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आपके नौकर हैं, न कि बैंगनों के

एक दिन किसी राजा ने अपने दरबारियों के सामने कहा कि बैंगन की तरकारी बहुत अच्छी होती है, वैद्यक में इसकी बड़ी प्रशंसा लिखी है। उसके खाने से तंदुरुस्ती बढ़ती है। दरबारियों ने कहा – जी हाँ हुजूर, तभी तो उसके सिर पर ताज धरा हुआ है। इसके बाद एक दिन फिर राजा ने कहा – भाई बैंगन तो बड़ी खराब चीज है। भूख मारता है, और वादी भी करता है। दरबारियों ने कहा – जी हाँ हुजूर, तभी तो इसका नाम बेगुन (बिना गुण वाला) रखा गया है। राजा बोला – उस दिन तो तुम बैंगनों की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे, और आज मेरे निंदा करने पर तुम भी निंदा करने लगे; क्या बात है? इस पर दरबारियों ने जवाब दिया- हुजूर, हम आपके नौकर हैं, न कि बैंगनों के।

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