Uncategorized

  1. भंवरा जाने सर्व रसजिन चाखी वनरायघुन क्या जाने बापुरोसूखी लकड़ी खाय.भंवरा भांति भांति के फूलों का पराग चखता है इस लिए उसे सारे रसों का ज्ञान होता है, घुन बेचारा केवल सूखी लकड़ी खाता है इसलिए कुछ नहीं जानता.
  2. भई गति साँप छछूंदर केरी(धरम सनेह उभय मति घेरी). सांप के विषय में कहा जाता है कि यदि वह छछूंदर को पकड़ ले तो बहुत संकट में पड़ जाता है, यदि वह उसे निगल ले तो अंधा हो जाएगा और अगर उगल दे तो कोढ़ी हो जाएगा. इस संसार में मनुष्य के लिए ऐसी ही स्थिति होती है एक तरफ धर्म होता है और दूसरी तरफ स्नेह करने वाले स्वजन होते हैं.
  3. भए विधि विमुख विमुख सब कोऊ.भाग्य साथ न दे तो बंधु, बांधव, मित्र सभी मुँह मोड़ लेते हैं. 
  4. भगवान के राज्य में देर है अंधेर नहीं (भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है).ईश्वर सभी के साथ न्याय करता है चाहे वह कुछ देर से क्यों न हो.
  5. भगवान तो भाव के भूखे हैं (भगवान भावना के भूखे हैं)भगवान सवा मन लड्डू या सवा सेर सोना चढ़ाने से प्रसन्न नहीं होते, वे तो भक्त की भावना देखते हैं.
  6. भगवान पर विश्वास रखोपर अपनी सुरक्षा स्वयं करो.भगवान् पर विश्वास रखना चाहिए लेकिन अंधविश्वास न कर के अपने कार्य स्वयं करना चाहिए. इस से मिलती जुलती इंग्लिश में एक कहावत है – God helps those, who help themselves.
  7. भगवान मुझे अपनों से बचाए शत्रुओं से मैं अपनी रक्षा आप कर लूँगा. शत्रुओं से अधिक खतरा उन लोगों से है जो अपना होने का दिखावा करते हैं और मौका पाते ही पीठ में छुरा भोंक देते हैं.
  8. भगवान् देता है तो छप्पर फाड़ के देता है.ईश्वर जब कृपा करता है तो भरपूर देता है.
  9. भगाओ मन के डर कोबुड्ढे वर को.मन के डर को भगाओ (जो डरता है वह कुछ नहीं कर सकता) और अगर कोई बुड्ढा किसी युवा लड़की से शादी करने को आए तो उसे भगा दो. 
  10. भगोड़ा सिपाही पलटन की बुराई करता है.कोई भी कर्मचारी जहाँ से काम छोड़ता है (या निकाला जाता है) वहाँ की बुराई करता है.
  11. भज कलदारं, भज कलदारं, कलदारं भज मूढमते.कलदार – रुपया.इस कलयुग में रुपया ही सब कुछ है. यह कहावत श्री कृष्ण भजन – भज गोविन्दं मूढ़मते की तर्ज पर बनाई गई है. 
  12. भजन और भोजन एकान्त में भला.भजन एकांत में इसलिए करना चाहिए जिससे मन इधर उधर न भटके, और भोजन एकांत में इसलिए करना चाहिए जिससे औरों की नज़र न लगे.
  13. भटा भर्ता (बैगन का भर्ता) न खाए, तो दुनिया में काहे को आए.बुन्देलखंड में बैगन के भर्ते को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. वहाँ के लोगों का कहना है कि यदि बैंगन का भर्ता नहीं खाया तो मनुष्य का जन्म लेना बेकार है. 
  14. भड़भड़िया अच्छापेट पापी बुरा.जो ऊपर से शांत दीखता है पर उसके मन में पाप है उस के मुकाबले जल्दी मचाने वाला व्यक्ति अच्छा है. भड़भड़िया – जल्दी मचाने वाला.
  15. भड़भूँजा की छोकरी और केसर का तिलक.अयोग्य व्यक्ति को बहुमूल्य वस्तु मिल जाना. भड़भूँजा – भाड़ में अनाज इत्यादि भूनने वाला (पहले जमाने में निचली श्रेणी के लोगों में से एक).
  16. भडुए को भी मुंह पर भडुआ नहीं कहते.नीच व्यक्ति को भी उस मुँह पर नीच नहीं कहना चाहिए. भडुआ – वेश्याओं का दलाल या साज बजाने वाला. 
  17. भय और प्रेम एक जगह नहीं रहते.जहाँ प्रेम है वहाँ भय का कोई स्थान नहीं है और जो भय दिखाता है उस से प्रेम नहीं हो सकता.
  18. भय बिन भाव न ऊपजैभय बिन होय न प्रीति.बिना डर के किसी के प्रति आदर का भाव नहीं पैदा होता और बिना डर के प्रीति भी नहीं होती.
  19. भय बिनु होहि न प्रीत.बिना डर के आदमी कोई काम नहीं करता. भगवान राम ने जब समुद्र से मार्ग देने का अनुरोध किया और वह नहीं माना तो राम ने अपने धनुष पर अग्नि बाण चढ़ाया और क्रोध से कहा कि यदि समुद्र रास्ता नहीं देगा तो मैं इसे सुखा दूँगा. – तुलसीदास जी ने राम चरित मानस में इस प्रकरण को इस प्रकार कहा है – विनय न मानत जलधि जड़ गए तीनु दिन बीत, बोले राम सकोप तब भय बिनु होहि न प्रीत. 
  20. भर फगुआ बुढ़उ देवर लागेंले.(भोजपुरी कहावत) होली के मौसम में इतनी मस्ती छाती है कि स्त्रियाँ ससुर से भी देवर के समान मजाक कर लेती हैं. फगुआ – फाग, होली.
  21. भरम भारीपिटारा खाली.जहाँ किसी बात का बहुत भारी भ्रम फैलाया जा रहा हो और वास्तविकता में कुछ न हो. बंद पिटारा दिखा कर लोगों को मूर्ख बनाया जा रहा है जबकि पिटारा अंदर से खाली है.
  22. भरम मारेभरम जियावे.भ्रम (अनावश्यक डर) ही व्यक्ति को मारता है और भ्रम (आशा) ही व्यक्ति को जीने की और कर्म करने की इच्छा प्रदान करता है.
  23. भरी जवानी मांझा ढीला.मांझा – शरीर में कमर और नितम्बों का भाग. युवावस्था में यौनेच्छा की कमी या अशक्ति.
  24. भरी जवानी में बुढ़ापे का मजा.कोई जवानी में ढीला ढाला, कमजोर और आलसी हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए ऐसे बोलते हैं.
  25. भरी न छलकेअधभरी छलके (भरी गगरिया चुपके जाय)भरी हुई गागर ले कर चलने पर वह छलकती नहीं है, आधी भरी हुई छलकती है. इसी प्रकार जिस व्यक्ति को अधिक ज्ञान होता है वह कम बोलता है जबकि अधूरे ज्ञान वाला व्यक्ति बहुत बकबक करता है.
  26. भरी नाव में सूप भी भारी.जो व्यक्ति या संस्थान काम के बोझ से लदा हुआ है उस को थोड़ा सा भी अतिरिक्त काम भारी लगता है. 
  27. भरे को सब भरें.जो सब प्रकार से सम्पन्न है उसी को सब लोग भेंट और सम्मान देते हैं, जो वास्तव में जरूरतमंद है उसे कोई नहीं देना चाहता.
  28. भरे पेट शक्कर खारी.जब पेट भरा हो तो अच्छे खाद्य पदार्थ भी स्वादिष्ट नहीं लगते, जबकि भूखे पेट पर सादा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है.
  29. भरे समंदर में घोंघा प्यासा.समस्त सुविधाओं के बीच रहने वाला व्यक्ति ही अगर उनसे वंचित हो
  30. भरोसे की भैंस, पड़ा बियानी.(बुन्देलखंडी कहावत) भैंस की पड़िया की कीमत पड्ढे के मुकाबले बहुत अधिक होती है. जिस भैंस पर विश्वास था कि वह पड़िया जनेगी उसी ने पड्डा पैदा कर दिया. कोई विश्वास पात्र व्यक्ति ही धोखा दे जाए तो यह कहावत कही जाती है.
  31. भलमानस घर में पड़ामवाली ने जाना मुझसे डरा.शांति प्रिय व्यक्ति चुपचाप अपने घर में रह रहा है तो गुंडे बदमाश समझ रहे हैं कि उन से डर गया है.
  32. भला हुआ ननद गौने गईननद की साड़ी मोको भई.किसी के जाने से किसी का फ़ायदा. ननद के ससुराल जाने से भाभी इसलिए खुश है कि ननद की साड़ी उसे पहनने को मिल गई.
  33. भले आदमी की मुर्गी टके टके.भले आदमी के माल को सब सस्ते में हासिल करना चाहते हैं.
  34. भले के भाईबुरे के जंवाई.जो हमारे साथ शराफ़त से पेश आएगा उस के लिए हम शरीफ़ हैं और जो हमारे साथ बुरा करेगा उस के लिए हम बुरे है. यहाँ जंवाई का अर्थ खून चूसने वाले प्राणी के रूप में किया गया है.
  35. भले घोड़े को एक चाबुकभले आदमी को एक इशारा काफी है.अर्थ स्पष्ट है.
  36. भले दिन का मेहमान, बुरे दिन का दुश्मन.जब व्यक्ति सम्पन्न होता है तो घर आया मेहमान अच्छा लगता है. जब व्यक्ति परेशानी में होता है तो घर आया मेहमान दुश्मन लगता है.
  37. भलो भयो मेरी मटकी फूटी, मैं दही बेचन से छूटी.चाहे नुकसान हो जाए पर काम न करना पड़े ऐसा सोचने वाले व्यक्ति के लिए. 
  38. भलो भयो मेरी माला टूटी राम जपन की किल्लत छूटी.उपर्युक्त कहावत की भांति.
  39. भलोभलो कह छांड़िएखोटे ग्रह जप दान (दुष्ट ग्रहों को ही पूजा जाता है).किसी भी घर, खानदान या संगठन में भले लोगों को तो यह कह कर उपेक्षित कर दिया जाता है कि ये तो भले आदमी है मान जाएंगे. जो दुष्ट और दुराग्रही हैं उन्हें मनाने की कोशिश की जाती है. इसका दृष्टांत इस कहावत में इस प्रकार दिया गया है कि सूर्य और बृहस्पति की पूजा कोई नहीं करता, शनि और राहु को शांत करने के लिए दान और हवन किए जाते हैं. इसकी पहली पंक्ति है – बसे बुराई जासु तन, ताही को सन्मान.
  40. भवन बनावत दिन लगेढावत लगे न देर.मनुष्य बड़ी मेहनत से महीनों सालों में कोई भवन बनाता है या व्यापार खड़ा करता है, पर जब दुर्भाग्य आता है तो कुछ क्षणों में ही सब ढह जाता है.
  41. भवानी निबल बकरे सबल.देवी कमजोर हैं और उनको बलि चढ़ाने के लिए लाए गए बकरे ताकतवर हैं. जहाँ प्रशासन कमज़ोर और अपराधी मजबूत हों.
  42. भाँड़ो संग खेती कीगा बजा के छीन ली.निम्न श्रेणी के लोगों के साथ साझे में कोई काम नहीं करना चाहिए, वे नंगई दिखा कर व्यापार का सारा लाभ छीन सकते हैं.
  43. भांग भखन तो सुगम हैलहर कठिन कैंह होय.भांग खाना आसान है भांग की तरंग झेलना मुश्किल है.
  44. भांग मांगे भूगड़ासुल्फा मांगे घीदारू मांगे खूंसड़ाखुसी आवे तो पी.भूंगड़ा – भुने चने. भांग की तरंग मसाले दार भुने चने खाने से कम होती है और सुल्फे की खुश्की घी से, दारू पी के जो दिमाग फिरता है वह जूते लगने से ठीक होता है, जिसको जिसमें ख़ुशी हो वही पियो.
  45. भांड की कौन बुआ, सांप की कौन मौसी.निकृष्ट लोग कोई सामाजिक रिश्ता नहीं मानते.
  46. भाई का भाई बाहर बैठ जाए, जोरू का भाई चौके तक जाए. (बुन्देलखंडी कहावत)  महिलाएँ पति के भाई को घर में बैठाती तक नहीं हैं, लेकिन अपने भाई को चौके में बैठा कर प्रेम से खाना खिलाती हैं.
  47. भाई दूर पड़ोसी नियरे.पड़ोसी का बहुत महत्व है क्योंकि मुसीबत के वक्त भाई तो दूर होगा पर पड़ोसी पास होगा.
  48. भाई बराबर बैरी नहींभाई बराबर प्यारा नहीं.भाई सब से प्यारा भी होता है और जायदाद के झगड़े के कारण भाई सब से बड़ा दुश्मन भी बन जाता है.
  49. भाई भतीजा भांजा भाट भांड भुइंहार, इतने भ को छोड़ के फेरि करो व्यापार (भइअन छओ भकार सेसदा रहो होसियार).भ अक्षर से शुरू होने वाले इन सब लोगों के साथ व्यापार नहीं करना चाहिए. ये छः लोग कभी भी धोखा दे सकते हैं. 
  50. भाई भले ही मरे, भाभी का घमंड टूटना चाहिए.मूर्खता पूर्ण स्वार्थपरता की पराकाष्ठा.
  51. भाई लड़ें तो माँ भी दो हो जाएँ.भाइयों में लड़ाई होती है तो बेचारी माँ के सामने यह दुविधा हो जाती है कि वह क्या बोले. दोनों को लगता है कि माँ दूसरे का पक्ष ले रही है.
  52. भाई सीधा और भाभी चंट, उधर की कसर इधर पूरी.किसी घर में पति सीधा हो और पत्नी चालाक तो लोग पति के सीधेपन का नाजायज फायदा नहीं उठा पाते हैं. ऐसी परिस्थिति में यह कहावत कही जाती है.  
  53. भाग बिना भोगे नहीं भली वस्‍तु का भोग, (दाख पके जब काग के होत कंठ में रोग).भाग्य के बिना हम किसी वस्तु का उपभोग नहीं कर सकते. लोक मान्यता है कि जब अंगूर पकते हैं तो कौए के गले में रोग हो जाता है और वह अंगूर नहीं खा सकता. दाख – द्राक्ष (अंगूर).
  54. भागते भूत की लंगोटी ही भली.जब कोई बड़ा नुकसान हो रहा हो तो जो कुछ भी बच जाए वही अच्छा.
  55. भागतों के आगे और मारतोंके पीछे. डरपोक लोगों के लिए. जहाँ मैदान छोड़ कर भागने की बात आएगी वहाँ सबसे आगे होंगे, और जहाँ आगे बढ़ कर मारने की बात आएगी वहाँ सब से पीछे होंगे.
  56. भागने वाली को दहेज नहीं मिलता.जो लड़की घर से भाग कर शादी करती है उसे दहेज़ नहीं मिलता.
  57. भागने से पहले चलना सीखो.किसी काम को सीखने में जल्दबाजी न करो.
  58. भागलपुर के भागलिए कहलगाँव के ठगपटना के दिवालिए ये तीनों नामज़द.स्थान विशेष के ऊपर बनाई गई कहावतें जो कभी किसी कारण से बनती हैं और कभी बेसिरपैर की भी होती हैं.
  59. भागलपुर जाइए नजाइए तो कुछ लाइए न और लाइए तो रोइए न.कहावत में कहा गया है कि भागलपुर में मिलने वाला सामान घटिया होता है. सत्य मालूम नहीं क्या है. 
  60. भाग्य और परछाई कभी साथ नहीं छोड़ते.जिस प्रकार परछाईं आदमी का साथ कभी नहीं छोड़ती, उसी प्रकार भाग्य भी हमेशा साथ लगा रहता है (व्यक्ति कहीं भी जाए). 
  61. भाग्य की बलियारांधी खीर हो गयो दलिया.भाग्य में न हो तो आदमी जो भी काम करे कुछ का कुछ हो जाता है (खीर बनाई तो दलिया बन गया)..
  62. भाग्य दो कदम आगे चलता है.जब व्यक्ति का भाग्य खराब होता है तो वह कहीं भी जाए उसे सफलता नहीं मिलती. उसका दुर्भाग्य उससे पहले ही वहाँ पहुँच जाता है.
  63. भाग्यवान का पड़ोसी नरक में जाता है.क्योंकि वह ईर्ष्या से जलता भुनता रहता है.
  64. भाग्यवान के भूत कमावें (भाग्यवान का हल भूत जोतते हैं).जब आदमी का भाग्य प्रबल होता है तो उस के सारे काम अपने आप होते चले जाते हैं.
  65. भाड़ में जावे दुनियाहम बजावें हरमुनिया.दुनिया भाड़ में जाए, हम अपने राग रंग में मस्त हैं. हरमुनिया – हारमोनियम.
  66. भाड़ लीप कर हाथ काला किया.अपनी हैसियत के अनुकूल काम न करके प्रतिष्ठा को बट्टा लगाया.
  67. भाड़ाब्याजदच्छनापीछे मिले कुच्छ ना.किराया, ब्याज और दक्षिणा तुरंत ले लेना चाहिए. बाद में कुछ नहीं मिलता.
  68. भाड़े के घोड़े, खाएं बहुत चलें थोड़े.किराए पर लिए गए घोड़े खाते अधिक हैं और काम कम करते हैं. जब तक किसी काम में व्यक्ति का अपना नफा नुकसान नहीं होता तब तक वह काम नहीं करता.
  69. भात खाते हाथ पिराए.अत्यधिक नजाकत, चावल खाने में हाथ में दर्द होना.
  70. भात छोड़ दो साथ न छोड़ो.चाहे एक बार को भोजन छोड़ दो पर किसी अपने का साथ न छोड़ो.
  71. भात बिना है रांड रसोई, खांड बिना अनपूती, बिन घी के जिन खाई रोटी, मानो खाई जूती.चावल और खांड के बिना रसोई बिल्कुल निरर्थक है. घी के बिना रोटी खानी पड़े तो उसे बेइज्जती मानना चाहिए.  
  72. भात होगा तो कौवे बहुत आ जाएंगे.आपके पास धन और सत्ता हो उस का लाभ उठाने के लिए बहुत लोग आ जाएंगे (और धन एवं सत्ता के जाते ही ये सब गायब भी हो जाएंगे).
  73. भादों की घाम और साझे का काम देहि तोड़ा करें (या बैरी भादों की घामया बैरी साझे का काम).भादों की धूप बहुत तेज़ होती है इसलिए शरीर को तोड़ देती है, साझे के काम में मेहनत करना सबको भारी लगता है इसलिए शरीर टूटता है.
  74. भादों की छाछ जूतों कोकातक की छाछ पूतों को.भादों में छाछ हानिकारक मानी जाती है और कार्तिक में गुणकारी (खाद्य पदार्थों के बारे में ऐसे बहुत से बेतुके अंधविश्वास पहले के लोगों में भी पाए जाते थे और अब भी पाए जाते हैं). जूतों के स्थान पर भूतों भी बोला जाता है.
  75. भादों की धूप में हिरन काले हो जाते हैं.भादों की धूप बहुत तेज होती है इस बात को थोड़ा बढ़ा चढ़ाकर कहा गया है.
  76. भादों की बरखा, एक सींग गीला एक सींग सूखा.भादों की वारिश कहीं होती है और कहीं नहीं होती, इस बात को हास्यपूर्ण ढंग से कहा गया है.
  77. भानु उदय दीपक किहिं काजा.सूर्य उदय होने के बाद दीपक का क्या काम.
  78. भाभी लीपती जायदेवर खेलता जाय.कोई आदमी मेहनत कर के काम बना रहा हो और दूसरा उसे बिगाड़ता जा रहा हो तो.
  79. भार घसीटत और को, रहे ऊँट के ऊँट.जो लोग अपने दिमाग से काम नहीं करते वे जानवरों के समान दूसरों का बोझ ही ढोते रहते हैं.
  80. भारी पत्थर न उठा तो चूम कर छोड़ दिया.कोई चालाक आदमी भारी पत्थर उठाने की कोशिश कर रहा था. नहीं उठा तो चूम कर छोड़ दिया, यह जताने के लिए कि उठाने की कोशिश नहीं कर रहे थे, हम तो पत्थर को चूम रहे थे. कोई काम न कर पाओ तो चालाकी से उस से हाथ खींच लेना.
  81. भारी ब्याज मूल को खाय.ज्यादा मोटा ब्याज वसूलने के चक्कर में कभी कभी मूलधन भी मारा जाता है.
  82. भाव बिना भक्ति नहीं. भाग बिना धन मान.जब तक भगवान के प्रति समर्पण का भाव न हो तब तक भक्ति नहीं होती और भाग्य के बिना धन व सम्मान नहीं मिलते.
  83. भाव राखे सो भाई.असल भाई वही है जो मन में प्रेम का भाव रखे.
  84. भावज की थैली, सर्राफी करे देवर.दूसरों के धन पर व्यापार करने वालों के लिए.
  85. भावी के वश सब संसार.भाग्य के वश में सारा संसार है.
  86. भाषा जो न जाने ताहि शाखामृग जानिए.शाखामृग – बंदर. जो अनपढ़ है वह बंदर के समान है.
  87. भिखारी का क्या दीवाला.जिस व्यापार में पूँजी लगती है उस में दीवाला निकलने का डर रहता है. भिखारी की कोई पूँजी दांव पर नहीं लगती.
  88. भिच्छु जो लछमी पाइहै, सीधे परत न पाँव.भिखारी को धन मिल जाए तो बहुत इतराने लगता है.
  89. भीख के टुकड़े बाजार में डकार.अपने पास कुछ न होते हुए भी दिखावा करना.
  90. भीख न दे माईमेरो खप्पर तो मत फोड़े.भले ही मेरे ऊपर कुछ उपकार न करो, मुझे नुकसान तो न पहुँचाओ.
  91. भीख माँगे आँख दिखावे.निर्लज्ज भिखारी, भीख मांग रहा है और आँखें दिखा रहा है.
  92. भीख मांगे और पूछे गाँव की जमा.गाँव भर से जो लगान इत्यादि जमींदार लोग जमा करते थे उसे गाँव की जमा कहते थे. कोई भीख मांगने वाला गाँव की जमा पूछे यह बेतुकी बात है.  
  93. भीख में पछोड़ क्या (भीख में मांगें पछोर पछोर).भीख का अनाज साफ़ कर के नहीं मिलता. इंग्लिश में कहावत है – Beggars can’t be choosers.
  94. भीख से भंडार नहीं भरते. भीख मांग कर कोई तरक्की की सीढ़ियाँ नहीं चढ़ सकता.
  95. भीड़ में सिर बहुतदिमाग एको नहीं.भीड़ में विवेक नहीं होता.
  96. भीतर का घाव, रानी जाने या राव.घर की अंदरूनी समस्याओं को घर के मुखिया ही जानते हैं.
  97. भील का घर टोकरी में.बहुत गरीब आदमी के पास इतना कम सामान होता है कि एक टोकरी में आ सकता है.
  98. भीषण सिंधु तरंग में पहले पैठे कौन. समुद्र में भयंकर लहरें उठ रही हों तो पहले कौन उस में उतरेगा. किसी खतरनाक काम को पहले करने का बीड़ा कोई नहीं उठाना चाहता.
  99. भुस के मोल मलीदा.जब कोई बहुत कीमती चीज़ बहुत सस्ते में मिल रही हो तो.
  100. भुस में आग लगाए जमालो दूर खड़ी.दो लोगों में लड़ाई करवा के दूर से तमाशा देखना.
  101. भूख गए भोजन मिलेजाड़ो गए रजाईजोवन गए तिरिया मिलेकौन काम को भाई.भूख खत्म होने के बाद भोजन, जाड़ा खत्म होने के बाद रजाई और यौवन बीत जाने के बाद स्त्री मिले तो किस काम के.
  102. भूख में किवाड़ पापड़ होते हैं (भूख में गूलर ही पकवान).बहुत भूख लगी हो तो जो भी खाने को मिले अच्छा लगता है.
  103. भूख में चने बादाम (भूख में चना चिरौंजीभूख में चने भी मखाने) भूख में चना भी मेवे जैसा लगता है.
  104. भूख लगी तो घर की सूझी.आवारा आदमी और बालक इनको भूख लगने पर घर ही याद आता है.
  105. भूखा आदमी क्या पाप नहीं करता.भूखा आदमी अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ भी पाप करने को तैयार हो जाता है.(बुभुक्षित: किम न करोति पापं). इंग्लिश में कहावत है – When there is no bread in the stomach, everything goes wrong.
  106. भूखा खाए तो पतियाए.भूखे को कितने भी आश्वासन देते रहो, उसे विश्वास तभी होगा जब भर पेट खाने को मिल जाएगा.
  107. भूखा गया जोय बेचनेअघाना कहे बंधक रखो.अघाना – जिस का पेट भरा हुआ हो. गरीब अपनी स्त्री को बेचने धनी के पास गया, धनी कहता है मैं खरीदूंगा नहीं मेरे पास गिरवी रख दो. किसी की मजबूरी का अनुचित लाभ उठाना.
  108. भूखा चाहे रोटी दालअघाया कहे मैं जोडूं माल.भूखा आदमी भोजन के लिए परेशान है और धनी आदमी (अघाया हुआ, पेट भरा हुआ) माल जोड़ने की चिंता में है.
  109. भूखा पूछे जोतसीअघाया पूछे वैद.भूख से परेशान गरीब आदमी ज्योतिषी के पास जाता है और पूछता है कि उस के दिन कब फिरेंगे. अधिक खाने से परेशान संपन्न आदमी वैद्य से पूछता है कि खाना कैसे पचाया जाए.
  110. भूखा बंगाली भात ही भात पुकारे.भूखा आदमी भोजन भोजन ही पुकारता है (अगर बंगाली होगा तो भात पुकारेगा क्योंकि भात उसका मुख्य भोजन है).
  111. भूखा बामन सिंह बराबर. भूखा ब्राह्मण हिंसक हो जाता है.
  112. भूखा बामन सोवे, भूखा जाट रोवे, भूखा बनिया हंसे, भूखा रांगड़ कसे.ब्राह्मण भूखा होता है तो चुपचाप सो जाता है, जात भूखा होने पर रोता है, बनिया अजीब अजीब हरकतें करने लगता है और रांगड़ (मुस्लिम राजपूतों की एक जाति) लूटपाट के लिए कमर कस लेता है.
  113. भूखा मरे कि सतुआ खाए.किसी को सत्तू बिलकुल पसंद नहीं है लेकिन खाने के लिए केवल सत्तू ही है. अब वह परेशान है कि भूखा मरे या सत्तू से पेट भरे. मजबूरी में कोई काम करना पड़े तो.
  114. भूखा सिंह न तिनका खाय.शेर कितना भी भूखा क्यों न हो, घास नहीं खा सकता. वीर पुरुष कितने भी संकट में हों, अपने आदर्शों से समझौता नहीं करते.
  115. भूखा सो जानापर जौ का दलिया नहीं खाना.सम्भवतः जौ का दलिया बहुत बेस्वाद होता है.
  116. भूखा सो रूखा.भूखे आदमी से मधुर व्यवहार और विनम्रता की आशा नहीं करना चाहिए. 
  117. भूखे का पेट बातों से नहीं भरता.भूखे व्यक्ति को आदर्श वाद की बातें नहीं समझाना चाहिए. इंग्लिश में कहावत है – Hungry bellies have no ears.
  118. भूखे की कोई जात नहीं होती.भूखा आदमी किसी भी जात का हो, समान रूप से त्रस्त होता है.
  119. भूखे को क्या रूखाथके को क्या तकिया.भूख लगी हुई तो रूखा सूखा भोजन भी अच्छा लगता है, आदमी थका हुआ हो तो बिना तकिये के सो सकता है.
  120. भूखे को भोजन थके को विश्राम.भूखे को भोजन और थके हुए व्यक्ति को विश्राम सबसे अधिक प्यारा होता है. इस को इस प्रकार भी कह सकते हैं कि भूखे को भोजन और थके को विश्राम कराने से बड़ा पुण्य मिलता है.
  121. भूखे ने भूखे को मारादोनों को गश आ गया.कमजोर आदमी जब कमजोर से लड़ता है तो दोनों का नुकसान होता है.
  122. भूखे बेरअघाने गाड़ाता ऊपर मूली का डांड़ा.भूखे पेट पर बेर खाना चाहिए, पेट भरने के बाद गन्ना और उसके ऊपर मूली का सेवन करना चाहिए. 
  123. भूखे भजन न होय गोपालाये लो अपनी कंठी माला.भूखा आदमी भजन नहीं कर सकता.
  124. भूखे से पूछा दो और दो क्याबोला चार रोटियाँ.भूखे व्यक्ति को केवल भोजन ही दिखाई पड़ता है.
  125. भूत की दवा गू.एक नई नवेली बहू अपने ऊपर भूत आने का नाटक कर के बेहोश पड़ी थी. किसी सयानी स्त्री ने कहा भूत भगाने के लिए हम लोग कुत्ते का गू मुँह में डालते हैं. यह सुनते ही बहू को फौरन होश आ गया.
  126. भूत जान न मारेसता मारे.भूत किसी को जान से कैसे मार सकता है, भूत तो कुछ होता ही नहीं है. आदमी केवल उसका डर लोगों को सताता है. 
  127. भूत न मारे, मारे भय.भूत प्रेत कुछ नहीं होता, केवल भय से ही लोग मर जाते हैं.
  128. भूत मरे, पलीत जागे.एक मुसीबत समाप्त नहीं हुई कि दूसरी खड़ी हो गई.
  129. भूत माटी का भी डराता है.इंसान भूत के नाम से ही डरता है.
  130. भूतों के घर सालिग्राम.किन्हीं निकृष्ट लोगों के घर में कोई अच्छा व्यक्ति जन्म ले तो.
  131. भूमि न भुमिया छोड़िये, बड़ो भूमि को वास, भूमि विहीनी बेल ज्यों, पल में होत बिनास.(बुन्देलखंडी कहावत)आजकल बहुत से किसान जमीन बेच कर शहरों में बसना चाहते हैं. कहावत में सलाह दी गई है कि किसान को अपनी जमीन नहीं छोड़नी चाहिए. 
  132. भूमियाँ तो भू पे मरीतू क्यों मरी बटेर.भूस्वामी तो जमीन के लिए लड़ते हैं, बटेर तू क्यों मरी जा रही है. जब बड़े लोगों की लड़ाई में कोई छोटा आदमी बिना बात शामिल हो रहा हो तो. धूर्त नेता तो सत्ता के लिए लड़ रहे होते हैं, उनके समर्थक बिना बात अपनी जान देते हैं. 
  133. भूरा भैंसाचंदली जोयपूस में वारिशबिरले होय.भूरे भैंसे, गंजी स्त्री और पूस के महीने में वारिश ये बहुत कम पाए जाते हैं.
  134. भूल का टका भूल में गया.व्यापार में भूल से कुछ पैसा आ भी जाता है और कुछ पैसा चला भी जाता है. 
  135. भूल गए राग रंग भूल गए छकड़ीतीन चीज याद रहीं नोन तेल लकड़ी.शादी के पहले मस्त मौला रहने वाले लोगों का गृहस्थी संभालने के बाद का कथन.
  136. भूल चूक का पैसा कमाई में नहीं गिना जाता.भूल चूक में कुछ पैसा यदि आ जाए तो उसे कमाई में नहीं गिनते.
  137. भूल चूक लेनी देनी.व्यापारी लोग हिसाब में छोटी मोटी भूल चूक को आपसी सहमति से नज़र अंदाज कर देते हैं, उसी के लिए कथन. इंग्लिश में कहते हैं – Errors and omissions accepted.
  138. भूला फिरे किसान जो कातिक मांगे मेंह.कार्तिक की वर्षा से कोई लाभ नहीं होता.
  139. भूले चूके दंड नहीं.अनजाने में किसी से भूल हो गई हो तो उसे दंड नहीं देना चाहिए.
  140. भूले बनिया भेड़ खाई (भूले बामन गाय खाई)अब खाऊं तो राम दुहाई.धोखे से कोई गलत काम हो गया है, अब आगे से किसी हाल में नहीं करूंगा. 
  141. भूसी बहुत आटा थोड़ा.कायदे में आटे में थोड़ी सी ही भूसी (चोकर) होना चाहिए. अगर भूसी अधिक और आटा कम है तो उसे घटिया माना जाएगा. 
  142. भेड़ की खाल में भेड़िया.कोई बहुत दुष्ट आदमी सज्जन बनने का ढोंग कर रहा हो तो.
  143. भेड़ की लात घुटनों तक.कमजोर आदमी किसी को अधिक नुकसान नहीं पहुँचा सकता. भेड़ किसी को लात भी मारेगी तो टांगों पर ही मार पाएगी.
  144. भेड़ जहां जाएगी वहीं मुंड़ेगी.सीधा साधा आदमी जहाँ जाएगा वहीं ठगा जाएगा.
  145. भेड़ पर ऊन किसने छोड़ी.कमजोर को सब लूटते हैं.
  146. भेड़ पूंछ भादों नदी को गहि उतरे पार.भादों की उफनती नदी है. भेड़ की पूंछ पकड़ कर कैसे पार हो सकती है. किसी बड़ी मुसीबत को छोटे आदमी के सहारे पार नहीं किया जा सकता.
  147. भेड़ भगतिन बन गई और पूंछ में डाली माला.बनावटी साधुओं पर व्यंग्य.
  148. भेड़ भेड़ तुझे कंबल उढ़ाउंगा, के ऊन कहाँ से लाएगा.जनता को मुफ्त में उपहार बांटने का नाटक करने वाले नेताओं से जनता को यह प्रश्न पूछना चाहिए कि तुम यह कहाँ से लाते हो. यह सब पैसा है तो जनता का ही.
  149. भेड़िया आयाभेड़िया आया.एक चरवाहा दूर जंगल में भेड़ें चराया करता था. एक दिन वह मज़ाक मजाक में चिल्लाने लगा – भेड़िया आया, भेडिया आया. आसपास के लोग उसकी मदद के लिए दौड़े तो देखा कि वह झूठ मूठ चिल्ला रहा है. लोगों से मज़ा लेने के लिए उसने दो तीन बार फिर यही हरकत की. हर बार लोग आते और वापस लौट जाते. एक दिन सचमुच में भेड़िया आ गया और उस की एक भेड़ को उठा कर ले जाने लगा. अब वह बहुत चिल्लाया पर लोगों ने सोचा कि वह फिर से मज़ाक कर रहा होगा इसलिए कोई उस की मदद को नहीं आया. कहावत का अर्थ है कि गंभीर सामाजिक मसलों में ठिठोली नहीं करनी चाहिए.
  150. भेड़िये रे भेड़िये, बकरी चराएगा.किसी दुष्ट आदमी से ऐसे काम के लिए पूछना जिसमें उसका फायदा ही फायदा हो. 
  151. भेड़ियों के जरख ही पाहुने.जरख – लकड़बग्घा. नीच लोगों के संबंध नीच लोगों से ही होते हैं.
  152. भेदिया सेवकसुंदर नारजीरन पटकुराजदुख चार.कहावत कहने वाले को चार दुःख सबसे बड़े लगते हैं – नौकर जो आपके भेद और लोगों को बताता है, सुन्दर नारी (यदि वह काम न करती हो और हर समय उसके नखरे उठाने पड़ते हों), फटे कपड़े और बुरा राज (राजकीय अराजकता).
  153. भेदी चोरउजाड़े गाँव.भेद जानने वाला चोर सबसे अधिक नुकसान करता है.
  154. भैंस अपना रंग न देखेछतरी को देख के बिदके.कोई व्यक्ति अपनी कमी न देखे और दूसरों की कमियाँ निकाले तो.
  155. भैंस का गोबरभैंस के चूतड़ों को ही लग जाता है.बड़े व्यापार में कमाई तो होती है पर उसके अपने खर्चे भी बहुत होते हैं.
  156. भैंस की सगी भैंस.कम बुद्धि वाले लोग अपनी जाति वाले को ही अपना सगा मानते हैं.
  157. भैंस के आगे पढ़ें भागवत, भैंस खड़ी रम्भाए.मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की बात करना बेकार है.
  158. भैंस के आगे बीन बजाईगोबर का ईनाम.भैंस के आगे बीन बजाई तो उस ने गोबर कर दिया. जो कला का पारखी नहीं है उस के आगे कला प्रदर्शित करोगे तो क्या होगा.
  159. भैंस के आगे बीन बजाओभैंस खड़ी पगुराए.यदि आप किसी मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की बातें कर रहे हैं और उस पर कोई असर नहीं हो रहा है, या किसी ऐसे व्यक्ति के सामने अपनी कला प्रदर्शित करें जो उसको समझ न पा रहा हो तो यह कहावत बोलते हैं. 
  160. भैंस को पड़िया ही जननी चाहिए और बहू को बेटा.भैंस से तो यह उम्मीद करते हैं कि वह पड़िया ही जने (क्योंकि पड़िया की कीमत बछड़े से बहुत अधिक होती है), पर घर की बहू से यह चाहते हैं कि वह बेटा ही जने. निपट स्वार्थपरता. 
  161. भैंस चढ़ी बबूल पेतकि तकि गूलर खाए.कोई व्यक्ति असम्भव और हास्यास्पद बात कह रहा हो तो उसका मजाक उड़ाने के लिए.
  162. भैंस दूध जो काढ़ के पीवेताकत घटे न जब लग जीवे.जो आदमी भैंस के दूध को स्वयं दुह के पीता है वह सदा बलवान रहता है. यहाँ ध्यान देने लायक बात यह है कि भैंस का दूध दुहने में काफी अच्छा व्यायाम भी हो जाता है
  163. भैंस पकोड़े हग गई.किसी को अचानक बिना उम्मीद के बड़ा लाभ हो जाए और वह उस का भेद न बता रहा हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.
  164. भैंस हमें चाहिए कम कीमत की और उधार, पड़िया उसके तले हो होवे बहुत दुधार.कोई ग्राहक ऐसा सामान मांग रहा हो जिस की कीमत भी कम हो और उस में सारी खूबियाँ भी हों, साथ में कोई चीज़ मुफ्त भी हो और उधार में मिल जाए.
  165. भैंसा, मेंढा, बाकरा, चौथी विधवा नार, ये चारों पतले भले मोटा करें बिगाड़.अर्थ स्पष्ट है.
  166. भैया जी कितने भी डंड मलवाएंबंदा पहलवान नहीं बनने का.आप लोग कितनी भी कोशिश कर लो मैं पहलवान (या डॉक्टर या आई ए एस) नहीं बन सकता.
  167. भैरों (भूतों) के लड्डुओ में इलायची का क्या स्वाद.जो लड्डू भैरों देवता (या भूतों) पर चढ़ाने के लिए बनाने हैं उनमें इलायची जैसी नजाकत वाली चीज़ डालने का क्या औचित्य.
  168. भैस पूछ उठाएगी तो गाना नहीं गाएगी गोबर करेगी.कोई मूर्ख या निकृष्ट आदमी मुँह खोलेगा तो निकृष्ट बात ही बोलेगा.
  169. भोथर चटियाबस्ता मोट.(भोजपुरी कहावत) मंद बुद्धि बालक का बस्ता अधिक मोटा होता है.
  170. भोर का मुर्गा बोलापंछी ने मुँह खोला.भोर होते ही पंछी भोजन की जुगाड़ में लग जाते हैं. छोटे बच्चे के लिए भी कहा जाता है जब वह उठते ही दूध मांगता है.
  171. भौंकते कुत्ते को रोटी का टुकड़ा.जो हाकिम ज्यादा गुर्राता है उसे दक्षिणा दे कर चुप किया जाता है.
  172. भौंके न बर्राय (गुर्राय), चुपके से काट खाय.जो आदमी बोले कुछ नहीं और चुपचाप भरी नुकसान पहुँचा दे.
  173. भौंर न छाँड़े केतकी, तीखे कंटक जान.केतकी के फूल के साथ तीखे कांटे होते हैं पर भौंरा उसे नहीं छोड़ता. अपने मतलब की वस्तु हासिल करने के लिए (या जिससे प्रेम होता है उसे पाने के लिए) व्यक्ति थोड़ा खतरा भी उठाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *