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जो नंगी नाचै, सोई पूतै खाय

किसी मनुष्य के दो स्त्रियां थीं. बड़ी की गोद में छ: महीने का बालक था. जिसे देख कर छोटी बहुत कुढ़ती थी. एक दिन मौका पाकर छोटी ने उस बच्चे को गला दबा कर मार डाला और कहना शुरू कर दिया कि बड़ी ने मुझे बदनाम करने के लिए यह काम किया है. बड़ी ने लोगों के सामने रोकर कहा— कोई मां होकर अपने लड़के को मार डाले, भला ऐसा भी किसी ने देखा सुना है. अंत में मामला गांव के मुखिया के पास पहुँचा. उसने दोनों स्त्रियों को बुला कर कहा – अच्छी बात है मैं अभी इस बात का फैसला करता हूँ कि लड़के को किसने मारा. तुम दो में से जो स्त्री हम लोगों के सामने बिलकुल नंगी होकर नाचे उसी को हम निर्दोष समझ लेंगे. सुन कर बड़ी ने कहा- मेरा लड़का भी गया और ऊपर से अपनी लाज शरम भी खोऊँ. ऐसा मैं कदापि नहीं कर सकती भले ही आप मुझे अपराधी समझ लें. छोटी ने कहा- मैंने जब कोई बुरा काम किया ही नहीं तो मुझे नंगी होकर नाचने में क्या डर. और वह कपड़े उतारने के लिए तैयार हो गयी. यह देख कर मुखिया ने तुरंत कहा— बस बस फैसला हो गया. यही असली अपराधिनी है.

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