एक राह चलती बुढ़िया ने किसी घुड़सवार से अपनी पोटली ले चलने के लिए कहा. घुड़सवार ने यह कहकर इनकार कर दिया कि घोड़े के सवार और बुढ़िया माई का क्या साथ. कुछ आगे चलकर सवार ने सोचा कि अच्छा होता यदि मैं उस बुढ़िया की पोटली ले लेता, उसमें जो कुछ है उसे आसानी से ले कर भाग जाता. वह लौट पड़ा और बुढ़िया के पास पहुँचकर कहने लगा – ला माई पोटली, तुझे कष्ट हो रहा होगा. मैं घोड़े की पीठ पर लाद लेता हूँ. इधर बुढ़िया के दिल में भी यह सदबुद्धि जागृत हो गई थी कि अच्छा हुआ जो मैं ने अपनी पोटली घुड़सवार को न दी, कहीं वह लेकर चम्पत हो जाता तो मैं क्या करती. किसी अनजान का विश्वास ही क्या. बुढ़िया ने उत्तर दिया – जो तुम्हें कह गया, वह मुझे भी कह गया
जो तुम्हें कह गया, वह मुझे भी कह गया
20
Jun