एक बार एक राजा अपने मंत्री और लाव-लश्कर के साथ शिकार के लिए गया. शिकार खेलते हुए राजा की ऊँगली कट गई, सब अफ़सोस ज़ाहिर करने लगे लेकिन मंत्री ने कहा, “ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है”. ये सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने मंत्री को जेल में डालने का हुक्म दे दिया.
उसके कुछ दिनों बाद ही राजा फिर से शिकार पर गया और घने जंगलों में अपने साथियों से बिछड़ गया. उसे कुछ जंगली डाकुओं ने घेर लिया. डाकू उसे पकड़ कर अपने अड्डे पर ले गए और उसकी बलि चढाने की तैयारी कर रहे थे कि तभी उनका सरदार वहाँ आ गया. जैसे ही सरदार की नज़र राजा के हाथों की तरफ़ गई, उसने चिल्ला कर तुरंत बलि रोकने का हुक्म दिया. उसने ये कहकर राजा को छोड़ दिया कि किसी भी ऐसे व्यक्ति की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती, जिसका कोई अंग कटा हुआ हो. राजा को अपने मंत्री की बात याद आई. राजमहल पहुँचते ही उसने सबसे पहले अपने मंत्री को रिहा कर दिया और उससे माफ़ी मांगते हुए जंगल में अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताया. मंत्री ने फिर कहा “ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है”. इस पर राजा ने मंत्री के सामने अपनी शंका ज़ाहिर की कि तुम्हें जेल में रहना पड़ा इसमें क्या अच्छाई थी. मंत्री ने कहा राजन जब भी आप शिकार पर जाते हैं या कहीं भी बाहर जाते हैं तो मैं हमेशा साये की तरह आपके साथ रहता हूँ. अगर मैं जेल में नहीं होता तो आपके साथ होता. आप तो अपनी कटी हुई ऊँगली के कारण बच गये मगर मेरी बलि चढ़ाते हुए वे डाकू ज़रा भी नहीं झिझकते. इसीलिए मैं मानता हूँ कि “ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है”.