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सहरी भी न खाऊं तो काफ़िर न हो जाऊं

एक समय बहुत से मुलमान इकट्ठे होकर सहरी खा रहे थे. उनमें एक मुसलमान ऐसा भी था, जो रोज़ा नहीं रखे हुए था. उसे अपनी पंक्ति में देखकर सबके सब कह उठे कि तुम क्यों सहरी खा रहे हो? तुम क्या रोजा रख रहे हो? इस पर उसने जवाब दिया, मैं तो नमाज भी नहीं पढ़ता, न ही रोज़ा रखता हूं, अब अगर सहरी भी न खाऊं तो काफिर नहीं हो जाऊंगा?

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