मुगलों के जमाने में पढ़े लिखे लोग फ़ारसी पढ़ा करते थे (फ़ारसी एक प्रकार की उच्च शिक्षा थी, जैसे आजकल इंग्लिश है). फ़ारसी में पानी को आब कहते हैं. फ़ारसी का ज्ञान बघारने वाले लोगों का मजाक उड़ाने के लिए यह कहावत कही गई है कि प्यास लगने पर वह आब आब चिल्लाते रहे, कोई समझा ही नहीं कि वह पानी मांग रहे हैं. वह बेचारे प्यास से मर गए जब कि खाट के नीचे पानी रखा था. आजकल इंग्लिश बोलने में अपनी शान समझने वालों पर यह कहावत लागू की जा सकती है.
फ़ारस गए फ़ारसी पढ़ आए बोले वहीं की बानी, आब आब कह पुतुआ मर गए खटिया तरे धरो रहो पानी
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Jun