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भूत न मारे, मारे भय

 एक पढ़ा लिखा व्यक्ति भूत प्रेत को बिलकुल नहीं मानता था. किसी ने उसे चुनौती दी कि वह आधी रात में श्मशान में स्थित पीपल के पेड़ पर कोयले से अपना नाम लिख कर नहीं दिखा सकता. उसने चुनौती स्वीकार कर ली और आधी रात में श्मशान स्थित पीपल के पेड़ की ओर चला. श्मशान का वातावरण डरावना तो होता ही है, ऊपर से उस के अवचेतन मस्तिष्क में कुछ न कुछ भय भी था. वह पेड़ पर लिख कर लौटने लगा तभी उसका कुरता पेड़ पर लगी कील में फंस गया. उसे लगा कि भूत ने उसे पकड़ लिया है और इस सदमे से वह वहीँ गिर कर मर गया.

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