अंधेरी रात में एक चोर चोरी करने निकला. उसने एक बनिये के घर में पिछवाड़े से सेंध लगा दी. घर में घुसकर उस ने कुछ कीमती सामान बाँध लिए. जैसे ही वह सामान लेकर चला, कोई हलकी-सी चीज गिरने से बनिया जाग गया और अंदर कमरे की ओर दौड़ा. चोर सामान लेकर सेंध में से निकल ही रहा था कि बनिये ने पीछे से उस की कमर पकड़ ली.
चोर ने बनिये की पकड़ से निकलने की कोशिश की तो चोर की लंगोटी बनिये के हाथ में आ गई. चोर नंगा ही भागा और कुछ दूर जाकर अंधेरे में गायब हो गया. बनिये ने शोर मचाया तो तमाम लोग इकट्ठे हो गए.
गांववालों ने बनिये से चोर के बारे में पूछताछ की. बनिये ने लोगों को सारी बात बताई और जब उसने लंगोटी लोगों को दिखाई तो गांव के दर्जी ने पहचान लिया कि यह किसकी है.
सुबह होते ही बनिया मुखिया के पास गया. लंगोटी दिखाते हुए बनिये ने पूरी घटना सुनाई. मुखिया ने लंगोटी देखकर कहा, चलो ‘भागते चोर की लंगोटी ही भली’. इससे सब कुछ पता चल जाएगा. उस लंगोटी के जरिए ही वे लोग चोर तक पहुंचे और उसने चोरी करना स्वीकार कर लिया. तब से यह कहावत बनी. कुछ लोग इसको इस प्रकार बोलते हैं – ‘भागते भूत की लंगोटी ही भली’.