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मन चंगा तो कठौती में गंगा

 कठौती कहते हैं लकड़ी से बने पानी रखने के बर्तन को. गंगा नहाने को बहुत से लोग बड़े पुण्य का काम मानते हैं. लेकिन सब लोगों को तो गंगा नहाना नसीब नहीं होता. उन लोगों को दिलासा देने के लिए यह कहा जाता है कि यदि तुम्हारा मन शुद्ध है तो तुम्हारे लिए कठौती में नहाना ही गंगा नहाने के समान है. इसको इस प्रकार से भी प्रयोग कर सकते हैं जैसे किसी बूढ़े या बीमार व्यक्ति के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना संभव नहीं है तो उसके लिए घर में या शहर में बने मंदिर में पूजा करना ही तीर्थ यात्रा के समान है. कुछ लोग इसके पीछे संत रैदास जी की कहानी सुनाते हैं कि उन्होंने चमड़ा भिगोने वाली अपनी कठौती में से गंगा जी में गिरा हुआ सोने का कड़ा निकाल कर दे दिया था.

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