एक व्यक्ति के पास कोई एक बहुत कीमती साड़ी थी. उसे दिखा कर वह किसी स्त्री को फंसाता, फिर उससे शादी कर के कुछ दिन बाद उसे छोड़ कर फिर नया शिकार तलाश करता. जब उसने नौवीं शादी की तो अपनी चालाकी पर खुश हो कर गुनगुनाने लगा – एक ही साडी में नौ रे नौ. पत्नी भी कुछ कम नहीं थी. सारा माजरा समझ के बोली – बुरा मत मानना तुम मेरे बीसवें पति हो. जब दो लोग एक से बढ़ कर एक धूर्त हों तब.
एक ही साड़ी में नौ रे नौ, कहे सुने न मनियो रीस, तोहे लगा के पूरे बीस
21
Jun