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न चलनी में पानी आएगा, न चोकर की रस्सी बनेगी

भोजपुरी की प्रसिद्द लोकगाथा लोरिकायन के नायक लोरिक की बरात में कन्या के पिता ने बारातियों की परीक्षा लेने के लिए एक के बाद कई शर्तें रखीं. उन में से एक में उनहोंने गेहूँ का महीन चोकर भेजा और उस की रस्सी बंटने को कहा. बदले में लोरिक पक्ष के लोगों ने उनसे चलनी में पानी भर के देने की शर्त रखी जिससे वे रस्सी बंट सकें. इसी पर कहावत बनी.

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