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अतिशय लोभ न कीजिए, लोभ पाप की धार

अतिशय लोभ न कीजिए लोभ पाप की धार, इक नारियल के कारने पड़े कुएं में चार.

         अधिक लोभ करने से कितना संकट उत्पन्न हो सकता है इसके पीछे एक कहानी कही जाती है. एक कंजूस नारियल लेने बाज़ार में गया. दुकानदार ने कहा चार पैसे का है. उसने आगे बढ़ कर पूछा तो दूसरा दूकानदार बोला तीन पैसे का. और आगे बढ़ा तो दो पैसे, उससे आगे एक पैसे. कंजूस बोला कहीं मुफ्त में नहीं मिलेगा. दुकानदार ने कहा, आगे नारियल का पेड़ है खुद तोड़ लो.

कंजूस आगे जा कर नारियल के पेड़ पर चढ़ा और नारियल तोड़ कर उतरने लगा तभी उस का पैर फिसल गया. उसने एक डाल कस कर पकड़ ली और लटकने लगा. संयोग से नीचे एक कुआं भी था, याने अगर वह गिरता तो सीधे कुएं में जाता. डर के मारे उसे भगवान याद आने लगे. सोचने लगा कि कितने भी पैसे खर्च हो जाएँ, किसी तरह जान बच जाए.

कुछ देर बाद ऊँट पर सवार एक आदमी उधर से निकला. कंजूस उससे बोला तुम मुझे उतार दो तो मैं सौ रूपये दूंगा. सौ रूपये उस समय बहुत ही बड़ी रकम थी. ऊँट सवार ने कंजूस को उतारने के लिए उस के पैर पकड़े तब तक ऊँट नीचे से चल दिया. अब दोनों कुँए के ऊपर लटकने लगे. इसी तरह एक और ऊंट सवार और उसके बाद एक घुड़सवार भी एक के बाद एक लटक गए. अधिक बोझ से पेड़ की डाल टूट गई और चारों कुँए में जा पड़े. तब इस घटना को देख रहे किसी सयाने व्यक्ति ने यह कहावत बनाई.

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