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  1. चंचल नार की चाल छिपे नहिंकोई नीच छिपे न बड़प्पन पाएजोगी का भेस नीक धरोकोई करम छिपे न भभूत रमाए.यहाँ चंचल नार से अर्थ चरित्रहीन नारी से है. अर्थ है कि चरित्रहीन नारी का चाल चलन छिपता नही है, किसी नीच को बड़ा पद मिल गया हो तो वह भी नहीं छिपता और भभूत रमा कर कोई धूर्त व्यक्ति साधु बनना चाहे तो वह भी नहीं छिपता.
  2. चंचल नार छैल से लड़ीखन अंदर खन बाहर खड़ी.दुश्चरित्र स्त्री का मिलन किसी मनचले (छैल) से हो गया है तो वह अपनी प्रसन्नता छिपा नहीं पा रही है.
  3. चंडी माई लीपेगीन निगोड़े खोदुंगी.कुछ स्त्रियां बड़े कर्कश स्वभाव की होती हैं, कुछ पूछो तो हमेशा उल्टा जवाब देती हैं. बोलचाल की भाषा में इन्हें चंडीमाई कहते हैं. ऐसी किसी स्त्री से किसी भले मानुष ने पूछा – चंडीमाई चौका लीपने जा रही हो? चंडीमाई ने जवाब दिया – न निगोड़े! खोदने जा रही हूँ. आजकल के बच्चों को यह नहीं मालूम होगा कि पहले के जमाने में खाना बनाने के पहले चौके (रसोई) को मिट्टी या गोबर का पतला घोल बना कर उससे लीपते थे. कुछ लोग इस कहावत को पूरा इस तरह बोलते हैं – चंडी माई लीपेगी, न निगोड़े खोदुंगी, चंडी माई खोदेगी, न निगोड़े लीपुंगी.
  4. चंदन तरु की बास से सब चन्दन हुई जाततैसेई एक सपूत से सबरो कुटुम अघात.(बुन्देलखंडी कहावत) जैसे एक चंदन के पेड़ की खुशबू से सारे पेड़ों में खुशबू आ जाती है, वैसे ही एक सुपुत्र से सारा कुटुंब धन्य हो जाता है.
  5. चंदन धोई माछली, पर छूटी ना गंध.(राजस्थानी कहावत) मछली पर चंदन रगड़ो तब भी उस की गंध नहीं छूटती. निम्न कोटि का व्यक्ति अच्छी संगत पा कर भी नहीं सुधरता.
  6. चंदन हूँ की आग से जरे देह तत्काल.चंदन की लकड़ी शीतल होती है पर जलती हुई चंदन की लकड़ी शरीर को जला देती है. कोई संत प्रकृति का व्यक्ति अगर क्रोध में है तो हानि पहुँचा सकता है. 
  7. चंद्र ग्रहण कुत्तों को भारी.चंद्र ग्रहण के दौरान डोम इत्यादि भीख माँगते हैं, तब गलियों में कुत्ते उन पर भौंकते हैं और अकारण ही पिट जाते हैं. दूसरों के कारण व्यर्थ कष्ट उठाने पर.
  8. चंद्रमा में भी कलंक (दाग) हैं.कोई भी चीज़ पूर्णत: दोष रहित नहीं है. इंग्लिश में कहावत है -Nothing is perfect.
  9. चंपा के दस फूल चमेली की एक कलीमूरख की सारी रैन चातुर की एक घड़ी.जिस प्रकार चम्पा के दस फूल से चमेली की एक कली अधिक अर्थपूर्ण है उसी प्रकार मूर्ख की सारी रात की मेहनत के मुकाबले बुद्धिमान व्यक्ति का एक घड़ी का कार्य अधिक अर्थपूर्ण है.
  10. चकमक दीदाखाय मलीदा.जो स्त्री सब लोगों से नैन मटक्का करती है उसे गुलछर्रे उड़ाने को मिलते हैं.
  11. चकरया चाकरी करके आप अपने हाथ बिकता है.किसी की नौकरी करने वाला स्वयं ही अपने आत्म सम्मान को उसके हाथ बेच देता है. (चकरया – चाकरी करने वाला)
  12. चकवा चकवी दो जनेइन मत मारो कोयये मारे करतार के रैन बिछोहा होय.चकवा और चकवी को वैसे ही रात में अलग रहने का श्राप मिला हुआ है. इन में से किसी को मारने से पाप लगता है.
  13. चक्की पर चक्की, मेरी कसम पक्की.बच्चों की कहावत. कसम खाने के लिए बच्चे ऐसे बोलते हैं.
  14. चक्की पे घर तेरो, निकल सास घर मेरो.नई बहू सास को बता रही है कि तेरा काम अब केवल चक्की पीसना ही है. अब इस घर की मालकिन मैं हूँ.
  15. चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे.चक्की में गेहूँ डालोगे तभी आटा मिलेगा. पहले कुछ रुपया पैसा खर्च करोगे या पहले कुछ रिश्वत वगैरा दोगे तभी काम हो सकेगा.
  16. चक्की में से साबुत निकल आवेबहुत निर्लज्ज व्यक्ति (जो चलती हुई चक्की में से भी साबुत निकल आए).
  17. चख ले माल धन को, कौड़ी न रख कफन को.बिंदास जीवन जीने वालों का कथन. सब कुछ अपने जीते जी खर्च कर लो, बचाने के चक्कर में मत पड़ो.
  18. चचरे ममेरेबड़तले बहुतेरे.बड़े लोगों से सब लोग अपनी रिश्तेदारी निकालते हैं.
  19. चचा चोर भतीजा काजी.चाचा चोर है पर उसका भतीजा ही न्यायाधीश है, ऐसे में न्याय की क्या उम्मीद करें. यह कहावत कुछ राजनैतिक दलों और न्यायपालिका के कुछ भ्रष्ट सदस्यों के अनैतिक गठबन्धन पर बिलकुल सटीक बैठती है.
  20. चट मंगनी पट ब्याह.तुरंत निर्णय लिया और तुरंत काम हो जाए तो यह कहावत कही जाती है.
  21. चट मकई, पट सनई.जल्दी मक्का बो कर काट ली और सनई बो दी. बहुत जल्दी जल्दी काम निबटाने वाले लोगों के लिए.
  22. चट मौत, पट शादी (चट रांड, पट सुहागन).किसी स्त्री के पति की मृत्यु के बाद जल्दी दूसरा विवाह हो जाए तो.
  23. चटनी बिन न रोटी सोहेगूँधे बिन न चोटी सोहे (लवन बिना न सोहे रोटीबिन गूँधे न सोहे चोटी).बाल खोल कर घूमने वाली लड़कियों को पहले फूहड़ माना जाता था. उनको सीख देने के लिए कहा गया है कि जिस प्रकार चटनी या नमक के बिना रोटी अच्छी नहीं लगती, उसी प्रकार गूँधे बिना चोटी अच्छी नहीं लगती. लवन – लवण, नमक.
  24. चटोर का ब्याह, चोट्टी न्योते आई.जैसा दूल्हा वैसे ही बाराती.
  25. चटोर खोवे एक घरबतोर खोवे दो घर.चटोरा व्यक्ति (खाने पीने का शौक़ीन) केवल अपना घर बर्बाद करता है (पैसा उड़ा कर), पर बातों का शौक़ीन आदमी दो घर बर्बाद करता है. अपना भी समय खराब करता है और दूसरे का भी.
  26. चटोरा कुत्ताअलोनी सिल.अलोनी सिल – ऐसी सिल जिस पर कुछ न पीसा गया हो. चटोरा कुत्ता ऐसी सिल क्यों चाटेगा जिस पर कुछ न लगा हो.
  27. चटोरी जबानदौलत की हान.चटोरी जबान वाले लोग खाने पीने में सब पैसा उड़ा देते हैं.
  28. चढ़ जा बेटा सूली परभली करेंगे राम (भली करेगो अल्ला).किसी व्यक्ति को जोखिम भरे काम के लिए उकसाया जा रहा हो तो वह यह कहावत कहता है.
  29. चढ़ मारगूलर पक्के.आगे बढ़ के काम करो, सफलता अवश्य मिलेगी.
  30. चढ़ती जवानी और भरी हुई अंटी क्या अनर्थ नहीं कराती.जवानी के जोश में भी बहुत से गलत काम होते हैं और पास में आवश्यकता से अधिक धन हो तो भी गलत काम किए जाते हैं.
  31. चढ़ते पित्त उतरते बाय, ताते गोरख भूंज के खाय.भांग की महिमा बताई गई है. भांग चढ़ते समय पित्त को शांत करती है और उतरते समय वायु को. बाय – वायु रोग, ताते – इस कारण से.
  32. चढ़ाई से उतराई महान. पहाड़ पर चढ़ने से उतरना अधिक कठिन है. 2. किसी व्यक्ति की उन्नति हो रही हो तो बहुत अच्छा लगता है, पर जब उस की अवनति होती है तो उसकी कठिन परीक्षा होती है.
  33. चढ़ी कढ़ाही तेल न आया तो कब आएगा.गृहणी ने कढ़ाही आग पर चढ़ा दी है और पति तेल लाने में आनाकानी कर रहा है. तो पत्नी पूछती है कि इस मौके पर तेल नहीं लाओगे तो कब लाओगे. आवश्यकता के समय काम न किए जाने पर.
  34. चढ़े ऊंट, मांगे बूंट.जो मांगने वाला है वह किसी भी स्थान पर पहुँच जाए उस की मांगने की आदत नहीं जाती. बूंट – चना.
  35. चढ़े कचेहरी, बिके मेहरी.जो कचहरी के चक्कर में पड़ेगा उसका घर बार बिक जाएगा. मेहरी – स्त्री.
  36. चढ़ेगा सो गिरेगा.जो चढ़ेगा वही गिरेगा, जो चढ़ेगा ही नहीं उसे गिरने का क्या डर (गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले). इस का दूसरा अर्थ यह है कि उन्नति करने पर बहुत खुश मत हो, कल को फिर नीचे गिर सकते हो. इंग्लिश में कहावत है – He that never climbed, never fell.
  37. चढ़ो चाचा, चढ़ो ताऊ, येहि में घोड़ी खाली चले.एक दूसरे के शिष्टाचार में चाचा ताऊ दोनों पैदल चल रहे हैं और घोड़ी खाली चल रही है
  38. चतुर की चाकरी बुरी.यहाँ चतुर से अर्थ बहुत मीन मेख निकालने वाले व्यक्ति से है. ऐसे व्यक्ति की नौकरी करने में बहुत परेशानियाँ हैं.
  39. चतुर के चार कान नहिं होत.चतुर व्यक्ति बहुत जल्दी बात को सुन और समझ लेता है, इसलिए नहीं कि उसके पास चार कान हैं. बल्कि इसलिए कि उसकी बुद्धि तीव्र होती है. 
  40. चतुर चार जगह ठगा जाता है.जो अपने को ज्यादा होशियार बनता है वह अधिक नुकसान उठाता है. 
  41. चतुर नार नरकूढ़ से ब्याह होए पछताएजैसे रोगी नीम को आँख मीच पी जाए.बुद्धिमती स्त्री मूर्ख व्यक्ति से विवाह हो जाने पर मन ही मन शोक के घूँट पी कर रह जाती है, जैसे रोगी नीम को आँख बंद कर के मजबूरी में पी लेता है.
  42. चतुर शत्रु उपायहिं नासे.चतुर शत्रु को चालाकी से ही नष्ट किया जा सकता है, पराक्रम से नहीं.
  43. चतुर सो गृही जो संचै कोषा.कोष – खजाना. वही गृहस्थ चतुर माना जाता है जो रुपया पैसा और अनाज आदि इकठ्ठा कर के रखता है.
  44. चतुरा का काम न करेहेजिये के बच्चे न खिलाए.जो स्त्री अपने को बहुत चतुर समझती हो उसका काम नहीं करना चाहिए (क्योंकि वह उसमें कमियाँ निकालने से बाज नहीं आएगी). इसी प्रकार जिसे अपने बच्चे का बहुत हेज (सयान) हो उसके बच्चे को नहीं खिलाना चाहिए (क्योंकि वह खिलाने वाले पर इलज़ाम लगाएगी कि उसने बच्चे को नुकसान पहुँचा दिया).
  45. चतुरा तो पूतन को तरसे, फूहड़ जन जन हारी. प्रकृति की अजब माया है. समझदार और सम्पन्न स्त्री सन्तान के लिए तरस रही है और जो फूहड़ और गरीब स्त्री है, (जो बच्चों को ठीक से पाल भी नहीं सकती) उसके धड़ाधड़ बच्चे हो रहे हैं.
  46. चना और चुगल को मुहँ नहीं लगाना चाहिए. (चना और चुगल मुँह लग जाए तो छूटता नहीं है).चुगल – जो दूसरों की बुराई (परनिंदा) करता हो. ऐसे व्यक्ति को मुँह नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि फिर आपको भी परनिंदा में रस आने लगता है. कहावत को रुचिकर बनाने के लिए चने का उदाहरण जोड़ दिया गया है.
  47. चना कूदे तो कितना कूदे, कढ़ाई से बाहर.छोटा आदमी बहुत बड़ा काम नहीं कर सकता.
  48. चने चबाओ या शहनाई बजाओ.अगर शहनाई बजाना है तो चने नहीं चबा सकते. जब दो प्रिय कामों में से एक को चुनने की मज़बूरी हो तो.
  49. चने चाब कर उँगलियाँ चाटने में क्या स्वाद आएगा.जब हम कोई स्वादिष्ट भोजन करते हैं तो उसके बाद उंगलियाँ चाटने में आनंद आता है, चने जैसी साधारण और बिना मसाले की चीज़ खा कर उँगली चाटने में क्या स्वाद आएगा. 
  50. चने चिरौंजी हो गएगेहूँ हो गए दाखघर में गहने तीन हैंचरखापीढ़ीखाट.अत्यधिक गरीबी. चने और गेहूँ मिलना इतने मुश्किल हो गए जैसे चिरौंजी और किशमिश. घर में जो मूल्यवान वस्तुएं बची हैं वे हैं चरखा, बैठने का पीढ़ा और खाट.
  51. चन्दन की चुटकी भलीगाड़ी भरा न काठ.गाड़ी भर कर लकड़ी मिलने के मुकाबले चुटकी भर चन्दन बेहतर है. यह उन्हीं के लिए कहा गया है जो चन्दन की कीमत जानते हैं.
  52. चप्पा भर की झोपड़ी नई हवेली नाम.नाम के विपरीत गुण.
  53. चप्पे जितनी कोठरी और मियाँ मोहल्लेदार.चप्पा – चार अंगुल जगह. बहुत छोटी से घर में रहते हैं और शान बघारते हैं. झूठी शान बघारने वालों के लिए.
  54. चबा के खाते तो हलक में क्यूँ फंसता.धैर्य पूर्वक काम करते तो परेशानी में क्यों पड़ते.
  55. चबोकड़ सो लबोकड़.ज्यादा बातूनी आदमी झूठा होता है.
  56. चमगादड़ के घर मेहमान आएजैसे हम लटके वैसे तुम भी लटको भैया.गरीब के घर मेहमान आए तो वह कहता है कि भैया जिस तरह मैं काम चलाता हूँ वैसे ही तुम भी काम चलाओ.
  57. चमचागिरी न करो न कराओ. न किसी की चमचागीरी करनी चाहिए और न ही चमचों को देख कर खुश होना चाहिए.
  58. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए.पैसे के आठवें भाग को दमड़ी कहते थे. ऐसा व्यक्ति जो शरीर के अंगों को नुकसान होने की दशा में भी रत्ती भर पैसा इलाज में न खर्च करे. अत्यधिक कंजूस लोगों के लिए यह कहावत कही जाती है.
  59. चमड़े का जल दुनिया पीवे.पहले के जमाने में चमड़े के मशक में कुएं से पानी भर कर भिश्ती लोग घर घर जा कर घड़ों में पानी भरते थे. (देखिये परिशिष्ट) 
  60. चमड़े की चलनी और कुत्ता रखकार (चाम का चमोटाकूकुर रखवाल).चमड़े की चलनी की रखवाली भला कुत्ता कैसे कर सकता है. वह तो मौका मिलते ही उसे चबा जाएगा.
  61. चमड़े की देवी को जूतों की पूजा.जैसी देवी वैसी पूजा.
  62. चमत्कार को नमस्कार.चमत्कार के आगे सब नतमस्तक होते हैं.
  63. चमार के मनाने से डांगर नहीं मरते. डांगर – गाय, भैंस, बकरी आदि. चमार के मनाने से पशु नहीं मरते. अर्थात किसी के चाहने से दूसरे का अनिष्ट नहीं हो जाता. (कहावत उस समय की है जब चर्मकार बंधुओं का जीवन अत्यंत दयनीय था. उन बेचारों की जीविका केवल मरे हुए जानवरों पर ही निर्भर थी. आधुनिक भारत में अब सब के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं)
  64. चमरिया को चाची कह दिया तो चौके में चली आई.किसी निम्न कुल की स्त्री को कुछ सम्मान दे दिया तो वह ज्यादा सर चढ़ गई. (कहावतें तत्कालीन समाज का दर्पण होती हैं. इस कहावत में उस समय व्याप्त छुआछूत और जात पांत का सटीक चित्रण है. यह कितना भी आपत्तिजनक और निन्दनीय क्यों न हो, उस समय की सच्चाई यही है).   
  65. चमार चमड़े का यार.जिसका जो काम होता है उसको उसी से सम्बन्धित चीजों में रूचि होती है (चर्मकार को चमड़े में, लोहार को लोहे में, मिस्त्री को ईंट गारे में).
  66. चमेली लाड़ में आईघर भर साथ लाई.चमेली नाम की किसी घटिया स्त्री को दावत में बुला लिया तो वह सारे कुनबे को साथ ले आई. ओछे व्यक्ति से थोड़ा प्यार जता दो तो वह उस का गलत फायदा उठाता है.
  67. चरणामृत के गटके, मिटें चौरासी योनि के भटके.चरणामृत पीने से मोक्ष प्राप्त हो जाता है. विशेषकर उन लोगों का कथन जिन्हें कथा से अधिक चरणामृत में रूचि होती है.
  68. चर्बी छाई आंखन में तो नाचन लागी आँगन में.आँखों में चर्बी छाना – अहंकार में अंधा होना.
  69. चल न सकूँ मेरा कूदन नाम.गुण के विपरीत नाम.
  70. चल मरघट को लकड़ियाँ सस्ती हैं.कुछ लोग सस्ते के चक्कर में अनावश्यक सामान खरीद लेते हैं, उन का मज़ाक उड़ाने के लिए.
  71. चलत फिरत धन पाइएबैठे पावे कौन.कुछ परिश्रम करने से ही धन की प्राप्ति होती है. इंग्लिश में कहावत है – No gains without pains.
  72. चलता है तो चल निगोड़ेमैं तो गंगा नहाउंगी.पत्नी पति को धमकी दे रही है कि तुम्हें चलना है तो चलो, मैं तो गंगा नहाने अवश्य जाऊँगी. अपनी इच्छा दूसरों पर जबरदस्ती थोपना.
  73. चलती का नाम गाड़ीगाड़ी का नाम उखली.संसार के रीति रिवाज़ उलटे हैं. कबीर कहते हैं – रंगी को नारंगी कहते, नकद माल को खोया, चलती को तो गाड़ी कहते, देख कबीरा रोया.
  74. चलती चक्की देख केदिया कबीरा रोयदुइ पाटन के बीच मेंसाबित बचा न कोय.संसार की चक्की चलती देख कर कबीरदास को रोना आ रहा है. चाकी का एक पाट सांसारिक माया मोह है और दूसरा पाट भगवान की भक्ति है, इन के बीच में कोई भी साबुत नहीं बचता.
  75. चलती में न चलाये वो बावला और न चलती में चलाये वो भी बावला.जो अवसर का लाभ न उठाए वह मूर्ख और जो बिना अवसर लाभ उठाने की कोशिश करे वह भी मूर्ख.
  76. चलती हवा से लड़े.बहुत लड़ाका औरत के लिए.
  77. चलते घोड़े को चाबुक कैसा.जो कर्मचारी अपने आप से अच्छा काम करता हो उसे व्यर्थ में नहीं फटकारना चाहिए.
  78. चलना भला न कोस काबेटी भली न एकदेना भला न बाप काजो प्रभु राखे टेक.कोस भर चलना पड़े (सवारी न हो), एक ही संतान हो वह भी बेटी, पिता का ऋण बेटे को चुकाना पड़े, ईश्वर इन सब परेशानियों से बचाए.
  79. चलना है रहना नहींचलना बिस्वे बीसऐसे सहज सुहाग पर कौन गुंधावे सीस.संसार से सब को निश्चित रूप से जाना है तो ऐसे क्षणिक सुखों के लिए क्यों माथापच्ची करते हो. बिस्वे बीस – जैसे आजकल कहते हैं शत प्रतिशत, वैसे ही पहले के लोग कहते थे बिस्वे बीस (क्योंकि एक बीघे में बीस बिस्वे होते हैं). इसी तरह लोग कहते थे सोलह आने सच (क्योंकि रूपये में सोलह आने होते थे).
  80. चलनी चम्माघोड़ लगम्माकायस्थ गुलम्माये तीनों नहिं कोऊ कम्मा.चमड़े की चलनी, घोड़े की लगाम और नौकरी करने वाला कायस्थ, ये तीनों किसी और काम के लायक नहीं होते.
  81. चलनी में दुहे और करम को टटोले.चलनी में दूध दुह रहे हैं और दूध इकट्ठा नहीं हो रहा है तो अपने भाग्य को रो रहे हैं. मूर्खतापूर्ण कार्य करना और भाग्य को दोष देना.
  82. चलनी में न दानेअम्मा चलीं भुनाने.पहले के लोग किफायत करने के लिए गेहूं, चावल, मक्का, चने आदि इकट्ठा लेकर रखते थे (अब भी कुछ लोग ऐसा करते हैं). जरूरत पड़ने पर अनाज के रूप में तो इनका उपयोग होता ही था, इसके अलावा कभी भुने चने या मक्का खाने का मन हो तो जाकर भाड़ में भुनवा लाते थे. घरों में उस समय बर्तन भी सीमित हुआ करते थे. इसलिए भाड़ तक अनाज ले जाने के लिए चलनी एक उपयोगी बर्तन होता था. कहावत का शाब्दिक अर्थ है की चलनी में दाने तो है नहीं और अम्मा भुनाने चल दी हैं. अर्थात घर में कुछ नहीं है लेकिन तड़क-भड़क और दिखावा खूब है.
  83. चलनो भलो तो कोस को, दुहिता भली तो एक, मांगन भलो तो बाप सों, जो मांगे पर देत.थोड़ा चलना पड़े तो अच्छा, बेटी एक हो तो अच्छी, और माँगना ही पड़े तो ऐसे पिता से माँगना अच्छा जो आसानी से दे देता हो.
  84. चला चली की राह में, भला भली कर लेहु (चला चली के मेले में, भला भली खरीदो).इस संसार से कब जाना पड़ जाए यह कोई नहीं जानता, इसलिए परोपकार अवश्य करो, वही साथ जाएगा.
  85. चले जब तक चलने दो.जब तक काम चले चलाना चाहिए.
  86. चले तो अगाड़ीध्यान रहे पिछाड़ी.आगे को चलो लेकिन पीछे का भी ध्यान रखो.
  87. चले तो चाकी, नहीं तो पत्थर.जो चीज जिस काम के लिओए बनाई गई है वही नहीं करेगी तो वह बेकार है.
  88. चले रांड का चरखा और चले चटोरे का पेट.विधवा स्त्री बेचारी पेट पालने के लिए लगातार चरखा चलाती है और चटोरे आदमी का पेट अंट शंट खाने के कारण खराब होता रहता है. पेट चलना – दस्त होना.
  89. चले हल न चले कुदारी, बैठे भोजन दे मुरारी.आलसी और मुफ्तखोरों के लिए.
  90. चश्मे बद्दूर, आँखें मोतीचूर.छोटी आँख वालों की मजाक उड़ाने के लिए. चश्मे बद्दूर उर्दू का शब्द है जिसका अर्थ है बुरी नजर दूर रहे. चश्म – आँख, बद – बुरी.
  91. चस्का दिन दस कापराया खसम किसका.दूसरी महिला के पति पर डोरे डालने वाली महिला को सीख दी जा रही है कि पराया पति तुम्हारा सगा नहीं होगा.
  92. चाँद आसमान चढ़ासबने देखा.जब व्यक्ति उन्नति करता है तो उस पर सबकी निगाह पड़ती है.
  93. चाँद उगेगा तो क्या आंचल में छुपेगा.चाँद उगेगा तो सारी दुनिया को दिखेगा. प्रतिभा छिपती नहीं है.
  94. चाँद के ऊपर थूको तो वह अपने ऊपर ही आता है.महापुरुषों पर कीचड़ उछालने से अपनी ही छवि खराब होती है.
  95. चाँद के सामने तारों की परवाह कौन करे.बड़े आदमी के सामने छोटों को कोई नहीं पूछता.
  96. चाँद को भी ग्रहण लगता है.महान से महान व्यक्ति को भी कभी न कभी बदनामी झेलनी पड़ती है.
  97. चाँद देखे चंद्रमुखी याद आए.परदेस में रहने वाले व्यक्ति को चाँद देख कर अपनी पत्नी/प्रेयसी की याद आती है.
  98. चाँद में भी दाग है. (चंद्रमा में भी कलंक है).जब हम किसी बड़े आदमी की कोई कमी बताते हैं तो उसके प्रशंसक/समर्थक कहते हैं कि ऐसे तो हर व्यक्ति में कुछ न कुछ कमी होती है.
  99. चांडालों के गाँव में कुत्ते भी खामोश.चांडाल – श्मशान में शवों का डाह संस्कार कराने वाला व्यक्ति. यह हमारे समाज की विकृति है कि चांडाल जैसा समाज के लिए आवश्यक मनुष्य घृणा का पात्र बना दिया गया है. उसको लोग निम्नतम श्रेणी का मनुष्य मानते हैं. कहावत में यह कहने की कोशिश की गई है कि नीच लोगों से सब डरते हैं, यहाँ तक कि कुत्ते भी.
  100. चांदनी रात भाग्य में होती तो रतौंधी ही क्यों होती.रतौंधी – रात में दिखाई न देने की बीमारी, (विटामिन ए की कमी से होती है). जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्हें चांदनी रात में भी दिखाई नहीं देता. जिसके भाग्य में सुख न लिखा हो उसके लिए.
  101. चांदनी से जले और हवा से उड़े.बहुत नाज़ुक आदमी.
  102. चांदी का जूता सबके सर पर भारी.पैसे के बल पर सबको दबाया जा सकता है.
  103. चांदी की चाबी सब द्वार खोले.पैसे से सब काम कराए जा सकते हैं.
  104. चांदी की चोट पड़े तब सांड भी गाय हो जावे.पैसे के बल पर टेढ़े आदमियों को भी सीधा किया जा सकता है.
  105. चांदी देखे चेतना, मुख देखे व्यौहार.यहाँ चांदी से तात्पर्य चांदी के रुपयों से है. व्यापारी जब देख लेता है कि ग्राहक के पास रूपये हैं तभी माल दिखाने में रूचि लेता है, व्यक्ति को देख कर ही व्यवहार किया जाता है.
  106. चाकर को उज्र नहींकूकुर को उज्र है. नौकरी करने वाले को इस बात की स्वतंत्रता नहीं होती कि वह किसी काम को मना कर दे. उस से तो कुत्ता अधिक स्वतन्त्र होता है. 2. आप किसी बड़े आदमी से मिलना चाहते हैं. उसके नौकर को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसका कुत्ता आप पर भौंके जा रहा है (या कोई महत्वहीन आदमी ख्वामखाह अड़ंगा डाल रहा है). 
  107. चाकर को ठाकुर बहुतेरे और ठाकुर को चाकर बहुतेरे.नौकरी करने वाले के लिए काम देने वालों की कमी नहीं है और काम देने वालों के लिए नौकरी करने वालों की कमी नहीं है.
  108. चाकर मालिक के हैं या बेंगन के.एक दिनराजा ने दरबार में कहा- बैंगन बहुत अच्छी सब्जी है. दरबारी बोले – जी हुजूर, तभी तो इस के सर पर भगवान ने ताज रखा है. कुछ दिन बाद राजा ने कहा – बैंगन तो बिल्कुल वाहियात चीज है. दरबारी तुरंत बोले – जी मालिक, तभी तो इसका नाम बेगुन (बिना गुण वाला) रखा है. राजा बोला – उस दिन तो तो तुम लोग बैगन की बहुत तारीफ़ कर रहे थे. दरबारी बोले – हुजूर हम आपके नौकर हैं, बैंगन के थोड़े ही हैं.  
  109. चाकर से कूकुर भला जो सोये अपनी नींद.पहले के लोग नौकरी को बुरा समझते थे क्योंकि उस में किसी की गुलामी करनी पड़ती है. कहते थे कि नौकर से तो कुत्ता अधिक आजाद है.
  110. चाकर है तो नाचा करना नाचे तो ना चाकर.नौकरी करने वाले को मालिक की मर्ज़ी के अनुसार नाचना पड़ता है. जो नाचने को तैयार न हो वह नौकरी नहीं कर सकता. (चाकरी या तो ना करी, करी तो फिर ना नाकरी).
  111. चाकरी में आकरी कैसी.नौकरी में अकड़ नहीं चल सकती.
  112. चाकरी में न करी क्या.नौकरी करने वाला किसी काम को मना नहीं कर सकता.
  113. चाकी फेरीहुई चून की ढेरी.कोई काम शुरू करने की देर है, एक बार शुरू हो जाए फिर तो ढेर लग जाता है. चून – आटा.
  114. चाचा पिए, भतीजे को चढ़े.जो लोग अपने रिश्ते दारों के बल पर ऐंठते फिरते हैं उन का मजाक उड़ाने के लिए.
  115. चाची के मूंछें निकल आएं तो चाचा न कहलाएँ.कुछ काम ऐसे हैं जो चाचा ही कर सकते हैं. अगर चाची वो काम करने लगें तो चाचा और चाची में फर्क क्या रह जाएगा.
  116. चातुर का काम नहीं पातुर से अटके.बुद्धिमान व्यक्ति वैश्या के चक्कर में नहीं पड़ता है.
  117. चातुर की चेरी भली मूरख की नार से.कोई काम कराना हो तो बुद्धिमान व्यक्ति की नौकरानी से कहना बेहतर है बामुकाबले मूर्ख की स्त्री के.
  118. चातुर को चिंता घनी, नहिं मूरख को लाज, सर औसर जाने नहीं, पेट भरे सो काज.घनी – बहुत अधिक, औसर – अवसर. समझदार व्यक्ति की बहुत सी चिंताएं होती हैं जबकि मूर्ख को कोई लाज शर्म नहीं होती. उसे केवल खाने से मतलब होता है.
  119. चातुर को चौगुनीमूरख को सौ गुनी.बुद्धिमान इशारे में ही बात समझ लेता है, मूर्ख को बार बार समझाना पड़ता है.
  120. चातुर तो बैरी भलोमूरख भलो न मीत.मूर्ख मित्र के मुकाबले बुद्धिमान शत्रु अधिक अच्छा है. मूर्ख व्यक्ति का कोई भरोसा नहीं कि वह कब अपनी मूर्खता से आपको कोई नुकसान पहुँचा दे. एक आदमी ने भालू पाला हुआ था. भालू उसकी बड़ी सेवा करता था. एक दिन वह सो रहा था और भालू पास में बैठा उस की मक्खियाँ उड़ा रहा था. एक मक्खी बार बार आदमी की नाक पर बैठ जा रही थी. भालू ने कई बार उसे उड़ाया, पर वह फिर आ कर बैठ जा रही थी. थोड़ी देर कोशिश करने के बाद भालू ने आव देखा न ताव पास में रखा मूसल उठा कर मक्खी पर दे मारा. 
  121. चापलूसी का मुँह काला.चापलूसी करने वाले व्यक्ति से सावधान रहना चाहिए.
  122. चाबी लागे ही ताला खुले.सही युक्ति से ही कोई कठिन काम पूरा किया जा सकता है.
  123. चाबुक तो मिल गईबस जीनलगामघोड़ी ही बाकी है.कोई छोटी सी चीज़ मिल जाने पर बहुत बड़े बड़े मंसूबे बांधना.
  124. चाम प्यारा नहीं, दाम प्यारा है.जिसको अपने शरीर से पैसा अधिक प्यारा हो.
  125. चार अफीमची तीन हुक्के.डिमांड अधिक हो और सप्लाई कम हो तो झगड़ा तो होगा ही.
  126. चार आने का बाजरा, चौदह आने का मचान.चार आने के बाजरे की फसल की सुरक्षा के लिए चौदह आने का मचान बनाया है. छोटे से लाभ के लिए बहुत अधिक निवेश.
  127. चार औरतें कजिए करें, तो कोई न कोई घर टूटे (औरतें इकटठी हों तो किसी का घर तोड़ती है).औरतें इकट्ठी होती हैं तो तरह तरह की बातें कर के एक दूसरे को भड़काती हैं और घरों में फूट डलवाती हैं.
  128. चार कान की बात ब्रह्मा भी नहीं छिपा सकता.कोई बात किसी एक व्यक्ति से कहो तो हो सकता है कि वह उसे अपने तक सीमित रखे, पर अगर दो लोगों से कह दी तब तो उसका फैलना तय है.
  129. चार गोड़वा बांधा जाएदो गोड़वा न बांधा जाए.चार पैर वाले (जानवर) को बांध कर रख सकते हैं दो पैर वाले (मनुष्य) को नहीं. गोड़ – घुटना.
  130. चार चोर चौरासी बनियाएक एक कर लूटा.चार चोर, चौरासी बनियों (डरपोक लोगों) को एक एक कर के लूट सकते हैं. जब एक को लूट रहे हों तो बाकी चुपचाप देखते रहते हैं.
  131. चार जात गावें हरबोंगअहीरडफालीधोबीडोम.इन चार जातियों के लोग बेसुरा और बेतुका गाते हैं, अहीर, डफाली (डफली बजाने वाला), धोबी और डोम.
  132. चार दिन की आइयाँऔर सोंठ बिसाइन जाईयां.अभी चार दिन आये हुए बीते हैं और सोंठ खरीदने चल दीं. सोंठ आमतौर पर प्रसव के बाद खिलाई जाती है. कोई नया आने वाला अधिक अधिकार जमाए तो.
  133. चार दिन की चमर जोतिस. चमड़े का काम करने वालाकोई व्यक्ति ज्योतिषी बनने का ढोंग करके बैठा है. उसका यह ढोंग चार दिन में ही खुल जाएगा. कोई भी व्यक्ति वही काम ठीक से कर सकता है जो उस ने बचपन से सीखा हो, दूसरा काम करने की कोशिश करेगा तो उस की छीछालेदर होनी तय है.
  134. चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात(अंधियारी पाख). जब व्यक्ति को मालूम होता है कि कुछ दिनों की मौज मस्ती के बाद फिर परेशानी आनी है, तब वह यह कहावत कहता है.
  135. चार दिन के गईलेसुग्गा मोर बन के अईले.(भोजपुरी कहावत) कुछ दिन विदेश में कुछ दिन रह कर जो अपने को अंग्रेज समझने लगते हैं. सुग्गा – तोता. गइले – गया, अइले – आया.
  136. चार बिछिये टन टन बाजेंनौ मन काजल नैन बिराजेझीना घूँघट नखरा घनाथोथा चना बाजे घना.सुन्दर न होने पर भी अत्यधिक श्रृंगार कर के इतराने वाली स्त्रियों के लिए. 
  137. चार लठा के चौधरी पांच लठा के पंच, जिनके घर में छह लठा वो अंच गिनें न पंच.(बुन्देलखंडी कहावत)जिस घर के चार सदस्य लठैत हों वह गाँव का चौधरी बन जाता है, जहाँ पांच लाठी चलाने वाले हों वह पंच, जहाँ छह हों वह किसी को कुछ नहीं गिनता. 
  138. चार वेद और पांचवाँ लवेद.लवेद माने छड़ी. ज्ञान प्राप्त करने के लिए चार वेद चाहिए और पांचवीं छड़ी.
  139. चार सुहाली, चौदह थालीबाँटन वाली सत्तर जनी.सुहाली – मैदे की पापड़ी नुमा पूड़ी. काम बहुत कम और करने वाले बहुत लोग.
  140. चारण मत कर चतुर्भज नाई कीजे नाथ, आधी गद्दी बैठवों माथा ऊपर हाथ.हे चतुर्भूज (भगवान विष्णु), मुझे चारण मत बनाना, नाई बनाना क्योंकि नाई राजा के पास गद्दी पर बैठता है और राजा के मस्तक पर हाथ रखता है.
  141. चारा खरीदने के लिए गाय बेच दो.गाय का चारा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं तो कुछ बेचना पड़ेगा. कोई लाल बुझक्कड़ सलाह दे रहे हैं कि गाय बेच कर चारा खरीद लो. जब गाय नहीं होगी तो चारे का करोगे क्या. किसी समस्या के समाधान के लिए मूर्खतापूर्ण सुझाव देने वालों पर व्यंग्य. 
  142. चारु सो भारु.जो अधिक चारा खाता है वह बोझ बन जाता है.
  143. चारों धार दुहारी में पड़ेंतो भरती क्या देर लगे.दुहारी – दूध दुहने की बाल्टी. काम करने वाले कई लोग हों तो काम निबटने में देर नहीं लगती. 
  144. चाल गड मगडमतलब में चौकस.चाल ढाल में भोंदू लगते हैं पर अपने मतलब में होशियार हैं.
  145. चाल चपलमुख चरपरानिपट निर्लज्जा होयनाक काट गुद्दी धरेकरे दलाली सोय.तेज चलने वाला, अधिक बोलने वाला और निर्लज्ज व्यक्ति ही दलाली कर सकता है.
  146. चाल रहे सादा तो निबहे बाप दादा.जो व्यक्ति सादा और सरल जीवन जीते हैं वे ही अपने कुटुंब की मर्यादा निभा पाते हैं. 
  147. चालाक पदनी पहले ही नाक दाबे.अपान वायु खारिज करने को बोलचाल की अशिष्ट भाषा में पादना कहा जाता है. पदनी का अर्थ है पादने वाली स्त्री. इस प्रकार की वायु में अक्सर दुर्गन्ध होती है. इसलिए चालाक लोग अपान वायु से पहले नाक बंद कर लेते हैं. कहावत का अर्थ है, चालाक आदमी कोई गलत काम करने से पहले अपने आप को बचाने का प्रबंध कर लेता है. 
  148. चालीस सेरा ऊत.मूर्ख व्यक्ति के लिए.
  149. चाव घटे नित घर के जाएभाव घटे कुछ मुँह के मांगेरोग घटे औषधि के खाएज्ञान घटे कुसंगत पाए.बार बार कहीं जाने से मिलने की ललक कम हो जाती है, कुछ मांगने से सम्मान कम होता है, औषधि खाने से रोग कम होता है और कुसंगति से ज्ञान कम होता है.
  150. चाह करी ताकि चाकरी कीजेअनचाहत का नाम न लीजे.जो प्रेम करे उसकी नौकरी करो और जो न करे उस का नाम भी न लो.
  151. चाह गई चिंता मिटीमनुआ बेपरवाहजिनको कछू न चाहिएवे साहन के साह.जब तक मनुष्य कुछ पाने की इच्छा करता है तब तक वह चिंताओं से दबा रहता है. जब मनुष्य अपने को इन इच्छाओं से मुक्त कर लेता है तब वह शहंशाह बन जाता है.
  152. चाह चमारी चूहड़ी, सब नीचन की नीच.चाह का अर्थ यहाँ लालच से है. चमारी – चर्मकार जाति की महिला, चूहड़ी – सफाईकर्मी महिला. पुराने जमाने में जब छुआछूत और सामाजिक विषमता का बोलबाला था, तब चर्मकार और सफाई कर्मियों को नीची जाति का कह कर अपमानित किया जाता था (सौभाग्य से अब ऐसा नहीं है). उस समय की कहावत में लालच करने की वृत्ति को बहुत निम्न कोटि का बताने के लिए चमारी और चूहड़ी से उपमा दी गई है.
  153. चाहले की भैंस.ऐसी स्थूलकाय स्त्री के लिए जिसका पति उसे खूब लाड़ प्यार से रखता हो.
  154. चाहे गाड़ी भर दहेज़ मिल जाए, पर ऐसे घर में ब्याह न करे जहाँ साला न हो.सही बात है, साले के बिना ससुराल बेकार है.
  155. चाहे जहाँ जाओ, अपने आप से मुक्ति नहीं पा सकते.आदमी दुनिया से भाग सकता है लेकिन अपनी अंतरात्मा से नहीं.
  156. चाहे जितने आदमी काम पर लगाओबच्चा पैदा होने में नौ महीने ही लगेंगे.कुछ काम ऐसे होते हैं जिनमें समय लगता ही है.
  157. चाहे देकर भूल जाएपर लेकर कभी न भूले.उधार दे कर वापस लेना भले ही भूल जाओ, लेकर वापस करना कभी नहीं भूलना चाहिए.
  158. चाहे मार चाहे तार.ईश्वर के सब आधीन हैं, वह चाहे मारे चाहे तार दे.
  159. चिंता ऐसी डाकिनी काट के जिउ को खायबैद बिचारा क्या करे कितनी दवा लगाय.(बुन्देलखंडी कहावत)चिंता बहुत बुरी बीमारी है, मनुष्य को घुला देती है, इसकी कोई दवा भी नहीं है.
  160. चिंता चिता समान है.चिता तो मृत देह को जलाती है पर चिंता जीवित व्यक्ति को ही जला डालती है.
  161. चिंता ज्वाल सरीर वनदाह लगे न बुझाय(प्रकट धुंआ न देखिये भीतर ही धुन्धुआए).शरीर रूपी वन के लिए चिंता दावानल के सामान है जो बुझाए नहीं बुझती. फर्क यह है कि इस आग में धुंआ दिखाई नहीं देता, भीतर ही भीतर घुटता रहता है.
  162. चिकना मुँह पेट खाली.देखने में अच्छा भला पर वास्तविकता में अभावग्रस्त. कुछ लोग इसे इस प्रकार बोलते हैं – दिल्ली की दलाली, मुँह चिकना पेट खाली. 
  163. चिकनी बातों मत पतियाओ.चिकनी चुपड़ी बातों पर विश्वास मत करो. 
  164. चिकने गाल तिलनियाँ के औ जरे भुजे भुरजनिया के.तेली की औरत के गाल चिकने हो जाते हैं और भड़भूंजे की औरत के गाल काले हो जाते हैं. अर्थात व्यक्ति जो काम करता है उसका असर उस के रंग रूप पर पड़ता है.
  165. चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता, पर मैल जम सकता है.बेशर्म आदमी कायदे की बात नहीं सीखता पर अनुचित बात फौरन सीख लेता है.
  166. चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता.बेशर्म आदमी को किसी भलाई बुराई से कोई फर्क नहीं पड़ता.
  167. चिकने घाट बैठ कर उतरो.यदि नदी का घाट चिकना हो तो बैठ कर आगे बढ़ना चाहिए. प्रतिकूल परिस्थिति में अतिरिक्त सावधानी आवश्यक है.
  168. चिकने मुँह को सब चूमते हैं.कमज़ोर का फायदा सब उठाते हैं.
  169. चिड़ा चिड़ी की क्या लड़ाई, चल चिड़े मैँ तेरे पीछे आई.चिड़िया व चिड़े की कैसी लड़ाई, पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है.
  170. चिड़िया का धन चोंच.गरीब आदमी के हाथ ही उसका धन हैं जिनसे श्रम कर के वह रोजी रोटी कमाता है.
  171. चिड़िया की चोंच में चौथाई हिस्सा.जब किसी गरीब की कमाई में कोई हिस्सा मांगे.
  172. चिड़िया की चोंच में सौ मन काठ.किसी गप्प मारने वाले का मजाक उड़ाने के लिए.
  173. चिड़िया को बाज से क्या कामसही बात है, भला शिकार को शिकारी से क्या काम हो सकता है. कोई भोला भाला व्यक्ति किसी दुष्ट के जाल में फंसने जा रहा हो तो उसे सावधान करने के लिए.
  174. चिड़िया चाहे जितने प्यार से पाले, पंख लगते ही बच्चे उड़ जाते हैं.माँ बाप चाहे जितने प्यार से बच्चों को पालें, कमाना शुरू करते ही वे अलग हो जाते हैं.
  175. चिड़ियों की मौतगवारों की हंसी.मूर्ख लोग यह नहीं देखते कि उन के मनोरंजन में निरीह लोगों का कितना नुकसान हो रहा है.
  176. चिड़ियों के शिकार में शेर का सामान.छोटे से काम के लिए बहुत टीम टाम.
  177. चिड़ी चोंच भर ले चलीनदी न घट्यो नीरधरम किए धन न घटेकह गए दास कबीर.भिखारी लोग इस तरह की बातें सुना कर लोगों को दान करने के लिए कहते हैं.
  178. चिढ़े को चिढ़ाएंगेहलुआ पूरी खाएंगे.जो चिढ़ने वाला हो उसे चिढ़ाने में सब को मज़ा आता है.
  179. चित भी मेरी पट भी मेरीअंटा मेरे बाप का.किसी भी सिक्के के एक साइड को चित और दूसरी साइड को पट कहते हैं. कई बार लोग किसी बात का फैसला सिक्का उछाल कर करते हैं. सिक्का उछालने से पहले ही एक व्यक्ति बोल देता है कि चित आने पर वह जीतेगा. लाख में एक चांस यह भी होता है कि सिक्का न चित पड़े न पट बल्कि खड़ा हो जाए. इसे अंटा कहते हैं. कोई किसी फैसले को अपने पक्ष में करने के लिए जोर जबरदस्ती कर रहा हो तो यह कहावत कहते हैं. इंग्लिश में कहावत है – Heads I win, Tails you lose.
  180. चित्त लगा भोजन में कवित्त को कहवें.(बुन्देलखंडी कहावत)मन तो भोजन में लगा है और कविता सुनाने को कहा जा रहा है. 
  181. चिराग गुलपगड़ी गायब.चोर और जेबकतरे निगाह बचते ही अपना काम कर जाते हैं.
  182. चिराग तले अंधेरा.दीपक जलता है तो चारों ओर प्रकाश फैलता है पर दीपक के नीचे अँधेरा रहता है. कोई व्यक्ति देश या समाज के लिए बहुत कुछ कर रहा हो पर उसके अपने घर में अभाव हों तो यह कहावत कही जाती है.
  183. चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी.जो लोग बहुत जल्दी सो जाते हैं उनके लिए. जलते दिये को बुझाने के लिए लोग बत्ती को दीपक से बाहर कर देते थे जिससे तेल न मिलने के कारण वह बुझ जाए. बोलचाल की भाषा में इसे बाती बढ़ाना या दिया बाती करना कहते थे. विशेष रूप से यह कहावत उन पुरुषों का मजाक उड़ाने के लिए कही जाती है जो दीपक बुझने के बाद फौरन सो जाते हैं. कुछ स्त्रियाँ अपने पतियों की इस आदत से बहुत परेशान भी रहती हैं.
  184. चिवड़ा दही बारह कोसपूड़ी अठारह कोस.पूड़ी के मुकाबले चिवड़ा दही जल्दी पच जाता है, इसलिए अगर अधिक दूर जाना है तो पूड़ी खा कर जाना चाहिए.
  185. चींचड़ी को खाज (जूं के सिर में खाज).चीलर और जूँ जो सभी प्राणियों के शरीर में खुजली पैदा करती हैं उन्हें खुद ही खुजली हो जाए. कोई दुष्ट व्यक्ति अपनी दुष्टता के कारण किसी परेशानी में पड़ जाए तो.
  186. चींटी की आवाज़ अर्श तक.निर्बल की पुकार ईश्वर सुनता है. अर्श माने आसमान.
  187. चींटी की खाल निकालना. बाल की खाल निकालना.
  188. चींटी की मौत आती है तो उसके पंख निकल आते हैं (चींटी के पर निकले और मौत आई).छोटा आदमी बड़ा दुस्साहस करे तो उसकी बर्बादी निश्चित है.
  189. चींटी के घर नित मातम.गरीब आदमी पर कोई न कोई दुःख टूटता ही रहता है.
  190. चींटी को अपने पैर भारी हाथी को अपने पैर भारी.बड़ा आदमी बड़ी मुसीबतों से परेशान होता है तो छोटे आदमी को उसकी छोटी परेशानियाँ भी उतना ही परेशान करती हैं.
  191. चींटी को पेशाब की धार ही बहुत है.गरीब के लिए छोटी मोटी परेशानी भी जानलेवा बन सकती है.
  192. चींटी चाहे सागर थाह (चींटी लेत समुन्दर थाह).बहुत क्षुद्र व्यक्ति अपनी औकात से बहुत अधिक प्रयास करे तो.
  193. चींटी जावे सासरे, नौ मन सुरमा डाल.बच्चों द्वारा मजाक में बोली जाने वाली कहावत. 2.अधिक लीपापोती करने वाली महिलाओं का मजाक उड़ाने के लिए.
  194. चीज न राखे आपनीचोरन गाली देयचोर बिचारा क्या करेपड़ी पाय सो लेय.यदि आपने अपनी चीज़ संभाल कर नहीं रखी और वह चोरी हो गई तो इस के लिए चोर को गाली न दें. उस बेचारे को तो पड़ी मिली तो उस ने उठा ली.
  195. चीटा मारे पानी हाथ.गरीब को सताने से कुछ हासिल नहीं होता. (बगुला मारे पखना हाथ).
  196. चीरे चार बघारे पांच.थोड़ा काम कर के बहुत ज्यादा बताना.
  197. चील का मूत.असंभव वस्तु (जो चीज़ दुनिया में होती ही नहीं है).
  198. चील के घर में मांस की धरोहर. (चील के घोंसले में मांस कहाँ)चील के घोंसले में मांस ढूँढना मूर्खता है. चील मांस छोड़ेगी ही नहीं. चोर उचक्कों से भरी जगह में आप अपना कोई कीमती सामान भूल आएँ और फिर फिर उसे ढूँढने जाएँ तो यह कहावत कही जाएगी.
  199. चीलर मारे कुत्ता खाए.दुनिया को दिखाने के लिए चीलर मार रहा है और मौका मिलने पर कुत्ते को खा जाता है. ऐसे व्यक्ति के लिए जो भलाई के छोटे मोटे काम कर के वाहवाही लूटे और मौका लगने पर बड़ी चीज़ पर हाथ साफ़ करे.
  200. चुका वायदादिखाया कायदा.काम निकल जाने के बाद नियम बताने लगना.
  201. चुगलखोर खुदा का चोर.चुगलखोर व्यक्ति भगवान की नजर में चोर के समान होता है
  202. चुटके का खाएउकटे का न खाए.चुटका – गरीब, उकटा – कर के एहसान जताने वाला. 
  203. चुटिया को तेल नहींपकौड़ी को जी चाहे.आज के जमाने में खाने के लिए भी तरह तरह के तेल उपलब्ध हैं और सर में डालने के लिए भी, पर पहले के जमाने में ले दे कर एक सरसों का तेल ही सब कामों में आता था. कहावत का अर्थ है कि सर में डालने लायक जरा सा तेल तक तो है नहीं और पकोड़ी खाने का मन कर रहा है जिसके लिए बहुत सारा तेल चाहिए. कुछ भी न होते हुए बहुत कुछ की इच्छा करना.
  204. चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है.जो चीज़ अपने को पसंद आ जाए वही अच्छी है. इस तरह की एक कहावत और है – दिल लगा गधी से तो परी क्या करे. माँ बाप बेटे की शादी अपनी पसंद की किसी घरेलू लड़की से करना चाहते हैं पर लड़का किसी फैशनेबिल लड़की से शादी करने के लिए अड़ा हुआ है, ऐसे में माँ बाप यह कहावत बोल कर अपनी कुढ़न शांत करते हैं.
  205. चुप आधी मर्ज़ी.कोई बात सुन कर अगर आप चुप रहते हैं तो इस का मतलब यह है कि आप उससे काफ़ी कुछ सहमत हैं.
  206. चुप रहने का मौका कभी मत छोड़ो.चुप रहने से बहुत सी समस्याएँ हल हो जाती हैं. इंग्लिश में कहावत है – Silence is gold.
  207. चुपको रह चन्दनयहाँ करीलन को वन है.चन्दन को समझाया जा रहा है कि यहाँ करील (कांटेदार झाड़ियाँ) का जंगल है. तुम चुप रहो. यहाँ तुम्हारी कोई कद्र नहीं होगी.
  208. चुपड़ी और दो दो (मीठा और भर कठौती).गरीब आदमी के लिए चुपड़ी रोटी एक नियामत है और वो भी दो मिल जाएं तो क्या कहने. कोई अच्छी चीज़ मिल रही हो और वह भी उम्मीद से अधिक तो यह कहावत कही जाती है. इस प्रकार की दूसरी कहावत है.
  209. चुप्पा आदमी गहरा होता है.बहुत बोलने वाला आदमी आमतौर पर हलकी मानसिकता का होता है जबकि चुप रहने वाले में गहराई होती है.
  210. चुप्पा कुत्ता पहले काटे.जहाँ कई कुत्ते बैठे हों वहाँ जो कुत्ते बहुत भौंक रहे हों उनसे खतरा कम है. जो कुत्ता चुप बैठा हो वह पहले काटेगा. इसी तरह चुप रहने वाला आदमी भी अधिक खतरनाक होता है. इंग्लिश में कहावत है – Beware of silent dog and still waters.
  211. चुभने वाली कील हथोड़े से ठोंक दी जाती है.अधिक परेशान करने वाले व्यक्ति को कड़ा सबक सिखाना जरूरी है.
  212. चुरावे नथ वालीनाम लगे चिरकुट वाली का. चिरकुट – कपड़े का चिथड़ा.पैसे वाला व्यक्ति गलत काम करता है और नाम गरीब का लगता है.
  213. चुल्लू चुल्लू साधेगाद्वारे हाथी बांधेगा.छोटी छोटी बचत से बड़ी राशि इकट्ठी की जा सकती है. इसके आगे एक पंक्ति और बोली जाती है ‘चुल्लू, चुल्लू खोवेगा, द्वारे बैठा रोवेगा.’
  214. चुल्लू भर पानी में तंग जिंदगानी.अत्यधिक गरीबी.
  215. चुल्लू में उल्लू करे, गाँठ कमाई खाय, मनुष जनावर बन चले, दारु बुरी बलाय.शराब बहुत बुरी चीज़ है, जो एक चुल्लू में ही आदमी को उल्लू बना देती है, आदमी की जमा पूँजी खा जाती है और आदमी को जानवर बना देती है. 
  216. चुहिया का शिकार और ग्यारह तोपें.छोटे से काम में बहुत बड़ा ताम झाम.
  217. चूक अजाने से पड़ेबाँधे गाँठ सयान.नासमझ आदमी गलती करता है समझदार आदमी उससे सीख लेता है. इंग्लिश में कहावत है – Learn wisdom by the follies of others.
  218. चूकी चोट निहाई पर.निहाई मजबूत लोहे की बड़ी सी वस्तु होती है जिस पर रख कर लोहे को पीटते हैं या काटते हैं. जिस चीज़ पर चोट करते हैं वह चूक जाए तो निहाई पर ही चोट पड़ती है. घर गृहस्थी में गलती कोई भी करे, जो जिम्मेदार व्यक्ति होता है उसी को खामियाजा भुगतना पड़ता है. (देखिये परिशिष्ट) 
  219. चून खाए मुसंड होवेतला खाए रोगी.आटा खाने से ताकत आती है, तला हुआ खाने से रोग होते हैं.
  220. चूनी कहे मुझे घी से खाओ.चूनी – मटर का आटा. चूनी जैसे घटिया आटे का भी दिमाग हो गया है, कह रहा है मुझे घी से खाओ. साधारण आदमी अपनी हैसियत से बहुत ऊपर की बात करे तो.
  221. चूरा झाड़ खाओलड्डू मत तोड़ो.अपनी मूल पूँजी खा के खत्म नहीं करनी चाहिए, उससे मिलने वाले ब्याज या कमाई को खर्च कर के काम चला लेना चाहिए.
  222. चूल्हा चक्कीसबहि काम पक्की.ऐसी स्त्री जो खाना पकाने में भी होशियार हो और चक्की भी खूब चला ले. ऐसा व्यक्ति जो हर काम में होशियार हो.
  223. चूल्हा झोंके चांवर हाथ.चांवर माने हाथ का छोटा पंखा. बीबीजी चूल्हे पे खाना बनाने बैठी हैं और चांवर हाथ में है. काम में नज़ाकत दिखाना. (देखिए परिशिष्ट)
  224. चूल्हा फूँके और दाढ़ी रखे.यदि आपकी दाढ़ी लम्बी होगी तो इस बात का बहुत खतरा है कि चूल्हा फूंकते हुए जल जाए. आप को सलाह दी गई है कि चूल्हा फूंकना है तो दाढ़ी न रखें.
  225. चूल्हे का राव लाव लाव ही पुकारे.चूल्हे का देवता हमेशा लकड़ी मांगता है. 
  226. चूल्हे को आग से क्या डराना.जिन परेशानियों को कोई रोज झेलता हो, उनसे उसे क्या डराना.
  227. चूल्हे पर तलवार चलाईतोऊ चुहिया मार न पाई.किसी छोटे से काम को करने के लिए बहुत बड़ा और मूर्खतापूर्ण प्रयास करना.
  228. चूल्हे में थूके और सुख की आस करे.चूल्हे में थूकना अर्थात किसी अत्यंत आवश्यक वस्तु का निरादर करना. ऐसा करने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता.
  229. चूहा छोटा और पूँछ बड़ी.अधिक दिखावा करने वाले व्यक्ति का मजाक उड़ाने के लिए.
  230. चूहा बिल न समा सके कानौ बांधा छाज (पूँछ में बाँधा छाज).बिल इतना छोटा कि चूहा उस में घुस नहीं सकता है ऊपर से कान में छाज बाँध लिया. बहुत कम सामर्थ्य वाला व्यक्ति बहुत बड़ी जिम्मेदारी ले ले तो ऐसा कहते है.
  231. चूहा मारे खेत जलाया.खेत या खलिहान में चूहे अधिक हों तो उन्हें मारने के लिए यदि कोई खेत ही जला दे. जैसे विरोधियों को मात देने के लिए यदि कोई नेता दंगे करा दे. 
  232. चूहे के चाम से जूतेनहीं बनते. छोटे आदमी बड़ा काम नहीं कर सकते.
  233. चूहे के जाए बिल ही तो खोदेगें.चूहे के जाए माने चूहे के बच्चे. कोई भी बच्चे वही काम करेंगे जो उन के माँ बाप करते आए हैं. किसी घटिया व्यक्ति के बच्चे कोई घटिया काम करें तो यह कहावत बोलते हैं.
  234. चूहे के बिल में ऊंट नहीं समा सकता.किसी बहुत बड़े आयोजन के लिए बहुत छोटी जगह हो तो मजाक में ऐसा कहते हैं.
  235. चूहे को गेहूँ मिलेगा तो कुतर कर ही खाएगा, पूड़ी नहीं बनाएगा.गरीब आदमी के पास आमोद प्रमोद मनाने के साधन नहीं होते. वह जैसे तैसे अपना पेट भरता है.
  236. चूहे को सुपारी का टुकड़ा मिल गया तो खुद को पंसारी समझने लगा.पंसारी की दूकान में छोटी बड़ी सैकड़ों चीजें होती हैं जिनका वह हिसाब रखता है (देखा जाए तो यह बहुत कठिन काम है). चूहे को सुपारी का टुकड़ा मिल गया तो समझने लगा कि वह भी पंसारी से कम नहीं है. कोई छोटा सा ज्ञान या वस्तु मिल जाने पर अपने को बहुत काबिल या बहुत बड़ा समझने लगना. जैसे इन्टरनेट पर एक बीमारी के विषय में एक लेख का कुछ हिस्सा पढ़ कर लोग अपने को डॉक्टर समझने लगते हैं.
  237. चूहों की मौत बिल्ली का खेल.अहंकारी और अत्याचारी लोग मन बहलाते हैं और गरीब की जान पर बन आती है.
  238. चेले लावें मांग कर बैठा खाए महंतराम भजन का नाम है पेट भरन का पंथ.ढोंगी साधु, महंतों के लिए. 
  239. चैत्र चना, वैशाखे बेल, जेठ शयन अषाढ़े खेल.चैत में चना, वैशाख में बेल खाने तथा जेठ की दोपहरी में सोने एवं आषाढ़ में खेलकूद करने से शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है.
  240. चोट तभी करो जब लोहा गरम हो.लोहे को किसी आकार में ढालना हो तो उस पर तभी चोट करते हैं जब वह खूब गर्म होता है. किसी आदमी को दूसरे के खिलाफ भड़काना हो तो उस से तभी बात करनी चाहिए जब वह गुस्से में हो. इंग्लिश में कहावत है – Strike the iron when it is hot.
  241. चोट पर चोट, भाग्य का खोट.भाग्य खराब हो तो एक परेशानी में दूसरी जुड़ जाती है.
  242. चोट्टी कुतियाजलेबियों की रखवाली (रहबर).जब कोई कीमती चीज़ किसी चोर प्रकृति के व्यक्ति को रखवाली के लिए दी जाए. जैसे भ्रष्ट नेता को सत्ता सौंपना.
  243. चोर उचक्का चौधरीकुटनी भई प्रधान.जब नीच और दुष्ट मनुष्यों के हाथ में सत्ता आ जाती है.
  244. चोर और गठरी को कस कर बांधना चाहिए.चोर को पकड़ लिया जाए तो उस के हाथ पैर कस कर बांधना चाहिए नहीं तो वह मौका मिलते ही खोल कर भाग जाएगा. गठरी को कस कर नहीं बाँधोगे तो खुल जाएगी और सामान बिखर जाएगा.
  245. चोर और चाँद का बैर. चोर को चांदनी अच्छी नहीं लगती.
  246. चोर और ढोर का नाहिं भरोसा.चोर और जानवर का विश्वास नहीं करना चाहिए.
  247. चोर और सांप दबे पर चोट करते हैं.अर्थ तो स्पष्ट है, लेकिन जो सीख इस के द्वारा दी गई है वह याद रखने योग्य है. चोर व सांप को पकड़ते समय भी और पकड़ने के बाद सावधान रहना चाहिए.
  248. चोर का क्या दीवाला.दीवाला निकलने का डर उसे होता है जो पूँजी लगा कर या उधार ले कर व्यापार करता है. चोर की कोई पूँजी थोड़े ही लगी है.
  249. चोर का चावल टके सेर (चोरी का बाजरा टके धड़ी).चोरी का माल औने पौने दाम में बिकता है. धड़ी – पांच किलो.
  250. चोर का माल चांडाल खाय.पुराने जमाने में चांडाल को सभी मनुष्यों में सब से निकृष्ट माना जाता था. कहावत में कहा गया है कि चोर से भी निकृष्ट आदमी चोर का माल खाएगा.
  251. चोर का माल सब घर खाए, चोर अकेला मारा जाए.चोरी का फायदा उसके घर वाले भी उठाते हैं और माल खरीदने वाले भी, लेकिन सजा अकेले चोर को ही मिलती है. 
  252. चोर का साथी गिरहकट (चोर का भाईगंठकटा). चोर की दोस्ती अपने जैसे लोगों से ही होती है.
  253. चोर की दाढ़ी में तिनका.एक व्यक्ति की दुकान में चोरी हुई. दुकान के नौकरों पर शक था इसलिए सब नौकरों को इकठ्ठा किया गया. तभी किसी ने जोर से कहा – “चोर की दाढ़ी में तिनका.” जिस ने चोरी की थी वह अपनी दाढ़ी टटोल कर देखने लगा और पकड़ में आ गया. कहावत का अर्थ है कि जिसने चोरी की होती है उसके मन में चोर होता है.
  254. चोर की नज़र गठरी पर.चोर की नज़र उस माल पर ही रहती है जिसे वह चुरा सकता है.
  255. चोर की नार जनम भर दुखिया.चोर की पत्नी हमेशा दुखी रहती है. क्योंकि पहली बात तो चोर रात रात भर बाहर रहता है और पकड़ा जाए तो उसे जेल या मृत्युदंड मिलता है.
  256. चोर के घर चोरी करना चोरी नहीं कहलाता.अर्थ स्पष्ट है.
  257. चोर के घर मोर.चोर के घर में कोई चोरी कर ले तो यह कहावत बोलते हैं. 
  258. चोर के पेट में गायआप ही आप रम्भाय.यहाँ चोर का अभिप्राय उस व्यक्ति से है जिसने चोरी से गोमांस खाया हो. उसे अपने पाप की सदैव ग्लानि रहती है.
  259. चोर के पैर कितने.चोर बहुत डरपोक होता है.
  260. चोर के हजार बुद्धि.चोर बनने के लिए बुद्धिमान होना जरूरी है. 
  261. चोर को कहे घुसो और कुत्ते को कहे भूँसो.ऐसे बहरूपिये नेताओं के लिए जो अपराधियों से सांठ गांठ करते हैं और पुलिस प्रशासन को उनसे निपटने के लिए निर्देश देते हैं.
  262. चोर को न मारोचोर की माँ को मारो.चोर को मारने से अधिक लाभ नहीं होगा, नए चोर पैदा हो जाएंगे. समाज से उन कारणों को दूर करना चाहिए जिन से लोग चोर बनते हैं.
  263. चोर को पकड़ने के लिए चोर रखो.किसी चोर को पकड़ना हो तो किसी ऐसे आदमी को इस का जिम्मा दो जो चोरी करने के सारे दांवपेंच जानता हो. 
  264. चोर को पकड़िये गाँठ सेछिनाल को पकड़िये खाट से.चोरी सिद्ध करनी हो तो चोर को गाँठ (चोरी के माल) के साथ पकड़ना चाहिए और किसी किसी दुश्चरित्र स्त्री को पकड़ना हो तो उसे पर पुरुष के साथ ही पकड़ना चाहिए.
  265. चोर गठरी ले गयाबेगारियों को छुट्टी मिली.जमींदारी के जमाने में गरीब लोगों को पकड़ कर उनसे मुफ्त में काम कराया जाता था जिसे बेगार करना कहते थे. जिस काम के लिए लोग पकड़ कर लाए गए थे उस से सम्बन्धित सामान चोर ले गए तो उन लोगों को काम से छुट्टी मिल गई.
  266. चोर चाहे हीरे का हो या खीरे काचोर चोर ही होता है.अर्थ स्पष्ट है.
  267. चोर चूके उठाईगीर चूके पर चुगल न चूके.चोर चोरी करने से चूक सकता है, उठाईगीर सामान उठाने से चूक सकता है पर चुगलखोर चुगली करने से नहीं चूकता.
  268. चोर चोर मौसेरे भाई.चोर लोग एक दूसरे से सहानुभूति रखते हैं. चोरों में आपस में मिलीभगत होती है.
  269. चोर चोरी से जायहेरा फेरी से न जाय.चोर सजा के डर से या समझाने से चोरी करना तो छोड़ सकता है लेकिन उसकी हेराफेरी करने की आदत नहीं जा सकती इस कहावत के द्वारा यह सीख भी दी गई है कि कोई चोर कितना भी कहे कि उसने चोरी छोड़ दी है उसका विश्वास नहीं करना चाहिए.
  270. चोर जाने चोर की सार (चोर को चोर ही पहचाने).चोर को चोर ही सबसे जल्दी पहचान सकता हैचोर के भेद चोर ही जान सकता है.
  271. चोर जुआरी गंठकटाजार अरु नारि छिनारसौ सौगंधें खायं जोघाघ न कर एतबारचोर, जुआरी, जेबकतरा, परस्त्रीगामी पुरुष और दुश्चरित्र स्त्री, ये सब अगर सौ सौ कसमें खाएं तब भी इनका विश्वास नहीं करना चाहिए. जार – परस्त्रीगामी.
  272. चोर न जाने मंगनी के वासन.चोर को चोरी से मतलब है, जिन बरतनों को वह चुरा रहा है वे मँगनई के हैं इससे उसे क्या मतलब.
  273. चोर न प्यारी चाँदनीमाँगे कारी रात (चोरहिं चांदनी रात न भावे).चोरों को चांदनी अच्छी नहीं लगती. गलत काम करने वाले लोग भ्रष्टाचारी शासक को पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें अपने काम में आसानी होती है.
  274. चोर नारि जिमि प्रकट न रोई.चोर के पकड़े जाने पर या उसे सजा मिलने पर उसकी पत्नी सबके सामने रो भी नहीं सकती, छिप के रोती है.
  275. चोर पेटी ले गया तो क्या हुआचाबी तो मेरे पास है.अपनी मूर्खतापूर्ण सोच से, नुकसान न होने के प्रति आश्वस्त रहने वाले लोगों के लिए.
  276. चोर बन्दीखानेतलवार सिरहाने.चोर पकड़ लिया गया, अब तलवार उठा कर रख दो.
  277. चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले.कोई दो बहादुर बाप बेटे चोर को देख कर वहाँ से भाग खड़े हुए. अब गाँव के लोगों को बता रहे हैं कि कितनी कठिन परिस्थिति थी – चोर के पास लाठी थी यानि वो दो जने थे और हम बाप बेटा अकेले थे. जब कोई व्यक्ति अपनी कायरता छिपाने के लिए परिस्थितियों को कठिन बता रहा हो तब यह कहावत कही जाती है.
  278. चोर वही जो पकड़ा जाय.चोरी तो बहुत लोग करते हैं, जो पकड़ा जाए वही चोर कहलाता है. 
  279. चोर सब घर ले मरे.चोर अंत में खुद तो फंसता ही है सारे घर वालों को फंसा देता है.
  280. चोर सब जग में चोरी करे पर घर में सच बोले.चोर सब जगह चोरी करता है पर अपने घर में सच बोलता है
  281. चोर से कही चोरी करियोशाह से कही जागते रहियो(चोर से कहे तू घुसकुत्ते से कहे तू भौंकऔर शाह से कहे तू जाग). अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए सबसे अलग अलग तरह की बात करना और सबको खुश करने की कोशिश करना. इंग्लिश में इस तरह की एक कहावत है – To run with the hare and hunt with the hound.
  282. चोर ही जाने चोर की घात.चोर की चालाकी चोर ही समझ सकता है.
  283. चोरी ऊपर से सीना जोरी (चोरी और मुंहजोरी).एक तो गलत काम करना और ऊपर से उसको सही ठहराने के लिए बहस करना.
  284. चोरी करनी आसान, माल पचाना मुश्किल.चोरी के माल को ठिकाने लगाने में बहुत मुश्किलें आती हैं.
  285. चोरी करी निहाई कीकिया सुई का दानऊँचे चढ़ि चढ़ि देखताकेतिक दूरि विमान.आजकल के धनाढ्यों और महात्माओं के लिए यह कहावत है. (निहाई माने लोहे की बहुत बड़ी सी सिल). समाज के लोगों को लूट कर खूब धन इकट्ठा किया और उसमें से जरा सा दान कर दिया. अब ऊंचे चढ़ कर देख रहे हैं कि स्वर्ग से विमान हमें लेने आता होगा.
  286. चोरी का धन मोरी में जाता है.मोरी माने नाली. चोरी का धन व्यर्थ ही जाता है.
  287. चोरी का माल सब कोई खाएचोर की जान अकारथ जाए.चोरी के माल में से बहुत लोग खाते हैं (चोर के घर वाले, पुलिस वाले, चोरी का माल खरीदने वाले आदि), पर पकड़े जाने पर सजा अकेले चोर को मिलती है.
  288. चोरी का मालकुछ धर्म खाते बाकी हलाल.हलाल माने जो धर्म सम्मत हो. समाज में ढोंगी लोग चोरी के माल में से कुछ तथाकथित धार्मिक कार्यों में खर्च कर देते हैं और बाकी से अपनी तिजोरी भर लेते हैं.
  289. चोरी की कमाई, मोरी में गँवाई.मोरी – नाली. चोरी का माल व्यर्थ जाता है.
  290. चोरी के बाद चौकसी(चोरी पीछे हुशियारी). चोरी के बाद पहरेदारी करने से क्या फायदा.
  291. चोरी सा रुजगार नहीं जो मार न होवे, जुए सा व्यापार नहीं जो हार न होवे.अगर मार खाने का डर न हो तो चोरी जैसा कोई और रोजगार नहीं है और हारने का डर न हो तो जुए जैसा कोई व्यापार नहीं है.
  292. चोरों की बरात में अपनी अपनी होशियारी.जहाँ सभी चोर हों वहाँ एक दूसरे से होशियार रहना पड़ता है.
  293. चोरों के ब्याह में गिरहकट मेहमान.जैसा दूल्हा होगा वैसे ही बराती होंगे.
  294. चोरों के रखवाले चोर.चोरों का साथ देने वाले भी चोर की श्रेणी में आते हैं.
  295. चोरों के हवाले रखवाली. रखवाली का काम चोर के हवाले कर दोगे तो चोरी होगी ही. 2. जिस से चोरी का डर हो उससे ही रखवाली को कह दो तो चोरी नहीं होगी.
  296. चोरों को सारे नजर आते हैं चोर.जो खुद चोर होते हैं वे सब को चोर समझते हैं.
  297. चोरों में भी इमानदारी होती है.चोर भी अपने धंधे के प्रति ईमानदार होते हैं. इंग्लिश में कहावत है – There is honour among thieves.
  298. चौबे जी छब्बे बनने गए थे दुबे बन कर लौटे.जैसे थे उससे बड़ा बनने गए थे पर छोटे हो के लौटे. फायदे के लालच में नुकसान उठाना.
  299. चौबे मरें तो बंदर होंबंदर मरें तो चौबे हों.चौबे लोगों से चिढ़ने वाले किसी व्यक्ति का कथन.
  300. चौमासे का गोबरलीपने का न थापने का. (बिल्ली का गूलीपने का न पोतने का).बरसात के मौसम में गाय भैंस कहीं गोबर करती हैं तो वह पानी के कारण फ़ैल जाता है और किसी काम का नहीं रहता. जो चीज़ किसी काम की न हो उस के प्रति उपेक्षा पूर्ण कथन.
  301. चौमासे का ज्वर और राजा का कर.इन दोनों से मुश्किल से निजात मिलती है.
  302. चौमासे में लोमड़ी जो नहिं खोदे गेहनिस्चय करके जान लो नहिं बरसेगो मेह.चौमास आने पर यदि लोमड़ी खोद कर अपना घर नहीं बनाती तो समझ लो वर्षा नहीं होगी.
  303. चौराहे पर बैठे लड़कों और सड़क पर बैठे कुत्तों को कभी न छेड़ें.अर्थ स्पष्ट है, बहुत व्यवहारिक बात है. कहावतों की उपमाएं भी कमाल की होती हैं.

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