कुछ लोग अपना महत्व दिखाने के लिए कुछ भी उल्टा सीधा करने को तैयार हो जाते हैं. इस के लिए वे झूठ भी बोल लेते हैं. ऐसे ही लोगों से सम्बंधित यह कहावत है. हम सब जानते है कि कुत्तों के डर से सियार बस्ती में जाने से डरते हैं. एक सियार को संयोग से एक पुराना कागज मिल गया तो उसने अपनी जमात इकट्ठी की. कागज दिखाकर वह सब से बोला – मैंने गाँव का पटटा ले लिया है. अब कोई कुत्ता हम पर नहीं भौंक सकता. चलो गाँव चलते हैं. सबसे आगे मैं चलूँगा. मूर्ख सियारों की बिरादरी ने पट॒टे वाली बात सच मान ली. वे सभी उसके पीछे-पीछे गाँव की ओर चले. पर गाँव में घुसते ही कुत्तों की फ़ौज भौंकते हुए उन पर टूट पड़ी. मुखिया सियार तुरंत पलट कर तेजी से वापस भागने लगा. साथियों ने कहा – भाग क्यों रहे हो? गाँव का पट्टा दिखाओ. तब उस सियार ने और जोर से भागते हुए कहा – ये सभी अनपढ़ हैं, पढ़ना नहीं जानते. फिर किसे पट्टा दिखाऊँ. जान बचाकर भागो, वरना बेमौत मारे जाओगे.
गीदड़ पट्टा
22
Nov