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नौ सौ चूहे खाय बिलाई बैठी तप पे

एक बार एक बिल्ली बूढ़ी हो जाने पर गंगा जी के तट पर सर के बल खड़ी हो कर तपस्या करने का ढोंग करने लगी और कहने लगी कि मैं ने जीवन भर बहुत पाप किए हैं. अब मैं उन का प्रायश्चित करना चाहती हूँ. वहाँ आस पास कुछ चूहे रहते थे. उन्हें उस बिल्ली पर विश्वास हो गया और उनहोंने बिल्ली से कहा कि आप छोटे मोटे शत्रुओं से हमारी रक्षा करें, हम भी आपकी यथाशक्ति सेवा करेंगे. बिल्ली ने कहा कि तुम में से दो लोग मुझे रोज शाम गंगा जी के तट पर पहुँचा दिया करो. वहाँ मैं संध्यावंदन कर के वापस आ जाया करूंगी और बाकी समय तुम लोगों की रक्षा करूंगी. चूहे मान गए. बिल्ली मौका मिलते ही चूहों पर हाथ साफ़ करने लगी. कुछ दिनों बाद एक बूढ़े चूहे ने सब को बुला कर कहा कि ये बिल्ली दिन पर दिन मोटी होती जा रही है और हमारी संख्या कम होती जा रही है. उसके सुझाव पर वे सब वहाँ से भाग गए और बिल्ली अपना सा मुँह ले कर रह गई.

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