एक साधु बाबा जंगल में कुटिया बना कर रहा करता था। उसकी कुटिया के पास ही एक किसान का खेत था। साधु रात को खड़ाऊँ पहन कर खेत में जाता और खेत में से खीरे आदि तोड़ कर ले जाता। खड़ाऊँ इस प्रकार बनाई गई थीं कि उनको पहन कर चलने पर खोज (पगचिन्ह) गधे के खोज की तरह अंकित होते थे। प्रातः काल उन चिन्हों को देख कर किसान यही सोचता कि कोई गधा रात को खेत में घुस कर नुकसान पहुँचा जाता है।
एक रात को किसान खेत में छुप कर बैठ गया। अपने निश्चित समय पर बाबाजी खड़ाऊँ पहन कर खेत में घुसे, लेकिन जब खीरे आदि तोड़ कर चलने को तैयार हुये तो किसान ने बाबाजी को पकड़ लिया और उनकी खूब मरम्मत की.
ऊपर से बाबाजी दीखे, नीचे खोज गधे का
09
May