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नदी किनारे दी है साखी, सोलह में तीन दिए तेरह बाकी

किसी अनपढ़ भोले भाले मल्लाह ने अपना टैक्स दे दिया था पर पटवारी ने उससे पैसे वसूलने के चक्कर में जान बूझ कर रसीद नहीं दी थी. एक बार पटवारी को नदी पार करनी थी तो मल्लाह ने कहा कि जब तक रसीद नहीं दोगे नदी पार नहीं कराऊँगा. इस पर पटवारी ने अनपढ़ मलाह को उपरोक्त बात लिख कर दे दी. सरकारी मुलाजिम अनपढ़ जनता का किस प्रकार शोषण करते हैं इसका एक उदाहरण

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