- छंटाक भर चून चौबारे रसोई (छंटाक भर सतुआ और मथुरा में भंडारा).बहुत थोड़े साधन में बहुत अधिक दिखावा. घर में जरा सा आटा है और घर के बाहर रसोई लगा रखी है.
- छछूंदर के सर में चमेली का तेल.अयोग्य व्यक्ति को विशेष सुविधाएं.
- छज्जू गईले छौ जना, छज्जू अइले नौ जना.(भोजपुरी कहावत) छः आदमियों को ले कर गए और नौ को ले कर लौटे. व्यर्थ के लोगों को इकठ्ठा करने वाले के लिए.
- छज्जे की बैठक बुरी, परछाईं की छाँह, धोरे का रसिया बुरा, नित उठ पकरे बांह.कारण कुछ भी हों पहले के लोग छज्जे पर बैठने को बुरा मानते थे. (छज्जा टूट कर गिरने का डर होता है, शोहदे वहाँ बैठ कर ओछी हरकतें करते हैं आदि). परछाईं की छाँव भी बुरी होती है क्योंकि वह स्थाई नहीं होती. धोरे का रसिया माने बगल में रहने वाला प्रेमी. वह इसलिए बुरा है क्योंकि वह जब तब उठ कर बांह पकड़ कर परेशान करता है.
- छठी का दूध याद आ गया.कुछ नवजात शिशुओं के स्तन से थोड़े से दूध का स्राव होता है. संभवत: जन्म से पहले माँ के रक्त से जो हॉर्मोन शिशु के रक्त में पहुँचते हैं उनके प्रभाव से ऐसा होता है. कहीं कहीं पर यह प्रथा है कि छठी संस्कार के समय शिशु के स्तनों को दबा कर इस दूध को निकाल देते हैं. इससे शिशु को दर्द होता है और वह रोता है. किसी व्यक्ति को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़े तो कहते हैं कि फलाने को छठी का दूध याद आ गया.
- छठी की तेरईं हो गई.ख़ुशी अचानक मातम में बदल गई. (ईद मुहर्रम हो गई).
- छठी के राजा.जो छठी के दिन ही राजा बन गए. (जैसे किसी बड़े नेता या राजा का बेटा). इंग्लिश में कहते हैं – born with silver spoon in mouth.
- छड़ी चौदहवाँ रत्न है.डंडा बड़ी अनमोल चीज़ है. डंडे के डर से ही सब काम करते हैं.
- छत्तीस प्रकार के व्यंजन में बहत्तर प्रकार के रोग.अधिक खाने और गरिष्ट भोजन खाने वालों को सावधान किया गया है कि ऐसे भोजन से तरह तरह के रोग होते हैं.
- छत्रपती, घटे पाप बढ़े रती.बच्चों को छींक आने पर बोलते हैं. (रति का अर्थ प्रेम से है)
- छत्री का शोहदा, कायस्थ का बोदा, बामन का बैल, बनिया का ऊत.क्षत्रिय का बेटा अगर लफंगा हो, कायस्थ का अनपढ़, ब्राह्मण का मूर्ख और बनिए का बेटा ऊत हो तो ये किसी काम के नहीं होते.
- छत्री के छै बुधी, बामन के बारह, अहीर के एके बुधी, बोला तो मारूंगा.(भोजपुरी कहावत) क्षत्रिय के छः बुद्धि होती हैं और ब्राह्मण की बारह. अहीर की एक ही बुद्धि होती है, बोलोगे तो मारूँगा.
- छदाम का छाज, छह टका गठाई.जब किसी चीज को ठीक कराने (repair) की कीमत वस्तु के मूल्य से अधिक मांगी जा रही हो तो. छाज देखने के लिए परिशिष्ट देखें.
- छप्पन भोग छोड़ कर कूकुर, हड्डी को ही दौड़े.नीच प्रवृत्ति के मनुष्य को घटिया चीजें ही भाती हैं.
- छप्पर पर फ़ूस नहीं, ड्योड़ी में नक्कारा.घर में कुछ नहीं है बाहर बहुत सा दिखावा कर रहे हैं. नक्कारा – नगाड़ा.
- छलनी कहे सूईं से तेरे पेट में छेद.जिस छलनी में खुद बहुत सारे छेद हैं वह सुई से कह रही है कि तेरे पेट में छेद है. जिसमें खुद बहुत सी कमियाँ हों वह दूसरे की छोटी सी कमी का मज़ाक उड़ाए तो.
- छांड़ शतरंज, जा में रंज बड़ो भारी है.रंज – दुख. शतरंज के खेल में समय बहुत नष्ट होता है और व्यायाम भी बिल्कुल नहीं होता, इसलिए इसको नहीं खेलना चाहिए.
- छाछ भी दे और पाँव भी लगे.गाँव में जिन के पास अधिक गाय भैसें हों वे दही में से माखन निकाल कर छाछ बाँट दिया करते थे, पर वे छाछ लेने वाले गाँव के बुजुर्गों का पूरा आदर भी करते थे.
- छाछ मांगन जाए और मलैया लुकाए. माँगना मजबूरी है पर मांगने में शर्म भी आ रही है. लुकाए – छिपाए.
- छाजा जी का छाज करे, राजा जी का राज करे.एक बाप के दो बेटे थे छाजा और राजा. छाजा के वंशज छाज बनाते हैं और राजा के वंशज राज करते हैं. (छाज बनाने वाले अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए ऐसा बताते हैं).
- छाती पर आम गिरा, कोई मुंह में डाल दे तो खा लूँ.आलसी होने की पराकाष्ठा.
- छाती पे बाल नहीं, भालू से लड़ाई.अपने से बहुत अधिक शक्तिशाली से वैर मोल लेना.
- छिनरा, चोर, जुआरी, इनसे गंगा हारीं.दुश्चरित्र व्यक्ति, चोर और जुआरी. इनके पाप गंगा मैया भी नहीं धो सकतीं.
- छिनाल का बेटा, बबुआ रे बबुआ.चरित्रहीन स्त्री के बच्चे को सब खिलाते हैं.
- छिनाल डायन से भी बीस (डायन से छिनाल बुरी).डायन कितनी भी बुरी क्यों न हो, चरित्रहीन स्त्री उससे भी गई गुजरी होती है.
- छिप के चलें छिपक के काटें, का जानें पर पीरा, जे दुई जात कहाँ से आईं कायथ और खटकीरा.खटकीरा – खटमल. कायस्थ की तुलना खटमल से की गई है जो छिप कर काटता है.
- छिपाओ उमर और कमाई, चाहे पूछे सगा भाई.यह तो सही है कि अपनी वास्तविक कमाई किसी को नहीं बतानी चाहिए (सगे भाई को भी नहीं) लेकिन उमर छिपानी चाहिए इस बात में संशय है, विशेषकर भाई से आप उमर कैसे छिपा सकते हैं.
- छिमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात(का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात). छोटे लोग कोई गलती करें या उद्दंडता करें तो बड़े व्यक्ति का बड़प्पन इसी में है कि उन्हें क्षमा कर दे. इंग्लिश में कहावत है – To err is human, to forgive divine.
- छींकत नहाइए, छींकत खाइए, छींकत रहिए सोए, छींकत पर घर न जाइए, चाहे सुवर्ण का होए.छींकते हुए और सब काम किए जा सकते हैं पर छींक आ जाने पर किसी के घर नहीं जाना चाहिए (चाहे वह सोने का बना हुआ ही क्यों न हो). पहले के लोग छींक आने को अपशगुन मानते थे.
- छींकते की नाक नहीं काटी जाती.किसी छोटी सी गलती के लिए बड़ी सजा नहीं दी जाती (विशेषकर छींक आ जाना तो किसी के वश में भी नहीं है).
- छींकते गए, झींकते आए.किसी काम के लिए जाते समय छींक आ जाए तो काम नहीं होता और झींकते हुए लौटना पड़ता है.
- छींकते ही नाक कटी.किसी छोटी सी गलती से बहुत बड़ा नुकसान हो जाना.
- छींका टूटा और बिल्ली लपकी.दुष्ट लोग मौका देखते ही अपना दाँव लगाते हैं.
- छीकें कोई, नाक कटावे कोई.गलती कोई करे और सजा कोई और भुगते.
- छी-छी गप-गप.किसी खाने की चीज़ को देख कर घिनिया भी रहे हैं और गपा गप खाए भी जा रहे हैं. किसी वस्तु को खराब भी कहना और उसका उपयोग भी करना.
- छुटी घोड़ी भुसौरे खड़ी.घोड़ी छूटते ही भूसे की कोठरी पर जा कर खड़ी हो जाती है.
- छुरी गिरी खरबूजे पर तो खरबूजा हलाल, खरबूजा गिरा छुरी पर तो भी खरबूजा हलाल.शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट है. कहावत के रूप में अर्थ यह है कि कुछ भी होनी या अनहोनी हो नुकसान हमेशा कमज़ोर आदमी का होता है, जबर को कुछ नहीं होता.
- छुरी छड़ी छतरी छलो, सदा राखिए संग. छलो – छल्ला.ये चारों चीजें संकट में काम आती हैं इसलिए साथ रखना चाहिए.
- छूछा कोई न पूछा.गरीब आदमी का आदर-सत्कार कोई नहीं करता.
- छूछी हांडी बजे टना टन.खाली हंडिया पर हाथ मारो तो आवाज करती है. जिसमें ज्ञान न हो वह व्यर्थ की बकवास बहुत करता है.
- छूछे फटके उड़ उड़ जाए.किसी कठिनाई का सामना करने में जो अंदर से खोखला है वह असफल हो जाएगा. जैसे सूप से फटकने पर खोखला अनाज और छिलके उड़ जाते हैं.
- छूटा सो बैल भुसौडी में.इसका शाब्दिक अर्थ है कि कोल्हू में जुता हुआ बैल छूटते ही भूसे की कोठरी की ओर भागता है. तात्पर्य है कि मेहनत मजदूरी करने वाले को भी भूख लगती है, वह कोई मशीन नहीं होता.
- छै चावल और नौ मशक पानी.आजकल के लोगों ने मशक नहीं देखी होगी. यह एक चमड़े की बहुत बड़ी थैली होती थी जिसमे पानी भर के भिश्ती (पानी भरने वाले) लोग कमर से बाँध के ले जाते थे. कहावत का अर्थ है छोटे से काम में बहुत लागत लगाना.
- छोकरा दिखाय के डोकरा ब्याह दियो.धोखे का काम. शादी के लिए जवान लड़का दिखाया और शादी बुड्ढे से कर दी.
- छोटा मुँह, बड़ा निवाला.कोई छोटा आदमी बड़ा काम करने की कोशिश करे तो. 2. कोई अदना सा कर्मचारी बड़ी रिश्वत मांगे तो.
- छोटा मुंह और ऐंठा कान, यही बैल की है पहचान.अच्छे बैल के लक्षण हैं कि उसका मुंह छोटा और कान मुड़े हुए होते हैं.
- छोटा सबसे खोटा (छोटा उतना ही खोटा).एक आम विश्वास है कि नाटा आदमी दुष्ट होता है.
- छोटा सा छेद जहाज डुबावे.एक छोटी सी गलती बहुत बड़े काम को बिगाड़ सकती है.
- छोटी भेंट दोनों घर लजाए.भेंट अगर अवसर और मर्यादा के अनुकूल न हो तो देने वाला और लेने वाला दोनों लज्जित होते हैं.
- छोटी मछली उछले कूदे, बड़ी जाल में फंसे (छोटी मछली उछले कूदे, रोहू पकड़ी जाय).किसी तालाब में मछलियाँ होने की सूचना छोटी मछलियों की उछल कूद से मिलती है, पर जाल डाला जाता है तो फंसती हैं बड़ी मछलियाँ.
- छोटी मोटी कामिनी, सब ही विष की बेल, बैरी मारे दांव से, यह मारे हँस खेल.स्त्रियों को ले कर किसी दिलजले द्वारा कही हुई कहावत. औरत चाहे छोटी हो या मोटी, सब विष की बेल होती हैं. दुश्मन तो आपको दाँव से मारता है पर ये हँस खेल के मारती हैं.
- छोटी सी गौरैया, बाघन से नज़ारा मारे.नज़ारा मारे – मुकाबला करे, बाघन से – बाघों से. कोई बहुत छोटा आदमी बड़े आदमी से दुश्मनी मोल ले तो.
- छोटी सी बछिया, बड़ी सी हत्या.पुराने जमाने में किसी हिन्दू के हाथों धोखे से भी गाय की हत्या हो जाए तो समाज बहुत बड़ा दंड देता था, (बछिया की हत्या हो जाए तो भी). छोटा अपराध करने में अगर बहुत बड़ी सजा मिले.
- छोटी हो या बड़ी, मिर्च तो तीखी ही होती है.कहावत के द्वारा स्त्री जाति पर व्यंग्य किया गया है.
- छोटे बिगड़ें, देख बड़ों को.बड़े लोगों को कोई गलत काम करने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे बड़ों को करते देखते हैं.
- छोटे मुँह बड़ी बात.कोई छोटा बच्चा या छोटा आदमी बड़ों जैसी बात कहे तो. अपनी विनम्रता दिखाने के लिए भी लोग इस तरह बोलते हैं कि साहब! छोटे मुँह बड़ी बात कह रहा हूँ.
- छोटे सींग औ छोटी पूंछ, ऐसा बरधा लो बेपूछ.बरधा – बैल. अच्छे बैल की पहचान बताई गई है.
- छोटो बरतन छन में छलके.छन – क्षण. जिस प्रकार छोटे बर्तन में थोड़ा भी पानी हो तो छलकने लगता है उसी प्रकार छोटे व्यक्ति के पास थोड़ा धन आ जाए तो वह बहुत दिखावा करने लगता है.
- छोड़ चले बंजारे की सी आग.बंजारे कुछ समय एक स्थान पर रह कर फिर दूसरे स्थान के लिए चले जाते हैं. जाते समय वे कुछ टूटी फूटी वस्तुएँ और कहीं कहीं जलती हुई आग और राख छोड़ जाते हैं. कोई व्यक्ति कुछ दिन कहीं रुके और फिर कुछ निशानियाँ छोड़ कर चला जाए तो यह कहावत कही जाती है.
- छोड़ जाट, पराई खाट.जाटों से मालूम नहीं लोगों को क्यों दुश्मनी थी, उनका मजाक उड़ाने वाली बहुत सी बेतुकी कहावतें बनाई गई हैं. जाट से कहा जा रहा है कि दूसरे की चीज़ पर कब्ज़ा छोड़ दे.
- छोड़ झाड़, मुझे डूबन दे.एक महिला तालाब में डूब कर जान देने का नाटक कर रही है. वहाँ कुछ लोग उसे बचाने आ जाते हैं, तो उन्हें यह दिखा रही है कि वह झाड़ में अटक गई है और झाड़ से कहती है झाड़ मुझे छोड़ दे, मुझे डूबने दे. नाटकबाज लोगों के लिए.
- छोड़े खाद जोत गहराई, फिर खेती का मज़ा दिखाई.खेत को गहरा जोत कर उस में खाद डालनी चाहिए तभी खेती का मजा आता है.
- छोड़े गाँव से नाता क्या.जो जगह छूट गई उससे मोह नहीं करना चाहिए.
छ
20
Feb