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  1. मंगती और छुआ छूत करे.मांगने वाले को यह अधिकार नहीं होता कि वह छुआछूत करे.
  2. मंगते से माँगना जैसे बुढ़िया से सगाई.भिखारी से भीख माँगना और बूढ़ी औरत से विवाह करना एक समान हैं.
  3. मंगनी का बैल चांदनी रात, जोत बड़े भाई सारी रात (मांगे का बैल, मशक्कत से जोतो).(बुन्देलखंडी कहावत). दूसरे की चीज को लोग बेरहमी से प्रयोग करते हैं.
  4. मंगनी के बैल के दांत नहीं देखे जाते.बैल अच्छे गुण वाला है या नहीं इसकी पहचान उसके दांत देख कर की जाती है. अब अगर आप किसी से बैल मांग कर ला रहे हैं तो उसके दांत थोड़े ही गिनेंगे. मांगी हुई वस्तु में गुण दोष नहीं देखे जाते.
  5. मंगनी के सतुआसास के पिंडा.मंगनी के सत्तू से सास का पिंडदान कर रही है. पहली बात तो यह है कि सास का पिंडदान आप कर ही क्यों रहे हैं, साले को (यानि उन के बेटे को) करना चाहिए. दूसरी बात आप के पास पैसा नहीं है तो माँग कर क्यों कर रहे हैं. अपनी सामर्थ्य न होने पर भी किसी अनावश्यक कार्य में टांग अड़ाने की मूर्खता करना.
  6. मंगलवार परै दीवारीहँसे किसान मरे व्यापारी.यदि दीपावली मंगलवार को पड़े तो फसल अच्छी होती है.
  7. मंजिल पे पहुँच के लुटा कारवाँ.कार्य समाप्त होने से बिल्कुल पहले बिगड़ जाना.
  8. मंडप में बैठी भैंस भी सुंदर लगती है.विवाह के समय सज संवर के सभी लड़कियां अच्छी लगती हैं.     
  9. मकोड़ा कहे मां गुड़ की भेली उठा लाऊं, के अपनी कमर तो देख.अपनी सामर्थ्य देखे बिना कोई काम करने की योजना बनाने वालों के लिए यह कहावत कही जाती है.
  10. मक्के गए न मदीने गएबीच ही बीच में हाजी भए.कोई कार्य न कर के केवल उसका दिखावा करना और उससे लाभ लेने की कोशिश करना.
  11. मक्के में रहते हैं पर हज नहीं करते.सारी सुविधाएँ उपलब्ध होते हुए भी कोई अच्छा काम न करना या फिर जो चीज़ सहज ही उपलब्ध हो उसकी कद्र न करना. 
  12. मक्खी बैठी शहद पर पंख लिए लपटाएहाथ मले और सर धुने लालच बुरी बलाए.लालच में फंस के प्राणी की दुर्गति हो जाती है. लालच वश मक्खी शहद पर बैठ गई और शहद पंखों पर लग गया. अब वह कभी उड़ नहीं सकती.
  13. मक्खी भी कुछ देख कर बैठती है.हर व्यक्ति अपना स्वार्थ देख कर ही कोई काम करता है.
  14. मक्खी मारी पंख उखाड़े चींटे से रण जीतामैं तो बहुत वीर मज़बूता.अपनी वीरता की डींग हांकने वाले किसी डरपोक आदमी पर व्यंग्य.
  15. मक्खी मारुं पंख उखाडूँतोडूँ कच्चा सूतलात मार कर पापड़ तोडूँमैं बनिए का पूत.बनियों की बहादुरी पर व्यंग्य. 
  16. मखमल के परदे पर टाट का पैबंद.कीमती और सुरुचिपूर्ण वस्तुओं के बीच में कोई बदनुमा चीज़.
  17. मगध देश कंचन पुरीदेश अच्छा भाषा बुरी.बिहार के लोगों की भाषा का मजाक उड़ाने के लिए.
  18. मगर को डुबकी सिखाए वो मूर्ख.मगरमच्छ स्वयं डुबकी लगाने में माहिर होता है. जो उसे डुबकी लगाना सिखाने की कोशिश करेगा मगर उसे ही खा जाएगा. 
  19. मगहर मरे सो गदहा होय (नरक में पड़े).लोक विश्वास है कि काशी में जो मरता है वह स्वर्ग जाता है जबकि पास के मगहर नामक स्थान में जो मरता है वह नर्क में जाता है.
  20. मच्छर मार के ऐंठा सिंह.कायर व्यक्ति का मजाक उड़ाने के लिए. 
  21. मछली के जाए किन्ने तैराए.जाए – उत्पन्न किए हुए, बच्चे. मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाता है? (वे खुद ही तैरना सीखते हैं). युवाओं को यह सीख देने के लिए कि तुम्हें सब कुछ सिखाया पढ़ाया नहीं जाएगा, अपनी निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करो.
  22. मछली खा के बगुला ध्यान.उन लोगों के लिए जो धार्मिक होने का ढोंग करते हैं और धार्मिकता की आड़ में चुपचाप गलत काम करते हैं. 
  23. मछली तालाब मेंमसाले कुटन लागे.किसी काम के प्रति अदूरदर्शिता और मूर्खतापूर्ण उत्साह.
  24. मछली भले ही दे दो पर मछली कहाँ से मिली ये नहीं बताओ.अपनी आमदनी में से किसी की सहायता भले ही कर दो पर अपने व्यापार के भेद किसी को मत बताओ.
  25. मजनू को लैला का कुत्ता भी प्यारा.यदि कोई व्यक्ति आपको प्रिय हो तो उस की हर चीज़ अच्छी लगती है.
  26. मजबूर को उलाहना, ज्यूँ घाव पर ठेस.किसी मजबूर आदमी को बुरा भला कहना किसी के घाव पर नमक छिडकने जैसा है.
  27. मजबूरी का नाम महात्मा गांधी.महात्मा गांधी जी से प्रभावित होकर बहुत से संपन्न लोगों ने सादा जीवन शैली अपनाई थी. बहुत से लोग ऐसे भी थे जिनके पास कुछ नहीं था इसलिए वे साधारण तरीके से रहने को मजबूर थे. उनमें से बहुत से लोग यह कहा करते थे कि भाई हम महात्मा गांधी के चेले हैं इसलिए बहुत सादगी से रहते हैं. 
  28. मजूरी में क्या हुजूरी.जो मेहनत मजदूरी करके पेट पालता है वह किसी की जी हुजूरी क्यों करेगा.
  29. मजे के लिए चाचासलाह के लिए बाबा.मौज मस्ती चाचा के साथ अच्छी लगती है लेकिन गंभीर विषयों पर सलाह बाबा से ही ली जाती है. परिवार में हर व्यक्ति का अलग महत्व है.
  30. मज्जन फल पेखिअ तत्काला, काक होहिं पिक बकहिं मराला.सत्संग रूपी गंगा में स्नान करने का फल तत्काल ही देखा जा सकता है, इसके प्रभाव से कौआ कोयल और बगुला हंस बन जाता है.
  31. मझधार में नाव नहीं बदलनी चाहिए.कोई काम जब नाज़ुक मोड़ पर हो तो उस समय अपने साधन बदलने से बचना चाहिए. उदाहरण के लिए जब गंभीर मरीज आधा ठीक हो चुका हो तो डॉक्टर नहीं बदलना चाहिए.
  32. मटका में पानी गरमचिड़ी न्हावे धूरचिऊंटी अंडा ले चलेतो वर्षा भरपूर.घाघ कवि ने अनुभव के आधार पर ऐसी बहुत सी कहावतें कही हैं. उनके अनुसार यदि मटके में पानी ठंडा नहीं हो रहा है, चिड़िया धूल में नहा रही है और चींटी अपना अंडा लेकर जा रही है तो भरपूर वर्षा होगी.
  33. मट्ठा मांगन चलीऔर मलैया पीछे लुकाई.मलैया – छोटी मटकी, लुकाई – छिपाई. माँगने भी जा रही हैं और शर्म भी आ रही है.
  34. मढ़ो दमामा जात नहिं सौ चूहों के चाम.बहुत सारे छोटे लोग मिल कर भी बड़ा काम नहीं कर सकते. सौ चूहों का चमड़ा भी लगा दिया जाए तो भी दमामा (बहुत बड़ा वाला ढोल) नहीं मढ़ा जा सकता. इस दोहे की पहली पंक्ति इस प्रकार है – रहिमन छोटे नरन सों बड़ो बनत नहिं काम.
  35. मत कर सास बुराईतेरे भी आगे जाई.बहू सास को सावधान कर रही है कि तू मेरे साथ बुरा व्यवहार मत कर. तेरी लड़की को भी ससुराल जाना है. जाई माने पुत्री.
  36. मत चूको चौहान.एक किम्वदंती के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने अंधा किए जाने के बाद भी शब्द भेदी बाण चला कर मोहम्मद गोरी को मार दिया था. चंदवरदाई ने उनसे कहा था – चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान. इसी पर यह कहावत बनी है. किसी को सही काम के लिए जोश दिलाना हो तो यह कहावत कही जाती है.  
  37. मतलब की मनुहार, जगत जिमावे चूरमा.अपना मतलब होता है तो संसार के लोग चूरमे जैसा उत्कृष्ट खाद्य पदार्थ भी खिलाते हैं. 
  38. मतलब के दो बोल ही बहुत हैं.व्यर्थ की लम्बी चौड़ी बातों के मुकाबले अर्थ पूर्ण दो बातें अधिक उपयोगी हैं.
  39. मतलब बनता लोग हंसे तो हंसने दो.यदि अपना काम निकलता हो तो लोगों के हंसी उड़ाने की परवाह मत करो.
  40. मद पिए जात लखाय.दारु पी कर आदमी अपना भेद खोल देता है. कोई व्यक्ति सम्भ्रांत लोगों के बीच रहता है और लोग उसे कुलीन समझते हैं. एक दिन वह सब के बीच बैठ कर शराब पी लेता है और नशे में उगल देता है कि वह किसी नीचे कुल का है या आपराधिक इतिहास वाला है.
  41. मदिरा मानत है जगतदूध कलाली हाथ.शराब बेचने वाले के हाथ में दूध का पात्र होगा तब भी लोग मदिरा ही समझेंगे. (दूध कलारी कर गहे, मद समझे सब कोय).
  42. मद्धिम आंचे रोटी मीठ.तसल्ली और सलीके से किया गया काम अच्छा होता है. धीमी आंच में सिकी रोटी अधिक स्वादिष्ट होती है.
  43. मधुर वचन सौ क्रोध नसाही. मधुर वचन बोलने से सौ क्रोध नष्ट हो जाते हैं. इंग्लिश में कहावत है – A soft answer turneth away wrath.
  44. मधुर वचन है औषधी, कटुक वचन है तीर.मधुर वचन घाव को भर सकते हैं जबकि कड़वे वचन घाव कर सकते हैं.
  45. मन का अंकुस ज्ञान.हाथी को वश में रखने के लिए महावत के पास जो औजार होता है उसे अंकुश कहते हैं. स्वेच्छाचारी मन को काबू में रखने के लिए ज्ञान अंकुश के समान है.
  46. मन का अटका तन का झटका.जो मन में हार मान ले वह शरीर से भी हार जाता है. जो समय पर सही निर्णय नहीं ले पाता उसे धन व स्वास्थ्य सभी की हानि होती है.
  47. मन का घाटा कि धन का.धन चला जाए तो इतना नुकसान नहीं मालूम देता, मन में घाटा मानो तभी घाटा होता है.
  48. मन की मारी का से कहूँपेट मसोसा दे दे रहूँ.जब आप मन की बात किसी से न कह पा रहे हों और मन ही मन घुट रहे हों.
  49. मन के मते न चालिएमन के मते अनेकजो मन पर अधिकार हैहै कोई साधू एक.मन के कहने पर मत चलिए क्योंकि मन तरह तरह की बातें समझाता है. जो विवेकी पुरुष हैं वही मन पर अधिकार रख पाते हैं.
  50. मन के मते न चालिएमन है पक्का धूत.कहावत में यह समझाया गया है कि मन पक्का धूर्त होता है. मन के कहने पर चलेंगे तो यह आपको बहकाता रहेगा. अर्थात मनुष्य को संयम और विवेक से काम लेना चाहिए. इस दोहे की अगली पंक्ति है – ले डूबे मंझधार में, जाय हाथ से छूट.
  51. मन के हारे हार हैमन के जीते जीत.कहावत का अर्थ है कि जो अपने मन में हार मान लेता है वह निश्चित रूप से हार जाता है और जो जीत के लिए दृढ़ निश्चय कर लेता है वह अंततः जीत जाता है. कुछ लोग इसके पहले एक पंक्ति और बोलते हैं – यही जगत की रीत है यही जगत की नीत. 
  52. मन चंगा तो कठौती में गंगा.कठौती कहते हैं लकड़ी से बने पानी रखने के बर्तन को. गंगा नहाने को बहुत से लोग बड़े पुण्य का काम मानते हैं. लेकिन सब लोगों को तो गंगा नहाना नसीब नहीं होता. उन लोगों को दिलासा देने के लिए यह कहा जाता है कि यदि तुम्हारा मन शुद्ध है तो तुम्हारे लिए कठौती में नहाना ही गंगा नहाने के समान है. इसको इस प्रकार से भी प्रयोग कर सकते हैं जैसे किसी बूढ़े या बीमार व्यक्ति के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना संभव नहीं है तो उसके लिए घर में या शहर में बने मंदिर में पूजा करना ही तीर्थ यात्रा के समान है. कुछ लोग इसके पीछे संत रैदास जी की कहानी सुनाते हैं कि उन्होंने चमड़ा भिगोने वाली अपनी कठौती में से गंगा जी में गिरा हुआ सोने का कड़ा निकाल कर दे दिया था.
  53. मन जीते जग जीत.जो अपने मन पर काबू कर लेता है वह संसार को जीत सकता है.  
  54. मन तो चलेपर टट्टू न चले.कुछ कार्य करने का मन तो बहुत कर रहा है पर शरीर साथ नहीं दे रहा. यौन शक्ति के सम्बन्ध में भी यह कहावत कही जाती है.
  55. मन थिर किए सिद्धि सब पावे.मन को स्थिर करने पर ही सिद्धि पाई जा सकती है.
  56. मन बिना मेल नहीं बाड़ बिना बेल नहीं.मन मिलते हैं तो मेल बढ़ता है, बाड़ का सहारा मिलता है तो बेल बढ़ती है.
  57. मन भर धावे, करम भर पावे.व्यक्ति कितना भी प्रयास कर ले, पाएगा उतना ही जितना भाग्य में है. 
  58. मन भाए तो ढेला सुपारी.मन को जो अच्छा लग जाए वह अच्छा.
  59. मन मन भावेमूढ़ हिलावे.कोई काम करने का या कुछ खाने का आपका अंदर से बहुत मन कर रहा है पर ऊपर से आप मना कर रहे हैं तो यह कहावत कही जाती है. कहीं-कहीं पूरी कहावत इस प्रकार कही जाती है – मन मन भावे मूढ़ हिलावे, साजन से कहियो मोहे लेने को आवे.
  60. मन मलीन तन सुन्दर कैसेविष रस भरा कनक घट जैसे.किसी का शरीर सुन्दर हो पर मन मैला हो तो वह उसी प्रकार है जैसे विष से भरा हुआ सोने का घड़ा.
  61. मन मिले का मेलाचित्त मिले का चेला.दोस्ती उसी के साथ की जा सकती है जिससे मन मिलता हो, शिष्य उसी को बनाया जा सकता है जिससे विचार मिलते हों.
  62. मन मिले का मेला.दोस्ती और मौज मस्ती उसी के साथ की जा सकती है जिससे मन मिलता हो.
  63. मन में आनबगल में छूरीजब चाहे तब काटे मूरी.मन में कुछ औरबगल में छुरीजब चाहे तब सिर काट ले. मूरी – मूंड़, सर.
  64. मन में बसे सो सुपने दसे.जो बातें हमारे मन में होती हैं वही सपने में दिखती हैं.
  65. मन मोतियों ब्याहमन चावलों ब्याह.(मन – चालीस सेर) विवाह में सभी यथाशक्ति खर्च करते हैं. जिसके पास अथाह धन है वह मन भर मोती लुटाता है, जिसके पास कम पैसा है वह मन भर चावल खर्च करता है.
  66. मन मोती औ दूध रस दोनों एक सुभायफाटे पे जुड़ते नहीं कोटिन करो उपाय.मन रूपी मोती और दूध का स्वभाव एक सा होता है, ये एक बार फट जाएँ तो फिर नहीं जुड़ते.
  67. मन मोदक नहिं भूख बुझावें.मन के लड्डुओं से भूख नहीं मिटती.
  68. मन मौजीजोरू को कहे भौजी.मन मौजी का कोई भरोसा नहीं क्या कर बैठे, वह पत्नी को भाभी भी कह सकता है.
  69. मन राजा करम दरिद्री.मन तो बहुत बड़ी बड़ी बातें सोचता है पर भाग्य में नहीं है.
  70. मन साँचा तो जग साँचा(मन साँचा तो सब साँचा). आप अपने मन में सत्य का अनुसरण करते हैं तो आप को संसार भी सच्चा लगता है.
  71. मनके मेड़ नहीं होती. मन पर कोई बंदिशें नहीं होतीं, वह किसी भी बात के लिए मचल सकता है.
  72. मना करने वाले की खिचड़ी में ही घी डाला जाता हैजो मना करता है उसी का अधिक आतिथ्य किया जाता है.
  73. मनुज बली नहिं होत है समय होत बलवानभीलन लूटीं गोपियाँ वहि अर्जुन वहि बान.समय अच्छा हो तो मनुष्य बलवान हो जाता है. समय खराब आने पर वही मनुष्य निर्बल हो जाता है. भगवान कृष्ण के गोलोक गमन और यादव पुरुषों के मारे जाने के बाद अर्जुन द्वारिका की स्त्रियों की सुरक्षा के लिए उन को अपने साथ हस्तिनापुर ले कर जा रहे थे. रास्ते में भीलों ने उन पर आक्रमण कर के उन स्त्रियों को लूट लिया. अर्जुन का गांडीव और वाण कुछ नहीं कर पाए.
  74. मनुष्य अपना भाग्य स्वयं बनाता है.परिश्रम और व्यवहार मनुष्य के अपने हाथ में हैं, इन से ही सफलता मिलती है. इंग्लिश में कहावत है –Every man is the architect of his destiny.
  75. मनुहार से बूढ़े नहीं ब्याहे जाते.बूढ़े आदमी से कोई युवा लड़की मान मनुहार से शादी नहीं कर लेती है, उस के लिए साम दाम दंड भेद प्रयोग करना पड़ता है.
  76. मर जैहें पर टरिहैं नाहीं.(भोजपुरी कहावत) मर जाएंगे पर अपनी बात पे अड़े रहेंगे.
  77. मर पड़ कर तो खसम कियाऔर वह भी हिजड़ा निकला.किसी तरह तो शादी की और पति हिजड़ा निकला. बहुत मुश्किल से कोई काम हुआ हो और उस में भी धोखा हो जाए तो.
  78. मरखना बैल गली संकरी.अत्यंत संकट पूर्ण स्थिति. जैसे आप पतली गली में जा रहे हों और सामने से मरखना बैल आ जाए.
  79. मरता क्या न करता.जब मजबूरी में कोई ऐसा काम करना पड़े जो आप सामान्य परिस्थितियों में करना पसंद नहीं करते.
  80. मरते के साथ कोई नहीं मरता (मरते के साथ आप न मरो).किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु पर यदि कोई बहुत अधिक शोक ग्रस्त हो जाए तो उसे समझाने के लिए.
  81. मरते मियाँ मल्हारें गाएं.मल्हार सावन में गाए जाने वाले मस्ती भरे गीतों को कहते हैं. उसी पर आधरित एक राग है मेघ मल्हार. किसी बहुत बीमार आदमी को शौक या मस्ती सूझ रही हो तो यह कहावत बोली जाती है.
  82. मरते मूसे को गोबर सुंघा दिया.ऐसा मानते हैं कि मरते हुए चूहे को गोबर सुंघा दो तो वह जिन्दा हो जाता है. यदि आप किसी अयोग्य व अपात्र व्यक्ति को सजा मिलने से बचा लें तो व्यंग्य में यह कहावत कही जाएगी. भोजपुरी कहावत है – गोबर सुंघला से मुसरी जीओ.   
  83. मरद की बात और गाड़ी का पहिया आगे को ही चलते हैं.सच्चा मर्द अपनी बात से पीछे नहीं हटता.
  84. मरद तो जुबान बांकाकोख बांकी गोरियांगाय तो दुधार बांकीतेज बांकी घोड़ियाँ.बांके से अर्थ यहाँ श्रेष्ठ से है. पुरुष वही श्रेष्ठ है जो जुबान का पक्का हो, स्त्री वह जो श्रेष्ठ संतान को जन्म दे, गाय वह अच्छी है जो दूध अधिक दे और घोडी वह अच्छी है जो तेज चले. 
  85. मरन चली तो बदसगुनी हो गई.कोई स्त्री मरने के लिए जाने का नाटक कर रही है कि बिल्ली रास्ता काट जाती है. इस पर वह कहती है कि अपशकुन हो गया, अब मैं नहीं जाऊँगी. झूठ मूठ का नाटक करने वाली महिलाओं के लिए.
  86. मरना भला बिदेस में जहां न अपना कोयमाटी खाए जनावरा उनका उत्सव होय.साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति का कथन – मरना विदेश में अच्छा है जहाँ कोई जानने वाला न हो, पशु पक्षी शरीर को खा लें, उनका भी भला हो जाए.
  87. मरने के डर रोटी खावे.अत्यंत आलसी आदमी. रोटी खाने जितनी मेहनत भी इस लिए करता है कि नहीं खाएगा तो मर जाएगा.
  88. मरने के बाद बाबा को घी पिलाने से क्या लाभ.जो लोग जीवित माता पिता की सेवा नहीं करते और उनके मरणोपरांत कर्मकांड करते हैं उन पर व्यंग्य.
  89. मरने को जी करे, कफन का टोटा.जो लोग बात बात पर मरने की धमकी देते हैं उन पर व्यंग्य. 
  90. मरने से पहले ही भूतनी हो गई.किसी बहुत दुष्ट स्त्री पर व्यंग्य.
  91. मरी बछिया बामन को दान.जो चीज़ किसी काम की न हो उसे दान कर के दानवीर बनना.
  92. मरे कुत्ते को कोई लात नहीं मारता.मरे हुए कुत्ते को लात मारने में किसी का अहम संतुष्ट नहीं होता. जिन्दा कुत्ते को लात मारने से (विशेषकर अगर वह किसी बड़े आदमी का कुत्ता हो तो) अपने अहम की तुष्टि होती है.
  93. मरे को मारे शाह मदार. (दुबले मारे शाह मदार)पीर और शाह भी दुर्बल को ही सताते हैं.
  94. मरे कोई और, स्वर्ग मैं जाऊं.निकृष्ट स्वार्थपरता.
  95. मरे तो शहीदमारे तो गाजी.मुस्लिमों को जिहाद (धर्म युद्ध) के लिए उकसाने के लिए कहा जाता है कि यदि तुम काफिरों (दूसरे धर्म वालों, विशेषकर मूर्तिपूजकों) से लड़ते हुए मारे गए तो तुम्हें जन्नत में शहीद का दर्ज़ा मिलेगा और काफिर को मार दोगे तो जिन्दा रहते हुए गाज़ी की उपाधि मिलेगी.
  96. मरे न जिएहुकुर हुकुर करे (मरे न जिएखों खों करे)कोई बूढ़ा और बीमार व्यक्ति ठीक भी न हो रहा हो और मर भी न रहा हो तो अंततः प्रियजन भी तंग आ जाते हैं.
  97. मरे न मूसा सिंह से, मारे ताहि बिलार.बिलार – बिल्ली. चूहे को शेर नहीं मार सकता, बिल्ली ही मार सकती है. कोई व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, हर काम के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता.
  98. मरे बाघ की मूँछ उखाड़े.कायर लोगों पर व्यंग्य. जो जीवित बिल्ली से भी डरते हों वे मरे हुए बाघ की मूंछें उखाड़ कर बहादुरी दिखाते हैं.
  99. मरे बाबा के बड़े बड़े दीदे.बाबा जब तक जिन्दा थे तब तक तो उन्हें कोई पूछता नहीं था, अब उनके मरने के बाद उनकी छोटी छोटी खूबियाँ गिनाई जा रही हैं, जैसे कोई कह रहा है कि उन की आँखें बड़ी बड़ी थीं.
  100. मरे मुक्ति केहि काम.मर कर कष्टों से मुक्ति मिले तो किस काम की. 
  101. मरे हुए आदमी को मार कर कुछ नही मिलता.कमजोर को सताने से कुछ हासिल नहीं होता.
  102. मर्ज बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की.किसी समस्या को हल करने का प्रयास करने पर भी यदि वह बढ़े तो.
  103. मर्द का एक कौल होता है.जो सही मानों में मर्द होते हैं वे अपनी बात पर अडिग रहते हैं.
  104. मर्द का नहाना और औरत का खानाकिसी ने जाना किसी ने न जाना.दोनों काम बहुत जल्दी होते हैं
  105. मर्द को गर्द जरूरी है.पुरुषों के लिए शारीरिक श्रम करना आवश्यक है.
  106. मर्द को गर्द में रहना, हिजड़े की हवेली में नहीं.मर्द को शोभा देता है धूल मिट्टी में काम करना (मेहनत करना) न कि हिजड़ों के साथ रह कर बेशर्मी की कमाई खाना.
  107. मर्द गया खटाई मेंऔरत गई ढिठाई मेंदूकान गई ठठाई में.पहले के लोग मानते थे कि खटाई खाने से पुरुषों की यौनशक्ति कम हो जाती है इसलिए ऐसा कहा गया है कि मर्द ने खटाई खाई तो काम से गया, औरतें ढिठाई (हठ, त्रिया हठ) में जाती हैं और दूकान के बाहर यदि चार लोग खड़े हो कर हंसी ठठ्ठा करने लगें तो व्यापार चौपट हो जाता है.
  108. मर्द तो मर्द है पांच का हो या पचास का.स्त्रियों को सलाह दी जाती है कि वे घर से बाहर जाएं तो किसी मर्द को साथ ले कर जाएँ. वे अगर किसी बच्चे को साथ ले जाएँ तो मजाक में यह बात कही जाती है.
  109. मर्द मरे नाम कोनामर्द मरे नान को.नान – रोटी. मर्द लोग (वीर पुरुष, सत्पुरुष) नाम कमाने के लिए परिश्रम करते हैं और नामर्द (कापुरुष) केवल रोटी (सांसारिक साधनों) के लिए.
  110. मर्द साठा सो पाठाऔरत बीसी सो खीसी.पुरुष साठ साल की आयु में परिपक्व होता है और स्त्री बीस के बाद ढलने लगती है.
  111. मलमल धोए शरीर को, धोए न मन का मैल नहाए गंगा-गोमती, रहे बैल के बैल.
  112. मलयगिरी की भीलनी चन्दन देत जलाय (अति परिचय ते होत है अरुचि अनादर भाय).जहाँ जो चीज़ अधिक मात्रा में और सहज उपलब्ध होती है वहाँ उस चीज़ की कद्र नहीं होती. इंग्लिश में इस प्रकार की एक कहावत है – Familiarity breeds contempt.
  113. मल्लाह का लंगोटा ही भीगता है.क्योंकि वह केवल लंगोट ही पहनता है. जिसके पास खोने के लिए अधिक कुछ न हो उसका अधिक नुकसान नहीं होता.
  114. मसालची मरे तो जुगनू होयहाँ भी चमके वहां भी चमके.मशालचियों के सम्बन्ध में एक कथन है कि वे मरने के बाद जुगनू बन के जन्म लेते हैं (पता नहीं यह तारीफ़ है या व्यंग्य). जुगनू को पटबीजना भी कहते हैं.
  115. मस्जिद से नजदीक खुदा से दूर.कट्टर मुस्लिम धर्मावलम्बियों पर व्यंग्य. इंग्लिश में इस के समकक्ष एक कहावत है – The nearer the church, the farther from God.
  116. महादेव को मन्त्र कौन सिखाए.जो सब कुछ जानता हो उसे कौन सिखा सकता है.
  117. महावत से यारी और दरवाजा संकरा.सीमित साधन होते हुए भी अपने से बहुत बड़े लोगों से दोस्ती करना.
  118. महुआ मेवा, बेर कलेवा, गुलगुच बड़ी मिठाई, इतनी चीजें चाहो तो गोंडवाने करो सगाई.गुलगुच – महुए का पका फल. बुन्देलखंड के गोंडवाना क्षेत्र में महुआ और बेर के पेड़ बहुत हैं. वहाँ के लोगों को ये बहुत प्रिय भी हैं. 
  119. माँ उठाए गोबर, पूत बिटौरे बख्शे. जहाँ माँ बाप बहुत गरीब हों और बेटा बहुत दानी बना फिरता हो. बिटौरा – कंडों का ढेर.
  120. माँ का ऋण कोई नहीं चुका सकता.अर्थ स्पष्ट है.
  121. माँ का पेट कुम्हार का आवाकोई गोरा कोई काला रे.किसी माँ के कई बच्चों में कोई गोरा और कोई काला हो तो उन्हें समझाने के लिए. कुम्हार के आवे (बर्तन पकाने की भट्टी) में से भी कोई बर्तन पक कर सामान्य रंग का निकलता है जबकि कोई काला हो जाता है).
  122. माँ की सौतन बाप से यारीकिस नाते बन गई महतारी.जब कोई जबरदस्ती रिश्तेदारी निकाल कर अपना अधिकार जमा रहा हो तो.
  123. माँ के पेट से सीख कर कोई नहीं आता.जो कुछ भी हम सीखते हैं सब इस संसार में रह कर अपने अध्ययन और अनुभवों द्वारा ही सीखते हैं. 
  124. माँ को मारे, सासू को सिंगारे.ऐसे निकृष्ट बेटे के लिए जो माँ को प्रताड़ित करे और सास की गुलामी करे.
  125. माँ डायन हो तो क्या बच्चे ही को खाएगी.कोई व्यक्ति कितना भी नीच और पापी क्यों न हो अपनी सन्तान का अहित नहीं कर सकता (हालांकि बच्चे मां बाप का अहित कर सकते हैं).
  126. माँ दूसरी तो बाप तीसरा.सौतेली माँ के आने बाद पिता भी पराया हो जाता है (बच्चे के प्रति पिता का व्यवहार भी बदल जाता है).
  127. माँ धोबनपूत बजाजी.जहाँ माँ बाप कुछ न हों और बेटा कुछ बन जाए (तो लोग व्यंग्य में ऐसा कहते हैं).
  128. माँ न माँ का जायासब ही लोक पराया.माँ का जाया माने भाई. जब आप किसी ऐसी जगह रह रहे हों जहाँ आप का कोई न हो. कुछ लोग इसे ऐसे भी बोलते हैं – न तो माँ न ही भाई का साया. यदि किसी कारण से घर के लोग किसी व्यक्ति का साथ छोड़ दें तब भी यह कहावत कही जा सकती है.
  129. माँ पिसनहारी बाप कंजर और बेटा मिरजा संजर.माँ अनाज पीसने वाली (मेहनत मजदूरी करने वाली) और बाप घर घर घूमने वाला कंगाल आदमी पर बेटा बड़ा आदमी बन गया है.
  130. माँ बेटी गाने वालीबाप पूत बराती.जब कोई अपने सगे सम्बन्धियों को बिना बुलाए घर में ही कोई आयोजन कर ले तो तो सगे संबंधी कुढ़ कर यह बात कहते हैं.
  131. माँ भटियारी, पूत फ़तेह खां.भटियारी – भाड़ झोंकने वाली. यदि किसी परिवार में माँ बाप बहुत गरीब हों, पर उनका बेटा कोई बड़ा पद पा जाए तो लोग ईर्ष्यावश तरह तरह की बातें बोलते हैं. 
  132. माँ मर गई तो मर गई खीर तो खाली.नीच और स्वार्थी व्यक्ति. माँ के मरने का दुःख नहीं है, मृत्युभोज में खीर खाने को मिल रही है, इस बात से खुश हैं.
  133. माँ मर गई नंगीबेटी का नाम चंगी.जहाँ माँ बाप कुछ न हों, बेटी कुछ बन जाए और घमंड करने लगे तो लोग व्यंग्य में ऐसा कहते हैं.
  134. माँ मारे और माँ ही माँ पुकारे.माँ और बच्चे के बीच सच्चा प्रेम है. माँ जब बच्चे को मारती है तो बच्चा माँ को ही पुकारता है. माँ की मार में भी उस का प्रेम छिपा है और बच्चा भी पिट कर माँ की गोद में ही चढ़ता है. ईश्वर और सच्चे भक्त का प्रेम भी ऐसा ही होता है.
  135. माँ मारे पर दूसरे को मारन न दे.माँ स्वयं तो बच्चे को दंड दे सकती है पर दूसरे को ऐसा नहीं करने देती. माँ की मार में भी स्नेह होता है.
  136. माँगन मरन समान हैमति माँगो कोई भीख, (माँगन से मरना भलायह सतगुरु की सीख).माँगना और मरना समान है.
  137. माँगना न आवे भीख, तो सुरती खाना सीख.तंबाखू खाने वाला कितना भी धनी हो तब भी तंबाखू मांग के खाना सीख जाता है, उसी पर व्यंग्य.
  138. माँगने से तो मौत भी नहीं मिलती.मांगने से कुछ नहीं मिलता, इसलिए कुछ माँगना चाहिए ही नहीं. इस बात को जोर दे कर कहने के लिए यह कहावत कही जाती है.  
  139. माँगे बिन महतारी भी न दे.जो आपका अधिकार है उसे मांग कर लेना चाहिए. बिना मांगे तो माँ भी दूध नहीं पिलाती.
  140. माँगे हरड़दे बहेड़ा.कोई भी काम ठीक से न करने वाला इंसान.
  141. मां एलीबाप तेलीबेटा शाखे जाफ़रान.जहाँ माँ बाप कुछ न हों और बेटा कुछ बन जाए तो लोग व्यंग्य में ऐसा कहते हैं. (ज़ाफ़रान माने केसर).
  142. मां तो उपलों को तरसेबेटी बिटौड़े के बिटौड़े बख्शे.माँ छोटी छोटी चीजों को तरस रही है और बेटी बड़ी भारी दानी बनी हुई है. बिटौरा – उपलों का ठेर.
  143. मांगन भलो न बाप सों ईश्वर राखे टेक.हे ईश्वर तू हमारी इज्ज़त बचाए रख, हमें कभी अपने पिता से भी न माँगना पड़े.
  144. मांगने वाले के सौ घरकोई न दे तो जाए कहाँसब दे दें तो धरे कहाँ.मांगने वाला बहुत से घरों से मांगता है, कोई भी न दे तो बेचारा जाएगा कहाँ (कैसे जिन्दा रहेगा), और सब कुछ न कुछ दे दें तो इतना सामान हो जाएगा कि बेचारा रखेगा कहाँ. 
  145. मांगे तांगे काम चले तो ब्याह क्यों करें.अगर मांगने से स्त्री का साथ मिल जाए तो इंसान विवाह क्यों करे. अगर मांगने से ही गृहस्थी चल जाए तो इंसान व्यापार या नौकरी का झंझट क्यों करे.
  146. मांगे मान न पाइए, सक्ति सनेह न होय.मांगने से सम्मान नहीं मिल सकता और जबरदस्ती किसी का प्रेम नहीं पाया जा सकता. सक्ति – शक्ति. इंग्लिश में कहावत है – Respct is earned, not commanded.
  147. मांगे मिलें न चार, पूर्ब जनम के पुन्न बिन, इक विद्या इक संपति, नारी नेह सरीर सुख.विद्या, संपत्ति, स्त्री का प्रेम और शरीर का सुख, ये चारों वस्तुएँ पूर्व जन्म के सत्कर्मों से ही मिलती हैं. 
  148. मांगो उसी सेजो दे ख़ुशी सेकहे ना किसी से.यदि माँगना भी पड़े तो उसी से मांगो जो ख़ुशी से दे और सब जगह गाता न फिरे.
  149. मांस खाए मांस बढ़े, घी खाए खोपड़ी, दूध पिए तो चल पड़े, अस्सी बरस की डोकरी.(बुन्देलखंडी कहावत) डोकरी – बुढ़िया. कहावत का अर्थ एकदम स्पष्ट है.
  150. माई का मनवा गाय जैसा और पूत का मनवा कसाई जैसा.माँ दयालु और पुत्र निर्दयी.
  151. माई घूमे गली गलीबेटा बने बजरंगबली.माँ तो महा गरीब थी पर बेटा अपने को बड़ा आदमी समझने लगा है.
  152. माई बाप के लातन मारेमेहरी देख जुड़ाएचारों धामे जो फिरि आवे तबहूँ पाप न जाए.माँ, बाप को लात मारे और पत्नी को देख कर खुश हो, ऐसा व्यक्ति चारों धाम की यात्रा कर आए तब भी उसके पाप दूर नहीं हो सकते.
  153. माई मासे, बाप छमासे, और लोग सब बारह मासे.बच्चा एक महीने को होने पर माँ को पहचानने लगता है, छह महीने में पिता को और बाकी सब लोगों को बारह महीने का होने पर.
  154. माघ का जाड़ाजेठ की धूपबड़े कष्ट से उपजे ऊख.गन्ने की खेती में बहुत मेहनत करनी पड़ती है, माघ का जाड़ा और जेठ की धूप सहन करनी पड़ती है.
  155. माघ के टूटे मरद और भादो के टूटे बरध कभी नहीं जुड़ते. बरध – बैल. माघ में जिस आदमी का शरीर कमजोर हो गया और भादों में जिस बैल का शरीर कमजोर हो गया उनका स्वास्थ्य फिर नहीं सुधरता.
  156. माघ जाड़ा न पूस जाड़ाजो चले बतास तो जाड़ा.माघ हो या पूस हो, जाड़ा तभी ज्यादा सताता है जब हवा चलती है. बतास – हवा.
  157. माघ नंगे वैशाख भूखे.बहुत अधिक वंचित. (माघ की ठंड में भी जो नंगा रहे और बैसाख में नया गेहूँ आने के बाद भी भूखा रहे).
  158. माघ पंद्रह और पूस पचीसचिल्ला जाड़ा दिन चालीस.अत्यधिक ठंड (चिल्ला जाड़ा) चालीस दिन पड़ता है, पन्द्रह दिन माघ महीने के और पच्चीस दिन पूस के.
  159. माघ मास की बादरी और क्वार की घामये दोनों जो कोई सहै करै परायो काम.पराए खेत में मजदूरी वही कर सकता है जो माघ की वर्षा और क्वार की धूप सहन कर ले. (घाघ की कहावतें)
  160. माघ में बादर लाल घिरेसाँची मानो पाथर परै.माघ में यदि लाल बादल घिर कर आए तो निश्चित समझो कि ओला गिरेगा. (घाघ की कहावतें)
  161. माटी कहे कुम्हार सेतु क्या रौंदे मोयएक दिन ऐसा आएगामैं रौंदूंगी तोय.मिटटी कुम्हार से कह रही है कि तू मुझे क्या रौंद रहा है, एक दिन मैं तुझे रौंदूंगी. जो लोग अपने धन और पद का घमंड कर के दूसरों को परेशान करते हैं उन को सीख देने के लिए.
  162. माटी की मूरत भी पहनी ओढ़ी अच्छी लगती है.अच्छे कपड़े पहनने का बड़ा महत्व है.
  163. माटी के देवता जल चढ़ाने में खतम हो गए.देवता की मूर्ति मिट्टी की बनी थी, लोग उन पर जल चढाने लगे. बेचारे देवता पानी के साथ बह गए. अंधविश्वासी भक्तों पर व्यंग्य.
  164. मात पिता कुल तारन को जो गया न गया सो कहीं न गया.जो पुत्र पितरों का तर्पण करने ‘गया’ नहीं गया उसके सारे तीर्थ बेकार हैं. गया – बिहार में एक तीर्थ स्थान जहाँ पितरों का तर्पण किया जाता है.
  165. माता जैसी ममतासौतन जैसा बैरदूजा राखे न कोई, देखा सांझ सवेर.अर्थ स्पष्ट है. 
  166. माता न परसे भरे न पेटभादों न बरसे भरे न खेत.जब तक माँ न खिलाए तब तक पेट नहीं भरता और जब तक भादों में वर्षा न हो तब तक खेत में पानी पूरा नहीं पड़ता.
  167. मान का तो मुट्ठी भर चना ही बहुत है.सम्मान सहित मुट्ठी भर चना मिले तो भी से अच्छा है.
  168. मान का पान भला न अपमान का लड्डू.व्यक्ति का सम्मान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. सम्मान के साथ मिलने वाला पान, अपमान हो कर मिलने वाले लड्डू से बेहतर है.
  169. मान का माहुर न अपमान का लड्डू.माहुर – विष. अपमान सह कर लड्डू खाने की अपेक्षा सम्मान सहित जहर पीना श्रेयस्कर है.
  170. मान घटे नित के घर जाए, ज्ञान घटे कुसंगत पाएभाव घटे कुछ मुंह के मांगेरोग घटे कुछ औषध खाए.किसी के घर बार बार जाने से सम्मान कम होता है, बुरे लोगों के साथ रहने से ज्ञान कम होता है, किसी से कुछ मांगने से प्रेम भाव कम होता है और दवा खाने से रोग कम होता है.
  171. मान घटे नित के घर जाए.बार बार कहीं जाने से सम्मान कम होता है. (कद्र खो देता है रोज़ का आना जाना). संस्कृत में कहते हैं – अति गमनं अनादरं. 
  172. मान न मानमैं तेरा मेहमान.जबरदस्ती किसी के गले पड़ना.
  173. मान बड़ा कि दान. किसी को दान देने के मुकाबले सम्मान देना अधिक अच्छा है.
  174. मान मनाई खीर न खाई, झूठी पातर चाटन आई.सम्मान के साथ परोसी गई खीर नहीं खाई और अब झूठी पत्तल चाटने आई हो. जो व्यक्ति उचित समय पर मिलने वाले सम्मान को ठुकरा दे और फिर घटिया काम कर के अपनी बेइज्जती कराए उस के लिए.
  175. मान सहित विष खाय के शम्भु भए जगदीश, बिना मान अमृत पिए, राहू कटायो शीश.सम्मान सहित विष पान कर के शंकर जी को महादेव की उपाधि मिली, और चोरी से अमृत पीने वाले राहु का सिर काटा गया.
  176. माने तो देवता नहीं तो पत्थर.किसी पत्थर की मूर्ति को देवता मान लो तो वह देवता बन जाती है और नहीं मानो तो पत्थर है.
  177. मानो चाहे न मानो हम तुम्हारे पंच.जबरदस्ती किसी का भाग्य विधाता बनना.
  178. मानों तो देवनहीं तो भीत को लेव.दीवार में उकेर कर किसी ने देवता की मूर्ति बनाई हुई है. अगर मानो तो वह देवता है और न मानो तो दीवार का पलस्तर है.
  179. मापाकनिया और पटवारीभेंट लिए बिन करें न यारी.(मापा – भूमि नापने वाला अमीन, कनिया – कानूनगो). ये सभी सरकारी कर्मचारी बिना भेंट लिए काम नहीं करते.
  180. मामू के कान में बालियाँभांजा ऐंड़ा ऐंड़ा फिरे.अपने किसी रिश्तेदार की समृद्धि पर घमंड करना.
  181. मायके का कुत्ता भी प्यारा होता है.स्त्रियों को मायके की हर चीज़ प्यारी होती है.
  182. माया का डर, काया का क्या डर.जिस के पास धन दौलत है उसे उस के चोरी होने या छिन जाने का डर है, जिस के पास कुछ नहीं है (केवल शरीर है) उसे क्या डर.
  183. माया के भी पाँव होते हैंआज मेरे पास कल तेरे पास.माया किसी की नहीं होती, चलती फिरती रहती है. इसलिए धन सम्पदा को अपना मान कर अधिक खुश नहीं होना चाहिए.
  184. माया गंठीविधा कंठी.पैसा वह काम आता है जो हमारे पास मौजूद हो (उधार में बंटा पैसा या बाद में मिलने वाला पैसा वक्त पर काम नहीं आता). विद्या वही काम आती है जो हमें कंठस्थ हो (याद हो). विद्या से भरी हुई कितनी भी पुस्तकें हमारे पास रखी हों, समय पर वही विद्या काम आएगी जो हमें याद हो. (विद्या कंठी दाम अंटी).
  185. माया चलती फिरती छाया.माया किसी की नहीं होती, चलती फिरती रहती है. इसलिए धन सम्पदा को अपना मान कर अधिक खुश नहीं होना चाहिए.
  186. माया छाया एक सीबिरला जाने कोयभगता के पीछे लगेसम्मुख भागे सोय.माया और छाया एक सी होती हैं यह बात बहुत कम लोग जानते हैं, जो इनसे दूर भागता है उसके पीछे भागती हैं और जो इनके पीछे भागता है उससे दूर भागती हैं.
  187. माया बादल की छाया.बादल एक स्थान पर स्थिर नहीं रहता इसलिए उस की छाया भी स्थिर नहीं रहती. इसी प्रकार माया भी एक स्थान पर स्थिर नहीं रहती.
  188. माया महा ठगिनीहम जानी.जो ज्ञानी लोग हैं वही समझ पाते हैं कि माया केवल सबको ठगती है, किसी की हो कर नहीं रहती.
  189. माया मिल गई सूम कोन खरचे न खाय.कंजूस के पास रखा धन बेकार ही है, न तो वह खुद खाएगा और न ही परोपकार में खर्च करेगा.
  190. माया मुई न मन मुआमरि मरि गये शरीर, (आशा तृष्णा ना मुईयों कह गये कबीर). माया इसी संसार में रहती है जबकि उसे जोड़ने की इच्छा करने वाले लोग चले जाते हैं. सब कुछ जानते हुए भी मनुष्य की तृष्णा नहीं मिटती.
  191. माया से छाया भली.पैसा अपने पास रखे रहने से भवन बनवाना अधिक अच्छा है.
  192. माया से माया मिले कर कर लम्बे हाथतुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात.जिनके पास घन सम्पत्ति है उन्हीं के पास और धन इकट्ठा होता जाता है, गरीब को कोई नहीं पूछता.
  193. माया हुई तो क्या हुआ हिरदा हुआ कठोरनौ नेजा पानी चढ़ा तऊ न भीजी कोर.नेजा – बांस. बहुत धनी परन्तु कंजूस और निर्दयी व्यक्ति के लिए कहा गया है कि उस के पास माया आई तो किसी को क्या लाभ हुआ, उसका हृदय और कठोर हो गया. पत्थर के ऊपर नौ बांस की ऊँचाई के बराबर पानी भी चढ़ जाए तो भी उसका अंदरूनी हिस्सा नहीं भीगता.
  194. मार के आगे भूत भी भागता है.कोई आदमी अपने ऊपर भूत आने का नाटक कर रहा था. गाँव के एक सयाने ने कहा कि दस कोड़े मारने से भूत भाग जाएगा. दो कोड़े खाने के बाद ही उस ने हाथ जोड़ दिए. तभी से यह कहावत बनी.
  195. मार खाए और कहे मार के देख.कायर आदमी के लिए.
  196. मार गुसैंया तेरी आस.जब स्त्रियाँ पूरी तरह पति पर आश्रित थीं तो पति यदि उन्हें मारे पीटे तब भी यह कहती थीं, कि तू चाहें हमें मार ले तब भी तेरे ही आसरे हैं. मां जब बच्चे को मारती है तब भी वह यही कहता है. जब राजा और जमींदार जैसे लोग गरीब पर अत्याचार करते हैं तो वह भी ऐसा ही बोलता है. हमारे ऊपर जब भी कोई कष्ट आए हमें ईश्वर से यही कहना चाहिए.
  197. मार मार कर कोई हकीम नहीं बनता.जिस के अंदर लगन हो और मेहनत करने का जज़्बा हो वही बड़ा विद्वान बन सकता है, किसी को मार मार कर होशियार नहीं बनाया जा सकता.
  198. मार पीछे पुकार होती रहे.मौके पर आगे बढ़ कर मार लो उसके बाद चीख पुकार होती रहे.
  199. मारते का हाथ पकड़ा जाएबोलते की जबान थोड़े ही न पकड़ी जाए.मारने वाले को रोका जा सकता है पर कड़वी बात कहने वाले या अपशब्द कहने वाले को रोकना कठिन है.
  200. मारने वाले से जिलाने वाला बड़ा दाता है.कोई ऐसा हाकिम जो केवल लोगों को पीड़ित कर सकता हो उसके मुकाबले ऐसे व्यक्ति का स्थान बहुत बड़ा है जो दूसरों को जीवन दे सके या सुख दे सके.
  201. मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है (मारने वाले से बचाने वाले के हाथ लंबे होते हैं).अर्थ स्पष्ट है.
  202. मारा चोर उपासा पाहुन लौटता नहीं.मार खाया हुआ चोर और भूखे लौटाया हुआ अतिथि दोबारा नहीं आते. उपासा – उपवास कराया हुआ.
  203. मारि के टरि जाएखाय के परि जाए.कहीं मार पीट करनी पड़े तो मारने के बाद के वहाँ से भाग लेना श्रेयस्कर है और भोजन कर के आराम करना अच्छा है.
  204. मारे आप लगावे ताप.काल किसी को तलवार ले कर नहीं मारता, बुखार आदि कोई बीमारी लगा देता है.
  205. मारे घुटनाफूटे ललाट.किसी और की गलती की सजा किसी और को मिलना. लात से किसी को मारोगे तो दूसरा आप का सर फोड़ेगा (घुटने की गलती की सजा सर को मिलना).
  206. मारे छोहन छाती फटे और आँसू के ठिकाने नाहीं.(भोजपुरी कहावत) बिछड़ते समय बहुत दुखी होने का दिखावा कर रहे हैं लेकिन आँसू बिल्कुल नहीं आ रहे हैं.
  207. मारे सिपाही नाम सरदार का.बेचारे सिपाही खतरा उठा के आगे बढ़ के दुश्मन को मारते हैं और जंग जीतने पर नाम सरदार का होता है. किसी भी बड़े उद्योग में मेहनत मजदूर करते हैं और नाम मैनेजर का होता है या लाभ मालिक को होता है.
  208. मारें मक्खी नाम तीसमारखां. एक सज्जन ने एक ही वार से तीस मक्खियाँ मार दीं, जिसके बाद वह अपने को तीसमारखां कहने लगे थे.
  209. माल के नुकसान में जान की खैर.अगर किसी के माल का नुकसान हुआ तो यही कहने में आता है कि चलो माल चला गया कोई बात नहीं जान तो बच गई.
  210. माल से चाल आवे.धन आता है तो आदमी की चाल बदल जाती है.
  211. माला फेरत जुग गयागया न मन का फेरकर का मनका डारि देमन का मनका फेर.कहावत उन लोगों के लिए है जो दिखाने के लिए माला फेरते हैं पर उन का मन प्रपंचों में लगा रहता है. उनसे कहा गया है की माला को छोड़ो और अपने मन को प्रपंचों से हटा कर भगवान में लगाओ. इसी प्रकार का एक दोहा और भी है – माला तो कर में फिरे जीभ फिरे मुख मांहि, मनुआ तो चंहु दिसि फिरे ये तो सुमिरन नांहि.
  212. माला फेरूँकिस को घेरूँ.ढोंगी साधु के लिए जो माला फेरते समय हिसाब लगाता रहता है कि किसको घेरा जाए.
  213. मालिक को काटने वाला कुत्ता बटाऊ का क्या लिहाज करेगाबटाऊ – राहगीर. जो कुत्ता इतना नालायक है कि मालिक को काट सकता है वह राहगीर को तो जरूर काटेगा.
  214. मालिक मालिक एक से.जैसे मालिक लोग मिल कर नौकरों की बेबकूफियों की बातें करते हैं वैसे ही नौकर भी जब आपस में मिलते हैं तो अपने मालिकों की बेबकूफियों और ज्यादतियों की चर्चा करते हैं.
  215. माली आवत देख केकलियाँ करें पुकारफूले-फूले चुन लिएकाल्ह हमारी बार.माली को आता देख कर कलियाँ डर रही हैं कि आज यह फूल चुन रहा है, कल हमारी बारी आएगी. मनुष्य को सावधान करने के लिए.
  216. माली चाहे बरसनाधोबी चाहे धूपसाहू चाहे बोलनाचोर चाहे चूप.हर व्यक्ति यह चाहता है कि दुनिया का हर काम उसकी सुविधा के अनुसार होना चाहिए.
  217. माली सींचे नौ घड़ारुत आवे फल होय.माली चाहे पेड़ में नौ घड़े पानी डाल दे, फल ऋतु आने पर ही लगेगा. प्रयत्न चाहे कितना भी करो, समय आने पर ही कार्य होता है. इसकी पहली पंक्ति है – धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय. इंग्लिश में कहावत है – Rome was not built in a day.
  218. माले मुफ्तदिल बेरहम.मुफ्त के माल को आदमी बेरहमी से खर्च करता है. (फोकट का चन्दन, घिस मेरे नन्दन).
  219. माहे गेहूँ, जेठ गुड़, भादों मास कपास, बहू मायके धी घरै, राखे होय बिनास.(बुन्देलखंडी कहावत) माघ के महीने में गेहूँ, जेठ में गुड़ और भादों में कपास घर में रखने से हानि होती है. इसी प्रकार बहू को मायके में रखने और बेटी को घर में रखने से हानि होती है.
  220. मिजाज क्या है तमाशाघड़ी में तोला घड़ी में माशा.तोला और माशा किसी जमाने में तौलने की इकाइयाँ हुआ करती थीं. उस समय एक रुपये का सिक्का एक तोला (लगभग 7ग्राम) का होता था. माशा इसका दसवां हिस्सा होता था. कहावत का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जिसका मूड बहुत जल्दी जल्दी बदलता हो. 
  221. मिट्टी की ढांड़, लोहे की किवाड़.बेतुका काम. मिट्टी की कच्ची दीवारों में लोहे का किवाड़ लगाने से क्या लाभ होगा.
  222. मिट्टी की दीवार को गिरते देर नहीं लगती.कमजोर व्यापार और कमजोर संबंध टूटते देर नहीं लगती.
  223. मिट्टी के माधो.जो किसी काम के न हों.
  224. मित्र का बैरी बैरीबैरी का बैरी मित्र.जो हमारे मित्र का दुश्मन है वह हमारा भी दुश्मन हुआ और जो हमारे शत्रु का शत्रु है वह हमारे काम आ सकता है इसलिए हमारे मित्र के समान है.
  225. मित्र को मिलाप अति आनंद को कंद है.किसी बिछड़े हुए मित्र से मिलना दुनिया के सबसे बड़े सुखों में से एक है.
  226. मित्र वही जो विपत्ति में काम आए.वैसे तो हर व्यक्ति के बहुत से मित्र होते हैं पर उनमें से सच्चा मित्र कौन है इसकी पहचान तभी होती है जब कोई विपत्ति आती है.
  227. मियाँ का मैल ईद में उतरे.मुसलमानों के कम नहाने पर व्यंग्य. 
  228. मियाँ की जूतीमियाँ के सर.किसी की खुद की चीज़ से उसी को नुकसान पहुँचाना.
  229. मियाँ की दाढ़ी तावीजों में गई.कहीं कहीं रिवाज़ होता है कि मुल्ला लोग अपनी दाढ़ी का बाल तावीज़ में रख कर देते हैं. अपनी तारीफ़ करवाने के चक्कर में मुल्ला जी की पूरी दाढ़ी ही नुच गई. (मियां की दाढ़ी वाहवाही में गई), (मुल्ला की दाढ़ी तबर्रुक में गई).
  230. मियाँ घर नहीं बीवी को डर नहीं.पति बाहर गया हो तो पत्नियाँ आज़ाद हो जाती हैं. इस कहावत को इस तरह भी बोलते हैं – सैयां गए परदेस तो अब डर काहे का. (यह पुराने जमाने की बात है जब पत्नियां पतियों से डरती थीं. अब कुछ लोग इस कहावत को इस तरह कहते हैं – बीवी घर नहीं मियाँ को डर नहीं).
  231. मियाँ नाक काटने को फिरेंबीवी कहे नथ गढ़ा दो.मियाँ इतने गुस्से में हैं कि बीवी की नाक काटने पर उतारू हैं और बीवी कह रही है कि मेरे लिए नाक की नथ बनवा दो. बिना वक्त की नजाकत देखे कोई बात कहना.
  232. मियाँ फिरें लाल गुलालबीबी के हैं बुरे हवाल.जहाँ पति सजधज के छैला बने घूमते हों और पत्नी घर के कामों में ही पिसती रहती हो.
  233. मियाँ बीवी राजी तो क्या करेगा काजी.मुगल शासन काल में शहर में काजी की एक पोस्ट हुआ करती थी जो उस समय का मजिस्ट्रेट होता था. शादी करवाना, तलाक करवाना, झगड़े निपटाना आदि उसके काम हुआ करते थे. जब मियां बीवी आपस में राजी हो तो काजी का क्या काम. जब किसी झगड़े में शामिल दो लोग आपस में सुलह कर ले तो किसी न्यायाधीश या मध्यस्थ की क्या आवश्यकता? ऐसे ही प्रसंग में यह कहावत कही जाती है.
  234. मियाँ भए गोर जोगबीवी लाए घर योग.मियाँ बहुत बूढ़े हो गए हैं (कब्र में जाने योग्य), और बीबी लाये हैं जवान (गृहस्थी योग्य). कोई अधिक आयु का व्यक्ति कम आयु की स्त्री से विवाह करे तो. गोर – कब्र.
  235. मियाँ रिसाने मुर्गी मारी.मियाँ जी को बहुत गुस्सा आया तो और तो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ पाए, मुर्गी मार दी. कमजोर पर गुस्सा निकालना.
  236. मियाँ रोते क्यूँ होक्या करें सूरत ही ऐसी है.कुछ लोग शक्ल से ऐसे लगते हैं जैसे अभी रो पड़ेंगे. ऐसे ही लोगों के लिए कहावत.
  237. मिरगबांदरातीतरमोरये चारों खेती के चोर.हिरन, बन्दर, तीतर और मोर ये चारों खेती को नुकसान पहुँचाते हैं.
  238. मिरजापुरी बगल में छुरी, खाते पीते नीयत बुरी.मिर्जापुर में रहने वालों पर कही गई कहावत. इस तरह की कहावतें कहाँ से उत्पन्न होती हैं यह पता लगाना कठिन है.
  239. मिल गए तो राम राम.वैसे याद नहीं करते हैं, सामने दिख गए तो राम राम कर ली. दिखावे की दोस्ती.
  240. मिल जुल कर रहो मगर हिसाब साफ़ रखो.दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिल जुल कर रहना चाहिए, पर पैसे खर्चे का हिसाब साफ़ रखना चाहिए. हिसाब में गड़बड़ी होने से गाँठ पड़ जाती है.  
  241. मिलन भलो बिछुड़न बुरोमत मिल बिछड़ो कोय.अपने प्रिय व्यक्ति से मिलना जितना अच्छा लगता है उससे अधिक बुरा बिछड़ना लगता है.
  242. मिलन लगे दूध भात, बिसर गए माई बाप.जब व्यक्ति को सब सुख सुविधाएं मिलने लगती हैं तो वह माँ बाप को भूल जाता है.
  243. मिलें न सूखी, चुपड़ के मांगें.सूखी रोटी नसीब नहीं हो रही है और घर वाले चुपड़ के मांग रहे हैं. 
  244. मिलेंगे ऊत बजेंगे जूत.मूर्ख लोग मिलते हैं तो जूतम पैजार करते हैं.
  245. मिस्सों से पेट भरता है किस्सों से नहीं.पेट अनाज से भरता है कोरी बातों से नहीं. इंग्लिश में कहावत है – Give me some francs, not thanks.
  246. मीठा और भर कठौती.एक तो मन माफिक चीज़ और वह भी खूब सारी. (चुपड़ी और दो दो).
  247. मीठा निवाला और कड़वे बोल कोई नहीं भूलता.जिस प्रकार आदमी स्वादिष्ट मिठाई का स्वाद नहीं भूलता उसी प्रकार वह कड़वे बोल की कड़वाहट भी कभी नहीं भूलता. तात्पर्य यह है कि किसी से कड़वे बोल नहीं बोलना चाहिए.
  248. मीठा मीठा हप्पकड़वा कड़वा थू.हम में से अधिकतर लोग केवल अच्छा अच्छा ही प्राप्त करना चाहते हैं, जो हमें बुरा लगता है उससे दूर भागते हैं. किसी व्यक्ति में या किसी काम में अच्छाइयों के साथ कुछ बुराइयाँ भी हैं तो हमें उन्हें भी सहन करना सीखना चाहिए.
  249. मीठी छुरीजहर की भरी.जो लोग बोलते तो मीठा हैं पर उन के मन में कपट होता है, उन के लिए.
  250. मीठी मीठी बात से बनते बिगड़े काम.मीठी बोली से बिगड़ी हुई बात बन जाती है.
  251. मीठे के लिए जूठा खाए.अल्पकालिक लाभ के लिए जो गलत काम करे उस के लिए कहा गया है (विशेषकर वैश्यागामियों के लिए).
  252. मीत बनाए न बनेंबैरीसिंह और नागजैसे कभी न हो सकें एक ठौर जल आग.शत्रु, सिंह और सांप प्रयास करने पर भी मित्र नहीं बन सकते (जैसे आग और पानी एक साथ नहीं रह सकते).
  253. मीर साहब की जात आली हैमुँह चिकना है पेट खाली है.जो लोग बड़े लोगों की जमात में शामिल होने के लिए दिखावा बहुत करते हैं पर अंदर से खाली होते हैं, उनके लिए.
  254. मुँड़ी हुई भेड़ की तरह अमीर.आपसी हास्य व्यंग्य में इस तरह की विरोधाभासी बात बोली जाती है. किसी दोस्त ने दूसरे से कहा कि तुम बहुत पैसे वाले हो, तो वह मजाक में कहता है कि हाँ उतना ही जितनी मुंडी हुई भेड़. 
  255. मुँह कालावक्त उजाला.नीच परन्तु अच्छे भाग्य वाला व्यक्ति, जिसका समय अच्छा चल रहा हो.
  256. मुँह के चिकने, पेट के काले (मुँह मीठी और पेट कसाइन).जो लोग ऊपर से मीठी मीठी बातें करते हैं और अंदर से जहर से भरे होते हैं उनके लिए कही जाने वाली कहावत.
  257. मुँह खाएआँख लजाए.किसी से एहसान लेने के बाद व्यक्ति को थोड़ा लज्जित होना पड़ता है. कोई हाकिम जिस से रिश्वत ले लेता है उस से नज़र बचाता है.
  258. मुँह देख कर बीड़ा और कमर देखकर पीढ़ा.आदमी की हैसियत देख कर ही उस का मान सम्मान किया जाता है. असभ्य भाषा में इसको इस तरह बोलते हैं – मुंह देख के बीड़ा और चूतड़ देख के पीढ़ा. बीड़ा – पान, पीढ़ा – सींकों का बना हुआ स्टूल.
  259. मुँह देख बात, सर देख सलाम.व्यक्ति की हैसियत देख कर ही बात की जाती है और सलाम किया जाता है.
  260. मुँह देखे की उल्फ़त.वैसे याद नहीं करते हैं, सामने दिख गए तो कुछ प्रेम भरी बात कर ली. दिखावे की दोस्ती.
  261. मुँह न धोवे से ओझा कहावे.ओझागीरी करने वाले बहुत गंदे रहते हैं उन पर व्यंग्य. 
  262. मुँह पर कहे सो मूंछ का बालपीछे कहे सो पूंछ का बाल.किसी की बुराई उस के मुंह पर करने वाला बहादुर होता है और पीठ पीछे बुराई करने वाला कायर. मूँछ का बाल गर्व का प्रतीक है और पूँछ का बाल लज्जा का.
  263. मुंगेरी लाल के हसीन सपने.कोई अयोग्य व्यक्ति बहुत बड़े बड़े सपने देखे तो.
  264. मुंडा योगी और पिसी दवा का क्या ठीक.दोनों को पहचानना मुश्किल है. 
  265. मुंह देख कर तिलक.जैसी आदमी की हैसियत होती है वैसा ही उसका सत्कार होता है.
  266. मुंह पर पूतपीछे हरामी भूत.जो लोग सामने आपसे प्रेम जताते हैं (बेटा कहते हैं) और पीठ पीछे गन्दी गालियाँ देते हैं.
  267. मुंह पर मुमानीपीठ पीछे सूअर खानी.ऊपर वाली कहावत की तरह. सामने मुमानी (मुसलमानों में मामी को मुमानी कहते हैं) कह कर प्यार जता रहे हैं और पीठ पीछे सूअर खाने वाली कह रहे हैं (मुसलमानों में सूअर खाना हराम है इसलिए किसी को सूअर खाने वाली कहना बहुत बड़ी गाली है).
  268. मुंह बंधा कुत्ता क्या शिकार करेगा.किसी कर्मचारी को मुख्य औजार ही नहीं दोगे तो वह काम कैसे करेगा.
  269. मुंह में राम बगल में छुरी.देखने में धर्मात्मा और अंदर से कपटी.
  270. मुंह रहते नाक से पानी पिये.बेतुका काम.
  271. मुंह लगाई डोमनी, बाल बच्चों समेत आए. छोटे आदमी को थोड़ी सी तवज्जो दे दो तो सर चढ़ जाता है.
  272. मुंह सुपारीपेट पिटारी. (मुंह सुईपेट कुई).मुँह छोटा पर पेट बड़ा. जो आदमी देखने में छोटा हो पर खाता बहुत हो. कोई हाकिम या बाबू बातें मीठी करता हो पर रिश्वत बहुत मांगता हो. 
  273. मुंह से चावल हजार खाएनाक से एको न खाए.(भोजपुरी कहावत). जिस काम का जो कायदा होता है उसी से किया जाता है.
  274. मुआ घोड़ा भी कहीं घास खाता है.मरा हुआ घोड़ा घास नहीं खाता. पितरों को श्राद्ध करने पर व्यंग्य. रिटायर्ड रिश्वतखोर अफसरों पर भी व्यंग्य.
  275. मुए और मूरख कभी न बदलें.जो मर चुका है वह अपने विचार नहीं बदल सकता. इसी प्रकार मूर्ख लोग भी अपने विचारों पर अड़े रहते हैं. 
  276. मुए शेर से जीती बिल्ली भली.मरे हुए शेर से जीवित बिल्ली अच्छी है. किसी रिटायर्ड बड़े अफ़सर के मुकाबले नौकरी कर रहा क्लर्क अधिक काम का है.
  277. मुए सांप पर कीड़ियों का हमला.सांप जब मर जाता है तो चींटियां उस पर हमला कर देती हैं. जब व्यक्ति के पास धन या सत्ता की शक्तियाँ नहीं रहतीं तो छोटे से छोटा आदमी भी उस पर हमलावर हो जाता है.
  278. मुकद्दर किसी की जागीर नहीं.भाग्य किसी को विरासत में नहीं मिल सकता.
  279. मुख दरसावे दुःख.इंसान का दुःख चेहरे पर प्रकट हो जाता है.
  280. मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता हैवही होता है जो मंजूरे खुदा होता है.इंसान लाख किसी का बुरा चाहे, होगा वही जो ईश्वर की इच्छा होगी. आम तौर पर केवल बाद वाला हिस्सा ही बोला जाता है.
  281. मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त.मुद्दई – मुकदमा करने वाला. किसी परेशानी का सब से ज्यादा असर जिस पर पड़ रहा है वह इतनी दौड़ भाग नहीं कर रहा है, जिनसे सहायता मांगी गई है वे ज्यादा परेशान हैं.
  282. मुफलिस से माँगना हराम है.गरीब से कुछ नहीं माँगना चाहिए.
  283. मुफलिसी सब बहार खोती है, मर्द का ऐतबार खोती है.बहार आती है तो गरीब को उससे क्या लाभ. 2. गरीब आदमी पर कोई विश्वास भी नहीं करता. मुफलिसी – गरीबी.
  284. मुफ्त का चंदन घिस रे लाला, तू भी घिस, घरवालों को भी बुला ला.कोई चीज मुफ्त में मिल रही हो तो सब उस का दुरूपयोग करते हैं.
  285. मुफ्त का सिरकाशहद से मीठा.मुफ्त की चीज़ सदैव अच्छी लगती है.
  286. मुफ्त की गंगा में हराम के गोते.मुफ्त में मिली चीज़ का मज़ा सब लूटना चाहते हैं.
  287. मुफ्त की शराब काजी को भी रवां है.काजी जी लाख सब को समझाएँ कि शराब बुरी चीज़ है, पर जब मुफ्त में मिल जाए तो खुद भी हाथ साफ़ करने से नहीं चूकते.
  288. मुफ्त में निकले काम तो काहे को दीजे दाम.जहाँ मुफ्त में काम बन रहा हो वहां पैसे खर्च करना मूर्खता ही कहलाएगी.
  289. मुरगी की अजान कौन सुनता है.गरीब की आवाज़ कोई नहीं सुनता.
  290. मुरदे के साथ कांधिये नहीं जलते.कांधिये – अर्थी को कंधा देने वाले. कोई मरने वाले का कितना भी सगा सम्बंधी क्यों न हो, चिता पर साथ कोई नहीं चढ़ता. 
  291. मुरदे पर सौ मन मिट्टी तो एक मन और सही.जहाँ किसी पर बहुत सारी मुसीबतें टूट पड़ी हों वहाँ एक और आ जाएगी तो क्या फर्क पड़ेगा.
  292. मुरव्वत में मातियन गाभिन हो गई.मातियन – नाइन. एक नाई काफी लम्बे समय के लिए परदेस गया. लौट के आया तो देखा कि पत्नी गर्भवती है. उसने पूछा कि यह कैसे हुआ. तो नाइन बोली कि वह संकोच में मना नहीं कर पाई इसलिए किसी ने उस का गलत फायदा उठा लिया.
  293. मुर्गा बांग न देगा तो क्या सवेरा न होगा.मुर्गे को एक बार यह अहंकार हो गया कि उसके बांग देने से ही सूरज उगता है. ऐसे ही कुछ लोग यह समझते हैं कि उनके बिना कोई काम नहीं हो सकता. ऐसे लोगों को हंसी हंसी में उनकी औकात बताने के लिए यह कहावत कही जाती है.
  294. मुर्गी की नजर में हीरे से अच्छा घास का कीड़ा.हीरा चाहे कितना भी कीमती क्यों न हो मुर्गी के लिए उसकी कोई कीमत नहीं है. कोई चीज़ किसी के लिए मूल्यवान हो सकती है पर दूसरे के लिए बेकार भी हो सकती है.
  295. मुर्गी को तकुआ का घाव ही बहुत है.छोटे आदमी को छोटा मोटा नुकसान भी बहुत बड़ा लगता है. तकुआ – चरखे से लगी लोहे की सलाई जिस पर सूत लपेटते हैं.
  296. मुर्गी जान से गईमुल्ला को मजा नहीं आया.जब किसी बड़े को खुश करने के लिए छोटा आदमी बहुत नुकसान उठाए और बड़ा खुश न हो.
  297. मुर्गी बीमार और भैंस की बलि.छोटी सी परेशानी को हल करने के लिए बहुत महंगा उपाय करना.
  298. मुर्गी रहे महमूद के, अंडे देवे मसूद के.खाए किसी और का, लाभ किसी और को पहुँचाए. जैसे देश में रहने वाले कुछ लोग खाते यहाँ का हैं और लाभ पड़ोसी देशों को पहुँचाते हैं.
  299. मुर्गे को कलगी का गुमान.अपने रूप रंग पर वही लोग घमंड करते हैं जो मुर्गे की भांति छोटी सोच वाले होते हैं.
  300. मुर्गों की लड़ाई में कबूतरों को फायदा.दो शक्तिशाली लोगों की लड़ाई में तीसरे को फायदा होता है (वह कमजोर हो तब भी).
  301. मुर्दे को कफन और देना पड़ता है.घर के किसी व्यक्ति की मृत्यु होना अपने आप में इतना बड़ा नुकसान है, ऊपर से उसके अंतिम संस्कार और मृत्यु भोज में और खर्च करना पड़ता है.
  302. मुर्दे को बैठ कर रोते हैंरोजगार को खड़े हो कर.अच्छा काम हो या बुरा, सामाजिक हो या असामाजिक, समाज में हर काम को करने का एक ढंग होता है.
  303. मुल्ला की दाढ़ी तबर्रुक में गई.एक मुल्ला जी अपनी दाढ़ी का एक बाल नोच कर ताबीज़ में रख कर अपने मुरीदों को दिया करते थे. धीरे धीरे उनकी सारी दाढ़ी ही नुच गई. दूसरों की भलाई के चक्कर में अपना नुकसान कर बैठना.
  304. मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक.छोटी सोच वाले लोग छोटा ही सोच सकते हैं (छोटा काम ही कर सकते हैं).
  305. मुसलमान भी हुए तो जुलाहे के घर.किसी बड़े आदमी के घर होते तो खूब गोश्त बिरयानी उड़ाते. कोई गलत काम भी किया और उस की एवज़ में भरपूर आनन्द भी नहीं उठाया. 
  306. मुसल्ला पसारबगल में यार.मुसल्ला – नमाज पढने वाली दरी. नमाज पढ़ने जा रहे हैं और बगल में यार (प्रेमिका) को लिए हैं. ढोंगी नमाजी.
  307. मुसाफिर प्यासा क्योंगदहा उदासा क्योंलोटा न था.अमीर खुसरो की खास तरह की पहेली नुमा कहावत जिसमें दो सवालों का एक ही उत्तर होता है. पहले के जमाने में लोग सफर में लोटा और डोरी साथ रखते थे जिससे कुँए से पानी निकाल कर पी सकें. मुसाफिर के पास लोटा नहीं था इसलिए प्यासा रह गया. गधा कुछ देर जमीन में लोटता है तभी उसका मन खुश होता है. गधा उदास क्यों था क्योंकि उसे लोटने को नहीं मिला था.
  308. मुसीबत में काम आवे सो ही सगा.अर्थ स्पष्ट है.
  309. मुसीबत सब पे आती हैभाग्यवान के मांस पर बीतती हैअभागे के हाड़ पर बीतती है.मांस पर बीतने का अर्थ है ऐसी परेशानी जो ठीक हो जाए (बीमारी में मांस सूख जाएगा तो ठीक होने के बाद दोबारा आ जाएगा), हाड़ पर बीतने का अर्थ है स्थाई नुकसान (हड्डी चली जाएगी तो दोबारा नहीं आ सकती).
  310. मुहर्रम की पैदाइश.मनहूस आदमी.
  311. मूँछ उखाड़े मुर्दा हल्का न होय.बहुत छोटा सा नुकसान पहुँचा कर किसी बड़े आदमी का कुछ नहीं बिगाड़ लोगे. 
  312. मूँछ बिचारी क्या करे जब हाथ न फेरा जाए.मूंछ रखने का फायदा तभी है जब उस पर हाथ फेरा जाए. मूँछ पर हाथ फेरने को मर्दानगी का प्रतीक माना गया है.
  313. मूँजी को नमाज छोड़ के मारे.मूंजी – बहुत बड़ा कंजूस, दुर्जन. ऐसे व्यक्ति को सब काम छोड़ कर पीटना चाहिए.
  314. मूंग और मोठ में कौन बड़ा कौन छोटा.व्यर्थ की बहस.
  315. मूंगफली ऊपर पानी पी लोखांसी हो जाएगीकाने से ब्याह कर लो हांसी हो जाएगी. किसी लड़की की काने से शादी हो जाए तो वह सबकी हँसी का पात्र बन जाती है. तुक मिलाने के लिए मूंगफली के ऊपर पानी का जुमला जोड़ दिया गया है.
  316. मूंड़ कटाए बाल की रच्छा.बालों की रक्षा करने के लिए सर कटवा लेना. छोटे नुकसान से बचने के लिए बहुत बड़ा नुकसान उठाना. 
  317. मूंड़ मुंड़ाए सिगरे गाँवकौन कौन का लीजे नाँव.जहां सभी लोग एक से बढ़ कर एक हों.
  318. मूंड़ मुंड़ाए हरि मिलें तो सब ही लेंय मुंड़ाय (बार बार के मूंड़ने, भेड़ न बैकुंठ जाय).कबीर दास ने कहा है कि सर गंजा कराने से प्रभु नहीं मिलते. यदि मिलते होते तो सबसे पहले भेड़ बैकुंठ जाती. 
  319. मूंड़ मुंड़ाएजटा रखाएनगन फिरें ज्यों भैंसाखलड़ी ऊपर राख लगाएमन जैसे को तैसा.ढोंगी साधुओं के लिए. मूंछ मुंडाए हैं, जटाएं बढ़ाए हैं, भैंसे की तरह नंगे घूम रहे हैं, तन पर राख मल रखी है, पर मन शुद्ध नहीं है.
  320. मूजी को टरकाइएहाथ पाँव बचाइये.मूजी – दुष्ट. दुष्ट और धूर्त व्यक्ति यदि आप के पास किसी काम से आये या आप की सहायता करने का प्रस्ताव भी रखे तो उसे टाल देना चाहिए. धूर्त व्यक्ति हमेशा आप को नुकसान पहुँचाएगा.
  321. मूरख का बल मौन.मूर्ख व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत उस के चुप रहने में ही है (बोलते ही उस की पोल खुल जाती है).
  322. मूरख का माल खुशामद से खाइए.मूर्ख व्यक्ति की प्रशंसा करो तो वह बड़ा प्रसन्न होता है. उसकी प्रशंसा कर के उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है और उससे जो चाहे कराया जा सकता है.
  323. मूरख की सारी रैनछैल की एक घड़ी (मूरख की सारी रैनसयाने की एक घड़ी).मूर्ख व्यक्ति बहुत समय लगा कर भी जो काम नहीं कर सकता उसी काम को चंट चालाक या बुद्धिमान व्यक्ति तुरंत कर लेता है.
  324. मूरख को दियो पान, वो लगो रोटी संग खान.(बुन्देलखंडी कहावत) मूर्ख व्यक्ति को पान खाने को दिया तो वह उसे सब्जी की तरह से रोटी के साथ खाने लगा. कोई व्यक्ति मूर्खतावश किसी दी हुई चीज़ का गलत प्रयोग करे तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.
  325. मूरख को समझायज्ञान गाँठ को जाय.मूर्ख को समझाने की कोशिश में अपना ज्ञान कम होता है.
  326. मूरख मारे लट्ठ से ऊपर ही दरसाएज्ञानी मारे ज्ञान से रोम रोम भिद जाए.किसी को दंड देना हो तो मूर्ख व्यक्ति तो लाठी से मारता है जिसकी चोट केवल शरीर को लगती है, पर ज्ञानी आदमी आपके अंतर्मन को चोट पहुंचाने वाली बात कहता है.
  327. मूरख मिले मौन हो जईयोऊसर बीज न बईयो जी.जिस प्रकार बंजर जमीन में बीज नहीं बोना चाहिए उसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान की बात समझाने का प्रयास नहीं करना चाहिए. इंग्लिश में कहावत है – You can never counsel a fool.
  328. मूरख मूढ़ गंवार को सीख न दीजो कोयकूकुर वर्गी पून्छड़ी कभी न सीधी होय.जैसे कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं हो सकती वैसे ही मूर्ख व्यक्ति लाख सीख देने से भी बुद्धिमान नहीं बन सकता.
  329. मूरख वैद से मौत भली.मूर्ख वैद से इलाज कराने में जान तो जाएगी ही और धन भी जाएगा. संस्कृत में इस प्रकार से कहा गया है – वैद्यराज नमस्तुभ्यं! यमराजस्य सहोदर:, यम हरति प्राणानि, त्वं प्राण धनानि च.
  330. मूर्ख अपने को अकलमंद समझते हैं और अकलमंद अपने को अज्ञानी.मूर्ख व्यक्ति कभी अपने को मूर्ख मानने को तैयार नहीं होते, वे समझते हैं कि उन्हें सब कुछ आता है. जो सही मानों में समझदार हैं वे यह समझते हैं कि दुनिया में जानने के लिए बहुत कुछ है जिसमें से वे बहुत कम जान पाए हैं. उदाहरण के तौर पर जो लोग धर्म की एक ही पुस्तक पढ़ते हैं वे अपने को सर्वज्ञ समझते हैं जबकि भारतीय धर्म दर्शन के सैकड़ों ग्रन्थों का अध्ययन करने वाला विद्वान अपने को अज्ञानी मानता है. 
  331. मूर्ख के तरकस में तीर नहीं टिकते. मूर्ख व्यक्ति अपने संसाधनों को ठीक से प्रयोग नहीं करता. (देखिये परिशिष्ट)
  332. मूर्ख को कभी मूर्ख न कहो क्योंकि वह मूर्ख है.एक बार को बुद्धिमान व्यक्ति को मूर्ख कहने पर वह बुरा नहीं मानेगा पर अगर आपने मूर्ख को उस के मुँह पर मूर्ख बोल दिया तो शामत आई जान लो.
  333. मूर्खों के पटाखे दीवाली से पहले ही ख़तम हो जाते हैं.जो लोग सही से खर्च करना नहीं जानते वे समय से पहले ही अपनी सारी सम्पत्ति गंवा देते हैं और जरूरत के वक्त खाली हाथ होते हैं.
  334. मूर्खों के बीच अकल की बात करना मूर्खता.मूर्ख तो मूर्ख होते ही हैं, उन से बड़ा मूर्ख वह है जो उन के बीच अक्ल की बात करे. 
  335. मूर्खों के बीच मौन रह जाना अच्छा है. जहाँ बहुत सारे मूर्ख व्यक्ति अपनी राय दे रहे हों वहाँ समझदार लोग चुप रहते हैं.
  336. मूल से ब्याज प्यारा होता है. अपनी पूँजी (मूलधन) तो सब को प्यारी होती ही है उस पर मिलने वाला ब्याज और अधिक प्यारा होता है. 2. अपनी सन्तान से अधिक अपने नाती पोते प्यारे होते हैं.
  337. मूस मोटइहें लोढ़ा हुइहेंन हाथी न घोड़ा हुइहें.चूहा कितना भी मोटा क्यों न हो जाए, हाथी या घोड़ा नहीं बन सकता. कोई ओछा आदमी धन या अधिकार पा कर महान नहीं बन सकता.
  338. मूसे और बिलार में कबहुं प्रीत न होय.चूहे और बिल्ली में कभी प्रेम नहीं हो सकता. शोषक और शोषित में कभी मधुर संबंध नहीं हो सकते.
  339. मूसे ने पाई खाकी कत्तरतो वो थानेदार बन बैठा.ओछी बुद्धि के आदमी को छोटी सी चीज़ मिल जाए तो अपने आप को बहुत बड़ा समझने लगता है.
  340. मृत्यु सारे दुखों का अंत हैअर्थ स्पष्ट है. इंग्लिश में कहावत है – Death is the grand leveler.
  341. मेंढकी को जुकामहँसें लोग तमाम.ज्यादा नज़ाकत दिखाने या बीमारी का दिखावा करने वालों का मज़ाक उड़ाने के लिए.
  342. मेंहलड़का और नौकरी घड़ी घड़ी नहीं होते.वारिश होना, पुत्र का पैदा होना और नौकरी मिलना, ये बहुत जल्दी जल्दी नहीं होते.
  343. मेढ़ा जब पीछे हटेबैरी जब मीठा बोले.मेढ़ा जब पीछे हटे तो समझ लो कि टक्कर मारने वाला है, शत्रु जब मीठा बोले तो समझ लो कि नुकसान पहुँचाने वाला है.
  344. मेरा कुत्ता मुझी पे भौंके.किसी के टुकड़ों पर पलने वाला व्यक्ति यदि उसी पर आक्रामक हो जाए तो.
  345. मेरा पेट हाऊमैं न देहूं काऊ.अत्यधिक लालची व्यक्ति के लिए. मेरा पेट बहुत बड़ा है, मैं किसी को नहीं दूंगा.
  346. मेरी एक आंख फूटे कोई गम नहींपडोसी की दोनों फूटनी चाहिए.ईर्ष्या की पराकाष्ठा. दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए खुद भी नुकसान उठाने को तैयार. एक व्यक्ति को अपने पड़ोसी से बड़ी ईर्ष्या थी. उस ने कड़ी तपस्या कर के भगवान को प्रसन्न किया. भगवान ने कहा कि जो मांगोगे मैं तुम्हें दूँगा पर शर्त यह है कि पड़ोसी को उससे दुगुना दूँगा. तब काफी सोच समझ कर उसने माँगा कि मेरी एक आँख फूट जाए.
  347. मेरी तौबामेरे बाप की तौबा.किसी काम से तौबा करना (वैसा काम कभी न करने की कसम खाना).
  348. मेरी नाजो को कहाँ कहाँ दुखता हैजहाँ जहाँ सहलाओ वहाँ वहाँ दुखता है.अधिक नाज नखरे दिखाने वाली स्त्रियों पर व्यंग्य.
  349. मेरे और मौसी के इक्कीस रूपये.धूर्त व्यक्ति जोकि मौसी के दिए रुपयों में अपना नाम जोड़ रहा है.
  350. मेरे घर ही बरसे मेह, मेरे घर ही खेती फले.निकृष्ट स्वार्थी व्यक्ति.
  351. मेरे पूत निकम्मा को ढेर सारे कम्मा.जो लोग कोई ठोस काम नहीं करते और आलतू फ़ालतू कामों में व्यस्त रहते हैं या व्यस्त रहने का दिखावा करते हैं उन के लिए.
  352. मेरे मन कछु और है साईं के कछु और.मैं अपने मन में कुछ भी चाहूँ यदि ईश्वर की इच्छा कुछ और है तो मेरा चाहा हुआ नहीं हो सकता.
  353. मेरे लला के कौन कौन यारधुनियाजुलहा और मनिहार.एक माँ का कथन जो कि अपने पुत्र की घटिया मित्र मंडली से दुखी है.
  354. मेव का पूत बारह बरस में बदला लेता है.मेव – राजपूतों की एक जाति जो अपनी वीरता और प्रतिहिंसक प्रवृत्ति के लिए प्रसिद्ध हैं. कहते हैं कि इस जाति में पिता की हत्या का बदला पुत्र बारह साल बाद भी ले सकता है.
  355. मेहनत आराम की कुंजी है.सुनने में उलटी बात लगती है पर सही बात है. मेहनत कर के जो बच्चे अपना भविष्य संवार लेते हैं वे फिर आराम का जीवन बसर करते हैं. 2. मेहनत कर के हम समय से काम निबटा लें तो फिर निश्चिंत हो कर आराम कर सकते हैं.
  356. मेहनत मेरी रहमत तेरी.मेहनत मनुष्य करता है लेकिन ईश्वर की कृपा भी आवश्यक है. 
  357. मेहमानों से घर नहीं बसता.अतिथि कितना भी प्रिय क्यों न हो, उससे घर नहीं बस सकता. घर तो घर के सदस्यों से ही बसता है. (इसलिए मेहमानों के लिए घर वालों का अनादर नहीं करना चाहिए. 
  358. मेहरी जस बैरी न मेहरी जस मीत.पत्नी से बड़ा मित्र कोई नहीं हो सकता, और अगर वह दुश्मनी पर उतर आए तो उस से बड़ा शत्रु भी कोई नहीं हो सकता.
  359. मेहरी भतार का झगराबीच में बोले सो लबरा.लबरा – झूठ बोलने वाला, मेहरी भतार – पति पत्नी. पति पत्नी में झगड़ा हो रहा तो बीच में नहीं बोलना चाहिए. पति पत्नी फिर एक हो जाते हैं, बेचारा बीच में बोलने वाला झूठा सिद्ध हो जाता है.
  360. मैं कब कहूँ तेरे बेटे को मिरगी आवे है.किसी को उसकी कमी बताना और यह भी कहना कि मैं तो कुछ नहीं कह रहा हूँ.
  361. मैं करूँ तेरी भलाईतू करे मेरी आँखों में सलाई.भलाई के बदले में बुराई करने वाले के लिए. 
  362. मैं क्या तुमसे पतला मूतता हूँ.मैं तुमसे किसी तरह कम नहीं हूँ यह कहने का अश्लील तरीका.
  363. मैं गला कटाए.अहं का भाव (अहंकार) सर्वनाश कर देता है.
  364. मैं सच्चामेरा पीर सच्चा.जबरदस्ती अपनी बात मनवाना, जो मैं कह रहा हूँ वही ठीक है.
  365. मैं ही पाल करा मुस्टंडामोहे ही मारे लेके डंडा.मैंने ही जिसे पाल पोस कर बड़ा किया वही (कृतघ्न पुत्र या आश्रित) अब मुझे डंडा ले कर मार रहा है. (टुकड़े दे दे बछड़ा पाला, सींग लगे तब मारन चाला).
  366. मैके के महुए मीठे.मायके की हर वस्तु स्त्रियों को प्रिय लगती है.
  367. मैना जो मैं ना कहेदूध भात नित खायबकरी जो मैं मैं करेउलटी खाल खिंचाय.मैना कहती है मैं ना (मैं कुछ नहीं हूँ), उसे दूध भात मिलता है. बकरी कहती है मैं मैं (मैं ही सब कुछ हूँ), उस की खाल खींची जाती है.
  368. मैला कपड़ा पतली देहकुत्ता काटे कौन संदेह.गरीब दुर्बल गाँव वालों को दुष्ट सरकारी कर्मचारी परेशान करते हैं उसके ऊपर व्यंग्य.
  369. मोकों मिले न तोकोंले चूल्हे में झोंको.जिस चीज़ पर लड़ाई हो रही है वह अगर मुझे नहीं मिल सकती तो तुझे भी न मिले, चाहे चूल्हे में झोंक दो.
  370. मोची की जोरू और फटी जूती.जहाँ पर किसी चीज की बहुतायत होनी चाहिए, वहीं पर उस की कमी हो तो यह कहावत कही जाती है. 
  371. मोची की नजर जूते पर ही पड़ती है.मोची – जूते बनाने वाला. (आजकल इस नाम की एक बड़ी ब्रांड भी है). जिसका जो काम होता है वह उससे सम्बन्धित चीजों पर ही गौर करता है.
  372. मोज़े का घावमियाँ जाने या पाँव.मोज़े से जो घाव लगता है वह बाहर दिखाई नहीं देता, जिस को घाव लगा है वही जान सकता है. कोई अन्तरंग व्यक्ति यदि किसी को चोट पहुँचाता है तो वह किसी से कह भी नहीं सकता. ऐसे में यह कहावत कही जाती है.
  373. मोठों का पीसना क्या और सास का रूसना क्या.किसी ऐसी दबंग बहू का कथन जो सास के रूठने की परवाह नहीं करती.
  374. मोदक मरे जो ताहि माहुर न मारिए.जो लड्डू खाने से मरे उसे जहर मत दीजिए. जो मीठी बातों से वश में आ जाए उस के लिए कड़वी बात या दंड का प्रयोग क्यों किया जाए. इंग्लिश में कहावत है – It is easier to catch flies with honey than with vinegar.
  375. मोम का हाकिम लोहे के चने चबावे.जो हाकिम कोमल हृदय होता है वह प्रशासन चलाने में बहुत परेशानी उठाता है.
  376. मोर भुखिया मोर माई जानेकठवत भर पिसान साने.कठवत – लकड़ी का बर्तन, पिसान – आटा. मेरी माँ ही जानती है कि मेरी खुराक कितनी है, इसलिए कठौता भर के आटा सानती है. बच्चे कि भूख केवल माँ ही समझ सकती है.
  377. मोरी की ईंट चौबारे चढ़ी.(नाली की ईंट कोठे चढ़ी). मोरी – नाली, चौबारे – चौपाल. कोई निम्न कोटि का व्यक्ति उच्च पद पा जाए कोई छोटे खानदान की लड़की बड़े घर में ब्याहे जाने पे घमंड करे तो लोग ईर्ष्यावश ऐसे बोलते हैं.
  378. मोहिनी देख मुनिवर चले.ढोंगी मुनि के लिए जो सुंदर स्त्री को देख कर तपस्या छोड़ कर उसकी ओर चल देते हैं.
  379. मौके का घूँसा तलवार से बढ़ कर.सटीक मौके पर दी गई छोटी चोट भी बड़ा काम कर देती है.
  380. मौत कभी रिश्वत नहीं लेती. अर्थ स्पष्ट है.
  381. मौत दीजो पर मंदी न दीजो.व्यापारी मंदी से सबसे अधिक घबराते हैं.
  382. मौत मांदगी मुकद्दमा मंदी मांगनहार ये पाँचों मम्मा बुरे भली करे करतार.मांदगी – बीमारी, मम्मा – ‘म’ अक्षर से आरम्भ होने वाले शब्द. अर्थ स्पष्ट है.
  383. मौत या तो बहुत जल्दी आती है या बहुत देर से.मृत्यु कभी भी मनुष्य की इच्छानुसार नहीं आती. या तो व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होती है या मौत आती ही नहीं है (परिवार वाले इंतज़ार करते रहते हैं).
  384. मौत हराए, भूख नवाए. मौत सबको हरा देती है और भूख अच्छे अच्छों को झुका देती है.
  385. मौन स्वीकृति लक्षणं (मौन सम्मतिलक्षणंयदि कोई अन्याय होता देख कर आप चुप रह जाते हैं तो इसे आपकी स्वीकृति माना जाएगा.
  386. मौला यार तो बेड़ा पार.ईश्वर प्रसन्न हो तो हर काम आसान है.
  387. मौसी के मूंछें होतीं तो उन्हें भी मामा कहता.रिश्तों की आपसी मजाक.
  388. म्याऊँ के ठौर को कौन पकडे.शाब्दिक अर्थ के लिए देखिए – बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे. कहावत का प्रयोग इस प्रकार करते हैं कि क्रोधी हाकिम या झगड़ालू व्यक्ति से काम के लिए कौन कहे.

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