- डंक मारना बिच्छू का सुभाव.दुष्ट व्यक्ति के स्वभाव में ही दुष्टता होती है, उसे उसके लिए कोई योजना नहीं बनानी होती.
- डंडा सब का पीर.शरीफ लोग तो डंडे से डरते ही हैं, जो दुष्ट या कामचोर लोग होते हैं वे भी डंडे से डरते हैं. अर्थात डंडा सबको सीख देने में सक्षम है.
- डकैतों ने माल लूटा, बेगारियों का पिंड छूटा (ले गए गठरी चोर चुराई, सकल बेगारन छुट्टी पाई).बेगारी – बिना पैसा दिए किसी से मजदूरी कराना. गरीब लोगों को गाँव के जमींदार का सामान ढोना पड़ रहा है (बिना मजदूरी मिले). डकैत वह सामान लूट लेते हैं तो उन बेचारों को छुट्टी मिल जाती है.
- डर के पास जाने से ही डर निकलता है.दूर से हम किसी बात से डरते हैं पर जब उसके पास पहुँच जाते हैं तो वह उतनी डरावनी नहीं लगती. इस प्रकार की एक राजस्थानी कहावत है – डर कने गियां डर मिटे.
- डर के पास जाने से ही डर मिटता है.अर्थ स्पष्ट है.
- डर तो अधिक खाने में है.कम खाने से आदमी कमजोर हो सकता है पर मरता नहीं है, अधिक खाने से तरह तरह की बीमारियाँ होती हैं और जल्दी मृत्यु हो सकती है.
- डरपोक का बेली तो राम भी नहीं.कायर व्यक्ति की भगवान भी सहायता नहीं करता.
- डरा सो मरा (जो डर गया सो मर गया).किसी संकट से मुकाबला करना हो तो जो डर जाता है वह मुकाबला करने से पहले ही हार जाता है.
- डरें लोमड़ी से, नाम शेर खां (दिलेर खां).गुण के विपरीत नाम.
- डांवाडोल सदा मोहताज.जिसमें निर्णय लेने की क्षमता न हो वह जीवन में कुछ नहीं बन सकता.
- डाकिनी खाय तो मुँह लाल न खाय तो मुँह लाल (डायन खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल).डायन के विषय में लोगों को अंधविश्वास है कि वह बच्चों को खा जाती है. मुँह पर खून लगा रहने की वजह से उसका मुँह लाल ही रहता है. कहावत का प्रयोग इस अर्थ में करते हैं कि जो बदनाम है वह गलत काम करे या न करे, सब उसी पर शक करते हैं.
- डाकिनों के ब्याह में मेहमान ही गटके जाएं.डाकिन के घर में कोई समारोह होगा तो कोई भरोसा नहीं कि वह मेहमानों को ही खा जाए. दुष्ट व्यक्तियों से दूर ही रहना चाहिए.
- डायन किसकी मौसी.दुष्ट और अत्याचारी लोग किसी सामाजिक रिश्ते को नहीं मानते.
- डायन को ख़्वाब में भी कलेजे.दुष्ट व्यक्ति को हर समय अपना स्वार्थ ही सूझता है.
- डायन को भी दामाद प्यारा.अपना दामाद सबको प्यारा होता है, डायन को भी.
- डायन को मौसी कहे सो बचे.अपनी जान बचाने के लिए कभी कभी दुष्ट लोगों से आत्मीयता भी दिखानी पड़ सकती है.
- डायन भी अपने बच्चे को नहीं खाती.अपना बच्चा सब को प्यारा होता है. कोई व्यक्ति कितना भी दुष्ट और निर्दयी क्यों न हो, अपने बच्चे से सबको ममता होती है.
- डायन भी दस घर छोड़ कर खाती है.कोई अपनों को ही धोखा दे तो. कोई भ्रष्ट हाकिम अपने निकट के किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगे तो यह कहावत कही जाती है.
- डायन मरे न मांचा छोड़े.मांचा – खाट. कोई अधिक आयु का व्यक्ति बीमार हो कर खाट पर पड़ा हो तो उससे परेशान परिजन ऐसा कहते हैं (विशेषकर बहू सास के लिए).
- डायन से पूतों की रखवाली.बच्चों को खाने वाली डायन से ही अगर आप बच्चों की रखवाली करने को कहेंगे तो यह मूर्खता ही कही जाएगी. भ्रष्ट नेताओं से देश की अर्थव्यवस्था की रखवाली की आशा करना भी कुछ ऐसा ही है.
- डायनों को पराए न मिलें तो अपनों को ही गटकें.जिसको अपराध करने की लत और गलत आदतें लग जाती हैं वह बाहर कुछ न मिले तो घर वालों को ही अपना शिकार बनाता है.
- डाल का चूका बंदर और बात का चूका आदमी, ये फिर नहीं संभलते.अर्थ स्पष्ट है.
- डाले दाढ़ में तो आवे हाड़ में.उपयुक्त भोजन करने से ही स्वस्थ शरीर बनता है
- डालें वही खाना, भेजें वहीं जाना.घर के बड़े जो थाली में डालें वही खाना चाहिए और जो काम बताएँ वह करना चाहिए.
- डींग हांकनी है तो हल्की फुल्की क्यों.अर्थ स्पष्ट है.डींग हांकना – अपनी झूठी प्रशंसा करना.
- डील डौल गुम्बद, आवाज़ फिस्स.बहुत मोटे तगड़े आदमी की बहुत हलकी आवाज़ हो तो.
- डुग डुग बाजे बहुत नीको लागे, नाऊ नेग मांगे तो बगलें झांके.घर में कोई मंगल कार्य हो, ढोल बज रहे हो तो बड़ा अच्छा लगता है, पर जब दक्षिणा मांगने वाले पंडित और नेग मांगने वाले नाई, कर्मचारी वगैरा इकट्ठे हो जाते हैं तो आदमी बगलें झांकता है.
- डूब जात आधी चले, झपट चले जो नाव.जो नाव बहुत तेज चलने की कोशिश करती है वह आधे रास्ते में ही डूब जाती है.
- डूबते को तिनके का सहारा.किसी बड़ी मुसीबत में फंसे व्यक्ति को थोड़ा सा भी सहारा मिल जाए तो उसे बहुत लगता है. इंग्लिश में कहावत है – A drowning man will cathch at a straw.
- डूबते जहाज में से चूहे बाहर कूद जाते हैं.जब समुद्री जहाज डूब रहा होता है तो उस में रहने वाले चूहे बाहर कूदने लगते हैं (हालांकि बाहर कूद कर भी उन्हें मरना ही है). जब कोई राजनैतिक दल डूब रहा होता है तो उसके सदस्य छोड़ कर भागने लगते हैं.
- डूबते हाथी को मेंढक भी लात मारता है.जब व्यक्ति अपना पद और मान खो देता है तो छोटे से छोटे लोग भी उसे अपमानित करने से नहीं चूकते.
- डूबी कन्त भरोसे तेरे.कोई स्त्री पति के भरोसे पानी में उतरी पर जब डूबने लगी तो पति ने उसको नहीं बचाया. जिस पर आप विश्वास करें वह संकट में आप का साथ न दे तो.
- डेढ़ ईंट की अलग मस्जिद.सबसे अलग नियम कायदे बनाना.
- डेढ़ चावल की अलग खिचड़ी.सबसे अलग और हास्यास्पद तरीके से काम करना.
- डेढ़ पाव आटा, पुल पर रसोई.अपने पास साधन न होते हुए भी बहुत दिखावा करना.
- डोई क्या जाने पकवान का स्वाद.डोई – करछुली.हँड़िया में जो कुछ पक रहा है उसका स्वाद करछुली नहीं ले सकती. जो ऐशो आराम की वस्तुएँ गरीब आदमी बड़े लोगों के लिए तैयार करता है उनका आनंद वह स्वयं नहीं ले सकता.
- डोकरी को राजकथा से क्या मतलब.आम आदमी को राजा रजवाड़ों की बातों से क्या लेना देना.
- डोम के घर ब्याह, मन आवे सो गा.डोम लोग अपने घरों पर बहुत अश्लील गीत गाते हैं क्योंकि वहाँ कोई टोकने वाला नहीं होता.
- डोम हारे अघोरी से.बेचारे डोम को काफी निम्न श्रेणी का मनुष्य माना गया है पर अघोरी उस से भी निम्न होता है.
- डोमन बजावे चपनी, जात बतावे अपनी.डोमनी(गाने बजाने वाली स्त्री) चपनी (तश्तरी) बजा के गाती है तो हर कोई जान जाता है कि उस की जात क्या है. व्यक्ति के कार्य कलापों से उसकी जाति का पता चल जाता है.
- डोमनी के रोने में भी राग.डोमनियां घर घर जा कर बधाई गाती हैं. वे रोती हैं तो उस में भी गाना होता है. कोई भी काम जो हम लगातार करते हैं वह हमारी आदत में शुमार हो जाता है.
- डोली आई डोली आई मेरे मन में चाव, डोली में से निकल पड़ा भोंकड़ा बिलाव.बच्चों का मजाक. गाँव के बच्चे कहीं खेल रहे हैं कि कोई डोली आ कर रूकती है. बच्चे बड़ी उत्सुकता से देखते हैं कि उस में से सजी धजी दुल्हन निकलेगी, पर उसमे से मोटी तोंद वाले हाकिम उतरते हैं. तब बच्चे दूर खड़े ताली बजा बजा कर यह पंक्तियाँ बोलते हैं.
- डोली न कहार, बीबी जाने को तैयार.कोई बिना निमंत्रण जाने को तैयार हो तो.
- डोली में बैठ के कंडे बीनें.अत्यधिक नजाकत दिखाने वालों पर व्यंग्य. उन लोगों पर भी व्यंग्य जो वातानुकूलित कमरों में बैठ कर लोक कल्याणकारी काम करने का दिखावा करते हैं.
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