- वकीलों का हाथ पराई जेब में.वकील हर समय अपने मुवक्किलों (clients) की जेब से पैसा निकालने की फिराक में रहते हैं.
- वक्त आने पर कौओं की भी पूछ होती है.कौवे को वैसे तो बहुत निकृष्ट प्राणी माना गया है लेकिन श्राद्ध पक्ष में उनकी भी कद्र हो जाती है. समय समय की बात है.
- वक्त उड़ जाता है, बुलंदी रह जाती है.समय चला जाता है, व्यक्ति का नाम रह जाता है.
- वक्त का रोना वेवक्त के हंसने से बेहतर है.गलत समय पर हंसना एक अत्यंत अशोभनीय और आपत्तिजनक व्यवहार है जबकि मुसीबत के समय रोना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.
- वक्त की बलिहारी.अच्छा या बुरा, सब समय से ही होता है. समय सबसे बलवान है.
- वक्त की हर शै गुलाम.समय बहुत बलवान है, हर व्यक्ति और वस्तु समय के साथ कुछ का कुछ बन और बिगड़ सकते हैं.
- वक्त निकल जाता है, बात रह जाती है.समय बीत जाता है पर कही हुई बात का असर हमारे दिलों में बहुत समय तक रहता है (इसलिए सोच समझ कर ही बोलना चाहिए).
- वक्त पड़े बांका, तो गधे से कहिए काका.बांका – टेढ़ा. कठिन समय हो तो अपना मतलब निकालने के लिए किसी को भी मक्खन लगाना पड़ सकता है (गधे से काका कहना पड़ सकता है).
- वक्त पर एक टांका नौ का काम देता है.सही समय पर किया हुआ छोटा सा काम आगे आने वाली बड़ी परेशानी से बचा सकता है. इंग्लिश में कहावत है – A stitch in time saves nine.
- वक्त पे बोए तो उपजें मोती.समय पर फसल बोने और देखभाल करने से भरपूर फसल होती है.
- वक्त बड़े से बड़े घाव को भर देता है.समय सब घावों को भर देता है. कोई बात कितना भी कष्ट दे समय के साथ सब उसे भूल जाते हैं.
- वक्त बुरा आवे, तो तन का कपड़ा भी बैरी हो जावे.बुरा समय आता है तो निकट से निकटतम लोग भी नुकसान पहुँचा सकते हैं. तन का कपड़ा भी, जो हमारे शरीर के सबसे निकट होता है.
- वक्र चंद्रमहिं ग्रसे न राहू.जो टेढ़ा होता है उसे कोई कुछ नहीं कहता. राहु भी गोल चन्द्रमा को ग्रसता है टेढ़े को नहीं.
- वचनों का बांधा खड़ा है आसमान.जो लोग अपना वचन निभाते हैं उन्ही के बल पर आसमान टिका हुआ है.
- वज़ा कहे जिसे आलम उसे वज़ा समझो.संसार जिसे ठीक माने उसे ठीक मानो. (वह पूर्णतया ठीक न भी हो तब भी).
- वणज करेंगे बानियाँ और करेंगे रीस, वणज किया जो जाट ने रह गए सौ के तीस.जो जिस का काम होता है वही उसे ठीक से कर पाता है. बनिए ने व्यापार किया तो तरक्की की और जाट ने व्यापार किया तो सौ के तीस रह गए.
- वर का यह हाल तो बरात का क्या होगा.किसी जमात का मुखिया ही निम्न कोटि का हो तो वह जमात कैसी होगी.
- वस्त्र से ही खूँटी शोभती है.1. खूँटी की अपनी कोई शोभा नहीं होती, वह वस्त्र से ही शोभा देती है. अच्छे वस्त्र पहनने से हमारे व्यक्तित्व में चार चांद लगते हैं. जिसका जो काम है उसको वह करे तभी उसकी पूछ होती है.
- वह कीमियागर कैसा, जो मांगे पैसा.कीमियागीरी – अन्य धातुओं से सोना चांदी बनाने की विद्या. जो आदमी सोना चांदी बना सकता हो वह दूसरे से पैसा क्यों मांग रहा है. आज के जमाने में भी हम अक्सर ऐसे समाचार पढ़ते हैं कि सोना दुगुना करने का लालच दे कर किसी से जेवर ठग लिए गए. यदि आप के पास कोई ऐसा व्यक्ति आए जो सोना दुगुना करने का लालच दे तो उस से यही कहना चाहिए कि यदि तुम सोना दुगुना कर सकते हो तो हम से क्यों मांग रहे हो.
- वह कौन सी किशमिश है जिस में तिनका नहीं.हर अच्छी चीज़ में कुछ न कुछ कमी अवश्य होती है.
- वह तिरिया पत नांहि गंवावे, जाकी बर बर आँख लजावे.वह स्त्री अपना सम्मान और मर्यादा नहीं खोती जिस की आँखों में लज्जा होती है.
- वह दिन गए जब भैंस पकौड़े हगती थी.वह दिन गए जब मुफ्त की कमाई आया करती थी. रिश्वतखोर हाकिम के रिटायर होने के बाद.
- वहम की दवा हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी.हकीम लुकमान अकबर के समय में एक बहुत प्रसिद्ध हकीम हुए हैं. कहते हैं कि उन के पास हर मर्ज़ का इलाज था. लेकिन अगर किसी को वास्तविक बीमारी न हो कर केवल वहम हो तो उसका इलाज उन के पास भी नहीं था.
- वही किसानों में है पूरा, जो छोड़े हड्डी को चूरा.घाघ को यह बात मालूम थी कि हड्डी का चूरा डालने से खेती अच्छी होती है. हड्डियों में फॉस्फेट अधिक मात्र में होता है इस लिए यह बात विज्ञान सम्मत भी है.
- वही तीन बीसी वही साठ, वही चारपाई वही खाट.कोई अंतर नहीं, वही बात है. आप तीन बीसी कहो या साठ कहो एक ही बात है, चारपाई कहो या खाट कहो एक ही बात है. तीन बीसी – तीन बार बीस, अर्थात साठ.
- वही मुँह पान, वही मुँह पनही.अच्छे काम करने पर उसी मुँह का पान दे कर सत्कार किया जा सकता है, बुरे काम करने पर उसी को जूते मारे जा सकते हैं. पनही – जूता.
- वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है.जो कुछ होता है ईश्वर की इच्छा से ही होता है. कुछ लोग इस को पूरा इस तरह बोलते हैं – मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है
- वा तिरिया संग बैठ न भाई, जाको जगत कहे हरजाई.जिस स्त्री को सब लोग धोखेबाज और विश्वास न करने योग्य मानते हों उस से मेलजोल नहीं बढ़ाना चाहिए.
- वा पुरखा की दिन दिन ख्वारी, जाकी तिरिया हो कलहारी.जिस पुरुष की स्त्री लड़ाका हो उस की मिटटी ख्वार हो जाती है.
- वा सोने को जारिए, जासौं फाटें कान.सोने के आभूषण किसे अच्छे नहीं लगते लेकिन जिस सोने से कान कट जाएँ ऐसा सोना किस काम का (उसे जला दो).
- वार बड़ा कि त्यौहार.कोई कोई काम सप्ताह के किसी विशेष दिन निषिद्ध होते हैं (जैसे मंगलवार को बाल नहीं कटवाते), लेकिन अगर उस दिन कोई त्यौहार हो तो यह निषेध नहीं माना जाता.
- वासन विलाय जात, रह जात वासना.शरीर नष्ट हो जाता है इच्छाएँ रह जाती हैं.
- वाह बहू तेरी चतुराई, देखा मूसा कहे बिलाई.अर्थ स्पष्ट है, सास बहू को ताना दे रही है. मूसा – चूहा.
- विद्या और समुद्र के जल का पार नहीं है.मनुष्य के जानने के लिए इतना ज्ञान उपलब्ध है जिसकी सीमा नहीं है, उसी प्रकार जैसे समुद्र के जल की कोई सीमा नहीं है.
- विद्या तिरिया बेल जे, नहिं जानें कुल जात, जे जाके ढिंग में रहें ताहि सों लपटात (विद्या वनिता बेल नृप ये नहिं जात गिनन्त, जो ही इनसे प्रेम करे ताही से लिपटन्त).(बुन्देलखंडी कहावत)विद्या, स्त्री, बेल और राजा, बिना कुल और जाति देखे जिस के पास रहते हैं उसी को अपना लेते हैं (लिपट जाते हैं).
- विद्या तो वो माल है, खरचत दूना होए, राजा, डाकू, चोट्टा, छीन सके न कोय.विद्या ऐसा धन है जो खर्च करने से दुगुना होता है और राजा या चोर डाकू कोई आपसे छीन नहीं सकता.
- विद्या पढ़ी संजीवनी, निकले मति से हीन, ऐसे निर्बुद्धी जने, सिंह ने खा लये तीन.विद्या प्राप्त करने के साथ बुद्धि होना आवश्यक है, वरना विद्या पाना खतरनाक हो सकता है. एक बार तीन युवक संजीवनी विद्या पढ़ कर लौट रहे थे. रास्ते में जंगल में उन्होंने सिंह की हड्डियाँ पड़ी देखीं. उन्होंने सोचा क्यों न अपनी विद्या को यहाँ आजमाया जाए. एक ने अस्थियों को जोड़ कर अस्थिपंजर बनाया, दूसरे ने उस पर मांस चढाया और तीसरे ने उस में प्राण डाल दिए. सिंह जिन्दा होते ही उन तीनों को खा गया.
- विद्या में विवाद बसे.जहाँ विद्या होगी वहाँ विवाद भी होगा.
- विद्या ले मर जाय पर मूरख को नहिं देय, सारे गुन जब जान ले अंत बैर कर लेय. (बुन्देलखंडी कहावत) विद्या ले कर चाहे मर जाओ पर मूर्ख को मत दो, वह सारी विद्या सीखने के बाद आप को ही मात देने की कोशिश करेगा.
- विद्या लोहे के चने हैं.विद्या प्राप्त करना आसान नहीं है, लोहे के चने चबाने जैसा है.
- विद्या सबसे बड़ा धन है.विद्या स्वयं भी बहुत बड़ा धन है और धन कमाने का साधन भी है.
- विधवा की बेटी, रास्ते की खेती.विधवा की बेटी समाज में असुरक्षित जीवन जीती है.
- विधवा बेचारी क्या करे, भीतर रहे तो घुट घुट मरे, बाहर रहे तो सुन सुन मरे.पहले के जमाने में जब विधवा विवाह को बुरा समझा जाता था तो विधवा स्त्रियों का जीवन बहुत कष्टप्रद होता था.
- विधवा मरे न खंडहर ढहे.विधवा स्त्री को जल्दी मृत्यु नहीं आती (यह उस समय की बात है जब प्रसव के समय मृत्यु होना बड़ी आम बात थी और विधवा को प्रसव होना नहीं था), और भवनों के ढह जाने के बाद जो खंडहर बच जाते हैं वे जल्दी नहीं ढहते. वस्तुत: विधवा भी एक खण्डहर के समान ही होती थी.
- विधवा संग रखवाले और दुल्हन जाए अकेली.उल्टा काम. विधवा स्त्री जिस को कोई डर नहीं है उस के साथ तो रखवाले जा रहे हैं, और दुल्हन अकेली जा रही है.
- विधवा हो के करे सिंगार, ता से रहियो सब हुसियार.विधवा स्त्री को श्रृगार करने का कोई अधिकार नहीं था. यदि वह श्रृंगार कर रही है तो उस से सावधान रहने को कहा गया है.
- विधा कंठी, दाम अंटी.विद्या वही काम की है जो आप को कंठस्थ हो और पैसा वही काम का है जो नकद आपके पास हो (ब्याज आदि पर बंटा हुआ न हो).
- विधि की निराली माया, किसी ने कमाया किसी ने खाया.भाग्य की गति विचित्र है, कोई परिश्रम कर के कमाता है और कोई बैठा बैठा खाता है.
- विधि की लिखी ललाट पे ना कोऊ मेटनहार (विधि को लिखो को मेटन हारो).ईश्वर ने भाग्य सबके माथे पर लिख दिया है, उसे मिटाने वाला कोई नहीं है.
- विधि प्रपंच गुन अवगुन साना. ईश्वर ने मनुष्य में गुण अवगुण का मिश्रण बनाया है.
- विधि रचल बुधि साढ़े तीन, तेहि में जगत आधा आपन तीन.(भोजपुरी कहावत) जो व्यक्ति अपने को बहुत बुद्धिमान समझते हैं उनका मजाक उड़ाने के लिए. उनसे कहा जा रहा है कि यदि ईश्वर ने साढ़े तीन बुद्धि बनाई है, तो आधे में से सारे जगत को बांटी है और तीन आपको दी हैं.
- विनाश काले विपरीत बुद्धि.जब व्यक्ति के विनाश का समय आता है तब उसकी बुद्धि फिर जाती है (जैसे रावण की बुद्धि फिरी और वह सीता को हर लाया).
- विपत पड़ी तब भेंट मनाई, मुकर गया जब देने आई.जब विपत्ति आई तो देवता को कुछ भेंट करने की कसम खाई और जब विपत्ति टल गई तो मुकर गया.
- विपत पड़े जो कर गहे, सोई साँचो मीत.विपत्ति के समय आपका हाथ पकड़ता है वही सच्चा मित्र है. (कर गहे – हाथ पकड़े)
- विपति पड़े पर जानिए, को बैरी को मीत.विपत्ति पड़ने पर ही मालूम होता है कि कौन सच्चा मित्र है, कौन बनावटी मित्र है और कौन शत्रु है. इंग्लिश में कहावत है – A friend in need is a friend indeed.
- विपत्ति कभी अकेली नहीं आती.मनुष्य को अक्सर एक के बाद एक विपत्ति का सामना करना पड़ता है.
- विपत्ति में क्या मोल भाव.विपत्ति से बचने के लिए जो भी चीज़ चाहिए होती है उसका दाम नहीं देखा जाता.
- विपत्ति शूरवीर की कसौटी है.कोई व्यक्ति सही मानों में शूरवीर है या नहीं इसकी परख तभी होती है जब वह विपत्तियों से हो कर गुजरता है.
- विफलता ही सफलता का पथ प्रशस्त करती है.विफल होने पर हमें अपनी गलतियों का एहसास होता है जिनसे सीख कर हम सफलता की ओर बढ़ते हैं.
- विरह से प्रेम बढ़ता है.जो सच्चा प्रेम होता है वह दूर रहने से कम नहीं होता अपितु बढ़ता है.
- विलायत में क्या गधे नहीं होते.मूर्ख लोग सब जगह पाए जाते हैं.
- विवशता का नाम कर्तव्य परायणता है.बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कर्तव्य परायण दिखाई देते हैं पर उनकी वास्तविकता कुछ और होती है. वे मजबूरी वश ऊपर से अच्छे बने होते हैं. (मजबूरी का नाम महात्मा गांधी).
- विविधता में ही जीवन का आनंद है.व्यक्ति के पास कितना भी धन क्यों न हो, यदि जीवन में विविधता न हो तो वह ऊब जाता है. इंग्लिश में कहावत है – Man is always in search of novelty.
- विश्वासघातकी महापातकी (विश्वासघाती महापापी).विश्वासघात करने वाला महापापी होता है.
- विष को सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता.दुष्ट व्यक्ति को कितने भी अच्छे वातावरण में रखो वह दुष्टता नहीं छोड़ता.
- विष दे दो, विश्वास न तोड़ो.किसी का विश्वास तोड़ना उसे विष देने से भी बुरा है.
- विष निकल्यो अति मथन सों रत्नाकर हूँ मांहि.किसी को बहुत अधिक सताने पर वह हिंसक हो सकता है. समुद्र जो कि रत्नों का भंडार है उसे भी जब बहुत अधिक मथा गया तो उसमें से विष निकल आया.
- विषय में विष है.भोग विलास मनुष्य के लिए विष के समान हैं.
- वीर एक बार मरता है जबकि कायर सौ बार.वीर पुरुष एक ही बार मरता है और उसे प्रसिद्धि भी मिलती है, कायर डर डर के बार बार मरता है और बदनाम भी होता है.
- वीर भोग्या वसुंधरा.जो वीर होते हैं वही धरती का उपभोग करते हैं.
- वृक्ष कबहुँ नहि फल भखे, नदी न संचै नीर, परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर.पेड़ कभी अपने फल स्वयं नहीं खाता और नदी अपना जल संचय नहीं करती. इसी प्रकार साधु लोग भी अपने शरीर का उपयोग केवल परोपकार के लिए करते हैं.
- वृन्दावन सो वन नहीं, नंदगाम सो गाम, बंसीवट सो तट नहीं, कृष्ण नाम सों नाम.कृष्ण भक्तों के लिए ब्रजभूमि और कृष्ण से बढ़ कर कुछ भी नहीं है.
- वे दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था.लाड़ प्यार के दिन गए.
- वे ही मियाँ जाएं दरबार, वे ही मियाँ झोकें भाड़.एक ही आदमी से सब तरह के काम लिए जाएँ तो.
- वैद करे वैदाई, चंगा करे खुदाई.वैद्य केवल मरीज़ का इलाज कर सकता है, ठीक करना या न करना ईश्वर के हाथ में है. बहुत से डॉक्टर अपने यहाँ लिख कर लगाते हैं – I treat, He cures.
- वैदयिकी हिंसा हिंसा नहीं होती.कभी कभी रोगी को मृत्यु से बचाने के लिए वैद्य को हिंसा करनी पडती है (मरीज का हाथ या पैर काटना पड़ सकता है). इसे हिंसा नहीं माना जाता.
- वैद्य का बैरी वैद्य.चिकित्सक एक दूसरे की बखिया उधेड़ते हैं, इस पर बनी कहावत.
- वैद्य का यार रोगी, पंडित का यार सोगी (शोक करने वाला), वैश्या का यार भोगी.वैद्य की संगत में रहने वाले को अपने अंदर सारे रोग दिखाई देने लगते हैं, पंडित का मित्र ग्रह नक्षत्रों के चक्कर में पड़ कर तरह तरह की आशंकाओं से ग्रस्त हो जाता है और वैश्या का मित्र भोग विलास में डूब जाता है. अर्थ यह है कि मित्र भी देखभाल कर ही बनाने चाहिए.
- वैद्य के घर क्या मौत नहीं आती.मृत्यु अवश्यम्भावी है, जो वैद्य सब को जीवन दान देता है उसके घरवालों और स्वयं उसे भी एक दिन मरना है.
- वैर, मित्रता, और विवाह बराबरी वालों से ही करना चाहिए.कितने पते की बात कही है सयाने लोगों ने. दोस्ती भी बराबरी वालों से करो और दुश्मनी भी. अपने से बहुत बड़े आदमी से दोस्ती करोगे तो उसके जैसा स्तर बनाने की कोशिश में बर्बाद हो जाओगे. किसी बहुत बड़े आदमी से दुश्मनी करोगे तो बर्बादी होगी और बहुत छोटे से दुश्मनी करोगे तो जग हंसाई होगी.
- वैराग्य का क्या मुहूर्त.एक सज्जन झूट मूट बात बात पर सन्यास लेने की धमकी देते थे. उन से पूछा गया कि संन्यास कब ले रहे हो, तो बोले शुभ मुहूर्त ढूँढ़ रहा हूँ.
- बनिया दिवाला भी निकालेगा तो कुछ रखकर ही निकालेगा.जिसका दीवाला निकलता है उस की देनदारी बहुत कम हो जाती है (उसकी बची हुई सम्पत्ति के अनुपात में). बनिया चालाक होता है, अपने को दीवालिया घोषित करने और बची हुई सम्पत्ति घोषित करने से पहले काफी कुछ धन निकाल लेता है.
- वैश्या और पहलवान का बुढापा बुरा होता है.अर्थ स्पष्ट है.
- वैश्या और वैद्य खाट पर पड़े हुए से भी वसूल लेते हैं.अगर देखा जाए तो वैश्या के काम में और वैद्य के काम में कोई समानता नहीं है, लेकिन कहावत को मजेदार बनाने के लिए इन दोनों का ज़िक्र एक साथ किया गया है.
- वैश्या कब सती हो.सुहागिन स्त्रियों में से कुछ अपने पति की मृत्यु के बाद उस के साथ चिता में जल जाती थीं (सती हो जाती थीं). वैश्या का कोई सुहाग नहीं होता, इसलिए वह सती नहीं होती.
- वैश्या किसकी जोरू और भड़वे किसके साले.वैश्या किसी की पत्नी नहीं हो सकती और उनके दलाल किसी के सम्बन्धी नहीं हो सकते.
- वैश्या के घर का कुत्ता भी गायक.घर के माहौल का असर प्रत्येक सदस्य पर पड़ता है.
- वैश्या को एकादशी क्या.सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति और बच्चों की मंगल कामना के लिए एकादशी का व्रत रखती है, वैश्या क्यों रखेगी.
- वैश्या चली सासरे, सात घरे संताप.किसी वैश्या की शादी हो रही है तो बहुत से लोग दुखी हो रहे हैं (जो इस वैश्या के ग्राहक हैं).
- वैश्या बरस घटावहिं, जोगी बरस बढाएं.वैश्या अपनी आयु कम बताती हैं और साधु सन्यासी अपनी आयु ज्यादा बताते हैं.
- वैश्या रूठे धर्म बचे.कोई कुकर्मी आदमी आप से रूठ जाए तो बड़ा फायदा है. अपना धर्म और सम्मान बचता है. (तुम रूठे, हम छूटे).
- वो दिन गए जब खलील खां (बड़े मियाँ)फ़ाख्ता उड़ाया करते थे.फाख्ता उड़ाने का अर्थ है निठल्ला होना. कोई आरामतलब जीवन गुजार रहा हो और अचानक उसे काम में पिलना पड़े तो यह कहावत कहि जाती है.
- वो ही पूत पटेलों में और वो ही गोबर चुगवा में.जब एक ही आदमी से बिल्कुल अलग अलग तरह के काम कराए जाएं. उसी को सरकारी मुलाजिम बना रखा है और वो ही गोबर उठा रहा है.
- वोट और बेटी तो जात में ही.पुरानी मान्यता है कि बेटी का ब्याह अपनी जात बिरादरी में ही करना चाहिए. अब वोट डलवाने के लिए भी नेता यही समझाते हैं (लोकतंत्र की विडंबना).
- वो ही नार सुलच्छनी जाकी कोठी धान.कोठी, कुठला बड़े बड़े बर्तन होते थे जिनमें अनाज भर कर रखते थे. जो स्त्री अपने घर में अनाज का भंडार भर कर रखती है वही सुलक्षणा मानी जाती है.
- व्यापारी अरु पाहुना तिरिया और तुरंग, ज्यों ज्यों ये ठनगन करें त्यों त्यों बाढ़े रंग.(बुन्देलखंडी कहावत) बुन्देलखंडी भाषा में नखरे को ठनगन बोला जाता है. व्यापारी, अतिथि, स्त्री और घोड़ा, यदि नखरे दिखाएँ तो इनकी और अधिक पूछ होती है.
- व्यापारी अरु पाहुनो, तिरिया और तुरंग, अपने हाथ संवारिये, लाख लोग हों संग.अपने पास जो व्यापारी व्यापार करने आया हो, घर में अतिथि आया हो, अपनी स्त्री और अपना घोड़ा, इनकी देखभाल स्वयं ही करना चाहिए, चाहे लाख लोग आपके संग क्यों न हों.
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