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अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई

कौए और कोयल के विषय में एक कहानी कही जाती है. कोयल इतनी चालाक होती है कि खुद घोंसला नहीं बनाती है. जब अंडे देने का समय आता है तो वह कौए के घोंसले में अंडे दे आती है. कौआ बेचारा इतना मूर्ख होता है कि  उन्हें अपने अंडे समझ कर सेता है और उन की रक्षा करता है. अंडे में से बच्चे निकलते हैं तो मालूम होता है कि वे कोयल के बच्चे हैं. जब मेहनत कोई और करे और उसका लाभ कोई दूसरा उठाए तो यह कहावत कही जाती है.

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