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जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवार

शेर और चूहे की कहानी हम सब को याद होगी. एक शेर अपनी मांद में सो रहा था. तभी भूल से एक चूहा उसके ऊपर चढ़ गया. शेर जाग गया और उस ने चूहे को पकड़ लिया. चूहा गिड़गिड़ाया – मालिक मैं अनजाने में आपके ऊपर चढ़ गया था. मुझे छोड़ दीजिये, हो सकता है मैं कभी आपके काम आऊँ. शेर को हंसी आ गई. बोला, तू मेरे किस काम आएगा पर उसे छोड़ दिया.

कुछ समय बाद शेर एक शिकारी के जाल में फंस गया. चूहे को मालूम पड़ा तो वह भागा भागा आया. शिकारी के आने से पहले ही उसने अपने पैने दांतों से जाल को काट दिया और शेर को छुड़ा दिया. कहावत का तात्पर्य यह है कि आपके सम्बन्ध कितने भी बड़े बड़े लोगों से क्यों न हों आपके छोटे लोगों को भी सम्मान और महत्त्व देना चाहिए. इस का पूरा दोहा इस प्रकार है -रहिमन देख बड़ेन को लघु न दीजिए डार, जहां काम आवे सुई कहा करे तलवार.

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