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  1. तंगी में कौन संगी.जब आदमी परेशानी में होता है तो कोई साथ नहीं निभाता.
  2. तंदुरस्ती हजार नियामत(सेहत हजार नेमत). नियामत का अर्थ है वह चीज़ जिसको पाने की आपकी बहुत इच्छा हो पर उसको पाना कठिन हो. जैसे धन दौलत, उच्च पद आदि. कहावत में बताया गया है कि अच्छा स्वास्थ्य इस प्रकार की हजार नियामतों के बराबर है. यदि हमारा स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा तो ये सब नियामतें हमारे किस काम आएँगी. 
  3. तक तिरिया को आपनीपर तिरिया मत ताकपर नारी के ताकनेपड़े सीस पर ख़ाक.केवल अपनी स्त्री की और निगाह उठा कर देखो, पराई स्त्री की ओर नहीं. पराई स्त्री को ताकने में सिर पर धूल पड़ने का डर है (बेईज्जती होने का डर है).
  4. तकदीर के आगे तदबीर नहीं चलती (तकदीर के लिखे को तदबीर क्या करे).भाग्य में नहीं हो तो किसी भी युक्ति से हम कोई चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते. तदबीर – युक्ति, प्रयास.
  5. तकदीर चलती है तो दुनिया जलती है.किसी का भाग्य साथ दे तो लोग उसे देख कर जलते हैं. (ट्रकों पर यह कहावत अक्सर लिखी मिलती है).
  6. तकदीर बड़ी के तदबीर.भाग्य बड़ा है या परिश्रम. सत्य यह है कि दोनों का महत्व है. 
  7. तकल्लुफ में है तकलीफ सरासर.संकोच करने वालों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है.
  8. तकाज़ा नहीं किया तो भरपाई नहीं समझो.बिना तकाज़ा किए कोई उधार की रकम नही लौटाता.
  9. तख्ती पर तख्ती और मियाँ जी की आई कमबख्ती. साधन कम और काम बहुत ज्यादा. कुछ जगहों पर तख्ती पर तख्ती रखने को मास्टर साहब के लिए अशुभ माना जाता है, इस सन्दर्भ में भी बच्चे ऐसा बोलते हैं.
  10. तजी प्रतिज्ञा मोर मैं तोर प्रतिज्ञा काज.तुम्हारी बात का मान रखने के लिए मैंने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी. महाभारत के युद्ध में कृष्ण भगवान ने भीष्म की प्रतिज्ञा का मान रखने के लिए अपनी शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा तोड़ दी थी.
  11. तड़के का मेंह और सांझ का बटेऊ टला नहीं करते.सुबह सुबह जो बादल घिर कर आता है वह बरसता जरूर है (टलता नहीं है). जो अतिथि शाम को घर आता है वह टिकता जरूर है (टलता नहीं है).
  12. ततड़ी ने दिया जनमजली ने खायाजीभ जली स्वाद भी न पाया.ततड़ी माने जली हुई या दुखियारी. जनम जली माने अभागन स्त्री. जब दो अभागे लोग एक दूसरे की सहायता करने की कोशिश करें तो.
  13. तत्ता कौरन निगलने का न उगलने का.कभी धोखे से बहुत गरम कौर मुँह में रख लिया जाए तो बड़ी दुविधा की स्थिति हो जाती है, गरम की वज़ह से निगल भी नहीं सकते, मुँह में रखे रहें तो मुँह जलता है और थूक दें तो असभ्यता होती है.
  14. तत्ते पानी से क्या घर जलते हैं.दुर्वचनों से किसी का अनिष्ट नहीं होता.
  15. तन उजला मन सांवलाबगुले का सा भेकतोसे तो कागा भलाबाहर भीतर एक.जो लोग देखने में भलेमानस लगते हैं पर मन के काले होते हैं उन के लिए कहा गया है कि आप तो बगुले की तरह बाहर से सफ़ेद और भीतर से काले अर्थात धूर्त हो. आप से तो कौआ अच्छा है जो बाहर से भी काला है और भीतर से भी.
  16. तन कसरत मेंमन औरत में.जो लोग व्यायाम तो करते हैं पर उनका ध्यान भोग वासनाओं में लगा रहता है उनका शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता.
  17. तन की तनक सराय मेंनेक न पावो चैनसांस नकारा कूच काबाजत है दिन रैन.शरीर रूपी छोटी सी सराय में सांस रूपी नकारा बजता रहता है. जाने की तैयारी हर समय है इस लिए चैन से न बैठो.
  18. तन तकिया मन विश्रामजहाँ पड़े वहीं आराम.परिश्रमी व्यक्ति को बढ़िया बिस्तर और तकिये की आवश्यकता नहीं है. उसका शरीर ही तकिया है और हर स्थान उस के विश्राम के लिए उपयुक्त है.
  19. तन ताजा तो कलन्दर ही राजा.शरीर स्वस्थ हो तो फ़कीर भी राजा है. कलन्दर – मस्त, फक्कड़.
  20. तन दे मन ले.अपने शरीर द्वारा किसी की सहायता कर के ही आप उस का मन जीत सकते हैं.
  21. तन पर चीर न घर में नाजदद ससुरे का रोपा काज.घर में घोर गरीबी है और ददिया ससुर का श्राद्ध करने जा रहे हैं जो सामर्थ्य से बाहर भी है और बिलकुल अनावश्यक भी है.
  22. तन पर नहीं लत्ता मिस्सी मले अलबत्ता.मिस्सी – लेप करने वाली प्रसाधन सामग्री. शरीर पर ढंग के कपड़े नहीं हैं और सुगन्धित लेप लगा रहे हैं. साधन न होने पर भी अनावश्यक खर्च करना.
  23. तन पर नहीं लत्तापान खाएँ अलबत्ता.साधन न होने पर भी अनावश्यक शौक करना.
  24. तन पिंजरा मन तीतरा सांस जीव का मूलजब तीतर उड़ जात है होता पिंजर धूल.शरीर पिंजरा है और मन उसमें रहने वाला पक्षी है. जब पक्षी उड़ जाता है तो पिंजरा मिटटी हो जाता है.
  25. तन पुतला है ख़ाक का इसे देख मत फूलइक दिन ऐसा आएगा मिले धूल से धूल.शरीर मिटटी का पुतला है. इस के ऊपर घमंड मत करो. एक दिन ऐसा आएगा जब यह धूल का पुतला धूल में मिल जाएगा.
  26. तन फूहड़ का भैंस सा भारीकहे कहो मोहे नाजो प्यारी.फूहड़ स्त्री भैंस सी मोटी है लेकिन पति से कहती है कि मुझे सुकुमारी पुकारो.
  27. तन मोर सा मन चोर सा.जो व्यक्ति देखने में सौम्य और आकर्षक हो पर अंदर से चोर हो.
  28. तन शीतल हो शीत सोंमन शीतल हो मीत सों.शरीर तो ठन्डे मौसम और ठंडी हवा से शीतल होता है परन्तु मन मित्र का साथ मिलने पर शीतल होता है.
  29. तन सुखी तो चैन हैवरना दुख दिन रैन है.शरीर निरोग हो तभी मनुष्य को चैन मिलता है, वरना दुःख ही दुःख है.
  30. तन सुखी तो मन सुखी, मन सुखी तो तन सुखी.शरीर स्वस्थ हो व कोई रोग न हो तो मन भी सुखी रहता है और मन प्रसन्न हो तो शरीर भी सुखी रहता है. 
  31. तपे जेठ तो बरखा हो भरपेट.जेठ में अधिक गरमी हो तो वर्षा अच्छी होती है.
  32. तपे मृगशिरा जोय, तो बरखा पूरन होय.मृगशिरा नक्षत्र में अधिक गर्मी पड़े तो पूर्ण वर्षा होती है.
  33. तब लग झूठ न बोलिएजब लग पार बसाय.जब तक बहुत मज़बूरी न हो, झूठ नहीं बोलना चाहिए.
  34. तबेले की बला बंदर के सर.पुराने लोग मानते थे कि तबेले में घोड़ों के साथ बन्दर पाले जाएं तो घोड़ों पर आने वाली बला बंदरों पर आ जाती है. इस के पीछे एक कहानी भी है. एक राजा की घुड़साल के पास बहुत से बन्दर रहते थे. उन में से कुछ युवा बन्दर बहुत शैतान थे. वे सैनिकों का सामान चुरा कर भाग जाया करते थे. सयाने बन्दर उन्हें बहुत समझाते थे कि राजा के आदमियों से पंगा मत लो, पर वे एक न मानते थे. एक बार एक शैतान बन्दर कहीं से जलती हुई लकड़ी उठा लाया और फूस की झोंपड़ी के पास गिरा दी. उससे अस्तबल में आग लग गई और बहुत से अच्छी नस्ल के कीमती घोड़े जल गए. घोड़ों के वैद्य ने बताया कि घोड़ों के घावों को ठीक करने के लिए बन्दर के मांस का लेप करना होगा. इस इलाज के चक्कर में बेचारे बहुत से बन्दर मुफ्त में मारे गए. तभी से यह कहावत बनी.
  35. तमाम रात पीसा और नाली में सकेला.किसी मूर्ख स्त्री ने रात भर मेहनत कर के कोई चीज़ पीसी और सुबह नाली में बहा दी. कोई व्यक्ति किसी काम के लिए बहुत मेहनत करे और अंत में उस चीज़ को व्यर्थ गंवा दे तो.
  36. तय की तेरीहाथ की मेरी.जो बंटवारा तय हुआ है वह तुम बाद में ले लेना, अभी जो हाथ में है वह मेरा है.
  37. तरवर तास बिलम्बिएबारह मास फलंत, सीतल छाया गहर फलपंछी केलि करंत.कबीर कहते हैं कि ऐसे वृक्ष के नीचे विश्राम करो, जो बारहों महीने फल देता हो. जिसकी छाया शीतल हो,  खूब फल लगते हों और पक्षी क्रीडा करते हों. यहाँ वृक्ष से अर्थ सज्जन पुरुष से भी है.
  38. तरवर बिना सरबर सूना. (राजस्थानी कहावत). तालाब के पास पेड़ अवश्य होने चाहिए. पर्यावरण के हिसाब से भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.
  39. तरुवर अच्छा छांवला और रूप सुहाना सांवला.पेड़ वही अच्छा है जो छाँव देता हो और रूप सबसे मोहक वही होता है जो सांवला हो. सांवले व्यक्ति को सांत्वना देने के लिए.
  40. तरुवर फल नहिं खात हैंसरबर पियहिं न पानकहि रहीम पर काज हितसंपति सँचहि सुजान.वृक्ष कभी फल नहीं खाते और तालाब खुद पानी नहीं पीते. सज्जन लोग अपने द्वारा संचित किये गए धन को परोपकार के लिए ही प्रयोग करते हैं.
  41. तलवार का खेत हरा नहीं होता.जोर जबरदस्ती से कराई गई खेती सफल नहीं हो सकती.
  42. तलवार गिरी और परजा फिरी.हाकिम का आतंक खत्म होते ही प्रजा मनमानी करने लगती है. इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जो प्रजा विद्रोह पर उतारू है वह तलवार का वार होते ही वापस घरों में दुबक जाती है.
  43. तलवार मारे एक बारएहसान मारे बार बार.तलवार तो इंसान को एक ही बार में मार देती है लेकिन किसी का एहसान बार बार आदमी को मारता है (लज्जित करता है).
  44. तलवार म्यान में ही अच्छी.तलवार बाहर निकलती है तो खून खराबा करती है. यहाँ तलवार से अर्थ विवादित मुद्दों से भी है.
  45. तलवों की सी कहूँ या जीभ की सी.एक हाकिम ने मुक़दमे के वादी और प्रतिवादी दोनों से रिश्वत खाई, एक ने मिठाई भेंट की और दूसरे ने पैर तले अशर्फी सरका दी. अब हाकिम परेशानी में कि तलवे की बात मानें या जीभ की.
  46. तले पड़ा हूँ पर टांग तो मेरी ही ऊपर है.कुश्ती में जिस की पीठ जमीन से लग जाए वह हारा हुआ मान लिया जाता है. कोई हारा हुआ पहलवान कह रहा है कि मैं नीचे पड़ा हूँ तो क्या हुआ, मेरी टांग तो ऊपर है. हार कर भी हार न मानना.
  47. तले पड़ी का मोल क्या.जो वस्तु आसानी से उपलब्ध हो उस की कदर नहीं होती. 2. कोई वस्तु बेकद्री से पड़ी हो तो मूल्यहीन हो जाती है और वही वस्तु अच्छे रख रखाव से मूल्यवान बन जाती है.
  48. तवा चढ़ा बैठी मिसरानीघर में नाजअगन न पानी.मिसरानी – मिश्रानी, ब्राह्मणी, खाना बनाने वाली. घर में कुछ साधन न होते हुए भी बड़ा काम करने के लिए तैयार होना.
  49. तवा न तगारीकाहे की भटियारी.न तवा है न थाली, तो तुम संपन्न घर की कहां से हो गईं. 
  50. तवायफ के बिछौने पर बना है काम सोने कान ठहरेगा मुलम्मा है अबस है ज़र के खोने का.तवायफ – वैश्या, मुलम्मा – बारीक परत. वैश्या के बिछौने पर सोने की कारीगरी किस काम की? बहुत से व्यक्तियों के सम्पर्क में आने के कारण वह जल्द ही बेकार हो जाएगी. कहावत का अर्थ है कि कोई नाज़ुक चीज़ ऐसे स्थान पर प्रयोग करना बेकार है जहाँ उस का रुखाई से प्रयोग हो.
  51. तस्वीह फेरूँकिस को घेरुं.तस्वीह – फेरने वाली मनकों की माला. ढोंगी भगत के लिए जो दिखावे के लिए माला फेर रहा है और मन में सोच रहा है कि किस को घेरूं.
  52. तांक झाँक कर मत चलेये है बुरा सुभावजार कहें या चोट्टा या फिर ऊदबिलाव.जार माने व्यभिचारी. दूसरों के घरों में ताँक झाँक करने वाले को चरित्रहीन या चोर समझा जाता है या ऊदबिलाव कह कर गाली दी जाती है.
  53. तांत बजी राग पहचाना.किसी चीज़ की शुरुआत होते ही फौरन पहचान लेना.
  54. तांत सी देहपाँव न हाथलड़न चली सूरन के साथ. (वाद्य यंत्रों में बंधने वाले पतले तार को तांत कहते हैं). किसी बहुत दुबले पतले कमजोर परन्तु दुस्साहसी व्यक्ति के लिए. लड़न चली सूरन के साथ अर्थात शूरवीरों के साथ लड़ने चली है.
  55. तांबा देख व्यापार, मुँह देख व्यवहार.तांबे से अर्थ यहाँ रूपये पैसे से है. किसी के पास कितना पैसा है यह देख कर व्यापार किया जाता है (नकद ले रहा है या उधार, उधार चुका पाएगा या नहीं) और व्यक्ति से व्यवहार उस की हैसियत के अनुसार किया जाता है.
  56. ताक पे बैठा उल्लूमाँगे भर भर चुल्लू.जब कोई बेशर्म हाकिम अधिक रिश्वत मांगे. जब छोटा आदमी बड़े पर हुक्म चलाए तो भी.
  57. ताकत कमर में चाहिए औलाद के लिएरखते नहीं हैं सिर्फ भरोसा मदार का.शाह मदार मुस्लिमों के एक प्रसिद्ध संत हुए हैं जिनके आशीर्वाद से संतान प्राप्ति होती है. कहावत में कहा गया है कि संतान प्राप्त करने के लिए खाली शाह मदार का आशीर्वाद ही नहीं पौरुष शक्ति भी चाहिए. किसी भी कार्य को सिद्ध करने के लिए केवल पूजा पाठ ही नहीं पुरुषार्थ भी आवश्यक है.
  58. ताज़ी पर बस न चला तुर्की के कान काटे.ताज़ी और तुर्की घोड़ों की नस्लें हैं. कहावत उन लोगों पर कही गई है जो किसी एक पर बस न चले तो दूसरे पर उसका गुस्सा उतारते हैं.
  59. ताज़ी मार खायतुरकी माल खाय.भाग्य से बहुत कुछ होता है. एक ही जगह रहने वाले दो लोगों में से एक मार खाता है और एक माल खाता है.
  60. ताड़ पेड़ के नीचे दूध भी पिए तो लोग समझें कि ताड़ी पिए है.बुरी संगत में रह कर अच्छा काम भी करोगे तो लोग गलत ही समझेंगे.
  61. ताड़ने वाले कयामत की नज़र रखते हैं.कोई काम कितना भी छिप कर करो, होशियार लोग देख ही लेते हैं.
  62. ताता खाए छाँव में सोए, उस के पीछे बैद रोए.जो गर्म खाना खाता है और छाँव में सोता है वह बीमार नहीं पड़ता (इस कारण वैद्य को रोना पड़ता है).
  63. ताती रोटी और ठंडा पानी. सब तरह से सुख.ताज़ी गरम रोटी और ताजा ठंडा पानी, ऐसा सुख सब के भाग्य में नहीं होता.
  64. ताते दूध बिलाई नाचे.कटोरे में तेज़ गरम दूध रखा हो तो उसे पी भी नहीं पाएगी और वहाँ से हटेगी भी नहीं, उसके चारों ओर नाचती रहेगी. जरूरत मंद मनुष्य भी अपनी जरूरत की चीज़ के लिए इसी प्रकार का व्यवहार करता है.
  65. तार टूटा और राग पूरा हुआ.यदि उपकरण खराब होने से बिल्कुल पहले कार्य पूरा हो गया (जिससे काम रुका नहीं) तो यह कहावत कही जाती है. 
  66. तारे रौशनी करें तो चन्द्रमा क्या झख मारे.अगर छोटे लोग ही सारा काम कर लें तो बड़ों को कौन पूछेगा.
  67. ताल तो भोपाल तालऔर सब तलैयांगढ़ तो चित्तौड़गढ़और सब गढ़ैयां.जिस ने भोपाल की झील देखी है वह इस कथन से जरूर सहमत होगा. चित्तौड़गढ़ के भग्नावशेष देख कर भी यह समझा जा सकता है की अपने समय में यह अद्वितीय रहा होगा. साथ ही बर्बर असभ्य मुगलों से घृणा भी होगी जिन्होंने इस प्रकार की उत्कृष्ट कृतियों को नष्ट किया.
  68. ताल न तलैयासिंघाड़े बुवैया.तालाब है नहीं और सिंघाड़े बोने की सोच रहे हैं. बिना साधन काम करने की सोचना.
  69. ताल बजा कर मांगे भीखउसका जोग रहा क्या ठीक.योगी वह है जो केवल ईश्वर की आराधना में ध्यान लगाए और जो कुछ भी रूखा सूखा मिल जाए वही खा के काम चलाए. गाना गा गा कर भीख मांगने वाले को योगी या साधु कैसे मान सकते हैं.
  70. ताल में चमके ताल मछरियारन चमके तलवारतम्बुआ चमके सैंया पगड़ियासेज पे बिंदिया हमार.हर चीज़ अपनी अपनी जगह शोभा पाती है.
  71. ताल में पानी नहीं हाथी को नेवता.साधन न होते हुए भी बहुत बड़ा काम करने की मूर्खता करना.
  72. ताल सूख चौरस भयोहंसा कहीं न जाएमरे पुरानी प्रीत कोकंकर चुन चुन खाए.तालाब सूख गया है लेकिन हंस कहीं और ठिकाना ढूँढने नहीं जा रहा है. तालाब के प्रति अपने पुराने प्रेम के कारण वह जान देने को तैयार है और कंकड़ खा रहा है. इस कहावत को प्रेम के प्रति त्याग के महान आदर्श के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं और व्यक्ति के मूढ़ प्रेम एवं अनावश्यक आसक्ति के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं.
  73. ताल से तलैया गहरीसांप से संपोला जहरी.संपोला माने सांप का बच्चा, ताल माने बड़ा तालाब और तलैया माने छोटा सा तालाब. जहाँ बेटा बाप से भी ज्यादा खुराफाती हो वहाँ यह कहावत कही जाती है.
  74. तालाब के भरोसे घड़ा नही फोड़ा जाता.तालाब और घड़ा, दोनों का अपना महत्त्व है. इसी प्रकार समाज में छोटे बड़े सभी लोगों का महत्व होता है. यदि हमारे सम्बन्ध किसी बड़े आदमी से हों तो अपने निकटवर्ती छोटे लोगों को छोड़ नहीं देना चाहिए.
  75. तालाब खुदा नहीं घड़ियाल डेरा डाल लिया.कोई काम होने से पहले ही उससे लाभ लेने वालों का इकट्ठा होना. (तालाब खुदने के बाद जब पानी से भर जाता है तो घड़ियाल उस में रहने के लिए आ जाते हैं). 
  76. तालाब प्यासो और ब्याह भूखो.जो व्यक्ति तालाब के पास रह कर प्यासा रहे और बरात में जा कर भी भूखा रहे. मूर्ख या दुर्भाग्य का मारा व्यक्ति.
  77. ताली एक हाथ से नहीं बजती.जब दो लोगों में झगड़ा होता है तो दोनों ही यह सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि इन की रत्ती भर भी गलती नहीं है, दूसरे ने ही झगड़ा किया है. ऐसे में सयाने लोग समझाते हैं कि देखो ताली तभी बजेगी जब दोनों हाथ एक दूसरे से टकराएंगे. कुछ न कुछ गलती दूसरे की भी होती है. इंग्लिश में कहावत है – It takes two to quarrel.
  78. ताली दोउ कर बाजे (ताली दोनों हाथसे बजती है).ऊपर वाली कहावत की भांति.
  79. ताली बिन कैसा तालाजोरू बिन कैसा साला.चाबी के बिना ताला बेकार है और पत्नी के बिना साले की कोई अहमियत नहीं है.
  80. ताले बनियों के लिए होते हैं, चोरों के लिए नहीं.अर्थ स्पष्ट है. हम लोग ताला लगा कर निश्चिन्त हो जाते हैं, पर चोर के लिए ताले की कोई बिसात नहीं है.
  81. तावल मत कर काज में धीरे धीर चलाताता भोजन बालके देउत जीभ जला.तावल – उतावलापन, ताता – गरम. काम में उतावलापन न कर के धीरे धीरे चलो. बच्चा गरम खाने को मुंह में रख कर जीभ जला लेता है.
  82. ताश पर मूंज का बखिया.ताश – सलमा सितारों वाला बारीक काम, मूंज – खाट बुनने वाला बान. सलमा सितारे वाले बारीक काम में कोई मूंज का बखिया लगा कर सिल दे तो यह अत्यधिक फूहड़पन कहलाएगा. बने बनाए काम को बिगाड़ देना.
  83. तिनका उतारे का भी एहसान होता है.किसी ने आपका बहुत छोटा सा काम भी किया (सर पे से तिनका हटा दिया हो) उसका भी एहसान मानना चाहिए.
  84. तिनका कबहुँ न निंदियेजो पाँयन तर होयकबहुँ उड़ आँखिन परेपीर घनेरी होय.तिनका यदि पैरों के नीचे हो तो उस की निंदा मत करो, यदि वह उड़ कर आँख में गिर गया तो बहुत कष्ट देगा. अर्थ यह है कि कोई व्यक्ति कितना भी छोटा क्यों न हो उसका अपमान मत करो.
  85. तिनका गिरा गयंद मुख तनिक न घटा अहारसो ले चली पिपीलिका पालन को परिवार.गयंद – हाथी, पिपीलिका – चींटी. हाथी के मूंह से तिनका गिरा तो उसका भोजन तो जरा भी कम नहीं हुआ लेकिन उससे चींटी के पूरे परिवार का पालन हो गया. अर्थ है कि यदि अमीर लोग चाहें तो थोड़े से प्रयास से ही गरीबों की बहुत सहायता कर सकते हैं.
  86. तिनका हो तो तोड़ लूँ प्रीत न तोड़ी जाएप्रीत लगी टूटत नहीं जब लग मौत न आए.किसी से सच्चा प्रेम हो तो आसानी से नहीं टूटता.
  87. तिनके की ओट पहाड़.छोटा सा तिनका भी आँख के सामने हो तो पहाड़ को ढंक सकता है. 2.पास की छोटी सी चीज़ भी दूर की बड़ी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है. 
  88. तिनके की चटाईनौ बीघा फैलाई.थोड़ा काम कर के बहुत दिखावा करना.
  89. तिनब्याहे का बढ़िया भाग, दो ले जाएँ अरथी और इक ले जाए आग.जो आदमी तीन शादियाँ करे उसका मजाक उड़ाने के लिए. 
  90. तिरिया जने बार बारजबान जने एक बार.स्त्री बार बार संतान को जनती है (पैदा करती है) पर जबान को एक ही बार बात जननी चाहिए. जबान से निकली बात बदलनी नहीं चाहिए.
  91. तिरिया तुझ से जो कहेउसको तू मत मानतिरिया मत पर जो चलेवह नर है निर्ज्ञान.जो पुरुष अपने विवेक का उपयोग न कर के केवल स्त्रियों के कहने पर चलते हैं वे निरे मूर्ख होते हैं.
  92. तिरिया तेरह मर्द अठारह.कहावत उस समय की है जब कम आयु में ही विवाह हो जाते थे. कहावत के अनुसार विवाह के लिए लड़की की आयु कम से कम तेरह वर्ष और लड़के की कम से कम अठारह वर्ष होनी चाहिए.
  93. तिरिया तेल हमीर हठचढ़े न दूजी बार.राजस्थान के वीर हम्मीर देव चौहान के विषय में कहावत है कि वे जो हठ कर लेते थे उससे हटते नहीं थे. पूरी कहावत इस प्रकार है – सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फले इक बार, तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार. अर्थात सिंह एक ही संतान को जन्म देता है, सत्पुरुष अपने वचन पर अडिग रहता है, केला एक ही बार फल देता है, स्त्री पर तेल व उबटन एक ही बार चढ़ता है (अर्थात उस का विवाह एक ही बार होता है) और हम्मीर एक ही बार हठ करता है.
  94. तिरिया तो है शोभा घर की जो हो लाज रखावा नर की.वही स्त्री घर की शोभा होती है जो पुरुष की लाज रखे.
  95. तिरिया बिन तो नर है ऐसाराह बटाऊ होवे जैसा.स्त्री के बिना पुरुष ऐसा ही है जैसा राह में चलता हुआ राहगीर (जो हमेशा अपनी मंजिल की तलाश में रहता है). बटाऊ – राहगीर.
  96. तिरिया बिस की बेल हैया सूं बच कर चालयाका नेहा खोत हैदीन धरम धन माल.स्त्री विष की बेल है इससे बच कर चलो, इसका प्रेम धोखा है और आपके दीन, धर्म, धन और माल के लिए खतरा है.
  97. तिरिया भी बिन नर है ऐसीबिना धनी के खेती जैसी.स्त्री पुरुष के बिना सब तरह से असुरक्षित है. 
  98. तिरिया रोवे गेह बिनाखेती रोवे मेह बिना.स्त्री घर के लिए तरसती है और खेती वर्षा के लिए.
  99. तिरिया सके न बात पचाय.स्त्रियों के पेट में कोई बात नहीं पचती.
  100. तिरिया सरम की, कमाई करम की.करम – कर्म, भाग्य.स्त्री वही अच्छी जो लज्जाशील हो. कमाई अपने उद्यम और भाग्य दोनों से होती है.
  101. तिल गुड़ भोजन नीच मिताईआगे मीठ पाछे कडुआई.तिल गुड़ से बनी मिठाई आप खाते हैं तो पहले मीठी लगती है पर बाद में मुँह में कड़वाहट आ जाती है, इसी प्रकार नीच से मित्रता शुरू में अच्छी लगती है पर बाद में उस से परेशानी होती है.
  102. तिल गुड़ भोजन तुरक मिताई, गेंवड़े खेती गाँव सगाई, पहले सुख पीछे दुखदाई, मतकर भाई मतकर भाई.तिल गुड़ से बनी मिठाई, मुसलमान की दोस्ती, गाँव के पास खेती और अपने ही गाँव में सगाई यह सब शुरू में अच्छे लगते हैं पर बाद में कष्ट देते हैं. 
  103. तिल चोर सो बज्जुर चोर.चोर तो चोर है चाहे बड़ी चीज़ चुराने वाला हो या तिल जैसी छोटी चीज़.
  104. तिल तिल खाए, पहाड़ बिलाय.कितना भी धन इकट्ठा हो यदि उसमें से थोड़ा-थोड़ा लगातार खर्च करते रहोगे और उसमें जोड़ोगे  नहीं तो कभी न कभी वह खर्च हो जाएगा.
  105. तिल रहे तो तेल निकले.व्यापार की पूँजी ही खा जाओगे तो व्यापार क्या करोगे.
  106. तिलतीखुर और दानाघी शक्कर में सानाखाय के बूढ़ा होय जवाना.तीखुर – हल्दी की प्रजाति का एक पौधा जिस की जड़ का सत हलुआ खीर आदि बनाने के काम आता है, दाना – पोस्त का दाना. तिल, तीखुर और पोस्त को घी शक्कर के साथ खाने से बूढ़े भी जवान हो जाते हैं.
  107. तिलचट्टे को मारने से हाथ ही गंदा होता है.नीच को दंड देने की कोशिश में अपना ही नुकसान हो सकता है.
  108. तिलों की परख तो तेली ही जानता है.हर व्यक्ति अपने अपने व्यवसाय से सम्बंधित चीजों के विषय में जानकार होता है. 
  109. तिसरी पीढ़ी सुधरे या तिसरी पीढ़ी बिगड़े.जो आज निर्धन है उस की तीसरी पीढ़ी धनवान हो सकती है, और जो आज सम्पन्न है उस की तीसरी पीढ़ी निर्धन हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है कि निर्धन परिवार में अधिकतर बच्चे विनम्र और परिश्रमी होते हैं, जबकि धनी के बच्चे आलसी और नकचढ़े.
  110. तीखी हु नीकी लगे कहिए समय बिचारिसबके मन हर्षित करे ज्यों विवाह में गारि.उचित समय पर कही हुई तीखी बात भी अच्छी लगती है, जिस प्रकार विवाहादि में गाई जाने वाली गालियाँ (हंसी मज़ाक के लोक गीत) भी अच्छी लगती हैं.
  111. तीतर की बोली बटेर क्या जाने.किसी समुदाय की भाषा उसी समुदाय के लोग समझ सकते हैं. 
  112. तीतर के मुँह लक्ष्मी.हाकिम कितना भी निकृष्ट क्यों न हो उस की जवान में बहुत ताकत होती है.
  113. तीतर जाने तीतर की, मैं जानूँ तेरे भीतर की.बच्चों की कहावत.
  114. तीन कचौड़ी नौ बराती खाओ ठूसमठूसवाह भटियारिन तेरे घर ब्याह है या है लूटमलूट.किसी कंजूस महिला का मजाक उड़ाया गया है. अपने घर शादी में वह लोगों से कह रही है कि नौ बरातियों के बीच में तीन कचौड़ियाँ हैं, खूब ठूँस ठूँस कर खाओ. इस के जवाब में दूसरी महिला व्यंग्य कर रही है कि भई कमाल है, तेरे घर की शादी में तो लूट मची हुई है.
  115. तीन कनौजिया तेरह चूल्हे.कनौजिया लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे कभी मिल कर नहीं रह सकते. सब के चूल्हे अलग ही जलते हैं.
  116. तीन का टट्टू तेरह का जीन.चीज़ की कीमत तो कम हो पर उसके साथ प्रयोग में आने वाला तामझाम महंगा हो तो.
  117. तीन कोस के बाद भी काना मिल जाए तो वापस आ जाना चाहिए.पहले के लोग शगुन अपशगुन का बहुत विचार करते थे. किसी काम के लिए जाओ और कोई काना व्यक्ति दिख जाए. तो यह बहुत बड़ा अपशगुन माना जाता था. (वैसे यह काने व्यक्ति के साथ बहुत बड़ा अन्याय है).
  118. तीन गुनाह तो खुदा भी माफ़ करता है (तीन गुनाह खुदा भी बख्शता है).अपराध करने वाले अक्सर यह कह कर सजा से बचना चाहते हैं. किसी को क्षमादान के लिए प्रेरित करना हो तो भी ऐसे बोला जाता है.
  119. तीन जात अलगरजीनाऊधोबीदर्जी.हज्जामधोबी और दर्जी किसी की परवाह नहीं करते (स्वार्थी होते हैं).
  120. तीन टांग की घोड़ीनौ मन की लदान.किसी अक्षम व्यक्ति पर बहुत सा काम लाद दिया जाए तो.
  121. तीन तिकट महा विकटचार का मुँह कालापाँच हो तो आला.तीन लोग हों तो कोई काम नहीं होता और चार हों तो सब का मुँह काला होता है, पाँच हों तो बढ़िया काम होता है.
  122. तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा.लोक विश्वास है कि तीन लोग मिल कर कोई काम करें तो काम बिगड़ जाता है.
  123. तीन दिए और तेरह पाएकैसे लोभ ब्याज का जाए.ब्याज पर रुपये देने से बहुत मोटा मुनाफा होता है इसलिए लोग ब्याज का लालच नहीं छोड़ पाते हैं.
  124. तीन पाव की तीन पकाई सवा सेर की एकजेठ निपूता तीन खा गया मैं संतोखन एक.किसी किसी पुरानी कहावत में उच्च कोटि का हास्य व्यंग्य देखने को मिलता है. कोई महिला बता रही है कि तीन पाव आटे से तीन रोटी पकाईं (यानि एक एक पाव की तीन) और सवा सेर आटे से एक पकाई. जेठ लालची और खाऊ था एक एक पाव की तीन रोटी खा गया और मुझ बेचारी को सवा सेर की एक खा कर संतोष करना पड़ा. कहावत उन लोगों के लिए कही गई है जो परले दर्जे के शातिर होते हैं और खुद को मासूम सिद्ध करने की कोशिश करते हैं.
  125. तीन बराती नौ पाहुने.महत्वपूर्ण लोग कम और फ़ालतू लोग अधिक.
  126. तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीतबाहर वाले खा गए घर के गावें गीत.अनुमान से अधिक मेहमान आ जाएँ तो ऐसा होता है.
  127. तीन बुलाए तेरह आएदे दाल में पानी.किसी ने घर में दावत आयोजित की. जितने लोग बुलाए थे उससे बहुत अधिक लोग आ गए. खाना कम पड़ने की नौबत आ गई. तो बेचारे ने दाल में पानी मिलाकर उसे पतला किया. तब से यह कहावत बन गई. किसी भी कार्य में यदि अनुमान से बहुत अधिक खर्च होने की नौबत आने लगे तो जुगाड़ करनी पड़ती है. ऐसे में यह कहावत प्रयोग की जाती है.
  128. तीन में न तेरह में, मृदंग बजाएं डेरे में.उपेक्षित होते हुए भी डींग हांकना.
  129. तीन रांडें मुझे रंडुआ कर गईं, एक रांड तो मैं भी करूँगा.किसी व्यक्ति की एक के बाद तीन पत्नियों की मृत्यु हो गई. वह चौथा विवाह करने चला तो लोगों ने कहा कि अब अधेड़ावस्था में विवाह क्यों कर रहे हो. तब उसने चिढ़ कर ऐसा कहा.
  130. तीन लोक से मथुरा न्यारी. अति प्रिय स्थान. 2. ऐसी जगह जिस के सब नियम कायदे अलग ही हों.
  131. तीनों पन नहिं एक समान.तीनों पन अर्थात जीवन की तीन अवस्थाएं.
  132. तीर न कमानकाहे के पठान.पठान से पूछा जा रहा है कि अगर तुम्हारे पास तीर कमान नहीं हैं तो काहे के योद्धा बने फिर रहे हो.
  133. तीर नहीं तो तुक्का ही सही.तुक्का माने बिना फलक का तीर. कहावत का प्रयोग इस तरह करते हैं कि यदि किसी बात का प्रमाण न हो तो अंदाज़ से कुछ भी बोल दो. (देखिये परिशिष्ट) 
  134. तीरतुरमती (बाज)इस्तिरी छूटत बस न आएंझूठ जो मानें ये वचन ते नर कूढ़ कहाएं.तीर, बाज और स्त्री एक बार हाथ से निकल जाएँ तो दोबारा हाथ नहीं आते.
  135. तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार, सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचारअच्छे गुरु का मिल जाना तीर्थ जाने और संतों के साथ सत्संग करने से भी कई गुना फलदायक है.
  136. तीसरी बार खीर भी बेसवाद लगती है.कोई चीज कितनी भी प्रिय क्यों न हो, अधिक मात्र में मिल जाए तो उस का महत्व ख़त्म हो जाता है.
  137. तीसरे दिन मुरदा भी हलाल है.मुसलमान अपने आप मरे हुए जानवर को खाना हराम मानते हैं. लेकिन अगर कोई मुसलमान तीन दिन से भूखा हो तो मरे हुए जानवर को खाना भी हलाल (धर्म सम्मत) मान लिया जाता है. आशय है आपातकाल में धर्म अधर्म नहीं देखा जाता.
  138. तुझको पराई की क्या पड़ीअपनी निबेड़ तू.जो खुद परेशानी में हो और दूसरों की परेशानी में टांग अड़ा रहा हो उस को सीख दी गई है.
  139. तुझे हुकहुकी आवे तो मुझे डुबडुबी आवे.नदी के इस पार रहने वाले एक सियार और ऊंट में बड़ी दोस्ती थी. नदी के उस पार खरबूजे के खेत थे. सियार का मन खरबूजे खाने के लिए करता था लेकिन वह नदी को पार नहीं कर सकता था. उसने ऊंट को इस बात के लिए पटाया कि वह उस को अपनी पीठ पर बैठा कर उस पार ले जाए तो दोनों खूब खरबूजे खाएंगे. ऊँट राजी हो गया और दोनों उस पार पहुंच गए. वहां खूब खरबूजे खाने के बाद सियार बोला कि मुझे हुकहुकी आ रही है (मेरा मन हुआ हुआ करने को कर रहा है). ऊँट ने कहा, ऐसा मत करना. अभी खेत का मालिक आ जाएगा और हमें मारेगा. पर सियार नहीं माना और हुआ हुआ करने लगा. खेत के रखवाले डंडा लेकर आए तो सियार झाड़ियों में छुप गया और उन्होंने ऊँट को खूब मारा. ऊंट को बहुत गुस्सा आया पर वह उस समय कुछ नहीं बोला. लौटते समय नदी की बीच धार में ऊंट बोला कि मुझे डुबडुबी आ रही है (मेरा मन डुबकी लगाने का कर रहा है). सियार बोला भाई ऐसा मत करना, मैं मर जाऊंगा. लेकिन ऊँट नहीं माना. उसके डुबकी लगाते ही सियार नदी की तेज धार में बह गया.
  140. तुम एक लेते नहींमैं दो देता नहीं.तुम कम लेने को तैयार नहीं हो और ज्यादा मैं दूंगा नहीं. मोल भाव के समय का आम दृश्य. 
  141. तुम काटो मेरी नाक और कानमैं न छोडूँ अपनी बान.अत्यंत हठी व्यक्ति के लिए.
  142. तुम रूठे हम छूटे.कोई व्यक्ति आप से अक्सर अपने काम के लिए कहता है और आप को न चाहते हुए भी उसका काम करना पड़ता है. फिर वह कोई काम न होने से आप से नाराज हो जाता है तब यह कहावत कही जाती है.
  143. तुमको हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एकरवि को कमल अनेक हैं कमलन को रवि एक.इस कहावत को यदि कृष्ण और गोपियों का उदाहरण दे कर समझा जाए तो आसानी से समझ आएगी.
  144. तुम्हरे भतार न हमरे जोयअस कुछ करो कि बेटवा होय.एक विधुर व्यक्ति किसी विधवा स्त्री से विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए घुमा फिरा कर कह रहा है, तुम्हारे पति नहीं है और हमारी पत्नी नहीं है, कुछ ऐसा करो कि बेटा हो जाए. मतलब की बात को घुमा फिरा कर कहना.
  145. तुम्हारा हमारा क्या रूठना.यह बाट वह लोग कहते हैं जो काम के समय रूठ जाते हैं और खाने के समय मन जाते हैं.
  146. तुम्हारी बराबरी वह करे जो टांग उठा कर मूते.किसी को गाली देने के लिए सीधे सीधे कुत्ता कहने की बजाए घुमा फिर कर कहा गया है.
  147. तुम्हारे मरे देस पाकहमारे मरे देस ख़ाक.आज कल के नेता एक दूसरे के लिए ऐसा कहते हैं, तुम मरोगे तो देश में से गंदगी कम होगी और हम मर गए तो देश बर्बाद हो जाएगा.
  148. तुम्हारे मुंह में घी शक्कर.कोई बहुत अच्छी बात बोले तो ऐसा कहा जाता है.
  149. तुम्हें और नहीं हमें ठौर नहीं (मुझे और न तुझे ठौर).मजबूरी में एक दूसरे का साथ निभाना, जैसे आजकल के राजनैतिक गठबंधन.
  150. तुरक काके मीतसरप से क्या प्रीत.तुर्क से दोस्ती क्या और सर्प से प्रीत क्या.
  151. तुरक की यारीतूम्बे की तरकारीअंत खारी की खारी.तुर्क से दोस्ती करोगे तो शुरू में चाहे ठीक लगे पर बाद में पछताना पड़ेगा. इसी प्रकार तूम्बे की सब्जी खाने के बाद कड़वी लगती है. तुरक – तुर्क, तुर्की (Turkey) के लोगों को तुर्क कहा जाता है. मुग़ल लोग तुर्की से नहीं आये थे लेकिन आम बोल चाल की भाषा में उन्हें भी तुर्क कहा जाता था. तरकारी माने सब्जी. 
  152. तुरकततैयातोतरा जे सब किसके मीतभीर परत मुख मोड़ लें राखें नाहीं प्रीत.तुर्क, ततैया और तोता ये किसी के मित्र नहीं होते. संकट के समय मुँह मोड़ लेते हैं.
  153. तुरत की पोई तुरत ही खाओबासी खा मत तोंद बढ़ाओ.रोटी ताज़ी बनी हुई ही खानी चाहिए, बासी खाने से तोंद बढ़ती है.
  154. तुरत दान महा कल्याण.किसी काम को तुरंत निपटाना ही सबसे अच्छा रहता है. 
  155. तुरत फुरत हों सगरे कामजब होवें मुट्ठी में दाम.पैसा पास हो तो सारे काम तुरंत होते हैं.
  156. तुर्कनी के पकाए में क्या कसर. पहले के समय में हिंदू स्त्रियां खाना बनाने के बाद पहले भगवान को भोग लगाते थीं और फिर घरवालों को खिलाती थीं. वे खाना बनाते समय बीच में चखती नहीं थीं जिससे खाना झूठा न हो जाए. इस कारण से यह संभावना रहती थी कि खाने में कोई कमी हो सकती है. लेकिन मुसलमान स्त्रियाँ क्योंकि वह बीच-बीच में चख कर देख लेती है इसलिए उनके बनाए खाने में कोई कमी नहीं होती.
  157. तुलसी अच्छे वचन सों सुख उपजे चहुँ ओरबसीकरण यह तंत्र है तज दे वचन कठोर.सत्य और मधुर बोलने से सब ओर सुख पैदा होता है. यही सच्चा वशीकरण यंत्र है.
  158. तुलसी अपने राम को रीझ भजो के खीझखेत पड़े सब ऊपजें औंधे सीधे बीज.राम नाम को जाहे खुश रह कर भजो खीझ कर, उसका फल अवश्य मिलता है. खेत में बीज चाहे सीधा पड़ा हो चाहे उल्टा, पौधा सब से निकलता है. (ऐसा माना जाता है कि महाकवि वाल्मीकि पहले डाकू थे. उनको नारद मुनि ने राम नाम जपने का उपदेश दिया तो वह राम राम नहीं बोल पा रहे थे. तब नारद जी ने उनको मरा मरा जपने की सलाह दी. मरामरामरामरा बार बार बोलने से भी राम का नाम निकलता है.
  159. तुलसी अवसर के पड़ेको न सहे दुःख द्वन्द.सभी को कभी न कभी दुःख सहना पड़ता है.
  160. तुलसी ऐसे पतित को बार बार धिक्कारराम भजन को आलसी खाने को तैयार.ऐसे पतित व्यक्ति को धिक्कार है जो राम का नाम भजने में आलस करे और खाने को हर समय तैयार रहे.
  161. तुलसी ऐसे मीत के कोट फांद कर जाएआवत ही तो हंस मिले चलत बेर मुरझाए.कोट – किला या किले की चारदीवारी. जो मित्र आपके आते ही हँस कर मिलता है और बिछड़ते समय उदास हो जाता है वही सच्चा मित्र है. ऐसे मित्र से मिलने के लिए किले की दीवार फांद कर भी जाना पड़े तो भी जाना चाहिए.
  162. तुलसी कर से कर्म कर मुँह से भज ले रामऐसो समय न आएगो लाखों खरचो दाम.जब तक शरीर स्वस्थ है मनुष्य को कर्म करते रहना चाहिए और साथ साथ मुँह से राम का भजन करते रहना चाहिए. ऐसा अवसर दोबारा नहीं मिलेगा.
  163. तुलसी कलयुग के समय देखो यह करतूतराम नाम को छांड़ि के पूजन लागे भूत.तुलसी दास जी को इस बात का बहुत दुःख है कि कलयुग में लोग राम नाम को छोड़ कर भूतों की पूजा करने लगे हैं. सब से बुरी बात तो यह है कि लोग मजारों की पूजा करने लगे हैं.
  164. तुलसी के पत्ता छोट बड़ बरोबर होवे.जो वस्तु पवित्र है वह छोटी या बड़ी, पवित्र ही मानी जाती है.
  165. तुलसी जग में दो बड़े, कै रुपया कै राम.तुलसी का नाम ले कर किसी ने कहा है कि संसार में या तो राम बड़े हैं या रुपया. इस प्रकार की तुच्छ बात तुलसीदास नहीं कह सकते.
  166. तुलसी पैसा पास का सब से नीको होयहोते के सब कोय हैंअनहोते की जोय.जिस प्रकार पास का पैसा ही आदमी के काम आता है उसी प्रकार परेशानी में पत्नी ही काम आती है. (अन्य लोग तो केवल अच्छे दिनों के साथी होते हैं). आम तौर पर केवल बाद वाला हिस्सा ही बोलते हैं.
  167. तुलसी बिरवा बाग़ के सींचत ही कुम्हलाएँराम भरोसे जो रहे परवत पे लहराए.ईश्वर की ऐसी महिमा है कि पर्वत पर भी पेड़ लहराता है जबकि बाग़ में लगा पौधा सींचने के बाद भी कुम्हला सकता है.
  168. तुलसी मन शुद्ध भए जिनके वे तीरथ तीर रहे न रहे.जिनके मन शुद्ध हैं उन्हें तीर्थ के किनारे जा कर रहने की जरूरत नहीं है. (उनकी मुक्ति वैसे ही हो जाएगी).
  169. तुलसी मीठे वचन सों सुख उपजत चहुँ ओर.मीठे वचन से सब ओर सुख फैलता है.
  170. तुलसी मूढ़ न मानिहै जब लग खता न खायजैसे विधवा इस्तिरी गरभ रहे पछताय.मूर्ख व्यक्ति जब तक धोखा नहीं खाता तब तक वह नहीं मानता. जैसे विधवा स्त्री जिसका चाल चलन ठीक न हो गर्भ रह जाने पर पछताती है.
  171. तुलसी या संसार में पांच रतन हैं सारसाधुमिलन अरु हरि भजनदयाधर्मउपकार.इस संसार में पाँच रत्न हैं, साधुओं से मिलना, ईश्वर का भजन करना, सब पर दया करना, धर्म पर चलना और परोपकार करना.
  172. तुलसी या संसार में पाखंडी को मानसीधों को सीधा नहीं झूठों को सम्मान.इस संसार में पाखंडियो को ही सम्मान मिलता है. सीधे लोगों को तो भरपेट भोजन भी नहीं मिलता जबकि झूठे लोगों को सम्मान मिलता है.
  173. तुलसी वह दोउ गए पंडित और गृहस्थआते आदर न कियो जात दियो न हस्त.जो आते ही अतिथि का सत्कार नहीं करते और उसके जाते समय हाथ में कुछ देते नहीं हैं, ऐसे लोग मुक्ति नहीं पा सकते.
  174. तुलसी विलम्ब न कीजिए लेते हरी को नाम.ईश्वर का नाम लेने में आलस्य नहीं करना चाहिए.
  175. तुलसी वैश्या देख के करन लगे तकझाँकआवत देखे संत को मुँह लीन्हों झट ढांक.कहावत उन लोगों के लिए कही गई है जो वैश्या को आते देख कर तो तांक झांक करते हैं और संत को आते देख कर झट से मुँह ढक लेते हैं.
  176. तुलसी हरि की भगति बिनधिक दाढ़ी धिक मूँछपशु गढ़न्ते नर बनोबिना सींग और पूंछ.हरि की भक्ति के बिना दाढ़ी मूंछें बढ़ा लेने पर धिक्कार है. ऐसे लोग बिना सींग और पूंछ के पशुओं के समान हैं.
  177. तू अपना काम करतबलया भूँसन दे.तू अपना काम करता रह तबेले में बैठे कुत्ते को भौंकने दे. आलोचकों से बिना डरे काम करने की सलाह.
  178. तू कबर खोद मोकोंमैं गाड़ आऊँ तोको.तू मेरे लिए कब्र क्या खोदेगा मैं ही तुझे गाड़ दूंगा.
  179. तू गधी कुम्हार कीतुझे राम से क्या.बात ठीक ही है, कुम्हार की गधी को राम से क्या काम. जिसके अंदर कोई आध्यात्मिक चिंतन न हो और जो केवल अपना पेट भरने के लिए किसी की गुलामी कर रहा हो उस के लिए.
  180. तू चाहे मेरे जाये कोमैं चाहूँ तेरी खाट के पाए को.पुरुष पुत्र की इच्छा करता है और स्त्री साथ रहने की. इससे उलट एक दूसरी कहावत है – मैं चाहूँ तेरे जाए को, तू चाहे मेरी खाट के पाए को. स्त्री की रूचि पुत्र को पालने में है और पुरुष की रूचि संसर्ग में.
  181. तू डार डार मैं पात पात.तुम पेड़ की डालों पर चलोगे तो मैं पत्तों पर चलूँगा अर्थात मैं तुम से अधिक चालाक हूँ.
  182. तू डाल मेरे मुँह में उँगली, मैं डालूँ तेरी आँख में.तू मेरा कुछ नुकसान करेगा तो मैं तेरा उससे बड़ा नुकसान करूंगा.
  183. तू तेली का बैलतुझे क्या सैरलगा रह घानी से.जो व्यक्ति दिन रात काम में पिसता रहता है उस का मजाक उड़ाने के लिए. घानी – कोल्हू.
  184. तू देवरानी मैं जेठानीतेरे आग न मेरे पानी.जब दो बराबर के शातिर लोग मिल जाएँ.
  185. तू भी ऐंठा मैं भी ऐंठी कैसे होए निबाह.चाहे विवाह का सम्बंध हो या दोस्ती का, किसी विवाद पर कोई भी झुकने को तैयार न हो तो निर्वाह नहीं हो सकता. 
  186. तू भी रानी मैं भी रानीकौन भरेगा पानी.जहाँ सभी अपनी अपनी ऐंठ में हों वहाँ काम कौन करेगा.
  187. तू मेरा लड़का खिलामैं तेरी खिचड़ी पकाऊँ.बहू का सास या ससुर से कथन. तुम मुझे सहयोग करो तो मैं तुम्हें सहयोग करूँ.
  188. तू मेरी ढपली बजामैं तेरा राग अलापूं.तुम मुझसे सहमत हो तभी मैं तुम्हारी इच्छा के अनुसार बोलूंगा.
  189. तू मेरी पीठ खुजला, मैं तेरी पीठ खुजलाऊँ.पीठ खुजलाना एक ऐसा काम है जो हम खुद से नहीं कर सकते. इस तरह के सभी कामों में एक दूसरे की मदद करना चाहिए.
  190. तू मेरे घूँघट की रख, मैं तेरी मूंछों की रक्खूँ.पत्नी का पति से कथन – तुम मेरी स्त्री सुलभ लज्जा और मर्यादा का ध्यान रखो, मैं तुम्हारे पुरुषत्व का मान रखूँगी.
  191. तू मेरे बारे को चाहेमैं तेरे बूढ़े को चाहूँ.बहू सास से कह रही है कि तुम मेरे बच्चे का ध्यान रखोगी तो मैं तुम्हारे बुढ़ऊ का ध्यान रखूँगी.
  192. तू सच्चा तेरा पीर सच्चा.जो लोग अपनी आस्थाओं के प्रति बहुत हठी होते हैं उन से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसा कहा जाता है.
  193. तूने की रामजनीमैंने किया रामजना.रामजनी माने वैश्या. वेश्यागामी पति से परेशान कोई स्त्री उस से कह रही है कि तू वैश्या के यहाँ जाता है तो जा, मैं ने भी एक यार पाल लिया है.
  194. तूम्बी का क्या मीठा.जो व्यक्ति हर तरह से केवल कड़वा ही हो.
  195. तूम्बी तिरे, तूम्बी तारे, तूम्बी कभी न भूखा मारे.जो साधु बन गया वह कभी भूखा नहीं मरता.
  196. तूम्बे की बेल पर तो तूम्बे ही लगेंगे.यदि किसी कर्कश स्त्री के बच्चे असभ्य हों तो यह कहावत कही जाएगी. 
  197. तृन समूह को छिन भर में, जारत तनिक अंगार.छोटा सा अंगारा तिनकों के ढेर को क्षण भर में जला देता है. ज्ञान की छोटी सी बात, शंकाओं के समूह को भस्म कर देती है. 
  198. तेजी का बोलबाला, मंदी का मुँह काला.व्यापारी लोग सब से अधिक मन्दी से डरते हैं.
  199. तेतरी बेटी राज रजावेतेतरा बेटा भीख मंगावे.तेतरी बेटी – दो बेटों के बाद होने वाली बेटी. दो बेटों के बाद बेटी हो तो शुभ होती है और बेटा हो तो अशुभ.
  200. तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर(अपनी पहुँच बिचारि कै, करतब करिये दौर). जितनी लम्बी आपकी चादर है उतने ही पैर फैलाओ. चादर छोटी हो तो पैर समेट के लेटो. जितनी व्यक्ति की सामर्थ्य हो उतना ही खर्च करना चाहिए.
  201. तेरह के तीन ही देना, पर नाम दरोगा रख देना.कुछ लोग ऐसी नौकरी चाहते हैं जिसमें वेतन चाहे कम हो लेकिन रौब दाब अधिक हो (चाहे बनावटी ही क्यों न हो).
  202. तेरह बरस की तिरिया पन्द्रह बरस का पुरख, अक्ल आई तो आई नहीं तो रहा जरख.स्त्री में यदि तेरह वर्ष की आयु तक और पुरुष में पंद्रह वर्ष की आयु तक अक्ल न आये तो उसे जानवर समझ लेना चाहिए. जरख – लकडबग्घा. 
  203. तेरा तो घड़ा ही फूटामेरा तो बना बनाया घर ही ढह गया.एक तेली तेल से भरा घड़ा ले कर शहर की ओर चला तो रास्ते में एक हट्टा कट्टा शेखचिल्ली (निहायत मूर्ख आदमी) मिला. तेली ने कहा मेरा घड़ा लाद लो मैं तुम्हें दो आने दूंगा (पहले के जमाने में दो आने बड़ी रकम थी). शेखचिल्ली ने घड़ा लाद लिया और जोर जोर से बोलते हुए चलने लगा, मैं इन दो आनों से अंडे खरीदूँगा, उन से मुर्गियाँ निकलेंगी, उन्हें बेच कर बकरी खरीदूँगा, फिर कई बकरियाँ हो जाएंगी तो भैंस खरीदूँगा, उस का दूध बेच कर शादी करूंगा, फिर मेरे खूब सारे बच्चे होंगे, मेरा कहना नहीं मानेंगे तो यूँ उठा के पटक दूंगा, और उसने घड़ा पटक दिया. तेली ने कहा कि तूने मेरा तेल से भरा घड़ा क्यों तोड़ दिया, तो शेखचिल्ली बोला तेरा तो घड़ा ही फूटा है, मेरा तो बना बनाया घर ही उजड़ गया. कहावत में शिक्षा दी गई है कि मूर्ख आदमी से अपना कोई काम नहीं करवाना चाहिए. 
  204. तेरा माल सो मेरा मालमेरा माल सो हें हें.तेरा माल भी मेरा है और जो मेरा है वह तो मेरा है ही. धूर्त व्यक्ति के लिए.
  205. तेरा यार मर गया, कौन सी गली का.वेश्याओं के बहुत सारे ग्राहक होते हैं. सभी अपने आप को उसका खास दोस्त समझते हैं. उनकी नासमझी पर व्यंग
  206. तेरी आँखों में राइ नोन.किसी से बहुत नाराज होने पर उसे कोसने के लिए कहा जा रहा है कि तेरी आँखों में राई और नमक पड़ जाए. तेरे मुँह में घी शक्कर से उल्टा. किसी की नजर लगने की आशंका हो तो भी उस का नाम ले कर फिर यह बोलते हैं. 
  207. तेरी करनी तेरे आगेमेरी करनी मेरे आगे.अपनी अपनी करनी सब के आगे आनी है. कोई आप के साथ अन्याय कर रहा है और आप का कुछ बस नहीं चल रहा तो आप उसे ऐसा बोल कर मन में संतोष कर लेते हैं.
  208. तेरी कुदरत के आगे कोई जोर किसी का चले नहींचींटी पर हाथी चढ़ बैठे फिर भी चींटी मरे नहीं.ईश्वर की लीलाएं निराली हैं. ईश्वर चाहे तो ऐसा भी हो सकता है कि चींटी के ऊपर हाथी पैर रख दे फिर भी चींटी न मरे.
  209. तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जरा.मनुष्य को इस सांसारिक यात्रा में काम क्रोध लोभ मोह से सावधान रहने की सलाह दी गई है.
  210. तेरी गाली, मेरे कान की बाली.जिससे प्रेम हो उसकी हर बात अच्छी लगती है.
  211. तेरी मेरी बने नहीं, तेरे बिना सरे नहीं.उन लोगों के लिए जिनमें आपस में बनती नहीं है पर एक दूसरे के बिना काम भी नहीं चलता.
  212. तेरी मेरी बोली में बस इतना ही फरकतू तो कहे फ़रिश्ता मैं कहूँ था जरख.जरख – लकड़बग्घा. किसी मुसलमान की कब्र खोद कर लकडबग्घा उस की लाश को ले गया. एक जाट ने यह देख लिया. उसने जब मुसलमान के घरवालों को यह बात बताई तो वे बोले कि वह तो लकड़बग्घा नहीं फ़रिश्ता था. 
  213. तेरे जौ तेरी दरांतीजैसे चाहे काट.मनुष्य को इस बात की पूरी स्वतन्त्रता है कि वह अपनी चीज़ को जिस तरह चाहे प्रयोग करे.
  214. तेरे मेरे सदके मेंउसकी जोरू पेट से.कोई स्त्री पराए आदमी को मना न कर पाने का खामियाजा भुगत रही है (उसे गर्भ ठहर गया है). इसी प्रकार की दूसरी कहावत है – मुरव्वत में मातियन गाभिन हो गई.
  215. तेरो राम बसत है मन मेंतू कहे को डोले वन में.तेरा ईश्वर तेरे मन में बसता है, तू उसे ढूँढने के लिए वन वन क्यों भटक रहा है?
  216. तेल की जलेबी मुआ दूर से दिखाए.एक तो घटिया चीज़ है (तेल से बनी जलेबी) ऊपर से नालायक आदमी खिलाने की बजाए दूर से दिखा रहा है. 
  217. तेल जले बाती जले नाम दिए का होए, बेटा तो तिरिया जने नाम पिया का होए.देश और समाज के कामों में त्याग व बलिदान कोई और करता है पर नाम किसी और का होता है. 
  218. तेल डाल कमली का साझा.किसी आदमी ने काफी मेहनत और लागत लगा कर कम्बल बनाया और उसे चिकना करने के लिए तेली से तेल मांगा. तेली ने कहा मेरा इस में आधे का साझा होना चाहिए.
  219. तेल तिल से निकलता हैखली से नहीं.जब तिल में से तेल निकाल लिया जाता है तो जो बचता है उसे खली कहते हैं. उस खली में से फिर तेल नहीं निकल सकता. आप सेल में कपड़ा खरीदें और दुकानदार से उस पर भी छूट देने को कहें तो वह यह कहावत बोलेगा.
  220. तेल तेली का नाम भगत जी का.भगत जी ने आरती में सौ दिए जलाए. तेल तो बेचारे तेली का खर्च हुआ और तारीफ़ भगत जी की हुई. किसी और के काम का श्रेय कोई दूसरा ले ले तो.
  221. तेल देखो तेल की धार देखो.किसी बड़े बर्तन से छोटी शीशी में तेल डालना हो तो बड़े धैर्य से तेल की धार को ध्यान से देखते हुए तेल डालना होता है. कहावत का अर्थ है कि कोई कठिन काम पूरा होने में समय लगता है उसके लिए धैर्य रखना चाहिए.
  222. तेल न मिठाईचूल्हे धरी कड़ाही.साधन न होते हुए भी कोई काम करने की कोशिश करना या दिखावा करना.
  223. तेल पिला कर घी निकाले.गाय भैंस से अधिक घी प्राप्त करने के लिए उन्हें तिल और बिनौले की खली खिलाई जाती है. जो व्यापार में लाभ प्राप्त करना चाहता है वह लागत भी लगाता है.
  224. तेल में घी की मिलावट कोई नहीं करता.सस्ती चीज़ में महंगी की मिलावट कोई नहीं करता.
  225. तेलिन से न धोबिन (मोचिन) घाट, इनके मोगरी उनके लाठ.घाट – घटी हुई (कम). तेली की स्त्री धोबिन या मोची की स्त्री से किसी प्रकार कम नहीं है. उसके पास मूसल है तो इन के पास लट्ठ. जब दो लोग इस बात पर बहस कर रहे हो कि उन में से कौन बड़ा है तो उन का मजाक उड़ाने के लिए.
  226. तेली का काम तमोली करेचूल्हे में से आग उठे.तमोली माने पान बेचने वाला. किसी का काम कोई और करे तो कुछ का कुछ हो सकता है.
  227. तेली का तेल गिरा हीना हुआबनिए का नून गिरा दूना हुआ.तेली का तेल जमीन पर गिर जाए तो बेकार हो जाता है, बनिए का नमक गिर जाए तो वह उस को उठा लेता है और धूल मिट्टी मिल कर नमक दूना हो जाता है. मतलब बनिया कभी नुकसान नहीं उठाता.
  228. तेली का तेल जलेमशालची का दिल जले.कोई खर्च कर रहा है और परेशानी किसी और को हो रही है.
  229. तेली का हुनर तमोली क्या समझेगा.तमोली – पान बेचने वाला (ताम्बूल से बना है). किसी भी व्यवसाय को करने वाला व्यक्ति अपने काम को करते करते उसमें पारंगत हो जाता है. कोई दूसरा उस हुनर को नहीं समझ सकता.
  230. तेली के घर तेल तो चुपड़े नहीं पहाड़.तेली के घर तेल उपलब्ध है तो वह उससे पहाड़ थोड़े ही चुपड़ेगा. यदि हमारे पास किसी चीज़ की बहुतायत है तो हम उसका दुरुपयोग थोड़े ही करेंगे. 
  231. तेली के बैल को घर ही कोस पचास.तेली का बैल कोल्हू से बंधा हुआ दिन भर उसी के चक्कर लगाता रहता है और दिन भर में कई कोस के बराबर चल लेता है. कहावत ऐसे लोगों के लिए कही जाती है जिन्हें घर में रह कर भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है.
  232. तेली के माथा में तेल.व्यक्ति जिस चीज का व्यवसाय करता है वह उसे सहज ही उपलब्ध होती है.
  233. तेली खसम कियाफिर भी रूखा खाया.तेली से शादी की फिर भी रूखा खाना खाया. जो सुविधा पाने के लिए आप कहीं गए वही आप को नहीं मिली तो यह कहावत कही जाती है.
  234. तैरता सो डूबता. (तैरेगा सो डूबेगा).जो तैरेगा वही तो डूबेगा, जो डर के मारे किनारे बैठा रहेगा वह थोड़े ही डूबेगा.
  235. तैराक की मौत पानी में ही होती है.अति आत्म विश्वास अंतत: मनुष्य को ले डूबता है.
  236. तो सम पुरुष न मो सम नारी, यह संयोग विधि रचा विचारी.सूपनखा ने लक्ष्मण जी से ऐसा कहा था. जो स्त्रियाँ अपनी शक्ल सूरत और आयु न देख कर पुरुषों के सामने तरह तरह की अदाएँ दिखाती हैं उन का मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही जाती है. 
  237. तोको पीर न मोको आपदा.इस काम में न तुझे कोई कष्ट है न मुझे कोई आफत है, अर्थात यह काम कर लेना चाहिए.
  238. तोड़ने आए चारा और खेत पर इजारा.आपने किसी को अपने खेत में उगा हुआ चारा तोड़ने की इजाज़त दे दी और वह खेत पर ही अधिकार जमाने लगे तो यह कहावत कही जाएगी.
  239. तोप के धमाकों में ताली की क्या बिसात.जहाँ बहुत बड़े बड़े लोग बोल रहे हों, वहाँ छोटे आदमी की कौन सुनेगा.
  240. तोला के पेट में घुंघची.घुंघची – रत्ती (एक तोले में 96 रत्ती होती हैं). अर्थ है कि बड़ी चीज़ में छोटी चीज़ समा जाती है. (देखिये परिशिष्ट) 
  241. तोला भर की आरसीनानी बोले फ़ारसी.पहले के जमाने में दर्पण बहुत कम लोगों के पास होते थे. गरीब लोग पानी में शक्ल देख कर काम चला लेते थे. कुछ लोगों के पास एक छोटा सा शीशा होता था जिसे आरसी कहते थे. जैसे आज कल अंग्रेज़ी बोलना संभ्रांत होने का पर्यायवाची है वैसे ही उस जमाने में संभ्रांत लोग फ़ारसी बोलते थे. कहावत का अर्थ है कि बिलकुल छोटी सी चीज़ पर नानी इतरा रही हैं.
  242. तोला भर की तीन कचौड़ीखुरमा माशे ढाई कालालाजी ने ब्याह रचायालहंगा बेच लुगाई का.अति कंजूस लोगों की मज़ाक उड़ाने के लिए. (पुरानी तौल के हिसाब से 8 रत्ती का एक माशा, 12 माशों का एक तोला (66 ग्राम). लाला जी ने एक तोला आटे से तीन कचौड़ी बनाईं और ढाई माशे से खुरमा (शक्करपारा). पत्नी का लहंगा बेच कर बाकी पैसे इकट्ठा किये और शादी करने चले हैं. बहुत जुगाड़ कर के लोगों को बेवकूफ बनाने वाले लोगों के लिए भी यह कहावत कही जा सकती है.
  243. तोले भर की तीन चपातीचले जिमाने घोड़े हाथी.बिना साधन के बड़ा काम करने की मूर्खता करना.
  244. तोहरा बैल मोरा भैंसाहम दोनों में संगत कैसा.व्यर्थ की बातों पर लड़ाई.
  245. तौबा तेरी छाछ से, मुझे इन कुत्तों से छुड़ा. सम्पन्न लोग अक्सर दही में से मक्खन निकाल कर उसकी छाछ को बांटने के लिए गरीब लोगों को बुलाते हैं. ऐसे किसी गरीब आदमी को रहीस के कुत्तों ने घेर लिया तो वह बेचारा परेशान हो कर ऐसे बोल रहा है. किसी छोटी चीज के लालच में आदमी बड़ी मुसीबत में फंस जाए तो.  

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