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पढ़ाया लिखाया बेटा वानर हो गया
एक पंडितजी ने एक साहूकार के यहाँ अपना कुछ रुपया धरोहर रखा था. कुछ दिनों के बाद जब पंडितजी ने उससे अपना रुपया मांगा, तब साहूकार ने बतलाया कि पंडितजी वह रुपया तो कोयला हो गया. इसके कुछ दिनों के बाद साहूकार ने अपना एक लड़का पंडितजी को पढ़ाने को दिया. पंडितजी ने लड़के को कहीं छिपा दिया और उसकी जगह एक बंदर को बाँध दिया. जब साहूकार अपना लड़का लेने गया तो पण्डित जी ने उसे वह बंदर दिखा कर कहा कि यही तुम्हारा लड़का है. इस पर साहूकार झगड़ा करने लगा तो मामला मुखिया तक पहुँचा. मुखिया ने सारी बात समझ कर पंडित जी के रूपये ब्याज समेत दिलवाए. तब पंडित जी ने लड़का भी वापस कर दिया.