कहीं एक पति-पत्नी बहते थे. दोनों दुश्चरित्र थे. एक दिन पत्नी बैठकर आटा गूंध रही थी. पति भी वहीं बैठा था. इतने में पति की प्रेमिका उधर से गुजरी, जिसे देखकर पति वहाँ से उठकर चलता बना. उसके चले जाने पर पत्नी भी अपने प्रेमी से मिलने चली गई. इघर सारा आटा कुत्ता खा गया. पति ने घर लौटकर पूछा कि आटा क्या हुआ. इसपर पत्नी ने उत्तर दिया हम तुम अपने अपने खेल में मस्त रहे तो कुत्ता आटे के साथ खेल लिया.
जब परिवार के सभी व्यक्ति अपने-अपने ऐशो-माराम में मशगूल रहते है और घर के काम पर ध्यान नहीं देते, तब व्यंग्य से उक्त कहावत कहते हैं