पार उतरूं तो बकरा दूं (जब कोई मुसीबत के समय तो देवी देवता से मन्नत मांगे, पर छुटकारा पाने पर मुकरजाए।)
कोई मियाँ नाव में बैठकर नदी पार कर रहा था। बीच में पहुंचा, तो बड़े जोर का तूफ़ान आया। उसने किसी पीर की मिन्नत मानी कि यदि सकुशल पार पहुंच जाऊं तो बकरा चढ़ाऊंगा। तूफान जब बंद हुआ, तो उसे बकरे का मोह हुआ और उसने कहा कि अगर बकरा नहीं चढ़ा सका तो मुर्गी अवश्य चढ़ाऊंगा। अंत में जब वह राजी-खुशी पार पहुंच गया, तो मुर्गी के लिए भी उसका मन अचकचाने लगा और अपने वादे को पूरा करने के लिए कपड़ों में से एक चीलर निकाल कर मार डाला और बोला- जान के बदले में मैंने जान तो दे ही दी।