भक्तन की करनीहाथ सुमरनी बगल कतरनी.धनि – धन्य है, सुमरनी – जपने वाली माला, कतरनी – कैंची. हे बगुला भक्तों, तुम्हारी करनी धन्य है. तुम हाथ में माला ले कर भक्त बने हुए हो और बगल में जेब काटने वाली कैंची रखे हुए हो. कहीं कहीं पर केवल ‘हाथ सुमरनी बगल कतरनी’ बोला जाता है.
  17. धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघायउदधि बड़ाई कौन है जगत पियासो जाय.रहीम कहते हैं कि छोटे तालाब का जल धन्य है जिस से लोगों की प्यास बुझती है. समुद्र इतना बड़ा है लेकिन उस से किसी की प्यास नहीं बुझती. बड़े का बड़प्पन तभी माना जाएगा जब किसी को उससे लाभ होगा.
  18. धनी की बेटी ब्याहे, हिजड़े अड़ंगा लगायें. किसी अच्छे काम में यदि दुष्ट लोग अड़ंगा लगाएं तो.
  19. धनी बाप के काने बेटे भी ब्याहे जाते हैं.पैसे वाले लोगों के अयोग्य और कुरूप बेटों की भी शादी हो जाती है. 
  20. धन्य मेरी बालकी, जिन बाप चढ़ाए पालकी.बेटी के कारण प्रतिष्ठा पाने वाले के लिए प्रशंसा या व्यंग्य में कही गई बात.बालकी – पुत्री.
  21. धरती माता तुम बड़ींतुम से बड़ा न कोयजब धरती पर पग धरूँबैकुंठ सवेरा होय.सुबह उठ कर धरती पर पाँव रखने से पहले बोली जाने वाली पंक्तियाँ.
  22. धरम का धरमकरम का करम.सर्वोत्तम कार्य वह है जिसमें धर्म का पालन भी हो और रोजी रोटी भी चले.
  23. धर्म की जड़सदा हरी(धर्म की जड़ पाताल में). धर्म पर चलते वाला धनवान न भी हो तब भी सुखी रहता है.
  24. धर्म धीरापाप अधीरा.धर्म पर चलने वाला व्यक्ति धैर्यवान होता है जबकि पाप कर्म करने वाला सब कुछ पा लेने के चक्कर में अधीर होता है.
  25. धर्म भी छूटातुम्बा भी फूटा.तुम्बा – कड़वे कद्दू को सुखा कर बनाया गया पात्र जिसे साधु लोग प्रयोग करते हैं. कोई व्यक्ति धर्म से विमुख हो जाए तो.
  26. धर्मी धर्म करे और पापी पेट पीटे.कोई धर्मात्मा परोपकार के कार्य करता है तो दुष्ट लोगों को बड़ा कष्ट होता है.
  27. धाओ धाओकरम लिखा सो पाओ.धाओ – दौड़ो. कितना भी दौड़ लो, जो भाग्य में लिखा है वही मिलेगा. 
  28. धाकड़ चोर, सेंध में गावे.आमतौर पर चोर सेंध लगा कर जल्दी से चोरी कर के भाग जाते हैं. परन्तु जो चोर आत्म विश्वास से भरा होता है उसे कोई जल्दी नहीं होती. कोई सरकारी कर्मचारी बिना किसी से डरे घर जा कर रिश्वत मांगे और धौंस दिखाए तो भी यह कहावत कह सकते हैं.                
  29. धान का गाँव पुआल से जाना जाता है.यदि गाँव में पुआल का प्रयोग अधिक दिखाई दे तो समझ लो यहाँ धान की खेती होती है. अर्थ है कि परिवेश को देख कर किसी स्थान के विषय में बहुत कुछ जाना जा सकता है.
  30. धान गिरे बढ़ भागगेहूँ गिरे दुरभाग.खेत में अगर धान की खड़ी फसल गिरती है तो धान की उपज अच्छी होती है लेकिन गेहूँ की फसल गिर जाए तो उपज अच्छी नहीं होती. यानि गिरी हुई धान की फसल के दाने निरोग और बड़े होते हैं जबकि गेहूँ गिर जाए तो उसके दाने छोटे-छोटे हो जाते हैं।
  31. धान पान ऊखेरा, तीनों पानी के चेरा.धान, पान और गन्ने की फसल को बहुत पानी चाहिए होता है.
  32. धानपान पनियाव लेदुष्ट जात लतियाव ले. धान और पान अधिक पानी से ठीक रहते हैं और दुष्ट जात लतियाने से.
  33. धान पान पनिआएबाभन खूब खिलाएकायथ घूस दिलाए, नान्ह जात लतिआए.धान और पान के पौधे खूब पानी देने से खुश होते हैं (तेजी से बढ़ते हैं), ब्राह्मण खूब खिलाने से,  कायस्थ घूस देने से और छोटी जात के लोग लात खा कर खुश रहते हैं. यह एक कडवा सच है कि सामंत शाही व्यवस्था में तथाकथित उच्च जाति के लोग वंचितों पर बहुत अत्याचार करते थे.
  34. धान पुराना घी नया और कुलवंती नारचौथी पीठ तुरंग की सरग निसानी चार.चावल पुराना अच्छा माना जाता है और घी नया. ये चीजें भाग्य से ही मिलती हैं. इनके अतिरिक्त कुल की लाज रखने वाली स्त्री और घोड़े की सवारी भी बड़े भाग्य से मिलती हैं इसलिए इन चारों चीजों को स्वर्ग की निशानी बताया गया है.
  35. धी छोड़ दामाद प्यारा.लड़की मायके में अपने पति की बुराई कर रही है. मां बाप समझाते हैं कि पति के बारे में ऐसा नहीं कहते, तो लड़की बोलती है कि अच्छा अब तुम्हें लड़की से दामाद ज्यादा प्यारा हो गया.
  36. धी जमाई ले गएबहू ले गईं पूतचरनदास हम बुड्ढे बुढ़िया रहे ऊत के ऊत.धी माने बेटी. जमाई लोग लड़कियों को ले गए और लड़कों को बहुएं ले गईं. बेचारे पति पत्नी बुढ़ापे में अकेले रह गए.
  37. धी ताको कहूँबहुरिया तू कान धर.कोई औरत बहू पर रोब जमाने के लिए लड़की को डांट रही है (जिससे बहू यह न कहे कि लड़की को कुछ नहीं कहतीं), और इस तरह बोल रही है कि बहू भी सुन कर सावधान हो जाए.
  38. धी दस कोस, पूत पड़ोस. धी – बेटी. लड़की को अपने घर से थोड़ा दूर बसाना चाहिए और पुत्र को बगल में.
  39. धी न धियानाआप ही कमानाआप ही खाना.ऐसे इकलखोर निस्संतान व्यक्ति के लिए जो कोई सामाजिक सरोकार न रखता हो.
  40. धी पराईआँख लजाई.कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो, कितना भी अहंकारी क्यों न हो, बेटी की शादी के बाद उसे विनम्र होना पड़ता है. 
  41. धी ब्याही तब जानिये जब घर से डोली जावे. बेटी के विवाह में तरह तरह के संकट आते हैं. जब उस की डोली विदा हो जाए तभी मानना चाहिए कि विवाह सम्पन्न हो गया है.
  42. धीमे नाचो, नंगे दिख जाओगे.अति उत्साह में आ कर ज्यादा उछल कूद करने से आपकी असलियत सामने आ जाने का खतरा होता है.
  43. धीया न पूतामुँह चाटे कुत्ता.  धीया, धी – बेटी, पूता – पुत्र. जिनके कोई संतान न हो बुढापे में उनकी बहुत बेकदरी होती है (कुत्ते मुँह चाटते हैं).
  44. धीरज धरिअ उतरिये पार, नाहीं बूड़त सब परिवार.जो लोग धैर्य रख कर नदी पार करते हैं, उनका परिवार बीच नदी में नहीं डूबता.
  45. धीरज धर्म मित्र अरू नारीआपत काल परखियेहीं चारी.कोई व्यक्ति कितना धैर्यवान है, कितना अपने धर्म पर अडिग है, कोई मित्र कितना सच्चा हितैषी है और कोई नारी कितनी पतिव्रता है, इन सब की परख आपत्ति काल में ही हो सकती है.
  46. धीरज बनिज, उतावल खेती.व्यापार में धैर्य की आवश्यकता होती है और खेती में जल्दी निर्णय ले कर पहले काम करने की. 
  47. धीरज सुधारे कारज.धैर्यपूर्वक कार्य करने से सारे कार्य ठीक से हो जाते हैं.
  48. धुली धुलाई भेड़ कीचड़ में गिरी.बाल अधिक होने के कारण भेड़ को नहलाना कठिन होता है, और नहलाने के बाद अगर वह कीचड़ में गिर जाए तो नहलाने वाले को कितना कष्ट होगा. मेहनत से किया हुआ काम मिट्टी हो जाना.
  49. धूप रहते मेंह बरसे, काले चोर का ब्याह.लोक विश्वास है कि धूप और वर्षा एक साथ हो तो काले चोर का ब्याह हो रहा होगा. कहीं कहीं भूत भूतनी का ब्याह भी मानते हैं.
  50. धूल उड़ाने से सूरज नहीं छिपता.किसी महापुरुष की निंदा करने से उसकी महानता कम नहीं हो जाती.
  51. धूल छाने कंकड़ हाथ.व्यर्थ के काम से कुछ हासिल नहीं होता. धूल को छानोगे तो कंकड़ ही हाथ लगेंगे.
  52. धूल पड़ी वा काम में एक चित्त दो ठौर.काम कहीं और कर रहे हैं और मन कहीं और है तो काम में सफलता नही मिल सकती.
  53. धूल से ढका हो तो भी सूरज सूरज ही रहता है.अर्थ स्पष्ट है. 
  54. धेला न कौड़ी, कान छिदाने दौड़ी.कर्ण छेदन संस्कार में काफी खर्च होता है.जिस कन्या के माँ बाप के पास पैसा न हो और कन्या के कान छिदाना चाह रहे हों    
  55. धेले की नथनी पर इतना गुमानसोने की होती तो चढ़ती आसमान.बहुत छोटी छोटी चीजों पर घमंड करने वालों का मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही गई है. 
  56. धेले की बुढ़िया टका सर मुड़ाई.किसी सस्ती चीज़ का रखरखाव महंगा हो तो.
  57. धैया छूने आये थे.बच्चों के खेल में किसी एक स्थान को धैया मान लेते हैं. बच्चे एक स्थान से दौड़ कर धैया छूते हैं और लौट कर वापस आते हैं. कोई आप के घर आते ही जाने के लिए कहने लगे तो यह कहावत बोली जाती है.
  58. धोबी अपने गदहे को भी बाबू कहे.जिससे काम लेना है उस से अच्छा व्यवहार करना चाहिए.
  59. धोबियों से कौन सा घाट छिपा है.हर व्यापारी को अपने व्यवसाय से सम्बन्धित सभी बारीकियाँ मालूम होती हैं.
  60. धोबी अहीर की कौन मिताई, इनके गदहा उनके गाई.दो अलग प्रवृत्ति या व्यवसाय वाले लोगों में मित्रता नहीं हो सकती इस बात को मजेदार ढंग से कहा गया है. धोबी के पास गदहा है और अहीर के पास गाय, इनमें मित्रता कैसे हो सकती है.
  61. धोबी का कुत्तान घर का न घाट का.धोबी का कुत्ता धोबी के साथ घाट पर जाता है और घाट पर कपड़े सूखते छोड़ कर धोबी के साथ ही घर आ जाता है. अर्थात वह न तो घर की रखवाली कर पाता है और न ही घाट की. किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिस से कोई भी एक काम ढंग से न लिया जाए (और इस कारण उस की कोई कद्र न हो). भोजपुरी कहावत – घर के ना घाट के माई के न बाप के.
  62. धोबी का गधा, साधु की गाय और राजा का नौकर किसी और काम के नहीं रहते.अर्थ स्पष्ट है.
  63. धोबी का छैला (बेटा)आधा उजला आधा मैला.धोबी का बेटा आधे कपड़े अपने पहनता है जो मैले होते हैं और आधे कपडे ग्राहकों के पहनता है जो उजले होते हैं.
  64. धोबी की भाजी गधा भी खाए.भाजी – विवाह में रिश्तेदारों को बंटने वाली मिठाई. पालतू जानवर परिवार के सदस्य जैसा हो जाता है. 
  65. धोबी के घर पड़े चोरवह न लुटा लुटे और. धोबी के घर चोरी होगी तो नुकसान धोबी का नहीं उन लोगों का होगा जिनके कपड़े धोबी धोने के लिए ले कर आया है.
  66. धोबी के घर ब्याहगधे का छुट्टी भइल.(भोजपुरी कहावत) धोबी के घर में ब्याह है. कपड़े नहीं धुलने इस लिए गधे को छुट्टी मिल गई है. किसी असम्बद्ध कारण से किसी को लाभ मिलने पर.
  67. धोबी के घर में आग लगी, न हरष न बिषाद.धोबी के घर में आग लगी तो उसे कोई चिंता ही नहीं है, क्योंकि जो कपड़े जलेंगे वे उसके हैं ही नहीं. 
  68. धोबी के बसे या कुम्हार के, गधा तो लदेगा ही.गरीब और असहाय आदमी कहीं भी रहे उस पर काम तो लादा ही जाएगा.
  69. धोबी के ब्याहगधे के माथे मोर.धोबी के घर में ब्याह है तो गधे को भी सजने को मिल रहा है.
  70. धोबी छोड़ भिश्ती किया, रही घाट के पास.धोबी घाट पर कपड़े धोता है और भिश्ती पानी भरता है. किसी स्त्री ने धोबी को छोड़ कर भिश्ती से शादी कर ली, तो भी उसे घाट पर ही रहना पड़ा. स्थान या व्यवसाय बदल कर भी किसी व्यक्ति की स्थिति न सुधरे तो यह कहावत कही जाती है.  
  71. धोबी बस के क्या करेदिगम्बरन के गाँव.दिगम्बर – दिक्+अम्बर, दिशाएँ जिनका वस्त्र हैं अर्थात पूर्णतया निर्वस्त्र रहने वाले साधु लोग (जैन मुनियों का एक वर्ग). जो लोग कपड़े ही नहीं पहनते उनके गाँव में बस कर धोबी क्या करेगा. जहाँ किसी चीज़ की बिलकुल माँग न हो वहाँ उस का व्यापार करने की क्या तुक.
  72. धोबी रोवे धुलाई कोमियाँ रोवे कपड़े को.धोबी इस बात को रोता है कि धुलाई के पैसे कम मिल रहे हैं और मियाँ इस बात को रो रहे हैं कि कपड़े साफ़ नहीं धुले. सब अपनी अपनी परेशानी को रोते हैं.
  73. धौले पर दाग लगे.सफेद पर ही दाग लगता है, काले या गहरे रंग पर दाग दिखाई नहीं पड़ते. सच्चरित्र लोगों की बदनामी बहुत जल्दी हो जाती है.
  74. धौले भले हैं कापड़े, धौले भले न बार, काली भली है कामली, काली भली न नार.कपड़े तो सफेद अच्छे लगते हैं पर सफ़ेद बाल अच्छे नहीं लगते, कमली (छोटा कम्बल) तो काली अच्छी लगती है पर स्त्री काली अच्छी नहीं लगती. 

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