Uncategorized
कर तो डर, न कर तो खुदा के गज़ब से डर
बुरा काम करे या न करे, पर हर हालत में ईश्वर के कोप से तो डरना ही चाहिए.
किसी जगह दो फकीर रहते थे. एक बार एक ने कहा, “कर तो डर, न कर तो भी डर.” दूसरा बोला, “मैं करूं नहीं तो डरूं क्यों.” पहला बिना कुछ कहे चला गया. इसके कुछ दिनों पश्चात राजा के महल में चोरी हुई. चोरों का नियम था कि वे चोरी के माल में से कोई एक वस्तु किसी फकीर को भेंट किया करते थे. उन्होंने एक सोने का हार ले जाकर उस दूसरे फकीर के गले में डाल दिया. उस समय वह आंखें मूंदकर ध्यान-मग्न था. इस कारण उसे इसका कुछ पता नहीं चला. दूसरे दिन जब उसके गले में हार पाया गया, तो उसे चोर समझकर फांसी की सज़ा दी गई.