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अपनी अपनी खाल में सब मस्त

आम लोग अपने काम, अपने स्वार्थ और अपने परिवार की चिंता में ही व्यस्त रहते हैं. इस विषय में एक कथा कही जाती है. मृत्यु शैया पर पड़े एक धर्मात्मा राजा ने किसी सिद्ध मुनि से पूछा कि उसका अगला जन्म कहाँ होगा. मुनि ने बताया कि उसका अगला जन्म फलां स्थान पर फलां शूकरी के गर्भ से होगा. राजा यह जान कर अत्यंत दुखी हुआ और उसने अपने पुत्र से कहा कि मेरी मृत्यु के कुछ दिन बाद तुम उस स्थान पर जा कर उस शूकरी के बच्चे को मार डालना जिससे उस योनि से मेरी जल्द मुक्ति हो जाए. राजा का पुत्र जब उस शूकर शावक को मारने गया तो उस ने राजकुमार को पहचान कर उससे कहा कि मैं इस हाल में भी बहुत खुश हूँ, अत: तुम मुझे मत मारो.