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दस पाँच लड़के एक संतोस, गदहा मारे कबहूँ न दोस

दस-पाँच लड़कों के साथ संतोष भी है, तो गदहा मारने में कोई दोष नहीं. एक बार कुछ लड़कों ने मिल कर एक गदहे को मार डाला. जब यह बात गाँव में फैली तो लड़कों के माँ बाप घबरा कर पण्डित जी के पास यह जानने के लिए गये कि गदहा मारने पर क्या दोष लगता है. पण्डित जी ने उसे महापाप बतलाते हुए, उससे मुक्ति के लिए अनेक लम्बे-चौड़े विधान बताये. तभी किसी ने कहा कि पण्डित जी, आपका लड़का संतोष भी इसमें शामिल था. पण्डितजी फौरन अपनी बात से पलट गए. बोले गदहा मारने से कोई दोष नहीं लगता.

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