- ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है.यदि दो लोगों में लड़ाई हो तो जीत उस की होती है जो ठंडा (संयत) रहता है. जो अधिक गरम हो जाता है (आपा खो देता है) वह हार जाता है.
- ठंडो नहावे तातो खावे, ऊ घर वैद कबहुं न जावे.जो ठंडे पानी से नहाए और गर्म खाना खाए, वह बीमार नहीं पड़ता.
- ठकुर सुहाती सब कहें, जब कछु लेनो होय.ठकुर सुहाती – मालिक को सुहाने वाली बात (चापलूसी भरी बात). जब व्यक्ति का स्वार्थ होता है तो वह चापलूसी भरी बातें करता है.
- ठग कसाई, चोर सुनार, खाऊ बामन, बली लुहार.विभिन्न जातियों की विशेषताएं बताई गई हैं. कसाई लोगों को ठगता है, सुनार गहनों में से कुछ न कुछ चुराता जरूर है, ब्राह्मण खाता बहुत है और लोहार अत्यधिक बलशाली होता है.
- ठग की कौन मौसी.धूर्त लोग अपने सगे सम्बन्धियों को भी नहीं बख्शते.
- ठग न देखा देख कसाई, शेर न देखा देख बिलाई.किसी ने ठग न देखा हो तो कसाई को देख लो जो कि उस से भी बढ़ कर है. शेर न देखा हो तो बिल्ली को देख लो जो उसी के समान शिकार करने वाली होती है.
- ठग ही जाने ठग की भाषा.चोर उचक्कों ठगों की अलग ही भाषा होती है जिसे वही लोग समझ सकते हैं.
- ठगा कर ठाकुर बने (ठगाने से ठाकुर कहाता है).धोखा खा कर बुद्धि आती है.
- ठठेरे ठठेरे बदलाई.बचपन में हम ने ‘ठ’ से ठठेरा पढ़ा था. आजकल के लोग नहीं जानते होंगे कि बर्तन बनाने वाले को ठठेरा कहते हैं. ठठेरा अगर दूसरे ठठेरे से कोई बर्तन लेता है तो बदले में पैसे नहीं बर्तन ही देता है. वाणिज्य में इसे वस्तु विनिमय कहते हैं.
- ठठेरों की बिल्ली खटपट से नहीं डरती.ठठेरा बर्तन बनाने में लगातार खटपट करता रहता है, इसलिए उसकी पालतू बिल्ली खटर पटर की आदी हो जाती है. इसी प्रकार सीमा पर स्थित गाँवों के लोग थोड़ी बहुत गोलीबारी से नहीं डरते.
- ठहर ठहर के चालिए जब हो दूर पड़ाव, डूब जात मंझधार में दौड़ चले जो नाव.जब दूर की मंजिल तय करनी हो तो बीच बीच में ठहर कर चलना चाहिए. जो नाव तेज़ दौड़ कर चलती है वह मंझधार में डूब जाती है.
- ठांव गुन काजल, ठांव गुन कालिख.ठांव माने स्थान (place). तेल को जला कर उसका धुआँ इकठ्ठा कर के काजल बनाया जाता है जो आँखों के लिए श्रृंगार है. वही धुंआ दीवारों पर जम जाता है तो उसे कालिख कह कर साफ़ करते हैं. व्यक्ति और वस्तु का महत्त्व उसके स्थान से होता है.
- ठाकुर की बेटी ब्याहे, हिजड़े अड़ंगा लगाएँ.किसी भले आदमी के काम में बदमाश लोग अड़ंगा लगाएं तो.
- ठाकुर गया, ठग रह्या, रह्या मुलक का चोर, वे ठकुरनियाँ मर गईं, जे जनतीं ठाकुर और.(राजस्थानी कहावत) वीर पुरुष अब नहीं रहे, केवल धूर्त लोग ही बचे हैं. वे वीर माताएं भी नहीं रहीं जो वीर पुरुषों को जन्म देती थीं.
- ठाकुर चाकर दोऊ नीके.जब मालिक और नौकर (या हाकिम और मातहत) दोनों एक से बढ़ कर एक हों तो.
- ठाकुर पत्थर, माला लक्कड़, गंगा जमना पानी, जब लग मन में साँच न उपजे, चारों वेद कहानी.भक्ति करने चले हो तो यह समझ लो कि जब तक मन सच्चा न हो तब तक शालिग्राम जी केवल पत्थर हैं, तुलसी की माला बेजान लकड़ी मात्र है, गंगा जमना का जल मात्र पानी है और वेदों में लिखा हुआ केवल कहानी के समान है.
- ठाकुर बाल सफेद हो गए हैं और मैदान से भागते हो भाग भाग कर ही तो बाल सफेद किए हैं वरना काले में ही मारे जाते.ठाकुर साहब से कोई कह रहा है कि तुम्हारे बाल सफेद हो गए हैं, बूढ़े हो गए हो, फिर भी मैदान छोड़कर भागते हो. तो ठाकुर जवाब देते हैं कि मैदान से भागे ना होते तो काले बाल रहते हुए ही मारे गए होते. बाल सफेद होने की नौबत ही क्यों आती.
- ठाड़ा मारे और आगे धर ले.दबंग और दुस्साहसी लोग अपराध कर के उसे छिपाने की कोशिश नहीं करते.
- ठाड़ा मारे तो गरीब कोसने से भी गया.दबंग आदमी किसी गरीब को मारे तो बेचारा गरीब उसे कोस भी नहीं सकता (वरना वह और मारेगा).
- ठाड़े की बहू सबकी दादी, माड़े की बहू सबकी भाभी.दबंग आदमी की बीबी का सब सम्मान करते हैं और गरीब की बीबी से सब मजाक करते हैं.
- ठाड़े के धन को जोखिम नहीं होता. जो आदमी जबर होता है उसकी संपत्ति को हाथ लगाने की कोई हिम्मत नहीं करता.
- ठाढ़ा तिलक मधुरिया बानी, दगाबाज कै यहै निसानी. (कंठी टीका मधुरी बानी, दगाबाज़ की यही निशानी).जो ज्यादा लम्बा टीका लगाए हो और ज्यादा मीठी बोली बोल रहा हो उस के धूर्त होने की संभावना बहुत अधिक है.
- ठाली नाइन बछड़े को मूंड़े.नाई की पत्नी खाली हो तो अपनी गाय के बछड़े के ही बाल काटने लगती है. उद्यम शील व्यक्ति कभी खाली नहीं बैठता.
- ठाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में दे.बनिया कभी खाली नहीं बैठता, कुछ न कुछ उद्योग करता ही रहता है.
- ठाली बहू नोन में हाथ.जो काम करने वाली बहू होती है वह कभी खाली नहीं बैठती.
- ठिकाने ठाकुर पूजा जाय (ठिकाने से ठाकुर).ठाकुर की इज्ज़त केवल उसके गाँव में होती है, बाहर उसे कोई नहीं पूछता.
- ठीकरी के ठाकुर जी को थूक का तिलक.ठीकरी – फूटे हुए घड़े का टुकड़ा. निकृष्ट मूर्ति की भ्रष्ट पूजा ही की जाएगी.
- ठुमकी गैया सदा कलोर.नाटा व्यक्ति सदा युवा लगता है.
- ठेस लगे बुद्धि बढ़े.धोखा खाने से आदमी सीखता है.
- ठोक बजा ले चीज, ठोक बजा दे दाम.चीज़ को खूब देख परख कर लो और पैसा भी ठीक से मोल भाव कर के और ठीक से गिन कर दो.
- ठोकर खावे बुद्धी पावे.ठोकर खा कर ही इंसान को अक्ल आती है. इंग्लिश में कहावत है – There is no education like adversity.
- ठोकर मारने से धूल भी सर की ओर आती है.छोटे से छोटे व्यक्ति का भी अपमान नहीं करना चाहिए. जिस का अपमान करोगे वह आपको किसी न किसी प्रकार से नुकसान पहुँचा सकता है.
- ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिल.पहाड़ से ठोकर लगी, उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकते तो घर की सिल को तोड़ कर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं. बड़े आदमी का कुछ न बिगाड़ पाओ तो छोटों पर गुस्सा उतारना.
- ठोकर लगे तब आँख खुले.धोखा खा कर ही व्यक्ति जागता है.
ठ
20
Feb