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तिरिया से राज छिपे न छिपाए

 

एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से बहुत प्रेम था. वह उस पर पूरा विश्वास करता था.  वह जानता था कि उसके माता-पिता कितने सीधे और सरल हैं, लेकिन जब कोई मौका आता, तो पत्नी का ही पक्ष लेता था. वह उनको कोई राज की बात नहीं बताता था पर अपनी पत्नी को सब-कुछ बता देता था.

एक दिन वह घूमता हुआ गांव के एक अनुभवी व्यक्ति के पास गया. उनको वह काका बोलता था. काका बहुत अनुभवी व्यक्ति थे और उसके पिता के पक्के दोस्त थे.

उसने काका से अपनी पत्नी की प्रशंसा की और बताया कि जो भी राज की बात होती है वह माता पिता को नहीं बताता पर पत्नी को अवश्य बताता है. वह पूरे परिवार को शक की नजर से देखता था. काका ने कहा, जो तुम कर रहे हो, यह सही नहीं है.

अपनी पत्नी तुम्हें विश्वास अवश्य करना चाहिए, पर याद रखना, स्त्रियाँ कोई राज की बात छिपा कर नहीं रख पाती हैं. किसी समय परीक्षा लेकर देखो. कभी-कभी सच्चा प्रेम करने वाला भी नासमझी में अपने प्रिय का अहित कर बैठता है.

यह सुनकर वह अधीर हो उठा. उसने जल्दी से जल्दी पत्नी की परीक्षा लेनी चाही. काका ने उससे एक नाटक रचने को कहा और उसे विस्तार से समझा दिया. एक दिन रात के समय वह एक कटा तरबूज अंगोछे में लपेट कर लाया. उसकी पत्नी ने देखा अंगोछे में कोई गोल चीज़ है जिस से टपककर लाल बूंदे गिर रही हैं.

यह अपनी पत्नी से बोला,  देख किसी से कहना मत. मैंने एक आदमी का सिर काट लिया है. इसे छिपाना है, नहीं तो मुझे सिपाही पकड़ लेंगे और मुझे फांसी की सजा मिलेगी. उसने अपनी पत्नी से एक फावड़ा मंगवाया और घर के पिछवाड़े में एक पेड़ के नीचे गड्ढा खोदा और उसमें उस तरबूज को अंगोछे सहित गाड़ दिया. ऊपर से मिट्टी डालकर वह जगह समतल बना दी.

उसकी पत्नी इस घटना से बेचैन हो उठी. उसने अपने पति से कुछ नहीं कहा, पर अंदर-ही-अंदर वह घुटन महसूस कर रही थी. एक दिन जब उससे रहा नहीं गया तो उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन को यह बात सुना दी और कहा, देख बहन, किसी से कहना मत, नहीं तो मेरे पति को फांसी हो जाएगी. उस महिला को भी वह बात नहीं पची. उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन महिला को यह घटना सुनाई और कहा, देख बहन, किसी से कहना मत. नहीं तो उसके पति को फांसी हो जाएगी. इसी

प्रकार यह खबर पूरे गांव में फैल गई. बहुत-सी औरतों ने यह घटना अपने आदमियों से भी कही.

एक दिन ऐसा आया जब यह खबर इलाके के थाने में पहुंच गई.

फिर क्या था? सुबह तड़के दरोगा और सिपाही उसके घर जा पहुंचे. जब गांव वालों को पता चला तो गांव के तमाम लोग भी आ गए. काका भी उसके घर पहुंच गए थे. दरोगा ने सबसे पहले उसकी औरत को धमकाकर पूछा, बता तेरे आदमी ने सिर कहां गाड़ा है? नहीं तो तुझे भी फांसी हो जाएगी. उसने डर के मारे वह स्थान इशारा करके दिखा दिया.

जब उस स्थान को खोदा गया तो अंगोछे में लिपटा हुआ एक कटा तरबूज निकला. दरोगा ने उस आदमी को डांटा, तो उसने पूरी घटना कह सुनाई. काका ने भी कहा कि इसने अपनी पत्नी की परीक्षा लेने के लिए यह किया था.

तब से यह कहावत बनी  तिरिया से राज छिपे न छिपाए’

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