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तंग जूतियों से नंगे पांव रहना भला है. दैनिक प्रयोग की वस्तु यदि कष्टकारक है तो उसका न होना अच्छा.
तंग मोहरी जंग लड़ावै. तंग मोहरी के चूड़ीदार पैजामे को पहनने में बड़ी मशक्कत करनी पडती है.
तंगी में कौन संगी. जब आदमी परेशानी में होता है तो कोई साथ नहीं निभाता.
तंदुरस्ती हजार नियामत (सेहत हजार नेमत). नियामत का अर्थ है वह चीज़ जिसको पाने की आपकी बहुत इच्छा हो पर उसको पाना कठिन हो, जैसे धन दौलत, उच्च पद आदि. कहावत में बताया गया है कि अच्छा स्वास्थ्य इस प्रकार की हजार नियामतों के बराबर है. स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा तो ये सब नियामतें किस काम आएँगी.
तक तिरिया को आपनी, पर तिरिया मत ताक, पर नारी के ताकने, पड़े सीस पर ख़ाक. केवल अपनी स्त्री की और निगाह उठा कर देखो, पराई स्त्री को नहीं. पराई स्त्री को ताकने से इज्जत मिट्टी में मिल जाती है.
तकदीर के आगे तदबीर नहीं चलती (तकदीर के लिखे को तदबीर क्या करे). भाग्य में नहीं हो तो किसी भी युक्ति से हम कोई चीज़ प्राप्त नहीं कर सकते. तदबीर – युक्ति, प्रयास.
तकदीर चलती है तो दुनिया जलती है. किसी का भाग्य साथ दे तो लोग उसे देख कर जलते हैं.
तकदीर बड़ी के तदबीर. भाग्य बड़ा है या परिश्रम. सत्य यह है कि दोनों का महत्व है.
तकदीर सीधी तो सब कछू. भाग्य प्रबल है तो सब कुछ हो सकता है.
तकल्लुफ में है तकलीफ सरासर. संकोच करने वालों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है. इसका पूरा शेर इस प्रकार है – ऐ जौक तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर, आराम से वो है जो तकल्लुफ़ नहीं करता. सन्दर्भ कथा 137.
तकाज़ा नहीं किया तो भरपाई नहीं समझो. बिना तकाज़ा किए कोई उधार की रकम नही लौटाता.
तख्ती पर तख्ती और मियाँ जी की आई कमबख्ती. साधन कम और काम बहुत ज्यादा. कुछ जगहों पर तख्ती पर तख्ती रखने को मास्टर साहब के लिए अशुभ माना जाता है, इस सन्दर्भ में भी बच्चे ऐसा बोलते हैं.
तजी प्रतिज्ञा मोर मैं तोर प्रतिज्ञा काज. तुम्हारी बात का मान रखने के लिए मैंने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी. महाभारत के युद्ध में कृष्ण ने भीष्म की प्रतिज्ञा का मान रखने के लिए अपनी शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा तोड़ दी थी.
तड़के का मेंह और सांझ का बटेऊ टला नहीं करते. सुबह सुबह जो बादल घिर कर आता है वह बरसता जरूर है (टलता नहीं है). जो अतिथि शाम को घर आता है वह टिकता जरूर है (टलता नहीं है).
ततड़ी ने दिया जनमजली ने खाया, जीभ जली स्वाद भी न पाया. ततड़ी माने जली हुई या दुखियारी. जनम जली माने अभागन स्त्री. जब दो अभागे लोग एक दूसरे की सहायता करने की कोशिश करें तो.
ततैया से नचत फिरत. ततैया – मधुमक्खी. बहुत व्याकुल और क्रोध में.
तत्ता कौर, न निगलने का न उगलने का. कभी धोखे से बहुत गरम कौर मुँह में रख लिया जाए तो बड़ी दुविधा की स्थिति हो जाती है, गरम की वज़ह से निगल भी नहीं सकते, मुँह में रखे रहें तो मुँह जलता है और थूक दें तो असभ्यता होती है.
तत्ता खाए भर नींद सोवे, ताका दुखवा वन वन रोवे. जो ताजा खाना खाते हैं और पूरी नींद सोते हैं उन के हिस्से का दुख वनों में भटकता है, अर्थात उन्हें परेशान नहीं कर पाता.
तत्ते पानी से क्या घर जलते हैं. दुर्वचनों से किसी का अनिष्ट नहीं होता.
तन उजला मन सांवला, बगुले का सा भेक, तोसे तो कागा भला, बाहर भीतर एक. जो लोग देखने में भलेमानस लगते हैं पर मन के काले होते हैं उन के लिए कहा गया है कि आप तो बगुले की तरह बाहर से सफ़ेद और भीतर से काले अर्थात धूर्त हो. आप से तो कौआ अच्छा है जो बाहर से भी काला है और भीतर से भी.
तन कसरत में, मन औरत में. जो लोग व्यायाम तो करते हैं पर उनका ध्यान भोग वासनाओं में लगा रहता है उनका शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता.
तन की तनक सराय में, नेक न पावो चैन, सांस नकारा कूच का, बाजत है दिन रैन. शरीर रूपी छोटी सी सराय में सांस रूपी नकारा बजता रहता है. जाने की तैयारी हर समय है इस लिए चैन से न बैठो.
तन तकिया मन विश्राम, जहाँ पड़े वहीं आराम. परिश्रमी व्यक्ति को बढ़िया बिस्तर और तकिये की आवश्यकता नहीं है. उसका शरीर ही तकिया है और हर स्थान उस के विश्राम के लिए उपयुक्त है.
तन ताजा तो कलन्दर ही राजा. शरीर स्वस्थ हो तो फ़कीर भी राजा है. कलन्दर – मस्त, फक्कड़.
तन दे मन ले. अपने शरीर द्वारा किसी की सहायता कर के ही आप उस का मन जीत सकते हैं.
तन पर चीर न घर में नाज, दद ससुरे का रोपा काज. घर में घोर गरीबी है और ददिया ससुर का श्राद्ध करने जा रहे हैं जो सामर्थ्य से बाहर भी है और बिलकुल अनावश्यक भी है.
तन पर नहीं लत्ता मिस्सी मले अलबत्ता. मिस्सी – लेप करने वाली प्रसाधन सामग्री. शरीर पर ढंग के कपड़े नहीं हैं और सुगन्धित लेप लगा रहे हैं. साधन न होने पर भी अनावश्यक खर्च करना.
तन पर नहीं लत्ता, पान खाएँ अलबत्ता. साधन न होने पर भी अनावश्यक शौक करना.
तन पिंजरा मन तीतरा सांस जीव का मूल, जब तीतर उड़ जात है होता पिंजर धूल. शरीर पिंजरा है और मन उसमें रहने वाला पक्षी है. जब पक्षी उड़ जाता है तो पिंजरा मिटटी हो जाता है.
तन पुतला है ख़ाक का इसे देख मत फूल, इक दिन ऐसा आएगा मिले धूल से धूल. शरीर मिटटी का पुतला है. इस के ऊपर घमंड मत करो. एक दिन ऐसा आएगा जब यह धूल का पुतला धूल में मिल जाएगा.
तन फूहड़ का भैंस सा भारी, कहे कहो मोहे नाजो प्यारी. फूहड़ स्त्री भैंस सी मोटी है लेकिन पति से कहती है कि मुझे सुकुमारी पुकारो.
तन मोर सा मन चोर सा. जो व्यक्ति देखने में सौम्य और आकर्षक हो पर अंदर से चोर हो.
तन शीतल हो शीत सों, मन शीतल हो मीत सों. शरीर तो ठन्डे मौसम और ठंडी हवा से शीतल होता है परन्तु मन मित्र का साथ मिलने पर शीतल होता है.
तन सुखी तो चैन है, वरना दुख दिन रैन है. शरीर निरोग हो तभी मनुष्य को चैन मिलता है, वरना हर समय दुख ही दुख है.
तन सुखी तो मन सुखी, मन सुखी तो तन सुखी. शरीर स्वस्थ हो व कोई रोग न हो तो मन भी सुखी रहता है और मन प्रसन्न हो तो शरीर भी सुखी रहता है.
तनक को मनक करत. थोड़े का बहुत करते हैं. बात का बतंगड़ बनाते हैं.
तनक तमाखू गजब करावे, जगन्नाथ को भात, जिनके पुरखन भीख न माँगी, सोई बढ़ावें हाथ. तम्बाखू खाने वाले तलब लगने पर दूसरे तम्बाखू खाने वाले अनजान आदमी के सामने भी हाथ फैला देते हैं (भीख मांगते हैं) इस पर व्यंग्य. जगन्नाथ जी के भात के प्रसाद की तरह छोटे बड़े सब तम्बाखू के लिए हाथ फैलाते हैं.
तपे जेठ तो बरखा हो भरपेट. जेठ में अधिक गरमी हो तो वर्षा अच्छी होती है.
तपे मृगशिरा जोय, तो बरखा पूरन होय. मृगशिरा नक्षत्र में अधिक गर्मी पड़े तो पूर्ण वर्षा होती है.
तब के बूढ़े अब के ज्वान, अब के हुइहैं और निकाम. पुरानी पीढ़ी के बूढ़े लोगों का स्वास्थ्य जितना अच्छा है उतना आज कल के नौजवानों का नहीं, और अब जो लड़के हैं उनका स्वास्थ्य आगे चल कर और भी खराब होगा.
तब रहे ढेलिया अब ढेलाचंद, तब रहे लुगरी अब बाजूबंद. जब पैसा पास नहीं था तो लोग ढेलिया कहते थे, पैसा आने के बाद ढेलाचंद कहने लगे. तब पुरानी धोती की तरह तिरस्कृत थे अब बाजूबंद बन गए.
तब लग झूठ न बोलिए, जब लग पार बसाय. जब तक बहुत मज़बूरी न हो, झूठ नहीं बोलना चाहिए.
तबेले की बला बंदर के सर. पुराने लोग मानते थे कि तबेले में घोड़ों के साथ बन्दर पाले जाएं तो घोड़ों पर आने वाली बला बंदरों पर आ जाती है. सन्दर्भ कथा – पुराने लोग मानते थे कि तबेले में घोड़ों के साथ बन्दर पाले जाएं तो घोड़ों पर आने वाली बला बंदरों पर आ जाती है. एक राजा की घुड़साल के पास बहुत से बन्दर रहते थे. उन में से कुछ युवा बन्दर बहुत शैतान थे. वे सैनिकों का सामान चुरा कर भाग जाया करते थे. सयाने बन्दर उन्हें बहुत समझाते थे कि राजा के आदमियों से पंगा मत लो, पर वे एक न मानते थे. एक बार एक शैतान बन्दर कहीं से जलती हुई लकड़ी उठा लाया और फूस की झोंपड़ी के पास गिरा दी. उससे अस्तबल में आग लग गई और बहुत से अच्छी नस्ल के कीमती घोड़े जल गए. घोड़ों के वैद्य ने बताया कि घोड़ों के घावों को ठीक करने के लिए बन्दर के मांस का लेप करना होगा. इस इलाज के चक्कर में बेचारे बहुत से बन्दर मुफ्त में मारे गए. तभी से यह कहावत बनी.
तमाम रात पीसा और नाली में सकेला. किसी मूर्ख स्त्री ने रात भर मेहनत कर के कोई चीज़ पीसी और सुबह नाली में बहा दी. कोई व्यक्ति किसी काम के लिए बहुत मेहनत करे और अंत में उस चीज़ को व्यर्थ गंवा दे तो.
तय की तेरी, हाथ की मेरी. जो बंटवारा तय हुआ है वह तुम बाद में ले लेना, अभी जो हाथ में है वह मेरा है.
तरकारी को खेत में बघार नाहीं लगत. जहाँ का काम वहीं किया जाता है. बघार हँड़िया में लगता है, खेत में नहीं.
तरघुन्ना से काम पड़ा. ऐसे आदमी से काम पड़ा है, जिसके मन की बात जानना कठिन है
तरवर तास बिलम्बिए, बारह मास फलंत, सीतल छाया गहर फल, पंछी केलि करंत. कबीर कहते हैं कि ऐसे वृक्ष के नीचे विश्राम करो, जो बारहों महीने फल देता हो. जिसकी छाया शीतल हो, खूब फल लगते हों और पक्षी क्रीडा करते हों. यहाँ वृक्ष से अर्थ सज्जन पुरुष से भी है.
तरवर बिना सरबर सूना. (राजस्थानी कहावत). तालाब के पास पेड़ अवश्य होने चाहिए. पर्यावरण के हिसाब से भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.
तरुवर अच्छा छांवला और रूप सुहाना सांवला. पेड़ वही अच्छा है जो छाँव देता हो और रूप सबसे मोहक वही होता है जो सांवला हो. सांवले व्यक्ति को सांत्वना देने के लिए.
तरुवर फल नहिं खात हैं, सरबर पियहिं न पान, कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान. वृक्ष कभी फल नहीं खाते और तालाब खुद पानी नहीं पीते. सज्जन लोग अपने द्वारा संचित किये गए धन को परोपकार के लिए ही प्रयोग करते हैं.
तलवार का खेत हरा नहीं होता. जोर जबरदस्ती से कराई गई खेती सफल नहीं हो सकती.
तलवार किस की, जो मारे उस की. तलवार उसी की है जो उस का उचित उपयोग समय पर कर पाता है.
तलवार के सहारे जीने वाले तलवार ही से मरते हैं. जिनकी जीविका युद्धों से ही चलती है, उनकी मौत भी युद्ध में ही होती है.
तलवार गिरी और परजा फिरी. हाकिम का आतंक खत्म होते ही प्रजा मनमानी करने लगती है. इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि जो प्रजा विद्रोह पर उतारू है वह तलवार का वार होते ही वापस घरों में दुबक जाती है.
तलवार मारे एक बार, एहसान मारे बार बार. तलवार तो इंसान को एक ही बार में मार देती है लेकिन किसी का एहसान बार बार आदमी को मारता है (लज्जित करता है).
तलवार म्यान में ही अच्छी. तलवार बाहर निकलती है तो खून खराबा करती है. यहाँ तलवार से अर्थ विवादित मुद्दों से भी है.
तलवों की सी कहूँ या जीभ की सी. एक हाकिम ने मुक़दमे के दोनों पक्षों से रिश्वत खाई, एक ने मिठाई भेंट की और दूसरे ने पैर तले अशर्फी सरका दी. अब हाकिम परेशानी में कि तलवे की बात मानें या जीभ की.
तले तले दही चिवड़ा, ऊपर से एकादसी. व्रत में छुप के खाने वालों पर व्यंग्य.
तले धरती ऊपर राम. शपथ के समय कहते हैं
तले पड़ा हूँ पर टांग तो मेरी ही ऊपर है. कुश्ती में जिस की पीठ जमीन से लग जाए वह हारा हुआ मान लिया जाता है. कोई हारा हुआ पहलवान कह रहा है कि मैं नीचे पड़ा हूँ तो क्या हुआ, मेरी टांग तो ऊपर है. हार कर भी हार न मानना.
तले पड़ी का मोल क्या. 1. जो वस्तु आसानी से उपलब्ध हो उस की कदर नहीं होती. 2. कोई वस्तु बेकद्री से पड़ी हो तो मूल्यहीन हो जाती है और वही वस्तु अच्छे रख रखाव से मूल्यवान बन जाती है.
तवा चढ़ा बैठी मिसरानी, घर में नाज, अगन न पानी. मिसरानी – मिश्रानी, ब्राह्मणी, खाना बनाने वाली. घर में कुछ साधन न होते हुए भी बड़ा काम करने के लिए तैयार होना.
तवा न तगारी, काहे की भटियारी. न तवा है न थाली, तो तुम संपन्न घर की कहां से हो गईं.
तवायफ के बिछौने पर बना है काम सोने का, न ठहरेगा मुलम्मा है, अबस है ज़र के खोने का. तवायफ – वैश्या, मुलम्मा – बारीक परत. वैश्या के बिछौने पर सोने की कारीगरी किस काम की? बहुत से व्यक्तियों के सम्पर्क में आने के कारण वह जल्द ही बेकार हो जाएगी. कहावत का अर्थ है कि कोई नाज़ुक चीज़ ऐसे स्थान पर प्रयोग करना बेकार है जहाँ उस का रुखाई से प्रयोग हो.
तसलवा तोर कि मोर. जबरदस्ती हर चीज़ पर अपना हक जमाना. सन्दर्भ कथा – भोजपुरी क्षेत्र के लोग दूसरे की भी वस्तु को अपना कहकर जबरदस्ती उससे छीन लेते है. वे किसी व्यक्ति से उसकी वस्तु के विषय में पूछते हैं कि वह किसकी है. यदि वह व्यक्ति कहता है कि उक्त वस्तु मेरी है, तो वे उसे जबरदस्ती छीन लेते है और यदि वह यह जवाब देता है कि आपकी है, तो भी वे उससे यह कहकर ले लेते हैं कि जब मेरी है, तब मुझे दे दो.
तस्वीह फेरूँ, किस को घेरुं. तस्वीह – फेरने वाली मनकों की माला. ढोंगी भगत के लिए जो दिखावे के लिए माला फेर रहा है और मन में सोच रहा है कि किस को घेरूं.
ताँबे की मेख, तमासो देख. पैसे के जोर से संभव-असंभव सब कुछ हो सकता है (पैसा ताँबे का ही बनता है).
तांक झाँक कर मत चले, ये है बुरा सुभाव, जार कहें या चोट्टा या फिर ऊदबिलाव. जार माने व्यभिचारी. दूसरों के घरों में ताँक झाँक करने वाले को चरित्रहीन या चोर समझा जाता है या ऊदबिलाव कह कर गाली दी जाती है.
तांत बजी राग पहचाना. किसी चीज़ की शुरुआत होते ही फौरन पहचान लेना.
तांत सी देह, पाँव न हाथ, लड़न चली सूरन के साथ. (वाद्य यंत्रों में बंधने वाले पतले तार को तांत कहते हैं). किसी बहुत दुबले पतले कमजोर परन्तु दुस्साहसी व्यक्ति के लिए. लड़न चली सूरन के साथ अर्थात शूरवीरों के साथ लड़ने चली है.
तांबा देख व्यापार, मुँह देख व्यवहार. तांबे से अर्थ यहाँ रूपये पैसे से है. किसी के पास कितना पैसा है यह देख कर व्यापार किया जाता है (नकद ले रहा है या उधार, उधार लेगा तो चुका पाएगा या नहीं) और व्यक्ति से व्यवहार उस की हैसियत के अनुसार किया जाता है.
ताक पे बैठा उल्लू, माँगे भर भर चुल्लू. जब कोई बेशर्म हाकिम अधिक रिश्वत मांगे या कोई छोटा आदमी बड़े पर हुक्म चलाए तो.
ताकत कमर में चाहिए औलाद के लिए, रखते नहीं हैं सिर्फ भरोसा मदार का. शाह मदार मुस्लिमों के एक प्रसिद्ध संत हुए हैं जिनके आशीर्वाद से संतान प्राप्ति होती है. कहावत में कहा गया है कि संतान प्राप्त करने के लिए खाली शाह मदार का आशीर्वाद ही नहीं पौरुष शक्ति भी चाहिए. किसी भी कार्य को सिद्ध करने के लिए केवल पूजा पाठ ही नहीं पुरुषार्थ भी आवश्यक है.
ताकन, तड़कन, दिलटूक औ दंतचियार, चार तरह के रिश्तेदार. रिश्तेदार चार प्रकार के होते हैं, ताकन – जो हर समय कुछ लेने की ताक में रहते हैं, जैसे भांजा और नवासा. तड़कन – जो तड़क (धौंस) भी दिखाएँ और माल भी समेटें, जैसे बहनोई और दामाद, दिलटूक – जो दिल के टुकड़े यानी खासमखास हों जैसे साला साली व सलहज, और दंतचियार जो काम धाम कुछ न करें केवल दांत निपोरें, जैसे साढू.
ताका भैंसा गादर बैल, नारि कुलच्छन बालक छैल, इनसे बचें चतुरा लोग, राज छोड़कर साधें जोग. ताका – तिरछा देखने वाला, गादर – चलते-चलते बैठ जाने वाला, छैल – शौकीन स्वभाव का. जो भैंसा तिरछा ताकता हो, जो बैल बैठ जाने वाला हो, नारी दुश्चरित्र हो, जो बालक गलत शौक रखता हो, इन सब से पाला पड़े तो अच्छा यही है कि घरबार छोड़ कर जोगी बन जाओ.
ताज़ी पर बस न चला तुर्की के कान काटे. ताज़ी और तुर्की घोड़ों की नस्लें हैं. कहावत उन लोगों पर कही गई है जो किसी एक पर बस न चले तो दूसरे पर उसका गुस्सा उतारते हैं.
ताज़ी मार खाय, तुरकी माल खाय. भाग्य से बहुत कुछ होता है. एक ही जगह रहने वाले दो लोगों में से एक मार खाता है और एक माल खाता है.
ताड़ पेड़ के नीचे दूध भी पिए तो लोग समझें कि ताड़ी पिए है. बुरी संगत में रह कर अच्छा काम भी करोगे तो लोग गलत ही समझेंगे.
ताड़ने वाले कयामत की नज़र रखते हैं. कोई काम कितना भी छिप कर करो, होशियार लोग देख ही लेते हैं.
ताता खाए छाँव में सोए, उस के पीछे बैद रोए. जो गर्म खाना खाता है और छाँव में सोता है वह बीमार नहीं पड़ता (इस कारण वैद्य को रोना पड़ता है).
ताती रोटी और ठंडा पानी, सब तरह से सुख. ताज़ी गरम रोटी और ताजा ठंडा पानी, ऐसा सुख सब के भाग्य में नहीं होता.
ताते दूध बिलाई नाचे. कटोरे में तेज़ गरम दूध रखा हो तो बिल्ली उसे पी भी नहीं पाएगी और वहाँ से हटेगी भी नहीं, उसके चारों ओर नाचती रहेगी. जरूरत मंद मनुष्य भी अपनी जरूरत की चीज़ के लिए इसी प्रकार का व्यवहार करता है.
तार टूटा और राग पूरा हुआ. यदि उपकरण खराब होने से ठीक पहले कार्य पूरा हो गया (जिससे काम रुका नहीं) तो यह कहावत कही जाती है.
तारीफ़ बुरे आदमी को और बुरा बना देती है. दुष्ट आदमी की प्रशंसा करो तो वह अपने आप को और अधिक काबिल समझने लगता है और उसकी दुष्टता बढ़ जाती है.
तारे रौशनी करें तो चन्द्रमा क्या झख मारे. अगर छोटे लोग ही सारा काम कर लें तो बड़ों को कौन पूछेगा.
ताल तो भोपाल ताल, और सब तलैयां, गढ़ तो चित्तौड़गढ़, और सब गढ़ैयां. जिस ने भोपाल की झील देखी है वह इस कथन से जरूर सहमत होगा. चित्तौड़गढ़ के भग्नावशेष देख कर भी यह समझा जा सकता है की अपने समय में यह अद्वितीय रहा होगा. साथ ही बर्बर असभ्य मुगलों से घृणा भी होगी जिन्होंने इस प्रकार की उत्कृष्ट कृतियों को नष्ट किया.
ताल न तलैया, सिंघाड़े बुवैया. तालाब है नहीं और सिंघाड़े बोने की सोच रहे हैं. बिना साधन काम करने की योजना बनाने वालों के लिए.
ताल बजा कर मांगे भीख, उसका जोग रहा क्या ठीक. योगी वह है जो केवल ईश्वर की आराधना में ध्यान लगाए और जो कुछ भी रूखा सूखा मिल जाए वही खा के काम चलाए. गाना गा गा कर भीख मांगने वाले को योगी या साधु कैसे मान सकते हैं.
ताल में चमके ताल मछरिया, रन चमके तलवार, तम्बुआ चमके सैंया पगड़िया, सेज पे बिंदिया हमार. हर चीज़ अपनी अपनी जगह शोभा पाती है और उचित स्थान पर ही उसकी कीमत होती है.
ताल में पानी नहीं हाथी को नेवता. साधन न होते हुए भी बहुत बड़ा काम करने की मूर्खता करना.
ताल सूख चौरस भयो, हंसा कहीं न जाए, मरे पुरानी प्रीत को, कंकर चुन चुन खाए. तालाब सूख गया है लेकिन हंस कहीं और ठिकाना ढूँढने नहीं जा रहा है. तालाब के प्रति अपने पुराने प्रेम के कारण वह जान देने को तैयार है और कंकड़ खा रहा है. इस कहावत को प्रेम के प्रति त्याग के महान आदर्श के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं और व्यक्ति के मूढ़ प्रेम एवं अनावश्यक आसक्ति के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं.
ताल से तलैया गहरी, सांप से संपोला जहरी. संपोला माने सांप का बच्चा, ताल माने बड़ा तालाब और तलैया माने छोटा सा तालाब. जहाँ बेटा बाप से भी ज्यादा खुराफाती हो वहाँ यह कहावत कही जाती है.
तालाब के भरोसे घड़ा नही फोड़ा जाता. तालाब और घड़ा, दोनों का अपना महत्त्व है. तालाब में कितना भी पानी हो, उसे भर कर ले जाने के लिए घड़ा भी चाहिए. इसी प्रकार समाज में छोटे बड़े सभी लोगों का महत्व होता है. यदि हमारे सम्बन्ध किसी बड़े आदमी से हों तो अपने निकटवर्ती छोटे लोगों को छोड़ नहीं देना चाहिए.
तालाब खुदा नहीं घड़ियालों ने डेरा डाल लिया. कोई काम होने से पहले ही उससे लाभ लेने वालों का इकट्ठा होना. (तालाब खुदने के बाद जब पानी से भर जाता है तो घड़ियाल उस में रहने के लिए आ जाते हैं).
तालाब प्यासो और बरात भूखो. जो व्यक्ति तालाब के पास रह कर प्यासा रहे और बरात में जा कर भी भूखा रहे. मूर्ख या दुर्भाग्य का मारा व्यक्ति.
ताली एक हाथ से नहीं बजती (ताली दोउ कर बाजे) (ताली दोनों हाथसे बजती है). जब दो लोगों में झगड़ा होता है तो दोनों ही यह सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि उन की रत्ती भर भी गलती नहीं है, दूसरे ने ही झगड़ा किया है. ऐसे में सयाने लोग समझाते हैं कि देखो ताली तभी बजेगी जब दोनों हाथ एक दूसरे से टकराएंगे. कुछ न कुछ गलती दूसरे की भी होती है. इंग्लिश में कहावत है – It takes two to quarrel.
ताली बिन कैसा ताला, जोरू बिन कैसा साला. चाबी के बिना ताला बेकार है और पत्नी के बिना साले की कोई अहमियत नहीं है.
ताले बनियों के लिए होते हैं, चोरों के लिए नहीं. अर्थ स्पष्ट है. हम लोग ताला लगा कर निश्चिन्त हो जाते हैं, पर चोर के लिए ताले की कोई बिसात नहीं है.
तावल मत कर काज में धीरे धीर चला, ताता भोजन बालके देउत जीभ जला. तावल – उतावलापन, ताता – गरम. काम में उतावलापन न कर के धीरे धीरे चलो. बच्चा गरम खाने को मुंह में रख कर जीभ जला लेता है.
ताश पर मूंज का बखिया. ताश – सलमा सितारों वाला बारीक काम, मूंज – खाट बुनने वाला बान. सलमा सितारे वाले बारीक काम में कोई मूंज का बखिया लगा कर सिल दे तो यह अत्यधिक फूहड़पन कहलाएगा.
तिनका उतारे का भी एहसान होता है. किसी ने आपका बहुत छोटा सा काम भी किया हो (सर पे से तिनका हटा दिया हो) तो उसका भी एहसान मानना चाहिए.
तिनका ओट तो पहाड़ ओट. कोई मनुष्य जब तक आँख के सामने रहता है तभी तक हमें उसका ध्यान रहता है.
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँयन तर होय, कबहुँ उड़ आँखिन परे, पीर घनेरी होय. तिनका यदि पैरों के नीचे हो तो उस की निंदा मत करो, यदि वह उड़ कर आँख में गिर गया तो बहुत कष्ट देगा. अर्थ यह है कि कोई व्यक्ति कितना भी छोटा क्यों न हो उसका अपमान मत करो.
तिनका गिरा गयंद मुख तनिक न घटा अहार, सो ले चली पिपीलिका पालन को परिवार. गयंद – हाथी, पिपीलिका – चींटी. हाथी के मूंह से तिनका गिरा तो उसका भोजन तो जरा भी कम नहीं हुआ लेकिन उससे चींटी के पूरे परिवार का पालन हो गया. अमीर लोग चाहें तो थोड़े से प्रयास से ही गरीबों की बहुत सहायता कर सकते हैं.
तिनका हो तो तोड़ लूँ प्रीत न तोड़ी जाए, प्रीत लगी टूटत नहीं जब लग मौत न आए. किसी से सच्चा प्रेम हो तो आसानी से नहीं टूटता.
तिनके की ओट पहाड़. 1. छोटा सा तिनका भी आँख के सामने हो तो पहाड़ को ढंक सकता है. 2. पास की छोटी सी चीज़ भी दूर की बड़ी चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है.
तिनके की चटाई, नौ बीघा फैलाई. थोड़ा काम कर के बहुत दिखावा करना.
तिनब्याहे का बढ़िया भाग, दो ले जाएँ अरथी और इक ले जाए आग. जो आदमी तीन शादियाँ करे उसका मजाक उड़ाने के लिए. ऐसा व्यक्ति जीते जी मर जाता है.
तिरिया चरित औ चोर की घात, कोऊ न पाया कह गये नाथ. स्त्री का चरित्र और चोर की चालबाजी का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता.
तिरिया जने बार बार, जबान जने एक बार. स्त्री बार बार संतान को जनती है (पैदा करती है) पर जबान को एक ही बार बात जननी चाहिए. जबान से निकली बात बदलनी नहीं चाहिए.
तिरिया तुझ में तीन गुन, औगुन हैं लख चार, मंगल गावे, सत रचे, कोखन उपजें लाल. स्त्री में लाख अवगुण होते हुए भी तीन गुण अनमोल हैं, मंगल गाना, सदाचार से रहना और पुत्र उत्पन्न करना.
तिरिया तुझ से जो कहे, उसको तू मत मान, तिरिया मत पर जो चले, वह नर है निर्ज्ञान. जो पुरुष अपने विवेक का उपयोग न कर के केवल स्त्रियों के कहने पर चलते हैं वे निरे मूर्ख होते हैं.
तिरिया तेग तुरंग अरु परजा का साथ, ये सब नाहीं आपने परे पराये हाथ. स्त्री, तलवार, घोड़ा और प्रजा का साथ, ये दूसरे के हाथ में पड़ जाएँ तो उसी के हो जाते हैं.
तिरिया तेरह मर्द अठारह. कहावत उस समय की है जब कम आयु में ही विवाह हो जाते थे. कहावत के अनुसार विवाह के लिए लड़की की आयु कम से कम तेरह वर्ष और लड़के की कम से कम अठारह वर्ष होनी चाहिए.
तिरिया तेल हमीर हठ, चढ़े न दूजी बार. राजस्थान के वीर हम्मीर देव चौहान के विषय में कहावत है कि वे जो हठ कर लेते थे उससे हटते नहीं थे. पूरी कहावत इस प्रकार है – सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फले इक बार, तिरिया तेल हमीर हठ चढ़े न दूजी बार. अर्थात सिंह एक ही संतान को जन्म देता है, सत्पुरुष अपने वचन पर अडिग रहता है, केला एक ही बार फल देता है, स्त्री पर तेल व उबटन एक ही बार चढ़ता है (अर्थात उस का विवाह एक ही बार होता है) और हम्मीर एक ही बार हठ करता है. सन्दर्भ कथा – सिंह सुवन, सत्पुरुष वचन, कदली फलै इक बार, तिरिया तेल, हमीर हठ, चढ़ै न दूजी बार. सिंह एक ही बार संतान को जन्म देता है. सच्चे लोग बात को एक ही बार कहते हैं. केला एक ही बार फलता है. स्त्री को एक ही बार तेल एवं उबटन लगाया जाता है अर्थात उसका विवाह एक ही बार होता है. ऐसे ही राव हमीर का हठ है. वह जो ठानते हैं, उस पर दुबारा विचार नहीं करते. अलाउद्दीन की सेना ने गुजरात पर आक्रमण किया था. वहां से लूट का बहुत सा धन दिल्ली ला रहे थे. मार्ग में लूट के धन के बंटवारे को लेकर कुछ सेनानायकों ने विद्रोह कर दिया. वे विद्रोही सेनानायक राव हम्मीरदेव की शरण में रणथम्भौर आ गए. सुल्तान अलाउद्दीन ने राव हम्मीर से इन विद्रोहियों को सौंप देने की मांग की. क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए राव हम्मीर ने शरण में आए हुए सैनिकों को नहीं लौटाया. इस पर अलाउद्दीन ने क्रोधित होकर रणथम्भौर पर हमला कर दिया. इसके बाद अलाउद्दीन खिलजी व हम्मीर देव के बीच घोर युद्ध हुआ जिस में हम्मीर देव शहीद हुए.
तिरिया तो है शोभा घर की जो हो लाज रखावा नर की. वही स्त्री घर की शोभा होती है जो पुरुष की लाज रखे.
तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा. स्त्री के बिना पुरुष ऐसा ही है जैसा राह में चलता हुआ राहगीर (जो हमेशा अपनी मंजिल की तलाश में रहता है). बटाऊ – राहगीर.
तिरिया बिस की बेल है, या सूं बच कर चाल, याका नेहा खोत है, दीन धरम धन माल. स्त्री विष की बेल है इससे बच कर चलो, इसका प्रेम धोखा है और आपके दीन, धर्म, धन और माल के लिए खतरा है.
तिरिया भी बिन नर है ऐसी, बिना धनी के खेती जैसी. स्त्री भी पुरुष के बिना सब तरह से असुरक्षित है.
तिरिया रोवे गेह बिना, खेती रोवे मेह बिना. स्त्री घर के लिए तरसती है और खेती वर्षा के लिए.
तिरिया सके न बात पचाय (तिरिया से राज छिपे न छिपाए). अर्थ स्पष्ट है. सन्दर्भ कथा – एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से बहुत प्रेम था. वह उस पर पूरा विश्वास करता था. वह जानता था कि उसके माता-पिता बड़े सीधे और सरल हैं, लेकिन जब कोई मौका आता, तो पत्नी का ही पक्ष लेता था. वह उनको कोई राज की बात नहीं बताता था पर अपनी पत्नी को सब-कुछ बता देता था. एक दिन वह घूमता हुआ गांव के एक अनुभवी व्यक्ति के पास गया. उनको वह काका बोलता था. काका बहुत अनुभवी व्यक्ति थे और उसके पिता के पक्के दोस्त थे. उसने काका से अपनी पत्नी की प्रशंसा की और बताया कि जो भी राज की बात होती है वह माता पिता को नहीं बताता पर पत्नी को अवश्य बताता है. काका ने कहा, जो तुम कर रहे हो, यह सही नहीं है. अपनी पत्नी तुम्हें विश्वास अवश्य करना चाहिए, पर याद रखना, स्त्रियाँ कोई राज की बात छिपा कर नहीं रख पाती हैं. किसी समय परीक्षा लेकर देखो. यह सुनकर वह अधीर हो उठा. उसने जल्दी से जल्दी पत्नी की परीक्षा लेनी चाही.
काका ने उससे एक नाटक रचने को कहा और उसे विस्तार से समझा दिया. एक दिन रात के समय वह एक कटा तरबूज अंगोछे में लपेट कर लाया. उसकी पत्नी ने देखा अंगोछे में कोई गोल चीज़ है जिस से टपककर लाल बूंदे गिर रही हैं. यह अपनी पत्नी से बोला, देख किसी से कहना मत. मैंने एक आदमी का सिर काट लिया है. इसे छिपाना है, नहीं तो मुझे सिपाही पकड़ लेंगे और मुझे फांसी की सजा मिलेगी. उसने अपनी पत्नी से एक फावड़ा मंगवाया और घर के पिछवाड़े में एक पेड़ के नीचे गड्ढा खोदा और उसमें उस तरबूज को अंगोछे सहित गाड़ दिया. ऊपर से मिट्टी डालकर वह जगह समतल बना दी.
उसकी पत्नी इस घटना से बेचैन हो उठी. उसने अपने पति से कुछ नहीं कहा, पर अंदर-ही-अंदर वह घुटन महसूस कर रही थी. एक दिन जब उससे रहा नहीं गया तो उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन को यह बात सुना दी और कहा, देख बहन, किसी से कहना मत, नहीं तो मेरे पति को फांसी हो जाएगी. उस महिला को भी वह बात नहीं पची. उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन महिला को यह घटना सुनाई और कहा, देख बहन, किसी से कहना मत. नहीं तो उसके पति को फांसी हो जाएगी. इसी प्रकार यह खबर पूरे गांव में फैल गई. बहुत-सी औरतों ने यह घटना अपने आदमियों से भी कही.
एक दिन ऐसा आया जब यह खबर इलाके के थाने में पहुंच गई. फिर क्या था? सुबह तड़के दरोगा और सिपाही उसके घर जा पहुंचे. जब गांव वालों को पता चला तो गांव के तमाम लोग भी आ गए. काका भी उसके घर पहुंच गए थे. दरोगा ने सबसे पहले उसकी औरत को धमकाकर पूछा, बता तेरे आदमी ने सिर कहां गाड़ा है? नहीं तो तुझे भी फांसी हो जाएगी. उसने डर के मारे वह स्थान इशारा करके दिखा दिया. जब उस स्थान को खोदा गया तो अंगोछे में लिपटा हुआ एक कटा तरबूज निकला. दरोगा ने उस आदमी को डांटा, तो उसने पूरी घटना कह सुनाई. काका ने भी कहा कि इसने अपनी पत्नी की परीक्षा लेने के लिए यह किया था.
तिरिया सरम की, कमाई करम की. करम – कर्म, भाग्य. स्त्री वही अच्छी जो लज्जाशील हो. कमाई अपने उद्यम और भाग्य दोनों से होती है.
तिल गुड़ भोजन नीच मिताई, आगे मीठ पाछे कडुआई. तिल गुड़ से बनी मिठाई आप खाते हैं तो पहले मीठी लगती है पर बाद में मुँह में कड़वाहट आ जाती है, इसी प्रकार नीच से मित्रता शुरू में अच्छी लगती है पर बाद में परेशानी का कारण बनती है.
तिल गुड़ भोजन, तुरक मिताई, गेंवड़े खेती, गाँव सगाई, पहले सुख पीछे दुखदाई, मतकर भाई मतकर भाई. तिल गुड़ से बनी मिठाई, मुसलमान की दोस्ती, गाँव के पास खेती और अपने ही गाँव में सगाई यह सब शुरू में अच्छे लगते हैं पर बाद में कष्ट देते हैं.
तिल चोर सो बज्जुर चोर. चोर तो चोर है चाहे बड़ी चीज़ चुराने वाला हो या तिल जैसी छोटी चीज़.
तिल तिल खाए, पहाड़ बिलाय. कितना भी धन इकट्ठा हो यदि उसमें से थोड़ा-थोड़ा लगातार खर्च करते रहोगे और उसमें जोड़ोगे नहीं तो कभी न कभी वह खर्च हो जाएगा.
तिल रहे तो तेल निकले. अर्थ है कि व्यापार की पूँजी ही खा जाओगे तो व्यापार क्या करोगे.
तिल, तीखुर और दाना, घी शक्कर में साना, खाय के बूढ़ा होय जवाना. तीखुर – हल्दी की प्रजाति का एक पौधा जिस की जड़ का सत हलुआ खीर आदि बनाने के काम आता है, दाना – पोस्त का दाना. तिल, तीखुर और पोस्त को घी शक्कर के साथ खाने से बूढ़े भी जवान हो जाते हैं.
तिलचट्टे को मारने से हाथ ही गंदा होता है. नीच को दंड देने की कोशिश में अपना ही नुकसान हो सकता है.
तिलों की परख तो तेली ही जानता है. हर व्यक्ति अपने अपने व्यवसाय से सम्बंधित चीजों के विषय में जानकार होता है.
तिसरी पीढ़ी सुधरे या तिसरी पीढ़ी बिगड़े. जो आज निर्धन है उस की तीसरी पीढ़ी धनवान हो सकती है, और जो आज सम्पन्न है उस की तीसरी पीढ़ी निर्धन हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है कि निर्धन परिवार में अधिकतर बच्चे विनम्र और परिश्रमी होते हैं, जबकि धनी के बच्चे आलसी और नकचढ़े.
तीखी हु नीकी लगे कहिए समय बिचारि, सबके मन हर्षित करे ज्यों विवाह में गारि. उचित समय पर कही हुई तीखी बात भी अच्छी लगती है, जिस प्रकार विवाहादि में गाई जाने वाली गालियाँ (हंसी मज़ाक के लोक गीत) भी अच्छी लगती हैं.
तीतर की बोली बटेर क्या जाने. किसी समुदाय की भाषा उसी समुदाय के लोग समझ सकते हैं.
तीतर के मुँह लक्ष्मी. हाकिम कितना भी निकृष्ट क्यों न हो उस की जवान में बहुत ताकत होती है.
तीतर जाने तीतर की, मैं जानूँ तेरे भीतर की. जैसे तीतर की बात तीतर ही जान सकता है वैसे ही मैं तेरे सारे भेद जानता हूँ. मूलत: बच्चों की कहावत.
तीन कचौड़ी नौ बराती खाओ ठूसमठूस, वाह भटियारिन तेरे घर ब्याह है या है लूटमलूट. किसी कंजूस महिला का मजाक उड़ाया गया है. अपने घर शादी में वह लोगों से कह रही है कि नौ बरातियों के बीच में तीन कचौड़ियाँ हैं, खूब ठूँस ठूँस कर खाओ. इस के जवाब में दूसरी महिला व्यंग्य कर रही है कि भई कमाल है, तेरे घर की शादी में तो लूट मची हुई है.
तीन कनौजिया तेरह चूल्हे. कनौजिया लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे कभी मिल कर नहीं रह सकते. सब के चूल्हे अलग ही जलते हैं. रूपान्तर – आठ कनौजिया नौ चूल्हे.
तीन का टट्टू तेरह का जीन. चीज़ की कीमत तो कम हो पर उसके साथ प्रयोग में आने वाला तामझाम महंगा हो तो.
तीन कोस तक मिले जो काना, लौट पड़े सो बड़ा सयाना. पहले के लोग शगुन अपशगुन का बहुत विचार करते थे. किसी कार्य के लिए जाते समय यदि काना दिख जाए तो बड़ा अपशकुन होता है. बुद्धिमान व्यक्ति तो तीन कोस जा चुका हो तब भी काना दिख जाने पर लौट आता है. (वैसे यह काने व्यक्ति के साथ बहुत अन्याय है).
तीन गुनाह तो खुदा भी माफ़ करता है (तीन गुनाह खुदा भी बख्शता है). अपराध करने वाले अक्सर यह कह कर सजा से बचना चाहते हैं. किसी को क्षमादान के लिए प्रेरित करना हो तो भी ऐसे बोला जाता है.
तीन गेहूँ खेत ऊसर, तीन कपास खेत उर्वर. तीन बार लगातार गेहूँ की फसल लेने से खेत ऊसर हो जाता है और तीन बार लगातार कपास बोने से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है.
तीन जात अलगरजी, नाऊ, धोबी, दर्जी. हज्जाम, धोबी और दर्जी किसी की परवाह नहीं करते (स्वार्थी होते हैं).
तीन जात हड़बोंग, राजपूत अहीर डोम. बहुत से लोक विश्वासों में से एक.
तीन टांग की घोड़ी, नौ मन की लदान. किसी अक्षम व्यक्ति पर बहुत सा काम लाद दिया जाए तो.
तीन टेढ़े बरात में. बरात में तीन चीजें टेढ़ी होती हैं, तुरही, पालकी का बांस और लड़के का बाप.
तीन तिकट महा विकट, चार का मुँह काला, पाँच हो तो आला. तीन लोग हों तो कोई काम नहीं होता और चार हों तो सब का मुँह काला होता है, पाँच हों तो बढ़िया काम होता है.
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा. लोक विश्वास है कि तीन लोग मिल कर कोई काम करें तो काम बिगड़ जाता है.
तीन दिए और तेरह पाए, कैसे लोभ ब्याज का जाए. ब्याज पर रुपये देने से बहुत मोटा मुनाफा होता है इसलिए लोग ब्याज का लालच नहीं छोड़ पाते हैं.
तीन देय तेरह चिल्लावे, तो कलजुग में लेखा पावे. यदि तीन की रकम उधार दी है तो उसको बढ़ा चढ़ा कर तेरह दिए हैं ऐसा चिल्लाने पर ही अपनी पूरी सही रकम मिल पाती है.
तीन पाव की तीन पकाई सवा सेर की एक, जेठ निपूता तीन खा गया मैं संतोखन एक. किसी किसी पुरानी कहावत में उच्च कोटि का हास्य व्यंग्य देखने को मिलता है. कोई महिला बता रही है कि तीन पाव आटे से तीन रोटी पकाईं और सवा सेर आटे से एक. जेठ लालची और खाऊ था (एक एक पाव की) तीन रोटी खा गया और मुझ बेचारी को (सवा सेर की) एक खा कर संतोष करना पड़ा. खुद को मासूम सिद्ध करने वाले परले दर्जे के शातिर लोग. रूपान्तर – सात पाव की सात पकाईं चौदह पाव की एक, तू कुलबोरन सातों खा गया मैं कुलवंती एक, तू कुलबोरन बढ़िया खाया नोन तेल मिरचाई, मैं कुलवंती रूखा खाया चिवड़ा दही मिठाई. कुलबोरन – खानदान को डुबोने वाला, कुलवंती – उच्च कुल की स्त्री.
तीन पेड़ बकायन के, मियाँ बागवान. बकायन – नीम की जाति का एक पेड़. अर्थ स्पष्ट है.
तीन बराती नौ पाहुने. महत्वपूर्ण लोग कम और फ़ालतू लोग अधिक.
तीन बामन जहाँ, बिपत पड़े वहाँ (बज्जर परे तहाँ). जहाँ तीन ब्राह्मण इकट्ठे हो जाएँ वहाँ विपत्ति आना तय है.
तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए घर के गावें गीत. अनुमान से अधिक मेहमान आ जाएँ तो ऐसा होता है. रूपान्तर- एक बुलावें चौदह धावें, ये है यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए, घर के गावें गीत.
तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी. किसी ने घर में दावत आयोजित की. जितने लोग बुलाए थे उससे बहुत अधिक लोग आ गए. खाना कम पड़ने की नौबत आ गई. तो बेचारे ने दाल में पानी मिलाकर उसे पतला किया. किसी भी कार्य में यदि अनुमान से बहुत अधिक खर्च होने की नौबत आने लगे तो जुगाड़ करनी पड़ती है.
तीन में घंटा चलें, तीन में तलवार, तीनइ में पैना चलें, आलीपुर दरबार. आलीपुर राज में घंटा बजाने वाले पुजारी, तलवार चलाने वाले सिपाही और हल चलाने वाला किसान सभी को तीन रुपया वेतन मिलता है. अंधेरगर्दी.
तीन में न तेरह में, न सेर भर सुतली में, न करवा भर राई में. ऐसा व्यक्ति जो किसी गिनती में न हो लेकिन अपने को बहुत महत्वपूर्ण समझता हो. सन्दर्भ कथा – (ऐसा व्यक्ति जो किसी गिनती में न हो). किसी मशहूर वेश्या ने अपने प्रेमियों को अलग-अलग कई श्रेणियों में बांट रखा था. पहली श्रेणी में तीन व्यक्ति थे, जिन्हें वह सबसे अधिक चाहती थी. फिर तेरह थे जो उसे अच्छे उपहार इत्यादि देते थे. फिर वे थे जिनकी गिनती उसने सेर भर सुतली में गांठें लगाकर कर रखी थी. सबसे अंत में थे वे साधारण व्यक्ति जिनसे मिलने के बाद उनके नाम का राई का एक दाना वह एक करवे में डाल दिया करती थी. एक सेठ का पुत्र उसे बहुत चाहता था और वह यह समझता था कि वैश्या भी उसे चाहती है.
एक बार व्यापार के सिलसिले में सेठ के पुत्र को लम्बे समय के लिए बाहर जाना पड़ा. वहाँ से उसने वैश्या के लिए एक कीमती उपहार किसी के हाथ भिजवाया और कहा यह कह कर देना कि तुम्हें सब से अधिक चाहने वाले ने यह उपहार भेजा है. वेश्या ने उसे नाम से नहीं पहचाना और अपने नौकर से कहा कि देखो यह नाम कौन सी सूची में है. तब नौकर ने जवाब दिया, तीन में न तेरह में, न सेर भर सुतली में, न करवा भर राई में.
तीन में न तेरह में, मृदंग बजाएं डेरे में. उपेक्षित होते हुए भी अपने को ख़ास समझना. सन्दर्भ कथा – जब किसी आदमी की कोई कदर न हो, परन्तु फिर भी बिना पूछे वह अपनी राय देने के लिए आ जाये. एक बार बानपुर के महाराज यज्ञ किया. ठाकुरों में बुन्देला, पँवार और धंधेरे ये तीन कुरी वाले श्रेष्ठ माने जाते हैं. इनके अतिरिक्त तेरह कुरी के ठाकुर और होते हैं. उक्त यज्ञ में इन तीन और तेरह कुरी के ठाकुरों को छोड़ कर एक ऐसे सज्जन पधारे जो इन सबसे बाहर थे और साधारण समझे जाते थे. यज्ञ के भोज में यह समस्या उपस्थित हुई कि अन्य बड़ी कुरी के ठाकुरों के साथ उनको कहाँ और किस प्रकार बिठाया जाय. बहुत सोच-विचार के पश्चात अंत में निश्चय यह हुआ कि उनको डेरे पर ही रखा जाय और वहीं उनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था कर दी जाय. तभी से कहावत चल पड़ी कि तीन में न तेरह में, मृदंग बजावें डेरा में
तीन रांडें मुझे रंडुआ कर गईं, एक रांड तो मैं भी करूँगा. किसी व्यक्ति की एक के बाद तीन पत्नियों की मृत्यु हो गई. वह चौथा विवाह करने चला तो लोगों ने कहा कि अब अधेड़ावस्था में विवाह क्यों कर रहे हो. तब उसने चिढ़ कर ऐसा कहा. केवल अपना स्वार्थ देखने वाले स्वार्थी व्यक्ति के लिए.
तीन लोक से मथुरा न्यारी. 1. अति प्रिय स्थान. 2. ऐसी जगह जिस के सब नियम कायदे अलग ही हों.
तीनों पन नहिं एक समान. तीनों पन अर्थात जीवन की तीन अवस्थाएं.
तीर न कमान, काहे के पठान. पठान से पूछा जा रहा है कि अगर तुम्हारे पास तीर कमान नहीं हैं तो काहे के योद्धा बने फिर रहे हो.
तीर न तरकस, चचा तीसमारखां. अपनी बहादुरी की गप्प हांकने वालों का मजाक उड़ाने के लिए.
तीर नहीं तो तुक्का ही सही. तुक्का माने बिना फलक का तीर. कहावत का प्रयोग इस तरह करते हैं कि यदि किसी बात का प्रमाण न हो तो अंदाज़ से कुछ भी बोल दो. तुक्के के चित्र के लिए देखिये परिशिष्ट.
तीर, तुरमती (बाज), इस्तिरी छूटत बस न आएं, झूठ जो मानें ये वचन ते नर कूढ़ कहाएं. तीर, बाज और स्त्री एक बार हाथ से निकल जाएँ तो दोबारा हाथ नहीं आते.
तीरथ गए से एक फल, संत मिले फल चार, सतगुरु मिले अनेक फल, कहे कबीर विचार. अच्छे गुरु का मिल जाना तीर्थ जाने और संतों के साथ सत्संग करने से भी कई गुना फलदायक है.
तीरथ गएसु तीन जन, चित चचरा मन चोर, एको पाप न काटया, सौ मन लादे और. चंचल चित्त और चोर मन वाले जो लोग तीर्थ करने जाते हैं, उनका कोई पाप नहीं कटता, बल्कि और पाप लद जाते हैं.
तीसरी बार खीर भी बेसवाद लगती है. कोई खाने की चीज कितनी भी प्रिय क्यों न हो, पहली बार बहुत अच्छी लगती है, दूसरी बार कुछ कम अच्छी और तीसरी बार बेस्वाद लगने लगती है.
तीसरे दिन मुरदा भी हलाल है. मुसलमान अपने आप मरे हुए जानवर को खाना हराम मानते हैं. लेकिन अगर कोई मुसलमान तीन दिन से भूखा हो तो मरे हुए जानवर को खाना भी हलाल (धर्म सम्मत) मान लिया जाता है. आशय है आपातकाल में धर्म अधर्म नहीं देखा जाता.
तीसौ दिन दिया दिया, दीवाली को दिया नाहीं. कहावत उन लोगों के लिए कही गई है जो रोज फ़ालतू खर्च करते हैं और त्यौहार के दिन खाली हाथ हो जाते हैं (रोज दिया जलाते थे, दीवाली के दिन खाली हाथ बैठे हैं).
तुझको पराई की क्या पड़ी, अपनी निबेड़ तू. जो खुद परेशानी में हो और दूसरों की परेशानी में टांग अड़ा रहा हो उस को सीख दी गई है.
तुझे हुकहुकी आवे तो मुझे डुबडुबी आवे. दुष्ट को दुष्टता से ही सबक सिखाना चाहिए. सन्दर्भ कथा – कोई किसी धूर्त व्यक्ति को उसकी धूर्तता का मजा चखाए तो. नदी के इस पार रहने वाले एक सियार और ऊंट में बड़ी दोस्ती थी. ऊँट सरल हृदय था, जबकि सियार धूर्त था. नदी के उस पार खरबूजे के खेत थे. सियार का मन खरबूजे खाने के लिए करता था लेकिन वह नदी को पार नहीं कर सकता था. उसने ऊंट को इस बात के लिए पटाया कि वह उस को अपनी पीठ पर बैठा कर उस पार ले जाए तो दोनों खूब खरबूजे खाएंगे.
ऊँट राजी हो गया और दोनों उस पार पहुंच गए. वहां खूब खरबूजे खाने के बाद सियार बोला कि मुझे हुकहुकी आ रही है (अर्थात मेरा मन हुआ हुआ करने को कर रहा है). ऊँट ने कहा, भाई ऐसा मत करना. अभी खेत का मालिक आ जाएगा और हमें मारेगा. पर सियार नहीं माना और हुआ हुआ करने लगा. आवाज सुन कर खेत के रखवाले डंडा लेकर आए तो सियार झाड़ियों में छुप गया. ऊँट आसानी से पकड़ में आ गया सो उन्होंने ऊँट को खूब मारा.
ऊंट को बहुत गुस्सा आया पर वह उस समय कुछ नहीं बोला. लौटते समय नदी की बीच धार में ऊंट बोला कि मुझे डुबडुबी आ रही है (अर्थात मेरा मन डुबकी लगाने का कर रहा है). सियार बोला भाई ऐसा मत करना, मैं मर जाऊंगा. लेकिन ऊँट नहीं माना. उसके डुबकी लगाते ही सियार नदी की तेज धार में बह गया
तुम एक लेते नहीं, मैं दो देता नहीं. तुम कम लेने को तैयार नहीं हो और ज्यादा मैं दूंगा नहीं. मोल भाव के समय का आम दृश्य.
तुम काटो मेरी नाक और कान, मैं न छोडूँ अपनी बान. अत्यंत हठी व्यक्ति के लिए.
तुम तो मुझे छेड़ोगे. झूठमूठ का नख़रा करना. सन्दर्भ कथा – झूठमूठ का नख़रा करना. एक ज्यादा नाज नखरे करने वाली स्त्री अपने सिर पर एक खाली घड़ा रखे जा रही थी. रास्ते में एक पुरुष मिला जो अपने दोनों हाथों में दो कबूतर लिए आ रहा था. स्त्री ने उसे देखते ही कहा, देखो जी, मुझे छूना या छेड़ना नहीं. पुरुष ने कहा, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है. और मैं यह कर भी कैसे सकता हूं, मेरे हाथों में तो कबूतर हैं. स्त्री ने जवाब दिया- मैं सब जानती हूँ. तुम उन्हें मेरे घड़े में रख दोगे और फिर मुझे छेड़ोगे.
तुम रूठे हम छूटे. कोई व्यक्ति आप से अक्सर अपने काम के लिए कहता है और आप को भी उसका काम करना पड़ता है. फिर वह कोई एकाध काम न होने से नाराज हो जाता है तब यह कहावत कही जाती है.
तुमको हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवि को कमल अनेक हैं कमलन को रवि एक. इस कहावत को यदि कृष्ण और गोपियों का उदाहरण दे कर समझा जाए तो आसानी से समझ आएगी.
तुम्हरे भतार न हमरे जोय, अस कुछ करो कि बेटवा होय. एक विधुर व्यक्ति किसी विधवा स्त्री से विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए घुमा फिरा कर कह रहा है, तुम्हारे पति नहीं है और हमारी पत्नी नहीं है, कुछ ऐसा क्यों न करें कि हम दोनों के बेटा हो जाए. मतलब की बात को घुमा फिरा कर कहना.
तुम्हारा हमारा क्या रूठना. यह बात वह लोग कहते हैं जो काम के समय रूठ जाते हैं और खाने के समय मान जाते हैं. जिससे आप रूठे हुए हों उससे काम पड़ जाए तो भी ऐसे बोलना पड़ता है.
तुम्हारी दाढ़ी जले तो जले, हमारा दिया बलने दो. तुम्हारा कुछ भी नुकसान हो, हमारा काम होना चाहिए.
तुम्हारी बराबरी वह करे जो टांग उठा कर मूते. किसी को गाली देने के लिए सीधे सीधे कुत्ता कहने की बजाए घुमा फिर कर कहा गया है.
तुम्हारे मरे देस पाक, हमारे मरे देस ख़ाक. आज कल के नेता एक दूसरे के लिए ऐसा कहते हैं, तुम मरोगे तो देश में से गंदगी कम होगी और हम मर गए तो देश बर्बाद हो जाएगा.
तुम्हारे मुंह में घी शक्कर. कोई बहुत अच्छी बात बोले तो ऐसा कहा जाता है.
तुम्हें और नहीं हमें ठौर नहीं (न मुझे और न तुझे ठौर). मजबूरी में एक दूसरे का साथ निभाना, जैसे आजकल के राजनैतिक गठबंधन.
तुरक काके मीत, सरप से क्या प्रीत. तुर्क से दोस्ती क्या और सर्प से प्रीत क्या.
तुरक की यारी, तूम्बे की तरकारी, अंत खारी की खारी. तुर्क से दोस्ती करोगे तो शुरू में चाहे ठीक लगे पर बाद में पछताना पड़ेगा. इसी प्रकार तूम्बे की सब्जी खाने के बाद कड़वी लगती है. तुरक – तुर्क. मुग़ल लोग तुर्की से नहीं आये थे लेकिन आम बोल चाल की भाषा में उन्हें भी तुर्क कहा जाता था. तरकारी – सब्जी.
तुरक, ततैया, तोतरा जे सब किसके मीत, भीर परत मुख मोड़ लें राखें नाहीं प्रीत. तुर्क, ततैया और तोता ये किसी के मित्र नहीं होते. संकट के समय मुँह मोड़ लेते हैं.
तुरत की पोई तुरत ही खाओ, बासी खा मत तोंद बढ़ाओ. रोटी ताज़ी बनी हुई ही खानी चाहिए. बची हुई रोटी को उठा कर रखने और वक्त बेवक्त खाने से तोंद बढ़ती है.
तुरत दान महा कल्याण. किसी काम को तुरंत निपटाना ही सबसे अच्छा रहता है.
तुरत फुरत हों सगरे काम, जब होवें मुट्ठी में दाम. पैसा पास हो तो सारे काम तुरंत होते हैं.
तुर्कनी के पकाए में क्या कसर. पहले के समय में हिंदू स्त्रियां खाना बनाने के बाद पहले भगवान को भोग लगाते थीं, फिर घरवालों को खिलाती थीं उस के बाद खाती थीं. वे खाना बनाते समय चखती नहीं थीं जिससे खाना झूठा न हो जाए. इसलिए यह संभावना रहती थी कि खाने में कोई कमी रह जाए. लेकिन मुसलमान स्त्रियाँ क्योंकि बीच-बीच में चख कर देख लेती हैं इसलिए उनके बनाए खाने में कोई कमी नहीं होती.
तुलसी अच्छे वचन सों सुख उपजे चहुँ ओर, बसीकरण यह तंत्र है तज दे वचन कठोर. सत्य और मधुर बोलने से सब ओर सुख पैदा होता है. यही सच्चा वशीकरण यंत्र है.
तुलसी अपने राम को रीझ भजो के खीझ, खेत पड़े सब ऊपजें औंधे सीधे बीज. राम नाम को जाहे खुश रह कर भजो खीझ कर, उसका फल अवश्य मिलता है. खेत में बीज चाहे सीधा पड़ा हो चाहे उल्टा, पौधा सब से निकलता है. ऐसा माना जाता है कि महाकवि वाल्मीकि पहले डाकू थे. उनको नारद मुनि ने राम नाम जपने का उपदेश दिया तो वह अपनी पाप वृत्ति के कारण राम राम नहीं बोल पा रहे थे. तब नारद जी ने उनको मरा मरा जपने की सलाह दी. मरामरामरामरा बार बार बोलने से भी राम का नाम निकलता है.
तुलसी अपनों आचरण, भलो न लागत काहु. अपना आचरण सभी को महान लगता है.
तुलसी अवसर के पड़े, को न सहे दुख द्वन्द. सभी को कभी न कभी दुख सहना पड़ता है.
तुलसी ऐसे पतित को बार बार धिक्कार, राम भजन को आलसी खाने को तैयार. ऐसे पतित व्यक्ति को धिक्कार है जो राम का नाम भजने में आलस करे और खाने को हर समय तैयार रहे.
तुलसी ऐसे मीत के कोट फांद कर जाए, आवत ही तो हंस मिले चलत बेर मुरझाए. कोट – किला या किले की चारदीवारी. जो मित्र आपके आते ही हँस कर मिलता है और बिछड़ते समय उदास हो जाता है वही सच्चा मित्र है. ऐसे मित्र से मिलने के लिए किले की दीवार फांद कर भी जाना पड़े तो भी जाना चाहिए.
तुलसी कर से कर्म कर मुँह से भज ले राम, ऐसो समय न आएगो लाखों खरचो दाम. जब तक शरीर स्वस्थ है मनुष्य को कर्म करते रहना चाहिए और साथ साथ मुँह से राम का भजन करते रहना चाहिए. ऐसा अवसर दोबारा नहीं मिलेगा.
तुलसी कलयुग के समय देखो यह करतूत, राम नाम को छांड़ि के पूजन लागे भूत. तुलसी दास जी को इस बात का बहुत दुख है कि कलयुग में लोग राम नाम को छोड़ कर भूतों की पूजा करने लगे हैं. सब से बुरी बात तो यह है कि लोग मजारों की पूजा करने लगे हैं.
तुलसी के पत्ता छोट बड़ बरोबर होवे. जो वस्तु पवित्र है वह छोटी या बड़ी, पवित्र ही मानी जाती है.
तुलसी जग में दो बड़े, कै रुपया कै राम. तुलसी का नाम ले कर किसी ने कहा है कि संसार में या तो राम बड़े हैं या रुपया. इस प्रकार की तुच्छ बात तुलसीदास नहीं कह सकते.
तुलसी तहाँ न जाइए, जहाँ जनम की ठांव, भाव भगति का मरम न जानें, धरा तुलसिया नाँव. तुलसीदास का नाम ले कर संभवतः किसी और ने कहा है कि जिस गाँव में आपका जन्म हुआ है वहाँ न जाएँ. वे लोग आपका महत्व नहीं समझेंगे, आदर नहीं करेंगे और नाम भी बिगाड़ कर तुलसी के स्थान पर तुलसिया पुकारेंगे.
तुलसी दया न छाँड़िये जब लग घंट में प्रान. कबहूँ दीन दयाल के भनक परेगी कान. अर्थ स्पष्ट है.
तुलसी धीरज के घरे कुंजर मन भर खाय. टूक टूक के कारने स्वान घरोघर जाय. तुलसीदास जी कहते हैं कि धैर्य रखने के कारण हाथी एक मन खाना खा लेता है, जबकि अधीर होने के कारण कुत्ता घर घर भटकता रहता है.
तुलसी पैसा पास का सब से नीको होय, होते के सब कोय हैं, अनहोते की जोय. तुलसी का नाम ले कर किसी ने कहा है कि जिस प्रकार पास का पैसा ही आदमी के काम आता है उसी प्रकार परेशानी में पत्नी ही काम आती है. (अन्य लोग तो केवल अच्छे दिनों के साथी होते हैं). आम तौर पर केवल बाद वाला हिस्सा ही बोलते हैं.
तुलसी बिरवा बाग़ के सींचत ही कुम्हलाएँ, राम भरोसे जो रहे परवत पे लहराए. ईश्वर की ऐसी महिमा है कि पर्वत पर भी पेड़ लहराता है जबकि बाग़ में लगा पौधा सींचने के बाद भी कुम्हला सकता है.
तुलसी मन शुद्ध भए जिनके वे तीरथ तीर रहे न रहे. जिनके मन शुद्ध हैं उन्हें तीर्थ के किनारे जा कर रहने की जरूरत नहीं है. (उनकी मुक्ति वैसे ही हो जाएगी).
तुलसी मीठे वचन सों सुख उपजत चहुँ ओर. मीठे वचन से सब ओर सुख फैलता है.
तुलसी मूढ़ न मानिहै जब लग खता न खाय, जैसे विधवा इस्तिरी गरभ रहे पछताय. मूर्ख व्यक्ति जब तक धोखा नहीं खाता तब तक नहीं मानता. जैसे विधवा स्त्री जिसका चाल चलन ठीक न हो गर्भ रह जाने पर पछताती है.
तुलसी या संसार में पांच रतन हैं सार, साधुमिलन अरु हरि भजन, दया, धर्म, उपकार. इस संसार में पाँच रत्न हैं, साधुओं से मिलना, ईश्वर का भजन करना, सब पर दया करना, धर्म पर चलना और परोपकार करना.
तुलसी या संसार में पाखंडी को मान, सीधों को सीधा नहीं झूठों को सम्मान. इस संसार में पाखंडियो को ही सम्मान मिलता है. सीधे लोगों को तो भरपेट भोजन भी नहीं मिलता जबकि झूठे लोगों को सम्मान मिलता है.
तुलसी रामहुँ ते अधिक राम भगत जिय जान. तुलसी दास जी का सुझाव है कि राम से अधिक राम के भक्त को हृदय से लगाओ, क्योंकि वही राम को पाने का मार्ग दिखा सकता है.
तुलसी वह दोउ गए पंडित और गृहस्थ, आते आदर न कियो जात दियो न हस्त. जो आते ही अतिथि का सत्कार नहीं करते और उसके जाते समय हाथ में कुछ देते नहीं हैं, ऐसे लोग मुक्ति नहीं पा सकते.
तुलसी विलम्ब न कीजिए लेते हरी को नाम. ईश्वर का नाम लेने में आलस्य नहीं करना चाहिए.
तुलसी वैश्या देख के करन लगे तकझाँक, आवत देखे संत को मुँह लीन्हों झट ढांक. कहावत उन लोगों के लिए कही गई है जो वैश्या को आते देख कर तांक झांक करते हैं और संत को आते देख कर झट से मुँह ढक लेते हैं.
तुलसी हरि की भगति बिन, धिक दाढ़ी धिक मूँछ, पशु गढ़न्ते नर बनो, बिना सींग और पूंछ. हरि की भक्ति के बिना दाढ़ी मूंछें बढ़ा लेने पर धिक्कार है. ऐसे लोग बिना सींग और पूंछ के पशुओं के समान हैं.
तू अपना काम कर, तबलया भूँसन दे. तू अपना काम करता रह तबेले में बैठे कुत्ते को भौंकने दे. आलोचकों से बिना डरे काम करने की सलाह.
तू कबर खोद मोकों, मैं गाड़ आऊँ तोको. तू मेरे लिए कब्र क्या खोदेगा मैं ही तुझे गाड़ दूंगा.
तू खेला आन से, हम खेली मान से, कुत्ता खेला पिसान से. पिसान – आटा. पति-पत्नी में व्यभिचार में मस्त हों तो घर चोर उचक्कों के हवाले हो जाता है. सन्दर्भ कथा – कहीं एक पति-पत्नी बहते थे. दोनों दुश्चरित्र थे. एक दिन पत्नी बैठकर आटा गूंध रही थी. पति भी वहीं बैठा था. इतने में पति की प्रेमिका उधर से गुजरी, जिसे देखकर पति वहाँ से उठकर चलता बना. उसके चले जाने पर पत्नी भी अपने प्रेमी से मिलने चली गई. इघर सारा आटा कुत्ता खा गया. पति ने घर लौटकर पूछा कि आटा क्या हुआ. इसपर पत्नी ने उत्तर दिया हम तुम अपने अपने खेल में मस्त रहे तो कुत्ता आटे के साथ खेल लिया.
तू गधी कुम्हार की, तुझे राम से क्या. बात ठीक ही है, कुम्हार की गधी को राम से क्या काम. जिसके अंदर कोई आध्यात्मिक चिंतन न हो, केवल अपना पेट भरने के लिए किसी की गुलामी कर रहा हो उस के लिए.
तू चाहे मेरे जाये को, मैं चाहूँ तेरी खाट के पाए को. पुरुष पुत्र की इच्छा करता है और स्त्री साथ रहने की. इससे उलट एक दूसरी कहावत है – मैं चाहूँ तेरे जाए को, तू चाहे मेरी खाट के पाए को. स्त्री की रूचि पुत्र को पालने में है और पुरुष की रूचि संसर्ग में.
तू डार डार मैं पात पात. तुम डालों पर चलोगे तो मैं पत्तों पर चलूँगा अर्थात मैं तुम से अधिक चालाक हूँ.
तू डाल मेरे मुँह में उँगली, मैं डालूँ तेरी आँख में. तू मेरा नुकसान करेगा तो मैं तेरा उससे बड़ा नुकसान करूंगा.
तू तेली का बैल, तुझे क्या सैर, लगा रह घानी से. जो व्यक्ति दिन रात काम में पिसता रहता है उस का मजाक उड़ाने के लिए. घानी – कोल्हू.
तू देवरानी मैं जेठानी, तेरे आग न मेरे पानी. जब दो बराबर के शातिर लोग मिल जाएँ.
तू बोल हमरी ओर, हम बोलें तोहरी ओर. तुम हमारे फायदे की बात बोलो तो हम भी तुम्हारे फायदे की बात कहें.
तू भी ऐंठा मैं भी ऐंठी कैसे होए निबाह. चाहे विवाह का सम्बंध हो या दोस्ती का, किसी विवाद पर कोई भी झुकने को तैयार न हो तो निर्वाह नहीं हो सकता.
तू भी रानी मैं भी रानी, कौन भरेगा पानी. जहाँ सभी अपनी अपनी ऐंठ में हों वहाँ काम कौन करेगा.
तू मेरा लड़का खिला, मैं तेरी खिचड़ी पकाऊँ. बहू का सास या ससुर से कथन. तुम मुझे सहयोग करो तो मैं तुम्हें सहयोग करूँ.
तू मेरी ढपली बजा, मैं तेरा राग अलापूं. तुम मुझसे सहमत हो तभी मैं तुम्हारी इच्छा के अनुसार बोलूंगा.
तू मेरी पीठ खुजला, मैं तेरी पीठ खुजलाऊँ. पीठ खुजलाना एक ऐसा काम है जो हम खुद से नहीं कर सकते. इस तरह के सभी कामों में एक दूसरे की मदद करना चाहिए.
तू मेरे घूँघट की रख, मैं तेरी मूंछों की रक्खूँ. पत्नी का पति से कथन – तुम मेरी स्त्री सुलभ लज्जा और मर्यादा का ध्यान रखो, मैं तुम्हारे पुरुषत्व का मान रखूँगी.
तू मेरे बारे को चाहे, मैं तेरे बूढ़े को चाहूँ. बहू सास से कह रही है कि तुम मेरे बच्चे का ध्यान रखोगी तो मैं तुम्हारे बुढ़ऊ का ध्यान रखूँगी.
तू सच्चा तेरा पीर सच्चा. जो लोग अपनी आस्थाओं के प्रति बहुत हठी होते हैं उन से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसा कहा जाता है.
तूने की रामजनी, मैंने किया रामजना. रामजनी माने वैश्या. वेश्यागामी पति से परेशान कोई स्त्री उस से कह रही है कि तू वैश्या के यहाँ जाता है तो जा, मैं ने भी एक यार पाल लिया है.
तूम्बी का क्या मीठा. जो व्यक्ति हर तरह से केवल कड़वा ही हो.
तूम्बी तिरे, तूम्बी तारे, तूम्बी कभी न भूखा मारे. जो साधु बन गया वह कभी भूखा नहीं मरता.
तूम्बे की बेल पर तो तूम्बे ही लगेंगे. यदि किसी कर्कश स्त्री के बच्चे असभ्य हों तो यह कहावत कही जाएगी.
तूल, तेल, तापना, जाड़ मास हो आपना. तूल – रुई के बने कपड़े. जाड़े के मौसम में यदि पहनने को रुई के कपड़े, लगाने और खाने को तेल एवं तापने को आग जलाने का इंतजाम हो तो समझो कि जाड़ा बहुत अच्छा है.
तृन समूह को छिन भर में, जारत तनिक अंगार. छोटा सा अंगारा तिनकों के ढेर को क्षण भर में जला देता है. ज्ञान की छोटी सी बात, शंकाओं के समूह को भस्म कर देती है.
तृस्ना केहि न कीन्ह बौराहा. तृष्णा किसे पागल नहीं कर देती.
तेजाब के डूबे हैं. खूब खरे रुपये हैं. तेजाब में डुबो कर परीक्षा कर ली गयी है. अनुभवी व्यक्ति के लिए प्रयुक्त.
तेजी का बोलबाला, मंदी का मुँह काला. व्यापारी लोग सब से अधिक मन्दी से डरते हैं.
तेतरी बेटी राज रजावे, तेतरा बेटा भीख मंगावे. तेतरी बेटी – दो बेटों के बाद होने वाली बेटी. दो बेटों के बाद बेटी हो तो शुभ होती है और बेटा हो तो अशुभ.
तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर. सौर – ओढ़ने की चादर. जितनी लम्बी आपकी चादर है उतने ही पैर फैलाओ. चादर छोटी हो तो पैर समेट के लेटो. जितनी व्यक्ति की सामर्थ्य हो उतना ही खर्च करना चाहिए.
तेरह के तीन ही देना, पर नाम दरोगा रख देना. कुछ लोग ऐसी नौकरी चाहते हैं जिसमें वेतन चाहे कम हो लेकिन रौब दाब अधिक हो (चाहे बनावटी रौब ही क्यों न हो).
तेरह बरस की तिरिया पन्द्रह बरस का पुरख, अक्ल आई तो आई नहीं तो रहा जरख. स्त्री में यदि तेरह वर्ष की आयु तक और पुरुष में पंद्रह वर्ष की आयु तक अक्ल न आये तो वह जानवर के समान है. जरख – लकडबग्घा.
तेरा तो घड़ा ही फूटा, मेरा तो बना बनाया घर ही ढह गया. किसी भी परिस्थिति में मूर्ख आदमी से अपना कोई काम नहीं करवाना चाहिए. सन्दर्भ कथा = एक तेली तेल से भरा घड़ा ले कर शहर की ओर चला तो रास्ते में एक हट्टा कट्टा शेखचिल्ली (निहायत मूर्ख आदमी) मिला. तेली थक गया था, उस ने शेखचिल्ली से कहा कि मेरा घड़ा लाद कर ले चलो तो मैं तुम्हें दो आने दूंगा (पहले के जमाने में दो आने बड़ी रकम थी). शेखचिल्ली ने घड़ा लाद लिया और जोर जोर से बोलते हुए चलने लगा, मैं इन दो आनों से अंडे खरीदूँगा, उन से मुर्गियाँ निकलेंगी, उन्हें बेच कर बकरी खरीदूँगा, फिर कई बकरियाँ हो जाएंगी तो भैंस खरीदूँगा, उस का दूध बेच कर शादी करूंगा, फिर मेरे खूब सारे बच्चे होंगे, मेरा कहना नहीं मानेंगे तो यूँ उठा के पटक दूंगा, और उसने घड़ा पटक दिया. तेली ने कहा कि तूने मेरा तेल से भरा घड़ा क्यों तोड़ दिया, तो शेखचिल्ली बोला तेरा तो घड़ा ही फूटा है, मेरा तो बना बनाया घर ही उजड़ गया. अर्थ है कि मूर्ख आदमी से अपना कोई काम नहीं करवाना चाहिए.
तेरा माल सो मेरा माल, मेरा माल सो हें हें. तेरा माल भी मेरा है और जो मेरा है वह तो मेरा है ही. धूर्त व्यक्ति का कथन.
तेरा यार मर गया, कौन सी गली का. किसी ने वैश्या से कहा, तेरा यार मर गया. वैश्या ने पूछा, कौन सी गली का? वेश्याओं के सभी ग्राहक अपने आप को उसका खास दोस्त समझते हैं. उनकी नासमझी पर व्यंग.
तेरी आँखों में राइ नोन. किसी से बहुत नाराज होने पर उसे कोसने के लिए कहा जा रहा है कि तेरी आँखों में राई और नमक पड़ जाए. किसी की नजर लगने की आशंका हो तो भी उस का नाम ले कर फिर यह बोलते हैं.
तेरी इज्ज़त धेले की कर दूंगा, के अच्छी बात है, अभी तो कौड़ी की भी नहीं है. किसी ने एक बेशर्म आदमी को धमकी दी कि तेरी इज्जत धेले के बराबर कर दूँगा. बेशर्म बोला यह तो बड़ा अच्छा होगा, अभी तो मेरी कोई इज्जत ही नहीं है. धेला और कौड़ी के लिए देखिए परिशिष्ट.
तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे. अपनी अपनी करनी सब के आगे आनी है. कोई आप के साथ अन्याय कर रहा है और आप का कुछ बस नहीं चल रहा तो आप उसे ऐसा बोल कर मन में संतोष कर लेते हैं.
तेरी कुदरत के आगे कोई जोर किसी का चले नहीं, चींटी पर हाथी चढ़ बैठे फिर भी चींटी मरे नहीं. ईश्वर की लीलाएं निराली हैं. ईश्वर चाहे तो ऐसा भी हो सकता है कि चींटी के ऊपर हाथी पैर रख दे फिर भी चींटी न मरे.
तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जरा. वासना रूपी चोर तेरे शरीर रूपी गठरी के पीछे लगा है. मनुष्य को इस सांसारिक यात्रा में जाग कर सावधान रहने की सलाह दी गई है.
तेरी गाली, मेरे कान की बाली. जिससे प्रेम हो उसकी हर बात अच्छी लगती है.
तेरी मेरी बने नहीं, तेरे बिना सरे नहीं. उन लोगों के लिए जिनमें आपस में बनती नहीं है पर एक दूसरे के बिना काम भी नहीं चलता.
तेरी मेरी बोली में बस इतना ही फरक, तू तो कहे फ़रिश्ता मैं कहूँ था जरख. जरख – लकड़बग्घा. किसी मुसलमान की कब्र खोद कर लकडबग्घा उस की लाश को ले गया. एक जाट ने यह देख लिया. उसने जब मुसलमान के घरवालों को यह बात बताई तो वे बोले कि वह तो लकड़बग्घा नहीं फ़रिश्ता था.
तेरे जौ तेरी दरांती, जैसे चाहे काट. मनुष्य को इस बात की पूरी स्वतन्त्रता है कि वह अपनी चीज़ को जिस तरह चाहे प्रयोग करे.
तेरे मेरे सदके में, उसकी जोरू पेट से. कोई स्त्री पराए आदमी को मना न कर पाने का खामियाजा भुगत रही है (उसे गर्भ ठहर गया है). इसी प्रकार की दूसरी कहावत है – मुरव्वत में मातियन गाभिन हो गई.
तेरो राम बसत है मन में, तू कहे को डोले वन में. तेरा ईश्वर तेरे मन में बसता है, तू उसे ढूँढने के लिए वन वन क्यों भटक रहा है?
तेल की जलेबी मुआ दूर से दिखाए. एक तो घटिया चीज़ है (तेल से बनी जलेबी) ऊपर से नालायक आदमी खिलाने की बजाए दूर से दिखा रहा है.
तेल जले बाती जले नाम दिए का होए, बेटा तो तिरिया जने नाम पिया का होए. देश और समाज के कामों में त्याग व बलिदान कोई और करता है पर नाम किसी और का होता है.
तेल डाल कमली का साझा. किसी आदमी ने काफी मेहनत और लागत लगा कर कम्बल बनाया और उसे चिकना करने के लिए तेली से तेल मांगा. तेली ने कहा मेरा इस में आधे का साझा होना चाहिए.
तेल तिल से निकलता है, खली से नहीं. जब तिल में से तेल निकाल लिया जाता है तो जो बचता है उसे खली कहते हैं. उस खली में से फिर तेल नहीं निकल सकता. आप सेल में कपड़ा खरीदें और दुकानदार से उस पर भी छूट देने को कहें तो वह यह कहावत बोलेगा.
तेल तेली का नाम भगत जी का. भगत जी ने आरती में सौ दिए जलाए. तेल तो बेचारे तेली का खर्च हुआ और तारीफ़ भगत जी की हुई. किसी और के काम का श्रेय कोई दूसरा ले ले तो.
तेल देखो तेल की धार देखो. 1. किसी बड़े बर्तन से छोटी शीशी में तेल डालना हो तो बड़े धैर्य से तेल की धार को ध्यान से देखते हुए तेल डालना होता है. कहावत का अर्थ है कि कोई कठिन काम पूरा होने में समय लगता है उसके लिए धैर्य रखना चाहिए. 2. हर व्यक्ति अपनी औकात के अनुसार राय देता है. सन्दर्भ कथा – किसी राजकुमार के चार मित्र थे – सिपाही, ब्राह्मण, उंटेरा (ऊंट पालने वाला) और तेली. जब वह पिता के मरने पर गद्दी पर बैठा, तो उसने उन चारों को अपना मंत्री बनाया. पड़ोस के एक राजा ने जब उसे मूर्ख मंत्रियों से घिरा और भोग-विलास में डूबा पाया, तो उस पर चढ़ाई कर दी. राजकुमार ने तब अपने चारों मंत्रियों को बुलाया और इस बारे में उनकी राय मांगी. जो सिपाही था, उसने तुरंत लड़ने को कहा. ब्राह्मण ने कहा, जैसे भी हो सुलह कर लो. उंटेरे ने कहा, जल्दी किस बात की है, देखिए, ऊंट किस करवट बैठता है. तेली ने तब उसी का समर्थन करते हुए कहा, घबड़ाइए नहीं, अभी तेल देखिए, तेल की धार देखिए. अर्थ है कि हर व्यक्ति अपनी औकात के अनुसार ही सोच सकता है, उससे अधिक कुछ नहीं.
तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कढ़ाई. साधन न होते हुए भी कोई काम करने की कोशिश करना या दिखावा करना.
तेल पिला कर घी निकाले. गाय भैंस से अधिक घी प्राप्त करने के लिए उन्हें तिल और बिनौले की खली खिलाई जाती है. जो व्यापार में लाभ प्राप्त करना चाहता है वह लागत भी लगाता है.
तेल में घी की मिलावट कोई नहीं करता. सस्ती चीज़ में महंगी की मिलावट कोई नहीं करता.
तेलिन रूठी, अँधेरे में बैठी. तेलिन रूठ के काम नहीं करेगी (तेल नहीं निकालेगी) तो अपना ही नुकसान करेगी. तेल न होने पर उसे अँधेरे में बैठना पड़ेगा. आशय है कि रूठने वाला अपना ही नुकसान करता है.
तेलिन से न धोबिन (मोचिन) घाट, इनके मोगरी उनके लाठ. घाट – घटी हुई (कम). तेली की स्त्री धोबिन या मोची की स्त्री से किसी प्रकार कम नहीं है. उसके पास मूसल है तो इन के पास लट्ठ. जब दो लोग इस बात पर बहस कर रहे हो कि उन में से कौन बड़ा है तो उन का मजाक उड़ाने के लिए.
तेली का काम तमोली करे, चूल्हे में से आग उठे. तमोली माने पान बेचने वाला. किसी का काम कोई और करे तो कुछ का कुछ हो सकता है. रूपान्तर – तेली कौ काम तमोली करे, बारह बरस लौं गढ़ा में परे.
तेली का तेल गिरा हीना हुआ, बनिए का नून गिरा दूना हुआ. तेली का तेल जमीन पर गिर जाए तो बेकार हो जाता है, बनिए का नमक गिर जाए तो वह उस को उठा लेता है और धूल मिट्टी मिल कर नमक दूना हो जाता है. मतलब बनिया कभी नुकसान नहीं उठाता.
तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले. कोई खर्च कर रहा है और परेशानी किसी और को हो रही है.
तेली का बैल बना कर राखो. रात दिन काम लेते हैं.
तेली का हुनर तमोली क्या समझेगा. तमोली – पान बेचने वाला (ताम्बूल से बना है). व्यवसाय करने वाला व्यक्ति अपने काम को करते करते उसमें पारंगत हो जाता है. कोई दूसरा उसके हुनर को नहीं समझ सकता.
तेली के घर तेल तो चुपड़े नहीं पहाड़. तेली के घर तेल उपलब्ध है तो वह उससे पहाड़ थोड़े ही चुपड़ेगा. यदि हमारे पास किसी चीज़ की बहुतायत है तो हम उसका दुरुपयोग थोड़े ही करेंगे.
तेली के बैल को घर ही कोस पचास. तेली का बैल कोल्हू से बंधा हुआ दिन भर उसी के चक्कर लगाता रहता है और दिन भर में कई कोस के बराबर चल लेता है. कहावत ऐसे लोगों के लिए कही जाती है जिन्हें घर में रह कर भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है.
तेली के माथा में तेल. व्यक्ति जिस चीज का व्यवसाय करता है वह उसे सहज ही उपलब्ध होती है.
तेली खसम किया, फिर भी रूखा खाया. तेली से शादी की फिर भी रूखा खाना खाया. जो सुविधा पाने के लिए कोई समझौता किया वही आप को नहीं मिली तो यह कहावत कही जाती है.
तेली रोवे तेल को मकसूद रोवे खली को. तेली को तेल की जरूरत है तो वह तेल के लिए परेशान है. दूसरे व्यक्ति मकसूद को खली चाहिए तो वह खली की चिन्ता में परेशान है. सबको अपनी-अपनी चिन्ता होती है.
तैरता सो डूबता. (तैरेगा सो डूबेगा). जो तैरेगा वही तो डूबेगा, जो डर के मारे किनारे बैठा रहेगा वह थोड़े ही डूबेगा.
तैराक की मौत पानी में ही होती है. अति आत्म विश्वास अंतत: मनुष्य को ले डूबता है.
तो सम पुरुष न मो सम नारी, यह संयोग विधि रचा विचारी. सूपनखा ने लक्ष्मण जी से ऐसा कहा था. जो स्त्रियाँ अपनी शक्ल सूरत और आयु न देख कर पुरुषों के सामने तरह तरह की अदाएँ दिखाती हैं उन का मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही जाती है.
तोको न मोको ले भाड़ में झोंको. जिस चीज पर दो लोग अधिकार जमा रहे हों उस का अंतिम फैसला ऐसे होता है. यानी न तुम्हारे काम आये, न हमारे काम आये तो इसको लेकर भाड़ में झोंक दो.
तोको पीर न मोको आपदा. इस काम में न तुझे कोई कष्ट है न मुझे, अर्थात यह काम कर लेना चाहिए.
तोड़ने आए चारा और खेत पर इजारा. इजारा – अधिकार. आपने किसी को अपने खेत में उगा हुआ चारा तोड़ने की इजाज़त दे दी और वह खेत पर ही अधिकार जमाने लगे तो यह कहावत कही जाएगी. जैसे कुछ निर्लज्ज कृतघ्न लोग शरणार्थी बन कर दूसरे देश में जाते हैं और फिर वहां के संसाधनों पर अपना हक जमाने लगते हैं.
तोप के धमाकों में ताली की क्या बिसात. जहाँ बहुत बड़े बड़े लोग बोल रहे हों, वहाँ छोटे आदमी की कौन सुनेगा.
तोला के पेट में घुंघची. घुंघची – रत्ती (एक तोले में 96 रत्ती होती हैं). अर्थ है कि बड़ी चीज़ में छोटी चीज़ समा जाती है. (देखिये परिशिष्ट)
तोला भर की आरसी, नानी बोले फ़ारसी. पहले के जमाने में दर्पण बहुत कम लोगों के पास होते थे. गरीब लोग पानी में शक्ल देख कर काम चला लेते थे. कुछ लोगों के पास एक छोटा सा शीशा होता था जिसे आरसी कहते थे. जैसे आज कल अंग्रेज़ी बोलना संभ्रांत होने का पर्यायवाची है वैसे ही उस जमाने में संभ्रांत लोग फ़ारसी बोलते थे. कहावत का अर्थ है कि बिलकुल छोटी सी चीज़ पर नानी इतरा रही हैं.
तोला भर की तीन कचौड़ी, खुरमा माशे ढाई का, लालाजी ने ब्याह रचाया, लहंगा बेच लुगाई का. अति कंजूस लोगों की मज़ाक उड़ाने के लिए. लाला जी ने एक तोला आटे से तीन कचौड़ी बनाईं और ढाई माशे से खुरमा (शक्करपारा). पत्नी का लहंगा बेच कर बाकी पैसे इकट्ठा किये और शादी करने चले हैं. बहुत जुगाड़ कर के लोगों को बेवकूफ बनाने वाले लोगों के लिए भी यह कहावत कही जा सकती है. तोला व माशा के लिए देखिए परिशिष्ट.
तोले भर की तीन चपाती, चले जिमाने घोड़े हाथी. बिना साधन के बड़ा काम करने की मूर्खता करना.
तोहरा बैल मोरा भैंसा, हम दोनों में संगत कैसा. व्यर्थ की बातों पर लड़ाई.
तौबा तेरी छाछ से, मुझे इन कुत्तों से छुड़ा. सम्पन्न लोग अक्सर दही में से मक्खन निकाल कर उसकी छाछ को बांटने के लिए गरीब लोगों को बुलाते हैं. ऐसे किसी गरीब आदमी को रहीस के कुत्तों ने घेर लिया तो वह बेचारा परेशान हो कर ऐसे बोल रहा है. किसी छोटी चीज के लालच में आदमी बड़ी मुसीबत में फंस जाए तो.