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टेढ़ी खीर

एक आदमी ने किसी अंधे को अपने घर खीर खाने की दावत दी. अंधे ने पूछा खीर कैसी होती है? वह आदमी बोला मीठी-मीठी बिल्कुल सफेद रंग की. अंधे ने पूछा सफेद रंग कैसा होता है? वह आदमी बोला बगुले जैसा. अंधे ने फिर पूछा बगुला कैसा होता है? उस आदमी ने कहा लंबी लंबी टेढ़ी गर्दन वाला. अंधे ने कहा मैं कुछ समझा नहीं कैसी लंबी लंबी टेढ़ी गर्दन? उस आदमी ने अपने एक हाथ को दूसरे हाथ में फंसा कर चुल्लू जैसा बनाया और कहा इस तरह की. अंधे ने उसके हाथ को टटोलकर देखा और बोला अरे बाप रे ऐसी होती है खीर, इतनी टेढ़ी. मैं नहीं खाऊंगा, मेरे गले में फंस जाएगी. तभी से यह मुहावरा और कहावत बनी. यदि कोई काम मुश्किल हो और उसमें फंसने का डर हो तो उसे टेढ़ी खीर कहा जाता है.

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