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तेल देखो, तेल की धार देखो

किसी राजकुमार के चार मित्र थे – सिपाही, ब्राह्मण, उंटेरा (ऊंट पालने वाला) और तेली. जब वह पिता के मरने पर गद्दी पर बैठा, तो उसने उन चारों को अपना मंत्री बनाया. पड़ोस के एक राजा ने जब उसे मूर्ख मंत्रियों से घिरा और भोग-विलास में डूबा पाया, तो उस पर चढ़ाई कर दी. राजकुमार ने तब अपने चारों मंत्रियों को बुलाया और इस बारे में उनकी राय मांगी. जो सिपाही था, उसने तुरंत लड़ने को कहा. ब्राह्मण ने कहा, जैसे भी हो सुलह कर लो. उंटेरे ने कहा, जल्दी किस बात की है, देखिए, ऊंट किस करवट बैठता है. तेली ने तब उसी का समर्थन करते हुए कहा, घबड़ाइए नहीं, अभी तेल देखिए, तेल की धार देखिए.

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