Uncategorized

  1. रंक रीझे तो रो दे.गरीब बेचारा किसी बात पर बहुत खुश भी होता है तो केवल रो ही सकता है. 
  2. रंग कौए कानाम महताब कुंवर.रूप के विपरीत नाम (रंग एकदम काला है और नाम है चाँद).
  3. रंग फूल का तीन दिनांफिर बदरंग.फूल का रंग केवल तीन दिन स्थिर रहता है. मनुष्य का यौवन और जीवन भी इसी प्रकार क्षणभंगुर है.
  4. रंग में भंग.जहाँ कोई आनंद दायक कार्य चल रहा हो वहाँ यदि अचानक कोई विघ्न बाधा उपस्थित हो जाए तो यह कहावत कही जाती है. 
  5. रंग लाती है हिना पत्थर पे घिसने के बाद.मेहँदी पत्थर पर घिसने के बाद ही रंग लाती है. संघर्षों के बाद ही आदमी निखरता है.
  6. रंडियों की खरची और वकीलों का खरचा पेशगी ही दिया जाता है.वेश्याएं और वकील अपनी फीस पहले ही ले लेते हैं क्योंकि बाद में लोग मुकर जाते हैं.
  7. रंडी मांगे रूपयाले ले मेरी मैयाफक्कड़ मांगे पैसाआगे बढ़ो भैया.वैश्या रुपये (अधिक धन) मांगती है तो ख़ुशी से दे देते हैं और भिखारी पैसा (छोटी सी राशि) मांगता है तो उसे टरका देते हैं.
  8. रंडुआ गया सगाई कोखुद को लाभ या भाई को.विधुर आदमी (विशेषकर अधिक आयु का विधुर) शादी कर रहा है. इसका लाभ उसे अधिक होगा या उसके छोटे भाई को? बात सामाजिक मर्यादा के विरुद्ध है लेकिन कहावत में यह सीख दी गई है कि अधिक आयु के व्यक्ति को कम आयु की कन्या की मजबूरी का फायदा उठा कर उस से विवाह नहीं करना चाहिए.  
  9. रख पतरखा पत.अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल व्यवहार करोगे तभी लोग सम्मान करेंगे.
  10. रघुकुल रीत सदा चलि आईप्राण जाई पर वचन न जाई.दशरथ जी ने कैकेयी को दिया वचन निभाने में अपने प्राण त्याग दिए क्योंकि वचन को निभाना उन के कुल की रीत थी (उनके पूर्वज महान राजा रघु के कारण उनके कुल को रघुकुल कहा गया है). जो लोग अपने कहे पर अडिग रहते हैं वे यह कहावत बोलते हैं.
  11. रटंत विद्या, खोदन्त पानी.रटते रटते विद्या आती है और खोदते खोदते भूमि में से पानी निकल आता है. लगातार चेष्टा करने से ही सफलता मिलती है.
  12. रत्तियों जोड़े तोलों खोवेबाको लाभ कहाँ से होवे.जो व्यक्ति जोड़े तो बहुत कम और गंवाए बहुत ज्यादा , उसे लाभ कहाँ से हो जाएगा. 1 तोला = 96 रत्ती.
  13. रत्ती भर सगाई न गाड़ी भर आशनाई (राई भर नाता न पेटहा भर प्रीत).बहुत थोड़ा प्रेम भी नहीं और बहुत सारा प्रेम भी नहीं. आपसी रिश्तों में संतुलित व्यवहार करना चाहिए. 
  14. रत्ती रत्ती साधे तो द्वारे हाथी होयरत्ती रत्ती खोवे तो द्वारे बैठा रोय.छोटी छोटी बचत कर के बहुत बड़ी राशि इकट्ठी की जा सकती है और छोटी छोटी रकम गंवा कर कोई रईस आदमी भी कंगाल बन सकता है. इंग्लिश में कहते हैं – Little gains make a heavy purse. 
  15. रन जीता जाए, जन नहीं जीता जाए.आततायी राजा युद्ध जीत सकता है पर जनता का मन नहीं जीत सकता.
  16. रमता जोगी बहता पानी.घूमता हुआ योगी बहते पानी के समान निर्मल रहता है. जैसे ठहरा पानी गंदा हो जाता है वैसे ही योगी कहीं ठहर जाए तो उसके पतित होने की सम्भावना हो जाती है.
  17. रवि नहिं लखियत बारि मसाल.सूर्य को देखने के लिए मशाल नहीं जलानी पड़ती. महापुरुषों की महानता किसी परिचय या प्रशंसा की मोहताज नहीं होती.
  18. रवि हू की इक दिवस में तीन अवस्था होए.कोई कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो, उतार चढ़ाव सभी के जीवन में होते हैं. सब को प्रकाश देने वाले सर्वशक्तिमान सूर्य को भी एक ही दिन में तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है.
  19. रस में विषसुरजन में दुरजन.अच्छे लोगों के बीच कोई बुरा आदमी. भले लोगों के परिवार में जन्मा कोई नीच व्यक्ति.
  20. रसोई का वामनकसाई का कूकुर.रसोई बनाने वाले ब्राह्मण और कसाई के कुत्ते को मुफ्त माल खूब खाने को मिलता है.
  21. रस्सी जल गयी ऐंठ न गयी.रस्सी के दो हिस्से होते हैं जिन्हें बट के रस्सी बनाई जाती है. रस्सी के बट को उसकी ऐंठ कहते हैं. यदि रस्सी को जला दिया जाए तो भी उसकी ऐंठ वैसी ही बनी रहती है. यह कहावत उन अहंकारी लोगों के लिए कही जाती है जो धन व पद न रहने पर भी अहंकार (ऐंठ) नहीं छोड़ते. 
  22. रहट की हंडिया भरी आए और खाली जाए.रहट की गति भी इस संसार के चक्र के समान है.
  23. रहट के बारह मासइन्दर की दो घड़ी.रहट जितना पानी बारह महीने में नहीं निकाल पाता, इंद्र देवता उससे अधिक पानी दो घड़ी में बरसा देते हैं. रहट उस यंत्र को कहते हैं जिसकी सहायता से कुएं से सिंचाई के लिए पानी निकाला जाता था. रहट देखने के लिए परिशिष्ट देखिये. 
  24. रहना है तो कहना नहींकहना है तो रहना नहीं.अगर तुम्हें शक्तिशाली और दबंग लोगों के बीच रहना है तो कुछ कहना नहीं है (किसी बात पर कोई आपत्ति नहीं करनी है), और अगर कुछ कहोगे तो तुम्हें यहाँ रहने नहीं दिया जाएगा.
  25. रहम दिली बड़ाई की निशानी है.दूसरों पर दया करना और दूसरों की सहायता करना ये बड़प्पन की निशानी है.
  26. रहिमन अँसुआ नैन ढरिजिय दुख प्रगट करेइजाहि निकारो गेह तेकस न भेद कहि देइ.रावण ने विभीषण को घर से निकाला तो उस ने लंका के सारे भेद श्री राम को जा कर बता दिए. इसी प्रकार आंसू भी आँख से निकाले जाते हैं तो हृदय का भेद (दुःख) सब पर प्रकट कर देते हैं.
  27. रहिमन ओछे नरन सों बैर भला न प्रीतकाटे चाटे स्वान के दोहु भांत विपरीत.ओछी प्रकृति के व्यक्ति से प्रेम भी नहीं करना चाहिए और दुश्मनी भी नहीं. कुत्ते से दुश्मनी करोगे तो आपको काट लेगा, प्यार जताओगे तो आप का मुँह चाट लेगा.
  28. रहिमन छोटे नरन सों बड़ो बनत नहीं काम.बहुत सारे छोटे लोग मिल कर भी कोई बड़ा काम नहीं कर सकते.
  29. रहिमन जिह्वा बावरीकहि गइ सरग पतालआपु तो कहि भीतर रहीजूती खात कपाल.जीभ कुछ भी बोल कर चुपचाप मुँह के अंदर चली जाती है और सर उसके बदले में जूते खाता है.
  30. रहिमन देखि बड़ेन कोलघु न दीजिए डारिजहाँ काम आवे सुईकहा करे तलवारि.कितने भी बड़े लोगों से आपके सम्बन्ध क्यों न हों, छोटे लोगों का अनादर और उपेक्षा नहीं करना चाहिए. जो काम सुई करती है तलवार नहीं कर सकती. 
  31. रहिमन धागा प्रेम कामत तोड़ो चटकायटूटे से फिर ना जुड़ेजुड़े गाँठ परि जाय.आवेश में आ कर किसी के साथ सम्बन्ध तोड़ना नहीं चाहिए. जिस प्रकार धागा टूटने के बाद जोड़ा जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है, उसी प्रकार सम्बन्ध टूटने के बाद जोड़ा जाए तो उसमें भी गाँठ पड़ जाती है.
  32. रहिमन निज मन की बिथामन ही राखो गोयसुनि अठिलैहैं लोग सबबाँटि न लैहैं कोय.अपने मन की व्यथा को अपने तक सीमित रखना चाहिए दूसरों से नहीं कहना चाहिए. दूसरे लोग सुन कर हंसते हैं, कोई आपका दुःख नहीं बांटता.
  33. रहिमन नीचन संग बसिलगत कलंक न काहिदूध कलारी कर गहेमद समुझै सब ताहि.नीच लोगों के संग रहने से कलंक लगने का खतरा रहता है. शराब बेचने वाली स्त्री अगर दूध का गिलास भी पकड़े हो तो सब उसे शराब ही समझते हैं. (कलारी – शराब बेचने वाली).
  34. रहिमन पानी राखिएबिन पानी सब सून.बिना स्वाभिमान के मनुष्य बेकार है.
  35. रहिमन बहु भेषज करतब्‍याधि न छाँड़त साथखग मृग बसत अरोग बनहरि अनाथ के नाथ.मनुष्य बीमार होने पर तरह तरह की दवाएं करता है लेकिन बीमारी ठीक नहीं होती, जबकि पशु पक्षी वन में निरोग रहते हैं (क्योंकि प्रभु उन सब के रक्षक हैं जिन का कोई नहीं है).
  36. रहिमन बिपदाहू भलीजो थोरे दिन होयहित अनहित या जगत मेंजानि परत सब कोय.विपत्ति यदि थोड़े दिन की हो तो उस से एक लाभ भी होता है. यह पता चल जाता है कि मुसीबत में कौन हमारा साथ देने वाला है.
  37. रहिमन मोहिं न सुहाए, अमिय पियावत मान बिनु, जो विष देत बुलाय, मान सहित मरिवो भलो.अपमान सह कर अमृत पीने के मुकाबले सम्मान सहित विष पीना बेहतर है.
  38. रहिमन या संसार मेंसब सौं मिलिये धाइना जानैं केहि रूप मेंनारायण मिलि जाइ.इस संसार में सब से आदर पूर्वक मिलना चाहिए (सबका सम्मान करना चाहिए). क्या मालूम प्रभु कौन सा रूप धर कर हमारी परीक्षा ले लें.
  39. रहिमन वे नर मर चुके जे कहुं मांगन जाएंउनते पहले वे मुए जिन मुख निकसत नाहिं.किसी से मांगना बहुत निकृष्ट कार्य है लेकिन मांगने वाले को मना करना उस से भी निकृष्ट है.
  40. रहिमनयह तन सूप है, लीजे जगत पछोर, हलुकन को उड़ि जान दे, गरुए राखि बटोर. यह शरीर सूप के समान है जिससे दुनिया को पछोर लेना (फटक लेना) चाहिए. जो हल्का अर्थात सारहीन हो, उसे उड़ जाने दो, और जो भारी अर्थात् सारमय हो, उसे रख लो.
  41. रहे के ठेकान ना पंड़ाइन मांगस डेरा.भोजपुरी कहावत. अपने रहने का ठिकाना नहीं है और पंडितानी घर में रहने को कह रही हैं.
  42. रहे निरोगी जो कम खायबिगरे काम न जो गम खाय.जो कम खाते हैं वे जल्दी बीमार नहीं पड़ते. जो संतोष करना नहीं जानते उनके काम बिगड़ जाते हैं. 
  43. रहे बजावत दुंदुभीदसकंधर के द्वार, कलजुग में वो ही भएजात बंस भुमिहार.भूमिहार – मुख्यत: बिहार में बसने वाली ब्राह्मणों की एक उपजाति, दसकंधर – रावण. भूमिहारों से द्वेष रखने वाले लोगों का कथन है कि ये लोग रावण के द्वार पर दुंदुभी बजाने वालों के वंशज हैं.
  44. रहै का कोरियाने भूँके का चमराने.ऐसा कुत्ता जो रहता और खाता कोरी के घर है और पहरेदारी चमार की करता है. कृतघ्न लोगों के लिए कही जाने वाली कहावत. कोरियाना – बुनकरों की बस्ती. चमराना – चमारों का गाँव.
  45. राँड़ मांड ही में मगन.मांड – उबले हुए चावल को छानने के बाद बचने वाला स्टार्च युक्त पानी. गरीब और वंचित व्यक्ति थोड़े में ही खुश हो जाता है.
  46. रांघड़ गूजर दो, कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो.रांघड़ – मुस्लिम राजपूतों की एक जाति, गूजर – कुछ संपन्न और कुछ खानाबदोश जाति के लोग. रांघड़ और गूजरों पर अक्सर चोरियां करने का इल्जाम लगाया जाता है. कहावत में भी यही कहा गया है कि ये दोनों न हों और कुत्ते बिल्लियाँ न हों तो आप किवाड़ खोल कर भी सो सकते हैं.
  47. रांड और खांड का जोवन रात को.दुश्चरित्र स्त्री और मिठाई रात में अपने यौवन पर आती हैं.
  48. रांड का रोना और पुरबा का बहना व्यर्थ नहीं जाते.यदि पुरबा हवा बहे तो वर्षा अवश्य होती है और विधवा स्त्री विलाप करे (दुखी हो कर श्राप दे) तो अमंगल अवश्य होता है).
  49. रांड के रोने में भी बान.विधवा स्त्री विलाप करती है तो भी कुल की मर्यादा का ध्यान रखती है.
  50. रांड रंडापा तब काटेजब रंडुए काटन देंय.कोई युवा विधवा स्त्री मर्यादा के भीतर रह कर संयम के साथ अपने वैधव्य के दिन काट रही है लेकिन आस पड़ोस के मनचले कुंवारे लड़के उसके आस पास मंडराते रहते हैं और उसको उकसाते रहते हैं. कोई डायबिटीज़ का मरीज़ बेचारा परहेज़ करना चाहता है लेकिन और लोग उससे जिद करते रहते हैं कि यह खा लो वह खा लो.
  51. रांड रोवे मांग खातिर, निपूती रोवे कोख खातिर.विधवा स्त्री सुहाग के लिए तरसती है और निस्संतान स्त्री संतान के लिए.
  52. रांड रोवेकुँवारी रोवेसाथ लगी सतखसमी रोवे.विधवा स्त्री अपने कष्टों के कारण रो रही है, साथ में कुँवारी भी मन में डर के कारण रो रही है लेकिन ये सात पतियों वाली क्यों रो रही है.
  53. रांड सांड और नकटा भैंसाये बिगड़ें तो होवे कैसा.सांड को बहुत दिनों तक गाय से सम्पर्क न कराया जाय तो वह उन्मत्त और हिंसक हो जाता है. इसी प्रकार भैसे को जब भैंसा गाड़ी में जोतते हैं तो यदि उसको नाथने वाली रस्सी से उसकी नाक कट जाए तो वह बिगड़ जाता है. कहावत को हिंसक प्रवृत्ति के पुरुषों के लिए भी प्रयोग करते हैं.
  54. रांडभांड और सांड बिगड़े बुरे.ये तीनों यदि बिगड़ जाएं तो बहुत विकट हो जाते हैं.
  55. रांडसांडसीढ़ीसन्यासीइनसे बचे तो देखे काशी.काशी में बहुत सी विधवा स्त्रियाँ स्थान स्थान से आ कर रहती हैं और आम तौर पर भिक्षा मांग कर गुजारा करती हैं, वहाँ की तंग गलियों में सांड भी खूब घूमते हैं, काशी के घाटों की सीढ़ियाँ खतरनाक रूप से टूटी फूटी और फिसलन भरी हैं जिनसे आसानी से कोई दुर्घटना का शिकार हो सकता है और काशी में सन्यासी भी बहुत हैं जिनमें से अधिकतर भिक्षा मांगते हैं. इन सब से बचे तो काशी घूमे.
  56. राई घटे न तिल बढ़ेबेमाता का लेख.(बेमाता – विधाता). विधाता के लिखे को कोई थोड़ा सा भी नहीं बदल सकता.
  57. राई सों परवत करे परवत राई माहिं.ईश्वर सर्वशक्तिमान है, वह राई को पर्वत और पर्वत को राई बना सकता है.
  58. राख से आग नहीं छिपती.किसी ज्वलंत समस्या को ऊपर से ढंकने की कोशिश करो तो भी वह छिपती नहीं है.
  59. राखन हार भए भुज चारतो क्या बिगड़े दो भुज के बिगाड़े.चतुर्भुज भगवान जिस की रक्षा करने वाले हों उसका दो भुजाओं वाला मनुष्य क्या बिगाड़ सकता है.
  60. राखो लाख कपूर में हींग न होय सुगंध.हींग को कपूर में कितना भी रख लो उसमें सुगंध नहीं आ सकती. दुष्ट व्यक्ति लाख प्रयत्न करने पर भी नहीं सुधर सकता.
  61. राग ताल का नाम न जाने दोऊ हाथ मजीरा.कुछ भी ज्ञान न होते हुए भी दिखावा करना.
  62. राग, रसायन, नृत्य शास्त्र, नटबाजी, वैद्यंग; अश्वारोहण, व्याकरण ज्ञान, जाने ज्योतिष अंग; धनुष वाण, रथ हांकना, चितचोरी, ब्रह्मज्ञान; जल तैरना घीरज वचन चौदह विद्या निधान.जो मनुष्य इन चौदह विद्याओं में निष्णात हो वह पुरुषोत्तम माना जाता है.
  63. रागरसोईपागड़ीकभी कभी बन पाए.गाने वाला कितना भी कुशल हो राग कभी कभी ही बहुत अच्छा निकल पाता है. इसी प्रकार रसोई कभी कभी ही अच्छी बनती है और पगड़ी कभी कभी ही बहुत अच्छी बंध पाती है.
  64. राज का राज मेंब्याज का ब्याज मेंनाज का नाज में.राजा जितना धन इकट्ठा करता है वह सब राजकाज में लग जाता है, सूदखोर जितना ब्याज से कमाता है वह फिर से ब्याज पर चढ़ा देता है और किसान जितना खेती से कमाता है वह सब फिर खेती में लग जाता है.
  65. राज सफल तब जानिएप्रजा सुखी जब होय.कोई भी राज तभी सफल माना जाता है जब प्रजा सुखी हो.
  66. राज हंस बिन को करेनीर छीर को दोय.राज हंस ही दूध और पानी को अलग कर सकता है. विवेकी व्यक्ति ही गलत सही का उचित मूल्यांकन कर सकता है.
  67. राजपूत की तलवार से न मरे वो कायस्थ की कलम से मर जाए.कायस्थ लोग (कचहरी में पहले अधिकतर कायस्थ लोग ही होते थे) कानून के जाल में उलझा कर किसी का भी जीना दूभर कर सकते हैं.
  68. राजा का ओढ़नाधोबी का बिछौना.किसी व्यक्ति के लिए मूल्यवान कोई वस्तु दूसरे के लिए साधारण वस्तु हो सकती है. राजा जिस ओढ़ने को संभाल कर ओढ़ता है धोबी जब उसे धोने ले जाता है तो उसे बेकद्री से बिछा लेता है. (सासू का ओढ़ना, बहू का नकपोंछना).
  69. राजा का दानप्रजा का स्नान.1प्राचीन काल में अच्छे राजा प्रजा के हित के लिए कुँए तालाब आदि खुदवाते थे. राजा का थोड़ा सा दान भी प्रजा के लिए बहुत साबित होता है.
  70. राजा का धन तीन खाएँ: घोड़ारोड़ा और दंत निपोड़ा.घोड़ा – फ़ौज, रोड़ा – ईंट, पत्थर, बिल्डिंग (महल, किले आदि) और दंत निपोड़ा – दांत निपोरने वाला,चापलूस. इन्हीं तीनों पर राजा धन लुटाता है.
  71. राजा का परचाना और सांप का खिलाना बराबर है.परचाना – परिचय. राजा से घनिष्ठता बढ़ाना खतरनाक हो सकता है (राजा नाराज हो गया तो सीधे प्राणदण्ड ही देगा).
  72. राजा की कुतिया को कुतिया जी कहना पड़ता है.(बुन्देलखंडी कहावत) अर्थ स्पष्ट है. राजा से संबंधित हर चीज का जबरदस्ती आदर करना पड़ता है.
  73. राजा की बेटी से मंगते का ब्याह.भाग्य से कुछ भी हो सकता है.
  74. राजा की सभा नरक को जाए.राजा की सभा में अधिकतर लोग चाटुकार होते हैं जो अन्याय का विरोध न कर के केवल राजा की हाँ में हाँ मिलाते हैं. इसलिए ये सभी लोग नरक के भागी होते हैं.
  75. राजा के घर मोतियों का अकालजिस चीज़ की बहुतायत होनी चाहिए उस की कमी हो तो.
  76. राजा के नौकर महाराज.राजा के नौकर अपने को राजा से बढ़ कर समझते हैं.
  77. राजा को दूसरोअरंड को मूसरो और बकरिया को तीसरो, ये कमजोर रहते हैं.राजा अपना राज्य और सारे अधिकार बड़े बेटे को देता है इसलिए दूसरा बेटा कमजोर रहता है, अरंड की लकड़ी कमजोर होती है इसलिए उस का डंडा मजबूत नहीं होता और बकरी के दो थन होते हैं लिहाजा तीसरे बच्चे को दूध नहीं मिल पाता, इसलिए वह कमज़ोर रहता है.
  78. राजा छुए और रानी होय.जिस पर राजा की कृपादृष्टि हो जाए उस की मौज है.
  79. राजा नल पर बिपत परीभूनी मछली जल में परी.जब व्यक्ति पर विपत्ति आती है तो कुछ भी अनर्थ हो सकता है. राजा नल पर विपत्ति पड़ी तो भूनी हुई मछली वापस जल में कूद गई.
  80. राजा बांधे दल, बैद बांधे मल.राजा लोगों के दल को बाँध कर (संगठित कर के) सेना का गठन करता है और वैद्य दवाओं द्वारा मल को बाँध कर दस्तों को रोकने का काम करता है.
  81. राजा बुलावे, ठाड़े आवे.राजा के बुलाने पर हर आदमी को दौड़ कर आना पड़ता है.
  82. राजा माने सो रानीऔर भरें सब पानी.राजा के रनिवास में अनेक रानियाँ होती हैं. जो राजा को सबसे प्रिय हो वही महारानी बनती है, और सब को उस की गुलामी करनी पड़ती है. इसी प्रकार कोसो भी महकमे में जिस पर बड़े हाकिम मेहरबान हो उसी कर्मचारी की मौज है.
  83. राजा रूठेगा (रूसेगा) तो अपनी नगरी लेगाकिसी का भाग तो नहीं लेगा.राजा रूठेगा तो हद से हद अपने देश से निकाल देगा किसी का भाग्य तो नहीं ले लेगा.
  84. राजायोगीअग्निजल इनकी उलटी रीतिडरते रहियो परसुराम थोड़ी राखें प्रीति.परसुराम नाम के कोई सयाने व्यक्ति हैं जो यह बता रहे हैं कि राजा, योगी, अग्नि और जल ये किसी से अधिक प्रीति नहीं रखते (कभी भी अत्यधिक नुकसान पहुँचा सकते हैं), इसलिए इन से डर कर रहना चाहिए.
  85. राजी से सब कोउ नवे, जबरन नवे न कोय.आपसी सहमति और प्रेम से सब का विश्वास जीता जा सकता है, जबरदस्ती से नहीं. इंग्लिश में कहावत है – Respct is earned, not commanded.
  86. राड़ में जाए न रण में जूझे, अपनी कहे न पराई बूझे.दूसरों से कोई सरोकार न रखने वाला व्यक्ति.
  87. राड़ से बाड़ भली (रार से दीवार भली).घर में रोज रोज के झगड़े के मुकाबले दीवार खींच कर घर अलग कर लेना अधिक अच्छा है.राड़ – झगड़ा, बाड़ – दीवार.
  88. रात की कमाई, पड़ी पाई.रात तो सोने में  ही नष्ट हो जाती है इसलिए रात में यदि कोई लाभदायक काम कर लिया तो यह समझो जैसे कोई चीज पड़ी मिल गई.
  89. रात की नीयत हराम.रात में अनैतिक काम और अपराध अधिक होते हैं इसलिए ऐसा कहा गया है.
  90. रात को झाड़ू देनी मनहूस है.पुराने लोग कहते हैं कि रात को झाडू नहीं देनी चाहिए, इससे लक्ष्मी घर से चली जाती है. इस प्रकार की पुरानी बातों के पीछे अक्सर कोई तर्क छिपा होता है. दिए की मद्धिम रोशनी में ईंटों के फर्श पर झाड़ू लगाने में इस बात का खतरा था कि यदि कोई बहुमूल्य वस्तु जमीन पर गिर गई होगी तो दिखाई नहीं देगी और कूड़े के साथ चली जाएगी.
  91. रात गंवाई सोय केदिवस गंवाया खाय, हीरा जन्म अमोल साकौड़ी बदले जाय.कबीर दास जी कहते हैं कि रात सो कर गँवा दी और दिन खाते खाते गँवा दिया. जो ये अनमोल जीवन मिला है वो कोड़ियों में जा रहा है.
  92. रात गई बात गई.रात में जो भी कोई अप्रिय घटना, मनमुटाव, क्लेश इत्यादि हुआ हो उसको रात बीतने के साथ भुला दो. नए दिन को नई सोच के साथ आरंभ करो.
  93. रात थोड़ी कहानी बड़ी.समय कम है काम बहुत है.
  94. रात भर गाई बजाईलड़के के नूनी ही नहीं.नूनी – लिंग. लड़का पैदा होने की ख़ुशी में रात भर गा बजा लिए, सुबह देखा कि लड़का तो शिखंडी है. एक जमाने में समाज का यह नियम था कि जिन बच्चों का लिंग निर्धारण न हो पा रहा हो (कि वह लड़का है या लड़की) उसको परिवार के लोग नहीं रख सकते थे. उसको हिजड़ों को सौंपना होता था. कहावत का अर्थ है कि कोई काम ठीक से पूरा हुआ या नहीं यह जाने बिना बहुत जल्दी खुश नहीं होना चाहिए. 
  95. रात भर मिमियाईएको न ब्याही.शोर बहुत मचाया, काम कुछ नहीं किया. बकरी रात भर में में करती रही और एक बच्चा भी नहीं ब्याहा.
  96. रात भरे दिन रीतेइन पेटन ने जग जीते. रात को भर पेट खाना मिल भी जाए तो दिन में फिर पेट खाली हो जाता हैपेट भरने के लिए व्यक्ति को निरंतर प्रयास करना पड़ता है.
  97. रात में बोलै कागलादिन में बोलै स्‍याल, तो यूँ भाखै भड्‌डरीनिशचै पड़े अकाल.भड्डरी कवि कहते हैं किरात में कौआ बोले और दिन में सियार बोले तो अकाल पड़ना निश्चित है. भाखे – बोले.
  98. रातों रोई एक न मरा.बहुत कोसा पर किसी का कुछ नहीं बिगड़ा.
  99. राधे राधे रटत हैं आक ढाक अरु कैरतुलसी या ब्रजभूमि में कहा राम से बैर.ब्रजभूमि में पेड़ पौधे तक राधे राधे रटते हैं. तुलसी को इस बात का आश्चर्य है कि यहाँ राम का नाम कोई नहीं लेता. तुलसी दास चाहते थे कि सभी हिन्दू लोग भगवान राम से प्रेरणा ले कर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करें. उन्होंने वृन्दावन में भगवान कृष्ण की मूर्ति देख कर कहा था – कहा कहूँ छवि आप की भले बने हो नाथ, तुलसी मस्तक जब नवे, धनुष वान लेउ हाथ.
  100. रानी को कानी कौन कहे.जो सामर्थ्यवान है (विशेषकर जो आपको नुकसान पहुंचा सकता है) उसकी बुराई कोई नहीं कर सकता.
  101. रानी को कौन कहे आगा ढक.जो शक्तिशाली है उसे नसीहत देने में खतरा है.
  102. रानी को राना प्याराकानी को काना प्यारा.सभी स्त्रियों को अपना पति प्यारा होता है (वह कैसा भी हो).
  103. रानी गईं हाटलाईं रीझ कर चक्की का पाट.रानी बाज़ार गईं तो लोग सोच रहे थे कि कोई बड़ी नायाब चीज़ लाएंगी, पर वह चक्की का पाट ले कर आयीं. बड़ा आदमी कोई छोटा और तुच्छ काम करे तो.
  104. रानी जी जब तक सिंगार करेंगीतब तक राजा जी सो जाएंगे.राजा को रिझाने के लिए रानी श्रृंगार ही करती रहीं और राजा जी सो गए. किसी काम में इतनी देर लगा देना कि उस का लाभ ही न रहे.
  105. रानी जी राग गावें तो सौ जनी सिर हिलावें.रानी कोई भी काम करें तो उसकी तारीफ़ करनी पड़ती है.
  106. रानी दीवानी हुईंऔरों को पत्थरअपनों को लड्डू मारें.बनावटी पागल. कोई स्त्री पागल होने का नाटक कर रही है, औरों को तो पत्थर मार रही है और अपने लोगों पर लड्डू फेंक रही है.
  107. रानी रूठेंगी अपना सुहाग लेंगीकोई भाग तो न लेंगी.राजा रानी किसी स्त्री से उसका धन, घरबार या पति छीन सकते हैं, उसका भाग्य नहीं छीन सकते. कुछ लोग रानी का अर्थ पार्वती देवी से बताते हैं.
  108. राम कहो आराम मिलेगा.शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के कष्ट राम का नाम लेने से कम महसूस होते हैं. कुछ लोग इसके आगे बोलते हैं – कृष्ण कहो कुछ और मिलेगा.
  109. राम का खाये, रावण का गीत गाये.अर्थ स्पष्ट है. 
  110. राम की भी जय और रावण की भी जय.जो लोग अपने स्वार्थ के लिए अच्छे बुरे सब से मिला कर चलते हैं.
  111. राम के भगत काठ के गुरियादिन भर माला रात के घुसकुरिया.उन पाखंडी साधुओं के लिए जो दिन में माला जपते हैं और रात में घर में घुस कर मौज मनाते हैं.
  112. राम के लिखल रहे वन, और कैकयी के अपयश.(भोजपुरी कहावत) भाग्य से ही सब होता है. राम के भाग्य में वनवास लिखा था और कैकेयी के भाग्य में अपयश.
  113. राम झरोखा बैठ कर सबका मुजरा लेयजैसी जाकी चाकरी वैसा बाको देय.ईश्वर सब कुछ देखता है कि कौन क्या कर रहा है और उसी के अनुसार सब को उसका फल देता है.
  114. राम नाम की लूट हैलूट सके तो लूटअंत काल पछताएगाजब प्राण जाएंगे छूट.राम नाम का खजाना खुला हुआ है, इस जग में रहते हुए जितना लूट सको उतना लूट लो. प्राण छूटने के बाद पछताओगे कि समय रहते यह काम क्यों नहीं किया.
  115. राम नाम के कारने सब धन डारो खोयमूरख जाने खो गया दिन दिन दूना होय.ईश्वर की भक्ति में अपना सब धन लुटा दो. मूर्ख लोग समझते हैं कि उनका धन खो गया, जबकि ज्ञानी लोग जानते हैं कि धन दूना हो रहा है.
  116. राम नाम जपनापराया माल अपना (राम राम जपना), जो लोग धर्म-कर्म और पूजा पाठ का दिखावा तो बहुत करते हैं लेकिन लोगों के साथ धोखाधड़ी और ठगी करते हैं उनके लिए यह कहावत है.
  117. राम नाम में आलसी भोजन में होशियार.भगवान का नाम लेने में आलस आता है पर खाने पीने में सबसे आगे हैं.
  118. राम नाम लड्डूगोपाल नाम घीहर का नाम मिश्रीतू घोल घोल पी.भगवान के नाम में बहुत मिठास है इस को पीने वाला ही जान सकता है.
  119. राम नाम ले सो धक्का पावेचूतड़ हिलावे सो टक्का पावे.आजकल के समय में भगवान का भजन करने वाला तो धक्के खा रहा है और फूहड़ पन से नाचने वाला पैसा कमा रहा है.
  120. राम नाम सत्य है, सत्य बोले मुक्ति है.वैसे तो बिलकुल सामान्य सा कथन है लेकिन क्योंकि अर्थी ले जाते समय इस कथन का उच्चारण बार बार किया जाता है इसलिए लोकभाषा में इस का प्रयोग मृत्यु होने के लिए ही करते हैं. अर्थ यह है कि जीवन में कुछ भी करें, अंतिम सत्य राम का नाम ही है. 
  121. राम बढ़ावे सो बढ़ेबल कर बढ़ा न कोयबल करके रावन बढ़ाछिन में डाला खोय.मनुष्य ईश्वर की कृपा से ही बड़ा बनता है अपने बल से नहीं. जो अपने बल से बड़ा बनने की कोशिश करते हैं वे रावण के समान नष्ट हो जाते हैं.
  122. राम बिन दुख कौन हरेबरखा बिन सागर कौन भरे.भगवान की कृपा न हो तो दुख कैसे धटेगा, वर्षा न हो तो सागर को कौन भरेगा.
  123. राम बिना दुख कौन हरेमाता बिन भोजन कौन धरे.राम के अतिरिक्त दुःख कौन हर सकता है, माँ के अतिरिक्त भोजन कौन करा सकता है.
  124. राम बुलावा भेजियादिया कबीरा रोय, जो सुख साधू संग मेंसो बैकुंठ न होय.जब मृत्यु का समय नजदीक आया तो कबीर दास जी रो पड़े क्यूंकि जो आनंद संतों की संगति में है वह आनंद तो स्वर्ग में भी नहीं होगा.
  125. राम भये जेहि दाहिने, सबै दाहिने ताहि.जिस के सहायक ईश्वर हैं उसके सब सहायक हो जाते हैं.
  126. राम भरोसे जो रहें परवत पर हरियाएंतुलसी बिरवा बाग़ के सींचत हूँ कुम्हलाएँ.बाग़ में लगे पौधे सींचने के बाद भी मुरझा सकते हैं और प्रभु की कृपा पा कर पर्वत पर भी पेड़ लहरा सकते हैं. इस कहावत में यह सीख भी छिपी है कि बच्चों का बहुत लाड़ प्यार कर के उन्हें कोमल नहीं बनाना चाहिए, कुछ आत्म निर्भर और मजबूत भी बनाना चाहिए. 
  127. राम मिलाइ जोड़ी इक अंधा इक कोढ़ी.दो एक से मूर्ख या बेकार लोगों की जोड़ी.
  128. राम राम कहते रहोजब लग घट में प्रानकबहुं तो दीनदयाल के भनक परेगी कान.जब तक शरीर में प्राण है राम का नाम जपते रहो, कभी न कभी तो ईश्वर आपकी प्रार्थना सुनेंगे.
  129. रामजी की चिरईराम जी का खेतखा ले चिरई भर भर पेट.दूसरे के खेत को चिड़ियाँ चुग रही हैं तो हमें कोई चिंता नहीं है.
  130. रामलली के तीन सौरामलाल के तीन. रामलली कोई नर्तकी हैं जिनको देखने तीन सौ लोग आते हैं. रामलाल रामकथा सुनाते हैं जिस में तीन लोग आते हैं. 2. नर्तकी को तीन सौ रूपये मेहनताना मिलता है और कथावाचक को तीन रूपये. जिन्होंने प्रेमचन्द की कहानी ‘रामलीला‘ पढ़ी है वे इस बात को भलीभांति समझ सकेंगे.
  131. रार (राड़) के सर पैर नहीं होते.झगड़े के सर पैर नहीं होते. वह बिना बात के पैदा होता है और बिना बात के बढ़ता है. इंग्लिश में कहावत है – Evil begets evil.
  132. राव न जाने भाव.राजा लोग चीजों के दाम की क्या चिंता करें.
  133. रावन ने जब जनम लियाथीं बीस भुजा दस सीसमात अचम्भे हो रहीकिस मुख में दूँ खीस.1विचित्र समस्या से पाला पड़ना. बहुत सारी समस्याएँ एक साथ आ जाएं तो किससे पहले निबटें?
  134. रास्ता न मालूम हो तो धीरे चलो.जिस काम का पर्याप्त अनुभव न हो उस में जल्दबाजी नहीं करना चाहिए.
  135. राह के पत्थर पे बंदूक का पहरा.मूर्खतापूर्ण कार्य. जो पत्थर रास्ते में पड़ा है, उस पर पहरा देने की क्या जरूरत है.
  136. राह बतावे सो आगे चले.जो रास्ता बताता है उसी से आगे चल कर राह दिखाने को कहा जाता है.
  137. रियासत के बगैर सियासत नहीं होती. राजनीति में पाँव जमाने के लिए धन बल एवं जन बल का होना आवश्यक है. 2. राज्य हथियाने के लिए ही राजनीति की जाती है.
  138. रिश्ता कीजे जानकर और पानी पीजे छानकर.कहीं शादी ब्याह का रिश्ता करना हो तो पहले पूरी छानबीन कर लेनी चाहिए और पानी हमेशा छान कर पीना चाहिए. 
  139. रिश्वत के चार भेद, नज़राना, शुक्राना, मेहनताना और जबराना.रिश्वत चारप्रकार की होती है. होली दीवाली हाकिम को भेंट दे आओ यह नज़राना, काम कराने के बाद अपने मन से कुछ भेंट दे आओ यह शुक्राना, काम कराने के बाद काम के हिसाब से पैसा दो यह मेहनताना और हाकिम या बाबू ये कहे कि तू रिश्वत नहीं देगा तो काम नहीं करूंगा तो यह जबराना. 
  140. रिश्वत लेता पकड़ा गया, रिश्वत दे कर छूट गया.रिश्वत की महिमा न्यारी है. जो रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया हो वह भी रिश्वत ही दे कर छूटता है.
  141. रिस मारे रसायन पैदा होता है.द्वेष और क्रोध को मारने से ही प्रेम भाव पैदा होता है.
  142. रीछ का एक बाल भी बहुत है. पुराना विश्वास है कि रीछ के बाल को तावीज़ में रख कर पहनाने से नज़र नहीं लगती. 2. बड़े लोगों की छोटी सी अनुकम्पा भी गरीब के लिए बहुत माने रखती है. 
  143. रीझे तो निहाल करे खीजे तो पैमाल.यह बात राजा और ईश्वर दोनों के लिए कही जा सकती है कि वे अगर प्रसन्न हों तो निहाल कर दें और नाराज़ हो जाएँ तो दुर्दशा कर दें.
  144. रीता थोथा लाड़ बंदरिया का.बंदरिया अपने बच्चे को छाती से चिपकाए रहती है लेकिन अगर वह खाने को मांगता है तो कुछ नहीं देती. दिखावटी प्यार के लिए इस कहावत को प्रयोग करते हैं.
  145. रीती भरे भरी ढुलकावेमेहर करे तो फेरि भरावे.ईश्वर जब कृपा करता है तो खाली कुप्पे को भर देता है, जब कुपित होता है तो भरे हुए को लुढ़का देता है, फिर प्रसन्न होता है तो फिर भर देता है.
  146. रीस अच्छीहौंस बुरी.रीस – स्पर्धा, हौंस – ईर्ष्या. किसी की उन्नति देख कर स्वयं उस के जैसा बनने के प्रयास करना चाहिए, उस से ईर्ष्या नहीं करना चाहिए.
  147. रीस करता आगे बढ़े, दिलजला जल कर मरे.किसी को आगे बढ़ता देख कर जो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करता है वह आगे बढ़ता है, जो ईर्ष्या करता रहता है वह जल कर मरता रहता है.
  148. रुके हुए काम तो रावण के भी रह गए थे.रावण आकाश तक जाने वाली सीढियां बनाना चाहता था और सोने में सुगंध मिलाना चाहता था लेकिन नहीं कर पाया.
  149. रुपया परखे बार बारआदमी परखे एक बार.चाहे रूपये को बार बार परखो (कि असली है या नहीं) पर आदमी को एक ही बार में परख लेना चाहिए कि वह विश्वसनीय है या नहीं.
  150. रुपया है तो शेखनहीं तो जुलाहा.धन से ही आदमी की इज्ज़त होती है.
  151. रुपये को रूपया खींचता है.पूँजी से ही पूँजी पैदा होती है.
  152. रूख बिना न नगरी सोहेबिन बरगे नहिं कड़ियाँपूत बिना न माता सोहेलख सोने में जड़ियाँ.बरगे – कड़ियों पर रखे जाने वाले लकड़ी के तख्ते. वृक्षों के बिना नगर शोभा नहीं देता और तख्तों के बिना छत की कड़ियाँ शोभा नहीं देतीं. इसी प्रकार स्त्री की शोभा पुत्र से ही है (सोने के गहने लादने से नहीं).
  153. रूखा-सूखा खाना और खरा कमाना.सबसे अच्छा सिद्धांत है ईमानदारी से काम करना, चाहे रूखा सूखा ही खाने को मिले.
  154. रूठे बाबादाढ़ी हाथ.बूढ़ा आदमी नाराज होता है तो अपनी दाढ़ी पकड़ता है. इस को इस तरह भी कह सकते हैं कि बूढ़े आदमी की घर में कोई पूछ नहीं है. वह रूठेगा भी तो अपनी ही दाढ़ी नोचेगा.
  155. रूठे भगवान, तो दे खोटी संतान.भगवान नाराज होते हैं और दंड देना चाहते हैं तो खोटी संतान दे देते हैं.
  156. रूप की काली नाम कनको बाई.किसी महिला का रंग अच्छा खासा काला है. देखने में थोड़ी कुरूप भी है. पर नाम है कनक बाई (कनक माने सोना). जहां नाम,रूप व गुण में बहुत अंतर हो.
  157. रूप की रोवे कर्मों की खायराजा की बेटी लकड़हारे को जाय.केवल रूप गुण ही व्यक्ति का भविष्य तय नहीं करते, भाग्य का भी उसमें बड़ा हाथ होता है. एक रूपवती राजकुमारी का उदाहरण दिया गया है जिसको उसके दुर्भाग्य के कारण (पिछले जन्म के कर्मों के फल कारण) लकड़हारे से शादी करनी पड़ती है.
  158. रूप की रोवेकरमों की हँसे. यहाँ कर्मों का अर्थ भाग्य (पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार) समझें तो अर्थ यह हुआ कि जिस लड़की का भाग्य अच्छा न हो वह रूपवती हो कर भी दुखी रह सकती है और भाग्यवान रूपवती न हो तब भी खुशहाल हो सकती है. 2. करमों का अर्थ कामकाजी होने से समझें तो अर्थ हुआ कि रूप की नहीं कामकाज की कद्र होती है. (औरत का काम प्यारा होता है चाम नहीं). 
  159. रूप को क्या आभूषण.जो सही मानों में सुंदर हो उसे आभूषणों की क्या आवश्यकता.
  160. रूप देख रीझे सो पाछे पछताए.जो लोग केवल सुन्दरता देख कर विवाह कर लेते हैं वे बाद में पछताते हैं.
  161. रूप लाल जी गुरू बाकी सब चेला.रुपया सब का गुरु है.
  162. रूपये की जड़ कलेजे में.रुपया हर इंसान को अत्यंत प्रिय होता है.
  163. रे मन अधिक न बोलिएअति बोले पत जाए.अधिक बोलने वाले का लोग सम्मान नहीं करते.
  164. रैन गई अरु भोर भईसुख नींद सोया के माला जपी.रात बीत गई है और सुबह हो गई है. बता तूने भगवान को याद किया कि नहीं (अब तो याद कर ले या सांसारिक सुखों में ही डूबा रहेगा).
  165. रैन गई तो जान दे सजनीदिन मत खोवे री.जो दुःख के दिन बीत गए तो उन को याद कर कर के अब सुख के दिनों को मत खोवो.
  166. रो के पूछ ले हंस के उड़ाता फिरे.सहानुभूति दिखा के किसी मन का भेद ले ले और फिर सब के बीच उसकी हंसी उड़ाए.
  167. रो रो खाईधो धो जाई.रो रो कर खाओगे तो शरीर को नहीं लगेगा, बार बार शौच जाओगे. जो भी खाने को मिले प्रसन्न मन से खाना चाहिए.
  168. रोग और राजा निर्बल को ही दबाते हैं.रोग भी कमज़ोर आदमी को जल्दी होता है और राजा भी निर्बल लोगों पर ही अपनी ताकत दिखाता है.
  169. रोग का घर खांसीलड़ाई का घर हाँसी.इस कहावत में एक सीख तो यह दी गई है कि यदि किसी को लगातार खांसी आती हो तो उसे कोई गंभीर बीमारी हो सकती है. दूसरी एक बहुत महत्वपूर्ण सीख दी गई है कि किसी की हंसी उड़ाना लड़ाई को न्योता देने के समान है. महाभारत के युद्ध की जड़ भी यही हंसी थी, जब दुर्योधन के पानी में गिरने पर द्रोपदी ने हंसकर कहा था “अंधे का पुत्र अंधा”.
  170. रोग गए वैद्य वैरी.रोग ठीक होने के बाद वैद्य (या डॉक्टर) दुश्मन लगने लगता है (उस की फीस भारी लगती है और वह परहेज वगैरा बताता है).
  171. रोग जिन बनायो तिन औषधी बनाई है.जिन प्रभु ने रोग बनाया है, उन्होंने उसकी दवा भी बनाई है. जब व्यक्ति रोग से पीड़ित हो कर निराश होता है तो उसे सांत्वना देने के लिए.
  172. रोगिया भावे सो बैद बतावे.रोगी को जो अच्छा लगे चालाक वैद्य वही बताते हैं. 
  173. रोगी को रोगी मिला कहा नीम पी.दो रोगी मिलते हैं तो बीमारी और इलाज की ही बातें करते हैं.
  174. रोगी ठगा जाए या भोगी ठगा जाए.रोगी को बीमारी का डर दिखा कर चिकित्सक और पंडे पुरोहित या झाड़ फूँक करने वाले ठगते हैं, भोगी को व्यापारी और दलाल लोग भांति भांति के आनंदों का लालच दे कर ठगते हैं.
  175. रोज कुआं खोदेरोज पानी पीवे.दिहाड़ी मजदूर. जो जीविका के लिए अपने रोज के काम पर निर्भर हैं. 
  176. रोज के टपके से पत्थर भी घिस जाते हैं. पत्थर पर जिस जगह पानी टपकता है वह हिस्सा धीरे धीरे घिस जाता है. कोई कितना भी कठोर क्यों न हो लगातार प्रयास करने से उसको भी प्रभावित किया जा सकता है. इंग्लिश में कहावत है – Constant dripping wears away the stone.
  177. रोज़गार और दुश्मन बार बार नहीं मिलते.रोजगार (नौकरी या व्यापार करने का मौका) बार बार नहीं मिलता इसलिए जब मिले चूकना नहीं चाहिए. दुश्मन भी बार बार नहीं मिलता इसलिए जहां मिल जाए चूकना नहीं चाहिए.
  178. रोजे मेरी किस्मत में कहाँपर सहरी खा सकता हूँ.रोजे से बचना चाह रहे हैं इसलिए बहाना बना रहे हैं कि रोजे मेरी किस्मत में ही नहीं हैं. लेकिन सहरी के लिए बने माल भी खाना चाह रहे हैं. कष्ट बिना उठाए सुविधाएं चाहने वालों के लिए.
  179. रोटी आधी कीजिए सब्जी को दोगुना, पानी तिगुना कीजिए हांसी को चौगुना.(बुन्देलखंडी कहावत) अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी सुझाव है. रोटी जितनी खाते हैं उससे आधी खाएं और सब्जी दोगुनी खाएं, पानी तीन गुना पियें और खूब हंसें.
  180. रोटी करोसत्तू करोभात बरोबर नाहींमौसी करो फूफी करोमाई बरोबर नाहीं.रोटी और सत्तू से पेट भरा जा सकता है लेकिन ये भात के बराबर नहीं हो सकते, मौसी और बुआ प्यार से रख सकती हैं पर माँ के बराबर फिर भी नहीं हो सकतीं.
  181. रोटी कहे मंजिल पहुंचाऊंबाटी कहे फेर ले आऊँभात कहे मेरा हल्का खाना मेरे भरोसे कहीं न जाना.भात सबसे जल्दी पच जाता है, रोटी उस से देर तक पेट में रहती है और बाटी सब से देर में पचती है. 
  182. रोटी कारन छोड़ कर कुटुम देस परिवारलाख कोस जाकर बसें रोटी ढूंढनहार.रोटी कमाने के लिए आदमी क्या क्या नहीं करता. जीविका ढूँढने के लिए आदमी को परिवार, कुटुंब और देश को छोड़ कर दूर देश जा कर बसना पड़ता है.
  183. रोटी कारन जाल में फंसे पखेरू आएरोटी कारन आदमी लाखों पाप कमाए.भोजन के लालच में पक्षी जाल में आ कर फंसता है, पेट भरने के लिए आदमी क्या क्या पाप नहीं करता.
  184. रोटी कारन लश्करी रन में सीस कटाएरोटी कारन रैन दिन गीत गवेसर गाए.जीविका के लिए सैनिक रणभूमि में शीश कटवाता है, जीविका के ही लिए गायक दिन रात गाना गाता है. लश्करी – लश्कर में रहने वाला सिपाही.
  185. रोटी किस्मत कीहुक्का पाव दौड़ी का.रोटी किस्मत से मिलती है जबकि समाज में इज्जत परिश्रम करने से मिलती है.
  186. रोटी खाते भौंकते नहीं बनता.कुत्ता जब रोटी खा रहा होता है तो भौंक नहीं पाता. कोई हाकिम रिश्वत ले रहा होता है तो गुर्रा नहीं पाता.
  187. रोटी गई मूँ मेंजात गई गू में.पेट भरने के लिए आदमी जात पाँत सब भूल जाता है.
  188. रोटी न कपड़ासेंत का भतार.पत्नी के लिए रोटी कपड़े का प्रबंध न करे तो पति किस बात का.
  189. रोटी बिन भोंड़े लगें सकल कुटुम के लोगरोटी ही को जान लो ठेठ मिलन का जोग.रोटी का जुगाड़ न हो तो परिवार के लोग भी बुरे लगने लगते हैं, रोटी ही परिवार में मेल रखने का माध्यम है.
  190. रोटी सांटे रोटी, क्या पतली क्या मोटी.रोटी के बदले रोटी देनी हो तो मोटी पतली क्या देखना.
  191. रोता जाए और मारता जाए.कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुद गलत काम करते हैं और खुद को सताया हुआ सिद्ध करते हैं. इससे मिलती जुलती कहावत है – लड़े बराबर रोवे दून.
  192. रोती को पुचकारा तो कहा साथ ले चलो (रोती को चुपाया तो साथ चलने को तैयार)किसी मुसीबत में पड़े व्यक्ति को ढाढस बंधाओ और वह पीछे ही पड़ जाए तो यह कहावत कही जाती है.
  193. रोते क्यों होक्या करें शकल ही ऐसी है.कुछ लोग हर समय रोनी शक्ल बनाए रहते हैं, उनका मज़ाक उड़ाने के लिए. 
  194. रोते हुए गए मरे की खबर लाए. जो लोग हमेशा अनिष्ट की आशंका से ग्रस्त रहते हैं उनका अनिष्ट हो भी जाता है.
  195. रोने को तो थी ही, इतने में आ गए भैया.कोई लड़की ससुराल में परेशान हो कर रुआंसी हो रही थी पर सास के डर से रो नहीं पा रही थी. इतने में उसका भाई मिलने आ गया तो वह भाई के सहारे फूट फूट कर रोने लगी. कोई काम करने का बहाना मिल जाए तो. 
  196. रोम जल रहा थानीरो बंसी बजा रहा था.रोम में नीरो नाम का एक राजा हुआ है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि जब रोम अत्यधिक संकट से गुजर रहा था तब वह बांसुरी बजा रहा था. संकट के समय अपना उत्तरदायित्व न निभाने वाले व्यक्ति के लिए.
  197. रोवे गावे तूरे तानओकर दुनिया राखे मान.नंगे (निर्लज्ज होकर हंगामा करनेवाले) की बात सब लोग मान लेते हैं. जो अपनी परेशानियों को लेकर ज्यादा रोता गाता है उस से सब को सहानुभूति हो जाती है.
  198. रौन गौरई की कुतिया.रौन और गौरई बुंदेलखंड में दो गाँव हैं. एक कुतिया को खबर लगी कि दोनों गांवों में दावत है. सोचा दोनों जगह माल मिलेगा. वह पहले रौन गाँव में गई, वहाँ खाना शुरू होने में देर थी तो उसने सोचा कि गौरई जा कर माल उड़ा लूँ, फिर यहाँ आ जाऊँगी. गाँव दूर था, जब तक वहाँ पहुँची वहाँ सब निबट चुका था. लौट कर फिर रौन गाँव आई तो वहाँ भी सब निबट चुका था. टांगें भी टूटीं और भूखी भी रही. कोई व्यक्ति दो स्थान पर लाभ लेने की कोशिश करे और कहीं कुछ न मिले तो यह कहावत कही जाती है. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *