एक आदमी के पास एक ऐसी मुर्गी थी जो रोज सोने का एक अंडा देती थी. उस अंडे को बेच कर उस की अच्छी आय हो जाती थी. एक दिन उसने सोचा कि रोज रोज मुर्गी की देखभाल करने और एक एक अंडा प्राप्त करने की बजाए एक ही दिन में सारे अंडे क्यों न निकाल लूँ. यह सोच कर उसने छुरा ले कर मुर्गी का पेट फाड़ दिया. लेकिन अंदर तो कुछ मिला ही नहीं, और मुर्गी भी मर गई. यह कहावत उन लोगों के लिए कही जाती है जो जल्दी लाभ उठाने के चक्कर में नुकसान उठाते हैं और फिर पछताते हैं.
सोने के अंडे देने वाली मुर्गी का पेट न फाड़ो
03
Jan