- बंके को तिरबंका मिल ही जाता है.धूर्त व्यक्ति को अपने से बड़ा धूर्त कभी न कभी मिल जाता है.
- बंद है मुठ्ठी तो लाख की, खुल गई तो फिर ख़ाक की.जब तक कोई रहस्य खुलता नहीं है तब तक लोगों को उसके विषय में बहुत उत्सुकता रहती है. रहस्य खुलने के बाद उसकी पूछ खत्म हो जाती है. एक राजा ने घोषणा की कि वह अमुक मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए अमुक दिन जाएगा. इतना सुनते ही मंदिर के पुजारी ने मंदिर की सजावट करना शुरू कर दिया, इस खर्चे के लिए उसने छः हजार रुपये का कर्ज लिया. राजा मंदिर में पूजा के लिए पहुंचे और आरती की थाली में चार आने रख कर प्रस्थान कर गए. पुजारी को बड़ा गुस्सा आया. उसने गांव भर में ढिंढोरा पिटवाया कि राजा की दी हुई वस्तु को वह नीलाम कर रहा है नीलामी पर उसने अपनी मुट्ठी बंद रखी. लोग समझे कि राजा की दी हुई वस्तु बहुत अमूल्य होगी इसलिए बोली दस हजार रूपये से शुरू हुई और बढ़ते बढ़ते पचास हजार तक पहुंची. यह बात राजा के कानों तक पहुंची. राजा ने अपने सैनिकों से पुजारी को बुलवाया और कहा कि मेरी वस्तु को नीलाम न करो, मैं तुम्हें लाख रुपए देता हूं और इस प्रकार राजा ने अपनी इज्जत को बचाया. तब से यह कहावत बनी.
- बंदर के हाथ में आइना.बंदर आइने की कद्र नहीं जान सकता, उसमें अपनी शक्ल देख कर उसे दूसरा बंदर समझ कर तोड़ देगा. मूर्ख व्यक्ति बहुमूल्य वस्तु का मोल नहीं समझ सकता.
- बंदर के हाथ में उस्तरा.किसी नासमझ व्यक्ति के हाथ में कोई छोटा सा अस्त्र भी बहुत खतरनाक हो जाता है, वह औरों को भी बहुत हानि पहुँचा सकता है और अपने को भी चोट मार सकता है. उस्तरे से पहले नाई लोग हजामत बनाते थे.(देखिये परिशिष्ट)
- बंदर क्या जाने अदरख का स्वाद.अगर आप बंदर को अदरक खाने को दें तो वह यह नहीं समझेगा कि यह कोई नायाब चीज है. वह उसे कड़वा और चरपरा समझ कर थूक देगा. यह कहावत उस जगह प्रयोग की जाती है जब किसी नासमझ आदमी को कोई अक्ल की बात बताई जाए या कोई बहुत बढ़िया चीज दी जाए और वह उसकी कद्र न करे.
- बंदर नाचे, ऊँट जल मरे.बन्दर को आज़ादी से नाचता देख कर ऊँट को बहुत जलन होती है, क्योंकि वह न तो आज़ाद है, न ही उसे नाचना आता है. दूसरे को प्रसन्न देख कर परेशान होना.
- बंदर बूढ़ा हो जाए फिर भी छलांग लगाना नहीं भूलता.बूढ़ा होने के बाद भी आदमी की खुराफातें कम नहीं होतीं.
- बंदरों के बीच में गुड़ की भेली.बंदरो के झुंड में अगर गुड़ की भेली रख दी जाए तो वे उस पर कब्जा करने के लिए आपस में बुरी तरह लड़ते हैं. अपात्र लोग अगर किसी चीज के लिए झगड़ रहे हों तो यह कहावत कही जाती है.
- बकरा मुटाय, तब लकड़ी खाय.बकरा ज्यादा मोटा हो जाता है तो लड़ाका हो जाता है, इसलिए पिटता है.
- बकरी के मुँह में काशीफल.किसी को ऐसी चीज़ देना जिस का वह उपयोग ही न कर सके.
- बकरी खटीक से ही बहलती है.खटीक – चमड़ा निकाल कर बेचने वाली एक जाति. बकरी यह नहीं जानती कि यह खटीक ही उसे मार कर उसकी खाल उतार लेगा. वह उसी का कहना मानती है. जो लोग भ्रष्ट और लुटेरे नेताओं को अपना शुभचिंतक समझते हैं उन्हें सीख देने के लिए.
- बकरी जान से गई, राजा कहें नमक कम है.किसी गरीब का बहुत बड़ा नुकसान कर के यदि बड़ा आदमी कहे कि उसका मतलब हल नहीं हुआ तो यह कहावत कही जाती है.
- बकरी दूध तो दे पर मींगनी कर के.किसी का कोई काम करने के साथ में अशोभनीय व्यवहार करना.
- बकरी से हल चलता तो बैल कौन रखता.कम लागत से व्यापार हो तो अधिक लागत क्यों लगाई जाएगी.
- बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी.जब कोई अप्रिय घटना होना अटलनीय हो. (जैसे बकरा तो कभी न कभी कटना ही है, उसकी माँ कब तक खैर मनाएगी).
- बख्शो बी बिल्ली, चूहा लंडूरा ही जिएगा.लंडूरा – दुमकटा.एक बिल्ली ने चूहे पर झपट्टा मारा तो चूहे की पूँछ कट के उस के हाथ में आ गयी. चूहा जल्दी से बिल में घुस गया. बिल्ली बोली – चूहे राजा, बाहर आ जाओ, पूँछ जोड़ दूंगी. चूहा बोला, मुझे बख्शो बड़ी बी, मैं दुमकटा ही अच्छा. कोई दुष्ट व्यक्ति किसी को लालच दे कर फंसाने की कोशिश करे तो वह आदमी यह कहावत बोलेगा.
- बगल में कटारी, चोर को घूंसों से मारे. मूर्खता पूर्ण काम. कटारी होते हुए घूंसे मारना. 2. समझदारी भी कह सकते हैं. कटारी से मारने में इस बात का डर है कि अगर चोर मर गया तो उल्टे लेने के देने पड़ जायेंगे.
- बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा.ढिंढोरा – बड़ा ढोल. पहले के जमाने में कोई बात आम जनता को बताने से पहले ढोल बजा कर (ढिंढोरा पीट कर) लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे. कहावत में कहा गया है कि लड़का तो बगल में मौजूद है और शहर में ढिंढोरा पीट पीट कर उसे ढूँढा जा रहा है. पास में उपलब्ध किसी चीज़ को अन्यत्र ढूँढना.
- बगल में तोशा, किसका भरोसा.(अपना तोसा अपना भरोसा). जरूरत का सामान अपने साथ हो तो किसी पर निर्भर नहीं होना पड़ता. तोशा – खाने का सामान.
- बगुला मारे पखना हाथ.मुर्गा या बत्तख मारने पर तो मांस हाथ आएगा पर यदि बगुले को मारोगे तो केवल पंख हाथ लगेंगे. कहावत का अर्थ है कि किसी गरीब आदमी को सताने से क्या हासिल होगा.
- बगुलों की लड़ाई में चोंचों की खटखट.दो डरपोक लोग आपस में लड़ रहे हों और एक दूसरे को नुकसान पहुँचाने की हिम्मत न कर पा रहे हों तो उन का मजाक उड़ाने के लिए.
- बचाया सो कमाया.धन बचाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना धन कमाना. क्रिकेट के खेल में भी कहते हैं runs saved are runs made.
- बचे नर, हजार घर.आदमी की जान बची रहे तो घर तो बहुत से मिल जाएंगे.
- बच्चा जने कोई, गोंद मखाने खाए कोई.पहले जमाने में स्त्रियों को प्रसव के बाद गोंद, मखाने, घी, मेवा (हरीरा, पंजीरी) इत्यादि खाने को मिलते थे. कहावत में कहा गया है कि प्रसव का कष्ट किसी और ने उठाया, और गोंद मखाने किसी और को खाने को मिल रहे हैं.
- बच्चा बूढ़ा एक समान.बूढ़ा आदमी भी बच्चों के समान जिद्दी और मनचला हो जाता है. अधिक बूढ़ा होने पर मल मूत्र पर भी उसका नियंत्रण नहीं रहता.
- बच्चे तो पेट में भी लातें मारते हैं.बच्चों की शैतानियों पर कही गई कहावत.
- बच्चे पाले दूधों भात, बड़े हुए तो मारें लात.नालायक पुत्र के लिए.
- बच्चे रोवें तब फूहड़ पोवे.जब बच्चे भूख से रोने लगते हैं तो फूहड़ स्त्री रोटी बनाने बैठती है.
- बच्चों और मूर्खो के पेट में बात नहीं पचती.अर्थ स्पष्ट है.
- बच्चों के पैर और बुड्ढों के मुँह खुजलाते हैं.बच्चों के पैर खुजलाते हैं अर्थात बच्चे एक जगह बैठते नहीं हैं, बुड्ढों के मुँह खुजलाते हैं मतलब बुड्ढे लोग चुप नहीं बैठते.
- बच्चों के बिना घर कैसा. बच्चों से ही घर में रौनक होती है.
- बच्चों से बोलूं नहीं, जवान मेरो भैया, बुड्ढन को छोडूँ नहीं चाहें ओढ़ें दस रजैयाँ(चाहें करें दय्या मैया). जाड़े का मौसम ऐसा कहता है.
- बछवा बैल जुताय जोय, न हल बहे न खेती होय.खेती से सम्बन्धित अधिकतर कहावतें घाघ ने कही हैं. घाघ कहते हैं कि जो बछवा बैल (एक विशेष प्रकार का बैल) से हल जोतने की कोशिश करेगा वह खेती नहीं कर पाएगा.
- बछिया मरी तो मरी कलकत्ता तो देखा.कुछ नुकसान हुआ तो कुछ फायदा भी हो गया.
- बजरंग बली का सोटा, फूट जाए भंगेड़ी का लोटा.भांग पीने वाले को डराने के लिए.
- बजा दे बेटा ढोलकी, मियाँ खैर से आए.किसी काम में असफल हो कर कोई जान बचा कर लौट आया हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.
- बजाज की गठरी का झींगुर मालिक.दूसरों के माल को अपना समझ कर घमंड करना.
- बज्जड़ परे कहाँ, तीन कायथ जहाँ.जहाँ तीन कायस्थ हों वहाँ बर्बादी होना तय है. कायस्थों को कचहरी का पर्यायवाची माना जाता था.
- बटिया खेती सांट सगाई, जा में नफा कौन ने पाई.खेती को बटाई पे करने पर नफा नहीं मिलती और सांटे की सगाई (जिस घर में लड़की दी जाए उसी घर की लड़की को बहू बना कर अपने घर में लाया जाए) में दहेज़ आदि नहीं मिलता.
- बटेऊ खांड मांडे खाए, कुतिया की जीभ जले.बटेऊ – राहगीर. राह चलता आदमी कोई अच्छी चीज़ खा रहा है, उसे देख कर कुतिया की जीभ जल रही है. दूसरे की ख़ुशी देख कर जलना.
- बड़ खुस बनिया, दमड़ी दान.बनियों की कंजूसी पर व्यंग्य. बनिया बहुत खुश होगा तो दमड़ी दान में देगा.
- बड़ संग रहियो तो खइयोबीड़ा पान, छोट संग रहियो तो कटइयो दुनु कान. (भोजपुरी कहावत) सज्जन का संग अच्छा है जबकि दुष्टों का संग करने से हानि होती है. पूरब में अतिथि का सत्कार करने के लिए पान खिलाने की प्रथा थी. किसी बड़े आदमी के साथ कहीं जाओगे तो पान खाने को मिलेगा और नीच आदमी के साथ जाओगे तो दोनों कान कटेंगे.
- बड़का दुश्मन कौन, माँ का पेट.माँ का पेट – माँ के पेट से उत्पन्न दूसरी सन्तान अर्थात भाई. जायदाद के लिए भाइयों में दुश्मनी हो जाती है.
- बड़न की बात बड़े पहचानाबड़े लोगों के बातें बड़े ही समझ सकते हैं. इसको मज़ाक में अधिक प्रयोग करते हैं (दो मूर्ख लोग एक दूसरे की बड़ाई कर रहे हों तो). पूरी कहावत इस प्रकार है – काँधे धनुष, हाथ में बाना, कहाँ चले दिल्ली सुल्ताना, बन के राव विकट के राना, बड़न की बात बड़े पहचाना. इसके पीछे एक कहानी है. एक बार एक धुनिया (रुई धुनने वाला) अपना धनुष जैसा औजार लिए जंगल में हो कर जा रहा था. एक सियार ने उसे देखा तो उसे शिकारी समझ कर डर गया. सियार ने उस की चापलूसी करने के लिए कहा कि कंधे पर धनुष और हाथ में वाण ले कर दिल्ली के सुल्तान कहाँ जा रहे हैं? धुनिया ने कभी सियार नहीं देखा था, वह उसे शेर समझ कर डर गया और उसे मक्खन लगाने के लिए बोला कि हे जंगल के राजा, बड़े लोगों को बड़े ही पहचानते हैं. आज कल के लोगों ने धुनिया और उस का अस्त्र नहीं देखा होगा. (देखिये परिशिष्ट)
- बड़न को बड़ो पेट.बड़े आदमियों का पेट भी बड़ा होता है. जो जितना बड़ा हाकिम होगा वह उतनी ही बड़ी रिश्वत मांगेगा.
- बड़सिंगा मत लीजो मोल, कुएं में डारौ रुपया खोल.बड़े सींग वाला बैल ठीक से काम नहीं करता. उसे खरीदना कुएं में रूपये डालने जैसा है. (घाघ की कहावतें)
- बड़ा टूट कर भी बड़ा ही रहता है.अर्थ स्पष्ट है. बड़े आदमी को कुछ घाटा भी हो जाए तब भी वह छोटा नहीं हो जाता.
- बड़ा धोता बड़ा पोथा, पंडिता पगड़ा बड़ा, अक्षरं नैव जानामि, स्वाहा स्वाहा करोम्यहम.पाखंडी पंडितों के लिए. बड़ी धोती, बड़ी पगड़ी पहन कर बड़ी पोथी हाथ में लिए हैं. मंत्र वंत्र कुछ नहीं जानते हैं, केवल कुछ बुदबुदा कर जोर से स्वाहा स्वाहा करते हैं.
- बड़ा निवाला खाइए, बड़ा बोल न बोलिए.यदि आप धन धान्य से सम्पन्न हैं तो अच्छा खाइये पर अहंकार मत करिए.
- बड़ा मरे बड़ाई को, छोटा मरे लाड़ को.वयस्क लोग जीवन में कुछ बनने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं. बच्चों को इस से कोई मतलब नहीं होता उन्हें केवल लाड़ प्यार ही चाहिए.
- बड़ा रोवे बड़ाई को, छोटा रोवे पेट को.बड़ा आदमी अपना बड़प्पन सिद्ध करने लिए परेशान रहता है और छोटा आदमी पेट भरने के लिए.
- बड़ा शोर सुनते थे कि हाथी की पूंछ है, पास जाके देखा तो सुतली बंधी थी.अर्थ स्पष्ट है. किसी स्थान या व्यक्ति के बारे में बहुत तारीफ सुनी हो और पास जाकर देखने पर वास्तविकता कुछ और निकले तो ऐसा कहा जाता है.
- बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर(पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर). कोई व्यक्ति बड़ा अधिकारी, नेता या अमीर बन गया पर आम लोगों की पहुँच से दूर है उस के लिए कहा गया है.
- बड़ी असामी, बड़ी फरमाइश.बड़े लोगों की फरमाइशें भी बड़ी होती हैं. 2.बड़ी असामी से बड़ी रिश्वत मांगी जाती है.
- बड़ी नाव की बड़ी विपदा.जो चीज़ जितनी बड़ी होगी उस की विपत्ति भी उतनी ही कठिन होगी.
- बड़ी बड़ी बात बगल में हाथ.जो लोग बातें बड़ी बड़ी करते हैं पर काम कुछ नहीं करते.
- बड़ी बहू को बड्डा भाग, छोटो बनड़ो घनो सुहाग.(राजस्थानी कहावत) अगर पत्नी की उम्र पति से अधिक है तो उसे भाग्यशाली मानते हैं, पति आयु में छोटा होगा तो पत्नी से अधिक दिन जीएगा एवम् पत्नी सुहागन रहेगी.
- बड़ी बहू, बड़ा भाग.अर्थ ऊपर वाली कहावत की भाँति.
- बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है.जिस प्रकार बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है उसी प्रकार बड़े व्यापार छोटे व्यापार को और बड़े अपराधी छोटे अपराधियों को निगल जाते हैं.
- बड़ी रातों के बड़े ही सवेरे.अधिक कष्ट के बाद सुख भी अधिक ही मिलता है.
- बड़ी हैं जेठानी तो रखें अपना पानी.यहाँ पानी का अर्थ मान सम्मान से है. जो बड़े हैं उन्हें अपने बड़प्पन का ध्यान स्वयं रखना चाहिए.
- बड़े आदमी का कुत्ता भी घमंडी होता है.जिस के पास सत्ता या ताकत हो उस को अहंकार हो जाना स्वाभाविक है, लेकिन देखा यह गया है कि उसके नौकर चाकर और चमचे भी अहंकारी हो जाते हैं.
- बड़े आदमी की एक बात, बड़े घोड़े की एक लात.(बुन्देलखंडी कहावत) बड़े आदमी की एक ही बात काफी होती है और बड़े घोड़े की एक ही लात.
- बड़े आदमी के चेले बनो कंगाल के दोस्त नहीं.कंगाल से दोस्ती करोगे तो उस की सहायता करने में ही उमर बीत जाएगी. बड़े आदमी के चेले बनने से खुद बड़ा बनने की संभावना हो जाती है.
- बड़े आदमी ने साग खाया तो कहा सादा मिजाज़ है, गरीब ने साग खाया तो कहा कंगाल है.अर्थ स्पष्ट है. नेताजी खद्दर पहनते हैं तो उनकी महानता मानी जाती है, गरीब आदमी पहनता है तो उसका मजाक उड़ाया जाता है.
- बड़े कढ़ाई में तले जाते हैं.कढ़ाई में तल कर दाल के बड़े बनाए जाते हैं. इन शब्दों का दूसरा अर्थ यह है कि घर के बड़ों को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है.
- बड़े की पीठ काली करें, छोटे का मुहँ काला.बड़े आदमी की बुराई करनी है तो उसकी पीठ पीछे ही करना चाहिए, छोटे आदमी की करनी है तो उसके मुँह पर कर सकते हो.
- बड़े की बड़ाई न छोटे की छुटाई.ऐसे व्यक्ति के लिए जो न बड़ों का सम्मान करता हो और न ही छोटों को स्नेह करता हो.
- बड़े गाँव जाऊं, बड़ा लड्डू खाऊं.बड़ी जगह पर कमाई अधिक होने की संभावना अधिक होती है.
- बड़े घड़े के ठीकरे किस काम के.टूटे हुए टुकड़े किसी काम के नहीं होते चाहे छोटे घड़े के हों या बड़े खड़े के.
- बड़े घर पड़ी, पत्थर ढो ढो मरी.लड़की ऐसे घर में ब्याह के गई जहाँ बहुत बड़ा परिवार था. बेचारी काम करते करते मर गई.
- बड़े घर में बेटी दी, उससे मिलना भी मुश्किल.बेटी के घर खाली हाथ नहीं जाते हैं. बेटी बड़े घर की बहू है, हर बार उसी के अनुरूप भेंट ले कर जाना पड़ेगा.
- बड़े न बूड़न देत हैं जाकी पकड़ी बांह, जैसे लोहा नाव में तिरत रहे जल मांह (संगत सार अनेक फल, लोहा तिरे काठ के संग).बूड़ना – डूबना. बड़े लोग जिसकी बांह पकड़ लेते हैं उसको डूबने नहीं देते, जैसे लकड़ी के साथ लोहा भी पानी में तैरता रहता है.
- बड़े पेड़ों की बड़ी शाखें.बड़े संगठनों या प्रतिष्ठानों की शाखाएं भी बड़ी होती हैं.
- बड़े बड़ाई ना करैं, बड़ो न बोलैं बोल, (हीरा कब मुख ते कहै, लाख टका मेरो मोल).जो लोग वास्तव में महान होते हैं वे अपने मुँह से अपनी बड़ाई नहीं करते. हीरा अपने मुँह से कभी नहीं कहता कि उसका मोल लाख रुपये है.
- बड़े बड़े बादल टकराते हैं तो बिजली चमकती है.बड़े लोगों की लड़ाई के परिणाम भयानक हो सकते हैं.
- बड़े बर्तन की खुरचन ही बहुत होती है.शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट है, कहावत का अर्थ यह है कि बड़े लोगों के यहाँ का बचा खुचा भी गरीब के लिए बहुत है. (अमीर का उगाल, गरीब का आधार).
- बड़े बात से, छोटे लात से.बड़े लोगों को बातचीत द्वारा समझाया जा सकता है किन्तु नीच लोगों को दंड दे कर ही समझाया जा सकता है.
- बड़े बे आबरू होके, तेरे कूचे से हम निकले.अपमानित हो कर कहीं से निकलना पड़े तो.
- बड़े बोल का सिर नीचा (घमंडी का सिर नीचा).अहंकारी को कभी न कभी नीचा देखना पड़ता है.
- बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ छोटे मियाँ सुभान अल्लाह.जब कोई बड़े ओहदे वाला आदमी गड़बड़ियां करने वाला हो और उसके नीचे काम करने वाले और अधिक खुराफाती हों तब यह कहावत कही जाती है.
- बड़े लोगों की डांट दूध मलाई होती है.बुजुर्गों की डांट का बुरा बिल्कुल नहीं मानना चाहिए. इससे केवल हमारी भलाई ही होती है.
- बड़े लोगों के कान होते हैं आँखें नहीं.बड़े लोग केवल अपने चापलूसों की बातें सुन कर विश्वास कर लेते हैं, स्वयं देख कर सच्चाई जानने की कोशिश नहीं करते.
- बड़े शहर का बड़ा ही चाँद.बड़े शहरों की हर बात निराली होती है.
- बड़ों का बड़ा मुँह.बड़े लोगों की मांग भी बड़ी होती है (वे अधिक मुँह फैलाते हैं).
- बड़ों की बड़ी बात.बड़े लोगों की बड़ी बड़ी बातें होती हैं. छोटे लोग उन से बराबरी करने की कोशिश में नुकसान उठाते हैं. 2. बुजुर्ग लोगों की सलाह बड़े काम की होती है.
- बड़ों के कहे और आंवलों के खाए का पीछे ही स्वाद आता है.आंवला खाओ तो पहले कड़वा लगता है बाद में उसका स्वाद आता है, इसी प्रकार बड़े लोगों की सलाह पहले बुरी लगती है पर बाद में उसका महत्व मालूम पड़ता है.
- बड़ों के पाँव सिर पर.बड़ों की आज्ञा शिरोधार्य करनी चाहिए.
- बड़ों के बड़े हाथ.बड़ा आदमी किसी की बहुत सहायता कर सकता है.
- बड़ों को टोपी नहीं, कुत्ते को पजामा.घर के बड़ों की अनदेखी कर के आलतू फ़ालतू लोगों को लाभ पहुँचाना.
- बड़ों को बड़े ही कलेस.बड़ों की समस्याएं भी बड़ी होती हैं.
- बड़ों को लड़ा कर बच्चे फिर एक हो जाते हैं.बच्चों की लड़ाई में बड़े शामिल हो जाते हैं और आपसी रंजिश पाल लेते हैं जबकि बच्चे फिर एक हो जाते हैं.
- बड़ों को होवे दुःख बड़ा, छोटों से दुःख दूर, तारे तो न्यारे रहें गहे राहु ससि सूर.बड़े लोगों की परेशानियाँ भी बड़ी होती हैं, जबकि छोटे लोग उन विपदाओं से दूर रहते हैं. राहु, सूर्य और चन्द्रमा को ही ग्रसता है तारों को नहीं.
- बढ़िया मिल गया तो बिटिया के भाग, न मिला तो नाऊ बामन मारियो.(हरियाणवी कहावत) पहले के जमाने में नाई और ब्राह्मण रिश्ते करा दिया करते थे. बढ़िया रिश्ता मिल गया तो कहेंगे हमारी बेटी का भाग्य अच्छा था, और खराब मिला तो नाई और पंडित को मारो.
- बढ़े बाल औ मैले कपड़े और करकसा नार, सोने को धरती मिले नरक निसानी चार.कहावत में घोर दुर्दशा के चार लक्षण बताए हैं – बढ़े हुए बाल (पहले जमाने में बढ़े हुए बालों को बहुत बुरा माना जाता था), मैले कपड़े, कर्कश पत्नी और जमीन पर सोना.
- बढ़ें तो अमीर, घटें तो फकीर, मरें तो पीर.मुसलमानों के विषय में अन्य धर्म वालों का व्यंग्य – वे तरक्की करते हैं तो अमीर बन जाते हैं, नुकसान हो जाए तो फकीर बनने का नाटक कर के मौज करते हैं और मर जाएं तो पीर बन कर अपनी पूजा करवाते हैं. मतलब हर परिस्थिति का लाभ उठाते हैं.
- बतख तिरे तो तिरन दे, तू क्यों तैरे काग.बत्तख तैरती है तो उसे तैरने दे, तू तैरने की कोशिश मत कर हे कौवे. दूसरों की नकल करने में अपना नुकसान मत करो.
- बात मानूँगा लेकिन खूँटा यहीं गाड़ा जाएगा.(भोजपुरी कहावत). सबकी सुनना लेकिन अपने मन की ही करना.
- बत्तख की नकल करने में कौआ डूब जाता है.बिना सोचे समझे किसी की नकल करने में आदमी बहुत नुकसान उठा सकता है, विशेषकर यदि कोई गरीब आदमी किसी अमीर की नकल करे तो.
- बद अच्छा बदनाम बुरा.बहुत से लोग वाकई में बुरे होते हैं लेकिन लोग उनके बारे में सच नहीं जानते इसलिए उन्हें अच्छा समझते हैं, कुछ लोग इतने बुरे नहीं होते पर किसी कारणवश बदनाम हो जाते हैं और लोग उन्हें बहुत बुरा समझते हैं.
- बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए.अगर बुरा आदमी बुराई नहीं छोड़ सकता तो अच्छे आदमी को अच्छाई भी नहीं छोड़नी चाहिए.
- बदनाम भी होंगे तो क्या नाम न होगा.कुछ लोगों को नाम की इतनी भूख होती है कि वे उसके लिए गलत काम करने को भी तैयार हो जाते हैं, उन्हें बदनामी में भी अपनी प्रसिद्धि दिखाई देती है.
- बदली की छाँव क्या.बादल अभी यहाँ तो कुछ देर बाद कहीं और होता है, उसकी छाँव पर आप भरोसा नहीं कर सकते. जो भी चीज़ क्षण भंगुर है उस के सहारे नहीं बैठना चाहिए.
- बन आई कुत्ते की जो पालकी बैठा जाए.किसी दुष्ट व्यक्ति को या बड़े आदमी के मुंहलगे नौकर को ठाठ बाट से रहता देख कर आम आदमी के उद्गार.
- बन में अहीर, नैहर में जोय, जल में केवट, काऊ के न होय.अहीर जब जंगल में हो, पत्नी अपने मायके में हो और केवट जल में नाव खे रहा हो, ये तीनों उस समय किसी के सगे नहीं होते.
- बन में उपजे सब कोई खाए, घर में उपजे घर खा जाए.यह एक पहेलीनुमा कहावत है जिसका उत्तर है – फूट जोकि एक खरबूजे की जाति का फल होता है. यह पकने पर अपने आप फूट जाता है. कहावत में कहा गया है कि फूट अगर वन में उगती है तो उसे सब कोई खाते हैं और अगर घर में उगती है (आपसी फूट) तो घर को खा जाती है.
- बन में बेर पके, कौवा के कौन काम के.(भोजपुरी कहावत) वन में बेर पक रहे हैं तो कौवे को उससे कोई लाभ नहीं होने वाला, क्योंकि वह तो शहर में रहने लगा है.
- बनज में भाई बंदी क्या.बनज – वाणिज्य, व्यापार. व्यापार में भाई बन्धु नहीं देखे जाते.
- बनते देर लगती है, बिगड़ते देर नहीं लगती.अर्थ स्पष्ट है.
- बनत काम में बाधा डालो कुछ तो पंच दिलाएगा.(भोजपुरी कहावत) बनते काम में बाधा डालो. झगड़ा निपटाने की एवज में कुछ न कुछ तो मिल जाएगा.
- बनिए का बहकावा और जोगी का फिटकारा.इनसे बचना मुश्किल है. फिटकारा – श्राप.
- बनिए का बेटा कुछ देख कर ही गिरता है.बनिये इतने चालाक माने गये हैं कि अगर गिरते भी हैं तो कुछ देख कर उसे उठाने के लिए गिरने का बहाना करते हैं.
- बनिए का लिखा बनिया बांचे.कारोबार के रहस्य दूसरा कारोबारी ही समझ सकता है.
- बनिए की उचापत घोड़े की दौड़ सी.बनिए का उधार घोड़े की तरह तेज दौड़ता है.
- बनिए की कमाई उसके चूतड़ों में होती है.बनिया गद्दी से चिपक कर बैठता है तभी कुछ कमा पाता है.
- बनिए की सलाम बेगरज नहीं होती.बनिया अगर किसी को सलाम कर रहा है तो उस का कुछ न कुछ स्वार्थ अवश्य होगा.
- बनिक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात.बनिए का बेटा किला खरीदने की बात नहीं सोच सकता. छोटी सोच रखने वाला व्यक्ति बहुत बड़ा काम नहीं कर सकता.
- बनिया अपना गुड़ छिपा कर खाता है.बनिया अपने धन का दिखावा नहीं करता.
- बनिया कब कबूले कि नफा बहुत है.बनिया अपने मुँह से कभी नहीं कहता कि उसे व्यापार में बहुत लाभ है.
- बनिया को सखरच, ठाकुर को हीन, वैद्य पूत व्याध नहिं चीन्ह, पंडित चुप चुप, बेसवा (वैश्या) मईल, घाघ कहहिं पांचो घर गइल.बनिए का बेटा खर्चीला हो, ठाकुर का बेटा तेजहीन हो, वैद्य अपने पुत्र की बीमारी न समझ पाए (या वैद्य पुत्र को बीमारियों की पहचान न हो), पंडित चुप रहने वाला हो और वैश्या मैले वस्त्र पहनने वाली हो, ये पाँचों घर चले जाते हैं अर्थात व्यवसाय नहीं कर पाते हैं.
- बनिया खाट में तो बामन ठाठ में, बनिया ठाठ में तो बामन खाट में.बनिया बीमार होगा तो पूजा पाठ करेगा जिससे पंडित की मौज होगी और बनिया ठाठ में होगा तो पंडित भूखा मरेगा.
- बनिया गम खाने में सयाना.गम खाना – कष्ट को सह लेना. बनिया व्यापार में होने वाले भांति भांति के नुकसान झेल कर परेशानियों का अभ्यस्त हो जाता है.
- बनिया गुड़ न दे गुड़ की सी बात तो करे.एक बनिए से किसी ने थोड़ा गुड़ मांगा. बनिए ने कहा, चलो आगे बढ़ो, चले आते हैं मुफ्त में मांगने. हराम का आ रहा है क्या. उसने कहा भैया गुड़ न दो गुड़ जैसी मीठी बात तो बोल सकते हो. व्यापार में बुजुर्ग लोग बच्चों को समझाते हैं कि हर एक किसी से मीठा बोलना सीखो. किसी को मना भी करो तो भी मिठास के साथ.
- बनिया चाहे बैठा खाए, मूल धन कहीं न जाए.बनिया ही क्यों, हम सभी यह चाहते हैं कि हमें बैठे बैठे (बिना काम किए) खाने को मिलता रहे और हमारी पूँजी कम न हो.
- बनिया नरम के, नारी सरम के और सासन गरम के.सासन – शासन. बनिया तभी सफल हो सकता है जब वह नरम व्यवहार करे, नारी वही सम्मान पाती है जो लज्जावान हो और शासन वही कामयाब होता है जहाँ सख्ती हो.
- बनिया बामन बन जाए तो सौदा तौले कौन.समाज में जिसका जो काम उसे वही करना चाहिए तभी समाज की व्यवस्था सुचारू रूप से चलती है. बनिया ब्राह्मण बन जाएगा तो सामान कौन बेचेगा.
- बनिया मारे जान, ठग मारे अनजान.बनिया जानने वाले को ठगता है और ठग अनजान व्यक्ति को.
- बनिया मीत न बेसवा सत्ती, सुनार साँच न एको रत्ती.बनिया किसी का दोस्त नहीं हो सकता, वैश्या पतिव्रता नहीं हो सकती और सुनार सच्चा नहीं हो सकता. एको रती – रत्ती भर भी.
- बनिया मीत न वेश्या सती, कागा हंस न गदहा जती.बनिया किसी का मित्र नहीं हो सकता, वैश्या सती सावित्री नहीं हो सकती, कौवा हंस नहीं हो सकता और गधा सन्यासी नहीं हो सकता.
- बनिया मेवे का रूख.बनिए को खुश करो तो बहुत कुछ मिल सकता है.
- बनिया या तो आंट मे दे या खाट में दे.आंट – परेशानी. बनिया मुसीबत में फंसता है तो पैसा खर्च करता है, या बीमार पड़ता है तो करता है.
- बनिया रीझे तो हँस के दांत दिखावे.बनिया किसी से खुश होता है तो देता कुछ नहीं है, केवल हँस के दांत दिखा देता है.
- बनिया रीझे, हर्रे दे.बनिया किसी से खुश होगा तो क्या देगा – हर्र. हर आदमी की अपनी अलग मानसिकता होती है जिस के अनुसार ही वह कुछ दे सकता है.
- बनिया लड़ेगा भी तो गढी ईंट को ही उखाड़ेगा. बनियों की कंजूसी पर व्यंग्य है. 2. बनिया लड़ता है तो पुराने बही खाते निकाल कर देनदारी दिखाता है.
- बनिया लिखे पढ़े करतार.कुछ तो बनिए की लिखावट वैसे ही गंदी होती है, कुछ वह जान बूझ कर गंदा लिखता है जिसे कोई पढ़ न पाए. पहले के जमाने में बही खाते लिखने में मुंडी भाषा का प्रयोग होता था जिसमें मात्राएँ नहीं होती थीं इसलिए उसे पढ़ना और मुश्किल होता था.
- बनिया हाट न छेडिये, जाट जंगल के बीच. अपने अपने स्थान पर सब मजबूत होते हैं. बनिए को बाज़ार में मत छेड़ो और जाट को जंगल में.
- बनिये का जी धनिये बराबर.बनियों की कायरता और कंजूसी पर व्यंग्य.
- बनिये को पसंगे की आस.अधिक लाभ कमाने के लिए बनिए अपने तराजू में पासंग की जुगाड़ कर लेते हैं जिस से तराजू कम तौलता है.
- बनिये से सयाना, सो दीवाना.बनिये से चतुर कोई नहीं होता.
- बनी के सौ साले, बिगड़ी का एक बहनोई भी नहीं.आपके अच्छे दिनों में बहुत लोग आपसे रिश्ते निकाल लेते हैं. बुरे दिनों में कोई पास नहीं फटकता.
- बनी न बिगारी तो बुंदेला काहे के.(बुन्देलखंडी कहावत) बुंदेले लोगों को यह कहने में गर्व होता है कि वे किसी की बनी बनाई बात को बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं.
- बनी फिरे बेसवा, खोले फिरे केसवा.पहले के जमाने में स्त्रियों के लिए बाल खोल कर घूमना बहुत निर्लज्जता की निशानी मानी जाती थी, केवल वैश्याएं ही ऐसा कर सकती थीं. बेसवा – वैश्या.
- बनी बनावे बानिया, बनी बिगाड़े जाट, मूंड़ें सीस सराह के, डोम कवी अरु भाट.बनिया बनी हुई बात को और बनाता है जबकि जाट बनी हुई को बिगाड़ देता है. डोम, कवि और भाट आपकी प्रशंसा कर के आपको मूँड़ते हैं. मूंड़ें सीस – सर मूंडते हैं, सराह के – प्रशंसा कर के.
- बनी बनी के सब कोई साथी, बिगड़ी के कोई नाहीं (बनी के सब यार हैं).जब आप के दिन अच्छे होते हैं तो सब आपके दोस्त होते हैं.
- बने को सब ही सराहें, बिगड़े को कहें कमबख्त.जिसका काम बन जाए उसकी सब सराहना करते हैं. जिसका बिगड़ जाए उसे मूर्ख और अभागा कहते हैं.
- बन्दर एक निसाचरी लाया कर अपनी अर्धंगी, लालदास रघुनाथ कृपा से पैदा हुए फिरंगी.बंदर ने एक राक्षसी से शादी कर ली, उनसे जो संतानें पैदा हुईं वही फिरंगी (अंग्रेज़) हुए. इसके पीछे एक किंवदन्ती भी है कि भगवान राम ने वानरों को वरदान दिया था कि उनके वंशज कलियुग में संसार पर राज करेंगे.
- बन्दर कभी गुलाटी मारना नहीं भूलता.धूर्त व्यक्ति कभी धूर्तता करने से बाज नहीं आता.
- बन्दर का जखम जल्दी न भरे.क्योंकि बन्दर उसे हर समय नोचता खुजाता रहता है.
- बन्दर का हाल मुछंदर जाने.मुछन्दर बंदरों के सरदार को कहते हैं. जो सच्चा नेता है वही जनता का हाल जान सकता है.
- बन्दर की आशनाई, घर में आग लगाई.बंदर से प्रेम करने का अर्थ है अपना घर बर्बाद करना. कहावत का अर्थ है कि अपात्र से प्रेम नहीं करना चाहिए. आशनाई – प्रेम.
- बन्दर की दोस्ती, जी का जियान.ऊपर वाली कहावत की भांति.
- बन्दर के गले में मोतियों का हार.किसी अपात्र को बहुमूल्य चीज़ मिल जाना (जैसे किसी कुरूप व्यक्ति को बहुत सुंदर पत्नी मिल जाना).
- बन्दर के हाथ में नारियल.किसी मूर्ख व्यक्ति को कोई ऐसी चीज़ मिल जाना जिसका वह उपयोग न कर सकता हो (बंदर नारियल को तोड़ नहीं पाता है).
- बन्दा जोड़े पली पली और राम लुढ़ावे कुप्पा.पली – एक प्रकार का चमचा जो कुप्पे या पीपे में से घी, तेल निकालने के काम आता है, कुप्पा – बड़ा मटका. आदमी चमचा चमचा भर के इकट्ठा करता है, ईश्वर एक साथ कुप्पा ही लुढ़का देता है.
- बरखा हो तो खेलूं खाऊँ, काल पड़े घर जाऊं.वर्षा हो और अच्छी खेती हो तो यहीं मौज करेंगे, अकाल पड़ा तो घर चले जाएंगे. विशुद्ध स्वार्थ.
- बरगद का भार जटाएँ झेलती हैं.बरगद का वृक्ष जब बहुत फ़ैल जाता है तो उसका तना पूरा भार नहीं संभाल पाता. बरगद की जो जड़ें (जटाएं) पेड़ से लटकती हैं वे जमीन तक पहुँच जाती हैं और मोटी हो कर तने के समान पेड़ का भार संभालती हैं. इसी प्रकार बड़े परिवार में एक बुजुर्ग पर सारी जिम्मेदारी न डाल कर और सदस्यों को भी परिवार का भार उठाना चाहिए.
- बरगद के नीचे पेड़ नहीं बढ़ते.बड़े पेड़ की छाँव में पेड़ नहीं बढ़ते. बच्चों को सीख देने के लिए यह कहावत कही जाती है कि हमेशा माँ बाप के साए में रहने वाला बच्चा स्वतंत्र रूप से कुछ नहीं बन सकता.
- बरगद बोलते बोलते पीपल बोलने लगे.बात बदलने वाला व्यक्ति.
- बरतन से बरतन खटकता ही है (जहां चार बर्तन होंगे वहां खट्केंगे भी).जब चार लोग साथ रहते हैं तो कभी कभार उनमें थोड़ा बहुत मन मुटाव हो जाना स्वाभाविक है.
- बरसा पानी बह न पावे, तब खेती के मजा देखावे.वर्षा के पानी को सहेजने से ही खेती अच्छी हो सकती है.
- बरसात बर के साथ.वर्षा का आनंद पति के साथ ही आता है.
- बरसात में घोंघे का मुँह भी खुल जाता है.कोई मूर्ख व्यक्ति अचानक किसी बात के बीच में बोल पड़े तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.
- बरसें कम, गरजें ज्यादा.जो लोग बातें बढ़ बढ़ कर करते हैं और काम कम करते हैं उनके लिए.
- बरसेगा मेह होंगे अनंद, तुम साह के साह हम नंग के नंग.वर्षा होगी, खेती फले फूलेगी, अमीर आदमी और अमीर हो जाएगा, पर गरीब गरीब ही रहेगा.
- बरसो राम कड़ाके से, बुढ़िया मर गयी फाके से.तेज वारिश में बच्चे खुश हो कर बोलते हैं कि हे भगवान जोर से पानी बरसाओ जिससे बुढ़िया भूख से मर जाए. बच्चों को बुड्ढे लोगों से कुछ विशेष बैर होता है.
- बरसौ राम जगै दुनिया, खाय किसान मरै बनिया.किसान भगवान से वर्षा के लिए प्रार्थना करते हुए ऐसा कहता है.
- बरात की सोभा बाजा, अर्थी की सोभा स्यापा.बरात में जितने अधिक बाजे हों उसे उतना ही प्रभाव छोड़ने वाली माना जाता है, अर्थी में जितना अधिक क्रन्दन हो उसे उतना ही प्रभावी माना जाता है. (स्यापा – रोना पीटना)
- बराबर से लड़े और ऊपर से रोवे. कुछ लोग लड़ाई पूरी करते हैं पर साथ में अपने को सताया हुआ दिखाने के लिए रोते भी जाते हैं.
- बराबरों से कीजिए ब्याह, बैर औ प्रीत.विवाह आदि संबंध और प्रेम अपने से बराबर वालों में करना चाहिए, दुश्मनी भी अपने से बराबर वालों से करना चाहिए. अपने से बहुत बड़े से दुश्मनी करोगे तो बर्बाद हो जाओगे, बहुत छोटे से दुश्मनी करोगे तो आप को शोभा नहीं देगा.
- बल बुद्धी की बोरियां, बिकें न हाट बजार.बल और बुद्धि बाजार में नहीं मिलते. ये परिश्रम से और भाग्य से ही मिलते हैं.
- बलि का बकरा भी हँसे, ओछी पूजा देख. कहीं पर कोई अधकचरा पंडित गलत सलत पूजा करा रहा हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए. 2. न्यायालयों में भ्रष्टाचार और गलत सलत निर्णय देख कर वादी और प्रतिवादी भी विद्रूप की हंसी हँस कर रह जाते हैं.
- बलि के समय बकरा गायब.किसी समारोह में उपयुक्त समय पर यदि मुख्य व्यक्ति अनुपस्थित हो मजाक में यह बात कही जाती है (जैसे विवाह में दूल्हा ही गायब हो जाए).
- बस कर मियाँ बस कर, देखा तेरा लश्कर.जो अपनी बहादुरी की झूठी शान बघार रहा हो उससे कही जाने वाली कहावत.
- बस हो चुकी नमाज, मुसल्ला बढ़ाइये.मुसल्ला – नमाज के लिए बिछाई जाने वाली दरी. काम पूरा हो जाने के बाद किसी से जाने के लिए कहने का एक तरीका यह भी है.
- बसाव शहर का और खेत नहर का.शहर में बसना अच्छा होता है और नहर किनारे का खेत अच्छा होता है. नहर किनारे के खेत में सिंचाई में आसानी होती है.
- बसि कुसंग चाहत कुसल, यह रहीम जिय सोस, (महिमा घटी समुद्र की, रावन बस्यो परोस).रहीम इस बात पर अफ़सोस करते हैं कि व्यक्ति बुरी संगत में रह कर भी अपनी कुशल चाहता है. रावण के पड़ोस में रहने के कारण समुद्र को अपमानित होना पड़ा था.
- बसे बुराई जासु तन, ताहि को सन्मान.यहाँ सम्मान का अर्थ हृदय से किया गया सम्मान नहीं बल्कि मजबूरीवश किया गया दिखावटी सम्मान है. इस प्रकार का सम्मान दुष्ट लोगों को ही मिलता है. सूर्य चन्द्रमा की पूजा न कर के लोग शनि और राहु की ही पूजा करते हैं.
- बस्ती ऊजड़ को खावे.जब बस्तियों का विस्तार होता है तो जंगल काटे जाते हैं और बस्तियों में रहने वाले मनुष्य वनों का अत्यधिक दोहन भी करते हैं.
- बस्ती की लोमड़ी बाघ को डराती है.बस्ती में रहने वाला कमजोर प्राणी भी सुविधाएँ मिलने के कारण शक्तिशाली हो जाता है.
- बहता पानी निर्मला, खड़ा सो गंदा होय, (साधू जन रजता भला, दाग लगे न कोय).बहता हुआ पानी स्वच्छ रहता है और यदि कहीं इकट्ठा हो जाए तो गंदा होने लगता है. इसी प्रकार साधु चलते फिरते ठीक रहते हैं, यदि एक स्थान पर रुक जाएं तो उनके चरित्र को दाग लग सकता है. पैसे के लिए भी ऐसा ही कहते हैं कि इकट्ठा किया हुआ धन पाप को जन्म देता है. इंग्लिश में इस आशय की एक कहावत है – Hoarded money becomes foul like standing water.
- बहती गंगा में हाथ धो लो.मुफ्त में कोई सुविधा मिल रही हो तो उस का लाभ उठा लो.
- बहते दरिया में चुल्लू भर लो.अवसर का लाभ उठा लो.
- बहन के घर भाई कुत्ता, ससुरे के घर जमाई कुत्ता.विवाहित बहन के घर भाई को स्थाई रूप से नहीं रहना चाहिए और ससुराल में दामाद को घर जमाई बन कर नहीं रहना चाहिए. दोनों ही परिस्थितियों में व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं होता.
- बहन बत्तीस, भाई छत्तीस.जब भाई बहन एक से बढ़ कर एक हों तो.
- बहन मरी तो जीजा किसके.जीजा से रिश्ता बहन के कारण ही होता है. बहन की मृत्यु हो जाए तो रिश्ते का आधार ही क्या रहा. इस प्रकार की एक कहावत है – बेटी मरी जमाई चोर.
- बहरा पति और अंधी पत्नी, सदा सुखी जोड़ा.पति अगर बहरा हो तो पत्नी की हर समय की बक बक से परेशान नहीं होगा, और पत्नी अंधी हो तो हर समय कुछ न कुछ देख कर शक नहीं करेगी.
- बहरा सुने धर्म की कथा.बहरा व्यक्ति प्रवचन सुने तो बेकार है. जिस ज्ञान को कोई ग्रहण ही नहीं कर सकता वह उस के लिए बेकार है.
- बहरा सो गहरा.बहरा आदमी प्राय: गंभीर प्रवृत्ति का होता है.
- बहरे आगे गावना, गूंगे आगे गल्ल, अंधे आगे नाचना, तीनों अल्ल बिलल्ल.बहरे के आगे गाना, गूंगे से बात करने की कोशिश करना और अंधे के आगे नृत्य करना ये तीनों मूर्खतापूर्ण कार्य हैं.
- बहसू के नौ ठो हल, खेत में गया एको नहीं.बहसू – बहस करने वाला. बहुत बहस करने वाला व्यक्ति केवल बहस करना जानता है, अपने संसाधनों से काम लेना नहीं जानता.
- बहादुरी का काम, चाहे नहीं नाम.जो सही मानों में बहादुर होते हैं वे नाम के लिए काम नहीं करते.
- बहादुरी तो बैरी की भी सराही जाती है.शत्रु भी अगर वीर हो तो उस की वीरता की प्रशंसा करनी चाहिए.
- बहु ऋणी, बहु धन्धी, बहु बेटियों का बाप, इन्हें कबहुं न मारिए, ये मर जाएँ आप.बहुत से लोगों से उधार लेने वाला, बहुत से व्यवसाय करने वाला और बहुत सी बेटियों का बाप, इनको कभी न मारो. ये बेचारे तो अपने आप मर जाते हैं.
- बहु गुणी, बहु दुखी.जिसमें जितने अधिक गुण होते हैं वह उतना अधिक दुखी होता है. जो मूर्ख व्यक्ति है वह सबसे अधिक सुखी होता है.
- बहु निबल मिल बल करें, करैं जो चाहे सोइ.कमजोर लोग यदि संगठित हो कर कार्य करें तो जो चाहें कर सकते हैं.
- बहू सरम की बिटिया करम की.बहू वही अच्छी है जो लज्जावान हो, बेटी वही अच्छी है जो काम काज करती हो.
- बहुत बोलना मूरखताई.बहुत बोलना मूर्खता की निशानी है.
- बहुत सी कथनी से थोड़ी सी करनी भली.बहुत अधिक हांकने के मुकाबले थोड़ा सा काम कर के दिखाना अधिक अच्छा है.
- बहू आई सास हरखी, पैर लगी तो परखी.बहू के आने पर सास को एकदम से बहुत खुश नहीं होना चाहिए, जब उस के लक्षण देख ले तब खुश होना चाहिए.
- बहू और भैंस का खिलाया बेकार नहीं जाता.बहू को अच्छा खाने को मिलेगा तो घर का काम भी ठीक से कर पाएगी और स्वस्थ संतान को जन्म देगी. भैंस को ठीक से खिलाया जाएगा तो दूध अच्छा देगी और पड़िया जनेगी.
- बहू के हाथ चोर मरवाए, चोर बहू का भाई.बहू से कहा गया कि चोर को मारो, यह किसी को मालूम ही नहीं कि चोर तो बहू का भाई है. जिस से श देने को कह रहे हो वह तो अपराधियों से मिला हुआ है.
- बहू चुस्त और कूआं पास.बहू काम में मुस्तैद हो और कुआँ भी पास हो तो काम में आसानी ही आसानी है. सारी बातें अनुकूल हों तो काम आसानी से होता है.
- बहू नवेली और गऊ दुधेली.नई बहू और दुधारी गाय सबको अच्छी लगती हैं.
- बहू ने कूटा पीसा, सास ने हाथ साने.एक आदमी मेहनत कर रहा हो और दूसरा केवल दिखावा, तब यह कहावत कही जाती है.
- बहू परोसा खाएगा जीते जी मर जाएगा.बहू अपने ससुर को पौष्टिक खाना क्यों खिलाएगी?
- बहू बिना कैसा आंगन.घर के आंगन की शोभा बहू और बच्चों से ही होती है.
- बहू लाली, धन घर खाली.बहू श्रृंगार करने की शौक़ीन (खर्चीली) हो तो धन और घर खाली कर देती है.
- बा अदब बा नसीब, बे अदब बे नसीब.दूसरों का सम्मान करने वालों का भाग्य साथ देता है, जो दूसरों का सम्मान नहीं करते वे भाग्य हीन हो जाते हैं.
- बाँझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा.जिसने कभी बच्चा नहीं जना वह स्त्री प्रसव की पीड़ा को नहीं समझ सकती. जो कष्ट आपने स्वयं नहीं झेला उसकी परेशानी को आप नहीं समझ सकते.
- बाँझ गाय द्वार की सोभा.जो गाय दूध नहीं देती वह भी द्वार की शोभा तो बढ़ाती ही है. घर के बड़े बूढों के लिए भी यही बात कही जा सकती है.
- बाँझ गाय से घी की आस.गाय बाँझ होगी तो दूध ही नहीं देगी, फिर घी कैसे मिलेगा. किसी ठप पड़े व्यवसाय से कोई लाभ की आशा कर रहा हो तो.
- बाँझ बंझौटी, शैतान की लँगोटी.बाँझ – जिस के संतान न हो. पहले के जमाने में लोग संतान न होने पर केवल स्त्री को ही दोषी मानते थे और बहुत प्रताड़ित करते थे. ऐसे ही लोगों का कथन.
- बाँट कर खाना, स्वर्ग में जाना.अपनी कमाई को बाँट कर खाने वाले को स्वर्ग में भी स्थान मिलता है और इस धरा पर भी उस के लिए स्वर्ग है.
- बाँट खाओ या सांट खाओ.सांट – अदला बदली (वस्तु विनिमय). भोजन को बाँट कर खाना चाहिए या अदला बदली कर के. बाँट कर खाने से परोपकार होता है और एक दूसरे से अदला बदली करने से सभी प्रकार के तत्व भोजन से प्राप्त हो जाते हैं.
- बाँबी में हाथ तू डाल मंत्र मैं पढूं.सांप को पकड़ने के लिए मन्त्र पढ़ते हैं और हाथ से उसे पकड़ते हैं. मन्त्र पढने में तो कोई खतरा नहीं है पर बांबी में हाथ डालने में बहुत खतरा है. जब कोई धूर्त व्यक्ति लाभ पाने के लिए साथी को खतरे में डाल रहा हो तो.
- बांटने से ज्ञान बढ़ता है.ज्ञान को बांटने से ज्ञान और बढ़ता है.
- बांटने से सुख दूना होता है और दुख आधा.खुशियों को सबके साथ मिल कर मनाना चाहिए क्योंकि इस से खुशियाँ बढ़ती हैं. दुःख को भी दूसरों के साथ साझा करना चाहिए क्योंकि इस से दुःख कम हो जाता है.
- बांटल भाई, पड़ोसी बराबर.जिस भाई से बंटवारा हो चुका हो वह पड़ोसी के बराबर ही है.
- बांदी के आगे बांदी, मेह गिने न आंधी.नौकर के नीचे का नौकर बहुत काम करता है.
- बांध कुदारी खुरपी हाथ, लाठी हंसिया राखे साथ, काटे घास औ खेत निरावे, सो पूरा किसान कहलावे.जो अपने साथ कुदाली, खुरपी, लाठी और हंसिया रखता है, अपने हाथ से घास काटता है और खेत निराता है वही किसान कहलाता है.
- बांधा बरधा रहे मठाय, बैठा जवान जाय तुन्दियाय.बैल बंधे बंधे सुस्त हो जाता है और जवान आदमी कुछ न करे तो उस की तोंद निकल आती है. (घाघ कवि)
- बांबी पास मरे, सांप का नाम बदनाम.कोई अगर सांप की बांबी के पास मरता है तो सब लोग सांप पर ही शक करते हैं. जो बदनाम होता है उसका नाम कई बार बिना कुछ किए भी घसीटा जाता है.
- बांस की कोख से रेड़ पैदा हुआ है.रेड़ – अरंड. किसी सज्जन व्यक्ति के घर कुपुत्र पैदा हो जाए तो.
- बांस चढ़ी गुड़ खाए.नटनी बांस पर चढ़ कर ऊपर बंधा हुआ गुड़ तोड़ कर लाती है. अर्थ है कि जो प्रयास करेगा वही फल पाएगा.
- बांस चढ़ी नटनी कहे, होत ननटियो कोय, मैं नट कर नटनी बनी, नटे सो नटनी होय. नट जाना – मना करना, मुकर जाना. बांस पर चढ़ी नटनी कह रही है कि पैसा होते हुए भी देने को मना मत करना. मैंने मना किया था तो मैं नटनी बनी, जो मना करेगा वह नटनी बनेगा.
- बांस डूबें, बौरा थाह मांगे.पानी इतना गहरा है कि बांस डूब जाए और मूर्ख व्यक्ति यह जानने की कोशिश कर रहा है कि पानी कितना गहरा है. (हाथी घोड़ा डूब गए, गदहा पूछे कित्तो पानी).
- बांह गहे की लाज.किसी की बांह पकड़ी है (सहारा दिया है) तो निभाओ जरूर, या सहारा ही मत दो.
- बाई खा लें तो बामनों को दें.स्वार्थी लोगों के लिए कहा गया है. कायदे में तो पहले ब्राह्मणों को दान दे कर या भोजन करा के तब स्वयं खाना चाहिए.
- बाको अच्छा मत कहो, जो तेरे धोरे आय, करे बुराई और की, अपने तईं बधाय.जो आप के घर आ कर औरों की बुराई करे और अपनी प्रशंसा करे वह अच्छा व्यक्ति नहीं है.
- बाघ ने मारी बकरी और कुत्ते हड्डी खाएँ.शक्तिशाली लोग कोई उद्यम करते हैं तो समाज के कमजोर लोगों को भी उस का लाभ मिलता है. 2.बड़े अपराधी बड़े अपराध करते हैं और छोटे अपराधी उनके साए में फलते फूलते हैं.
- बाघ बकरी एक घाट पर पानी पीते हैं.जहाँ किसी को किसी से भय न हो.
- बाघ मार नदी में डारा, बिलाई देख डरानी.कोई ऐसी स्त्री अपनी बहादुरी के किस्से सुना रही थी कि उसने बाघ को मार कर नदी में डाल दिया था. अचानक वहाँ बिल्ली आ गई तो डर वह गई. झूठी शेखी बघारने वालों के लिए.
- बाघ से लड़ने के लिए बघनखा. बघनखा एक खतरनाक अस्त्र होता है जिसे उँगलियों में पहन कर मुट्ठी बाँध ली जाती है. उस के मुड़े हुए काँटों से किसी का भी पेट फाड़ा जा सकता है. कहावत का अर्थ है कि खतरनाक दुश्मन से लड़ने के लिए खतरनाक अस्त्र ही चाहिए.
- बाज के बच्चे मुंडेरी पर नहीं उड़ा करते.बाज अपने बच्चे को बहुत कठिन शिक्षा दे कर उड़ना सिखाता है जिससे वह शिकारी पक्षी बन सके. कहावत में ऐसा बताया गया है कि बहादुर लोग कड़ी मेहनत से ही उंचाई पर पहुँचते हैं.
- बाजार का सत्तू, बाप भी खाए, बेटा भी खाए (बाज़ार की मिठाई, जिसने चाही उसने खाई).वैश्या के लिए. वैश्या बाजार में बिकने वाली वस्तु की तरह है जिसे जो भी चाहे दाम दे कर खरीद सकता है.
- बाजार किसका, जो लेकर दे उसका (बाज़ार उसका जो ले के दे).जो उधार ले कर समय से वापस करे उसी की बाजार में साख है.
- बाजार के दोनवा चाटे गुजर न होई.(भोजपुरी कहावत) दोनवा – दोने, पत्ते. कोई व्यक्ति चाहे कि रोज बाजार की चाट पकौड़ी खा कर काम चला लेगा तो ऐसा नहीं हो सकता. इस में अत्यधिक खर्च भी है और बीमार होने का डर भी. कहावत के द्वारा वैश्यावृत्ति के प्रति भी आगाह किया गया है.
- बाड़ के सहारे दूब बढ़ती है (बाड़ बिना बेल नहीं चढ़ती). कमजोर व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए किसी का सहारा चाहिए होता है.
- बाड़ लगाईं खेत को बाड़ खेत को खाय, राजा हो चोरी करे कौन करे फिर न्याय (बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे).खेत की रक्षा करने को बाड़ लगाई और बाड़ ही खेत को खाने लगी. जब राजा ही चोरी करेगा तो न्याय कौन करेगा.
- बाड़ी बारह, हाट अठारह, घर बैठे चौबीस.खेत से कोई चीज़ बारह रूपये में मिलती है तो बाज़ार में अठारह की और घर बैठे मंगाना चाहो चौबीस की पड़ती है. कहावत में जो अनुपात बताया गया है वास्तविकता में उस से भी बहुत अधिक अंतर होता है.
- बाढ़े पूत पिता के धरमे, खेती उपजे अपने करमे.पुत्र पिता के धर्म कर्म से बढ़ता है पर खेती अपने कर्म से ही बढ़ती है.
- बात एक ही है साँपनाथ कहो या नागनाथ.दुष्ट को किसी भी नाम से पुकारो, वह दुष्ट ही रहेगा.
- बात कम हुई, बदनामी ज्यादा हुई.किसी स्त्री ने पड़ोस के पुरुष से जरा सी बात कर ली तो लोगों ने दोनों को खूब बदनाम किया. किसी बहुत छोटी सी बात पर अनावश्यक रूप से अधिक बदनामी होना.
- बात कहिए जगभाती, रोटी खाइए मनभाती.बोली ऐसी बोलनी चाहिए जो सब को प्रिय लगे. खाना वह खाना चाहिए जो अपने को अच्छा लगे.
- बात कही और पराई हुई.बात जब मुँह से निकल जाती है तो आप के वश में नहीं रहती.
- बात की बात खुराफ़ात की लात, बकरी के सींगों को चर गए बेरी के पात.पहले के जमाने में कहानियाँ सुनाने का बहुत रिवाज़ था. एक विशेष प्रकार की कहानियाँ होती थीं गप्प. उन्हीं गप्पों की शुरुआत इस तरह से होती थी. कहावत का अर्थ है कोई असम्भव बात.
- बात गई फिर हाथ न आती. सम्मान चला जाए तो वापस नहीं आता.
- बात चूका लात खाय.जो अपनी बात पर कायम नहीं रहता वह लात खाता है (प्रताड़ित किया जाता है).
- बात छीले रूखड़ी औ काठ छीले चीकना.बात छीलने का यहाँ पर अर्थ है अनावश्यक बहस करना. काठ को छीलो तो चिकना होता है पर ज्यादा खोद खोद कर बात पूछने से या बहस करने से आपस में रुखाई होती है (मधुरता कम होती है).
- बात पूछे, बात की जड़ पूछे.बहुत खोद खोद के कोई बात पूछने वाला.
- बात बिगारे तीन, अगर मगर लेकीन.शंका और संशय से बनते काम बिगड़ जाते हैं.
- बात में हुँकारा और फौज में नगाड़ा.ये दोनों चीजें लोगों में जोश भरने का काम करती हैं.
- बातन हाथी पाइए, बातन हाथी पाँव. (बातों हाथी पायं, बातों हाथी पायं).एक ही बात को कहने का तरीका इतना फर्क हो सकता है कि राजा खुश हो कर हाथी इनाम में दे दे या नाराज हो कर हाथी के पैर तले कुचलवा दे.
- बातें कम, लातें ज्यादा.मूर्ख लोग स्वस्थ तर्क वितर्क के मुकाबले लातों घूंसों में विश्वास रखते हैं.
- बातें चीतें हमसे लेओ, खसम को रोटी तुम पै देओ.दुनिया भर की बातें और कजिए किस्से तो हम से कराओ और कोई काम आ पड़े तो तुम करो.
- बातों की बुढ़िया करतब की ख्वार.जो बातें बहुत बड़ी बड़ी बनाए पर काम चौपट कर दे.
- बातों के राजा नहीं होय काजा.जो लोग बातें बहुत करते हैं पर काम कुछ नहीं करते उनके लिए यह कहावत कही जाती है.
- बातों चीतों मैं बड़ी, करतब बड़ी जिठानी.बातें बनाने में तो मैं बड़ी हूँ और कोई काम आ पड़े तो जिठानी बड़ी हैं.
- बादल की छाया से कै दिन काम सरे.अस्थिर वृत्ति (चलायमान प्रकृति) वाले व्यक्ति पर निर्भर नहीं रहा जा सकता. बादल की छाया अभी है अभी खत्म हो जाएगी.
- बादल देख कर ही घड़ा फोड़ दिया.मूर्खतापूर्ण और अदूरदर्शितापूर्ण काम. बादल आए हैं तो क्या मालूम बरसेंगे भी या नहीं, और बरसेंगे भी तो पानी भरने के लिए घड़ा तो चाहिए ही होगा.
- बादलों को थेगली.बादलों में पैबंद लगाना. असम्भव काम.
- बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टांग उठाए.जिस व्यक्ति की जो आदत होती है वह जाती नहीं है. बान – आदत, बानिया – आदत से मजबूर आदमी.
- बाप ओझा, मां डायन.विचित्र संयोग. माँ डायन है और बाप डायन को भगाने वाला ओझा है.
- बाप कर गए मजा, बेटा पावे सजा.बाप ने गलत काम कर के या उधार ले कर गुलछर्रे उडाए हों और बेटे को उस का भुगतान करना पड़े तो यह कहावत कही जाती है.
- बाप का किया बेटे के आगे आता है.मनुष्य जो गलतियाँ करता है वो उसकी संतानों को भुगतनी पड़ती हैं.
- बाप का नाम दमड़ी, बेटे का नाम पचकौड़िया, नाती का नाम दोकौड़िया, तीन पुरसें बीतीं छदाम न पूरा हुआ.दमड़ी = 12 कौड़ी, छदाम = 24 कौड़ी. किसी निम्न कोटि के खानदान का मजाक उड़ाने के लिए.
- बाप का पोखर है तो क्या कीच खानी है.कोई चीज़ पुरखों से मिली है तो उसका गलत प्रयोग थोड़े ही करोगे.
- बाप की कमाई पर तागड़धिन्ना.जो लोग अपने आप कुछ नहीं करते और पैतृक सम्पत्ति पर ऐश करते हैं, उन पे व्यंग्य.
- बाप की टांग तले आई, और माँ कहलाई.बाप की रखैल के लिए.
- बाप के गले लबनी, पूत के गले रुद्राच्छ.लबनी – ताड़ी इकठ्ठा करने वाली हांडी. बाप महा कुकर्मी है और पुत्र रुद्राक्ष की माला पहने साधु बना घूम रहा है.
- बाप जिन्न और बेटा भूत.जहाँ बाप बदमाश हो और बेटा उस से भी बढ़ कर हो.
- बाप देवता पूत राक्षस.पिता बहुत भला आदमी था पर बेटा उतना ही दुष्ट.
- बाप न दादे, सात पुश्त हरामज़ादे.किसी नीच व्यक्ति को गाली देने के लिए (इसके केवल बाप और दादा ही नहीं सात पीढियां धूर्त हैं).
- बाप न मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज.बाप ने कभी मेंढकी भी नहीं मारी और बेटा अपने को योद्धा समझता है. शेखी खोरों का मजाक उड़ाने के लिए.
- बाप नरकटिया, पूत भगतिया.नरकटिया – कीड़े मकौड़ों जैसे आचरण वाला क्षुद्र व्यक्ति (नरकीट). बाप नरकीट है और बेटा भगत बना हुआ है.
- बाप पदहिन न जाने, पूत शंख बजावे.बाप पादना नहीं जानते और पुत्र शंख बजा रहा है.
- बाप पेट में, पूत ब्याहने चला.उचित समय से बहुत पहले कोई काम करने की कोशिश की जाए तो उसका मजाक उड़ाने के लिए यह अतिश्योक्ति पूर्ण बात कही जाएगी (बाप अभी पैदा भी नहीं हुआ है और बेटा विवाह करने चला है).
- बाप बड़ा न मैया सबसे बड़ा रुपैया.रुपया सब सम्बन्धों से बड़ा है.
- बाप बनिया, पूत नवाब.बाप बनिए जैसा कंजूस और शातिर हो और बेटा नवाबों जैसा दरियादिल, तो यह कहावत कही जाती है.
- बाप भिखारी पूत भंडारी.किसी गरीब पिता का पुत्र धनवान हो जाए और अपने धन का प्रदर्शन करने लगे तो लोग व्यंग्य में ऐसा कहते हैं.
- बाप मरिहैं, तब पूत राज करिहैं.बाप के मरने के बाद ही बेटा राजा बनेगा. कोई बाधा दूर होने तक प्रतीक्षा करनी ही पड़ेगी.
- बाप मरे घर बेटा हुआ, इसका टोटा उस में गया.एक नुकसान और एक फायदा हो तो नुकसान की भरपाई मान ली जाती है.
- बाप मारे पूत साखी दे.साखी – साक्षी, गवाही. पिता ने कोई अपराध किया हो और पुत्र को गवाही के लिए बुलाया जाए तो न्याय कैसे होगा.
- बाप से बैर पूत से सगाई.घर में किसी एक व्यक्ति से दुश्मनी और दूसरे से दोस्ती.
- बाबरे गाँव में ऊँट पाहुना.मूर्खों के बीच में कुछ भी संभव है (वे ऊँट को भी सम्मानित अतिथि मान सकते हैं).
- बाबली गीदड़ी के पकड़े कान. न छोड़े जाएँ, न पकड़े राखे जाएँ.(हरियाणवी कहावत) पागल गीदड़ी के कान धोखे से पकड़ लिए हैं, अब छोड़ते हैं तो वह काट खाएगी और पकड़े रहेंगे तो आखिर कब तक पकड़े रहेंगे. जिस काम को करते रहने और छोड़ने दोनों में परेशानी हो.
- बाबले कुत्ते हिरनों के पीछे भागें.हिरन जैसे तेज प्राणी को कुत्ते कभी नहीं पा सकते. अपनी पहुँच से बाहर कोई लक्ष्य पाने का प्रयास करना.
- बाबा कमावे, बेटा उड़ावे.नालायक बेटे बाप दादों की मेहनत की कमाई को उड़ा देते हैं.
- बाबा की बातें, कुत्ता चले बरातें.बाबा जी आप भी क्या बात करते हैं, कुत्ते भी कहीं बरात में चलते हैं? बड़े बुज़ुर्ग कभी कभी गप्पें हांकते हैं तो बच्चे इस प्रकार उनका मजाक उड़ाते हैं.
- बाबा घर आना चाहिए, चाहे गली गली आए चाहे छप्पर फाड़ के आए.कैसे भी हो काम होना चाहिए.
- बाबा जी कूदे तो सीधे बैकुंठ के अन्दर.बाबा जी को चेताया जा रहा है कि यहाँ से कूदे तो सीधे स्वर्ग सिधार जाओगे.
- बाबा जी के दाना, हक लगा के खाना.अपनी पुश्तैनी संपत्ति का उपभोग करने का व्यक्ति को पूरा अधिकार है.
- बाबा जी चेले बहुत हो गए हैं, बच्चा भूखों मरेंगे तो आप चले जाएंगे.जिम्मेदारियों से तनावग्रस्त न हो कर मस्त रहना.
- बाबा मरे नाती जन्मा, वही तीन के तीन.घर या समूह में से कोई कम हुआ तो कोई बढ़ गया. खर्च के लिए उतने ही लोग रहे.
- बाभन कुत्ता नाई, जात देख गुर्राई / घिनाई.ब्राह्मण, कुत्ता और नाई (हज्जाम नहीं कर्मकांड कराने वाला नाई) अपनी जाति वालों से ही शत्रुता रखते हैं / घृणा करते हैं.
- बाभन कुत्ता भाट, जात जात के काट.ब्राह्मण कुत्ता और भाट अपनी जाति वालों की काट करते हैं.
- बाभन को घी देव बाभन झल्लाय.किसी को लाभ पहुँचाने की कोशिश करो और वह नाराजगी दिखाए तो यह कहावत कही जाती है.
- बामन का बनाया बामन खाए न तो बैल खाए.ब्राह्मणों की बनाई खराब रसोई का मजाक उड़ाने के लिए.
- बामन का बेटा, बावन बरस तक पोंगा.ब्राहण का बेटा काफ़ी आयु तक पिता का पिछलग्गू रहता है.
- बामन का मन लड्डू में.अर्थ स्पष्ट है.
- बामन कुत्ता हाथी, ये न जात के साथी (तीनों जात के घाती). ब्राहण, कुत्ता और हाथी अपनी जाति वाले का साथ नहीं देते.
- बामन को दी बूढ़ी गाय, धरम न होय दलिद्दर जाय.ब्राह्मण को बूढ़ी गाय दान कर के बड़े खुश हैं, पुण्य न भी मिले तो भी कम से कम उसे खिलाने का झंझट तो गया.
- बामन को बामन मिला, मुख देखे व्यौहार, लेन देन को कुछ नहीं नमस्कार ही नमस्कार.ब्राह्मण यदि समाज के किसी अन्य वर्ग के व्यक्ति से मिलते हैं तो आशीर्वाद देते हैं और बदले में कुछ पाने की आशा करते हैं. यदि दूसरा ब्राह्मण ही मिल जाए तो कोई लेन दन कुछ नहीं होता बस नमस्कार होती है. एक समय में ब्राह्मणों की ऐसी छवि बन गई थी कि वे भांति भांति से लोगों को ठगते हैं, उसी पर व्यंग्य.
- बामन को लरिका मूलन में नाहिं होत.ब्राहण लोग आम लोगों को तरह तरह के भय दिखा कर धन ऐंठते हैं. इसी प्रकार का एक भय है मूल नक्षत्र का. मूल नक्षत्र को अशुभ बता कर उसमें जन्म लेने वाले बच्चों के लिए पूजा पाठ कराने का प्रावधान रखा गया है. कहावत में कहा गया है कि ब्राह्मण का बेटा मूलों में नहीं होता क्योंकि उस को मूल नक्षत्र का बता कर किस से धन ऐठेंगे.
- बामन को साठ बरस पे बुद्धि आवे, और तब वह मर जावे.(राजस्थानी कहावत) साठ वर्ष का होके तो ब्राह्मण को बुद्धि आती है और उसके बाद वह मर जाता है.
- बामन जीमे ही पतियाय.ब्राह्मण जब भर पेट खाना खा लेता है तभी किसी का विश्वास करता है.
- बामन नाई कूकरो, जात देख गुर्राएं, कायथ कागो कूकड़ो, जात देख हरषाएं.ब्राह्मण, नाई और कुत्ता, अपनी जाति वाले को देख कर गुर्राते हैं. कायस्थ, कौवा और मुर्गा अपनी जाति वालों को देख कर खुश होते हैं.
- बामन नाचे, धोबी देखे.उल्टी रीत.
- बामन बनिया पनिया सांप, न उन में रिस न इन में बिस.(बुन्देलखंडी कहावत) ब्राह्मण और बनिया पानी के सांप के समान हैं. वे क्रोध (रिस) नहीं करते और इन में विष नहीं होता.
- बामन बांधे छुरा तो बड़ा बुरा.ब्राह्मण से यह आशा नहीं की जाती कि वह छुरा रखेगा.
- बामन बेटा लोटे पोटे, मूल ब्याज दोनहूँ घोटे.ब्राह्मण का बेटा कुछ न कुछ उलट फेर कर के मूल धन और ब्याज दोनों ही पचा लेता है.
- बामन हाथी चढ़ कर भी मांगे.आदमी की आदत नहीं जाती. ब्राह्मण को हाथी मिल गया तो उस पर चढ़ कर भिक्षा मांग रहा है.
- बामन, कुक्कुर, घोड़िया, जात देखि नरियाए. ब्राह्मण, कुत्ता और घोड़ा अपनी ही जाति के दुश्मन होते हैं.
- बामनों में तिवारी, कटहल की तरकारी और हैजा की बीमारी ये तीनों खतरनाक होते हैं.तिवारी लोगों से परेशान किसी व्यक्ति का कथन.
- बाय बह जाएगी और बात रह जाएगी.समय बदल जाता है, परिवेश बदल जाता है पर व्यक्ति की बात रह जाती है.
- बार बार चोर की तो एक बार शाह की.चोर बार बार चोरी कर के राजा को परेशान करता है पर राजा जब एक बार चोर को पकड़ लेता है तो उसी एक बार में सारा हिसाब पूरा कर देता है.
- बारह गाँव का चौधरी, अस्सी गांव का राय, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाए.अँगरेज़ लोग अपने चाटुकार लोगों को तरह तरह के इनाम और ओहदे दिया करते थे. किसी चाटुकार को चौधरी साहब की पदवी दे कर बारह गाँव की जमींदारी दे दी तो उस से बड़े चाटुकार को अस्सी गाँव का पट्टा दे कर राय साहब बना दिया. कहावत में कहा गया है कि कोई कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो अगर हमारे काम नहीं आता तो ऐसी तैसी में जाए.
- बारह बरस का कोढ़ी, एक ही इतवार पाक.कुछ लोग (विशेषकर ईसाई) मानते हैं कि किसी एक पवित्र इतवार को कुछ चमत्कारों द्वारा कुष्ठ रोग को ठीक किया जा सकता है. कहावत में कहा गया है कि बहुत पुराना कुष्ठ रोगी है जिसे कई बार चमत्कारिक इलाज की जरूरत है, लेकिन एक ही इतवार ऐसा पड़ रहा है. आवश्यकताएँ बहुत अधिक हों और साधन सीमित हों तो.
- बारह बरस की कन्या और छठी रात का वर, मन माने तो कर.कन्या बारह बरस की है और वर छह दिन का है. समझ में आता हो तो शादी करो वरना नहीं. कहावत का अर्थ है कि काम बड़ा बेमेल है, मर्जी हो तो करो.
- बारह बरस तप किया, जुलहा भतार मिला.बारह साल कन्या ने व्रत तपस्या की लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ, शादी गरीब जुलाहे से हुई.
- बारह बरस बाद घूरे के भी दिन फिरते हैं.घूरा – कूड़े का ढेर. बेकार से बेकार व्यक्ति या स्थान का भाग्य कभी न कभी बदलता है.
- बारह बरस में बाँझ ब्याही, पूत ब्याही लंगड़ा.बहुत दिनों में कोई काम किया और वह भी ढंग का नहीं किया.
- बारह बरस में बाबा बोले, बोले पड़ेगा अकाल.बाबा बारह बरस बाद तो बोले, और बोले भी तो इतनी अशुभ बात कि अकाल पड़ेगा.
- बारह बरस लौं कूकुर जीवे, अरु तेरह तक जिए सियार, बरस अठारह छत्री जीवे, आगे जीवन को धिक्कार.कुत्ता बारह साल तक जीवित रहता है और सियार तेरह साल तक. मनुष्य की आयु सौ बर्ष मानी गयी है परन्तु क्षत्रिय योद्धा अठारह बरस तक ही जीते हैं (इसके बाद युद्ध में मारे जाते हैं) इसलिए इसके आगे यदि वे जिएँ तो वे कायर माने जाएंगे (क्षत्रिय युवकों को युद्ध में जाने के लिए उकसाने हेतु कथन).
- बारह बरस सेई कासी, मरने को मगहर की माटी.ऐसा माना जाता था की काशी में मरने वाला निश्चित रूप से स्वर्ग जाता है और काशी के पास मगहर नामक स्थान में मरने वाला निश्चित रूप से नर्क में जाता है. कबीरदास इस प्रकार के अंधविश्वासों के कट्टर विरोधी थे. वे जीवन भर काशी में रहे और मृत्यु निकट आने पर जानबूझ कर मगहर चले गए थे. एक तो उन के लिए विशेष रूप से यह कहावत कही गई है. दूसरे ऐसे लोगों के लिए जिनका जीवन अच्छा कटा हो पर मृत्यु के समय जिनकी दुर्गति हुई हो उनके लिए यह कहावत कही जा सकती है.
- बारह बामन बारह बात, बारह खाती (बढ़ई) एक ही बात.आप किसी समस्या का हल पूछेंगे तो बारह ब्राह्मण बारह तरह की बात कहेंगे और बारह बढ़ई एक ही हल बताएंगे. कहावत का अर्थ है कि पंडितों में एक राय नहीं हो सकती.
- बारह साल दिल्ली में रहे पर भाड़ ही झोंका.अच्छी से अच्छी परिस्थितियों में रह कर भी कोई प्रभावशाली कार्य नहीं कर पाए.
- बाराती किनारे हो जइहैं, काम दूल्हा दुल्हन से पड़िहैं (बाराती जीम के जाते धाम, दूल्हा दुल्हन से पड़ता काम).किसी भी आयोजन में इकठ्ठी हुई भीड़ आप के किसी काम की नहीं है. काम मुख्य लोगों से ही पड़ेगा.
- बाल की खाल, हिंदी की चिंदी.व्यर्थ की नुक्ताचीनी.
- बाल जंजाल, बाल सिंगार.बालों को धोना, काढ़ना, सुलझाना और समय समय पर कटवाना ये सब जी का जंजाल हैं पर बाल मनुष्य का श्रृंगार भी हैं. किसी भी चीज़ से हानि लाभ दोनों ही होते हैं.
- बाल दोस गुन गनहिं न साधू.सज्जन लोग बच्चों के दोष नहीं गिनते (क्षमा कर देते हैं).
- बाल नोचने से ऊंट नहीं मरते.बड़े लोगों को छोटे मोटे नुकसान से कोई फर्क नहीं पड़ता.
- बाल मराल कि मंदर लेहीं.हंस का बच्चा कहीं मंदराचल पर्वत को उठा सकता है? यह प्रसंग राम चरित मानस का है. जब ऋषि विश्वामित्र ने जनक जी के धनुष यज्ञ में राम से धनुष उठाने को कहा तो वहाँ उपस्थित स्त्रियाँ कहने लगीं कि यह सुकोमल बालक इस धनुष को कैसे उठा सकता है?
- बाल हठ, तिरिया हठ, राज हठ.तीन हठ प्रसिद्ध हैं, बच्चों का हठ, स्त्रियों का हठ और राजा का हठ.
- बालक हो बुद्धिमान सो बड़ा नर जान तू, बूढ़ा हो अज्ञानी सो पशु समान मान तू.बालक यदि बुद्धिमान हो तो उसे व्यस्क मानो और बूढ़ा अगर अज्ञानी हो तो उसे पशु समान मानो.
- बालू की भीत, ओछे का संग, पतुरिया की प्रीत, तितली के रंग.रेत की दीवार, धूर्त व्यक्ति का साथ, चरित्रहीन स्त्री का प्रेम और तितली के रंग ये सब स्थायी नहीं होते.
- बालू जैसी भुरभुरी, धौली जैसी धूप, मीठी ऐसी कुछ नहीं, जैसी मीठी चूप.चूप – मौन, धौली – श्वेत, धवल. मौन रहना बहुत बड़ा गुण है (क्योंकि इससे सब झगड़े शांत हो जाते हैं). इस को इस प्रकार भी कहते हैं – सब से मीठी मौन.
- बालों हाथ छिनाला और कागों हाथ संदेसा.किसी चरित्रहीन स्त्री द्वारा बच्चे के साथ व्यभिचार करना सफल नहीं हो सकता और कोई व्यक्ति कौवे के हाथ संदेश भेजना चाहे तो सफल नहीं हो सकता.
- बावन बुद्धि बकरिया में, छप्पन बुद्धि गड़रिया में.गड़रिये में बकरी से कुछ ही ज्यादा बुद्धि होती है.
- बावन बुद्धि बानिया, तरेपन बुद्धि सुनार, सबको ठगे बनिया, बनिया को ठगे सुनार.बनिया जितना होशियार होता है, सुनार उससे भी अधिक चालाक होता है.
- बावली को आग बताई, उसने ले घर में लगाई.पहले के जमाने में माचिस और लाइटर की उपलब्धता न होने के कारण लोग एक दूसरे के घर से जलता हुआ कोयला या लकड़ी मांग कर लाते थे. कहावत में कहा गया है कि मूर्ख स्त्री को आग दी तो उस ने घर में ही आग लगा दी. मूर्ख व्यक्ति की सहायता भी सोच समझ कर ही करना चाहिए.
- बावली खाट के बावले पाए, बावली रांड के बावले जाए.जहाँ माँ भी मूर्ख हो और बच्चे भी उस बढ़ कर मूर्ख हों. तुकबंदी के लिए खाट और पायों का ज़िक्र कर दिया गया है.
- बावले मर गए औलाद छोड़ गए.किसी मूर्ख व्यक्ति की मूर्ख संतान का मजाक उड़ाने के लिए.
- बासी कढ़ी उबाला आया.बुढापे में जोश आना.
- बासी चावल बासी साग, अपने घर खाए क्या लाज.अपने घर पर कुछ भी खाओ उसमें शरम नहीं करनी चाहिए.
- बासी भात में अल्ला मियाँ का कौन निहोरा(बासी भात में ठाकुर साहब का कौन निहोरा). बासी भात खा कर किसी तरह पेट भर रहे हैं, तो इस में अल्ला मियाँ या ठाकुर साहब की क्या मेहरबानी मानें.
- बासी मुंह फीका पानी औगुन करे है.बहुत से लोग खाली पेट पानी पीना ठीक नहीं मानते. ऐसे लोग पहले कुछ मीठा खा कर तब पानी पीते हैं. कहीं कहीं यह रिवाज होता है कि यदि कोई कामवाला भी पानी मांगे तो उसे पहले कुछ मीठा खाने को देते हैं.
- बाहर की चुपड़ी से घर की रूखी सूखी भली. घर में जो कुछ भी रूखा सूखा उपलब्ध हो वही खा कर व्यक्ति को संतोष करना चाहिए, बाहर चुपड़ी खाने के प्रयास में धन और स्वास्थ्य दोनों की हानि होती है. (रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पीव, देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव). 2. बाहर रह कर अधिक आय होती हो उस के मुकाबले कम आय हो पर घर में रहने को मिले तो बेहतर है.
- बाहर खुशबू, भीतर बदबू.ढोंगी सफेदपोश लोगों के लिए.
- बाहर टेढ़ो फिरत है, बाँबी सूधो साँप.सांप दुनिया भर में टेढ़ा टेढ़ा चलता है लेकिन अपनी बांबी में सीधा ही घुसता है. कोई व्यक्ति दुनिया के लिए कितना भी दुष्ट क्यों न हो घर में सीधा ही रहता है.
- बाहर त्याग, भीतर सुहाग.ऐसे लोगों के लिए जो त्यागी होने का ढोंग करते हैं और वास्तव में भोगी होते हैं.
- बाहर मियाँ झंगझंगाले, घर में नंगी जोय.घर से बाहर पतिदेव खूब चौकस कपड़े पहने घूम रहे हैं और घर में बीबी फटे पुराने और अपर्याप्त कपड़े पहन रही है.
- बाहर मियाँ पंजहजारी, घर में बीबी कर्मों मारी.पंज हजारी – पांच हजार रूपये वेतन पाने वाला (पुराने समय में पांच हजार एक अत्यधिक बड़ी रकम थी). पति बड़े ओहदे पर काम कर रहा है और पत्नी घर के कामों में पिस रही है.
- बाहर मियाँ सूबेदार, घर में बीबी झोंके भाड़.घर से बाहर पति बड़े अधिकारी बने रौब गाँठ रहे है और घर में बीबी चूल्हा झोंक रही है.
- बाहर वाले खा गए, घर के गावें गीत.बाहर के लोग दावत खा गए और घर वाले गीत गाते ही रह गए. बिना सही योजना बनाए अव्यवस्था पूर्ण कार्य करने वालों के लिए.
- बिंध गया सो मोती, रह गया सो पत्थर.जिस का काम बन गया वह बड़ा आदमी बन गया और जिसका काम नहीं बना वह बेचारा छोटा ही रह गया.
- बिआवत दुख, बिहावत दुख.बेटी के बारे में यह कहावत कही गई है कि जब पैदा होती है तब भी दुख और जब शादी होकर चली चली जाती है, तब भी दुख।
- बिगड़ी तो चेली बिगड़ी, बाबा जी तो सिद्ध के सिद्ध.बाबा जी और चेली के बीच कोई अनैतिक सम्बन्ध हुआ तो चेली की ही बदनामी होती है.
- बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय, (रहिमन फाटे दूध के मथे न माखन होय).बिगड़ी बात फिर नहीं बनती चाहे कितना भी प्रयास करो (फटे हुए दूध को मथने से माखन नहीं निकलता).
- बिगड़ी रसोई सुधरती नहीं.जो बात बिगड़ जाए वह सुधर नहीं सकती.
- बिगड़ी लड़ाई सिपाहियों के सिर.हारी हुई लड़ाई का ठीकरा सिपाहियों के सर फोड़ा जाता है. कोई पार्टी चुनाव हारती है तो कार्यकर्ताओं पर दोष डालती है.
- बिगड़ेगा बस सुगढ़ नर क्या बिगड़ेगा कूढ़, क्या बिगड़ेगा मट्ठा बिगड़ेगा बस दूध.जो सज्जन और सम्पन्न व्यक्ति है उसे ही हानि होने का डर होता है, जो मूर्ख और विपन्न है उसे क्या हानि होगी.
- बिच्छू का काटा चोर, न हूँ कर सकै न चूँ.चोरी करते समय यदि किसी चोर को बिच्छू काट ले तो वह बेचारा दर्द से बिलबिलाते हुए भी चिल्ला नहीं सकता.
- बिच्छू का काटा रोवे, साँप का काटा सोवे.बिच्छू का काटा व्यक्ति भयानक दर्द से रोता है जबकि सांप का काटा व्यक्ति विष के प्रभाव से मूर्च्छित होने लगता है.
- बिच्छू का मंत्र जाने नहीं, साँप के बिल में हाथ डाले.जब बिच्छू और सांप के काटे का कोई इलाज उपलब्ध नहीं था तो लोग झाड़ फूँक किया करते थे. अगर सांप जहरीला नहीं हुआ या अधिक विष शरीर में नहीं पहुँचा तो मरीज़ बच जाता था और लोग समझते थे कि मन्त्र से ठीक हो गया. कहावत ऐसे व्यक्ति के विषय में कही गई है जो बिना किसी जानकारी के किसी खतरनाक काम में हाथ डाल रहा है.
- बिच्छू के डर से भागे, सांप के मुँह में पड़े.छोटी परेशानी से बचने के प्रयास में बड़े संकट में पड़ जाना.
- बिच्छू के मंत्र से सांप का जहर नहीं उतरता.हर संकट का हल एक ही तरीके से नहीं किया जा सकता. अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग हल खोजने होते हैं.
- बिछौना देख थकावट लगे.अर्थ स्पष्ट है.
- बिजली कांसे पर ही गिरती है.कांसा क्योंकि बिजली का अच्छा चालक (conductor) होता है इसलिए बिजली कांसे पर गिर कर धरती में समाती है. कांसा अन्य धातुओं से महंगा होता है. कहावत को इस अर्थ में प्रयोग कर सकते हैं कि आपदा बड़े आदमी पर ही आती है या किसी काम की गाज़ बड़े आदमी पर ही गिरती है.
- बिटिया तेरो ब्याह कर दें, मैं कैसे कहूँ.किसी व्यक्ति से ऐसे विषय पर चर्चा करना जो उस के लिए लज्जा का विषय हो. पुराने समय में विवाह की बात पर लड़कियाँ शर्माती थीं.
- बिटोरे में से तो उपले ही निकलेंगे.बिटोरा – गोबर के कंडों (उपलों) का ढेर. बिटोरे में से तो उपले ही निकलेंगे, कोई लकड़ियाँ थोड़े ही निकलेंगी. कोई घटिया आदमी गालियाँ दे रहा हो तो यह कहावत कही जा सकती है.
- बित्ते भर की छोकरी गज भर की जीभ.कोई छोटा बच्चा बहुत बढ़ चढ़ कर वयस्कों जैसी बातें कर रहा हो तो.
- बिन कुत्तों के गाँव में बिल्ली अलबेली घूमे.समाज में जागरूक लोगों की कमी हो तो धूर्त लोगों की बन आती है.
- बिन घरनी घर भूत का डेरा.बिना पत्नी घर भूत के डेरे के समान है.
- बिन देखे राजा भी चोर.अपनी आँख से देखे बिना किसी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए.
- बिन निरधार न हो सके सांच झूठ को न्याव.निरधार – निर्धारण करने वाला. बिना उचित निर्धारण करने वाले के सच और झूठ का न्याय नहीं हो सकता.
- बिन बिचौलिया छिनाला नहीं.कोई भी गलत काम जैसे चोरी, डकैती, रिश्वतखोरी, वैश्या वृत्ति आदि दलालों के बिना नहीं होते.
- बिन बुलाए अहमक, ले दौड़े सहनक.सहनक – भोजन का थाल. बिना बुलाए दूसरे के यहाँ जा कर भोजन करना.
- बिन बैलन खेती करे, बिन भैय्यन के रार, बिन मेहरारू घर करे, चौदह साख गंवार.जो बिना बैलों के खेती करने चले, बिना भाइयों की सहायता के किसी से दुश्मनी मोल ले और बिना पत्नी के घर बनाए ये सब गंवार होते हैं.
- बिन माँगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख.माँगना बहुत बुरा है यह समझाने के लिए.
- बिन विद्या नर नार, जैसे गधा कुम्हार.विद्या के बिना नर और नारी कुम्हार के गधे के समान हैं.
- बिन स्वारथ कैसे सहे कोऊ करवे बैन, लात खाय पुचकारिए होए दुधारू धेनु.अपने स्वार्थ के लिए आदमी कड़वे बोल भी सह लेता है, दूध देने वाली गाय की लात खा कर भी उसे पुचकारते हैं.
- बिन हिम्मत किस्मत नहीं.जो लोग साहस नहीं दिखाते उनका भाग्य भी साथ नहीं देता.
- बिना कष्ट उठाए कोई सफलता नहीं मिलती.अर्थ स्पष्ट है.
- बिना चाह का पाहुना, घी डालूं या तेल.जो अतिथि अपने मन को न भाता हो, उसका सत्कार भी काम चलाऊ ढंग से किया जाता है.
- बिना दबाए तिल से तेल नहीं निकलता.बिना भय दिखाए कोई काम नहीं करता.
- बिना नून का रांधे साग, बिना पेंच की बांधे पाग, बिना कंठ के गाए राग, न वो साग, न पाग, न राग.बिना नमक के साग बनाओ तो वह बेकार ही बनेगा, इसी प्रकार बिना पेंच के बंधी पगड़ी और बिना मधुर कंठ के गाया राग भी बेकार ही माना जाएगा.
- बिना पथ्य के दवा और बिना सत्य के बात.बिना परहेज के दवा उतनी ही निरर्थक है जितनी बिना सत्य के कोई बात.
- बिना पेंदी का लोटा चाहे जिधर लुढ़क जाए.जिस व्यक्ति की अपनी कोई विचारधारा न हो.
- बिना बाप का छोरा बिगड़े, बिना माई की छोरी.बिना बाप का बेटा बिगड़ जाता है (अनुशासन के अभाव में) और बिना माँ की बेटी बिगड़ जाती है (माँ की सीख के अभाव में).
- बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछिताए, (काम बिगारे आपनो जग में होत हंसाय).जो बिना सोचे विचारे जल्दबाजी में काम करता है उसे बाद में पछताना पड़ सकता है. उसका काम भी बिगड़ता है और दुनिया के लोग उस पर हंसते भी हैं. इस कहावत को आम तौर पर केवल आधा ही बोला जाता है.
- बिना बुलाई आवे, टांय टांय गावे.विवाह आदि अवसरों पर कुछ विशेष जातियों की स्त्रियाँ आ कर गीत गाती हैं और नेग मांगती है. किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भी कहावत प्रयोग की जा सकती है जो बिना बुलाए आया हो और जबरदस्ती अपनी सलाह दे रहा हो.
- बिना बुलाए आदर नहीं चाहे जा देखे, पेट भरे स्वाद नहीं चाहे खा देखे.अर्थ स्पष्ट है.
- बिना बुलाए तो राम के घर भी नहीं जाएंगे.बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए.
- बिना बुलावे कुकुर धावे.बिना बुलाए कुत्ता ही जाता है. कहावत का अर्थ है कि बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए.
- बिना माँगे सलाह देने से बाज आइए.बिना मांगे किसी को सलाह नहीं देना चाहिए (ऐसी सलाह का कोई मोल नहीं होता).
- बिना मारे की तौबा.कोई बिना कष्ट के कोई चिल्ला रहा हो तो.
- बिना मिर्च के घोटे भंग, बिन भाइन के रोपे जंग, ले वैश्या जो न्हावे गंग, ना वह भंग न जंग न गंग. कहावत में तीन अलग अलग बातें तुकबन्दी कर के एक साथ बताई गई हैं – बिना मिर्च केभांग का सेवन करने से हानि हो सकती है, जिसका परिवार मजबूत न हो वह किसी से लड़ाई मोल ले तो मार खा सकता है, वैश्या को साथ ले कर कोई गंगा नहाएगा तो पुण्य की जगह पाप मिलेगा.
- बिना मेह के जोतना, घोड़ा बिना लगाम, फ़ौज बिना सरदार के, तीनों भए निकाम.बिना वर्षा के खेत जोतना, बिना लगाम का घोड़ा और बिना सरदार की सेना ये किसी काम के नहीं हैं.
- बिना रोए माँ भी दूध नहीं पिलाती.जब तक अपनी परेशानी बताओगे नहीं, कोई तुम्हारी सहायता कैसे करेगा.
- बिना लाग खेले जुआ, आज न मुआ कल मुआ.लाग माने चालाकी, युक्ति. जिस के अंदर चालाकी नहीं है वह अगर जुआ खेलेगा तो निश्तित रूप से बर्बाद हो जाएगा.
- बिना सींग पूँछ का बैल.किसी ताकतवर किन्तु मूर्ख व्यक्ति का मजाक उड़ाने के लिए.
- बिनु मेहरी ससुरारै जाय, बिना माघ घी खिचरी खाय, बिन भादों पिन्हाए पउआ, घाघ कहै ये तीनहुं कउआ.मेहरी – पत्नी, पिन्हाए पउआ – झूला झूले. ससुराल पत्नी के साथ ही जाना अच्छा होता है. घी मिली हुई खिचड़ी को माघ के महीने में खाना ही ठीक माना गया है. जो बिना पत्नी ससुराल जाए, माघ के महीने अलावा घी खिचड़ी खाए और भादों के अलावा झूला झूले वह कौए के समान है.
- बिनु सत्संग विवेक न होई.सत्संग का अर्थ है अच्छी संगत. कहावत का अर्थ है कि बुद्धिमान लोगों के साथ रहने से ही बुद्धि और विवेक जागृत होता है. (आम तौर पर लोग सत्संग का अर्थ केवल भगवान् का कीर्तन करना और धार्मिक उपदेश देना ही समझते हैं). इस कहावत की अगली पंक्ति इस प्रकार है – बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई. अर्थात अच्छी संगत भी भगवान् की कृपा से मिलती है.
- बिनौलों की लूट में बरछी का घाव.बहुत छोटा अपराध करते समय बहुत बड़ा नुकसान हो जाना.
- बिपत संगाती तीन जन, जोरू बेटा भाई.संगाती – साथ देने वाला. विपत्ति में तीन ही लोग साथ देते हैं, पत्नी, पुत्र और भाई.
- बिरछा कबहुँ न फल भखै, नदी न संचै नीर, परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर.वृक्ष कभी अपने फल खुद नहीं खाता और नदी अपना पानी अपने लिए संचित नहीं करती. इसी प्रकार साधु लोग भी अपने शरीर का उपयोग परोपकार के लिए ही करते हैं.
- बिरादरी का मुखिया, दुखिया ही दुखिया.किसी भी समाज का मुखिया होना बहुत तनाव का काम है.
- बिरादरी को न खिलाया, चार कांधी ही जिमा दिए.किसी व्यक्ति की कंजूसी का ज़िक्र किया जा रहा है जिसने अपने घर में किसी की मृत्यु होने पर बिरादरी की दावत नहीं की केवल अर्थी को कंधा देने वाले चार लोगों को ही जिमाया (भोजन कराया). देहाती समाज की यह बहुत बड़ी कुरीति है कि किसी की मृत्यु के बाद सारी बिरादरी को दावत देनी पड़ती है चाहे मरने वाला घर का इकलौता कमाने वाला ही क्यों न रहा हो और चाहे इस के लिए कर्ज़ ही क्यों न लेना पड़े.
- बिल खोद चूहा मरे, मौज उड़ावे सांप.चूहा मेहनत कर के बिल खोदता है और सांप उस में रहने आ जाता है. किसी गरीब के परिश्रम का लाभ कोई दबंग व्यक्ति उठाए तो.
- बिलाई का मन मलाई में.ओछे लोग हर समय अपने स्वार्थ के विषय में सोचते रहते हैं.
- बिल्ली और दूध की रखवाली? बिल्ली से दूध की रखवाली कौन करा सकता है.
- बिल्ली की नज़र बस चूहे पे.धूर्त व्यक्ति केवल अपने लाभ की बात देखता है. भोजपुरी में कहते है – बिलैया की नज़र मुसवे पर.
- बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे.एक बार चूहों की सभा हुई जिसमें बिल्ली के आतंक से मुक्ति पाने के उपायों पर विचार किया गया. किसी नौजवान चूहे ने सुझाव दिया कि बिल्ली के गले में एक घंटी बाँध दी जाए जिससे हमें उसके आने की आहट दूर से ही मिल जाए. सब को यह बात पसंद आई, पर एक बूढ़े चूहे ने कहा कि यह काम करेगा कौन, तो वहाँ सन्नाटा छा गया. कहावत का अर्थ है कि सुझाव सब देते हैं पर खतरा उठा कर काम करना कोई नहीं चाहता. इंग्लिश में कहावत है – Who will bell the cat.
- बिल्ली के भागों छींका टूटा.अचानक बिना उम्मीद के कोई वांछित वस्तु मिल जाना.
- बिल्ली के सपने में चूहा.धूर्त व्यक्ति को सपने में भी अपने फायदे की बात ही दिखती है.
- बिल्ली के सरापे छींका नहीं टूटता.सरापे – श्राप देने से, कोसने से. धूर्त व्यक्ति द्वारा कोसे जाने से किसी का नुकसान नहीं होता. (कौआ कोसे ढोर नहीं मरते).
- बिल्ली के सिरहाने दूध नहीं जमता. बिल्ली दूध को इतनी देर छोड़ेगी ही कहाँ कि दूध जम पाए. जिस से चोरी का डर हो उसके आसपास कोई चीज़ कैसे सुरक्षित रह सकती है.
- बिल्ली को ख़्वाब में भी छिछ्ड़े नजर आते हैं.धूर्त व्यक्ति सोते जागते हर समय केवल अपने लाभ के विषय में ही सोचते हैं. इंग्लिश में कहावत है – A sleeping fox counts hens in her sleep.
- बिल्ली को पहले दिन ही मार देना चाहिए.अप्रिय और अशुभ वस्तु को पहले दिन ही दूर कर देना चाहिए. 2.एक आदमी ने अपनी शादी के पहले दिन ही एक बिल्ली को मार दिया ताकि उसकी पत्नी के मन में आतंक बैठ जाए.
- बिल्ली क्या जाने मोल का दही (बिल्ली को खाने से काम, मोल का हो या मुफ्त का).गाँव के लोग अधिकतर गाय भैंस पालने की कोशिश करते हैं और दूध दही खरीदने से बचते हैं. मोल का दूध दही गाँव में विलासिता का प्रतीक माना जाता है. बिल्ली के हाथ दही लग जाए तो वह उसे फौरन चट कर जाएगी. उसे इस बात से क्या मतलब कि घर में बना है या खरीदा हुआ है.
- बिल्ली खाएगी नहीं तो लुढ़का ही देगी.दुष्ट लोग अपना लाभ न ले पाएँ तो दूसरे का काम बिगाड़ कर ही खुश हो लेते हैं.
- बिल्ली गई चूहों की बन आयी.बिल्ली चली जाए तो चूहों की मौज हो जाती है. इंग्लिश में कहावत है – When the cat is away, the mice are at play.
- बिल्ली बाज़ार तो खूब कर ले पर कुत्ते करने दें तब न.कमजोर आदमी बहुत से काम कर सकता है लेकिन जबर उसे नहीं करने देते.
- बिल्ली भई मुखिया, गीदड़ करमचारी.जहाँ हाकिम और मातहत सभी धूर्त हों.
- बिल्ली भी चूहा खुदा के वास्ते नहीं मारती.हर आदमी अपने स्वार्थ के लिए काम करता है, बिल्ली भी परोपकार करने के लिए चूहा नहीं मारती (अपना पेट भरने के लिए मारती है).
- बिल्ली भी दब कर हमला करती है.इसका अर्थ दो प्रकार से हो सकता है – बिल्ली झुक कर हमला करती है अर्थात धूर्त व्यक्ति अगर विनम्रता दिखा रहा हो तो सावधान हो जाएँ, हो सकता है कि हमला करने वाला हो. 2. दबाने पर बिल्ली भी हमला करती है अर्थात कमजोर को अधिक न दबाओ.
- बिल्ली से छिछड़ों की रखवाली.चोर से किसी चीज़ की पहरेदारी करने को कैसे कहा जा सकता है.
- बिसधर पकड़ जहर को चाट, परनारी संग चले न बाट.एक बार को सांप को पकड़ के उसका जहर चाट ले, लेकिन परनारी के साथ रास्ता न चले.
- बिस्वा को कौन आसन सिखावे. जो सब सीखा सीखाया हो उसे कौन सिखा सकता है.
- बिस्वा बिस की गाँठ.वैश्या विष की गाँठ होती है.
- बीघे बीघे भूत, बिस्वे बिस्वे सांप.राजस्थान की मरुभूमि में हर बीघे पर भूत और हर बिस्वे पर सांप रहते हैं.
- बीच की उँगली बड़ी होती है.किसी भी विवाद के निवारण के लिए बीच का मार्ग सबसे अच्छा होता है.
- बीज बोया नहीं, खेत का दुख.जिस काम से कोई सरोकार न हो उस के लिए दुखी होने वालों का मजाक उड़ाने के लिए.
- बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ, (जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ).जो बीत गया उसका पश्चाताप करने की बजाए आगे क्या करना है यह सोचो. जो काम आसानी से हो सके उस में मन लगाओ. आम तौर पर इसका पहला भाग ही बोला जाता है.
- बीबी को बांदी कहा हंस दी, बांदी को बांदी कहा रो दी.घर के किसी व्यक्ति को नौकर कहोगे तो मज़ाक समझ कर हँस देगा पर नौकर को नौकर कहोगे तो बुरा मानेगा.
- बीबी नेकबख्त, दमड़ी की दाल तीन वक्त.बीबी बहुत उदार हैं जो दमड़ी की दाल में तीन बार का खाना बनवाती हैं. बहुत कंजूस लोगों का मजाक उड़ाने के लिए.
- बीबी बच्चे भूखों मरे और भड़वे लड्डू खाएँ.अपने घर वालों की बेकद्री कर के आलतू फ़ालतू लोगों पर खर्च करने वालों के लिए.
- बीबी बीबी ईद आई, चल हरामजादी तुझे क्या.कंजूस से खर्चे की बात कहो तो चिढ़ता है. नौकरानी मालकिन से कह रही है कि ईद आ गई है (मतलब उसे इनाम चाहिए) तो कंजूस मालकिन चिढ़ रही है.
- बीबी वारे बांदी खाए, घर की बला कहीं न जाए.बच्चे की नज़र उतारने के लिए बीबी आटे की लोई को वार के (बच्चे के सिर के चारों और घुमा के) बाहर फेंक देती हैं जहां उसे कुत्ता इत्यादि खा लेता है और घर की बला बाहर चली जाती है. अब अगर वह बांदी को ही खिला देंगी तो घर की बला बाहर कैसे जाएगी. दान पुन्य के नाम पर अगर घर के लोगों को ही खिलाया पिलाया जाए तो परोपकार नहीं माना जाएगा.
- बीबी हैं भरमाली, कान पीतर की बाली.अपने पास बहुत छोटी सी कोई चीज़ (पीतल की बाली) हो तो भी दिखावा करना.
- बीमार की राय बीमार.अस्वस्थ आदमी की राय मानने लायक नहीं होती (क्योंकि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं होती और उसकी सोच भी नकारात्मक हो जाती है).
- बीमारी की रात पहाड़ बराबर.बीमारी में दिन तो फिर भी कट जाता है रात काटना बहुत मुश्किल होता है (बात उस समय की है जब न तो टीवी था न स्मार्ट फोन और न ही दर्द निवारक व नींद की दवाएँ थीं).
- बीरबल लाओ ऐसा नर, पीर बाबर्ची भिश्ती खर.ऐसे व्यक्ति की तलाश जो सारे काम कर सकता हो – पीर भी बन जाए, खाना भी पका ले, पानी भी भर लाए और बोझ भी ढो ले. इस कहावत के पीछे एक कहानी है. एक बार अकबर ने बीरबल से ऐसा कोई आदमी लाने को कहा तो बीरबल ने उनके सामने एक ब्राह्मण को ले जा कर खड़ा कर दिया. वास्तव में मुगल काल में ब्राह्मणों की दशा बड़ी खराब थी.
- बीस पचीस के अंदर में जो पूत सपूत हुआ सो हुआ.पुत्र लायक है या नालायक यह बात बीस पचीस साल की आयु तक स्पष्ट हो जाती है.
- बुआ के पास गहने तो भतीजी को क्या.किसी निकट संबंधी के पास धन हो, उससे हमें क्या लाभ होने वाला.
- बुआ जाऊं जाऊं करे थी, फूफा लेने आ गया.बिना उम्मीद के कोई काम आसानी से हो जाना.
- बुखार हाथी के भी हाड़ तोड़ देता है.बीमारी बड़े से बड़े शक्तिशाली लोगों को भी त्रस्त कर देती है.
- बुझने से पहले दीपक की लौ तेज हो जाती है.शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट है. कहावत का प्रयोग इस प्रकार करते हैं कि मृत्यु से पहले मनुष्य की स्मृतियाँ अधिक जागृत हो जाती हैं.
- बुड़बक गए मछली मारे, काँटा आए गंवाय.(भोजपुरी कहावत) बुड़बक – मूर्ख व्यक्ति. कोई काम करने गए तो अपने औजार ही गंवा आए.
- बुड्ढा ब्याह करे, पड़ोसियों को सुख हो गया.वैसे यह कोई न्यायपूर्ण और अच्छी बात तो नहीं है पर कटु सत्य तो है. कहावत में सीख दी गई है कि बूढ़े व्यक्ति को युवा स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए.
- बुड्ढी बकरी और हुंडार (भेड़िया) से ठट्ठा.अपने से बहुत अधिक शक्तिशाली शत्रु से पंगा लेना.
- बुड्ढी भैंस का दूध शक्कर का घोलना, बुड्ढे मर्द की जोरू गले का ढोलना.बुड्ढी भैंस का दूध मीठा होता है, बूढ़े व्यक्ति को अपनी पत्नी बहुत प्रिय होती है. (गले का ढोलना – गले में लटका तावीज़).
- बुढ़वा भतार पर पाँच टिकुली.टिकुली – माथे का टीका (सोने का), भतार – पति. बूढ़े पति को प्रसन्न करने के लिए पाँच टिकुली लगाए हैं. अनावश्यक साज सज्जा.
- बुढ़ापा दूसरा लड़कपन है.बुढापे में व्यक्ति बच्चों के समान जिद्दी और खाने पीने का लालची हो जाता है.
- बुढ़ापा बड़ा कमीना.बुढ़ापे में कष्ट ही कष्ट हैं. 2. बुढापे में आदमी बहुत स्वार्थी हो जाता है.
- बुढ़ापा माने बुरा आपा.बूढ़ा होने पर शरीर में सौ बुराइयाँ आ धमकती हैं.
- बुढ़ापे की औलाद ज्यादा प्यारी लगे.अर्थ स्पष्ट है.
- बुढ़ापे में आदमी की मत मारी जाती है.अर्थ स्पष्ट है.
- बुढ़ापे में मिट्टी खराब.किसी का सारा जीवन अच्छा कटा हो पर बुढ़ापे में बहुत कष्ट हो रहे हों तो. (बड़ी बीमारी हो जाए या सन्तान नालायक निकल जाए)
- बुढ़िया के कहे खीर कौन रांधे (बुढ़िया के लिए खीर कौन पकाए).आम घरों में लोग बुजुर्गों की फरमाइशों पर ध्यान नहीं देते.
- बुढ़िया को पैठ बिना कब सरे.पैठ माने बाज़ार. बुढ़िया का बाज़ार जाए बिना काम नहीं चलता. (किसी की बुढापे में भी सैर सपाटे और खाने पीने की आदत न छूट रही हो तो व्यंग्य).
- बुढ़िया मरी कैसे, बोले सांस नहीं आई.किसी बात का सीधा उत्तर न देना.
- बुढ़िया मरी तो मरी आगरा तो देखा.कुछ लोग घर की बड़ी बूढ़ी का इलाज कराने आगरा गए. बूढ़ी अम्मा तो नहीं बचीं पर इस बहाने आगरे की सैर हो गई. कहावत का अर्थ है कि जहाँ एक ओर कुछ काम बिगड़ा वहीं दूसरी ओर कुछ लाभ भी हो गया.
- बुढ़िया मरी, खटोला मिला.किसी के नुकसान में अपना फायदा ढूँढने वालों के लिए.
- बुढ़िया मरे का गम नहीं, पर जम घर देख गए.बुढ़िया मर गई इस बात का गम नहीं है पर इस बात की चिंता है कि यमदूत घर देख गए (अब दोबारा जल्दी न आ धमकें).
- बुढ़िया मिर्ची की पुड़िया.लड़ाकू बुढ़िया के लिए.
- बुद्धि बिना बल बेकार.कोई कितना भी बलवान क्यों न हो अगर उसमें बुद्धि न हो तो सब बेकार है. शेर, हाथी, घोड़ा कितने भी बलवान क्यों न हों, मनुष्य अपनी बुद्धि से उन्हें वश में कर लेता है.
- बुद्धि बिना विद्या बेकार (बुद्धि बिना विद्या बेचारी). कोई कितनी भी विद्याएँ सीख ले, जब तक अपने अंदर बुद्धि न हो वे किसी काम की नहीं हैं.
- बुद्धिमान शत्रु से मूर्ख मित्र अधिक खतरनाक होता है.अर्थ स्पष्ट है. उदाहरण के तौर पर एक कहानी कही जाती है. एक शिकारी जंगल में शेर का शिकार करने गया. शेर बहुत चालाक था. झाडियों की ओट से हमला करता, फिर छुप जाता. शिकारी ने अपनी सहायता के लिए एक भालू को शहद खिला कर उस से दोस्ती कर ली. एक दिन शिकारी थक कर पेड़ के नीचे सोया था और भालू पास बैठ कर उस की रखवाली कर रहा था. एक मक्खी बहुत देर से शिकारी के मुँह पर बार बार बैठ जा रही थी. भालू बहुत देर तक उसे उड़ाता रहा. जब वह नहीं मानी तो भालू ने आव देखा न ताव मक्खी को मारने के लिए एक बड़ा सा पत्थर उठा कर शिकारी के मुँह पर दे मारा. बेचारा शिकारी बुद्धिमान शत्रु (शेर) के हाथों नहीं बल्कि मूर्ख मित्र (भालू) के हाथों मारा गया. इंग्लिश में कहावत है – A wise enemy is better than a foolish friend.
- बुरा कब्र तक कोसा जाए.बुरे व्यक्ति को लोग मरने के बाद तक कोसते हैं.
- बुरा जो देखन मैं चली, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजो आपनो, मुझसे बुरा न कोय.दूसरों में बुराई ढूँढने की बजाए अपनी बुराइयों को ढूँढ़ कर उन्हें ठीक करना चाहिए.
- बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला.ट्रकों के पीछे लिखा जाने वाली सबसे प्रचलित कहावत.
- बुरी नज़र वाले तेरे बच्चे जीयें, बड़े हो कर तेरा खून पीएँ.ट्रकों के पीछे लिखा जाने वाली कहावत.
- बुरी बात सच्ची हो जाती है, भली बात सच्ची नहीं होती.यदि हम बुरी बुरी आशंकाएं करते हैं तो उन में से कुछ सच हो जाती हैं. इसीलिए पुराने लोग कहते थे, बुरा मत सोचो.
- बुरी संगत से अकेला भला (कुसंग से इकंत भली) (बुरी सोहबत से तन्हाई अच्छी).बुरे लोगों के साथ रहने से अकेला रहना अधिक अच्छा है. इंग्लिश में कहावत है – Better be alone than in a bad company.
- बुरे का साथ दे वो भी बुरा.बुरा तो बुरा होता ही है, जो उसका साथ दे वह भी बुरा. द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह इसी लिए बुरे बने क्योंकि उन्होंने दुर्योधन का साथ दिया.
- बुरे काम का बुरा नतीजा (बुरे काम का बुरा हवाल).किसी के साथ बुराई करने का परिणाम बुरा ही होता है.
- बुरे दिन आते हैं तो पूछकर नहीं आते.कोई व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली या सम्पन्न क्यों न हो, हर किसी को यह सोचना चाहिए कि उस पर भी कभी बुरे दिन आ सकते हैं.इसलिए जब अच्छे दिन हों तो भी सब से आदर और प्रेम रखना चाहिए.
- बुरे लगत सिख के बचन, हिए बिचारो आप, करुवे भेषज बिन पिये, मिटै न तन को ताप.सिख के वचन – सीख, शिक्षा की बात, हिए – हृदय, भेषज – दवा, तन को ताप – बुखार. कड़वी दवाई से बुखार उतरता है इसलिए हमें दवा पीने में बुरा नहीं मानना चाहिए. इसी प्रकार सीख देने वाली बात कड़वी लगे तब भी हमें बुरा नहीं मानना चाहिए.
- बुरे से देव डरावें.बुरे आदमी से भगवान भी डरता है.
- बुर्के वाली बूआ, पीछे पीछे चूहा.बच्चों की आपसी मजाक.
- बुलाई न चलाई, मैं दूल्हे की ताई.जबरदस्ती किसी से संबंध जोड़ने वालों के लिए.
- बूँद का चूका, घड़े छ्लकावे.छोटा सा अवसर चूक जाने पर फिर उस लाभ को पाने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है.
- बूँद बूँद से सागर भरता है.सागर में अथाह जल है लेकिन वह बूँद बूँद कर के ही इकठ्ठा हुआ है. छोटी छोटी बचत एक बड़ी राशि बन सकती है.
- बूंद बूंद सों घट भरे, टपकत रीतो होए.बूँद बूँद कर के घड़ा भरता है और बूँद बूँद टपकने से खाली भी हो जाता है. थोड़ी थोड़ी बचत कर के निर्धन व्यक्ति धनवान बन सकता है और थोड़ा थोड़ा धन गंवा के धनी व्यक्ति कंगाल हो सकता है.
- बूचा सबसे ऊँचा.बूचा – कान कटा कुत्ता (जिसे मनहूस माना जाता है). निर्लज्ज व्यक्ति सबसे बड़ा होता है.
- बूची को और ताव, कानी को और ताव.बूची – जिसका कान कटा हुआ हो, ताव – गुस्सा या जोश. बूची और कानी दोनों को ही अशुभ माना जाता है (यद्यपि यह गलत है).
- बूढ़ा कुत्ता, पिलवा नाम.बेमेल नाम (बूढ़ा कुत्ता है और नाम है पिल्ला).
- बूढ़ा गिना न बालका, सुबहा गिनी न सांझ, जन जन का मन राखते, वैश्या रह गई बाँझ.वैश्या ने जो भी उसके पास आया, जिस समय भी आया, सबका मन रखा, इसलिए खुद वह बाँझ रह गई. (वैश्या गर्भधारण से बचने के लिए कुछ दवाएँ खाती है). इसकी केवल एक पंक्ति भी बोली जाती है – जने जने का मन रखते वैश्या हो गई बाँझ.
- बूढ़ा बैल और बूढ़े माँ बाप जितना काम कर दें उतना ही नफा.बैल बूढ़ा हो जाए तो उसे खिलाना तो पड़ता है पर वह खेती के काम का नहीं रहता, अर्थात उस का रख रखाव बहुत महंगा पड़ता है. इसी प्रकार बूढ़े माँ बाप घर के काम में या खेती व्यापार आदि में हाथ तो नहीं बंटा पाते पर उन पर खर्च पूरा होता है. इस प्रकार के लोग काम में जितना भी सहयोग कर दें वह एक प्रकार का बोनस है.
- बूढ़ा बैल ब्याह गया है.कोई असम्भव सी बात. जैसे कोई बहुत कंजूस आदमी बड़ी रकम दान कर दे तो.
- बूढ़ा रहे घर, न फिकर न डर.घर में कोई बुजुर्ग आदमी रहता हो तो घर सुरक्षित रहता है.
- बूढ़ी घोडी लाल लगाम.किसी बूढ़े व्यक्ति को फैशन सूझ रहा हो तो या फिर किसी पुरानी चीज़ में कोई नया पुर्जा लगा दिया गया हो तो.
- बूढ़ी बकरी को बहकावे भेड़िया, चल नाले पर हरी हरी खाने को मिलेगी.बूढ़ी बकरी भेड़िये की बातों में नहीं आने वाली. किसी अनुभवी व्यक्ति को कोई बहकाने की कोशिश करे तो यह कहावत कही जाती है.
- बूढ़ी हुई बिल्ली, चूहे उड़ावें खिल्ली.जब कोई आततायी शक्तिहीन हो जाता है, तो कमजोर लोग भी उसका मजाक उड़ाने लगते हैं.
- बूढ़े की जबान में जोर होता है.बूढ़े आदमी के हाथ पैर नहीं चलते लेकिन जबान बहुत चलती है.
- बूढ़े को खिलाना, गठरी का डुबाना. कहावत में कहा गया है कि बूढ़े आदमी पर अधिक पैसा खर्च करना समझदारी नहीं है.
- बूढ़े तो सबकी करें, उनकी करे न कोय.बूढ़े लोग बेचारे सब की फ़िक्र करते हैं लेकिन उनकी फ़िक्र कोई नहीं करता.
- बूढ़े तोते भी कही पढ़ते हैं (बूढ़ सुआ राम राम थोरै पढ़िहैं). बूढ़े लोग नहीं पढ़ सकते. इंग्लिश में कहावत है – You can not teach an old dog new tricks. 2. बूढ़े लोगों को पढ़ाने की कोशिश मत करो (उनका अनुभव किताबी ज्ञान से कम मूल्यवान नहीं है).
- बूढ़े बैल से भली कुदारी.बूढ़ा बैल किसी काम का नहीं होता क्योंकि वह हल नहीं चला सकता. उससे अधिक उपयोगी तो कुदाली है.
- बूढ़े मुंह मुंहासे, लोग आए तमासे.मुँह पर मुँहासे जवानी में निकलते हैं अगर बुढापे में निकलें तो आश्चर्य की बात होगी. बूढों को यदि जवानी चढ़ने लगे तो उनका मजाक उड़ाने के लिए.
- बूढ़ों की सीख, करे काम को ठीक.बूढ़े लोगों के पास लंबा अनुभव होता है जिस से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.
- बूढ़ों से बरकत.घर में मार्ग दिखाने वाले बूढ़े लोग हों तभी समृद्धि आती है.
- बेइज्जत की पूरी से इज्जत की आधी भली.सम्मान के साथ थोड़ा भी मिले तो बेहतर है.
- बेकार न बैठ कुछ किया कर, कपड़े ही उधेड़ कर सिया कर.आदमी को कभी खाली नहीं बैठना चाहिए. चाहे किसी काम को दोबारा करना पड़े.
- बेकार से बेगार भली.बेकार होने का अर्थ है कोई काम न करना और बेगार का अर्थ है ऐसा काम करना जिसमें कोई मेहनताना या पैसा न मिले. कहावत का अर्थ है कि बेकार बैठने के मुकाबले कुछ न कुछ करना अच्छा है चाहे उससे कोई आर्थिक लाभ न भी हो. सयाने लोग कहते हैं कि खाली बैठोगे तो खाली दिमाग शैतान का घर है. कुछ काम करोगे तो पैसा न भी मिले कुछ अनुभव ही मिलेगा, किसी की दुआ ही मिलेगी. इंग्लिश में कहावत है – Better wear out than rust out.
- बेकारी महकमे का जमादार.कोई बिलकुल बेकार आदमी. इस कहावत में बहुत से लोगों को जमादार शब्द पर आपत्ति होगी और होना भी चाहिए. कायदे में तो सफाई कर्मी को विभाग के महत्वपूर्ण लोगों में गिनना चाहिए. लेकिन यह कड़वा सच है कि जिस समय यह कहावत प्रचलन में आई होगी उस समय स्वच्छता कर्मियों की दशा शोचनीय थी.
- बेगानी खेती पर झींगुर नाचे.दूसरे की चीज़ पर जबरदस्ती कब्जा करने वालों के लिए.
- बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना.अनजान लोगों की ख़ुशी में जबरदस्ती खुश होने वाला मूर्ख व्यक्ति.
- बेटा अभी हुआ नहीं, ढोल बजने लगे (बेटा हुआ नहीं, ढोल पीटने लगे).उचित अवसर से पहले ही ख़ुशी मनाना.
- बेटा एक कुल की लाज रखता है और बेटी दो कुल की.पुत्र को केवल अपने पिता के कुल की मर्यादा का पालन करना होता है जबकि पुत्री को अपने पिता और पति दोनों कुलों की मर्यादा निभानी होती है.
- बेटा खाय, बाप लखाय, कलजुग अपना बल दिखलाय.बेटा खा रहा है और बाप बेचारा बैठा देख रहा है, यह कलियुग का लक्षण है.
- बेटा जन कर झुक चले, सोना पहन कर ढक चले.बेटा होने के बाद स्त्री को घमंड नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो जाना चाहिए. सोने के गहने पहने हों तो उनका दिखावा नहीं करना चाहिए, ढक कर चलना चाहिए.
- बेटा बेटी बस का अच्छा.बेटा और बेटी वही अच्छे हैं जो माता पिता की बात मानें.
- बेटा से बेटी भली जो कुलवन्तिन होय.जो बेटा कुल की मर्यादा का ध्यान न रखे उस से वह बेटी अच्छी है जो कुल की लाज रखे.
- बेटा हुआ तब जानिए जब पोता खेले द्वार.पहले के जमाने में संक्रामक रोगों के कारण बहुत से बच्चों की अकाल मृत्यु हो जाया करती थी. इसलिए यह कहावत कही गई है कि बेटा होने की ख़ुशी तब मनाओ जब बेटे का बेटा हो जाए.
- बेटा होवे सयाना, दलिद्दर जाए पुराना.जब बेटे बड़े हो जाएँ और कमाने लगें तो घर की दरिद्रता दूर हो जाती है.
- बेटी और घूरा, बहुत जल्दी बढ़ते हैं.कहावतों की एक विशेषता यह होती है कि उसे मजेदार बनाने के लिए दो बिल्कुल अलग चीजों को एक साथ मिला कर एक कहावत बना दी जाती है. कहीं पर कूड़ा डालना शुरू करो तो बहुत से लोग वहाँ कूड़ा डालने लगते हैं और घूरा बन जाता है जोकि बहुत तेजी से बढ़ता है. बेटी भी बहुत जल्दी बड़ी होती है और उसके विवाह की चिंता करनी पड़ती है.
- बेटी कंगाल की नाम राजरानी. गुण के विपरीत नाम. 2. गरीब से गरीब आदमी को भी अपनी संतान प्यारी होती है.
- बेटी का भला चाहे तो बोल जमाई लाल की जै.बेटी को सुखी रखना चाहो तो दामाद को मक्खन लगाना चाहिए.
- बेटी की माँ, बुढ़ापे में पानी भरे.जिस माँ के सब बेटियाँ ही होती हैं उसे बुढ़ापे में सारे काम करने पड़ते हैं, क्योंकि बेटियाँ अपने घर चली जाती हैं.
- बेटी के बेटा कौनो काम, खइहें यहाँ और जइहें गाँव.(भोजपुरी कहावत) बेटी के बेटे किस काम के, खाएँगे यहाँ जाएँगे अपने गाँव. दूर रहनेवाले समय पर काम नहीं आते.
- बेटी तू क्यों रोवे है, जो तुझको ब्याहेगो वो रोवेगा.एक समय था जब विवाह के समय लड़की के माँ बाप चिंता करते थे कि मालूम नहीं लड़का और उसके घर वाले कैसे निकलेंगे. अब तो लड़के वाले अधिक चिंता करते हैं कि मालूम नहीं बहू कैसी निकलेगी.
- बेटी दे कंजूस को, बेटी ले उदार की.कंजूस के घर में बेटी की शादी करने से खर्च कम करना पड़ता है और उदार व धनवान व्यक्ति की बेटी से शादी करने पर माल खूब मिलता है.
- बेटी ने किया कुम्हार और मां ने किया लुहार, न तुम चलाओ हमार न हम चलाएं तुम्हार.बेटी ने कुम्हार से शादी कर ली और माँ ने लुहार से. अब दोनों एक दूसरे से कह रही हैं कि तुम हमारे बारे में कुछ न कहो, हम तुम्हारे बारे में कुछ नहीं कहेंगे. जब दो अपराधी एक दूसरे का अपराध छिपाएं तो.
- बेटी मरी जमाई चोर, टूट गई डाली उड़ गया मोर.जिस डाली पर मोर बैठा है वह टूट जाए तो मोर को वहाँ से उड़ जाना पड़ता है. बेटी के मरने पर दामाद की उस घर में हालत चोर जैसी हो जाती है (वह एक अवांछित व्यक्ति बन जाता है).
- बेटी माँ के पेट में समाती है पर बाप के आंगन में नहीं समाती.बेटा और बेटी दोनों माँ की कोख से पैदा होते हैं पर बेटी को अपना आंगन छोड़ कर जाना पड़ता है.
- बेटे को खिलाऊँगी तगड़ा हो जाएगा, आदमी को खिलाऊँगी खूब कमाएगा, बूढ़े को खिलाऊँगी सो बेकार जाएगा.स्वार्थी बहुओं का कथन.
- बेटे से बेटी भली जो कोई होय सपूत.नालायक बेटे से तो योग्य बेटी अधिक अच्छी.
- बेटों को घी भरपूर और बेटियों को खट्टी छाछ.पुराने समय में बेटे बेटी में बहुत भेदभाव होता था.
- बेड़ी सोने की भी बुरी.सोने की बेड़ी अर्थात खूब सुख सुविधाओं वाली गुलामी. गुलामी हमेशा बुरी ही होती है, चाहे उसमें कितनी भी सुविधाएं क्यों न हों.
- बेदिल नौकर, दुश्मन बराबर.जो नौकर अपनेपन से काम न करे वह दुश्मन जैसा है (उसे मालिक के हानि लाभ की कोई परवाह नहीं होती).
- बेबकूफ किस्मत के धनी होते हैं.यदि किसी बेबकूफ आदमी को अच्छी सुविधाएं मिल रही होती हैं तो अक्लमंद लोग कुढ़ कर यह बात बोलते हैं. (खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान)
- बेबकूफों की कमी नहीं है, एक ढूँढो हजार मिलते हैं.मूर्ख लोग इस दुनिया में बहुतायत में पाए जाते हैं.
- बेर खावे गीदड़ी, डंडे खावे रीछ.अपराध कोई और करे, दंड कोई और पाए.
- बेल कच्चा या पका, कौवों के बाप का क्या.बेल पका हो या कच्चा हो कौवे को इससे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह बेल खा ही नहीं सकता (कठोर छिलके में अपनी चोंच से छेद नहीं कर सकता). जिस चीज़ से हमें कोई नफा नुकसान न हो उस में हम क्यों सर खपाएँ.
- बेल के मारे बबूल तले, बबूल के मारे बेल तले.बेल के पेड़ के नीचे खड़े थे तो सर पे बेल गिरा और सर फट गया, वहां से भाग कर बबूल के पेड़ के नीचे खड़े हुए तो कांटे चुभ गए तो फिर भाग कर बेल के नीचे आए. अभागे व्यक्ति के लिए.
- बेलज्जी बहुरिया पर घर नाचे.निर्लज्ज बहू दूसरों के घरों पर घूमती फिरती है.
- बेलाग बेबाक.जिसे कोई लाग लपेट (स्वार्थ) न हो वह स्पष्ट बात कहने में नहीं डरता. बेलाग – निस्वार्थ, बेबाक – स्पष्टवादी.
- बेवकूफ की सबसे बड़ी समझदारी चुप रहना है.बेवकूफ आदमी जब तक चुप रहता है तब तक उसमें और समझदार आदमी में अंतर करना मुश्किल होता है, पर जैसे ही वह बोलता है उसकी असलियत सामने आ जाती है. एक मंदबुद्धि लड़के को देखने के लिए लड़की वाले आ रहे थे. सब लोग उसे समझा रहे थे कि लड़की वाले ऐसा पूछे तो यह जवाब देना, वैसा पूछे तो वह जवाब देना आदि. तब एक बुजुर्ग ने कहा कि बेटा सब से बड़ी समझदारी यह होगी कि तुम चुप रहना.
- बेवक्त की शहनाई, मुए कूढ़ ने बजाई.कोई मूर्ख व्यक्ति बेअवसर की बात करे तो. (कूढ़ – मूर्ख व्यक्ति, इसको कुछ लोग कूढ़ मगज़ भी कहते हैं). शहनाई कुछ ख़ास अवसरों पर ही अच्छी लगती है, उस के अलावा कोई बजाए तो गुस्सा आता है.
- बेवारिसी नाव डांवाडोल.हर काम के लिए योग्य नेतृत्व की आवश्यकता होती है. बिना मल्लाह की नाव डांवाडोल रहती है.
- बेशरम को दुख नहीं, कंजूस को सुख नहीं.बेशर्म आदमी मान अपमान से परे होता है इसलिए उसे कोई दुख नहीं होता. कंजूस कभी अपने ऊपर खर्च नहीं करता इसलिए उसे कोई सुख नहीं होता.
- बेशर्म का नंगे से पाला पड़ा है.जब एक बेशर्म आदमी का अपने से बड़े बेशर्म से पाला पड़े तो.
- बेशर्मों के पूँछ थोड़े ही होती है.बेशर्म लोग देखने में इंसान ही होते हैं, बस उनकी हरकतें उन्हें औरों से अलग करती हैं.
- बेसवा का जाया, किसको बाप कहे.वैश्या के बेटे के सामने यह समस्या होती है कि वह किसी को अपना बाप नहीं कह सकता.
- बेहया की पीठ पर रूख जमा, उसने जाना छाँव हुई.बेशर्म आदमी की पीठ पर पेड़ उग आया, बात बहुत परेशानी की है पर वह खुश हो रहा है कि चलो छाया हो गई. बेशर्म आदमी के लिए मान अपमान एक समान है. इसको कुछ अश्लील ढंग से ऐसे भी कहा गया है – बेहया के चूतड़ में पेड़ उगा, आओ लोगों छाँव में बैठो.
- बैठने को जगह दे दो, लेटने को खुद ही कर लेंगे.जो लोग थोड़ी सी सुविधा मिलने पर अपना अधिकार जमा लेते हैं उनके लिए.
- बैठा बनिया क्या करे, बाट तराजू तौले.बनिया बहुत उद्यमशील होता है, वह खाली बैठने की बजाए कुछ न कुछ करता रहता है.
- बैठी बुढ़िया मंगल गाए.समझदार आदमी कभी खाली नहीं बैठता. वह ऐसा कुछ न कुछ काम करता रहता है जो दूसरों को अच्छा लगे.
- बैठे बैठे तो कारूँ का खजाना भी खाली हो जाता है.कारूँ – मुस्लिम कथाओं में एक अति धनवान और कंजूस व्यक्ति जो हज़रत मूसा का चचेरा भाई था. इंसान यदि कोई काम न करे तो उसने कितना भी धन जोड़ कर रखा हो सब खत्म हो जाता है.
- बैद्य, धनी, राजा, नदी, अरु पंडित नहिं होय, जहाँ पाँच ये न हुए, वहाँ बसो न कोय.(बुन्देलखंडी कहावत) किसी भी समाज के अस्तित्व के लिए ये पांच आवश्यक हैं, जहाँ ये न हों वहाँ जीवन जीना कठिन है.
- बैरी लायो गेह में, किया कुटुम पर रोस, आप कमाया कामड़ा, दई न दीजे दोस (बैरी न्यूत बुलाइयाँ कर भायां से रोस). दई – दैव,ईश्वर;कामड़ा – दुर्भाग्य, दुर्दशा. घर वालों से बदला लेने के लिए बैरी को घर में बुलाया. अब मेरी बारी भी आ गई है. इस दुर्दशा को मैंने खुद बुलाया है, भाग्य का इस में दोष नहीं है. इस कहावत के पीछे एक कथा कही जाती है. एक कुएं में बहुत से मेंढक रहते थे. एक बार उनमें आपस में लड़ाई हो गई तो एक मेंढक दूसरों से बदला लेने के लिए एक सांप को बुला लाया. सांप ने एक एक कर के सब मेंढकों को खा लिया. जब अंत में उस मेंढक की बारी आई तो उस ने यह कहा. पृथ्वीराज चौहान से बदला लेने के लिए जयचंद ने मोहम्मद गोरी को बुलाया. बाद में गोरी ने कन्नौज पर आक्रमण कर के जयचंद को भी मार डाला.
- बैरी संग न बैठिए पीकर मद और भांग.किसी प्रकार का नशा कर के अपने शत्रु के साथ कभी नहीं बैठना चाहिए. आप नशे में कोई भेद की बात उसे बता कर अपना नुकसान कर सकते हैं.
- बैल अकेला किस काम का.अकेला बैल हल भी नहीं चला सकता और गाड़ी भी नहीं जोत सकता.
- बैल का बैल गया, नौ हाथ का पगहा भी गया.किसी बड़े नुकसान के साथ एक छोटा नुकसान और होना. बैल तो चोरी हुआ है साथ में बैल को बाँधने वाली रस्सी भी चोरी हो गई.
- बैल न कूदा, कूदी गौन, (ऐसा तमाशा देखे कौन).गौन – बैल के ऊपर रखी जाने वाली अनाज की बोरी. बोरी रखने पर बैल ने तो कोई आपत्ति नहीं की, बोरी ही उछल कूद मचाने लगी. जिस से कोई चुभती बात कही गई वह तो कुछ न बोला, दूसरा कोई लड़ने को तैयार हो गया.
- बैल बेच घंटी पर रार (भैंस बेच पगहे पर झगड़ा).बड़ा सौदा कर के छोटी सी बात पर लड़ना. रार – झगड़ा. पगहा – गाय भैंस को बाँधने की रस्सी.
- बैल ब्याहे तो नहीं पर बूढ़ा तो होगा ही.बैल की शादी भले ही न हो बैल बूढ़ा तो होगा ही. शादी न कर के कोई व्यक्ति समाज के नियम को टाल सकता है पर प्रकृति के नियम को नहीं टाल सकता.
- बैल मरखना चमकुल जोय, बा घर रोना नित ही होय.जिस का बैल मरखना (सींग मारने वाला) हो और पत्नी चमक धमक से रहने वाली हो, उस के घर में नित्य ही मातम होता है.
- बैल सरकारी, यारों की टिटकारी.सरकारी सम्पत्ति या किसी भी मुफ्त की चीज़ का लोग खूब दुरूपयोग करते हैं.
- बैले दीजे जायफल, क्या तौले क्या खाय.जायफल सुपारी की जाति का एक फल होता है जिसका प्रयोग कुछ औषधियों और गरम मसाले में किया जाता है. बैल को जायफल दिया जाए तो न तो उस का पेट भरेगा और न ही वह उस के गुणों को समझेगा. इस कहावत में दो कहावतों का समावेश है – बंदर क्या जाने अदरख का स्वाद और ऊँट के मुँह में जीरा.
- बैलों से खेती घोड़ों से राज, मर्दों से सुधरें सिगरे काज.खेती के लिए बैल आवश्यक हैं, शासन चलाने के लिए घोड़े और सभी प्रकार के कामों के लिए पुरुष आवश्यक हैं.
- बोए कोई काटे कोई.इस कहावत का प्रयोग दो प्रकार से हो सकता है – मेहनत किसी और ने की और फल किसी और को मिला, या गलती किसी और ने की खामियाजा किसी और ने भुगता.
- बोटी नहीं तो शोरबा ही सही.जो मिल जाए वही गनीमत.
- बोया गेहूँ, उपजा जौ.भाग्य साथ न दे तो कोई काम ठीक नहीं होता.
- बोया न जोता, अल्ला मियाँ ने दिया पोता.बिना मेहनत करे अचानक कोई चीज़ मिल जाए तो.
- बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहाँ से खाय.सब के साथ बुरा करोगे तो तुम्हारे साथ भलाई कैसे होगी.
- बोलने वाले का भुस बिकाय, न बोलने वाले का धान सड़ाय.जिसके अंदर बोलने की कला है वह अपना घटिया उत्पाद भी बेच लेता है और जो नहीं बोल पाता है वह अच्छा उत्पाद भी नहीं बेच पाता है. विज्ञापन भी यही काम करते हैं.
- बोलबो न सीख्यो तो सब सीख्यो गयो धूल में.आप कितना भी ज्ञान प्राप्त कर लें यदि आप को ठीक से बोलना नहीं आता (अभिव्यक्ति का गुण नहीं है) तो सब ज्ञान बेकार है.
- बोली एक अमोल है, जो कोइ बोलै जानि, हिये तराजू तौल के, तब मुख बाहर आनि.बोली अनमोल वस्तु है इसलिए जो कुछ भी बोलो पहले अपने हृदय में उसे तोल लेना चाहिए.
- बोली गधे चढ़ावे, बोली घोड़े चढ़ावे.जहाँ एक ओर खराब बोली बोलने पर किसी को मुंह काला कर के गधे पर बिठाया जाता है, वहीं दूसरी ओर अच्छी बोली बोल कर राजा के यहाँ अच्छा पद और सुविधाएं मिल जाती हैं.
- बोली बोली तो ये बोली कि मेरी जूती बोले.लड़ाका स्त्री के लिए जो गुस्से में मुँह फुलाए है और कुछ बोल नहीं रही है, फिर कहती है मेरी जूती बोलेगी.
- बोली से ही पान मिले और बोली से ही पन्हैया.अच्छी बोली बोलने से पान खिला कर सम्मान किया जाता है और बुरी बोली बोलने से जूते खाने पड़ते हैं. पन्हैया – जूता.
- बोले सो तेल को जाए.चुप रहना सबसे अच्छा है. जो बोलेगा वही तेल लेने जाएगा. (जो बोले सो कुण्डी खोले).
- बोहरे की बकरी सो बरस सखरी.सखरी – अच्छी, स्वस्थ, बोहरा – सूदखोर. सूदखोर के असामी ही उस के भेड़ बकरी हैं जो पीढ़ियों तक कर्ज़ भरते हैं.
- बोहरे की राम राम, जम का संदेसा.बोहरा – सूदखोर बनिया. बोहरा नमस्कार कर के अपने पैसे मांगता है, इसलिए उस की नमस्कार भी मौत का संदेश है.
- बौना, जोरू का खिलौना.ठिगने कद के व्यक्ति को चिढ़ाने के लिए.
- बौरी बिस्तुइया, बाघन से नज़ारा.बिस्तुइया – बिस्खोपड़ी, गोह (छिपकली की जाति का एक बड़ा प्राणी जो उस से काफी बड़ा होता है). गोह पगला गई है जो बाघों से भिड़ रही है. कोई अपने से बहुत बड़े दुश्मन से भिड़े तो.
- ब्याज कमाने आया, मूल गवां के जाए.किसी काम में लाभ के स्थान पर हानि हो जाना.
- ब्याज बढ़ावे धन घना रार बढ़ावे छोय, जैसे गंधक आग में गिरे सो दूनी होय.ब्याज से धन बढ़ता है और झगड़ा बढ़ाने से क्षोभ बढ़ता है (जिस प्रकार गंधक आग में गिर कर दूनी हो जाती है).
- ब्याज मोटा, मूल का टोटा.ज्यादा मोटा ब्याज वसूलने के चक्कर में कभी कभी मूलधन भी मारा जाता है.
- ब्यारी कबहुं न छोडिये, बिन ब्यारी बल जाए, जो ब्यारी औगुन करे दुपरै थोड़ो खाएँ.(बुन्देलखंडी कहावत)मेहनतकश आदमी को रात का भोजन अवश्य करना चाहिए. अगर रात में खाने से पेट में भारीपन लगे तो दोपहर में खाना थोड़ा कम कर देना चाहिए.
- ब्याह तो बिगड़ गया, घर के तो जीमो.किसी विवाह में कन्या और वर पक्ष के बीच बात बिगड़ जाने से बारात वापस चली गई, तो कन्या का पिता कह रहा है कि घर के लोग तो भोजन करो. कोई काम बिगड़ जाने के बाद भी दुनिया रुक नहीं जाती, चलती रहती है.
- ब्याह न सगाई, तू मेरी लुगाई.जबरदस्ती किसी से सम्बन्ध होने का दावा करना.
- ब्याह नहीं किया तो क्या, बारात तो गए हैं.कोई कार्य हमें स्वयं करने का अनुभव नहीं है तो क्या हुआ हमने औरों को करते देख कर ही सीख लिया है.
- ब्याह पीछे पत्तल भारी.किसी बड़े कार्य में आप कितना भी खर्च कर लें उस के बाद छोटे छोटे खर्च भी भारी लगते हैं. विवाह में चाहे हजार लोगों को खिला दिया हो पर उसके बाद एक आदमी को भोजन कराना भी भारी लगता है.
- ब्याह पीछे बरात, बरात पीछे धौंसा.जो काम पहले करना चाहिए वह बाद में करना. विवाह के बाद बारात निकालना और बारात निकलने के बाद बैंड बाजा बजाना.
- ब्याह बिगाड़ें दो जने, या मूंजी या मेह.दो चीजें विवाह में व्यवधान डालती हैं, पैसे का लालची व्यक्ति या बरसात. किसी भी आयोजन के लिएउचित खर्च करना जरुरी होता है और प्रकृति का सहयोग भी.
- ब्याह में गाए गीत, सारे साँची न होते.विवाह में लोग अच्छे अच्छे गीत गाते हैं वे सब सच नहीं होते. हम भविष्य के बारे में बहुत सी आशाएं संजोते हैं, पर वे सब सच नहीं होतीं.
- ब्याह सगाई नौकरी, राजी ही से होय.विवाह, प्रेम और नौकरी आपसी सहमति से ही हो सकते हैं.
- ब्याह हुआ नहीं, गौने का झगड़ा.किसी काम को आरम्भ किए बिना उस के परिणाम को लेकर झगड़ा करना. गौना विवाह के बाद होने वाली रस्म है जिसमें वर वधू को विदा करा के अपने घर ले जाता है. किसी किसी समाज में गौना विवाह के काफी दिन बाद होता है.
- ब्याहे न बरात गए.नितांत अनुभवहीन व्यक्ति.
- ब्राह्मण और धान की जातियाँ अनंत हैं.जिस प्रकार धान की बहुत सारी प्रजातियाँ होती हैं उसी प्रकार ब्राह्मणों में भी बहुत सी उपजातियाँ होती हैं.
- ब्राह्मण हो चोरी करे, विधवा पान चबाय, क्षत्री हो रण से भगे, जन्म अकारथ जाय.ब्राह्मण यदि चोरी करे, विधवा यदि पान चबाए (पान चबाना विलासिता का प्रतीक है जबकि विधवा स्त्रियों से बिलकुल सादा जीवन जीने की अपेक्षा की जाती थी) और क्षत्रिय हो कर रणभूमि से भाग जाए, इन सब का जीवन बेकार है.
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