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अभी दिल्ली दूर है

ये एक पुरानी कहावत है जिसका इस्तेमाल हम तब करते हैं जब लक्ष्य प्राप्त करने में देरी हो. गयासुद्दीन तुग़लक़ के समय दिल्ली में हजरत निज़ामुद्दीन औलिया नाम के एक सूफी संत थे. किसी कारण से गयासुद्दीन तुग़लक़ निज़ामुद्दीन औलिया से नाराज हो गया और उन्हें दिल्ली छोड़ने का हुक्म दिया. इसी बीच उसे युद्ध के लिए बंगाल जाना पड़ा. लौटते समय उसने सन्देश भिजवाया कि उसके पहुँचने से पहले ही हजरत दिल्ली छोड़ दें. जवाब में हजरत ने फ़ारसी में कहा – हनोज दिल्ली दूरस्त (अभी दिल्ली दूर है). दिल्ली पहुँचने से चार मील पहले ही गयासुद्दीन तुगलक अपने बेटे मुहम्मद बिन तुगलक के षडयंत्र का शिकार हो कर मर गया.

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